ग़ोसाला

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ग़ोसाला (धोवन), वह जल है जो अशुद्ध वस्तुओं को धोते समय उनसे अलग होता है। शिया न्यायविदों ने ग़ोसाला (धोवन) और उसके नियमों (अहकाम) के बारे में शुद्धता के अध्याय में बात की है। न्यायविदों के अनुसार, कसीर पानी (अधिक मात्रा) का ग़ोसाला, जैसे कुर पानी या बारिश का पानी, का पाक है। लेकिन कम मात्रा (क़लील पानी) के ग़ोसाला के बारे में असहमती हैं, उनमें से अधिकांश का मानना ​​है कि थोड़ी मात्रा के पानी का ग़ोसाला (धोवन) अशुद्ध (नजिस) है।

परिभाषा

न्यायशास्त्र में, ग़ोसाला वह पानी है जो एक अशुद्ध वस्तु जैसे शरीर या कपड़े को धोते समय अलग हो जाता है। [१] शिया न्यायविदों ने अपने व्यावहारिक ग्रंथों (तौज़ीहुल मसायल) में तहारत (पवित्रता) के अध्याय में ग़ोसाला के नियमों (अहकाम) के बारे में बात की है। [२]

न्यायशास्त्रिय आदेश

सभी शिया न्यायविदों के दृष्टिकोण से, कसीर पानी (अधिक मात्रा) का धोवन शुद्ध है, और जिस चीज़ पर असहमति है वह थोड़े पानी (क़लील पानी) का धोवन है। इस संबंध में कुछ विचार निम्न लिखित हैं:

  • अशुद्धताः अल्लामा हिल्ली जैसे कुछ न्यायविद थोड़े पानी (क़लील पानी) के धोवन को अपवित्र मानते हैं और मानते हैं कि जब तक किसी चीज़ को शुद्ध नहीं किया जाता है, तब तक जो पानी उससे अलग होता है वह भी अशुद्ध होता है। [३] यह अधिकांश न्यायविदों का मत है। [४]
  • शुद्धता: मुहक़्क़िक़ कर्की ने सय्यद मुर्तज़ा, इब्ने इदरिस और शेख़ तूसी को इस दृष्टिकोण की निस्बत दी है और कहा कि अधिकांश शुरुआती न्यायविदों (मुतक़द्दिम फ़ोक़हा) का यही दृष्टिकोण था। [५] साहिब जवाहिर ने भी इस दृष्टिकोण को मज़बूत (क़वी) माना है। [६]
  • विवरण (तफ़सील): कुछ न्यायविद, जैसे सय्यद काज़िम यज़्दी, के अनुसार जिस पानी से ऐने नजिस को दूर किया गया हो वह नजिस है, लेकिन जिस पानी से अशुद्धता को दूर नहीं किया गया है, उसके बारे में उन्होंने सावधान रहने (ऐहतेयात करने) और इससे बचने का आदेश दिया है। [७]

संबंधित आदेश

  • उस पानी का धोवन जिसे इंसतिजा के लिये यानी पेशाब और पख़ाने की जगह को धोने के लिये प्रयोग किया जाता है, वह पाक है। इस शर्त के साथ कि उस धोवन का रंग न बदल गया हो और उसे निजासत के ऊपर न डाला गया हो और वह निजासत के साथ मिल न गया हो और इसी तरह से पेशाब और मल दूसरी निजासतों के साथ मिल न गया हो। [८]
  • यदि पानी का रंग, गंध या स्वाद बदल गया है तो वह धोवन अशुद्ध (नजिस) है। [९]
  • कुछ शिया न्यायविदों ने कहा है कि इस धारणा के साथ कि ग़ोसाला शुद्ध है, उससे वुज़ू और ग़ुस्ल करना जायज़ नहीं है। [१०] इसके अलावा, इस बात पर भी मतभेद है कि उससे अपवित्रता को दूर करना संभव है या नहीं। [११]

मोनोग्राफ़

ग़ोसाला (धोवन) के बारे में कुछ स्वतंत्र रचनाएँ लिखी गई हैं; जैसे, मोहम्मद सालेह हायरी माज़ंदरानी द्वारा लिखित हुक्म अल-ग़ोसाला, और इसी तरह से सय्यद सदर अल-दीन सद्र द्वारा लिखित रिसाला दर अहकामे अल-ग़ोसाला। [१२]

फ़ुटनोट

  1. शहीद सानी, अल-रौज़ा अल-बहीया, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 310।
  2. उदाहरण के लिए, देखें: शेख अंसारी, किताब अल-तहारा, 1415 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 344; ख़ूई, फिक़ह अल-शिया, 1418 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 167।
  3. अल्लामा हिल्ली, मुंतहल-मतलब, 1412 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 141।
  4. हकीम, मुस्तमस्क अल-उरवा, 1416 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 229।
  5. मुहक़्क़िक़ कर्की, जामे अल-मक़ासिद, 1414 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 128।
  6. नजफी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 1, 348।
  7. सय्यद यज़दी, अल-उर्वा अल-वुसक़ा, 1419 हिजरी, खंड 1, 47।
  8. मोहक़्क़िक़ कर्की, जामे अल-मकासिद, 1414 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 129; शेख़ अंसारी, किताब अल-तहारा, 1415 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 344।
  9. अल्लामा हिल्ली, मुंतहल-मतलब, 1412 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 141।
  10. शेख़ अंसारी, किताब अल-तहारा, 1415 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 342।
  11. शेख़ अंसारी, किताब अल-तहारा, 1415 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 342।
  12. रेज़ाई, "सैय्यद सदरुद्दीन सदर् क़िला ए तवाज़ोअ", पृष्ठ 58।

स्रोत

  • हकीम, सय्यद मोहसेन, मुस्तमस्क अल-उरवा अल-वुसक़ा, क़ुम, डार अल-तफ़सीर फाउंडेशन, 1416 हिजरी।
  • ख़ूई, सैय्यद अबुल कासिम, फ़िक़ह अल-शिया: किताब अल-तहारा, सैय्यद मोहम्मद महदी मूसवी ख़लख़ाली द्वारा अनुवादित, क़ुम, आफाक संस्थान, 1418 हिजरी।
  • रेज़ाई, मोहम्मद, "सैय्यद सदरुद्दीन सदर क़िला ए तवाज़ोअ", फरहंग कौसर पत्रिका में, संख्या 16, 1377 शम्सी।
  • सैय्यद यज़्दी, मोहम्मद काज़िम, अल-उरवा अल-वुसक़ा फ़ीमा तउम्मो बेह अल-बलवा (अल-मुहश्शी), अहमद मोहसेनी सबज़ेवारी द्वारा संपादित, इस्लामिक प्रकाशन कार्यालय, 1419 हिजरी।
  • शहिद सानी, ज़ैन अल-दीन बिन अली, अल-रौज़ा अल-बहिया फ़ि शरहे अल-लोमआ 'अल-दमश्क़ियह, सैय्यद मुहम्मद कलांतर का हाशिया, क़ुम, दावरी बुक स्टोर, 1410 हिजरी।
  • शेख अंसारी, मुर्तज़ा, किताब अल-तहारा, क़ुम, शेख़ आज़म अंसारी के सम्मान की विश्व कांग्रेस, 1415 हिजरी।
  • तुरैही, फ़ख़रुद्दीन, मजमा अल-बहरैन, सय्यद अहमद हुसैनी द्वारा संपादित, तेहरान, मूसवी बुक स्टोर, 1416 हिजरी।
  • अल्लामा हिल्ली, हसन बिन यूसुफ, मुंतहाल-मतलब फ़ी तहक़ीक़ अल-मज़हब, मशहद, मजमा अल-बहूस अल-इस्लामिया, 1412 हिजरी।
  • मोहक़्क़िक़ कर्की, अली बिन हुसैन, जामी अल-मकासिद फ़ी शरह अल-क़वायद, क़ुम, आल-अल-बैत फाउंडेशन, 1414 हिजरी।
  • नजफ़ी, मोहम्मद हसन, जवाहेर अल-कलाम फ़ी शर्ह शरायेअ अल-इस्लाम, द्वारा सुधारा गया: अब्बास क़ूचानी और अली आखुंडी, बेरूत, दरहिया अल-तराथ अल-अरबी, 1404 हिजरी।