अबू अल सिबतैन (उपनाम)

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अबू अल सिबतैन, (अरबी: ابوالسِبطَین) पैगंबरे अकरम सल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम[१] और हज़रत अली अलैहिस सलाम[२] की उपाधियों में से है।

अबू अल सिबतैन का मतलब दो सिब्त के पिता है। हदीस के अनुसार[३] सिबतैन हसनैन (इमाम हसन अलैहिस सलामइमाम हुसैन अलैहिस सलाम) को कहते हैं। शिया मुफ़स्सिर व कोशकार फ़ख़रुददीन तुरैही के अनुसार सिब्त का अर्थ जनजाति और राष्ट्र है। वह कहते हैं संभावित तौर पर इसका मतलब यह है कि पैग़बर (स) का वंश हसनैन (अ) से चला है।[४]

इमाम हसन मुजतबा (अ) और इमाम हुसैन (अ) को सिब्ते नबी कहा जाता है क्योंकि वे पैगंबरे अकरम (स) के नवासे हैं। जब इन दो सज्जनों को एक साथ पुकारना होता है, तो सिबतैन कहा जाता है। इसी वजह से इन दोनों इमामों के पिता हजरत अली (अ) को भी अबू अल-सिबतैन कहा जाता था।[५]

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फ़ुटनोट

  1. इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब आले अबी तालिब, 1379 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 154।
  2. मजलिसी, बेहार अल-अनवार, खंड 10, पृष्ठ 19; बयूमी मेहरान, अल-इमामा और अहल अल-बैत, दार अल-नहज़ा अल-अरबिया, 1995, खंड 2, पृ.9।
  3. इब्ने शाज़ान, अल-फज़ाएल, 1363, पृ.83।
  4. तौरीही, मजमा अल-बहरैन, 1375, खंड 4, पृ.251।
  5. मजलेसी, बिहार अल-अनवार, खंड 10, पृष्ठ 19; बयूमी मेहरान, अल-इमामा और अहल अल-बैत, दार अल-नहज़ा अल-अरबिया, 1995, खंड 2, पृ.9।

स्रोत

  • इब्ने शाज़ान, शाज़ान बिन जिबरईल, क़ुम, रज़ी, 1363 शम्सी।
  • इब्ने शहरे आशोब माज़ंनदरानी, मुहम्मद बिन अली, मनाक़िबे आले अबी तालिब, अल्लामा, क़ुम, 1379 हिजरी।
  • बियूमी मेहरान, मुहम्मद, अल इमाम व अहलिल बैत, क़ाहेरा, दार अन नहज़ह अल अरबिया, 1995 ईसवी।
  • तौरैही, फ़ख़रुददीन बिन मुहम्मद, मजमअल बहरैन, शोधकर्ता अहमद हुसैनी अशकवरी, तेहरान, मुरतज़वी, 1375 शम्सी।
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बेहारुल अनवार, बैरूत, दार अल एहया अत तुरासिल अरबी, 1403 हिजरी।