सय्यदुस साजेदीन

wikishia से
यह लेख सैय्यद अल-साजेदीन के शीर्षक के बारे में है। शियों के चौथे इमाम के बारे में जानकारी के लिए इमाम सज्जाद अलैहिस सलाम देखें।

सय्यद अल-साजेदीन (अरबी: سَیّدُ السّاجِدین) शियों के चौथे इमाम, इमाम ज़ैन अल-आबेदीन (अ) की उपाधियों में से एक है, जिसका अर्थ है सजदा करने वालों के सरदार। [१] शेख़ सदूक़, 'इललुश-शरायेअ' पुस्तक में, इसके एक कारण के रूप में इमाम के बहुत अधिक सजदा करने को दलील के तौर पर पेश किया है और इमाम बाक़िर (अ) से एक हदीस का हवाला दिया कि जिसमें आपने फ़रमाया: मेरे पिता (अली बिन हुसैन) ने कभी भी किसी आशीर्वाद (नेमत) को याद नहीं किया, मगर यह कि उन्होने उसके लिये कृतज्ञता (शुक्र) का सज्दा किया, और उन्होंने क़ुरआन एक आयत नहीं पढ़ी, जिसमें सजदा था, मगर यह उसके लिये उन्होने सजदा किया, और जब भी भगवान उन्हे किसी ख़तरे या धोखे फ़रेब से बचाता, तो वह सर सजदे के लिये झुका देते। जब वह नमाज़ से फ़ारिग़ होते, तो अपना सिर सजदा में रख देते थे, और जब वह दो लोगों के बीच सुलह कराने में कामयाब हो जाते, तो वह सजदा करते थे और सजदा का प्रभाव उनके सजदे के अंगों में दिखाई देता है। अतः इस कारण से उन्हें सज्जाद कहा जाता था।[२] शिया मुहद्दिस सय्यद नेमतुल्लाह जज़ायरी (मृत्यु 1112 हिजरी), उन्हे सैय्यद अल-साजेदीन की उपाधि देने का कारण इसी हदीस (जो ऊपर ज़िक्र हुई है) को मानते हैं।[३] एक शिया शोधकर्ता बाक़िर शरीफ क़रशी (मृत्यु 1433 हिजरी) ने भी कहा कि इस्लाम के इतिहास में केवल इमाम सज्जाद (अ) को सैय्यद अल-साजेदीन उपनाम दिया गया था।[४][नोट १]

इमाम सज्जाद (अ) जिनके माथे[५] और उनके सजदे के अन्य हिस्सों पर बहुत अधिक सजदा करने के कारण निशान रह जाते थे, इस लिये उन्हें ज़ुल-सफ़ेनात कहा जाता था।[६] तीसरी चंद्र शताब्दी के इतिहासकार अहमद बिन अबी याक़ूब के अनुसार, अली बिन हुसैन (अ) ने रोज़ाना दिन और रात में 1000 रकात नमाज़ अदा किया करते थे।।[७]

संबंधित लेख

नोट

  1. इतिहास की किताबों में, मासूम इमामों के अलावा, तूलानी और लंबे सजदे करने के लिये कई प्रसिद्ध लोग हैं, जैसे फ़ज़्ल बिन शाज़ान, इब्ने अबी उमैर, जमील बिन दुर्राज, और सैय्यद अल-साजेदीन का शीर्षक केवल इमाम सज्जाद अली बिन हुसैन (अ) के लिए आरक्षित है। [स्रोत की आवश्यकता]

फ़ुटनोट

  1. इब्न अबी अल-सलज, तारीख़ अहल अल-बैत, 1410 हिजरी, पृष्ठ 131।
  2. सदूक़, इललुश शरायेअ, 1385 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 133।
  3. जज़ायेरी, रियाज़ अल-अबरार, 1427 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 13।
  4. कुरैशी, हयात अल-इमाम ज़ैन अल-आबेदीन, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 187।
  5. याक़ूबी, तारिख़ अल याक़ूबी, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 303।
  6. सदूक़, इललुश शरायेअ, 1385 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 233।
  7. याक़ूबी, तारिख़ अल याक़ूबी, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 303।


स्रोत

  • इब्न अबी अल-सलज, तारीख़े अहल अल-बैत, क़ुम, अल अल-बैत, 1410 हिजरी।
  • जज़ायरी, सैय्यद नेमातुल्लाह, रियाज़ अल-अबरार, बेरूत, अल-तारिख़ अल-अरबी फाउंडेशन, 1427 हिजरी।
  • सदूक़, मुहम्मद बिन अली, इललुश शरायेअ, नजफ़, अल-मकतब अल-हैदरिया, 1385 हिजरी।
  • कुरैशी, बाक़िर शरीफ़, हयात अल-इमाम ज़ैन अल-आबिदीन, बेरूत, दार अल-अज़वा, 1409 हिजरी।
  • याक़ूबी, अहमद बिन अबी याकूब, तारीख़ अल याक़ूबी, बेरूत, डार सदिर, बी.टी.ए.