शेख़ सदूक़

wikishia से
अन्य प्रयोगों के लिए, इब्ने बाबवैह देखें।
शेख़ सदूक़
मुहद्दिस, क़ुम के धार्मिक और हदीस-उन्मुख मकतब के न्यायविद
इब्ने बाबवैह क़ब्रिस्तान में शेख़ सदूक़ का मकबरा
इब्ने बाबवैह क़ब्रिस्तान में शेख़ सदूक़ का मकबरा
पूरा नामअबू जाफ़र मुहम्मद बिन अली बिन हुसैन बिन मूसा बिन बाबवैह क़ुमी
उपनामशेख़ सदूक़
मृत्यु तिथिवर्ष 381 हिजरी
मृत्यु का शहररय
समाधि स्थलइब्ने बाबवैह का क़ब्रिस्तान
प्रसिद्ध रिश्तेदारअली इब्ने हुसैन (पिता)
गुरूअहमद बिन मुहम्मद बिन ईसा, इब्ने वलीद क़ुमी, अहमद बिन अली बिन इब्राहीम बिन हाशिम क़ुमी, मुहम्मद बिन मूसा बिन मुतावक्किल
शिष्यहारून बिन मूसा तलअकबरी, शेख़ मुफ़ीद,अली बिन मोहम्मद ख़ज़्ज़ाज़, सय्यद मुर्तज़ा व......
शिक्षा स्थानक़ुम, रय, मशहद, नीशापूर
संकलनमन ला यहज़रोहुल फ़क़ीह (चार विशेष किताबों में से एक), अल एतेक़ादात, सवाबुल आमाल, उयून अख़्बार अल रज़ा व...


शेख़ सदूक़ (अरबी: الشیخ الصدوق) (305-381 हिजरी) चौथी हिजरी शताब्दी के शिया विद्वानों में से एक हैं, जिन्हें क़ुम के धर्म शास्त्र और हदीस-उन्मुख स्कूल का सबसे प्रसिद्ध विद्वान (मुहद्दिस) और न्यायविद (फ़क़ीह) माना जाता है। उन्हें लगभग 300 वैज्ञानिक कार्यों का श्रेय दिया गया है, लेकिन उनमें से बहुत सी आज उपलब्ध नहीं हैं। उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है मन ला यहज़ोरो अल-फ़कीह, जो शियों की चार विशेष किताबें (कुतुबे अरबआ) में से एक है। शेख़ सदूक़ की अन्य कृतियों में मआनी अल-अख़बार, उयून अख़बार अल-रज़ा, अल-ख़ेसाल, इललुश शरायेअ और सेफ़ात अल शिया हैं।

उनके कुछ सबसे प्रसिद्ध छात्रों में सय्यद मुर्तज़ा, शेख़ मुफ़ीद और तिलअकबरी शामिल हैं। शेख़ सदूक़ को शहरे रय में इब्ने बाबवैह क़ब्रिस्तान में दफ़नाया गया है।

वंशावली

अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अली बिन हुसैन बिन मूसा बिन बाबवैह क़ुम्मी, जिन्हें शेख़ सदूक़ के नाम से जाना जाता है, चौथी चंद्र शताब्दी के विद्वानों में से एक थे।[१]

उनके पिता, अली बिन हुसैन, अपने समय में, एक शेख़ और एक विश्वसनीय व्यक्ति (सिक़ह), एक न्यायविद और क़ुमा वाले के नेता थे।[२] हालाँकि उस समय क़ुम में बहुत से बुजुर्ग विद्वान और मुहद्दिस थे, और वह मरजए तक़लीद और बड़ी इल्मी शख़्सियत होने के बावजूद बाज़ार में उनकी एक दुकान थी, और वे तपस्वी और पवित्रता और संतोष व क़नाअत के साथ व्यापार किया करते थे।[३] उन्होने विभिन्न क्षेत्रों में किताबें और ग्रंथ लिखे थे जिनका उल्लेख शेख़ तूसी और नज्जाशी ने किया था।[४] अल-फ़हरिस्त में इब्ने नदीम ने शेख़ सदूक़ की लिखावट (दस्तख़त) का उल्लेख किया है, जिसमें उनके और उनके पिता के कार्यों के बारे में जानकारी थी: "मैंने अपने पिता की किताबों के लिये, जो दो सौ किताबें हैं, फ़ला बिन फ़ला को आज्ञा दी है। और इसी तरह से मैनें अपनी किताबों के लिये, जो अठारह किताबें हैं।"[५]

जन्म और मृत्यु

शेख़ सदूक़ के जन्म का वर्ष ठीक से ज्ञात नहीं है, लेकिन जो कुछ उनकी पुस्तक कमाल अल-दीन और शेख़ तूसी की पुस्तक अल ग़ैबह और नज्जाशी की पुस्तक अल फ़ेहरिस्त से जानकारी प्राप्त होती है, वह यह है कि इमाम ज़माना (अ) के चार राजदूतों (नव्वाबे अरबआ) में से दूसरे राजदूत मुहम्मद बिन उस्मान अमरी की वर्ष 305 हिजरी में मृत्यु के बाद, और तीसरे राजदूत अबू अल-कासिम हुसैन बिन रूह के दूतावास की शुरुआत में उनका जन्म हुआ था। [स्रोत की आवश्यकता है]

अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अली बिन असवद से शेख़ सदूक़ के कथन के अनुसार, मुहम्मद बिन उस्मान अमरी की मृत्यु के बाद अली बिन हुसैन बिन मूसा बिन बाबवैह (शेख़ सदूक़ के पिता, जिन्हें सदूक़ प्रथम भी कहा जाता है) ने अबू जाफ़र से चाहा कि हुसैन बिन रूह नौबख़्ती (तीसरा (राजदूत)) से चाहते है कि वह इमाम ज़माना (अ) से उनके लिये बेटा देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने के लिए कहें। अबू जाफ़र कहते हैं कि मैंने हुसैन बिन रूह से भी अनुरोध किया और उन्होंने इमाम ज़माना को यह अनुरोध पहुँचाया और तीन दिनों के बाद उन्होंने मुझे बताया कि इमाम (अ) ने अली बिन हुसैन के लिए दुआ की थी और यह कि उनके यहां एक धन्य बच्चा पैदा होगा और अल्लाह सर्वशक्तिमान आशीर्वाद उसकी वजह से उन्हे देगा।[६]

वफ़ात

381 हिजरी में सत्तर वर्ष से अधिक की आयु में उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें रय शहर में दफ़्न किया गया। आज, उनकी क़ब्र एक ऐसे क़ब्रिस्तान में है जो इब्ने बाबवैह के नाम से प्रसिद्ध है और जिसे लोगों के लिए तीर्थ स्थान के रूप में जाना जाता है। उनके मक़बरे का जीर्णोद्धार 1238 शम्सी में फ़तह अली शाह काजार के शासनकाल के दौरान किया गया था। इस तिथि से पहले, उनकी क़ब्र बाढ़ से खुल गई थी, और सदियों बाद उनके स्वस्थ शरीर का प्रकट होना सभी के लिए विस्मय व आश्चर्य का कारण बन गया।[७]

जीवन

शेख़ सदूक़ क़ुम में पले-बढ़े और 20 साल तक अपने पिता के साथ रहे और उनसे और क़ुम के अन्य विद्वानों से ज्ञान प्राप्त किया और फिर रय वासियों के अनुरोध पर वहाँ चले गए। वह कुछ समय के लिए वहाँ थे और फिर वहाँ के शासक रुकन अल-दौला बोही की अनुमति के साथ, इमाम अली रज़ा (अ) के दर्शन के लिए मशहद गए और वापसी पर वह नैशापूर में रुक गए और उस शहर के बुजुर्गों ने उनके ज्ञान से लाभ उठाया। इस तरह, क़ुम से निकलने के बाद, उन्होंने रय, उस्तुरा बाद, जुर्जान, नैशापूर, मशहद, मर्व, सरख्स, ईलाक़ (बलख़), समरकंद, फ़रग़ाना, बल्ख़, हमदान, बग़दाद, कूफ़ा, फ़ैद, मक्का और मदीना की यात्रा की।[८]

वैज्ञानिक स्थिति

शेख़ तूसी कहते हैं: "मुहम्मद बिन अली बिन हुसैन हदीसों के हाफ़िज़ थे, न्यायशास्त्र और रेजाल शास्त्र के जानकार थे, और हदीसों के ऐसे विद्वान थे, ज्ञान के संरक्षण और प्रचुरता में जिनके जैसा क़ुम वालों के बीच नहीं देखा गया था।" [स्रोत की जरूरत है]

नज्जाशी उनके गुणों के बारे में कहते हैं:

हमारे शेख़ और हमारे न्यायविद ... जब उन्होने बग़दाद में प्रवेश किया तो उनकी उम्र और आयु कम होने के बावजूद भी, संप्रदायों के शेख़ उनसे हदीस सुनने आया करते थे। [९]

शेख़ सदूक़ को उनके कामों (लेखनियों) की प्रचुरता के कारण, विशेष रूप से धर्मशास्त्र (अक़ायद) के विषय[नोट १] और पुराने विद्वानों की तुलना में उनके विचारों के विकास के कारण क़ुम के धर्मशास्त्रीय विद्यालय का मुख्य प्रतिनिधि माना गया है।[१०]

उनके बुज़ुर्ग और शिक्षक

उन्होंने विभिन्न शहरों में हदीस के बहुत से इमामों, मशायख़ और हाफ़िज़ों व अन्य लोगों के संरक्षण में ज्ञान का प्राप्त किया, जिनकी संख्या 260 तक पहुंचती है।[११] उनके कुछ शेख़ यह हैं:

उनसे शिष्य और हदीस के रावी

यह देखते हुए कि शेख़ सदूक़ जवानी की उम्र से ही हदीस प्रकाशित करने लग गये थे, उनसे हदीस का उल्लेख करने वाले हदीसकारों की संख्या बहुत अधिक रही होगी। लेकिन शेख़ मुंतजबुद्दीन द्वारा तारिख़ रय, इब्ने बुतरीक़ द्वारा रेजाल अल-शिया, अली बिन हकम द्वारा लिखित शुयुख़ अल-शिया जैसी कुछ पुस्तकों के मिट जाने के संदर्भ में उनके कथाकारों के नाम पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं। आज हम उनमें से 28 लोगों के बारे में जानते हैं:[१७]

  1. अहमद बिन अली बिन मुहम्मद बिन अब्बास बिन नूह
  2. अहमद बिन मुहम्मद बिन तरबक अल रहावी
  3. अबू मुहम्मद अहमद बिन मुहम्मद मुआम्मरी
  4. जाफ़र बिन अहमद बिन अली अबू मोहम्मद क़ुमी, रय के रहने वाले, जिनका नाम उनके मशाइखों में भी मिलता है।
  5. जाफ़र बिन अहमद मरिसी
  6. जाफ़र बिन हसन बिन हस्का क़ोमी
  7. हसन बिन अहमद बिन मुहम्मद बिन हैसम अजली राज़ी
  8. हसन बिन हुसैन अली बिन बाबवैह
  9. हसन बिन अनबस बिन मसऊद बिन सालिम
  10. हसन बिन मुहम्मद बिन हसन शैबानी क़ोमी, तारीख़े क़ुम के लेखक।
  11. हुसैन बिन ओबैदुल्लाह बिन इब्राहिम ग़ज़ायरी
  12. हुसैन बिन अली बिन हुसैन बिन मूसा बिन बाबवैह क़ोमी, उनके भाई।
  13. अब्दुल समद बिन मोहम्मद तमीमी
  14. अली बिन अहमद बिन अब्बास नज्जाशी, महान रेजाली नज्जाशी के पुत्र।
  15. सय्यद अबुल बरकात अली बिन हुसैन जौज़ी हिल्ली हुसैनी
  16. सैयद मुर्तज़ा लम अल-हुदा
  17. अली बिन हुसैन बिन मूसा
  18. अली बिन मोहम्मद ख़ज़्ज़ाज़
  19. अबुल कासिम अली बिन मुहम्मद मोक़री
  20. मुहम्मद बिन अहमद बिन अब्बास बिन फ़ाख़िर दोरिस्ती
  21. मुहम्मद बिन अहमद बिन अली
  22. मुहम्मद बिन अहमद बिन अली बिन हसन बिन शाज़ान क़ुम्मी, जाफ़र बिन मुहम्मद बिन कुलुवैह की बहन के बेटे हैं, जो ईज़ा दफ़ायन अल-नवासिब किताब के लेखक हैं।
  23. मुहम्मद बिन जाफ़र बिन मुहम्मद क़सार राज़ी
  24. मुहम्मद बिन हसन बिन इसहाक़ बिन हसन बिन हुसैन बिन इसहाक़ बिन मूसा बिन जाफ़र (अ.स.)
  25. मुहम्मद बिन सुलेमान अल-हमरानी
  26. मुहम्मद बिन तलहा बिन मुहम्मद नआली बग़दादी, जो ख़तीब बग़दादी के शेखों में से एक हैं।
  27. मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन नोएमान, शेख़ मुफ़ीद
  28. हारून बिन मूसा तलअकबरी

दृष्टिकोण

धार्मिक विचार

शेख़ सदूक़ की क़ुम के हदीस-उन्मुख धर्मशास्त्रीय विद्यालय से संबंधित थे।[१८] उनका मानना ​​था कि ईश्वर को जानने के लिए मनुष्य को हमेशा ईश्वरीय प्रेरणा या ईश्वरीय प्रमाण की आवश्यकता होती है, और रहस्योद्घाटन (वहयी) की सहायता के बिना, अक़्ल ईश्वर को नहीं जान सकती और धार्मिक ज्ञान की खोज नहीं कर सकती।[१९] यह कहा गया है कि उन्होंने अपने किसी भी काम में पूर्ण रूप से या बाक़ायदा तौर से अक़्ल (तर्क) पर चर्चा नहीं की है।[२०] हदीसों से दलील देते हुए शेख़ सदूक़,[२१] ईश्वर की प्रकृति के बारे में बहस करना जायज़ नहीं मानते हैं और तशबीह विरोधी हदीसों से प्रेरित होते हुए वह क़ायल हैं कि ईश्वर और प्राणियों के बीच किसी भी प्रकार की कोई समानता नहीं पाई जाती है और ईश्वर से सृष्टि के सभी गुणों का खंडन करते है।[२२] सदूक़ की दृष्टि से, पैगंबर (स) और इमाम (अ) ईश्वर के सबसे अच्छे और सबसे की प्रिय रचनाएँ हैं और ईश्वर ने दुनिया को उनके कारण बनाया है।[२३] वह इमामों को पैगंबर (स) की तरह अचूक (पाप से मासूम) मानते थे,[२४] लेकिन वह पैगंबर (स) से ग़लती की संभावना पर विश्वास करते है और इसके खंडन को ग़ूलू (अतिशयोक्तिपूर्ण) मानते हैं। [२५] कुछ ने शेख़ सदूक़ को एक तर्कवादी मुहद्दिस माना है। जो तर्कों के बजाय हदीसों का उपयोग करता है; लेकिन अपनी बातों के बीच में वह तर्कसंगत तर्क पर भी ध्यान देते थे।[२६]

रचनाएँ

मन ला यहज़रोहुल फ़क़ीह (किताब)
मुख्य लेख: शेख़ सदूक़ की रचनाएँ

शेख़ सदूक़ के कार्यों का संग्रह 300 कार्यों तक पहुंचता है, जिनमें से शेख़ तूसी ने अपनी किताब अल फ़ेहरिस्त में 40 नामों की संख्या का उल्लेख किया हैं, जिनमें से एक शिया की चार किताबों में से मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह[२७] है; और नज्जाशी (मृत्यु 450 हिजरी) ने उनके लगभग 200 कार्यों को सूचीबद्ध किया है, और उनके कई कार्य हम तक नहीं पहुंचे हैं:[२८]

फ़ुटनोट

  1. गफ़्फ़ारी, "मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह" की शुरूआत: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1404 हिजरी, पृष्ठ 8।
  2. गफ़्फ़ारी, "मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह" की शुरूआत: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1404 हिजरी, पृष्ठ 9।
  3. गफ़्फ़ारी, "मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह" की शुरूआत: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1404 हिजरी, पृष्ठ 9।
  4. गफ़्फ़ारी, "मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह" की शुरूआत: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1404 हिजरी, पृष्ठ 9।
  5. गफ़्फ़ारी, "मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह" की शुरूआत: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1404 हिजरी, पृष्ठ 9।
  6. शेख़ तूसी, कमाल अल-दीन, पेज 276; शेख़ तूसी, अल-ग़ैबह, पृष्ठ 209; अल-रब्बानी अल-शिराज़ी, अब्दुर रहीम के अनुसार, "मआनी अल-अख़बार" का परिचय: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1361, पृष्ठ 73।
  7. अल-रब्बानी अल-शिराज़ी, अब्दुर रहीम, "मआनी अल-अख़बार" का परिचय: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1361, पृष्ठ 74।
  8. गफ़्फ़ारी, "मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह" का परिचय, 1404 हिजरी, पेज 8-9।
  9. गफ़्फ़ारी, "मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह" का परिचय: अल-शेख अल-सदूक, 1404 हिजरी, पृष्ठ 8।
  10. जाफ़री, "मुक़ायसाई मेयाने दो मकतबे फ़िकरी शिया दर क़ुम व बग़दाद दर क़रने चहारुम हिजरी", पृष्ठ 10।
  11. गफ़्फ़ारी, "मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह"" का परिचय: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1404 हिजरी, पृष्ठ 8।
  12. अल-रब्बानी अल-शिराज़ी, अब्दुर रहीम, "मआनी अल-अख़बार" का परिचय: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1361, पृष्ठ 40।
  13. अल-रब्बानी अल-शिराज़ी, अब्दुर रहीम, "मआनी अल-अख़बार" का परिचय: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1361, पृष्ठ 42।
  14. अल-रब्बानी अल-शिराज़ी, अब्दुर रहीम, "मआनी अल-अख़बार" का परिचय: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1361, पृष्ठ 56।
  15. अल-रब्बानी अल-शिराज़ी, अब्दुर रहीम, "मआनी अल-अख़बार" का परिचय: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1361, पृष्ठ 62
  16. अल-रब्बानी अल-शिराज़ी, अब्दुर रहीम, "मआनी अल-अख़बार" का परिचय: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1361, पृष्ठ 66।
  17. अल-रब्बानी अल-शिराज़ी, अब्दुर रहीम, "मआनी अल-अख़बार" का परिचय: अल-शेख़ अल-सदूक़, 1361, पेज 69-72।
  18. फ़रमानियान और सादेक़ी काशानी, निगाही बे तारीख़े तफक्कुरे इमामिया, 2014, पेज 34 और 37; जाफ़री, "मुक़ायसाई मेयाने दो मकतबे फ़िकरी शिया दर क़ुम व बग़दाद दर क़रने चहारुम हिजरी", पृष्ठ 10।
  19. फ़रमानियान और सादेक़ी काशानी, निगाही बे तारीख़े तफ़क्कुरे इमामिया, 1394, पेज 37 और 39.
  20. फ़रमानियान और सादेक़ी काशानी, निगाही बे तारीख़े तफ़क्कुरे इमामिया, 1394, पृष्ठ 37।
  21. शेख़ सदूक़, अल-तौहीद, 1398 हिजरी, पेज 454-461
  22. शेख़ सदूक़, अल-तौहीद, 1398 हिजरी, पेज 80 और 81।
  23. शेख़ सदूक़, अल-ऐतेक़ादात, 1414 हिजरी, पृष्ठ 93।
  24. शेख़ सदूक़, अल-ऐतेक़ादात, 1414 हिजरी, पेज 94 और 96।
  25. शेख़ सदूक़, मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 359।
  26. फ़रमानियान और सादेक़ी काशानी, निगाही बे तारीख़े तफक्कुरे इमामिया, 1394, पृष्ठ.50।
  27. शेख़ तूसी, अल-फ़हरिस्त, 1420 हिजरी, पृष्ठ 443।
  28. शेख़ सदूक़, मआनी अल-अख़बार, 1361, पृष्ठ 72 (परिचय खंड)।
  29. नज्जाशी, रेजाल अल-नज्जाशी, 1365, पेज 389-392; शेख़ तूसी, अल-फ़हरिस्त, 1420 हिजरी, पेज 443 और 444।

नोट

  1. ऐसा कहा जाता है कि शेख़ सदूक़ ने धार्मिक शिक्षाओं के प्रमाण, बचाव और व्याख्या में 30 से अधिक रचनाएँ लिखी हैं।

स्रोत

  • जाफ़री, याक़ूब, "मुक़ायसा मेयाने दो मकतब फ़िकरी शिया दर क़ुम व बग़दाद दर क़रनो चहारुम हिजरी चौथी शताब्दी हिजरी", फ़ारसी लेखों में (शेख़ मुफ़ीद कांग्रेस संग्रह लेख, खंड 69), क़ुम, शेख़ मुफ़िद विश्व हजारा कांग्रेस, पहला संस्करण , 1413 हिजरी।
  • शेख़ सदूक, मुहम्मद बिन अली बिन बाबवैह, अल-ऐतेक़ादात, क़ुम, अल मोतमर अल आलमी लिल शेख़ अल-मुफ़िद, दूसरा संस्करण, 1414 हिजरी।
  • शेख़ सदूक, मुहम्मद बिन अली बिन बाबवैह, अल-तौहीद, क़ुम, इस्लामिक पब्लिशिंग हाउस, पहला संस्करण, 1398 हिजरी।
  • शेख़ सदूक, मुहम्मद बिन अली बिन बाबवैह, मआनी अल-अखबार, अली अकबर अल-गफ़्फारी द्वारा संपादित, क़ुम, इस्लामिक प्रकाशन, 1361।
  • शेख़ सदूक, मुहम्मद बिन अली बिन बाबवैह, मन ला यहज़ोरोहु अल-फकीह, शोध और परिचय: अली अकबर गफ़्फारी, क़ुम, जामिया मुदर्रेसीन, दूसरा संस्करण, 1413 हिजरी।
  • शेख तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-फ़हरिस्त (शिया और उनके मूल की पुस्तकों की सूची और लेखकों और मूल के मालिकों के नाम), अब्दुल अज़ीज़ तबताबाई, क़ुम, अल-मुहक़्क़िक़ तबताबाई स्कूल, प्रथम संस्करण द्वारा शोध, 1420 हिजरी।
  • तालेक़ानी, सैय्यद हसन, मदरसा कलामी क़ुम, नक़द व नज़र क्वार्टरली, नंबर 65, स्प्रिंग 2011।
  • फ़रमानियान, मेहदी व मुस्तफ़ा सादेक़ी काशानी, निगाही बे तारीख़ तफ़क्कुरे इमामिया; अज़ आग़ाज़ का ज़हूरे सफाविया, कुम, रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक साइंसेज एंड कल्चर, पहला संस्करण, 1394 के उदय तक।
  • नज्जाशी, अहमद बिन अली, रेजाल अल-नज्जाशी, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नशर अल-इस्लामी, 1365 शम्सी।