ख़ोरासानी का आंदोलन

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ख़ोरासानी का आंदोलन (अरबी: خروج الخراساني) ज़ुहूर के संकेतों में से एक है और ख़ोरासान के लोगों में से एक व्यक्ति के आंदोलन को संदर्भित करता है, जो सुफ़यानी के ख़ुरूज और यमानी के आंदोलन के समकालिक होगा। कुछ शोधकर्ताओं ने उन्हें काले ध्वज वाला माना है कि शोएब बिन सालेह की कमान में उनकी सेना, सुफ़यानी को पराजित करेगी। हालांकि महदवीयत विद्वानों में काले ध्वज के आंदोलन को लेकर मतभेद है। कुछ काले ध्वज को अबू मुस्लिम ख़ोरासानी का ध्वज मानते हैं, जिन्होंने उमय्या शासन के ख़िलाफ़ आंदोलन किया था, और कुछ अन्य का मानना है कि यह ध्वज उन आंदोलन को संदर्भित करते हैं जो इमाम महदी (अ) के ज़ुहूर (आगमन) से पहले होगा।

सय्यद ख़ोरासानी

ज़ुहूर के संकेतों की रवायात में, एक ख़ोरासानी व्यक्ति के आंदोलन को ज़ुहूर के संकेत के रूप में उल्लेख किया गया है।[१] ख़ोरासानी का शीर्षक ख़ोरासान, पूर्व और ख़ोरासान के लोगों के साथ आंदोलन करने वाले व्यक्ति से संबंधित रवायतों से लिया गया है।[२] वर्णित रवायात में, ख़ोरासानी की विशेषताओं, जिसमें उनके सय्यद होने का उल्लेख नहीं है।[३] हालांकि, अस्र अल-ज़ुहूर पुस्तक में अली कूरानी के अनुसार, सुन्नी स्रोतों[४] और बाद के शिया स्रोतों में, ख़ोरासानी को इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) का वंशज माना गया है। और हाशमी ख़ोरासानी के रूप में उनका उल्लेख किया गया है।[५] इसलिए, ख़ोरासानी को सय्यद ख़ोरासानी के रूप में भी उल्लेख किया गया है।[६] इसके अलावा, इन स्रोतों में, उनकी अन्य विशेषताएं जैसे उनके दाहिने गाल और दाहिने हाथ पर तिल होगा, का भी उल्लेख किया गया है।[७]

क्या ख़ोरासानी का आंदोलन ज़ुहूर का संकेत है?

ख़ोरासानी के आंदोलन के साथ-साथ सैहा ए आसमानी, नफ़्से ज़किया की हत्या, सुफ़यानी का ख़ुरूज, ख़स्फ़े बैदा, को महदी (अ) के ज़ुहूर के संकेत के रूप में पेश किया गया है।[८] इमाम सादिक़ (अ) की एक रवायत के अनुसार, ख़ोरासानी, सुफ़यानी और यमानी तीनों एक वर्ष, एक महीने और एक दिन में क़याम करेंगे।[९] रवायात में कहा गया है कि ख़ोरासानी आंदोलन पूर्व (इस्लामी भूमि के पूर्वी हिस्सों) से शुरू होगा और इराक़ की ओर बढ़ेगा।[१०] दानिशनामे इमाम महदी (अ) में, इन दो रवायतों की प्रामाणिकता (सनद) पर संदेह किया गया है।[११]

काले ध्वज और सय्यद ख़ोरासानी

मुख्य लेख: काले ध्वज

काले ध्वज का संचलन पूर्व में एक काले ध्वज वाले समूह के आंदोलन (क़याम) को संदर्भित करता है, जिसे कुछ रवायात में आगमन (ज़ुहूर) का संकेत माना गया है।[१२] कई रवायतों के अनुसार, यह ध्वज ख़ोरासान में एक बनी हाशिम युवक से संबंधित है जिसके ख़ुरूज के समय, शोएब बिन सालेह उनके साथ होंगे।[१३] कुछ शिया शोधकर्ता काले ध्वज को अबू मुस्लिम ख़ोरासानी का आंदोलन मानते हैं, जो उमय्या शासन के खिलाफ़ हुआ और बनी अब्बास के शासन के गठन का कारण बना।[१४] कुछ अन्य का मानना है कि यह ध्वज एक ऐसे आंदोलन का उल्लेख करते हैं जो इमाम महदी (अ) के ज़ुहूर से पहले होगा।[१५]

अस्र अल-ज़ुहूर पुस्तक के लेखक ने सय्यद ख़ोरासानी को काले ध्वज का मालिक माना है, जिसकी सेना की कमान शोएब बिन सालेह के पास होगी, और उनकी सेना और सुफ़ियानी के बीच लड़ाई होगी, और सुफ़ियानी पराजित होगा।[१६] और वह इमाम महदी (अ) के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा (बैअत) लेगा।[१७]

इस बात का विरोध किया गया है कि अस्र अल-ज़ुहुर किताब में, इस बिंदु को साबित करने के लिए, इब्ने हम्माद द्वारा लिखित अल-फ़ितन किताब की हदीसों का हवाला दिया गया है, जिसमें ख़ोरासानी के नाम का उल्लेख नहीं है। साथ ही, अल-फ़ितन किताब शियों के बीच मान्य नहीं है; क्योंकि इसकी कई हदीसें, मासूम ने वर्णित नहीं हुई हैं।[१८]

नए रूपांतर

2009 ई.(1389 शम्सी) में, "द एडवेंट इज़ वेरी नियर" (ज़ुहूर बिस्यार नज़दीक अस्त) नामक एक सीडी जारी की गई, जिसमें एक वृत्तचित्र फिल्म थी। फिल्म के निर्माताओं ने दावा किया कि ईरान के इस्लामिक गणराज्य के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई, सय्यद ख़ोरासानी और लेबनान के हिज़बुल्लाह के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह, यमानी हैं। साथ ही, उस समय ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद को शोएब बिन सालेह माना गया था। इस सीडी के प्रकाशन के बाद आलोचनाएं हुईं और महदवियत शोधकर्ताओं ने इन तुलनाओं को ग़लत और पर्याप्त कारणों के बिना मूल्यांकन किया।[१९]

सम्बंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. नोमानी, अल-ग़ैबाह, 1397 हिजरी, पृष्ठ 290।
  2. कूरानी, अस्र अल-ज़ुहूर, 1408 हिजरी, पृष्ठ 243; मुहम्मदी रेय शहरी और अन्य, दानिशनामे इमाम महदी, खंड 7, 1393 शम्सी, पृष्ठ 447।
  3. कूरानी, अस्र अल-ज़ुहूर, 1408 हिजरी, पृष्ठ 242।
  4. उदाहरण के लिए देखें, इब्ने हम्माद, किताब अल-फ़ितन, दारुल कुतुब अल इल्मिया, मुहम्मद अली बिज़ून की पांडुलिपियाँ, पृष्ठ 214।
  5. कूरानी, अस्र अल-ज़ुहूर, 1408 हिजरी, पृष्ठ 242।
  6. उदाहरण के लिए देखें, कूरानी, अस्र अल-ज़ुहूर, 1408 हिजरी, पृष्ठ 234, 205, 147।
  7. कूरानी, अस्र अल-ज़ुहूर, 1408 हिजरी, पृष्ठ 242।
  8. नोमानी, अल-ग़ैबाह, 1397 हिजरी, पृष्ठ 290।
  9. नोमानी, अल-ग़ैबाह, 1397 हिजरी, पृष्ठ 255-256; तूसी, अल-ग़ैबाह, 1411 हिजरी, पृष्ठ 446-447।
  10. नोमानी, अल-ग़ैबाह, 1397 हिजरी, पृष्ठ 256-255।
  11. मुहम्मदी रेय शहरी और अन्य, दानिशनामे इमाम महदी, खंड 7, 1393 शम्सी, पृष्ठ 445-447।
  12. उदाहरण के लिए देखें, नोमानी, अल-ग़ैबाह, 1397 हिजरी, पृष्ठ 251।
  13. इब्ने हम्माद, किताब अल-फ़ितन, दार अल-किताब अल-इल्मिया, मुहम्मद अली बिज़ून की पांडुलिपियाँ, पृष्ठ 214 और 216; इब्ने ताऊस, अल-तशरीफ़ बिलमेनन, 1416 हिजरी, पृष्ठ 120।
  14. मुहम्मदी रेयशहरी और अन्य, दानिशनामे इमाम महदी (अ), खंड 6, 2014, पृष्ठ 64, 65; सद्र, तारीख़ अल-ग़ैबाह अल-कुबरा, 1412 हिजरी, पृष्ठ 453।
  15. कूरानी, अस्र अल-ज़ुहूर, 1408 हिजरी, पृष्ठ 242 और 243।
  16. कूरानी, अस्र अल-ज़ुहूर, 1408 हिजरी, पृष्ठ 242।
  17. कूरानी, अस्र अल-ज़ुहूर, 1408 हिजरी, पृष्ठ 137।
  18. मुहम्मदी रेयशहरी और अन्य, दानिशनामे इमाम महदी (अ), खंड 7, 2014, पृष्ठ 448।
  19. पीशगर, शोएब बिन सालेह कौन हैं?, तिबयान।

स्रोत

  • इब्ने हम्माद, नईम बिन हम्माद, किताब अल-फ़ितन, मजदी बिन मंसूर शूरी द्वारा संपादित, बैरूत, दारुल किताब अल-इल्मिया, मुहम्मद अली बिज़ून, बी ता ।
  • इब्ने ताऊस, अली इब्ने मूसा, अल-तशरीफ़ बिलमेनन फ़ी अल-तारीफ़ बिलफ़ेतन, क़ुम, साहिब अल-अम्र संस्थान, पहला संस्करण, 1416 हिजरी।
  • पीशगर, उम्मीद, शोएब बिन सालेह कौन हैं?, तिबयान, मतलब डाला गया: 22 तीर, 1390 शम्सी, 9 तीर, 1400 शम्सी।
  • शेख़ तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-ग़ैबाह, अनुसंधान, तेहरानी अब्दुल्ला, नासेह, अली अहमद, क़ुम, दार अल-मारिफ़ अल-इस्लामिया, पहला संस्करण, 1411 हिजरी।
  • सद्र, सय्यद मुहम्मद, तारिख़ अल-ग़ैबाह अल-कुबरा, बैरूत, दारुल तआरुफ़ लिल मतबूआत, बैरूत, 1412 हिजरी।
  • कूरानी, अली, अस्र अल-ज़ुहूर, मरकज़ अल नशर मकतब अल आलाम अल इस्लामी, पहला संस्करण, 1408 हिजरी।
  • मुहम्मदी रेय शहरी, मुहम्मद, दानिशनामे इमाम महदी (अ), कुम, दारुल हदीस, 1393 शम्सी।
  • नोमानी, मुहम्मद बिन इब्राहिम, अल-ग़ैबाह, अली अकबर गफ़्फ़ारी द्वारा शोध, तेहरान, सदूक़ पब्लिशिंग हाउस, पहला संस्करण, 1397 हिजरी।