अश्अस बिन क़ैस के नाम इमाम अली (अ) का पत्र

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अश्अस बिन क़ैस के नाम इमाम अली (अ) का पत्र
अन्य नामनहज अल-बलाग़ा का पांचवां पत्र
विषयसरकारी पदों का ईश्वरीय की अमानत होना
किस से नक़्ल हुईइमाम अली (अ)
शिया स्रोतअल फ़ुतूह और वक़्अतो सिफ़्फ़ीन

अश्अस बिन क़ैस के नाम इमाम अली (अ) का पत्र (फ़ारसीः نامه امام علی(ع) به اَشْعَث بن قیس) नहज अल-बलागा के पत्रों में से एक है, जिसे इमाम अली (अ) उसमान की मृत्यु और तल्हा और ज़ुबैर की निष्ठा को तोड़ने जैसी घटनाओं की याद दिलाते हुए अश्अस बिन क़ैस के नाम लिखा हैं, जो उस समय आज़रबाइजान के गर्वनर थे और वह आपकी बैअत (निष्ठा की शपथ) करना चाहते थे।[१] इमाम अली (अ) ने इस पत्र के अंतिम भाग में अश्अस को बैतुल-माल (राज कोष) की रक्षा के बारे में चेताया है।[२] नहज अल-बलागा के वर्णनकर्ता आयतुल्लाह नासिर मकारिम शिराज़ी के अनुसार इस पत्र का मूल मुद्दा अश्अस को यह बताना था कि इस्लामी सरकार में सरकारी पद भी अल्लाह की अमानत है जिसे व्यक्तिगत लाभ या लोगो पर अत्याचार करने के लिए उपयोग नही करना चाहिए।[३] इमाम ने यह पत्र 36 हिजरी में जमल के युद्ध के बाद लिखा था।[४] और ज़ियाद बिन मरहब हमदानी के माध्यम से अश्आथ तक पहुचाया है।[५]

इतिहासकार इब्न आसम कूफी (मृत्यु: 320 हिजरी के बाद) ने अल-फुतुह में और नस्र बिन मुज़ाहम (2 हिजरी) ने वक़अतो सिफ़्फ़ीन पुस्तक में इस पत्र के पाठ को थोड़े अंतर के साथ बयान किया है।[६] सय्यद रज़ी ने केवल इस पत्र को अंतिम वाक्यो को नहज अल-बलाग़ा मे बयान किया है।[७] यह पत्र नहज अल-बलागा के सुब्ही सालेह, फ़ैज़ुल इस्लाम, इब्न मीसम दूसरे संशोधको के संस्करणो मे पांचवे नम्बर पर आया है।[८]

अश्अस बिन क़ैस क़िंदी (मृत्यु: 40 हिजरी) उन लोगों में से एक है जो आज़रबाइजान की विजय में उपस्थित था और उन्हें 25 हिजरी में उसमान बिन अफ्फान द्वारा आज़रबाइजान के गर्वनर के रूप में नियुक्त किया गया था।[९] इतिहासकारो के अनुसार अश्अस ने उस्मान की अनुमति से आज़रबाइजान के राज कोष से वार्षिक 1000 दिरहम लेता था।[१०] इमाम अली (अ) ने अपने शासन की शुरुआत में उसे पदच्युत नहीं किया।[११]

ऐतिहासिक रिपोर्टों के अनुसार, जब उन्होंने अपने साथियों को इमाम का पत्र पढ़ कर सुनाया, तो उन्होंने उसे इमाम अली (अ) की बैअत करने के लिए प्रोत्साहित किया; लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि अगर वह अली (अ) के पास गए, तो वह उनसे आज़रबाइजान के राज कोष ली हुई रक़म वापस ले लेंगे, जबकि अगर मे मुआविया के पास गया, तो वह मुझ से कुछ भी नहीं मांगेंगे।[१२] इस रिवायत के अनुसार अश्अस अपने साथीयो की निंदा पर अपने शब्दों पर शर्मिंदा हुआ।[१३] और इतिहासकारों के अनुसार, अश्अस कूफ़ा की ओर चला गया, इमाम अली (अ) ने उससे आज़रबाइजान के राज-कोष की संपत्ति वापस ले ली और उसे गर्वनर के पद से बर्खास्त कर दिया।[१४]

पत्र का पाठ और अनुवाद

वक़्अतुस सिफ़्फ़ीन किताब के अनुसार पत्र का पाठ
पत्र का हिंदी उच्चारण अनुवाद पत्र का अरबी उच्चारण
अम्मा बादो फ़लौला हनातुन कुन्ना फ़ीका कुन्तल मुकद्दमा फ़ी हाज़ल अम्रे क़ब्लन्नासे व लअल्ला अमरका यहमेलो बाअज़हू बअज़न ऐनित्तक़यतल लाहा सुम्मा इन्नहू काना मिन बैअतिन नासे इय्याया मा क़द बलग़का व काना तल्हतो वज़ ज़ुबैरो मिम्मन बायाआनी सुम्मा नक़ज़न बैअती अला ग़ैरे हदसिन व अख़रजा उम्मल मोमेनीना व सारा ऐलल बसरते फ़सिरतो इलैहेमा फ़लतक़ैना फ़दऔतोहुम ऐला अन यरजेऊ फ़ीमा ख़रजू मिन्हो फ़अबौव फ़अबलग़तो फ़िद दुआए व अहसन्तो फ़ी बक़ीय्यते व इन्ना अमलका लैसा लका बेतअमतिन व लकिन्नहू अमानतुन व फ़ी यदयका मालुन मिन मालिल्लाहे व अंता मिन खुज़्ज़ानिल्लाहे अलैहे हत्ता तोसल्लेमहू इलय्या व लअल्ला अल्ला अकूना शर्रा वुलातेका लका इनिस तक़मता वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहे[१५] अम्मा बाद, अगर तुमने कुछ छोटी-छोटी चीजें नहीं की होती तो तुम इस मामले में दूसरों से ज्यादा आगे होते। लेकिन शायद तुम कुछ ऐसा करेंगे जिससे तक़वा ए इलाही अपनाने पर आपके पिछले कर्मों की भरपाई हो सके। लोगों के मेरे प्रति निष्ठा की शपथ लेने की घटना से परिचित हो चुके होंगे, और तल्हा और ज़ुबैर उन लोगों में से थे जिन्होंने मुझसे निष्ठा की शपथ ली, लेकिन उन्होंने बिना किसी बहाने के इसे तोड़ दिया। वह उम्मुल-मोमिनीन को अपने साथ बसरा ले गया, मैंने उसका पीछा किया जब तक कि उनके साथ आमना सामना ना हो गया और उसे उसी चीज की ओर बुलाया जो वह छोड़ चुके थे लेकिन उसने मेरा निमंत्रण स्वीकार नहीं किया। मैंने उन्हें आमंत्रित करने की बहुत कोशिश की और उनके साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया। यह पद तुम्हारे लिए कोई आजीविका नहीं है, बल्कि यह तुम्हारे गले में एक अमानत (फंदा) है और तुम्हे अपने शासक की सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है। तुम्हें प्रजा के विषय में जो चाहे करने का अधिकार नहीं है। सावधान! बिना किसी ठोस वजह के किसी भी बड़े काम में हाथ न डालना। तुम्हारे हाथ में अल्लाह तआला की संपत्ति में से एक है और जब तक तुम इसे मुझे नहीं सौंप देते तब तक तुम इसके कोषाध्यक्ष हो। हालाँकि, अगर तुम सही रास्ते पर आते हो तो शायद मैं तुम्हारे लिए बुरा शासक नहीं हूँ। और ईश्वर के अलावा शक्ति का कोई स्रोत नहीं है। أَمَّا بَعْدُ فَلَوْ لَا هَنَاتٌ كُنَّ فِيكَ كُنْتَ الْمُقَدَّمَ فِي هَذَا الْأَمْرِ قَبْلَ النَّاسِ وَ لَعَلَّ أَمْرَكَ يَحْمِلُ بَعْضُهُ بَعْضاً إِنِ اتَّقَيْتَ اللَّهَ ثُمَّ إِنَّهُ كَانَ مِنْ بَيْعَةِ النَّاسِ إِيَّايَ مَا قَدْ بَلَغَكَ وَ كَانَ طَلْحَةُ وَ الزُّبَيْرُ مِمَّنْ بَايَعَانِي ثُمَّ نَقَضَا بَيْعَتِي عَلَى غَيْرِ حَدَثٍ وَ أَخْرَجَا أُمَّ الْمُؤْمِنِينَ وَ سَارَا إِلَى الْبَصْرَةِ فَسِرْتُ إِلَيْهِمَا فَالْتَقَيْنَا فَدَعَوْتُهُمْ إِلَى أَنْ يَرْجِعُوا فِيمَا خَرَجُوا مِنْهُ فَأَبَوْا فَأَبْلَغْتُ فِي الدُّعَاءِ وَ أَحْسَنْتُ فِي الْبَقِيَّةِ وَ إِنَّ عَمَلَكَ لَيْسَ لَكَ بِطُعْمَةٍ وَ لَكِنَّهُ أَمَانَةٌ وَ فِي يَدَيْكَ‌ مَالٌ مِنْ مَالِ اللَّهِ وَ أَنْتَ مِنْ خُزَّانِ اللَّهِ عَلَيْهِ حَتَّى تُسَلِّمَهُ إِلَيَّ وَ لَعَلِّي أَلَّا أَكُونَ شَرَّ وُلَاتِكَ لَكَ إِنِ اسْتَقَمْتَ وَ لا قُوَّةَ إِلَّا بِاللَّهِ‌.

फ़ुटनोट

  1. इब्न आसम, अल फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 503
  2. इब्न आसम, अल फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 503; इब्न मुज़ाहम, वक्अतो सिफ़्फ़ीन, 1404 हिजरी, पेज 20
  3. मकारिम शिराज़ी, पयाम इमाम अमीर अल मोमेनीन (अ), भाग 9, पेज 67
  4. आका जादे, हुकूमत अश्अस बिन क़ैस दर आज़रबाइजान, पेज 34
  5. इब्न आसम, अल फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 503
  6. इब्न आसम, अल फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 503; इब्न मुजाहम मिनक़री, वक्अतो सिफ़्फ़ीन, पेज 20
  7. नहज अल-बलाग़ा, संशोधन सुब्ही सालेह, पत्र 5, पेज 366
  8. नहज अल-बलाग़ा, संशोधन सुब्ही सालेह, पत्र 5, पेज 366; नहज अल-बलाग़ा, संशोधन फ़ैजुल इस्लाम, पत्र 5, भाग 5, पेज 389; इब्न अबिल हदीद, शरह नहज अल-बलाग़ा, भाग 4, पेज 33; इब्न मीसम, शरह नहज अल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, भाग 4, पेज 350; अब्दोह, शरह नहज अल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, काहिरा, भाग 3, पेज 7; मुग्निया, फ़ी जिलाल नहज अल-बलाग़ा, 1979 ई, भाग 3, पेज 388
  9. बलाजुरि, फ़ुतूह अल-बुलदान, 1957 ई, भाग 2, पेज 420
  10. आक़ा जादे, हुकूमत अश्अस बिन कैस दर आज़रबाइजान, पेज 30
  11. याक़ूबी, तारीख अल-याक़ूबी, भाग 2, पेज 200
  12. इब्न आसम, अल फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 503 इब्न मुज़ाहम, वक्अतो सिफ़्फ़ीन, 1404 हिजरी, पेज 21
  13. इब्न आसम, अल फ़ुतूह, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 503; इब्न मुज़ाहम, वक्अतो सिफ़्फ़ीन, 1404 हिजरी, पेज 21
  14. आक़ा जादे, हुकूमत अश्अस बिन कैस दर आज़रबाइजान, पेज 38
  15. इब्न मुज़ाहम, वक्अतो सिफ़्फ़ीन, 1404 हिजरी, पेज 20


स्रोत

  • आक़ा जादे, जाफ़र, हुकूमत अश्अस बिन कैस दर आज़रबाइजान, पुजूहिशनामा तारीख हाए महल्ली ईरान, दौरा 7, क्रमांक 1, 1397 शम्सी
  • इब्न अबिल हदीद, अब्दुल हमीद, शरह नहज अल-बलाग़ा, क़ुम, मकतब आयतुल्लाहिल उज्मा अल मरअशी अल नजफ़ी
  • इब्न आसम कूफी, मुहम्मद बिन अली, अल फ़ुतूह, बैरुत, दार अल अज़वा, 1411 हिजरी
  • इब्न मुज़ाहम मिनक़री, नस्र, वक़्अतो सिफ़्फ़ीन, क़ुम, मकतब आयतुल्लाह अल मरअशी अल नजफ़ी, 1404 हिजरी
  • इब्न मीसम, मीसम बिन अली, शरह नहज अल-बलाग़ा, तेहरान, दफ्तर नशर अल किताब, 1404 हिजरी
  • बलाज़ुरि, याह्या, फ़ुतूह अल बुलदान, क़ाहिरा, मतबअ लेजन्नातुल बयान अल अरबी, 1957 ई
  • सय्यद रज़ी, मुहम्मद बिन हुसैन, नहज अल-बलाग़ा, तस्हीह सुब्ही सालेह, क़ुम, हिजरत, 1414 हिजरी
  • अब्दोह, मुहम्मद, शरह नहज अल-बलाग़ा, क़ाहिरा, मतबअ अल इस्तेक़ामा
  • फ़ैज़ुल इस्लाम इस्फ़हानी, अली नक़ी, तरजुमा व शरह नहज अल-बलाग़ा, 1368 शम्सी
  • मुग्निया, मुहम्मद जवाद, फ़ी ज़िलाल नहज अल-बलाग़ा, बैरुत, दार अल इल्म लिलमलाईन, 1979 ई
  • मकारिम शिराज़ी, नासिर, पयाम इमाम अमीर अल मोमेनीन (अ), तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1386 शम्सी
  • याक़ूबी, अहमद बिन अबि याक़ूब, तारीख अल याक़ूबी, बैरुत, दार सादिर