बसरा जामा मस्जिद
संस्थापक | अतबा बिन ग़ज़वान बसरा के राज्यपाल |
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स्थापना | वर्ष 14 हिजरी |
उपयोगकर्ता | मस्जिद |
स्थान | बसरा |
अन्य नाम | जामा बसरा • मस्जिद इमाम अली (अ) • क़दम गाह इमाम अली (अ) • मस्जिद ख़ुत्वा इमाम अली (अ) |
संबंधित घटनाएँ | जमल की लड़ाई की समाप्ति के बाद इमाम अली (अ) ने मस्जिद मे प्रवेश किया और मिम्बर से बसरा के लोगों को उपदेश दिया |
स्थिति | सक्रिय |
क्षेत्र | 200 वर्ग मीटर |
पुनर्निर्माण | अलग-अलग अवधियों में |
बसरा जामा मस्जिद (अरबीःجامع البَصرة) इराक़ मे बनी सबसे पुरानी मस्जिद है, जो बसरा शहर में स्थित है। इस मस्जिद को शियो के पहले इमाम की उपस्थिति के कारण "मस्जिद ख़ुत्वा इमाम अली (अ)" (क़दम गाह इमाम अली) के नाम से भी प्रसिद्ध है। जमल की लड़ाई की समाप्ति के बाद इमाम अली (अ) ने इस मस्जिद मे उपस्थित होकर लोगों को उपदेश दिया। बसरा जामा मस्जिद का पिछले कुछ वर्षों में जीर्णोद्धार और नवीनीकरण किया गया। पुरानी मस्जिद में मीनार के अलावा कुछ भी नहीं बचा है और इसके बगल में आधुनिक वास्तुकला वाली एक नई मस्जिद बनाई गई है। शुरू से ही, बसरा मस्जिद शैक्षिक मंडलियों और विचार धाराओ के स्कूलो की उपस्थिति का स्थान रही है। बहुत से इराकी लोग धार्मिक अवसरों पर पैदल ही इस स्थान पर जाते हैं।
मस्जिद का सामान्य परिचय एवं उसका महत्व
बसरा जामा मस्जिद इस्लाम में प्रसिद्ध पूजा स्थलो मे से एक है[१] और यह इराक़ में बनी पहली जामा मस्जिद है और इस्लाम में तीसरी मस्जिद है।[२] जिस चीज ने इस बसरा जामा मस्जिद को प्रसिध्दी दी वह इस मस्जिद मे घटने वाली राजनितिक, न्यायिक, शैक्षिक, साहित्यिक और सामाजिक घटनाए है।[३] बसरा जामा मस्जिद न्यायशास्त्र, हदीस, न्यायशास्त्र के सिद्धांत और दर्शनशास्त्र का पहला स्कूल, जो विभिन्न युगों में वैज्ञानिक व्यक्तित्वों के बीच वाक्यविन्यास, साहित्यिक, धार्मिक और धार्मिक चर्चाओं और बहस का स्थान था।[४] अध्ययन मंडलियों के गठन मे इस मस्जिद की व्यापकता के कारण विचारधारा के स्कूलो के अस्तित्व के कारण, बसरा को "इस्लाम का खजाना" की उपाधि दी गई।[५]
ऐसा कहा जाता है कि बसरा जामा मस्जिद शियो का अड्डा थी और बनी उमय्या के खिलाफ शियो की सभी गतिविधियां इसी मस्जिद से शुरू हुईं और उन्होंने इसे अहले-बैत (अ) के हक़ूक़ वापस लेने का केंद्र बना दिया।[६] अबुल हसन अशअरी की मोअतज़ेला स्कूल से मुह मोड़ने की घोषणा और पश्चाताप[७] और हेशाम बिन हकम का सुन्नी धर्मशास्त्री अम्र बिन उबैद के साथ बहस[८] इस मस्जिद में हुई अन्य घटनाओं मे से एक है।
कुछ शिया न्यायविदों के अनुसार, एतेकाफ़ केवल मस्जिद अल-हराम, मस्जिद अल-नबी, कूफ़ा जामा मस्जिद और बसरा जामा मस्जिद मे मान्य (सही) है, और अन्य मस्जिदों में रजा (स्वीकृति की आशा) के इरादे से कोई समस्या नहीं है।[९] शेख़ सदूक़ के अनुसार उपरोक्त चार मस्जिदो मे एतेकाफ़ के सही होने का तर्क यह है कि एक इमाम आदिल ने जुमा की नमाज़ अदा की हो, और हज़रत अली (अ) ने बसरा की मस्जिद मे जुमा की नमाज़ अदा की है।[१०]
मस्जिद मे इमाम अली (अ) की उपस्थिति
एक ऐतिहासिक रिपोर्ट के अनुसार, जमल की लड़ाई की समाप्ति के बाद इमाम अली (अ) ने मस्जिद मे प्रवेश किया और मिम्बर से बसरा के लोगों को उपदेश दिया।[११] दाएरतुल मआरिफ तशय्यो (शिया विश्वकोश) मे कहा गया है कि इमाम अली (अ) के बसरा के लोगो के खिलाफ़ कठोर और लगातार शब्दो के बाद शियो के महत्वपूर्ण केंद्रों मे परिवर्तित होने मे अधिक समय नही लगा।[१२] इमाम अली (अ) की उपस्थिति के कारण “मस्जिद ख़ुत्वा इमाम अली”[१३] या “मस्जिद इमाम अली” के नाम से प्रसिद्ध है।[१४] अल-इशारात ऐला-मारेफ़ते अल-ज़ियारात किताब में कहा गया है कि मस्जिद की मीनार और मेहराब इमाम अली (अ) द्वारा बनाए गए है।[१५]
निर्माण और जीर्णोद्धार का इतिहास
हे बसरा के लोगों! हे (आयशा) की महिला सैनिकों और उस चार पैर वाले (जमल के ऊंट) के अनुयायियों! आप मेरे बारे में क्या सोचते हो? तुम तब तक लड़ते रहे जब तक ऊँट बिलबिलाता रहा, और जब वह घायल होकर गिर पड़ा तो तुम भाग खड़े हुए। तुम्हारी नैतिकता नीची है, तुम्हारे अनुबंध अस्थिर हैं, और तुम्हारा पानी खारा और कड़वा है। तुम्हारी ज़मीन पानी के क़रीब और आसमान से दूर है, और मैं ख़ुदा की क़सम खाता हूँ, वह दिन आएगा जब इस शहर में इतनी बाढ़ आ जाएगी कि शहर पानी मे डूबा हुआ होगा, ऐसी स्थिति मे मस्जिद के केवल मीनार ही जहाज़ के सीने की तरह समुद्र से दिखाई देंगे। अभी अपने घरो को लौट जाओ।
बसरा जामा मस्जिद का निर्माण कई चरणों में किया गया और इसमें संरचनात्मक परिवर्तन किए गए।[१६] इस मस्जिद का निर्माण पहली बार बसरा शहर की स्थापना उमर बिन ख़त्ताब की ख़िलाफ़त के दौरान वर्ष 14 हिजरी मे बसरा के गवर्नर अत्बाह बिन ग़ज़वान द्वारा नरकट और पौधों के तनों से किया गया था। इस कारण से बाद में यह आग में नष्ट हो गया और मुआविया के समय मे बसरा के शासक ज़ियाद बिन अबीह ने इसे ईंटों, प्लास्टर और पत्थर के खंभों से मजबूत किया[१७] उमय्या काल के दौरान उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद के शासन मे इसका पुनर्निर्माण और विकास किया गया।[१८] उसके बाद, मस्जिद का सबसे बड़ा विस्तार महदी अब्बासी के शासन के दौरान 160 हिजरी में हुआ, और हारुन अब्बासी ने मस्जिद के प्रांगण में दार अल-अमारा को जोड़ा।[१९] ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान मस्जिद में लगभग बीस हज़ार लोग नमाज़ पढ़ते थे।[२०]
नई इमारत
बसरा की पुरानी मस्जिद नष्ट हो चुकी है[२१] और केवल एक मीनार बची है।[२२] साल 2000 ईस्वी में पुरानी मस्जिद के बाहर नई मस्जिद का निर्माण पूरा हुआ।[२३] इसकी इमारत का क्षेत्रफल 200 मीटर है इसमें एक बड़ा प्रांगण है।[२४] हालांकि ऐसा कहा गया है कि नई इमारत मस्जिद की स्थिति और महत्व से मेल नहीं खाती है, और इसकी स्थापत्य शैली मस्जिद के इतिहास के अनुकूल नहीं है[२५] यह भी कहा गया है कि इराकी शिया विभिन्न अवसरों जैसे आशूरा के दिन, पैगंबर (स) के स्वर्गवास, इमाम अली (अ) की शहादत और इमाम महदी (अ) के जन्म पर बसरा और अन्य शहरों से पैदल इस मस्जिद तक जाते हैं।[२६]
गैलरी
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बसरा मस्जिद की पुरानी तस्वीर
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पुरानी बसरा जामा मस्जिद की शेष बची हुई मीनार
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बसरा मस्जिद की पुरानी तस्वीर
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पुरानी जामा मस्जिद की मीनार का एक दृश्य
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नई मस्जिद का बाहरी दृश्य
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पुरानी मस्जिद की मीनार और नई मस्जिद की इमारत का हवाई दृश्य
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नई मस्जिद का आंतरिक दृश्य
फ़ुटनोट
- ↑ हरवी, अल इशारात एला मारफ़त अल ज़ियारात, 1423 हिरी, पेज 72
- ↑ शानवाज़ व मुनतशलू, बर रसी जाएगाह मस्जिद जामे बसरा अज़ तासीस ता पायान अमवीयान, पेज 70
- ↑ शानवाज़ व मुनतशलू, बर रसी जाएगाह मस्जिद जामे बसरा अज़ तासीस ता पायान अमवीयान, पेज 79
- ↑ शानवाज़ व मुनतशलू, बर रसी जाएगाह मस्जिद जामे बसरा अज़ तासीस ता पायान अमवीयान, पेज 90
- ↑ शानवाज़ व मुनतशलू, बर रसी जाएगाह मस्जिद जामे बसरा अज़ तासीस ता पायान अमवीयान, पेज 90
- ↑ शानवाज़ व मुनतशलू, बर रसी जाएगाह मस्जिद जामे बसरा अज़ तासीस ता पायान अमवीयान, पेज 79
- ↑ सुब्हानी, मदख़ल, अहले सुन्नत, दानिश नामा कलाम इस्लामी, 1387 शम्सी, भाग 1, पेज 881 582
- ↑ मनाज़रा हेशाम बिन हकम व अम्र बिन अब्दुवद, पाएगाह इत्तेला रसानी हौजा
- ↑ ख़ुमैनी, तहरी अल वसीला, 1392 शम्सी, भाग 1, पेज 322 फल्लाह जाद़ा, अहकाम मस्जिद, 1378 शम्सी, पेज 57 58
- ↑ सदूक़, अल मुक़्नेआ, 1373 शम्सी, पेज 209
- ↑ दैनूरी, अखबार अल तुवाल, 1373 शम्सी, पेज 151
- ↑ हाज सय्यद जवादी व दिगरान, दाएरातुल मआरिफ़ तशय्योअ, 1380 शम्सी, भाग 3, पेज 262
- ↑ मस्जिद ख़ुत्वा इमाम अली (अ) मारूफ़ बे मस्जिद जामेअ बसरा दर इराक, खबर गुजारी सदा व सीमा
- ↑ मुकद्दस, राहनुमाई अमाकिन ज़ियारती व सियाहती दर इराक, 1387 शम्सी, पेज 280
- ↑ हरवी, अल इशारात एला मारफ़त अल ज़ियारात, 1423 हिरी, पेज 72
- ↑ मस्जिद ख़ुत्वा अमीर अल मोमेनीन इमाम अली (अ), शबका अल इमाम अली (अ)
- ↑ इब्ने क़ुतैयबे, अल मआरिफ़, 1992 ईस्वी, पेज 564
- ↑ इब्ने क़ुतैयबे, अल मआरिफ़, 1992 ईस्वी, पेज 564
- ↑ शानवाज़ व मुनतशलू, बर रसी जाएगाह मस्जिद जामे बसरा अज़ तासीस ता पायान अमवीयान, पेज 72
- ↑ जामेअ अल-बसरा ... अव्वल मस्जिद फ़ी अल-इस्लाम ख़ारिज मक्का व अल-मदीना अल-मुनव्वरा, बेबगाह अल बयान
- ↑ मस्जिद ख़ुत्वा इमाम अली (अ) मारूफ़ बे मस्जिद जामेअ बसरा दर इराक, खबर गुजारी सदा व सीमा
- ↑ शानवाज़ व मुनतशलू, बर रसी जाएगाह मस्जिद जामे बसरा अज़ तासीस ता पायान अमवीयान, पेज 72
- ↑ मस्जिद ख़ुत्वा अमीर अल मोमेनीन इमाम अली (अ), शबका अल इमाम अली (अ)
- ↑ नुख़ुस्तीन मस्जिद दर इराक, वेबगाह शिया न्यूज़
- ↑ मस्जिद ख़ुत्वा अमीर अल मोमेनीन इमाम अली (अ), शबका अल इमाम अली (अ)
- ↑ मस्जिद ख़ुत्वा अमीर अल मोमेनीन इमाम अली (अ), शबका अल इमाम अली (अ)
स्रोत
- इब्न क़ुतैयबा, अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम, अल मआरिफ़, क़ाहिरा, अल हैयत अल मिस्रीया अल आम्मा लिल किताब, 1992 ईस्वी
- जामेअ अल बसरा... अव्वल मस्जिद फ़ी अल-इस्लाम ख़ारिज मक्का व अल-मदीना अल-मुनव्वरा, वेबगाह अल-यान, वीज़िट की तारीख 3 महर 1402 शम्सी
- हाज सय्यद जवादी व दिगरान, दाएरातुल मआरिफ़ तशय्योआ, नशर शहीद सीद मोहिब्बी, 1380 शम्सी
- ख़ुमैनी, सय्यद रुहुल्लाह, तहरीर अल-वसीला, तेहरान, मोअस्सेसा तंज़ीम व नश्र आसार इमाम ख़ुमैनी, 1392 शम्सी
- दैनूरी, अहमद बिन दाऊद, अखबार अल तुवाल, अनुवादः महमूद महदवी दामग़ानी तेहरान, नश्र नैय, 1371 शम्सी
- दैनूरी, अहमद बिन दाऊद, अखबार अल तुवाल, शोधः मुहम्मद अब्दुल मुनइम आमिर व जमालुद्दीन शिया, क़ुम, मंशूरात अल-शरीफ़ अल-रज़ी, 1373 शम्सी
- सुब्हानी, जाफ़र, अहले सुन्नत दर दानिशनामा कलाम इस्लामी, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम सादिक़, 1387 शम्सी
- शानवाज़, बिलाल, मुनतशेलू, जमशैद, बर रसी जाएगाह मस्जिद जामे बसरा अज़ तासीस ता पायान अमवियान, तारीख फ़रहंग व तमुद्दन इस्लामी, छठां साल, ज़मिस्तान, 1394 शम्सी, क्रमांक 21
- सदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल मुक़्नेआ, क़ुम, मोअस्सेसा अल इमाम अल हादी, 1373 शम्सी
- फ़ल्लाह ज़ादा, मुहम्मद हुसैन, अहकाम मस्जिद, नूर अल सज्जाद, 1378 शम्सी
- मस्जिद ख़ुत्वा अमीर अल मोमेनीन अल इमाम अली (अलैहिस सलाम), शब्का अल इमाम अली (अ), वीज़िट की तारीख 3 मेहर, 1402 शम्सी
- मस्जिद ख़ुताव इमाम अली (अ) मारूफ़ बे मस्जिद जामे बसरा दर इराक़, ख़बरगुज़ारी सदा व सीमा, प्रकाशन की तारीख 7 इस्फंद 1396 शम्सी, वीज़िट की तारीख 3 मेहर 1402 शम्सी
- मुक़द्दस, अहसान, राहनुमाई अमाकिन ज़ियारती व सयाहती दर इराक़, मशअर, 1387 शम्सी
- मनाज़ेरा हेशाम बिन हकम व अम्र बिन ऊबैद, पाएगाह इत्तेलारसानी हौज़ा, प्रकाशन की तारीख 7 इस्फंद 1396 शम्सी, वीज़िट की तारीख 3 मेहर, 1402 हिजरी
- नुख़ुस्तीन मस्जिद दर इराक, वेबगाह शिया न्यूज़, वीजिट की तारीख, 3 मेहर, 1402 शम्सी
- हरवी, अली बिन अबू बकर, अल इशारात ऐला मारफ़त अल ज़ियारात, क़ाहिरा, मकतब अल सक़ाफ़ा अल दीनीया, 1423 हिजरी