ईला

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यह लेख इला के अर्थ और उसके हुक्म के बारे में है। इसी नाम की आयत के बारे में जानने के लिए आय ए ईला वाले लेख का अध्ययन करें।

ईला (अरबीःالإيلاء) जाहिली काल की परंपराओं में से एक है और इसका मतलब है एक आदमी का अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध न बनाने की शपथ लेना जोकि इस्लाम में हराम है और ईला के लिए कफ़्फ़ारा निर्धारित है। अगर ऐसा किया जाता है तो महिला हाकिम ए शरअ या अदालत से शिकायत कर सकती है। हाकिम पुरुष को महिला के पास जाने के लिए चार महीने का समय देता है, अन्यथा वह उसे महिला को तलाक़ देने के लिए मजबूर करता है। ईला का हुक्म न्यायविदों का दस्तावेज़ सूर ए बकरा की आयत 226 और 227 है। दाएमी शादी और कम से कम चार महीने तक संभोग से दूर रहने की शपथ लेना इला को पूरा करने की शर्तों में से एक है।

परिभाषा एवं स्थान

पुरुष की अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध न रखने की शपथ को ईला कहा जाता है।[१] इस्लाम मे ईला हराम है, और मुस्लिम फ़ुक़्हा ने इसके पूरा होने के साथ-साथ इसके बाद के फैसलों के लिए विशेष अहकाम और शर्तें बयान की हैं।[२] दस्तावेजात के रूप मे इन अहकाम के लिए सूर ए बक़रा की 226 और 227 नम्बर की आयतो का हवाला दिया गया है।[३] न्यायशास्त्रीय स्रोतों में ईला के लिए विशेष अध्याय बयान किया गया है।[४]

पृष्ठभूमि

मुख्य लेख: आय ए ईला

जाहिली काल की संस्कृति में ईला का उल्लेख एक प्रकार के तलाक़ के रूप में किया गया है।[५] जाहिली युग के दौरान, यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी से नफरत करता था, तो वह उसके साथ कई वर्षो तक[६] अथवा अपने जीवन के अंत तक उसके साथ बिस्तर पर न सोने[७] की कसम खाता था और उसको तलाक़ भी नही देता था।[८] इस प्रकार की क़सम खाने का का उद्देश्य महिला को परेशान करना,[९] उसे भटकाना[१०] और उसे दोबारा शादी करने से रोकना[११] जैसा बयान किया गया है। तफ़सीर नमूना सूर ए बकरा की आयत न. 226 में अल्लाह ने इस परंपरा के खिलाफ इस शपथ को छोड़ने के तरीकों को समझाया है[१२] और महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनके अधिकारों को बहाल किया है।[१३]

फ़िक़्ही अहकाम

ईला के हराम माना गया है और इसका कारण अपनी पत्नी के साथ चार महीने से अधिक समय तक संभोग न करने की हुरमत है।[१४] कुछ लोगों ने इस हुक्म को सूर ए बकरा की आयत न. 226 “فَإِنَّ اللّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌफ़इन्नल्लाहा ग़फ़ूरुर रहीम” से लिया है।[१५]

ईला साबित होने की शर्ते

ईला के लिए तीन रुक्न (स्तंभ) बयान हुए हैं: वह जो ईला करता है (पति), वह जिसे ईला किया गया है (पत्नी) और ईला का वह रूप जो किसी भी शब्द और किसी भी भाषा मे किया गया हो जो स्पष्ठ रूप से ईला के अर्थ को समझाता हो सही है।[१६] ईला के साबित होने के लिए शर्तें भी हैं कि यदि कोई शर्त मौजूद नहीं हो, तो ईला साबित नहीं होगा। ईला की शर्तें निम्नलिखित हैं:

  • ईला करने वाला व्यक्ति बुद्धिमान हो, बालिग़ हो, इख्तियार और क़स्द (इच्छाशक्ति और विवेक) रखता हो।
  • अल्लाह के नामों में से एक की कसम खाई हो।
  • संभोग और योनि मे प्रवेश से दूर रहने की शपथ खाई हो।
  • संभोग न करने की अवधि चार माह से कम नहीं होनी चाहिए।
  • ईला से पहले पुरुष और महिला के बीच शारीरिक संबंध बना हो।
  • ईला करने का उद्देश्य पत्नि को चोट पहुंचाना हो।
  • स्थायी पत्नी (दाएमी ज़ौजा) हो।[१७]

ईला के बाद के अहकाम

न्यायविदों का मानना है कि अगर कोई पुरुष ईला करता है तो महिला हाकिम ए शरअ से शिकायत कर सकती है। हाकिम पुरुष को महिला के पास लौटने के लिए चार महीने की समय सीमा देता है और यौन संबंध बनाने के बाद क़सम तोड़ने का कफ़्फ़ारा अदा करे।[१८] यदि पुरुष इस अवधि के दौरान कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो हाकिम उसे पत्नि की ओर लौटने अथवा उसको तलाक़ देने, से किसी एक को चुनने का मौका देता है। और यदि वह दोनों करने से इनकार करता है तो उसे कैद करके और उसे खाना खिलाना कठिन बनाकर उसे इन दो तरीकों में से एक को चुनने के लिए मजबूर करता है।[१९] कुछ न्यायविदों का मानना है कि इस मामले में हाकिम महिला को तलाक दे सकता है।[२०]

फ़ुटनोट

  1. सादी, अल क़ामूस अल फ़िक़्ही, 1408 हिजरी, पेज 23
  2. जज़ीरी वा दिगरान, अल फ़िक़्ह अलल मज़ाहिब अल अरबआ, 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 548-574
  3. अलीपूर, ईला, पेज 184
  4. देखेः तूसी, अल खिलाफ़, 1407 हिजरी, भाग 4, पेज 507; कुत्ब रावंदी, फ़िक़्ह अल क़ुरआन, 1405 हिजरी, भाग 2, पेज 200; इब्ने जोहरा, ग़ुन्यातुन्नुज़ूअ, 1417 हिजरी, फेज 363
  5. फ़ख़्रे राज़ी, अल तफसीर अल कबीर, 1420 हिजरी, भाग 6, पेज 429; इब्ने अरबी, अहकाम अल क़ुरआन, 1408 हिजरी, भाग 1, पेज 177; साअलबी, अल कश्फ वल बयान, 1422 हिजरी, भाग 2, पेज 168; अबू अल फुतूह राज़ी, रौज़ अल जेनान, 1408 हिजरी, भाग 3, पेज 254
  6. इब्ने अरबी, अहकाम अल क़ुरआन, 1408 हिजरी, भाग 1, पेज 177
  7. फ़ैज़ काशानी, तफसीर अल साफ़ी, 1415 हिजरी, भाग 1, पेज 255; जाफरी, तफसीर कौसर, 1376 शम्सी, भाग 1, पेज 531; फ़ख़्रे राज़ी, अल तफसीर अल कबीर, 1420 हिजरी, भाग 6, पेज 429; बैयज़ावी, अनवार अल तंज़ील व इसरार अल तावील, 1418 हिजरी, भाग 1, पेज 140; तूसी, अल तिबयान, बैरूत, भाग 2, पेज 232; मुग़नीया, अल तफसीर अल काशिफ़, 1424 हिजरी, भाग 1, पेज 339
  8. ज़मख़शरी, अल कश्शाफ़, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 269
  9. ज़मख़शरी, अल कश्शाफ़, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 269
  10. तूसी, अल तिबयान, बैरूत, पेज 108
  11. अबू हय्यान, अल बहर अल मोहीत, 1420 हिजरी, भाग 2, पेज 445; तूसी, अल तिबयान, बैरूत, पेज 108; मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 2, पेज 149
  12. मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1371 शम्सी, भाग 2, पेज 149
  13. तिबरानी, अल तफसीर अल कबीर, 2008 ई, भाग 1, पेज 398; फ़ख़्रे राज़ी, अल तफसीर अल कबीर, 1420 हिजरी, भाग 6, पेज 429; जाफरी, तफसीर कौसर, 1376 शम्सी, भाग 1, पेज 532
  14. शहीद सानी, मसालिक अल इफ़हाम, 1413 हिजरी, बाग 10, पेज 138; नजफी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 29, पेज 115
  15. अलीपूर, ईला, पेज 184
  16. मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ फ़िक़्ह इस्लामी, फ़रहंग फ़िक़्ह फ़ारसी, 1378 शम्सी, भाग 1, पेज 748-749
  17. मिशकीनी, मुस्तलेहात अल फ़िक़्ह, 1392 शम्सी, पेज 98
  18. फ़ाज़िल मिक़दाद, कंज़ अल इरफ़ान, 1425 हिजरी, भाग 2, पेज 292
  19. फ़ाज़िल मिक़दाद, कंज़ अल इरफ़ान, 1425 हिजरी, भाग 2, पेज 292; इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला, मोअस्सेसा दार अल इल्म, भाग 2, पेज 357
  20. तूसी, अल ख़िलाफ़, 1407 हिजरी, भाग 4, पेज 515

स्रोत

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  • अबू हय्यान, मुहम्मद बिन युसूफ़, अल बहर अल मोहीत फ़ी अल तफसीर, बैरूत, दार अल फ़िक्र, 1420 हिजरी
  • इब्ने ज़ोहरा हलबी, हमज़ा बिन अली, ग़िन्यातुन्नुजुआ एला अलम अल उसूल वल फ़ुरूअ, मोअस्सेसा इमाम सादिक़ (अ), क़ुम, पहला संस्करण 1417 हिजरी
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  • शहीद सानी, ज़ैनुद्दीन बिन अली, मसालिक अल इफ़हाम इला तंक़ीह शराए अल इस्लाम, ख़ु, मोअस्सेसा अल मआरिफ़ अल इस्लामीया, पहला संस्करण 1413 हिजरी
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  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल तिबयान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी
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  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन शाह मुरतज़ा, तफसीर अल साफ़ी, तेहरान, मकतब अल सद्र, दूसरा संस्करण, 1415 हिजरी
  • कुत्बुद्दीन रावंदी, सईद बिन अब्दुल्लाह, फ़िक़्ह अल क़ुरआन, संसोधन सय्यद अहमद हुसैनी, किताब खाना आयतुल्लाह मरअशी नजफ़ी, क़ुम, दूसरा संस्करण 1405 हिजरी
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  • नजफ़ी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल कलाम फ़ी शरह शराए अल इस्लाम, संशोधन क़ूचानी वा अली आख़ूंदी, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, सातवा संस्करण 1404 हिजरी