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रज़ा (उपनाम)

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यह लेख इमाम रज़ा (अलैहिस सलाम) के उपनाम के बारे में है। इमाम (अ) के चरित्र के बारे में जानने के लिए इमाम अली रज़ा अलैहिस सलाम देखें।

रज़ा, (अरबी: الرّضا) इमाम अली रज़ा अलैहिस सलाम का सबसे प्रसिद्ध उपनाम है।[] शब्दावली में इसका अर्थ पसंदीदा होना है।[]

किताब उयून अख़्बार अल रज़ा में वर्णित एक हदीस के अनुसार ईश्वर ने शियों के आठवें इमाम को रज़ा उपनाम दिया है। इसी हदीस में वर्णित हुआ है कि अहमद बिन अबी नस्र बज़ंती ने इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस सलाम से सवाल किया कि आपके विरोधियों का मानना है कि आपके पिता को रज़ा का उपनाम मामून ने दिया था क्योकि उन्होने उसका उत्तराधिकारी बनना स्वीकार कर लिया था। इमाम ने उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा: ईश्वर की क़सम, वह झूठ बोलते हैं और ग़लत कहते हैं। ईश्वर ने उन्हे रज़ा का उपनाम दिया है क्यों कि वह आसमान में ईश्वर की मर्ज़ी (रज़ायत) और धरती पर उसके पैग़म्बर (स) और दूसरे इमामों की मर्ज़ी (रज़ायत) का कारण थे।[] इसी हदीस में आगे आया है कि बज़ंती में इमाम (अ) से पूछा: क्या आपके बाप दादा (अइम्मा ए मासूमीन) ईश्वर, उसके पैग़़म्बर और दूसरे इमामों की मर्ज़ी का कारण नही थे? आपके पिता को ही यह उपनाम क्यों दिया गयाथे? तो इमाम ने उत्तर दिया: क्यों कि उनके दुश्मन और विरोधी भी उनके दोस्तों और अनुयाईयों की तरह उनसे राज़ी और ख़ुश थे।[] जबकि उनके बाप दादा में से ऐसा किसी के साथ नही था। इस लिये उन सब में मेरे पिता को यह नाम दिया गया है।[]

कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, जब अली इब्ने मूसा (अ) ने मामून अब्बासी की वलीअहदी (उत्तराधिकारिता) स्वीकार की, तो मामून ने उन्हें "रज़ा" का उपनाम दिया[] और उन्हें "अल-रज़ा मिन आले मुहम्मद" कहकर पुकारा।[] विल्फ्रेड मैडेलुंग (जर्मन इस्लामिक स्कॉलर और शिया विशेषज्ञ, जन्म 1930) के अनुसार, "अल-रज़ा मिन आले मुहम्मद" (मुहम्मद के परिवार से स्वीकृत) यह शब्द उन लोगों के लिए प्रयोग किया जाता था जिनकी खिलाफ़त सभी मुसलमानों द्वारा स्वीकार की जाती थी।[] सय्यद जाफ़र मुर्तज़ा आमोली शिया शोधकर्ता और इतिहासकार (1364-1441 हिजरी) ने मामून के मंत्री फ़ज़्ल इब्ने सहल के उस पत्र का हवाला दिया है जिसमें इमाम रज़ा (अ) को "रज़ा" की उपनाम दिया गया था। उनका मानना है कि यह उपनाम पहले से ही इमाम के लिए प्रयोग होता था, लेकिन मामून ने इस पत्र से प्रेरित होकर इसे इमाम की आधिकारिक उपनाम बना दिया।[]

आयतुल्लाह जवादी आमोली ने इमाम रज़ा (अ) के लिए "रज़ा" के उपनाम की व्याख्या करते हुए कहा है कि यह ईश्वर के विशेष नामों में से एक है। कोई भी व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में किसी चीज़ से संतुष्ट होना चाहे, तो वह "रज़ा" के माध्यम से ही संभव है। इसीलिए, कोई भी व्यक्ति किसी भी समय किसी भी चीज़ या किसी से खुश नहीं हो सकता, जब तक कि वह "रज़वी" (इमाम रज़ा के) के उच्च स्थान के माध्यम से न हो।[१०]

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फ़ुटनोट

  1. अमीन, आयान अल-शिया, 1403 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 13।
  2. साहिब बिन ऐबाद, अल-मुहीत फ़िल-लुग़त, 1414 हिजरी, खंड.8, पृ.42।
  3. सदूक़, उयून अख़बार अल-रेज़ा, 1378 हिजरी, खंड 1, पृ.13।
  4. अत्तारदी, मुसनद अल-इमाम अल-रज़ा (अ), 1406 हिजरी, पृष्ठ 10।
  5. सदूक़, उयून अख़बार अल-रेज़ा, 1378 हिजरी, खंड 1, पृ.14।
  6. इब्ने असीर, अल कामिल, 1385 हिजरी, खंड 6, पृष्ठ 326।
  7. सिब्ते इब्ने जौज़ी, तज़किरातुल ख़्वास, 1418 हिजरी, पृष्ठ 315।
  8. मैडेलुंगा, पर्वंदेह अली बिन मूसा अल रज़ा, पृष्ठ 7।
  9. आमोली, अल हयात अल सियासत लिल इमाम अल रज़ा (अ), मोअस्सास ए अल नशर अल इस्लामी, पृष्ठ 204।
  10. इमाम रज़ा; आलिमे आले मुहम्मद (स) मानाए पुर इफ़्तेख़ार लक़ब अल रज़ा, इस्रा सूचना आधार

स्रोत

  • अमीन आमोली, सैय्यद मोहसिन, आयानुश-शिया, बेरूत, दार अल-तआरुफ़ प्रकाशन, 1403 हिजरी।
  • सिब्ते इब्न जौज़ी, यूसुफ़ बिन कज़ावग़ली, तज़केरा अल-ख़वास, क़ुम, शरीफ़ रज़ी प्रकाशन, 1418 हिजरी।
  • साहिब बिन इबाद, इस्माइल, अल मुहीत फ़िल लुग़ह, मुहम्मद हसन आले-यासीन द्वारा संपादित, बेरूत, आलम अल किताब, 1414 हिजरी।
  • सदूक़, मोहम्मद बिन अली, ऊयून अख़बार अल-रेज़ा, तेहरान, जहान प्रकाशन, 1378 हिजरी।
  • आमोली, सय्यद जाफ़र मुर्तज़ा, अल हयात अल सियासत लिल इमाम अल रज़ा (अ) देरासत व तहलील, मोअस्सास ए अल नशर अल इस्लामी, बिना तारीख़।
  • अत्तारदी, अज़ीज़ुल्लाह, मुसनद अल-इमाम अल-रेज़ा, मशहद, अस्ताने कुद्स रज़वी, 1406 हिजरी।
  • मैडेलुंग,विल्फ्रेड, पर्वंदेह अली इब्ने मूसा अल रज़ा (अ), अहमद नोमाई द्वारा अनुवाद, इत्तेलआत हिकमत व मारेफ़त, तीसरा वर्ष, संख्या 8, आबान 1387 शम्सी।
  • मुस्तफ़ीद व ग़फ़्फ़ारी, हमीद रज़ा व अली अकबर, तर्जुमा ए उयून अख़्बार अल रज़ा, तेहरान, पहला संस्करण, 1372 शम्सी।
  • इमाम रज़ा, आलिमे आले मुहम्मद (स) मानाए पुर इफ़्तेख़ार लक़ब (रज़ा), इस्रा सूचना आधार, 5 आबान, 1398 शम्सी।