सर्दाब मुक़द्दस

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सर्दाब पर बनाई गई ज़रीह

सर्दाब मुक़द्दस (अरबी: سرداب الغيبة) या सर्दाब ग़ैबत, सामर्रा में अस्करीयैन के रौज़े के उत्तर-पश्चिम में इमाम हसन अस्करी (अ) के घर का तहखाना (बेसमेंट) है, शियों के बीच इस स्थान की पवित्रता इसलिए है क्योंकि यह वह स्थान है जहाँ इमाम अली नक़ी (अ), इमाम अस्करी (अ) और इमाम ज़माना (अ) रहते थे।

कुछ सुन्नी लेखकों का कहना है कि शियों का एतेक़ाद है कि ग़ैबत के काल में सर्दाब ग़ैबत इमाम महदी (अ) का निवास स्थान और इसी स्थान से वह ज़ुहूर करेंगे, हालांकि शिया स्रोतों मे ऐसी किसी बात का उल्लेख नहीं है, बल्कि शियों के अनुसार, इमाम ज़माना (अ) मक्का में ज़ुहूर करेंगे।

सर्दाब (बेसमेंट) की पहली इमारत अब्बासी ख़िलाफ़त के काल की है और उसके बाद अस्करीयैन के रौज़े के साथ अलग-अलग समय में इसका पुनर्निर्माण और मरम्मत की गई है।

स्थिति एवं महत्व

सर्दाब, सामर्रा में इमाम अस्करी (अ) के घर का तहखाना (बेसमेंट) था।[१] इस स्थान की पवित्रता मासूम इमामों (अ) को इसके श्रेय (निस्बत) के कारण है;[२] क्योंकि यह स्थान इमाम अली नक़ी (अ), इमाम अस्करी (अ) और इमाम ज़माना (अ) का निवास स्थान था।[३] सर्दाब इमाम अली नक़ी (अ) और इमाम अस्करी (अ) के मरक़द (ज़रीह) से लगभग 15 मीटर की दूरी[४] और अस्करीयैन के रौज़े से उत्तर पश्चिम में स्थित है।[५]

साहिब (अ) मस्जिद का गुंबद जो सर्दाब मुक़द्दस पर बनाई गई है।

शिया इतिहासकार शेख़ अब्बास क़ुमी (निधन 1359 हिजरी) के अनुसार, इस स्थान का नाम मुत्अख़्ख़िर युग (कुछ शतक पहले) से संबंधित है, और इसका कारण इमाम ज़माना (अ) के बारे में लिखी गई किताबों में निर्दिष्ट नहीं है।[६]

क्या इमाम ज़माना (अ) सर्दाब से ज़ुहूर करेंगे?

मोजम अल बुल्दान में याक़ूत हम्वी और अल सवाएक़ अल मुहर्रक़ा में इब्ने हजर हैतमी सहित कुछ सुन्नी लेखकों ने दावा किया है कि शियों का मानना है कि इमाम ज़माना (अ) सर्दाब में छिपे हुए हैं और वहीं से ज़ुहूर करेंगे।[७] उनका यह भी कहना है कि शियों का एक समूह उसी सर्दाब के पास घोड़ों पर सवार खड़ा है जो इमाम (अ) के बाहर आने की प्रतिक्षा कर रहा है।[८]

किताब मआसिर अल कुबरा फ़ी तारीख़ सामर्रा में 15वीं शताब्दी हिजरी के शिया लेखक ज़बीहुल्लाह महल्लाती के अनुसार, उपरोक्त दावा झूठा है; क्योंकि शिया विद्वान इस बात से सहमत हैं कि हज़रत महदी (अ) का ज़ुहूर मक्का में होगा।[९] इसके अलावा, शिया मरजा ए तक़लीद लुतफ़ुल्लाह साफ़ी के अनुसार, यह बातें शियों के साथ दुश्मनी, अहले बैत से विचलन और बनी उमय्या और पैग़म्बर (स) के परिवर के दुश्मनों का पक्ष लेने के उद्देश्य से गढ़ी गई है।[१०] साफ़ी गुलपायेगानी के अनुसार, किसी भी शिया ने यह नहीं कहा है कि इमाम (अ) सामर्रा के सर्दाब में छिपे हुए हैं, लेकिन शिया किताबें और हदीसें इस तरह की कथन से इंकार करती हैं।[११]

शिया मरजा ए तक़लीद सय्यद सद्रुद्दीन अल सद्र (मृत्यु 1373 हिजरी) ने इब्ने हजर हैतमी द्वारा ऐसे कथन का उल्लेख इराक़ और वहां के शियों के साथ परिचितता की कमी के कारण माना है; क्योंकि, उनके अनुसार, इब्ने हजर हेजाज़ से बाहर नहीं गए हैं और यहां तक कि समार्रा को भी नहीं देखा है।[१२] इस संदर्भ में, मोहद्दिस नूरी[१३] सय्यद मोहसिन अमीन,[१४] सय्यद मुर्तज़ा अस्करी,[१५] सय्यद हादी ख़ुसरो शाही[१६] और इब्राहीम अमीनी[१७] ने भी इमाम ज़माना (अ) के सर्दाब मुक़द्दस में छिपने और उसी स्थान से उनके ज़ुहूर को अस्वीकार किया है।

ग़ैबत का कुआं

अस्करीयैन रौज़े के विनाश से पहले सर्दाब का प्रवेश द्वार

सर्दाब में, एक कुआं है जिसे "ग़ैबत का कुआं"[१८] के नाम से जाना जाता है, शेख़ अब्बास क़ुमी के अनुसार, सर्दाब के अंदर कुछ तीर्थयात्रियों ने आशीर्वाद (तबर्रुक) के रूप में हौज़ से मिट्टी ली थी, जो इमाम अली नक़ी (अ) और इमाम हसन असकरी (अ) के वुज़ू का स्थान था। और धीरे-धीरे यह स्थान चाहे ग़ैबत के नाम से जाना जाने लगा।[१९]

शेख़ अब्बास क़ुमी ने मोहद्दिस नूरी से यह भी उद्धृत किया कि सर्दाब के कुछ सेवकों ने भौतिक और सांसारिक लाभ प्राप्त करने के लिए इस स्थान को चाह साहिब अल ज़मान के रूप में पेश किया है और तीर्थयात्रियों को आशीर्वाद (तबर्रुक) के रूप में मिट्टी देते थे और उसके बदले में वह तीर्थयात्रियों से राशि भी लेते थे और शेख़ अल इराक़ीन ने इस कार्रवाई को रोकने के लिए उक्त कुएं को भर दिया और बंद कर दिया, लेकिन बाद में सेवकों ने इसे फिर से खोल दिया।[२०]

इसकी संरचना और इतिहास

पुनर्निर्माण के बाद सर्दाब मुक़द्दस की स्थिति

सर्दाब में एक षटकोणीय कक्ष (कमरा) और दो छोटे और बड़े आयताकार कक्ष हैं, जो एक लंबे गलियारे से जुड़े हुए हैं।[२१] बड़े आयताकार कक्ष को पुरुषों की मस्जिद के रूप में जाना जाता था और छोटे आयताकार कक्ष को महिलाओं की मस्जिद के रूप में जाना जाता था।[२२] सर्दाब का प्रवेश और निकास एक सीढ़ी के रूप में है जो एक षट्कोणीय कक्ष की ओर जाता है।[२३] इसके अलावा, सर्दाब पर एक मस्जिद बनाई गई है, जिसे साहिब मस्जिद के नाम से जाना जाता है, जिसमें एक टाइल वाला गुंबद है। [२४]

मोहद्दिस नूरी (मृत्यु 1320 हिजरी) के अनुसार, अब्बासी ख़लीफ़ाओं में से एक, अल नासिर ले दीनिल्लाह ने वर्ष 606 हिजरी में सर्दाब का निर्माण कराया था और इसके शिलालेख में चौदह मासूमों के नाम लिखे थे।[२५] हालाँकि, ऐसा कहा गया है कि इससे पहले, नासिर अल दौला आले हमदान ने वर्ष 333 हिजरी में इमाम अली नक़ी (अ) के घर की पहली इमारत बनवाई थी, और वर्ष 337 हिजरी में मअद अल दौला आले बुयेह ने इसे पूरा किया था।[२६]

अस्करीयैन के रौज़े के साथ-साथ सर्दाब की मरम्मत और इसका पुनर्निर्माण अलग-अलग अवधियों में किया गया है;[२७] उदाहरण के लिए, वर्ष 1202 हिजरी में, जब अहमद खान दंबली ने अस्करीयैन के रौज़े की मरम्मत की, और उन्होंने सर्दाब के लिए एक आंगन बनवाया और इसके लिए एक नया रास्ता बनवाया।[२८] सर्दाब में नक्क़ाशी, टाइलिंग और अन्य वास्तुशिल्प कलाओं का उपयोग किया गया है।[२९]

3 मार्च, 2004 और 23 जून, 2006 को तकफ़ीरी आतंकवादियों की बमबारी में अस्करीयैन के रौज़े के विनाश के दौरान, सर्दाब को भी नुक़सान हुआ था।[३०]

फ़ुटनोट

  1. इब्ने ख़ल्दून, तारीख़े इब्ने ख़ल्दून, 1408 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 39।
  2. नूरी, कशफ़ अल अस्तार, मकतबा नैनवा अल हदीसिया, पृष्ठ 14।
  3. नूरी, कशफ़ अल अस्तार, मकतबा नैनवा अल हदीसिया, पृष्ठ 14; अमीन, आयान अल शिया, 1403 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 507।
  4. "सामर्रा के सर्दाब मुक़द्दस में इमाम ज़माना (अ) का स्थान", हौज़ा सूचना आधार।
  5. हुसैनी जलाली, मज़ाराते अहले बैत (अ) व तारीख़ोहा, 1415 हिजरी, पृष्ठ 141।
  6. क़ुमी, हदिया अल ज़ाएरीन, 1383 शम्सी, पृष्ठ 97।
  7. उदाहरण के लिए देखें: हम्वी, मोजम अल बुल्दान, 1995 ईस्वी, खंड 3, पृष्ठ 173; इब्ने हजर, अल-सवाएक अल मोहर्रक़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 482; इब्ने तैमिया, मिन्हाज अल सुन्नत, 1406 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 44।
  8. इब्ने ख़ल्दून, तारीख़े इब्ने ख़ल्दून, 1408 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 39; इब्ने हजर, अल सवाएक अल मुहर्रक़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 483।
  9. महल्लाती, मआसिर अल कुबरा फ़ी तारीख़ सामर्रा, 1384 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 23।
  10. साफ़ी गुलपायेगानी, नवेद अमन व अमान, 1390 शम्सी, पृष्ठ 116।
  11. साफ़ी गुलपायेगानी, नवेद अमन व अमान, 1390 शम्सी, पृष्ठ 117।
  12. सद्र, अल महदी (अज), 1398 हिजरी, पृष्ठ 164-165।
  13. नूरी, कशफ अल अस्टार, मकतबा नैनवा हदीसिया, पृष्ठ 14।
  14. अमीन, आयान अल शिया, 1403 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 507।
  15. मोअस्सास ए फ़र्हंगी इंतेज़ारे नूर, गुफ़तमाने महदवीयत, 1387 शम्सी, पृष्ठ 95।
  16. ख़ुस्रूशाही, "मसलह जहानी अज़ दीदगाहे शिया व अहले सुन्नत, 1386 शम्सी, मुक़द्दमा, पृष्ठ 17।
  17. अमीनी, दादगुस्तरी जहान, 1380 शम्सी, पृष्ठ 204।
  18. क़बादी, सर्दाब मुक़द्दस, पृष्ठ 48।
  19. क़ुमी, हदीया अल ज़ाएरीन, 1383 शम्सी, पृष्ठ 98।
  20. क़ुमी, हदीया अल ज़ाएरीन, 1383 शम्सी, पृष्ठ 98।
  21. सबाही, "बाबे ग़ैबत (सामर्रा में ग़ैबत का अध्याय) (सामर्रा के सर्दाब मुक़द्दस में एक उत्कृष्ट लकड़ी का दरवाज़ा, अब्बासी ख़िलाफ़त से बचा हुआ)" पृष्ठ 85।
  22. सबाही, "बाबे ग़ैबत (सामर्रा में ग़ैबत का अध्याय) (सामर्रा के सर्दाब मुक़द्दस में एक उत्कृष्ट लकड़ी का दरवाज़ा, अब्बासी ख़िलाफ़त से बचा हुआ)" पृष्ठ 85।
  23. सबाही, "बाबे ग़ैबत (सामर्रा में ग़ैबत का अध्याय) (सामर्रा के सर्दाब मुक़द्दस में एक उत्कृष्ट लकड़ी का दरवाज़ा, अब्बासी ख़िलाफ़त से बचा हुआ)" पृष्ठ 85।
  24. जाफ़री, "सामर्रा का सर्दाब और इसके आदाबे ज़ियारत"
  25. नूरी, कशफ अल अस्टार, मकतबा नैनवा हदीसिया, पृष्ठ 75-76; अमीन, आयान अल शिया, 1403 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 507।
  26. हुसैनी अरबी, "तारीख़चे सर्दाब मुक़द्दस", पृष्ठ 110।
  27. हुसैनी अरबी, "तारीख़चे सर्दाब मुक़द्दस", पृष्ठ 110।
  28. अमीन, आयान अल शिया, 1403 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 588।
  29. क़बादी, "सर्दाब मुक़द्दस", पृष्ठ 48।
  30. "अल सर्दाब अल मुक़द्दस", अल अस्करीयैन वेबसाइट।


स्रोत

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  • इब्ने हजर हैतमी, अहमद बिन मुहम्मद, अल सवाएक़ अल मोहर्रक़ा अला अहले अल रफ़्ज़ व अल ज़लाल वा अल जिंदिक़ा, अब्दुर्रहमान बिन अब्दुल्लाह अल तुर्की और कामिल मुहम्मद अल ख़रात द्वारा शोध, बेरूत, मोअस्सास ए अल रेसाला, 1417 हिजरी/1997 ईस्वी।
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  • "सामर्रा के सर्दाब मुक़द्दस में इमाम ज़माना अज्जल अल्लाह तआला फरजा अल-शरीफ का मक़ाम", हौज़ा सूचना आधार, प्रवेश की तारीख: 21 मई 2018, देखने की तारीख: 28 अगस्त 2019।
  • नूरी, मिर्ज़ा हुसैन, कशफ़ अल अस्तार अन वजह अल ग़ाएब अन अल अब्सार, तेहरान, मकतबा नैनवा अल हदीसिया, बी ता।