महदवीयत से संबंधित आयतो की सूची

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महदवीयत सें संबंधित आयतों की सूची (अरबीःآيات ذات صلة بالإمام المهدي (عج)) क़ुरआन की वह आयतें हैं जिनकी व्याख्या महदवीयत से संबंधित विषयों का उल्लेख करती है, जैसे कि हज़रत महदी (अ.त.) के आंदोलन, ज़ोहूर, गुप्तकाल और हज़रत महदी (अ.त.) के शासन की ओर इशारा करती है। इन आयतों की व्याख्या या तावील में अहले-बैत (अ) की हदीसो का हवाला दिया गया है।

क्रमांक आयत और अनुवाद आयत न तफ़सीर (व्याख्या)
1 وَلَقَدْ كَتَبْنَا فِي الزَّبُورِ‌ مِن بَعْدِ الذِّكْرِ‌ أَنَّ الْأَرْ‌ضَ يَرِ‌ثُهَا عِبَادِيَ الصَّالِحُونَ

वलक़द कत्बना फ़िज़ ज़बूरे मिम बादिज़ ज़िक्रे अन्नल अर्ज़ा यरेसोहा ईबादियस सालेहून

अनुवादः और वास्तव में हमने ज़बूर के पश्चात, तौरैत मे लिख दिया कि हमारे योग्य सेवक पृथ्वी के वारिस होंगे।

अम्बिया 105 इमाम बाक़िर (अ) से रिवायत है कि सालेहून का अर्थ आख़ेरुज ज़मान में हज़रत महदी (अ.त.) के साथी हैं।[१]
2 وَنُرِ‌يدُ أَن نَّمُنَّ عَلَى الَّذِينَ اسْتُضْعِفُوا فِي الْأَرْ‌ضِ وَنَجْعَلَهُمْ أَئِمَّةً وَنَجْعَلَهُمُ الْوَارِ‌ثِينَ

वा नोरीदो अन्ना मुन्ना अलल लज़ीनस तुज़ऐअफ़ू फ़िल अर्ज़े वा नजअलोहुम आइम्मतन वा नजअलोहोमुल वारेसीन

अनुवादः और हम चाहते है कि उन लोगो पर परोपकार करें जिन्हे पृथ्वी पर कमज़ोर कर दिया गया था और उन्हे नेता बनाएं और उन्हे पृथ्वी का वारिस बनाएं।

क़ेसस 5

आय ए हुकूमते मुस्तज़ऐफ़ीन

इमाम अली (अ) की एक हदीस मे अल लज़ीना इस्तुज़ऐअफ़ू की व्याख्या अहले-बैत से हुई है कि हज़रत महदी (अ.त.) अपने शत्रुओ को अपनानित करेंगे।[२]
3 وَعَدَ اللَّهُ الَّذِينَ آمَنُوا مِنكُمْ وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ لَيَسْتَخْلِفَنَّهُمْ فِي الْأَرْ‌ضِ...

वआदल्लाहुल लज़ीना आमनू मिनकुम वा अमेलुस सालेहाते लायसतख़लेफ़न्नहुम फ़िल अर्ज़े ...

अनुवादःजो लोग तुम मे से ईमान लाए और अच्छे कर्म किए अल्लाह ने उनसे वादा किया है कि वह उन्हे पृथ्वी पर इसी प्रकार उत्तराधिकारी बनाए...

नूर 55

आय ए इस्तिख़लाफ़

शेख़ तूसी के अनुसार, अहले बैत (अ) से रिवायत है कि यह आयत हज़रत महदी (अ.त.) से संबंधित है।[३]
4 ذَٰلِكَ الْكِتَابُ لَا رَ‌يْبَ ۛ فِيهِ ۛهُدًى لِّلْمُتَّقِينَ الَّذِينَ يُؤْمِنُونَ بِالْغَيْبِ وَيُقِيمُونَ الصَّلَاةَ وَمِمَّا رَ‌زَقْنَاهُمْ يُنفِقُونَ...

ज़ालेकल किताबो ला रैयबा फ़ीहे हुदल लिल मुत्तक़ीन अल लज़ीना यूमेनूना बिल ग़ैयबे वा योक़ीमूनस सलाता वा मिम्मा रज़क़नाहुम युनफ़ेक़ूना...

अनुवादः यह एक ऐसी किताब है जिसमें कोई संदेह नहीं है और यह पवित्र लोगों के लिए एक मार्गदर्शक है। जो लोग परोक्ष पर ईमान रखते हैं और नमाज़ पढ़ते हैं और जो कुछ हमने उन्हें प्रदान किया है उसमें से ख़र्च करते हैं।

बक़रा 1-3 आइम्मा (अ) की कुछ रिवायतो मे, इस आयत मे (ग़ैबत अर्थात गुप्तकाल) इमाम ग़ायब से व्याख्या की गई है।[४]
5 ... أَيْنَ مَا تَكُونُوا يَأْتِ بِكُمُ اللَّهُ جَمِيعًا ۚ...

...एयना मा तकूनू याते बेकोमुल्लाहो जमीअन...

अनुवादः तुम जहां भी होगे अल्लाह तुम सबको (जज़ा और सज़ा के लिए) एक स्थान पर ले आएगा।

बक़रा 148 इमाम सादिक़ (अ) से रिवायत है कि यह आयत क़ायम ए आले मुहम्मद और उनके साथीयो के बारे मे नाज़िल हुई है जो किसी वादे या किसी प्रकार की संधि के बिना एकत्रित होंगे।[५]
6 وَلَنَبْلُوَنَّكُم بِشَيْءٍ مِّنَ الْخَوْفِ وَالْجُوعِ وَنَقْصٍ مِّنَ الْأَمْوَالِ وَالْأَنفُسِ وَالثَّمَرَاتِ...

वले नबलोवन्नकुम बे शैइम मिनल ख़ौफ़े वल जूऐ वा नक़्सिम मिनल अमवाले वल अंफ़ोसे वस समाराते...

अनुवादः और हम ज़रूर तुम्हारी परिक्षा लेगें भय, खतर और कुछ भूख-प्यास और कुछ संपत्ति, प्राणो और फलो की हानि के साथ ...

बक़रा 155 इमाम सादिक़ (अ) ने एक रिवायत मे ज़ोहूर की निशानीया बयान करने के पश्चात इस आयत की तिलावत की।[६]
7 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اصْبِرُ‌وا وَصَابِرُ‌وا وَرَ‌ابِطُوا وَاتَّقُوا اللَّـهَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ

या अय्योहल लज़ीना आमनू इस्बेरू वा साबेरू वा राबेतू वत्तक़ुल्लाहा लाअल्लकुम तुफ़लेहून

अनुवादः हे विश्वासियों! धैर्य से काम लो और (काफ़िरों) पर शक्ति दिखाओ। और (धर्म की सेवा में) लगे रहो। ताकि तुम उन्नति करो (और इस लोक और परलोक में भी सफल हो जाओ)।

आले इमरान 200 इमाम बाक़िर (अ) की एक रिवायत मे इमाम ज़माना का इंतेज़ार करने वाले के कर्तव्यो मे से एक मुरातबा करना है।[७]
8 وَمَن يُطِعِ اللَّهَ وَالرَّ‌سُولَ فَأُولَـٰئِكَ مَعَ الَّذِينَ أَنْعَمَ اللَّـهُ عَلَيْهِم مِّنَ النَّبِيِّينَ وَالصِّدِّيقِينَ وَالشُّهَدَاءِ وَالصَّالِحِينَ ۚ وَحَسُنَ أُولَـٰئِكَ رَ‌فِيقًا

वा मय योतिइल्लाहा वर रसूला फ़उलाएका माअल लज़ीना अनअमल्लाहो अलैयहिम मिनन नबीईना वस सिद्दीक़ीना वश शोहादाए वस सालेहीना वा हसोना उलाएका रफ़ीक़ा

अनुवादः जो अल्लाह और रसूल (स) की आज्ञा मानेगा। तो उनके साथ ऐसे लोग होंगे जिन्हे अल्लाह ने विशेष इनाम दिया है। अर्थात् अम्बिया, सिद्दीक़ीन, शोहदा और सालेहीन और ये बहुत अच्छे मित्र हैं।

नेसा 69 इमाम सादिक़ (अ) ने एक कथन में, हसोना उलाएका रफ़ीक़ा से हज़रत क़ायम (अ.त.) तफसीर किया हैं।[८]
9 هُوَ الَّذِي أَرْ‌سَلَ رَ‌سُولَهُ بِالْهُدَىٰ وَدِينِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَ‌هُ عَلَى الدِّينِ كُلِّهِ وَلَوْ كَرِ‌هَ الْمُشْرِ‌كُونَ

होवल लज़ी अरसला रसूलहू बिल हुदा वदीनिल हक़्क़े लेयुज़्हेरहू अलद दीने कुल्लेही वलो करेहल मुशरेकून

अनुवादः वह (परमेश्वर) वही है जिसने अपने रसूल को मार्गदर्शन और सत्य के धर्म के साथ सभी धर्मों पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए भेजा, भले ही बहुदेववादियों ने उसे नापसंद किया।

तौबा 33

सफ़्फ़ 9

हज़रत महदी (अ.त.) के शासन में इस्लाम का वैश्वीकरण।[९]
10 وَذَكِّرْ‌هُم بِأَيَّامِ اللَّـهِ

वा ज़क्किरहुम बे अय्यामिल्लाहे

अनुवादः और उन्हें अल्लाह के विशेष दिनों की याद दिलाओ

इब्राहीम 5 इमाम बाकिर (अ) से रिवायत है कि अल्लाह के दिन तीन दिन हैं: वह दिन जब इमाम क़ायम आंदोलन करेंगे, रज्अत (वापसी) का दिन और क़यामत (पुनरुत्थान) का दिन।[१०]
11 َالَ رَ‌بِّ فَأَنظِرْ‌نِي إِلَىٰ يَوْمِ يُبْعَثُونَ قَالَ فَإِنَّكَ مِنَ الْمُنظَرِ‌ينَ إِلَىٰ يَوْمِ الْوَقْتِ الْمَعْلُومِ

क़ाला रब्बे फ़ंज़ुरनी इला यौमिय युबअसूना क़ाला फ़इन्नका मिनल मुंज़रीना एला यौमिल वक़्तिल माअलूमे

अनुवादः उसने कहाः ऐ मेरे रब! मुझे उस दिन तक मोहलत दे जब लोग फिर से जीवित किये जायेंगे। कहा, "वास्तव में, तू उन मोहलत पाने वालों में से हैं।" जिन्हे एक निश्चित समय तक मोहलत दी गई है।

हजर 36-38 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन के अनुसार इस आयत मे वक़्ते मालूम का अर्थ क़ायमे आले मुहम्मद का आंदोलन है।[११]
12 وَلَقَدْ آتَيْنَاكَ سَبْعًا مِّنَ الْمَثَانِي وَالْقُرْ‌آنَ الْعَظِيمَ

वलक़द आतयनाका सब्अम मिनल मसानी वल क़ुरआनल अज़ीमा

अनुवादः और हमने तुम्हें सात दोहराई जाने वाली आयतें और अज़ीम क़ुरआन भी दिया है।

हजर 87 इमाम बाक़िर (अ) की एक रिवायत मे सब्अम मिनल मसानी की व्याख्या इमामो और क़ुरआनल अज़ीम की व्याख्या इमाम जमान से हुई है।[१२]
13 ...وَمَن قُتِلَ مَظْلُومًا فَقَدْ جَعَلْنَا لِوَلِيِّهِ سُلْطَانًا فَلَا يُسْرِ‌ف فِّي الْقَتْلِ ۖ إِنَّهُ كَانَ مَنصُورً‌ا

वा मन क़ोतेला मज़लूमन फ़क़द जाअलना लेवलिय्येही सुलतानन फ़ला युसरिफ़ फ़िल क़त्ले इन्नहू काना मंसूरा—

अनुवादः ...और जो कोई अन्यायपूर्वक मारा जाता है, हमने उसके उत्तराधिकारी को (बदला लेने का) अधिकार दिया है, इसलिए उसे हत्या करने में सीमा से आगे नहीं बढ़ना चाहिए, निश्चित रूप से उसकी मदद की जाएगी।

इस्रा 33 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन के अनुसार यह आयत इमाम हुसैन (अ) और उनके ख़ूनख्वाह हजरत महदी (अ.त.) से संबंधित है।[१३]
14 وَقُلْ جَاءَ الْحَقُّ وَزَهَقَ الْبَاطِلُ ۚ إِنَّ الْبَاطِلَ كَانَ زَهُوقًا

वक़ुल जाअल हक़्क़ो व ज़हक़ल बातेलो इन्नल बातेला काना ज़हूक़ा

अनुवादः और कहिए! कि सत्य आ गया और असत्य मिट गया। वास्तव में, असत्य ही नष्ट होने वाला था।

इस्रा 81 इस आयत के विवरण के बारे मे है कि जब इमाम ज़माना (अ.त.) आंदोलन करेंगे तो बातिल हुकूमत समाप्त हो जाएगी।[१४]
15 يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا يُحِيطُونَ بِهِ عِلْمًا

याअलमो मा बैयना ऐयदीहिम वमा ख़लफ़हुम वला योहीतूना बेहि इल्मा

अनुवादः वह भविष्य और अतीत की घटनाओ को जानता है, लेकिन लोग इसे अपने ज्ञान से नहीं छिपा सकते।

ताहा 110 इमाम सादिक़ (अ) से रिवायत है कि वमा ख़लफ़हुम का अर्थ हज़रत महदी (अ.त.) से संबंधित समाचार है।[१५]
16 وَلَقَدْ عَهِدْنَا إِلَىٰ آدَمَ مِن قَبْلُ فَنَسِيَ وَلَمْ نَجِدْ لَهُ عَزْمًا

व लक़द आहदना एला आदमा मिन क़ब्लो फ़नसेया वलम नजिद लहू ज़मा

अनुवादः और हमने इससे पहले आदम के साथ एक समझौता किया था, लेकिन वह भूल गए और हमने उसमें दृढ़ संकल्प और दृढ़ता नहीं पाई।

ताहा 115 इमाम बाक़िर (अ) के एक कथन के अनुसार इस रिवायत के विवरण के बारे मे कहा गया है कि अल्लाह तआला ने अंबीया अलैहेमुस सलाम से अपनी रुबूबीयत, पैगंबर (स) की नबूवत, शियो के इमामो की इमामत का वचन लिया और इस बात का भी वचन लिया कि महदी (अ.त.) के माध्यम से धर्म की सहायता होगी उनके माध्यम से सरकार की स्थापना होगी और शत्रुओ से प्रतिशोध लिया जाएगा।[१६]
17 قُلْ كُلٌّ مُّتَرَ‌بِّصٌ فَتَرَ‌بَّصُوا ۖ فَسَتَعْلَمُونَ مَنْ أَصْحَابُ الصِّرَ‌اطِ السَّوِيِّ وَمَنِ اهْتَدَىٰ

क़ुल कुल्लम मुतारब्बेसन फ़तरब्बसू फ़सताअलमूना मन अस्हाबुस सेरातिस सविय्ये व मनेहतदा

अनुवादः आप कह दीजिए! कि हर किसी को अपने परिणाम की प्रतीक्षा है तो आप भी प्रतीक्षा कीजिए। शीघ्र ही तुम्हें पता चल जायेगा कि सीधे मार्ग वाले कौन हैं। और मार्गदर्शन किया हुआ कौन हैं?

ताहा 135 इमाम काज़िम (अ) के एक कथन मे सेरातिस सविय्ये (मध्यम मार्ग) हज़रत क़ायम (अ.त) को बताया गया है और मार्गदर्शन उस व्यक्ति का होगा जो उनकी बात मानता है।[१७]
18 وَكُنَّا نُكَذِّبُ بِيَوْمِ الدِّينِ حَتَّىٰ أَتَانَا الْيَقِينُ

वा कुन्ना नोकज़्ज़ेबो बेयौमिद दीने हत्ता आतानल यक़ीनो

अनुवादः और हम क़यामत के दिन को झुठलाते थे। यहाँ तक कि निश्चित चीज़ (मृत्यु) भी हमारे सामने आ गयी।

मुद्दस्सिर 46-47 यमिद दीन को क़ायम के दिन से और यक़ीन को हज़रत महदी (अ.त.) के ज़ोहूर से व्याख्या की गई है।[१८]
19 وَأَسْبَغَ عَلَيْكُمْ نِعَمَهُ ظَاهِرَ‌ةً وَبَاطِنَةً

वअस्बग़ा अलैकुम नेअमहू ज़ाहेरतन वा बातेनतन

अनुवादः और उसने तुम्हें अपनी सारी बाहरी और अंदरूनी नेमतें दीं

लुक़मान 20 इमाम मूसा काज़िम (अ) की एक रिवायत मे बातिनी नेमत को इमाम ग़ायब से व्याख्या हुई है।[१९]
20 وَلَئِن جَاءَ نَصْرٌ‌ مِّن رَّ‌بِّكَ لَيَقُولُنَّ إِنَّا كُنَّا مَعَكُمْ

वलाइन जाआ नसरुम मिर रब्बेका लयक़ूलुन्ना इन्ना कुन्ना माअकुम

अनुवादः और यदि तुम्हारे रब की ओर से तुम्हें कोई सहायता पहुँचे तो वे कहते हैं: हम भी तुम्हारे साथ थे।

अंकबूत 10 इमाम सादिक़ (अ) के कथन मे अल्लाह की मदद और नुसरत से मुराद हज़रत क़ायम (अ.त.) है।[२०]
21 وَيُرِ‌يدُ اللَّـهُ أَن يُحِقَّ الْحَقَّ بِكَلِمَاتِهِ وَيَقْطَعَ دَابِرَ‌ الْكَافِرِ‌ينَ لِيُحِقَّ الْحَقَّ وَيُبْطِلَ الْبَاطِلَ وَلَوْ كَرِ‌هَ الْمُجْرِ‌مُونَ

वा नोरीदुल्लाहो अन योहिक़्क़ल हक़्क़ा बेकलेमातेही वा यक़्तआ दाबेरल काफ़ेरीना लेयोहिक़्क़ल हक़्क़ा वा युबतेलल बातेला वलौ करेहल मुजरेमूना

अनुवादः और अल्लाह चाहता था कि अपनी बातों और आदेशों से सत्य को सिद्ध कर दे और काफ़िरों की जड़ काट दे। सच को सच और झूठ को झूठ के साथ दिखाया जाए, भले ही दोषी लोगों को यह कितना भी नापसंद हो (अर्थात भगवान चाहता था कि आपकी मुठभेड़ एक सशस्त्र समूह से हो)।

अनफ़ाल 7-8 इमाम बाक़िर (अ) की एक हदीस मे बातिल को समाप्त करने वाला इमाम ज़मान (अ.त.) को बताया गया है।[२१]
22 إِنَّ اللَّـهَ مُبْتَلِيكُم بِنَهَرٍ فَمَن شَرِبَ مِنْهُ فَلَيْسَ مِنِّي

इन्नल्लाहा मुब्तलीकुम बेनहरिन फ़मन शरबा मिन्हो फ़लैयसा मिन्नी

अनुवादः परमेश्वर एक नदी के द्वारा तुम्हारी परीक्षा लेनेवाला है (देखें), जो कोई व्यक्ति उस से पानी पीएगा, उसका मुझ से कोई संबंध न होगा।

बक़रा 249 इस आयत के अंतर्गत इमाम सादिक़ (अ) से रिवायत है कि इमाम ज़मान (अ.त.) के साथीयो का तालूत के साथीयो की भांति परखा जाएगा।[२२]
23 وَالْعَصْرِ‌ إِنَّ الْإِنسَانَ لَفِي خُسْرٍ‌

वल अस्रे इन्नल इंसाना लफ़ी ख़ुस्र

अनुवादः ज़माने की सौगंध है कि निश्चितरूप से प्रत्येक व्यक्ति हानि मे है।

अस्र 1-2 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन मे उल्लेखित है कि इस आयत मे अस्र का तात्पर्य हज़रत महदी (अ.त.) के ज़ोहूर और ख़ुरूज का समय है।[२३]
24 وَذَٰلِكَ دِينُ الْقَيِّمَةِ

वा ज़ालेका दीनुल क़य्येमते

अनुवादः और यही सबसे सही और सच्चा धर्म है।

बय्येना 5 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन अनुसार दीनुल क़्य्येमा का तात्पर्य हज़रत महदी (अ.त.) है।[२४]
25 سَلَامٌ هِىَ حَتَّىٰ مَطْلَعِ الْفَجْرِ‌

सलामुन हेया हत्ता मत्लाइल फ़ज्र

अनुवादः वह (रात) भोर तक पूर्ण सुरक्षा है।

क़द्र 5 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन के अनुसार, मत्लाइल फ़ज्र को हज़रत महदी (अ.त.) के तुलूअ ए फ़ज्र से ताबीर किया गया है।[२५]
26 وَالنَّهَارِ إِذَا تَجَلَّی

वन नहारे इज़ा तजल्ला

अनुवादः और सौगंध है उस दिन की जब वह उजियाला हो जाए।

लैल 2 इस आयत के अंतर्गत आइम्मा की कुछ रिवायतो के अनुसार दिन का तात्पर्य इमाम ज़माना (अ.त.) का ज़ोहूर है।[२६]
27 وَالنَّهَارِ إِذَا جَلَّاهَا

वन नहारे इज़ा जल्लाहा

अनुवादः और उस दिन की जब वह सूरज को चमका देगा।

शम्स 3 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन के अनुसार इस आयत मे दिन का तात्पर्. हज़रत क़ायम (अ.त.) है।[२७]
28 وَالْفَجْرِ

वल फ़ज्र

अनुवादः सैगंध है सुबह की।

फ़ज्र 1 इस आयत मे इमाम सादिक (अ) ने फ़ज्र के विवरण मे इमाम ज़माना (अ.त.) से किया है।[२८]
29 وَالسَّمَاءِ ذَاتِ الْبُرُوجِ

वस समा ए ज़ातिल बोरूजे

अनुवादः सौगंध है बुरजो (महलो) वाले आकाश की।

बुरूज 1 पैगंबर (स) से बयान हुआ है कि इस आ.त मे बोरूज आइम्मा है जिनमे सर्व प्रथम इमाम अली (अ) और अंतिम इमाम महदी (अ.त.) है।[२९]
30 هَلْ أَتَاک حَدِیثُ الْغَاشِیةِ وُجُوهٌ یوْمَئِذٍ خَاشِعَةٌ عَامِلَةٌ نَّاصِبَةٌ تَصْلَیٰ نَارًا حَامِیةً

हल अताका हदीसुल ग़ाशीयते वुजूहुइ यौमाएज़िन ख़ाशेअतुन आमेलतुन नासेबतुन तस्ला नारन हामीया

अनुवादः क्या तुम्हे ब्रहमाण पर छाजाने वाली (मुसीबत अर्थात क़यामत) का समाचार मिला है? उस दिन कुछ चेहरे अपमानित होंगे। जो मेहनत करेंगे वह थक जायेंगे। वे धधकती आग में गिरेंगे (और जल जायेंगे)।

ग़ाशीया 1-4 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन मे इस आयत को हज़रत महदी (अ.त.) से व्याख्या की गई है।[३०]
31 فَلَا أُقْسِمُ بِالْخُنَّسِ الْجَوَارِ‌ الْكُنَّسِ

फ़ला उक़्सेमो बिल ख़ुन्नसिल जवारिल कुन्नस

अनुवादः तो नहीं! मैं पीछे हटने वाले-सीधा चलने और छुप जाने वाले सितारो की

तकवीर 15-16 इमाम बाक़िर (अ) की एक हदीस के अनुसार यह आयत इमाम ज़माना (अ.त.) के गुप्तकाल और ज़ोहूर की ओर संकेत करती है।[३१]
32 فَذَٰلِكَ يَوْمَئِذٍ يَوْمٌ عَسِيرٌ‌ عَلَى الْكَافِرِ‌ينَ غَيْرُ‌ يَسِيرٍ‌

फ़ज़ालेका यौमाएज़िय यौमुन असीरुन अलल काफ़ेरीना ग़ैरो यसीर

अनुवादः तो वह दिन बड़ा कठिन होगा। और काफ़िरो पर सरल नही होगा।

मुद्दस्सिर 9-10 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन के अनुसार यह आयत इमाम ज़माना (अ.त.) के गुप्तकाल और ज़ोहूर की ओर संकेत करती है।[३२]
33 حَتَّىٰ إِذَا رَ‌أَوْا مَا يُوعَدُونَ فَسَيَعْلَمُونَ مَنْ أَضْعَفُ نَاصِرً‌ا وَأَقَلُّ عَدَدًا

हत्ता इज़ा रावा मा यूआदूना फ़सायअलमूना मन अज़्अफ़ो नासेरन वा अक़ल्लो अदादा

अनुवादः (ये लोग अपनी शरारतों से बाज़ नहीं आएंगे) जब तक वे यह न देख लें कि उन्हें किस (अज़ाब) का वादा किया जा रहा है, तो उन्हें मालूम हो जाएगा कि मददगार और संख्या के हिसाब से कमज़ोर कौन है।

जिन 24 इमाम काज़िम (अ) के एक कथन मे इस आयत का तात्पर्य इमाम जमाना (अ.त.) और उनके साथीयो से लिया गया है।[३३]
34 خَاشِعَةً أَبْصَارُ‌هُمْ تَرْ‌هَقُهُمْ ذِلَّةٌ ۚ ذَٰلِكَ الْيَوْمُ الَّذِي كَانُوا يُوعَدُونَ

ख़ाशेअतुन अब्सारोहुम तरहक़ोहुम ज़िल्लतुन ज़ालेकल यौमुल लज़ी कानू यूअलदून

अनुवादः उनकी आंखे झुकी हुई होगी (और) उनपर अपमान छाया हुआ होगा। यही वह दिन है जिसका उनसे वादा किया गया था।

मआरिज 44 इस आयत की व्याख्या मे इमाम बाक़िर (अ) फ़रमाते है कि रोज़े मौऊद का अर्थ हज़रत महदी (अ.त.) के ख़ुरूज और ज़ोहूर का दिन है।[३४]
35 وَالَّذِينَ يُصَدِّقُونَ بِيَوْمِ الدِّينِ

वल लज़ीना योसद्देक़ूना बेयौमिद दीन

अनुवादः और जो जज़ा और सज़ा के दिन की पुष्ठि करते है।

मआरिज 26 इमाम बाक़िर (अ) इस आयत के बारे मे फ़रमाते है कि रोज़ जज़ा का मतलब हज़रत क़ायम के ज़ोहूर और ख़ुरूज का दिन है।[३५]
36 ُلْ أَرَ‌أَيْتُمْ إِنْ أَصْبَحَ مَاؤُكُمْ غَوْرً‌ا فَمَن يَأْتِيكُم بِمَاءٍ مَّعِينٍ

क़ुल अरायतुम इन अस्बहा मावोकुम ग़ौरन फ़मन यातीकुम बेमाइम मईन

अनुवादः आप कहिए क्या तुमने विचार किया है कि अगर तुम्हार पानी पृथ्वी की तह मे उतर जाए तो फिर तुम्हारे लिए (मीठे पानी का) स्रोत कौन लाएगा?

मुल्क 30 आइम्मा (अ) ने इस आयत को हज़रत महदी (अ.त.) के ज़ोहूर और वैश्विक अदालत के रूप मे व्याख्या की है।[३६]
37 يُرِ‌يدُونَ لِيُطْفِئُوا نُورَ‌ اللَّهِ بِأَفْوَاهِهِمْ وَاللَّـهُ مُتِمُّ نُورِ‌هِ وَلَوْ كَرِ‌هَ الْكَافِرُ‌ونَ

योरिदूना लेयुत्फ़ेओ नूरल्लाहे बेअफ़वाहेहिम वल्लाहो मोतिम्मो नूरेही वलो करेहल काफ़ेरूना

अनुवादः यह लोग चाहते है कि अल्लाह के नूर को अपनी फूंको से बुझा दें हालांकि अल्लाह अपने नूर को पूर्ण करके रहेगा चाहे काफ़िर लोग नापसंद ही करें।

सफ़्फ़ 8 अल्लाह अपने नूर को पर्ण करके रहेगा के संबंध मे इमाम मूसा काज़िम (अ) से बयान हुआ है कि हज़रत क़ायम (अ.त.) की विलायत, कमाल के मरहले तक पहुंचेगी।[३७]
38 اعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ يُحْيِي الْأَرْ‌ضَ بَعْدَ مَوْتِهَا

एअलमू अन्नल्लाहा योहयिल अर्ज़ा बादा मौतेहा

अनुवादः भली भांति जान लो कि अल्लाह पृथ्वी को उसकी मौत के पश्चात जीवित करता है।

हदीद 17 इमाम बाक़िर (अ) की हदीस मे हज़रत महदी (अ.त.) के माध्यम से पृथ्वी जीवित करने से व्याख्या की गई है।[३८]
39 يُعْرَ‌فُ الْمُجْرِ‌مُونَ بِسِيمَاهُمْ فَيُؤْخَذُ بِالنَّوَاصِي وَالْأَقْدَامِ

योअरफ़ुल मुजरेमूना बेसीमाहुम फ़यूख़ज़ो बिन नवासी वल अकदाम

अनुवादः अपराधियों को उनके चेहरों से पहचाना जाएगा और फिर उन्हें उनके माथे और पैरों से पकड़ लिया जाएगा (और नरक में डाल दिया जाएगा)।

अल-रहमान 41 आंदोलन के दौरान अल्लाह तआला इमाम ज़माना (अ.त.) को चेहरो की पहचान प्रदान करेगा।[३९]
40 فَوَرَ‌بِّ السَّمَاءِ وَالْأَرْ‌ضِ إِنَّهُ لَحَقٌّ مِّثْلَ مَا أَنَّكُمْ تَنطِقُونَ

फ़रब्बिस समाए वल अर्ज़े इन्नहू लहक्क़ो मिस्ला मा अन्नकुम तनतेक़ून

अनुवादः आकाश और पृथ्वी के पालनहार की सौगंध है कि यह बात हक़ है जैसे कि तुम कहते हो।

ज़ारीयात 23 इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ) के एक कथन मे हक़ को इमाम ज़माना (अ.त.) के आंदोलन से वयाख्या हुई है।[४०]
41 وَاسْتَمِعْ يَوْمَ يُنَادِ الْمُنَادِ مِن مَّكَانٍ قَرِ‌يبٍ يَوْمَ يَسْمَعُونَ الصَّيْحَةَ بِالْحَقِّ ۚ ذَٰلِكَ يَوْمُ الْخُرُ‌وجِ

वस तमेओ यौमा योनादिल मुनादे मिम मकाने क़रीबिन यौमा यस्मऊनुस सैय्हता बिल हक़्क़े ज़ालेका यौमुल ख़ुरूज

अनुवादः और उस दिन को ध्यान से सुनो जब कोई उपदेशक बहुत निकट से बुलाएगा। जिस दिन सब लोग ऊंची आवाज सुनेंगे, वही कब्रों से निकलने का दिन होगा।

क़ाफ़ 41-42 इमाम सादिक़ (अ) की एक हदीस मे सैयहा को इमाम ज़माना (अ.त.) के नाम से और यौम अल ख़ुरूज को इमाम ज़माना (अ.त.) के आंदोलन से व्याख्या की गई है।[४१]
42 لَوْ تَزَيَّلُوا لَعَذَّبْنَا الَّذِينَ كَفَرُوا مِنْهُمْ عَذَابًا أَلِيمًا

लौ तज़्य्यलू लअज़्ज़बनल लज़ीना कफ़रू मिनहुम अज़ाबान अलीमा

अनुवादः यदि वे (ईमानवाले) अलग हो जाते तो हम उन (मक्का वाले) काफ़िरों को दुखद यातना देते।

फ़त्ह 25 इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत मे इस आयत का तात्पर्य पाखंडियों और कुफ़्फ़ार की सज़ा को उनके वंश मे मौजूद मोमिन लोगो के ज़ोहूर तक स्थागित होने को लिया है।[४२]
43 قُل لِّلَّذِينَ آمَنُوا يَغْفِرُ‌وا لِلَّذِينَ لَا يَرْ‌جُونَ أَيَّامَ اللَّـهِ لِيَجْزِيَ قَوْمًا بِمَا كَانُوا يَكْسِبُونَ

क़ुल लिल लज़ीना आमनू यग़फ़ेरू लिल लज़ीना ला यरजूना अय्यामल लाहे लेयजज़ेया क़ौमन बेमा कानू यकसेबून

अनुवादः ईमानवालों से कहो! कि वे उन लोगों को क्षमा कर दें जो अल्लाह के (विशेष) दिनों की आशा नहीं रखते, ताकि अल्लाह उन लोगों को उनके सभी कर्मों का प्रतिफल दे जो वे करते थे।

जासीया 14 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन मे इमाम ज़माना के आंदोलन को अय्यामुल्लाह क़रार दिया है।[४३]
44 هَلْ يَنظُرُ‌ونَ إِلَّا السَّاعَةَ أَن تَأْتِيَهُم بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُ‌ونَ

हल यंज़ोरूना इल्लस साअता अन तातीयहुम बग़ततन बहुम ला यशओरून

अनुवादः क्या ये लोग बस उन पर अचानक आने वाले प्रलय का इंतज़ार कर रहे हैं और उन्हें इसके बारे में पता भी नहीं चलेगा?

ज़ुख़रफ़ 66 साअता बग़तता का तात्पर्य इमाम बाक़िर (अ) की एक रिवायत मे इमाम ज़माना (अ.त.) का ज़ोहूर और कयाम लिया है।[४४]
45 وَلَمَنِ انتَصَرَ‌ بَعْدَ ظُلْمِهِ فَأُولَئِكَ مَا عَلَيْهِم مِّن سَبِيلٍ

वलमन तसारा बादा ज़ुल्मेही फ़उलाएका मा अलैहिम मिन सबील

अनुवादः और जो कोई कुकर्म करके बदला ले, उस पर कोई दोष नहीं है।

शूरा 41 तफ़सीर क़ुमी मे इमाम बाक़िर (अ) से एक हदीस बयान हुई है जिस मे आयत की तफसीर इमाम ज़माना (अ.त.) और असहाब का बनी उमय्या, झुठलाने वाले और नासिबयो से प्रतिशोध लेने से किया है।[४५]
46 مَن كَانَ يُرِ‌يدُ حَرْ‌ثَ الْآخِرَ‌ةِ نَزِدْ لَهُ فِي حَرْ‌ثِهِ ۖ وَمَن كَانَ يُرِ‌يدُ حَرْ‌ثَ الدُّنْيَا نُؤْتِهِ مِنْهَا وَمَا لَهُ فِي الْآخِرَ‌ةِ مِن نَّصِيبٍ

मन काना योरीदो हरसल आख़ेरते नज़िद लहू फ़ी हरसेही वामन काना योरीदो हरसद दुनिया नूतीहे मिन्हा वमा लहू फ़िल आख़ेरते मिन नसीब

अनुवादः जो कोई आख़िरत की खेती चाहता है, हम उसकी खेती बढ़ाते हैं, और जो कोई (केवल) दुनिया की खेती चाहता है, हम उसे उसमें से कुछ देते हैं, लेकिन आख़िरत में उसका कोई हिस्सा नहीं है।

शूरा 20 माल लहू फ़िल आख़ेरते मिन नसीब अर्थात हज़रत महदी (अ.त.) की सरकार मे कोई भागीदारी नही होगी।[४६]
47 سَنُرِ‌یهِمْ آیاتِنَا فِی الْآفَاقِ وَفِی أَنفُسِهِمْ حَتَّیٰ یتَبَینَ لَهُمْ أَنَّهُ الْحَقُ

सनोरीहिम आयातेना फ़िल आफ़ाक़े वफ़ी अनफ़ोसेहिम हत्ता यताबय्यना लहुम अन्नहुल हक़्क़

अनुवादः हम उन्हें ब्रह्मांड में और उनके भीतर संकेत (निशानीया) दिखाएंगे ताकि उन्हें यह स्पष्ट हो जाए कि वह (अल्लाह) हक़ है।

फ़ुस्सेलत 53 इमाम बाक़िर (अ) के कथन मे इस आयत को इमाम ज़माना (अ.त.) के ज़ोहूर और ख़ुरूज से व्याख्या की गई है।[४७]
48 لِّنُذِیقَهُمْ عَذَابَ الْخِزْی فِی الْحَیاةِ الدُّنْیا

लेनोज़ीक़हुम अज़ाबल ख़िज़ फ़िल हयातिद दुनिया

अनुवादः ताकि हम उन्हें सांसारिक जीवन में अपमानजनक यातना का स्वाद चखाएँ।

फ़ुस्सेलत 16 अजाबल खिज़ का तात्पर्य, इमाम ज़मान (अ.त) के आंदोलन पहले सरकश विरोधीयो दुनयावी अज़ाब लिया है।[४८]
49 وَأَمَّا ثَمُودُ فَهَدَینَاهُمْ فَاسْتَحَبُّوا الْعَمَیٰ عَلَی الْهُدَیٰ فَأَخَذَتْهُمْ صَاعِقَةُ الْعَذَابِ الْهُونِ بِمَا کانُوا یکسِبُونَ

वा अम्मा समूदो फ़हदयनाहुम फ़स्तहब्बुल अमा अलल हुदा फ़अख़ाज़तहुम साएक़तुल अज़ाबिल हूने बेमा कानू यकसेबून

अनुवादः रहे समूद! हमने उन्हें हिदायत दी लेकिन उन्होंने हिदायत की जगह अंधेपन (गुमराही) को तरजीह दी। तो जो कुछ वे करते थे उसके बदले में उन पर अपमान की सज़ा का कहर टूट पड़ा।

फ़ुस्सेलत 17 इमाम सादिक़ (अ) ने इस आयत मे समूद को शिया का एक समूह (जिन्होने समूद की तरह वही की सत्यता को झुठलाया) और साएक़ा को ज़ोहूर के समय तलवार से व्याख्या की है।[४९]
50 وَأَشْرَ‌قَتِ الْأَرْ‌ضُ بِنُورِ‌ رَ‌بِّهَا

वा अशरक़तिल अर्ज़ो बेनूरे रब्बेहा

अनुवादः और पृय्वी अपने रब के प्रकाश से चमक उठेगी

ज़ुमर 69 इमाम सादिक (अ) से बयान हुआ है कि पृथ्वी के पालहार, अर्थात ज़मीन के इमाम के ज़ोहूर के बाद लोग आप के नूर से लाभानवित होंगे और दूसरो से बेनियाज़ होंगे।[५०]
51 وَلَتَعْلَمُنَّ نَبَأَهُ بَعْدَ حِینٍ

वला ताअलमुन्ना नबाहो बादा हीन

अनुवादः और आपको इसके बारे में कुछ समय बाद पता चल जाएगा।

साद 88 इमाम बाक़िर (अ) की एक रिवायत मे वलाताअलमुन्ना से हज़रत क़ायम (अ.त.) के ख़ुरूज के समय लिया गया है।[५१]
52 وَإِنَّ مِن شِيعَتِهِ لَإِبْرَ‌اهِيمَ

वा अन्ना मिन शीअतेही लइब्राहीम

अनुवादः और उन्ही (नूह) के अनुयायीयो मे से इब्राहीम भी थे।

साफ़्फ़ात 83 आइम्मा और विशेष रूप से हज़रत महदी (अ.त.) और उनके शियो के गुणो से संबंधित है।[५२]
53 وَلَوْ تَرَ‌ىٰ إِذْ فَزِعُوا فَلَا فَوْتَ وَأُخِذُوا مِن مَّكَانٍ قَرِ‌يبٍ

वलौ तरा इज़ फ़ज़ऊ फ़ला फ़ौता वअख़ेज़ू मिम मकाने क़रीब

अनुवादः और काश आप देख पाते कि जब ये लोग दहशत की स्थिति में होंगे तो भागने का कोई रास्ता नहीं होगा और उन्हें निकटतम स्थान से पकड़ लिया जाएगा।

सबा 51 बिहार उल अनवार मे पैगंबर (स) और इमाम बाक़िर (अ) से कुछ रिवायते बयान हुई है जिनमे उन आयतो के मसादीक़ मे से एक इमाम महदी (अ.त.) के आंदोलन के दौरान सुफ़यानीयो का ख़ुरूज है।[५३]
54 ُلْ يَوْمَ الْفَتْحِ لَا يَنفَعُ الَّذِينَ كَفَرُ‌وا إِيمَانُهُمْ وَلَا هُمْ يُنظَرُ‌ونَ

क़ुल यौमल फ़्तहे ला यंफ़ाउल लज़ीना कफ़रू ईमानोहुम वला हुम युंज़रून

अनुवादः कह दें कि विजय (निर्णय) के दिन काफ़िरों को उनके ईमान से कोई फ़ायदा नहीं होगा और न ही उन्हें मोहलत दी जाएगी।

सज्दा 29 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन अनुसार विजय और सफ़लता के दिन का तात्पर्य वह दिन है जिस दिन हज़रत महदी (अ.त.) पर दुनिया पेश की जाएगी।[५४]
55 وَلَنُذِيقَنَّهُم مِّنَ الْعَذَابِ الْأَدْنَىٰ دُونَ الْعَذَابِ الْأَكْبَرِ‌ لَعَلَّهُمْ يَرْ‌جِعُونَ

वला नोज़ीक़न्नहुम मिनल अज़ाबिल अदना दूनल अज़ाबिल अकबरे लअल्लहुम यरजेऊन

अनुवादः और हम उन्हें बड़ी यातना से पहले छोटी यातना का स्वाद चखाएँगे, ताकि वे बाज़ आ जाएं।

सज्दा 21 इमाम सादिक़ (अ) की एक हदीस मे अज़ाबे अकबर का तात्पर्य आख़री ज़माने मे हज़रत महदी (अ.त.) का तलवार से खुरूज करना है।[५५]
56 وَیوْمَئِذٍ یفْرَ‌حُ الْمُؤْمِنُونَ

वयौमाएज़िन यफ़रहुल मोमेनून

अनुवादः और उस दिन ईमानवाले प्रसन्न होंगे।

रूम 4 इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत के अनुसार इस आयत से मुराद उस दिन मोमिनो का हजरत इमाम महदी (अ.त.) के आंदोलन और ज़ोहूर पर प्रसन्न होना है।[५६]
57 إِن نَّشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِم مِّنَ السَّمَاءِ آيَةً فَظَلَّتْ أَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِينَ

इन नशा नोनज़्ज़िल अलैहिम मिनस समाए आयतन फ़ज़ल्लत आअनाक़ोहुम लहा ख़ाज़ेईन

अनुवादः अगर हम चाहें तो उन पर आसमान से कोई निशानी उतार दें जिसके आगे उनकी गर्दनें झुक जाएँ।

शौअरा 4 इमाम बाक़िर (अ) से बयान हुआ है यह आयत क़ायम ए आले मुहम्मद के बारे नाज़िल हुई है जिसाक नाम आकाश की ओर से घोषित होगा।[५७]
58 أَفَرَ‌أَيْتَ إِن مَّتَّعْنَاهُمْ سِنِينَ ﴿٢٠٥﴾ ثُمَّ جَاءَهُم مَّا كَانُوا يُوعَدُونَ ﴿٢٠٦﴾ مَا أَغْنَىٰ عَنْهُم مَّا كَانُوا يُمَتَّعُونَ

अफ़रएयता इम मत्तानाहुम सेनीना (205) सुम्मा जाअहुम मा कानू यूअदूना (206) मा अग़ना अनहुम मा कानू योमत्तेऊन

अनुवादः क्या आप देखते हैं कि क्या हम उन्हें कई वर्षों तक लाभ उठाने का मौका देंगे? फिर उन पर वह सज़ा आएगी जिसकी उन्हें धमकी दी गई थी। इसलिए वे सभी उपकरण जिनका वे आनंद ले रहे हैं, उनकी मदद नहीं करेंगे।

शौअरा 205-207 इमाम सादिक़ (अ) से वर्णित एक रिवायत मे मा कानू यूअदून को इमाम ज़मान (अ.त.) के आंदोलन और ज़ोहुर से और मा कानू योमत्तेऊन को बनी उमय्या से व्याख्या की गई है।[५८]
59 اللَّـهُ نُورُ‌ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْ‌ضِ ۚ مَثَلُ نُورِ‌هِ كَمِشْكَاةٍ فِيهَا مِصْبَاحٌ ۖ الْمِصْبَاحُ فِي زُجَاجَةٍ ۖ الزُّجَاجَةُ كَأَنَّهَا كَوْكَبٌ دُرِّ‌يٌّ يُوقَدُ مِن شَجَرَ‌ةٍ مُّبَارَ‌كَةٍ زَيْتُونَةٍ لَّا شَرْ‌قِيَّةٍ وَلَا غَرْ‌بِيَّةٍ يَكَادُ زَيْتُهَا يُضِيءُ وَلَوْ لَمْ تَمْسَسْهُ نَارٌ‌ ۚ نُّورٌ‌ عَلَىٰ نُورٍ‌ ۗ يَهْدِي اللَّـهُ لِنُورِ‌هِ مَن يَشَاء

अल्लाहो नूरिस समावाते वल अर्ज़े मसालो नूरेही कमिश्कातिन फ़ीहा मिस्बाहुन अल मिस्बाहो फ़ी ज़ुजाजते अल ज़ुजाजतो कअन्नहा कोकबुद दुर्री यूक़दो मिन शजरतिम मुबारकते ज़ैतूनते ला शरक़ीय्यते वाल मग़रबीय्यते यकादो ज़ैयतोहा योज़ीओ वलो लम तमससहो नार, नूरुन अलन नूर, याहदियल्लाहो लेनूरेही मय यशाओ

अनुवादः अल्लाह आकाशों और धरती की रोशनी है। इसकी रोशनी की मिसाल एक काँच में रखे हुए दीये की तरह है (और) काँच की लालटेन में दीया है। और (वह) दीपक मोती के समान चमकने वाले तारे के समान है (और वह दीपक) जैतून के तेल से जलता है। जो न तो पूर्वी है और न ही पश्चिमी, वह इतना करीब है कि उसका तेल अनायास ही जल उठता है, भले ही आग उसे छू न सके। यह प्रकाश से भी ऊपर प्रकाश है। अल्लाह जिसे चाहता है अपनी रोशनी की ओर मार्गदर्शन करता है।

नूर 35 एक हदीस मे यहदी अल अल्लाहो लेनूरेही मय यशा को हज़रत महदी (अ.त.) से व्याख्या की गई है।[५९]
60 الَّذِينَ إِن مَّكَّنَّاهُمْ فِي الْأَرْ‌ضِ أَقَامُوا الصَّلَاةَ وَآتَوُا الزَّكَاةَ وَأَمَرُ‌وا بِالْمَعْرُ‌وفِ وَنَهَوْا عَنِ الْمُنكَرِ‌ ۗ وَلِلَّـهِ عَاقِبَةُ الْأُمُورِ

अल लज़ीना इम मक्कन्नाहुम फ़िल अर्ज़े अकामुस सलाता वाआतुज़ ज़काता ‌वामरू बिल मारूफ़े वानहो अनिल मुंकरे वल्लाहे आक़ेबतुल उमूर

अनुवादः ये वो लोग हैं कि अगर हम उन्हें ज़मीन पर इख्तियार दें तो वो नमाज़ क़ायम करेंगे, ज़कात देंगे, अच्छाई का हुक्म देंगे और बुराई से रोकेंगे, और हर काम का अंजाम अल्लाह के हाथ में है।

हज 41 कुछ रिवायतो मे इस आयत को इमाम महदी (अ.त.) और उनके सहायको से व्याख्या की गई है।[६०]
61 وَيَقُولُونَ لَوْلَا أُنزِلَ عَلَيْهِ آيَةٌ مِّن رَّ‌بِّهِ ۖ فَقُلْ إِنَّمَا الْغَيْبُ لِلَّـهِ فَانتَظِرُ‌وا إِنِّي مَعَكُم مِّنَ الْمُنتَظِرِ‌ينَ

वा यक़ूलूना लौला अंज़ला अलैहे आयतुम मिर रब्बेही फ़क़ुल इन्नमल ग़ैयबो लिल्लाहे फ़ंतज़ेरू इन्नी मआकुम मिल मुंतज़ेरीन

अनुवादः और ये लोग कहते हैं कि उनके रब की ओर से उन पर कोई निशानी क्यों नहीं उतरी? कह दो कि परोक्ष का ज्ञान केवल अल्लाह के पास है, अतः प्रतीक्षा करो। मैं भी आपके साथ इंतजार करने वालों में से हूं।

यूनुस 20 इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत मे ग़ैब का तात्पर्य हज़रत महदी (अ.त.) लिया है।[६१]
62 أَفَأَمِنَ الَّذِينَ مَكَرُ‌وا السَّيِّئَاتِ أَن يَخْسِفَ اللَّـهُ بِهِمُ الْأَرْ‌ضَ أَوْ يَأْتِيَهُمُ الْعَذَابُ مِنْ حَيْثُ لَا يَشْعُرُ‌ونَ

अफ़ा अमेनल लज़ीना मकरूस सय्येआते अन तख़सेफ़ल्लाहो बेहेमुल अर्ज़ा औ यातेयाहोमुल अज़ाबो मिन हयसोला यशओरून

अनुवादः क्या जो लोग (पैगंबर के विरुद्ध) बुरी योजनाएँ और षडयंत्र रच रहे हैं वे इस बात से संतुष्ट हैं कि अल्लाह उन्हें धरती में डुबा देगा या उन पर ऐसी सज़ा आएगी जिसका उन्हें अंदाज़ा भी नहीं होगा?

नहल 45 इस आयत के विवरण के संबंध मे इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत मे आले मुहम्मद के एक पुरूष और 313 उनके साथीयो तथा ख़स्फ़े बैयदा की ओर संकेत किया गया है।[६२]
63 أَتَىٰ أَمْرُ‌ اللَّهِ فَلَا تَسْتَعْجِلُوهُ ۚ سُبْحَانَهُ وَتَعَالَىٰ عَمَّا يُشْرِ‌كُونَ

अता अमरुल्लाहे फ़ला तस्ताअजेलूहो सुब्हानहू वा तआला अम्मा युशरेकून

अनुवादः अल्लाह का हुक्म (अज़ाब) आ चुका है, तो इसमें जल्दबाज़ी न करो, यह पाक है और उससे बेहतर है जिसे वे इसमें शरीक करते हैं।

नहल 1 इमामो के कथनो मे अमरुल्लाह का अर्थ इमाम ज़माना (अ.त.) के ज़ोहूर को लिया है।[६३]
64 حَتَّىٰ إِذَا اسْتَيْأَسَ الرُّ‌سُلُ وَظَنُّوا أَنَّهُمْ قَدْ كُذِبُوا جَاءَهُمْ نَصْرُ‌نَا فَنُجِّيَ مَن نَّشَاءُ ۖ وَلَا يُرَ‌دُّ بَأْسُنَا عَنِ الْقَوْمِ الْمُجْرِ‌مِينَ

हत्ता एज़स तयअसर रोसोलो वा ज़न्नू अन्नहुम क़द कज़ेबू जाअहुम नस्रोना फ़नुज्जेया मन नशाओ वला योरद्दो बासोना अनिल कौमिल मुजरेमीन

अनुवादः यहां तक कि जब प्रेरित निराश होने लगे और उन्होंने सोचा कि (शायद) उनसे झूठ बोला गया है। तो (अचानक) हमारी मदद उन तक पहुंच गई, तो जिसे हम चाहते थे वह बच गया, और अपराधियों से हमारी सजा टल नहीं सकती।

यूसुफ़ 110 हज़रत अली (अ) की एक रिवायत मे वर्णन हुआ है कि ग़ैब के दौरान मोमिनो की स्थिति बहुत गंभीर होगी यहां तक कि अल्लाह तआला की सहायता (इमाम ज़माना का ज़ोहूर) के माध्यम से कठिनाईया दूर होगी।[६४]
65 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُوا اللَّـهَ وَأَطِيعُوا الرَّ‌سُولَ وَأُولِي الْأَمْرِ‌ مِنكُمْ

या अय्योहल लज़ीना आमनू अती उल्लाहा वा अती उर्रसूला वा ऊलिल अमरे मिन्कुम

अनुवादः ऐ ईमान वालो, अल्लाह की आज्ञापालन करो और रसूल और उन लोगों का आज्ञापालन करो जो तुम्हारे बीच वली है।

नेसा 59 इस आयत की व्याख्या मे ग़ैब के पर्दे मे मौजूद इमाम के लाभ को बादल के पीछे मौजूद सूर्य से तुलना की गई है कि जनता सूर्य के प्रकाश से लाभांवित होती है जबकि वह बादल के पीछे छुपा होता है।[६५]
66 وَلَهُ أَسْلَمَ مَن فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْ‌ضِ طَوْعًا وَكَرْ‌هًا وَإِلَيْهِ يُرْ‌جَعُونَ

वालहू अस्लमा मन फ़िस समावाते वल अर्ज़े तौअन वाकरहन वा इलैहे युरजऊन

अनुवादः वे सभी जो आकाश और पृथ्वी में हैं, स्वेच्छा से या अप्रसन्नता से उसके अधीन हैं, और अंततः सभी उसे वापस कर दिए जाएंगे।

आले इमरान 83 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन मे इस आयत को इमाम ज़माना (अ.त.) के ज़ोहूर और आपके माध्यम से सबका मार्गदर्शन होने की ओर संकेत है।[६६]
67 َوْمَ يَأْتِي بَعْضُ آيَاتِ رَ‌بِّكَ لَا يَنفَعُ نَفْسًا إِيمَانُهَا لَمْ تَكُنْ آمَنَتْ مِن قَبْلُ أَوْ كَسَبَتْ فِي إِيمَانِهَا خَيْرً‌ا ۗ قُلِ انتَظِرُ‌وا إِنَّا مُنتَظِرُ‌ونَ

यौमा याती बाअज़ो आयाते रब्बेका ला यनफ़ओ नफ़्सन ईमानोहा लम तकुन आमानत मिन क़ब्लो औ कसाबत फ़ी ईमानेहा ख़ैयरन क़ोलिन तज़ेरू इन्ना मुंतज़ेरून

अनुवादः जिस दिन तुम्हारे रब की ओर से कुछ निशानियाँ आएँगी, उस दिन ईमान लाने से उस व्यक्ति को कोई लाभ नहीं होगा जो न पहले ईमान लाया हो और न अपने ईमान से कोई भलाई अर्जित की हो। उन्हें भी इंतज़ार करने को कहो। हम भी इंतज़ार करते हैं।

इन्आम 158 इमाम सादिक़ (अ) की रिवायत के अनुसार, यौमा याती बाअज़ो आयाते रब्बेका मे यौम का अर्थ इमाम ज़माना (अ.त.) के ज़ोहूर का दिन है।[६७]
68 وَمِن قَوْمِ مُوسَىٰ أُمَّةٌ یهْدُونَ بِالْحَقِّ وَبِهِ یعْدِلُونَ

वा मिन क़ौमे मूसा उम्मतुन यहदूना बिल हक़्क़े वाबेही याअदेलून

अनुवादः और मूसा की क़ौम में एक ऐसा गिरोह है जो लोगों को सीधा रास्ता दिखाता है, और सच्चाई से न्याय करता है।

आराफ़ 158 इमाम सादिक़ (अ) के एक कथन अनुसार, हज़रत मूसा की कौम के कुछ मोमेनीन हज़रत महदी (अ.त.) के यार और अंसार मे से होंगे।[६८]
69 قَالَ لَوْ أَنَّ لِي بِكُمْ قُوَّةً أَوْ آوِي إِلَىٰ رُكْنٍ شَدِيدٍ

क़ाला लौ अन्ना ली बेकुम क़ुव्वतन औ आवी एला रुकनिन शदीद

अनुवादः लूत ने कहा, "काश मेरे पास तुमसे लड़ने की ताकत होती या मैं एक मजबूत नींव पर भरोसा कर पाता।"

हूद 80 इमाम सादिक़ (अ) ने क़ुव्वतन को हज़रत महदी (अ.त.) की शक्ति और रुकने शदीद को आपके यार और अंसार से व्याख्या की है।[६९]
70 أُذِنَ لِلَّذِينَ يُقَاتَلُونَ بِأَنَّهُمْ ظُلِمُوا ۚ وَإِنَّ اللَّـهَ عَلَىٰ نَصْرِ‌هِمْ لَقَدِيرٌ‌

अज़ेना लिल्लज़ीना योक़ातेलूना बेअन्नहुम ज़ोलेमू वा अन्नल्लाहा अला नस्रेहिम लाक़दीर

अनुवादः उन उत्पीड़ितों को रक्षात्मक जिहाद की अनुमति दी गई है जो इस आधार पर लड़े जा रहे हैं कि उनके साथ अन्याय हुआ है। और निस्संदेह अल्लाह उनकी सहायता करने में समर्थ है।

हज 30 इमाम सादिक़ (अ) इस आयत को हज़रत महदी (अ.त.) के संबंध मे करार देते है क्योकि जब इमाम हुसैन (अ) के खून के प्रतिशोध के लिए उठ ख़ड़े होंगे।[७०]
71 إِنَّهُمْ يَكِيدُونَ كَيْدًا وَأَكِيدُ كَيْدًا فَمَهِّلِ الْكَافِرِينَ أَمْهِلْهُمْ رُوَيْدًا

इन्नहुम यकीदूना कयदन वा अकीदो कयदन फ़माहेलिल काफ़ेरीना अमहिलहुम रूवयदा

अनुवादः वास्तव में, वे (काफिर) चालें चल रहे हैं। और मैं भी (उनके खिलाफ) चाल खेल रहा हूं.' तो (हे अल्लाह के रसूल) उन्हें (काफिरों को) मोहलत दो, उन्हें थोड़ी मोहलत दो।

तारिक़ 15-17 इमाम सादिक से वर्णित है कि काफ़िरो को मोहलत देने का तात्पर्य यह है कि इमाम के ज़ोहूर और ख़ुरूज तक उनको मोहलत दी जाए। [७१]
72 أَمَّن يُجِيبُ الْمُضْطَرَّ‌ إِذَا دَعَاهُ وَيَكْشِفُ السُّوءَ وَيَجْعَلُكُمْ خُلَفَاءَ الْأَرْ‌ضِ ۗ أَإِلَـٰهٌ مَّعَ اللَّـهِ ۚ قَلِيلًا مَّا تَذَكَّرُ‌ونَ

अम्मइ योजीबुल मुज़्तर्रा इज़ा दआहो वा यकशेफ़ुस सूअ वा यजअलोहुम ख़ोलाफ़ाअल अर्ज़े आ एलाहुम मआल्लाहे क़लीलम मा तज़क्करून

अनुवादः वह कौन है जो हताश और अनिर्णीत लोगों की प्रार्थना स्वीकार करता है? वह इसे कब बुलाता है? और उसके दुख-दर्द को दूर करता है? और तुम्हें धरती में (दूसरों का) उत्तराधिकारी बनाता है? क्या अल्लाह के साथ कोई और भगवान है? नहीं - बल्कि इन लोगों को बहुत कम सलाह मिलती है।

नम्ल 62 कुछ हदीसो मे यह आयत हज़रत महदी (अ.त.) के आंदोलन से व्याख्या हुई है। और मुज़्तर से भी इमाम ज़माना (अ.त.) अर्थ लिया गया है।[७२]

फ़ुटनोट

  1. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 327
  2. तूसी, अल ग़ैयबा, 1411 हिजरी, पेज 184
  3. तूसी, अल तिबयान, दार एहया अल तुरास अल अरबी, भाग 7, पेज 457
  4. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 1, पेज 18
  5. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 8, पेज 313
  6. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 52, पेज 229
  7. नौअमानी, अल ग़ैयबा, 1397 हिजरी, पेज 199
  8. क़ुमी, तफ़सीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 1, पेज 142-143
  9. फ़ैज़ काशानी, तफ़सीर अल साफ़ी, 1415 हिजरी, भाग 2, पेज 338
  10. बहरानी, अल बुरहान, 1374 शम्सी, भाग 3, पेज 286
  11. अय्याशी, तफ़सीर अल अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 2, पेज 242
  12. अय्याशी, तफ़सीर अल अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 2, पेज 250
  13. इब्ने क़ूलवय, कामिल अल ज़ियारात, 1356 शम्सी, पेज 63
  14. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 8, पेज 287
  15. क़ुमी, तफ़सीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 65
  16. सफ़्फ़ार क़ुमी, बसाइर अल दरजात, 1404 हिजरी, भाग 1, पेज 70
  17. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 317
  18. कूफ़ी, तफ़सीर फ़रात अल कूफ़ी, 1410 हिजरी, पेज 658
  19. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 368
  20. क़ुमी, तफ़सीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 149
  21. अय्याशी, तफ़सीर अल अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 2, पेज 50
  22. नौअमानी, अल ग़ैयबा, 1397 हिजरी, पेज 316
  23. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 656
  24. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 801
  25. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 794
  26. क़ुमी, तफ़सीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 425
  27. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 778
  28. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 778
  29. मुफ़ीद, अल इख़्तेसास, 1413 हिजरी, पेज 224
  30. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 8, पेज 50
  31. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1 पेज 341
  32. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 343
  33. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 343
  34. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 701
  35. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 8, पेज 287
  36. उरूसी हुवैज़ी, नूर अल सक़्लैन, 1415 हिजरी, भाग 5, पेज 387
  37. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 432
  38. उरूसी हुवैज़ी, नूर अल सक़्लैन, 1415 हिजरी, भाग 5, पेज 242
  39. सफ़्फ़ार क़ुमी, बसाइर अल दरजात, 1404 हिजरी, भाग 1, पेज 356
  40. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 596
  41. क़ुमी, तफ़सीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 327
  42. उरूसी हुवैज़ी, नूर अल सक़्लैन, 1415 हिजरी, भाग 5, पेज 70
  43. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 558-559
  44. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 552
  45. क़ुमी, तफ़सीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 287
  46. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1 पेज 436
  47. नौअमानी, अल ग़ैयबा, 1397 हिजरी, पेज 269
  48. नौअमानी, अल ग़ैयबा, 1397 हिजरी, पेज 269
  49. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 777
  50. फ़ैज़ काशानी, तफसीर अल साफ़ी, 1415 हिजरी, भाग 4, पेज 331
  51. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 8, पेज 287
  52. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 486
  53. अय्याशी, तफ़सीर अल अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 2, पेज 57
  54. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 438
  55. बहरानी, अल बुरहान, 1374 शम्सी, भाग 4, पेज 401
  56. तबरी, दलाइल अल इमामा, 1413 हिजरी, पेज 464-465
  57. उस्तराबादी, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा, 1409 हिजरी, पेज 383-384
  58. यज़्दी हाएरी, इलज़ाम अल नासिब, 1422 हिजरी, भाग 1, पेज 79
  59. बहरानी, अल मोहज्जा फ़ीमा नज़ाला फ़िल क़ायम अल हुज्जा (अ), 1427 हिजरी, पेज 159
  60. क़ुमी, तफ़सीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 87
  61. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 1, पेज 18
  62. अय्याशी, तफ़सीर अल अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 1, पेज 65-66
  63. नौअमानी, अल ग़ैयबा, 1397 हिजरी, पेज 198
  64. तबरी, दलाइल अल इमामा, 1413 हिजरी, पेज 471
  65. ख़ज़ाज़ क़ुमी, किफ़ाया अल असर, 1401 हिजरी, पेज 54-55
  66. अय्याशी, तफ़सीर अल अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 1, पेज 13
  67. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 357
  68. अय्याशी, तफ़सीर अल अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 2, पेज 32
  69. अय्याशी, तफ़सीर अल अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 2 पेज 157
  70. यज़्दी हाएरी, इलज़ाम अल नासिब, 1422 हिजरी, भाग 2, पेज 277
  71. क़ुमी, तफ़सीर अल क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 416
  72. उरूसी हुवैज़ी, नूर अल सक़्लैन, 1415 हिजरी, भाग 4, पेज 94

स्रोत

  • इब्ने क़ूलवह, जाफ़र बिन मुहम्मद, कामिल अल ज़ियारात, संशोधनः अब्दुल हुसैन अमीनी, नजफ़, दार अल मुर्तज़वीया, 1356 शम्सी
  • उस्तराबादी, अली, तावील अल आयात अल ज़ाहेरा फ़ी फ़ज़ाइल अल इत्रतित ताहेरा, संशोधनः हुसैन वली, क़ुम, मोअस्सेसा अल नशर अल इस्लामी, 1409 हिजरी
  • बहरानी, सय्यद हाशिम बिन सुलैमान, अल बुरहान फ़ी तफ़सीर अल क़ुरआन, क़ुम, मोअस्सेसा बेसत, 1374 शम्सी
  • बहरानी, सय्यद हाशिम बिन सुलैमान, अल मोह्जा फ़ीमा नज़ाला फ़िल क़ायमिल हुज्जा, शोधः तालिब ज़की, क़ुम, दार अल मवद्दा, 1427 हिजरी
  • ख़ज़ाज़ राज़ी, अली बिन मुहम्मद, किफायतुल असर फ़िन नस्से अलल आइम्मातिल इश्ना अशर, संशोधनः अब्दुल लतीफ़ कूहमरी, बेदार, कुम, 1401 हिजरी
  • सदूक़, मुहम्मद बिन अली, कमालुद्दीन वा तमाम अल नेअमा, संशोधनः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी, तेहरान, इस्लमीया, 1395 हिजरी
  • सफ़्फ़ार, मुहम्मद बिन हसन, बसाइर अल दरजात फ़ी फ़ज़ाइल आले मुहम्मद, संशोधनः मोहसिन बिन अब्बस अली कूचाबाग़ी, क़ुम, मकतब आयतुल्लाह अल मरअशी अल नजफ़ी, 1404 हिजरी
  • तबरी, मुहम्मद बिन जुरैर, दलाइल अल इमामा, संशोधनः क़िस्म अल देरासात अल इस्लामीया मोअस्सेसा अल बेसत, क़ुम, बेअसत, 1413 हिजरी
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल तिबयान फ़ी तफ़सीर अल क़ुरआन, संशोधनः अहमद कसीर आमोली, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल ग़ैयबा लिल हुज्जा, संशोधनः एबादुल्लाह तेहरानी वा अली अहमद नासेह, क़ुम, दार अल मआरिफ़ अल इस्लामीया, 1411 हिजरी
  • उरूसी हुवैज़ी, अब्द अली बिन जुम्आ, तफ़सीर नूर अल सक़्लैन, शोधः सय्यद हाशिम रसूली महल्लाती, क़ुम, इंतेशारात इस्माईलीयान, 1415 हिजरी
  • अय्याशी, मुहम्मद बिन मसऊद, तफसीर अल अय्याशी, संशोधनः सय्यद हाशिस रसूली महल्लाती, तेहरान, अल मत्बआ अल इल्मीया, 1380 हिजरी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद मोहसिन बिन शाह मुर्रतज़ा, तफसीर अल साफ़ी, संशोधनः हुसैन आलमी, तेहरान, मकतब अल सद्र, 1415 हिजरी
  • क़ुमी, अली बिन इब्राहीम, तफ़सीर अल कुमी, संशोधनः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी वा मुहम्मद आख़ूंदी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1407 हिजरी
  • कूफ़ी, फ़रात बिन इब्राहीम, तफसीर फ़रात अल कूफी, संशोधनः काजिम मुहम्मद, तेहरान, मोअस्सेसा अल तब्अ वल नशर फ़ी वज़ारत अल इरशाद अल इस्लामी, 1410 हिजरी
  • मजलिसी, मुहम्मद बाकिर, बिहार उल अनवार, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, 1403 हिजरी
  • मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल इख़्तेसास, संशोधनः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी वा महमूद मोहर्रमी ज़रंदी, क़ुम, अल मोतमिर अल आलमी ले अलफ़ीया अल शेख़ अल मुफ़ीद, 1413 हिजरी
  • नौअमानी, मुहम्मद बिन इब्राहीम, अल ग़ैयबा लिल नौअमानी, संशोधनः अल अकबर गफ़्फ़ारी, तेहरान, नशर सदूक, 1397 हिजरी
  • यज़्दी हाएरी, अली, इलज़ाम अल नासिब फ़ी इस्बात अल हुज्जा अल गायब, संशोधनः आशूर अली, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी, 1422 हिजरी