महिलाओं का श्रृंगार

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महिलाओं का श्रृंगार (अरबी:زينة المرأة) महिलाओं के चेहरे, शरीर, बालों या नाखूनों का सौंदर्यीकरण है, जिसके लिए न्यायशास्त्र में अहकाम बयान किए गए हैं। महिलाओं को मेकअप की अनुमति है; लेकिन अगर पति मेकअप के लिए अनुरोध करता है तो मेकअप करना महिला के लिए अनिवार्य (वाजिब) है और अगर अनुरोध नहीं करता है तो यह मुस्तहब है। एहराम की अवस्था में और पति की मृत्यु की इद्दत के समय में महिलाओं के लिए श्रृंगार करना जायज़ नहीं है।

शिया न्यायविदों ने महिलाओं के लिए, गैर-महरम के सामने मेकअप को ढंकना वाजिब माना है। महिलाओं के श्रृंगार के लिए भुगतान प्राप्त करना जायज़ है, यदि यह हलाल उद्देश्य के लिए हो। नमाज़ के लिए श्रृंगार को ढंकना ज़रूरी नहीं है; बल्कि कुछ न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार महिलाओं का नमाज़ के लिए श्रृंगार करना मुस्तहब है।

परिभाषा और स्थिति

श्रृंगार का अर्थ है सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग करके चेहरे को सुंदर बनाना, या चेहरे के अनचाहे बालों को हटाना, या बालों को मोड़ना और सीधा करना, या नाखूनों को सजाना।[१]

न्यायशास्त्र की पुस्तकों में श्रृंगार का उल्लेख ज़ीनत शब्द के साथ किया गया है;[२] हालाँकि, ज़ीनत का अर्थ श्रृंगार से अधिक सामान्य है और इसमें अन्य सौंदर्यीकरण भी शामिल हैं।[३] शब्दकोशों में, ज़ीनत का अर्थ "कोई भी ऐसी वस्तु जिसे सजावट के लिए उपयोग किया जाए" है।[४]

हदीसों में महिलाओं को श्रृंगार करने की सिफ़ारिश की गई है।[५] उदाहरण के लिए, इमाम बाक़िर (अ) की एक हदीस के अनुसार, महिला के हाथों में मेहंदी न होना उचित नहीं है।[६] एक अन्य हदीस के अनुसार, एक अच्छी महिला की विशेषताओं में से एक, पति के लिए श्रृंगार करना और श्रंगार को गैर महरम से ढंकना है।[७]

न्यायशास्त्र की पुस्तकों में, महिलाओं के श्रृंगार का उल्लेख विभिन्न अध्यायों जैसे कि विवाह,[८] हज,[९] नमाज़[१०] और मकासिबे मोहर्रमा (हराम व्यापार द्वारा लाभ) (तदलीस मश्ता) में किया गया है।[११]

उदाहरण

शिया न्यायशास्त्र की पुस्तकों में, सुरमा लगाना, भौहें रंगना,[१२] बालों में दूसरा बाल जोड़ना,[१३] टैटू बनवाना,[१४] कपड़ों का रंग,[१५] इत्र का उपयोग करना,[१६] और हर वह चीज़ जो चेहरे को सुंदर बनाता है।[१७] उसे ज़ीनत माना गया है। ज़ीनत के कुछ मामलों (उदाहरण), जैसे बालों में दूसरा बाल जोड़ना[१८] और कपड़ों का रंग, को लेकर न्यायविदों में मतभेद है।[१९]

13वीं शताब्दी हिजरी के शिया न्यायविद् साहिब जवाहिर के अनुसार, किसी चीज़ का आभूषण (ज़ीनत) होना रीति-रिवाजों पर निर्भर करता है; उदाहरण के लिए, वह अपने समय में कपड़ों के रंग को आभूषण (ज़ीनत) नहीं मानते थे।[२०] साहिबे उर्वा (मृत्यु 1337 हिजरी), 13वीं और 14वीं शताब्दी हिजरी के एक शिया न्यायविद्, श्रृंगार करने वाले व्यक्ति और उस व्यक्ति के रहने के समय या स्थान के अनुसार अलंकरण को अलग-अलग मानते थे।[२१]

इसके अलावा, सय्यद अली ख़ामेनेई के फ़तवे के अनुसार, मराजे ए तक़लीद में से एक, भौं को टटू करना जैसी चीजों को ज़ीनत मानना, रीति रिवाज पर निर्भर करता है।[२२]

न्यायशास्रीय हुक्म

सूर ए आराफ़ की आयत 32 के आधार पर, शिया न्यायविदों ने किसी भी प्रकार के श्रंगार और ज़ीनत को अपने आप में जायज़ माना है;[२३] बेशक, महिलाओं का श्रृंगार कुछ शर्तों के तहत वाजिब, मुस्तहब या हराम है।

वाजिब श्रृंगार

शिया न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार, यदि पति श्रृंगार के लिए अनुरोध करता है, तो महिला के लिए अपने पति के लिए श्रृंगार करना वाजिब है।[२४] इसका कारण पति की आज्ञा का पालन करना और उसके अधिकारों को पूरा करने का दायित्व है।[२५]

मुस्तहब श्रृंगार

न्यायविदों के अनुसार, पति के अनुरोध के बिना, एक महिला का अपने पति के लिए श्रृंगार करना मुस्तहब है।[२६]

रजई तलाक़ की इद्दत की अवधि के दौरान भी महिला का श्रृंगार करना मुस्तहब माना गया है[२७] और इसका कारण, हदीस के अनुसार, पति को आकर्षित करना और उसे वापस जीवन में लाना है।[२८]

हराम श्रृंगार

शिया न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार, एहराम[२९] में और अपने पति की मृत्यु की इद्दत की अवधि के दौरान महिला के लिए श्रंगार करना जाएज़ नहीं है।[३०]

शेख़ मुफ़ीद (मृत्यु 413 हिजरी) और साहिब जवाहिर (मृत्यु 1266 हिजरी) जैसे न्यायविदों ने महिलाओं द्वारा ग़ैर महरम को आकर्षित करने के लिए श्रृंगार करना हराम माना है।[३१] शिया न्यायविदों के प्रसिद्ध फ़तवे में तदलीस (विवाह का प्रस्ताव देने वाले को धोखा देने के लिए किया जाने वाला श्रृंगार) भी हराम है।[३२]

साधारण श्रृंगार

मरज ए तक़लीद नासिर मकारिम शिराज़ी के फ़तवे के अनुसार, चेहरे की गोलाई और हाथों पर कलाई तक श्रृंगार करना अगर यह बहुत साधारण हो और ग़लत कार्य का कारण न बने तो जाएज़ है।[३३] मरज ए तक़लीद सय्यद अली ख़ामेनेई के अनुसार, हल्के श्रृंगार को अगर रीति रिवाज के अनुसार ज़ीनत और श्रृंगार माना जाता है तो ग़ैर महरम से ढकना वाजिब है।[३४] मरज ए तक़लीद जाफ़र सुब्हानी के अनुसार भी, जिसे श्रृंगार माना जाता है उसे ढकना वाजिब है।[३५] मोहम्मद सादिक़ रूहानी ने साधारण श्रृंगार को यदि गैर-महरम के उत्साह का कारण बनता है तो जायज़ नहीं माना है।[३६]

मराजे ए तक़लीद में से सय्यद अली सिस्तानी,[३७] सय्यद अबुल क़ासिम ख़ूई[३८] और मिर्ज़ा जवाद तबरेज़ी ने गैर-महरम की नज़र से श्रृंगार को ढंकना वाजिब माना है, भले ही यह साधारण हो।

सम्बंधित अहकाम

महिलाओं के श्रृंगार से सम्बंधित कुछ अहकाम इस प्रकार हैं:

श्रृंगार से धन कमाना

श्रृंगार के लिए भुगतान प्राप्त करना जायज़ है, अगर यह हलाल उद्देश्य के लिए हो (जैसे कि एक महिला का अपने पति के लिए श्रृंगार) यह जायज़ है।[३९] शिया मरज ए तक़लीद सय्यद अली ख़ामेनेई के फ़तवे के अनुसार, किसी महिला का श्रृंगार करना हराम कार्य में सहायता के उद्देश्य से (जैसे ग़ैर-महरम को दिखाना) जाएज़ नहीं है। उनके फतवे के अनुसार, विचलित संप्रदायों की शैली में बाल स्टाइल करना भी जाएज़ नहीं है, और इसके लिए प्राप्त वेतन हलाल नहीं है।[४०]

श्रृंगार के साथ वुज़ू एवं नमाज़

100 वर्ष ईसा पूर्व का कॉस्मेटिक बॉक्स।

मराजे ए तक़लीद के फ़तवे के अनुसार, जिन सौंदर्य प्रसाधनों में अशुद्धियाँ होती हैं और वुज़ू में बाधा बनती हों तो उन्हें वुज़ू करने से पहले हटा दिया जाना चाहिए।[४१] ऐसे श्रृंगार जिनमें केवल रंग होता है और अशुद्धियाँ नहीं होती हैं[४२] या त्वचा के नीचे रखे जाते हैं, और उनसे वुज़ू में कोई बाधा नहीं होती है तो उनके रहते हुए वुज़ू सही है।[४३]

नमाज़ के दौरान, चेहरे का श्रृंगार,[४४] आभूषण और बाल जो स्त्री के बालों से दूसरे से जुड़े होते हैं, को (यदि ग़ैर महरम इसे नहीं देखता है) ढंकना जरूरी नहीं है;[४५] बल्कि, महिलाओं का नमाज़ की अवस्था में आभूषण पहनना और मेंहदी लगाना मुस्तहब है।[४६] कुछ टिप्पणीकारों ने सूर ए आराफ़ की आयत 31 का हवाला देते हुए कहा है कि नमाज़ के समय सजना-संवरना पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए मुस्तहब है।[४७]

दूसरों को श्रृंगार दिखाना

यह भी देखें: सार्वजनिक रूप से महिलाओं के आभूषणों का प्रदर्शन

आयत وَلَا يُبۡدِينَ زِينَتَهُنَّ إِلَّا... (अनुवाद: और अपना श्रृंगार प्रकट न करें, सिवाय...) [नूर-31] जो आय ए इब्दा अल-ज़ीनत के रूप में प्रसिद्ध है,[४८] महिला का श्रंगार किसी ग़ैर महरम को दिखाना माना किया गया है। शिया न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार और आय ए इब्दा अल-ज़ीनत के तर्क के साथ, गैर-महरम के सामने श्रृंगार को ढंकना वाजिब है।[४९] न्यायशास्त्र की पुस्तकों में, गैर-महरम पुरुषों को श्रंगार दिखाने का उल्लेख तबर्रुज (सार्वजनिक रूप से महिलाओं के आभूषणों का प्रदर्शन) शब्द से किया गया है।[५०]

इसके अलावा, हदीसों में, गैर-महरमों को एक महिला के श्रृंगार को दिखाने की निंदा की गई है।[५१] तहज़ीब अल-अहकाम पुस्तक में एक हदीस में, एक महिला की गवाही की स्वीकृति के लिए शर्तों में से एक महिला के श्रृंगार प्रकट नहीं करना और पुरुषों की सभा में आभूषणों का प्रदर्शन (तबर्रुज) नहीं करना है।[५२]

सम्बंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. अनवरी, फ़र्हंग बुज़ुर्ग सोख़न, 1381 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 77।
  2. उदाहरण के लिए देख़ें, शेख़ तूसी, अल-मबसूत, 1387 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 264।
  3. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 29, पृष्ठ 76।
  4. फ़राहिदी, किताब अल-ऐन, 1409 हिजरी, ज़ैन शब्द के तहत; साहिब, अल-मुहीत फ़ी अल-लोग़ह, 1414 हिजरी, ज़ैन शब्द के तहत।
  5. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1429 हिजरी, खंड 13, पृष्ठ 141; हुर्रे आमोली, वसाएल अल-शिया, 1416 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 97।
  6. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 509।
  7. मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 100, पृष्ठ 235।
  8. बहरानी, सनद अल-उर्वा अल-वुस्क़ा (निकाह), 1429 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 89।
  9. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 18, पृष्ठ 373।
  10. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 8, पृष्ठ 175।
  11. शेख़ अंसारी, मकासिब, 1410 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 159।
  12. शेख़ तूसी, अल-मबसूत, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 264।
  13. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 8, पृष्ठ 175।
  14. मुफ़ीद, अहकाम अल-निसा, 1413 हिजरी, पृष्ठ 57।
  15. इब्ने बर्राज, अल-मुहज़्ज़ब, 1406 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 330।
  16. शेख़ तूसी, अल-मबसूत, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 264; बहरानी, सनद अल-उर्वा अल-वुस्क़ा (निकाह), 1429 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 93।
  17. शेख़ तूसी, अल-मबसूत, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 264।
  18. तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल-वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 317।
  19. इब्ने बर्राज, अल-मोहज़्ज़ब, 1406 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 330; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 22, पृष्ठ 280।
  20. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 22, पृष्ठ 280।
  21. तबातबाई यज़दी, अल-उर्वा अल-वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 98।
  22. लेबासे शोहरत व अहकामे पोशिश, दफ़्तरे हिफ़्ज़ व नश्र हज़रत आयतुल्लाह अल उज़मा अली ख़ामेनेई।
  23. उदाहरण के लिए देखें, शेख़ तूसी, अल-ख़ेलाफ, 1407 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 73; अल्लामा हिल्ली, तज़किरा अल-फ़ोकहा, 1414 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 133।
  24. उदाहरण के लिए देखें, सब्ज़ेवारी, मोहज़्ज़ब अल-अहकाम, 1413 हिजरी, खंड 25, पृष्ठ 218; इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, 1392 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 328; सिस्तानी, मिन्हाज अल-सालेहीन, 1415 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 106; लंकरानी, जामी अल-मसाएल, 1425 हिजरी, पृष्ठ 428।
  25. फ़ल्लाह, "हुक्मे आराइशे ज़नान दर फ़िक़्हे शिया" पृष्ठ 121 और 122।
  26. उदाहरण के लिए देखें, इब्ने अबी जम्हूर, अल-अक़ताब अल-फ़िकहिया, 1410 हिजरी, पृष्ठ 100; हकीम, अल-फतावा, 1433 हिजरी, पृष्ठ 291।
  27. उदाहरण के लिए देखें, बहरानी, अल-हदायक़ अल-नाज़ेरा, 1363 शम्सी, खंड 25, पृष्ठ 476; खूई, मिन्हाज अल-सालेहीन, 1410 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 303।
  28. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 32, पृष्ठ 354।
  29. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 18, पृष्ठ 373।
  30. शेख़ तूसी, अल-मबसूत, 1387 हिजरी, पृ. 263 और 264; इब्ने बर्राज, अल-मोहज़्ज़ब, 1406 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 330; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 22, पृष्ठ 276; तबातबाई यज़दी, अल-उर्वा अल-वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 99।
  31. उदाहरण के लिए देखें, नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 29, पृष्ठ 85; मुफ़ीद, अहकाम अल-निसा, 1413 हिजरी, पृष्ठ 57; "अहकामे आराइशे ज़नान", आयतुल्लाह खामेनेई का सूचना आधार।
  32. शेख़ अंसारी, मकासिब, 1410 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 159; रूहानी, मिन्हाज अल-फ़ोक़हाहा, 1429 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 242।
  33. हुक्मे आराइशे ज़नान दर मुक़ाबिले ना महरम, हज़रत आयतुल्लाह अल-उज़मा मकारिम शिराज़ी के कार्यालय का सूचना आधार।
  34. आराइशे मुलाएम बा हिफ़्ज़े हिजाब, आयतुल्लाह ख़ामेनेई के कार्यालय का सूचना आधार।
  35. आराइशे सूरत दर मुक़ाबिले ना महरम, आयतुल्लाह अल-उज़मा जाफ़र सुब्हानी के कार्यालय का सूचना आधार।
  36. रूहानी, इस्तिफ़ताआत, 1382 शम्सी, पृष्ठ 202।
  37. ज़ीनत व आराइश करदन, मरज ए आली क़द्र आयतुल्लाह सय्यद अली हुसैनी सिस्तानी के कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट।
  38. ख़ूई, अहकामे शरई बानवान, 1391 शम्सी, पृष्ठ 439।
  39. सब्ज़ेवारी, मोहज़्ज़ब अल-अहकाम, 1413 हिजरी, खंड 16, पृष्ठ 77; बनी हाशमी खुमैनी, तौज़ीहुल मसाएल मुताबिक़ बा फ़तवा ए सीज़देह मरजा, 1385 शम्सी, पृष्ठ 1941।
  40. "अहकामे आराइशे ज़नाने", आयतुल्लाह ख़ामेनेई का सूचना आधार।
  41. उदाहरण के लिए देखें, बनी हाशमी खुमैनी, तौज़ीहुल मसाएल मुताबिक़ बा फ़तवा ए सीज़देह मरजा, 1385 शम्सी, पृष्ठ 1941; बेहजत, इस्तिफ़ताआत, 1386 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 173; "पुरशिस व पासुख, ग़ुस्ल", मरज ए आली क़द्र आयतुल्लाह सय्यद अली हुसैनी सिस्तानी के कार्यालय का सूचना आधार।
  42. उदाहरण के लिए देखें, बनी हाशमी खुमैनी, तौज़ीहुल मसाएल मुताबिक़ बा फ़तवा ए सीज़देह मरजा, 1385 शम्सी, पृष्ठ 1941; बेहजत, इस्तिफ़ताआत, 1386 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 173; "पुरशिस व पासुख, ग़ुस्ल", मरज ए आली क़द्र आयतुल्लाह सय्यद अली हुसैनी सिस्तानी के कार्यालय का सूचना आधार।
  43. उदाहरण के लिए देखें, बेहजत, इस्तिफ़ताआत, 1386 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 173 देखें; "अहकामे वुज़ू", आयतुल्लाह ख़ामेनेई का सूचना आधार।
  44. तबातबाई यज़दी, अल-उर्वा अल-वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 319।
  45. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 8, पृष्ठ 175।
  46. तबातबाई यज़दी, अल-उर्वा अल-वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 614।
  47. अत्यब अल-बयान, तय्यब, 1378 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 307।
  48. तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल-वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 492।
  49. काशिफ़ अल-ग़ेता, कशफ़ अल-ग़ेता, महदवी, पृष्ठ 198; तबातबाई यज़दी, अल-उर्वा अल-वुस्क़ा, 1419 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 319।
  50. बहरानी, सनद अल-उर्वा अल-वुस्क़ा (निकाह), 1429 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 89।
  51. उदाहरण के लिए देखें, मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 100, पृष्ठ 235।
  52. शेख़ तूसी, तहज़ीब अल-अहकाम, 1407 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 242।

स्रोत

  • आराइशे सूरत दर मुक़ाबिले ना महरम, आयतुल्लाह अल-उज़मा जाफ़र सुब्हानी के कार्यालय का सूचना आधार, देखने की तारीख: 4 बहमन, 1399 शम्सी।
  • आराइशे मुलाएम बा हिफ़्ज़े हिजाब, आयतुल्लाह ख़ामेनेई के कार्यालय का सूचना आधार, प्रवेश तिथि: 3 आबान, 1398 शम्सी, देखने की तारीख: 4 बहमन, 1399 शम्सी।
  • रूहानी, मोहम्मद सादिक़, इस्तिफ़ताआत, हदीस दिल, क़ुम, 1382 शम्सी।
  • इब्ने अबी जम्हूर, मुहम्मद बिन ज़ैनुद्दीन, अल-अक़ताब अल-फ़िक़हिया, क़ुम, हज़रत आयतुल्लाह अल-उज़मा मर्शी नजफ़ी की सार्वजनिक लाइब्रेरी, 1410 हिजरी।
  • इब्ने बर्राज, अब्दुल-अज़ीज़ बिन नहरीर, अल-मोहज़्ज़ब, क़ुम, जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ ए इल्मिया क़ुम, 1406 हिजरी।
  • अनवरी, हसन, फ़र्हंग बुज़ुर्ब सोखन, तेहरान, सोखन, 1381 शम्सी।
  • "अहकामे आराइशे ज़नान", आयतुल्लाह खामेनेई का सूचना आधार, लेख पहुंचने की तारीख: 19 आज़र, 1399 शम्सी।
  • "अहकामे वुज़ू", आयतुल्लाह ख़ामेनेई का सूचना आधार, लेख पहुंचने की तिथि: 19 आज़र, 1399 शम्सी।
  • अज़हरी, मुहम्मद बिन अहमद, तहज़ीब अल-लोग़ह, बेरूत, दार अल इह्या अल-तोरास अल-अरबी, 1421 हिजरी।
  • इमाम खुमैनी, सय्यद रूहुल्लाह, तहरीर अल-वसीला, तेहरान, इमाम अल-खुमैनी वर्क्स एडिटिंग एंड पब्लिशिंग फाउंडेशन, 1392 शम्सी।
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  • बहरानी, युसूफ बिन अहमद, अल-हदाएक़ अल-नाज़ेरा फ़ी अहकाम अल-इतरा अल-ताहिरा, क़ुम, जमात अल-मुदर्रेसीन फ़ी अल हौज़ा अल-इल्मिया बे क़ुम, 1363 शम्सी।
  • बनी हाशमी ख़ुमैनी, सय्यद मोहम्मद हसन, तौज़ीहुल मसाएल मराजे मुताबिक़ बा फ़तावा सीज़देह नफ़र अज़ मराजे मोअज़्ज़म तक़लीद, क़ुम, इस्लामिक प्रकाशन कार्यालय, 1385 शम्सी।
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  • सय्यद महमूद हशमी शाहरुदी की देखरेख में शोधकर्ताओं का एक समूह, मौसूआ अल फ़िक़ह अल इस्लामी तिब्क़न ले मज़हब अहले बैत (अ), क़ुम, मोअस्सास ए दाएरतुल मआरिफ़ फ़िक़हे इस्लामी बर मज़हबे अहले अल-बेत (अ) 1423 हिजरी।
  • जौहरी, इस्माइल बिन हम्माद, अल सेहाह: ताज अल-लोग़ा व सेहाह अल-अरबिया, अहमद अब्दुल ग़फ़ूर अत्तार द्वारा सुधार, बेरूत, दार अल-इल्म लिल मलाईन, 1376 हिजरी।
  • हुर्रे आमली, मुहम्मद बिन हसन, तक़सील अल-वसाएल अल-शिया ऐला तहसील मसाएल अल शरिया, मोअस्सास ए आले अल बैत (अ) द्वारा सुधार, क़ुम, मोअस्सास ए आले-अल-बैत (अ), 1409 हिजरी।
  • हुर्रे आमली, मुहम्मद बिन हसन, तक़सील अल-वसाएल अल-शिया ऐला तहसील मसाएल अल शरिया, क़ुम, मोअस्सास ए आले-अल-बैत (अ) ले एहिया अल-तोरास, 1416 हिजरी।
  • हुक्मे आराइशे ज़नान दर मुक़ाबिले ना महरम, हज़रत आयतुल्लाह अल-उज़मा मकारिम शिराज़ी के कार्यालय का सूचना आधार, पहुचने की तिथि: 4 आबान, 1399 शम्सी।
  • हकीम, सय्यद मोहम्मद सईद, अल-फ़तावा, क़ुम, दार अल-हिलाल, 1433 हिजरी।
  • ख़ूई, सय्यद अबुल क़ासिम, जवाद तबरेज़ी, अहकामे शरई बानवान, क़ुम, दार अल-सिद्दीक़ा अल-शहीदा (स), 1391 शम्सी।
  • ख़ूई, सय्यद अबुल क़ासिम, मिन्हाज अल-सालेहीन, क़ुम, मदीना अल इल्म, 1410 हिजरी।
  • देहखुदा, अली अकबर, लोग़त नामा, तेहरान, तेहरान विश्वविद्यालय, 1377 शम्सी।
  • रूहानी, मोहम्मद सादिक़, मिन्हाज अल-फ़ेकाहा: अल-तालिक़ अला-मकासिब अल-शेख़ अल-आजम, क़ुम, अनवार अल-होदा, 1429 हिजरी।
  • ज़ीनत व आराइश करदन, मरज ए आली क़द्र आग़ा ए सय्यद अली हुसैनी सिस्तानी के कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट, प्रवेश की तिथि: 4 बहमन 1399 शम्सी।
  • सब्ज़ेवारी, सय्यद अब्दुल आला, मोहज़्ज़ब अल-अहकाम, क़ुम, अल-मनार फाउंडेशन, 1413 हिजरी।
  • सिस्तानी, सय्यद अली, मिनहाज अल-सालेहीन, क़ुम, आयतुल्लाह उज़मा अल-सय्यद अल-सिस्तानी का स्कूल, 1415 हिजरी।
  • शेख़ अंसारी, मुर्तज़ा बिन मोहम्मद अमीन, मकासिब, मुहम्मद कलांतर का शोध, क़ुम, दार अल-किताब, 1410 हिजरी।
  • शेख़ सदूक़, मुहम्मद बिन अली बिन बाबवैह, उयून अख़बार अल-रज़ा (अ), मेहदी लाजवर्दी द्वारा प्रूफरीड, तेहरान, नशरे जहां, 1378 शम्सी।
  • शेख़ तूसी, मुहम्मद बिन अल-हसन, तहज़ीब अल-अहकाम, हसन अल-मूसवी खोरसान द्वारा सुधार, तेहरान, दार अल-कुतुब अल-इस्लामिया, 1407 हिजरी।
  • शेख़ तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-ख़िलाफ़, क़ुम, जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ ए इल्मिया क़ुम, 1407 हिजरी।
  • शेख़ तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-मबसूत फ़ी फ़िक़्ह अल-इमामिया, तेहरान, अल-मुर्तज़ाविया स्कूल, 1387 हिजरी।
  • साहिब, इस्माइल बिन उब्बाद, अल-मुहीत फ़ी अल-लोग़ा, मुहम्मद हसन अल-यासीन द्वारा संशोधित, बेरूत, आलम अल-किताब, 1414 हिजरी।
  • साफ़ी गुलपायगानी, लुतफ़ुल्लाह, जामेअ अल-अहकाम, क़ुम, हज़रत आयतुल्लाह अल-उज़मा साफ़ी गुलपायगानी के कार्यों के संपादन और प्रकाशन के लिए कार्यालय, 1385 शम्सी।
  • तबातबाई यज़दी, सय्यद मोहम्मद काज़िम, अल-उर्वा अल-वुस्क़ा, क़ुम, अल-नशर अल-इस्लामी पब्लिशिंग हाउस, 1419 हिजरी।
  • तबरसी, फ़ज़ल बिन हसन, मजमा अल-बयान फ़ी तफ़सीर अल-कुरान, फ़ज़लुल्लाह यज़दी तबातबाई और हाशिम रसूली, तेहरान, नासिर खुस्रो, 1372 शम्सी।
  • क्रीम ज़िद्दे आफ़ताब बराए ज़न, आयतुल्लाह ख़ामेनेई के कार्यालय का सूचना आधार, पहुचने की तारीख: 10 दी, 1397 शम्सी, विजिट की तारीख: 4 बहमन, 1399 शम्सी।
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, मुहम्मद आखुंदी द्वारा सुधार, तेहरान, दार अल-कुतुब अल-इस्लामिया, 1407 हिजरी।
  • अल्लामा हिल्ली, हसन बिन यूसुफ, तज़किरा अल-फ़ोकहा, क़ुम, आल-अल-बैत (अ) ले एहिया अल-तोरास फाउंडेशन, 1414 हिजरी।
  • अय्याशी, मुहम्मद बिन मसऊद, तफ़सीर अल-अय्याशी, हाशिम रसूली द्वारा सुधार, तेहरान, मकतबा अल इल्मिया अल इस्लामिया, 1381 शम्सी।
  • फ़राहिदी, ख़लील बिन अहमद, किताब अल-ऐन, क़ुम, हिजरत प्रकाशन, 1409 हिजरी।
  • कशफ़ अल-ग़ेता, जाफ़र बिन ख़िज़्र, कशफ़ अल-ग़ेता, इस्फ़हान, महदवी, बी ता।
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, क़ुम, दार अल-हदीस, 1429 हिजरी।
  • कुलैनी मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, मुहम्मद आखुंदी द्वारा संपादित, तेहरान, दार अल-कुतुब अल-इस्लामिया, 1407 हिजरी।
  • फ़ाज़िल लंकरानी, मुहम्मद, जामेअ अल मसाएल, क़ुम, अमीर क़लम, 1425 हिजरी।
  • मजलिसी, मुहम्मद बाकिर, बिहार अल-अनवार अल-जामेअ ले दोरर अख़बार अल-आइम्मा अल-अतहार (अ), मुहम्मद बाकिर महमूदी और अन्य द्वारा सुधार, बेरूत, दार अल इह्या अल-तज़ास अल-अरबी, 1403 हिजरी।
  • मोईन, मोहम्मद, फ़र्हंगे फ़ारसी, तेहरान, सेपहर प्रिंटिंग हाउस, 1371 शम्सी।
  • मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अहकाम अल निसा, महदी नजफ़ द्वारा शोध, क़ुम, ले अलफिया अल-शेख़ अल-मुफ़ीद का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, 1413 हिजरी।
  • नजफ़ी, मोहम्मद हसन, जवाहिर अल-कलाम, अब्बास कुचानी द्वारा शोध, बेरूत, दार अल इह्या अल-तोरास अल-अरबी, 1362 शम्सी।
  • नूरी हमदानी, हुसैन, जाएगाहे बानवान दर इस्लाम, बी जा, मेहदी मौऊद (अज), 1383 शम्सी।