ज़हूर के संकेत

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ज़हूर के संकेत (अरबी: علامات الظهور) या ज़हूर की निशानियाँ, उन घटनाओं को कहा जाता है जो इमाम महदी (अ) के ज़हूर से पहले या ज़हूर के समय घटित होंगी। ज़हूर के संकेतों को निश्चित और ग़ैर-निश्चित में विभाजित किया गया है। निश्चित संकेत, वह संकेत हैं जो ज़हूर से पहले निश्चित रूप से घटित होंगे; जैसे आसमानी चीख़, सुफ़यानी का ख़ुरुज, यमानी का आंदोलन, नफ़्से ज़किय्या की हत्या, ख़स्फ़े बयदा, और ग़ैर-निश्चित संकेत, वह संकेत हैं जिसके घटित न होने से भी इमाम महदी (अ) के ज़हूर की सम्भावना है। कुछ हदीस स्रोतों में, इमाम महदी (अ) के ज़हूर के संकेत पुनरुत्थान (क़यामत) के संकेतों के साथ मिश्रित हो गए हैं।

कुछ विचारकों ने इमाम ज़माना (अ) के ज़हूरके कुछ संकेतों जैसे सुफ़यानी और दज्जाल और अन्य को प्रतीकात्मक और सांकेतिक माना है। उदाहरण के लिए, वे दज्जाल को इस्लाम से विचलन का प्रतीक मानते हैं और सुफ़यानी को इस्लामी समाज में विचलन का प्रतीक मानते हैं; हालाँकि यह राय हदीसों के ज़ाहिर के विपरीत है और दूसरी ओर ज़हूर के संकेतों के कार्य को रद्द करने वाली मानी जाती है।

ज़हूर के संकेतों का स्रोत वह हदीसें हैं जो फ़रीक़ैन (शिया और सुन्नी) के जवामेअ रेवाई में वर्णित हुई हैं। पवित्र बाइबल में, उद्धारकर्ता (मुन्जी) की उपस्थिति (ज़हूर) के संकेतों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से कुछ मुस्लिम कथा स्रोतों में इमाम महदी (अ) की उपस्थिति (ज़हूर) के संकेतों के साथ समान हैं।

परिभाषा

ज़हूर के संकेत उन घटनाओं को संदर्भित करते हैं जो इमाम महदी (अ) के ज़हूर के निकट होने का संकेत देते हैं। ऐसा कहा गया है कि इन घटनाओं के माध्यम से इमाम महदी (अ) को महदीवाद के दावेदारों (मुद्दइयाने महदवीयत) में से एक के रूप में पहचाना जाता है।[१]

प्राप्ति का समय और तरीक़ा

हदीसों के अनुसार, कई संकेतों की घटना ज़हूर से पहले होगी और कुछ ज़हूर से जुड़ी होगी, और कुछ ग़ैबत ए कुबरा की अवधि के दौरान घटित होंगी।[२] इसके अलावा, शेख़ सदूक़ द्वारा लिखित कमालुद्दीन में वर्णित कथन के आधार पर, आसमानी चीख़, सुफ़यानी का ख़ुरुज, यमानी का आंदोलन, नफ़्से ज़किय्या की हत्या, ख़स्फ़े बयदा, जैसी घटनाएं इमाम महदी (अ) के ज़हूर से पहले घटित होंगी।[३] शेख़ मुफ़ीद ने उन्हें क़यामे क़ाएम के संकेत के रूप में उल्लेख किया है।[४] इसलिए, इन संकेतों को इमाम महदी (अ) के ज़हूर के संकेत भी कहा जाता है।[५]

ज़हूर के कुछ संकेत, अन्य घटनाओं की तरह, प्राकृतिक तरीक़े से महसूस किए जाते हैं, और कुछ अन्य का एहसास, जैसे कि आसमानी चीख़, सामान्य रूप से संभव नहीं है और एक चमत्कार के रूप में होगा।[६]

निश्चित और ग़ैर-निश्चित संकेत

ज़हूर के संकेतों को निश्चित और ग़ैर-निश्चित में विभाजित किया गया है:[७] निश्चित संकेत ऐसे संकेत हैं जिनका प्रकट होना निश्चित है और जब तक वे घटित नहीं होंगे, हज़रत महदी (अ) ज़हूर नहीं करेंगे। ग़ैर-निश्चित संकेत वे संकेत हैं जो निश्चित होने के लिए निर्दिष्ट नहीं हैं, और यह संभव है कि इमाम ज़माना (अ) उनके प्रकट होने के बिना भी ज़हूर करेंगे।[८]

शेख़ सदूक द्वारा वर्णित कथन के अनुसार, आसमानी चीख़, सुफ़यानी का ख़ुरुज, यमानी का आंदोलन, नफ़्से ज़किय्या की हत्या, ख़स्फ़े बयदा, ज़हूर के निश्चित संकेत हैं।[९] किताब अल इरशाद में, शेख़ मुफ़ीद ने ज़हूर के संकेतों की एक सूची प्रदान की है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं: सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण, अधिक मौतें होना, व्यापक युद्ध और दंगे, पूर्व से काले झंडे और लगातार बारिश होना।[१०] इस सूची के अंत में, शेख़ मुफ़ीद ने कहा है, "अल्लाह जानता है",[११] इसलिए कुछ लोगों ने यह विचार व्यक्त किया है कि शेख़ मुफ़ीद को इनमें से कुछ संकेतों के बारे में संदेह था।[१२]

जैसा कि कुछ स्रोतों में बताया गया है कि ज़हूरके कुछ संकेत ग़ैर-निश्चित हैं जो इस प्रकार हैं:

  • दुनिया के नेतृत्व में बनी अब्बास और उनकी सरकार के पतन के बीच अंतर
  • बनी अब्बास के अंतिम राजा अब्दुल्लाह की हत्या
  • आदत के विपरीत रमज़ान के बीच में सूर्य ग्रहण
  • आदत के विपरीत रमज़ान की शुरुआत या अंत में चंद्र ग्रहण
  • क़ज़्वीन से एक ऐसे व्यक्ति का प्रस्थान जिसका नाम पैग़म्बरों में से एक के समान है और जो बहुत लोगों पर अत्याचार करेगा
  • दमिश्क़ मस्जिद के पश्चिमी भाग का धंसना
  • शाम के खोरशना नाम के एक गाँव का ज़मीन में धँस जाना
  • बसरा का विनाश
  • कूफ़ा के पीछे सुफ़ियान से बग़ावत करने वाले को उसके सत्तर साथियों समेत क़त्ल करना
  • कूफ़ा मस्जिद की दीवार का विनाश
  • ख़ोरासान से काले झंडों का फहराया जाना, यह सेना शिराज़ के निकट एक क्षेत्र में सुफ़ियान की सेना से युद्ध करेगी और उन्हें पहली हार देगी। ये झंडे उस समय तक नही उतारे जाएंगे जब तक यह येरुशलम तक न पहुंच जाएं
  • पूर्व में चमकीले तारे का उदय जो चंद्रमा की तरह चमकता है; फिर इसके दोनों किनारों को इतना मोड़ दिया जाता है कि इसके दोनों किनारे लगभग मिल जाते हैं
  • आकाश में लालिमा का प्रकट होना जो अन्तरिक्ष (फ़ेज़ा) में फैल जाती है
  • सीरिया और इराक़ में बड़े पैमाने पर तबाही
  • शाम में तीन समूहों (इस्हब, अब्लक़ और सुफ़ियानी) के बीच संघर्ष
  • मिस्र से क़ैस के झंडों का हरकत में आना
  • पूर्व से हिरा की ओर काले झंडे फहराना
  • फ़ोरात के पानी इतना बढ़ना कि वह कूफ़े की गलियों में बहने लगे
  • अबू तालिब की जनजाति से बारह लोगों का प्रस्थान, जिनमें से सभी सृष्टि को उनकी आज्ञा मानने के लिए आमंत्रित करते हैं
  • जलूला की भूमि (ख़ानेक़ीन से सात फर्सख़ स्थित) और खानेकीन की भूमि के बीच बनी अब्बास शियों के एक उच्च पदस्थ व्यक्ति को जलाना
  • बग़दाद में दिन की शुरुआत में काली हवा का बढ़ना
  • अनाज और पौधों के उत्पादों में कमी और अकाल
  • अजम (ग़ैर-अरब) के दो गुटों में मतभेद और संघर्ष तथा उनके बीच खूब खून-खराबा होना
  • रय शहर का विनाश
  • अर्मेनियाई और अज़रबैजानी युवाओं के बीच युद्ध
  • विधर्मियों के एक समूह का बंदरों और सूअरों में परिवर्तन (मस्ख़)
  • पूरी दुनिया के लिए आकाश से एक असामान्य पुकार ताकि किसी भी भाषा का हर व्यक्ति उस पुकार को अपनी भाषा में सुन सके।
  • आसमान से कुल 5 आवाजें सुनाई देंगी, केवल चौथी आवाज़ (जो रम़जान के महीने में होगी) निश्चित है। रजब महीने की पहली 3 आवाजें इस प्रकार होंगी:
  • पहली पुकार: «ألا لعنة الله علی القوم الظالمین» (अला लअनतुल्लाहे अलल क़ौमिज़ ज़ालेमीन) "जान लो कि भगवान के अभिशाप (लाअनत) में क्रूर और दमनकारी आबादी भी शामिल हैं।"
  • दूसरी पुकार: «یا معاشرالمؤمنین أزفة الآزفة» (या मआशेरल मोमेनीना अज़फ़तल आज़फ़ा) "हे विश्वासियों के समूह! पुनरुत्थान का दिन निकट है।
  • तीसरी पुकार: (जो एक स्पष्ट और दृश्यमान शरीर के साथ है): «ألا إن الله بعث مهدی آل محمد للقضاء علی‌الظالمین» (अला इन्नल्लाहा बअसा महदी आले मुहम्मद लिल क़ज़ा अलज़्ज़ालेमीन) "यह जान लो कि ईश्वर ने गलत काम करने वालों पर अपना फैसला लागू करने के लिए मुहम्मद (स) के परिवार से महदी को उठाया और भेजा है।"
  • चौथी आवाज़, जो रमज़ान के महीने (शायद बाईसवीं की सुबह) में है और जिब्राइल की ओर से होगी, अहल अल बैत (अ) के समर्थन में गवाही देगी।
  • पाँचवीं आवाज़, जो शैतान की है (शायद बाईसवीं की शाम), सुफ़ियानी के पक्ष में होगी।
  • मृत लोग, जीवित क़ब्रों से बाहर आएंगे और दुनिया में लौट जाएंगे और एक-दूसरे से मिलेंगे।[१३]

क़यामत के संकेतों के साथ मिश्रण

कुछ कथा स्रोतों में, इमाम महदी (अ) के ज़हूर के संकेत क़यामत के संकेतों के साथ मिश्रित हो गए हैं। उदाहरण के तौर पर, सूर्य का पश्चिम से उगना, जिसे हदीसों में पुनरुत्थान का संकेत माना जाता है,[१४] कुछ ने इसे ज़हूर का संकेत माना है।[१५]

इसके अलावा, ज़हूर के कुछ संकेत जैसे कि सुफ़ियानी का ख़ुरूज, क़यामत के कुछ संकेतों जैसे धरती का खिसकना, ईसा का खुरूज, इमाम महदी का आंदोलन, सूर्य का पश्चिम से उदय, को पुनरुत्थान की स्थापना के संकेतों के रूप में उल्लेख किया गया है।[१६] ऐसा कहा गया है कि चूंकि धार्मिक स्रोतों में, इमाम महदी (अ) के आंदोलन को पुनरुत्थान के संकेतों में से एक माना जाता है,[१७] ज़हूर के कुछ संकेतों को पुनरुत्थान का संकेत भी माना जाता है।[१८]

قَبْلَ قِيَامِ الْقَائِمِ خَمْسُ عَلَامَاتٍ مَحْتُومَاتٍ الْيَمَانِيُّ وَ السُّفْيَانِيُّ وَ الصَّيْحَةُ وَ قَتْلُ النَّفْسِ الزَّكِيَّةِ وَ الْخَسْفُ بِالْبَيْدَاءِ؛

(क़ब्ला क़ेयामिल क़ाएमे ख़म्सो अलामातिन महतूमातिन अल यमानी व अल सुफ़ियानी व अल सैहतो व क़त्लो अल नफ़्से अल ज़किय्या व अल ख़स्फ़ो बिल बैदाए)

क़ायम के क़याम से पहले पाँच संकेत होंगे, जिनमें से सभी निश्चित संकेत हैं: यमानी का खुरूज, सुफ़ियानी का खुरूज, आसमानी चीख, नफ़्से ज़किय्या की हत्या, बैदा में ज़मीन का धंसना।

तारीख़ बाएगानी, सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 650, पृष्ठ 7।

ज़हूर के संकेत वास्तविक हैं या प्रतीकात्मक?

14वीं शताब्दी शम्सी के मराजेअ तक़लीद में से एक, सय्यद मुहम्मद सद्र (1943-1998 ईस्वी) ने अपनी किताब तारीख़ अल ग़ैबत अल कुबरा में ज़हूर के कुछ संकेतों, जैसे सुफ़ियानी और दज्जाल, को प्रतीकात्मक माना है। उन्होंने दज्जाल को इस्लाम से विचलन का प्रतीक और सुफ़ियान को इस्लामी समाज में विचलन का प्रतीक माना है।[१९] उनके उत्तर में कहा गया है कि ज़हूर के संकेतों को प्रतीकात्मक और रहस्य मानना हदीसों के ज़ाहिर के विपरीत है। यह ज़हूर के संकेतों के कार्य को भी रद्द कर देता है;[२०] क्योंकि ज़हूर के संकेतों का कार्य इमाम महदी (अ) को झूठे दावेदारों से पहचानना है।[२१]

अन्य धर्मों में उद्धारकर्ता के प्रकट होने के संकेत

यहूदी धर्म और ईसाई धर्म में, उद्धारकर्ता की उपस्थिति (ज़हूर) के संकेत हैं, जिनमें से कुछ इस्लामी हदीसों में उपस्थिति (ज़हूर) के संकेतों के समान हैं। यहूदी भ्रष्टाचार (फ़साद) के प्रसार और युद्ध तथा अराजकता के प्रसार को मसीहा के आने के संकेत मानते हैं।[२२]

इसके अलावा, ईसाइयों के अनुसार, मसीहा विरोधी या दज्जाल वह व्यक्ति या लोग हैं जो इस बात से इनकार करते हैं या झूठलाते हैं कि ईसा मसीहा हैं।[२३] दज्जाल आखिर अल ज़मान (समय के अंत) में उठेगा और जब मसीह प्रकट (ज़हूर) होगा, तो वह उसे नष्ट कर देगा।[२४] भ्रष्टाचार (फ़साद) का प्रसार, युद्ध का प्रसार, अराजकता, भूकंप, बीमारी और अकाल, और सूर्य, चंद्रमा और सितारों में संकेतों की उपस्थिति अन्य घटनाएं हैं जिनके बारे में ईसाइयों का मानना है कि ईसा मसीह के आने से पहले घटित होगा।[२५]

इमाम ज़मान के अलावा अन्य लोगों पर ज़हूर के संकेत लागू करना

विभिन्न अवधियों में, ज़हूर के संकेत को घटनाओं या लोगों पर लागू किए गए हैं। ये अनुकूलन विभिन्न प्रेरणाओं वाले व्यक्तियों या सरकारों द्वारा किए गए हैं। उदाहरण के लिए, पश्चिम से सूर्य के उदय को मिस्र में फ़ातमीयान सरकार के गठन के लिए लागू किया गया है, और नफ़्से ज़किय्या की हत्या को मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन हसन मुसन्ना के लिए लागू किया गया है।[२६]

मोनोग्राफ़ी

ज़हूर के संकेतों का स्रोत हदीसें हैं जो शिया और सुन्नी कथा स्रोतों में वर्णित हैं। हालांकि, उन्होंने उनमें से कुछ की वैधता पर संदेह किया और कहा कि इनमें से कुछ हदीसों को मासूम द्वारा प्रसारित नहीं किया गया था।[२७] अल ग़ैबत नोमानी,[२८] कमालुद्दीन सदूक़,[२९] अल ग़ैबत शेख़ तूसी[३०] और अल इरशाद शेख़ मुफ़ीद[३१] जैसी किताबों में एक खंड ज़हूर के संकेतों के वर्णन के लिए समर्पित है। सुन्नी स्रोतों में इस मुद्दे का उल्लेख मलाहिम और फ़ेतन नामक मुद्दों में किया गया है। इसके अलावा, इसी नाम से किताबें भी लिखी गई हैं जैसे इब्ने हम्माद द्वारा लिखित अल मलाहिम व अल फ़ेतन।सादेक़ी, "तअम्मोली दर रेवायतहाए अलाएमे ज़हूर", पृष्ठ 322।

ज़हूर के संकेतों के बारे में स्वतंत्र रचनाएँ भी लिखी गई हैं। उनमें से कुछ केवल हदीसों का संग्रह हैं, और अन्य विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से लिखे गए हैं; जिनमें शामिल हैं:

  • दरासतुन फ़ी अलामात अल ज़हूर, जाफ़र मुर्तज़ा आमोली द्वारा लिखित जिसमें विश्लेषणात्मक और आलोचनात्मक दृष्टिकोण के साथ ज़हूर के संकेतों का विश्लेषण किया गया है।[३२]
  • नवाएब अल दहूर फ़ी अलाएम अल ज़हूर, मुहम्मद हसन मीर जहानी द्वारा लिखित, जो वर्ष 1383 हिजरी में दो खंडों में प्रकाशित हुआ था।
  • मअतान व ख़म्सून अलामतुन, मुहम्मद अली तबातबाई द्वारा लिखी गई है। इस पुस्तक में ज़हूर के 250 संकेतों का उल्लेख किया गया है।[३३]
  • तअम्मोली दर नेशानेहाए हत्मी ए ज़हूर, नुसरतुल्लाह आयती द्वारा लिखित जो ज़हूर के पाँच निश्चित संकेतों के बारे में है जिसे मोअस्सास ए आयंदेह रौशन द्वारा वर्ष 2011 ईस्वी में प्रकाशित किया गया था।[३४]

इसके अलावा, अक़द अल दोरर फ़ी अख़्बार अल मुंतज़र (अ.ज), अल उर्फ़ो अल वर्दी फ़ी अख़्बार अल महदी (अ) और अल बुरहान फ़ी अलामात महदी आख़िर अल ज़मान, सुन्नी विद्वानों द्वारा लिखित किताबें हैं जिसमें ज़हूर के संकेतों का वर्णन किया गया है।[३५]

सम्बंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. आयती, तअम्मोली दर निशानेहाए हत्मी ए ज़हूर, 1390 शम्सी, पृष्ठ 15।
  2. सलीमीयान, फ़र्हंगनामे महदवीयत,1388 शम्सी खंड 1, पृष्ठ 445।
  3. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 650, पृष्ठ 7।
  4. मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 368।
  5. सलीमीयान, फ़र्हंगनामे महदवीयत, 1388 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 445 (फुटनोट)।
  6. देखें सद्र, तारीख़ अल ग़ैबत अल कुबरा, 1412 हिजरी, पृष्ठ 480।
  7. मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 370।
  8. सलीमीयान, फ़र्हंगनामे महदवीयत, 1388 शम्सी, पृष्ठ 446।
  9. शेख़ सदूक़, कमालुद्दीन, खंड 2, पृष्ठ 650।
  10. मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 368-369 देखें।
  11. मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 370।
  12. मुहम्मदी रय शहरी, दानिशनामे इमाम महदी, 1393 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 425।
  13. नोमानी, अल ग़ैबत, 1397 हिजरी, पृष्ठ 429; शेख़ सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, पृष्ठ 650; मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, खंड 53, पृष्ठ 182; तूसी, अल ग़ैबत, 1425 हिजरी, पृष्ठ 445।
  14. सियूती, अल दुर अल मंसूर, 1404 हिजरी, पृष्ठ 357; मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 371।
  15. मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 368; इस्माईली, "बर्रसी निशानेहाए ज़हूर", पृष्ठ 224।
  16. तूसी, अल ग़ैबत, 1411 हिजरी, पृष्ठ 436।
  17. उदाहरण के लिए, देखें: तूसी, अल ग़ैबत, 1411 हिजरी, पृष्ठ 436।
  18. सलीमीयान, फ़र्हंगनामे महदवीयत, 1388 शम्सी, पृष्ठ 448।
  19. सद्र, तारीख़ अल ग़ैबत अल कुबरा, 1412 हिजरी, पृष्ठ 484।
  20. मुहम्मदी रय शहरी, दानिशनामे इमाम महदी, 1393 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 460।
  21. मुहम्मदी रय शहरी, दानिशनामे इमाम महदी, 1393 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 414-415।
  22. रसूल ज़ादेह, "आख़िर अल ज़मान व हयाते ओख़रवी दर यहूदीयत व मसीहीयत", पृष्ठ 76, जूलियस ग्रीनस्टोन द्वारा उद्धृत, इन्तेज़ारे मसीहा दर आईने यहूद, पृष्ठ 62 और बेबीलोनियाई तल्मूड, शबात, 118 बी।
  23. नाम ए अव्वल योहन्ना ए रसूल 2:18-20।
  24. थिस्सलुनिकियों, 2:8, दीन पनाह और खवास द्वारा उद्धृत, "बर्रसी पीशगोईहाए अहदैन दरबार ए कुश्तारहाए जमई पीश अज़ ज़हूर", पृष्ठ 331।
  25. ल्यूक, 21:5-29।
  26. मुहम्मदी रय शहरी, दानिशनामे इमाम महदी, 1393 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 452।
  27. सादेक़ी, "तअम्मोली दर रेवायतहाए अलाएमे ज़हूर", पृष्ठ 322-323।
  28. नोमानी, अल ग़ैबत, 1397 हिजरी, पृष्ठ 247-283।
  29. सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 656-649।
  30. तूसी, अल ग़ैबत, 1411 हिजरी, पृष्ठ 433 से आगे।
  31. मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 368-378।
  32. मुहम्मदी रय शहरी, दानिशनामे इमाम महदी, 1393 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 422।
  33. मुहम्मदी रय शहरी, दानिशनामे इमाम महदी, 1393 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 422।
  34. "तअम्मोली दर नेशानेहाए हत्मी ए ज़हूर", मरकज़े पजोहिशहाए तख़स्सोसी इमाम महदी (अ)।
  35. मुहम्मदी रय शहरी, दानिशनामे इमाम महदी, 1393 शम्सी, खंड 7, पृष्ठ 422।


स्रोत

  • बाइबिल का हजार नौ अनुवाद।
  • इस्माइली, इस्माइल, "बर्रसी नेशानेहाए ज़हूर", हौज़ा की द्वि-त्रैमासिक पत्रिका, संख्या 70, शरद ऋतु 1374 शम्सी।
  • आयती, नुसरतुल्लाह, तअम्मोली दर नेशानेहाए हत्मी ए ज़हूर, क़ुम, आयंदेह रौशन, 1390 शम्सी।
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  • शेख़ मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल इरशाद फ़ी मारेफ़त होज्जुल्लाह अला अल एबाद, मोअस्सास ए आल अल बैत द्वारा सुधार किया गया, क़ुम, शेख़ मुफ़ीद कांग्रेस, 1413 हिजरी।
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