ज़ुस सफ़ेनात

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मुहम्मद अल मुश्रेफ़ावी द्वारा ज़ुस सफ़ेनात का सुलेख़

ज़ुस-सफ़ेनात (अरबी: ذوالثًفِنات) जिसका अर्थ है घट्टों का मालिक और उस नमाज़ी व्यक्ति को कहा जाता है जिसके माथे पर बहुत अधिक नमाज़ पढ़ने के कारण घट्टा पड़ गया हो, यह शियों के चौथे इमाम, इमाम सज्जाद अलैहिस सलाम की उपाधियों में से एक है।

इमाम सज्जाद (अ) के अत्यधिक सजदा करने के कारण उनके माथे[१] या अन्य सजदा करने में शामिल हिस्सों (आज़ा ए सजदा) पर गट्टे पड़ जाने की वजह से उन्हे ज़ुस-सफ़नात कहा जाता था।[२] क्योंकि उनके सजदे में शामिल हिस्सों पर ऊंट के घुटनों की तरह से गट्टे पर जाया करते थे।[३] सफ़ेना जिसका बहुवचन सफ़ेनात है, उसका अर्थ उंट के घुटनों और सीनों के घट्टे हैं।[४]

इमाम सज्जाद (अ) के आज़ा ए सज्दा से हर साल सात मरतबा गट्ठों को साफ़ किया जाता था क्योंकि आाप बहुत ज़्यादा नमाज़ पढ़ा करते थे इन गट्ठों को जमा करते थे जब आपकी शहादत हुई तो इन गट्ठों को आपकी क़ब्र में रखा गया।[५]

बिहारुल अनवार की एक हदीस के अनुसार, इमाम सज्जाद के आज़ाए सजदा पर पड़ने वाले घट्टे उनकी प्रार्थनाओं की प्रचुरता (नमाज़ व सजदे की अत्यधिकता) के कारण थे। [६] तीसरी चंद्र शताब्दी के इतिहासकार, याकूबी के अनुसार, इमाम अली बिन हुसैन (अ) रोज़ाना 1000 रकअत नमाज़ पढ़ा करते थे।[७] इसके अलावा, किताब इललुश शरायेअ में उल्लेखित इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस सलाम की एक हदीस के आधार पर, चौथे इमाम (अ) के शरीर में पड़ने वाले गट्टों को साल में दो बार काटा जाता था।[८] क्योंकि वह घट्टे उनके माथे के सजदे में धरती पर रखने में रुकावत बनते थे।[९] वह उन काटे हुए घट्टों का जमा करते थे, जब वह शहीद हो गए, तो उन्हें उनके साथ दफ़्न किया गया।[१०]

उनके अलावा, अब्दुल्लाह बिन वहब रासबी,[११] ख़वारिज के नेताओं में से एक और अली बिन अब्दुल्लाह बिन अब्बास[१२] को ज़ुल-सफ़ेनात के नाम से भी जाना जाता था।[१३]

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फ़ुटनोट

  1. याक़ूबी, तारिख़ याक़ूबी, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 303।
  2. सदूक़, इललुश शरायेअ, 1385 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 233।
  3. तबरसी, आलामुल वरा, 1417 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 480।
  4. इब्ने मंज़ूर, लिसान अल-अरब, 1414 हिजरी, खंड 13, पृष्ठ 78 (सफ़न शब्द के तहत)।
  5. मजलिसी, बिहारुल अनवार, 1404 हिजरी, खंड 46, पृष्ठ 61
  6. मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1404 हिजरी, खंड 46, पृष्ठ 61।
  7. याक़ूबी, तारिख़ याक़ूबी, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 303।
  8. सदूक़, इललुश शरायेअ, 1385 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 233।
  9. ख़सीबी, अल-हिदाया अल-कुबरा, 1419 हिजरी, पृष्ठ 214।
  10. मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1404 हिजरी, खंड 46, पृष्ठ 61।
  11. बलाजरी, अंसब अल-अशराफ़, 1394 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 360; तबरी, तारिख़ अल-उमम वल-मुलूक, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 75।
  12. बलाजरी, अंसब अल-अशराफ़, 1398 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 71।
  13. इब्ने अबिल-हदीद, शरहे नहज अल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, खंड 10, पृष्ठ 79; मुदर्रिस तबरेज़ी, रैहानतुल-अदब, 1369, खंड 1, पृष्ठ 255।

स्रोत

  • इब्ने मंज़ूर, मुहम्मद इब्ने मकरम, लिसानुल अरब, रिसर्च: अहमद फ़ार्स, बेरूत, दार अल-फ़िक्र, 1414 हिजरी।
  • इब्ने अबी अल-हदीद, अब्द अल-हामिद बिन हिबतुल्लाह, नहजुल-बलाग़ा पर टिप्पणी, क़ुम, आयतुल्ला मरअशी लाइब्रेरी प्रकाशन, 1404 हिजरी।
  • बलाज़ारी, अहमद बिन यहया, अंसब अल-अशराफ़ (भाग 2), शोध: मोहम्मद बाक़िर महमूदी, बेरूत, अल-अलामी पब्लिशिंग हाउस, 1974 ई/1394 हिजरी।
  • बलाज़ारी, अहमद बिन यहया, अंसब अल-अशराफ़ (खंड 4), शोध: अब्दुल अज़ीज़ अल-दौरी, बेरूत, जर्मन ईस्टर्न सोसाइटी, 1978 ई/1398 हिजरी।
  • ख़सीबी, हुसैन बिन हमदान, अल-हिदाया अल-कुबरा, बेरूत, अल-बलाग़, 1419 हिजरी।
  • "ज़ुल-सफ़नात", मुहम्मद अल-मुशरफ़वी का Pinterest पृष्ठ, तारीख़े बाज़दीद: 27 ख़ुरदाद, 1401 शम्सी।
  • सदूक़, मुहम्मद बिन अली, इललुश शरायेअ, तकरीक़: सैय्यद मोहम्मद सादिक़ बहरुल उलूम, नजफ़, मंशूरात अल-मक्तब अल-हैदारिया, 1385/1966 ई.
  • तबरसी, फ़ज़्ल बिन हसन, आलामुल वरा अल-हादी, क़ुम, आलुल-बैत संस्थान, 1417 हिजरी।
  • तबरी, मुहम्मद बिन जरीर, तारीख़ अल उमम वल-मुलूक, अनुसंधान: मुहम्मद अबू अल-फ़ज़्ल इब्राहिम, बेरूत, दार अल-तुरास, 1967 ई/1387 हिजरी
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बेहार अल-अनवार, बेरूत, अल-वफा फाउंडेशन, 1404 हिजरी।
  • मुदर्रेस तबरीज़ी, मिर्ज़ा मोहम्मद अली, रेहाना अल-अदब, तेहरान, ख़य्याम पब्लिशिंग हाउस, 1369।
  • याक़ूबी, अहमद बिन अबी याकूब, तारीख़े याक़ूबी, बेरूत, दार सदिर, बी.ता।