अय्यामुल्लाह

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अय्यामुल्लाह (अरबीः أيّام اللّه) अर्थात अल्लाह के दिन, उस समय को संदर्भित करते हैं जब महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित हुईं और ईश्वर की शक्ति अधिक ज़ाहिर हुई। क़ुरआन के टीकाकारों ने उन आयतो की व्याख्या जिनमें अय्यामुल्लाह शब्द आया है, ईश्वर के दिनों की व्याख्या ईश्वर की मुक्ति के दिन और विश्वासियों के लिए आशीर्वाद के दिन, बहुदेववादियों के लिए सजा के दिन, और नेमतो और सजा के दिन के रूप में की है, और उन्हें (अय्यामुल्लाह को) याद करने का उद्देश्य उन्होंने लोगों की जागरूकता और सतर्कता माना है।

इमाम बाक़िर (अ) के एक कथन के अनुसार, इमाम महदी (अ.त.) का आंदोलन, रजअत (वापसी) और पुनरुत्थान के दिन अय्यामुल्लाह (अल्लाह के दिनो) के उदाहरण हैं। कुछ रिवायतो में, आशूरा (10 मुहर्रम) के दिन को अल्लाह के दिनों के रूप में भी जाना जाता है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी ईरान की इस्लामी क्रांति के कुछ महत्वपूर्ण दिनों, जैसे 22 बहमन 1357 (11 फ़रवरी, 1979 ईस्वी) को इस्लामी क्रांति की सफलता के दिन को अय्यामुल्लाह मानते थे। उनकी राय में, अल्लाह के दिनो के दौरान हुई घटनाएं पूरे इतिहास में लोगों के लिए शिक्षाप्रद और जागृत करने वाली हैं। इसलिए इसे जीवित रखना चाहिए।

परिभाषा

अल्लाह के दिन उन दिनों को संदर्भित करते हैं जिनमें महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित हुई हैं।[१] और उन दिनों में ईश्वर की शक्ति अधिक ज़ाहिर हुई है।[२] यह शब्द क़ुरआन में दो बार आया है।[३] सूर ए इब्राहीम में मूसा नबी (अ) को अपने लोगों को अल्लाह के दिनों (अय्यामुल्लाह) की याद दिलाने के लिए कहा गया है, क्योंकि इस अनुस्मारक में सीख हैं।[४] इसके अलावा, सूर ए जासीया में, विश्वास करने वालों को उन लोगों को छोड़ने के लिए कहा गया है जो अल्लाह के दिनों (अय्यामुल्लाह) में आशा नहीं रखते हैं, जब तक ईश्वर हर राष्ट्र को अपने कृत्य की सजा नहीं देता, तब तक उसे उसके किए की सजा देनी चाहिए।[५] अल्लामा तबताबाई ने प्रिलय के दिन, बरज़ख़, क़यामत के दिन और निराशा की पीड़ा की प्राप्ति के दिन को अल्लाह के दिनों (अय्यामुल्लाह) के उदाहरण माना है।[६] तफ़सीर नमूना मे अय्यामुल्लाह को याद करने और उनसे संबंधित घटनाओ को बयान करने का उद्देश्य राष्ट्रों की जागरूकता और सतर्कता माना जाता है।[७] मक्का में हज़रत अली (अ) के रिपोर्टर क़ुसम बिन अब्बास को एक पत्र मे हज़रत अली (अ) ने उनसे लोगों को हज मे अय्यामुल्लह को याद दिलाने के लिए कहा।[८]

व्याख्या

टिप्पणीकारों ने अल्लाह के दिनों (अय्यामुल्लाह) की व्याख्या में विभिन्न विचार व्यक्त किए हैं:

  • आशीर्वाद (नेअमत) के दिन: वे दिन जिनमें ईश्वरीय आशीर्वाद में पैगम्बरों और उनके अनुयायियों की स्थिति शामिल होती है; जैसे कि फिरऔन के हाथों से पैगंबर मूसा (अ) के अनुयायियों की मुक्ति, नूह की कश्ती से पैगंबर नूह (अ) के अनुयायियों की रिहाई और आग से पैगंबर इब्राहीम (अ) की रिहाई।[९]
  • सज़ा के दिन: वे दिन जब आद और समूद के अनुयायियों जैसे विद्रोही कबीलों पर सज़ा नाज़िल की गई है।[१०]
  • सजा के दिन और आशीर्वाद (नेअमत) के दिन: हर दिन जिसमें भगवान की आज्ञाओं में से एक इतनी उज्ज्वल रूप से चमकती है कि उसने बाकी मामलों को अपने आलंगन मे लि लिया हो।[११] तफ़सीर नमूना में कहा गया है कि हर दिन लोगों के जीवन में एक नया अध्याय खुला है और उन्हें एक सीख दी गई है। जैसे एक नबी का ज़ुहूर या एक क्रूर और बहुदेववादी राजा का विनाश, अल्लाह के दिनो का हिस्सा है।[१२] इसके अलावा, शेख़ तूसी की आमाली मे पैग़म्बर (स) से एक हदीस का वर्णन हुआ है, उसके आधार पर अय्यामुल्लाह का अर्थ है नेअमतो के नाज़िल होने का दिन, विपत्ति के नाज़िल होने का दिन और अल्लाह की सज़ा नाज़िल होने का दिन।[१३]

फ़ैज़ काशानी के अनुसार, इन विचारों में कोई अंतर नहीं है, क्योंकि एक आस्तिक (मोमिन) को आशीर्वाद देना एक अविश्वासी को दंडित करने के समान है, और ये दिन एक जनजाति के लिए आशीर्वाद और दूसरे जनजाति के लिए पीड़ा हैं।[१४]

उदाहरण

हदीसों में अल्लाह के दिनों के उदाहरणों का उल्लेख किया गया है। इमाम बाक़िर (अ) से वर्णित एक रिवायत के अनुसार, अल्लाह के दिन तीन दिन हैं: इमाम महदी (अ.त.) के आंदोलन का दिन, वापसी (रजअत) का दिन, और पुनरुत्थान (क़यामत) का दिन।[१५] हालांकि अली इब्ने इब्राहीम इब्ने हाशिम कुमी ने वापसी के दिन के बजाय मृत्यु का दिन दिया है।[१६] कुछ हदीसों में, आशूरा (10 मोहर्रम) के दिन को भी अल्लाह के दिनों में से एक माना गया है।[१७]

इसके अलावा, इमाम ख़ुमैनी ने पैग़म्बर (स) के प्रवास के दिन, मक्का की विजय (फ़त्ह मक्का) के दिन, सिफ़्फ़ीन की लड़ाई के दिन और उन दिनों को जिनमे भूकंप, बाढ़ आदि लोगों को दण्ड देने की भावना से आते है उनकी अल्लाह के दिनो मे गणना होती है।[१८] हालाँकि, यह कहा गया है कि अल्लाह के दिन केवल इन्ही दिनो मे सीमित नही है बल्कि इनके अय्यामुल्लाह के दूसरे उदाहरण भी हैं।[१९]

ईरान की इस्लामी क्रांति का दिन

इस्लामी गणतंत्र ईरान के संस्थापक इमाम खुमैनी ने इस्लामी गणतंत्र ईरान के इतिहास में कुछ दिनों को अल्लाह के दिनों के रूप में संदर्भित किया है। 11 फ़रवरी 1979 ईस्वी जब इस्लामी क्रांति सफल हुई,[२०] 8 सितम्बर 1978 ईस्वी वह घटना जिसके कारण ईरानी क्रांति हुई, और 15 ख़ोरदाद, जब आंदोलन हुआ, इन दिनों में से थे।[२१] इमाम खुमैनी के अनुसार अल्लाह के दिनों के दौरान घटी घटनाएँ पूरे इतिहास में लोगों के लिए शिक्षाप्रद और जागृत करने वाली हैं। इसलिए, उनका मानना था कि अय्यामुल्लाह को जीवित रखा जाना चाहिए।[२२]

फ़ुटनोट

  1. शेअरानी, नस्र तूबा, 1380, भाग 2, पेज 604
  2. क़रशी बनाई, क़ामूस क़ुरआन, 1412 हिजरी, भाग 7, पेज 281
  3. देखेः सूर ए इब्राहीम, आयत न 5 सूर ए जासीया, आयत न 14
  4. सूर ए इब्राहीम, आयत न 5
  5. सूर ए जासीया, आयत न 4
  6. तबातबाई, अल मीज़ान, 1393 हिजरी, भाग 18, पेज 164
  7. मकारिम, तफसीर नमूना , 1377 शम्सी, भाग 10, पेज 275
  8. नहज अल बलाग़ा, शोधः सुब्ही सालेह, नामा 67, भाग 1, पेज 457
  9. तबरी, जामेअ अल बयान, 1420 हिजरी, भाग 13, पेज 239; तूसी, तिबयान, बैरूत, भाग 6, पेज 274
  10. तबरी, जामेअ अल बयान, 1420 हिजरी, भाग 11, पेज 227; तबरसी, मजमअ अल बयान, 1408 हिजरी, भाग 5, पेज 209
  11. तबरसी, मजमअ अल बयान, 1408 हिजरी, भाग 6, पेज 467; अल्लामा तबातबाई, अल मीज़ान, 1394 हिजरी, भाग 12, पेज 18
  12. मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1377 शम्सी, भाग 10, पेज 272
  13. शेख तूसी, अल अमाली, 1414 हिजरी, भाग 491
  14. फ़ैज़ काशानी, तफसीर साफ़ी, 1373 शम्सी, भाग 3, पेज 80
  15. शेख सदूक़, अल खिसाल, 1362 शम्सी, भाग 1, पेज 108, हदीस 75
  16. क़ुमी, तफसीर क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 1, पेज 397
  17. इब्ने अबि जमहूर, अवाली अल लयाली अल अज़ीज़ा, 1405 हिजरी, भाग 1, पेज 138
  18. इमाम ख़ुमैनी, सहीफ़ा नूर, 1369 शम्सी, भाग 9, पेज 63
  19. क़रशी बनाई, क़ामूस क़ुरआन, 1412 हिजरी, भाग 7, पेज 281
  20. इमाम ख़ुमैनी, सहीफ़ा नूर, 1369 शम्सी, भाग 19, पेज 101
  21. इमाम ख़ुमैनी, सहीफ़ा नूर, 1369 शम्सी, भाग 19, पेज 65
  22. इमाम ख़ुमैनी, सहीफ़ा नूर, 1369 शम्सी, भाग 17, पेज 11

स्रोत

  • इब्ने अबी जमहूर, मुहम्मद बिन अली, अवाली अल लयाली अल अज़ीज़ा फ़ी अल अहादीस अल दीनीया, संशोधनः मुज्तबा इराक़ी, क़ुम, दार सय्यद अल शोहदा, 1405 हिजरी
  • इमाम ख़ुमैनी, सय्यद रूहुल्लाह, सहीफ़ा नूर, तेहरान, इंतेशारात सरोश, 1369 शम्सी
  • शेअरानी, अबुल हसन, नस्रे तूबा, गिर्दआवरंदे मुहम्मद क़रीब, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 138म0
  • शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल ख़िसाल, क़ुम, जामेअ अल मुदर्रेसीन, 1362 शम्सी
  • शेख तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल तिबयान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी
  • तबरसी, फ़ज़्ल बिन हसन, मजमअ अल बयान फ़ी अल तफसीर अल क़ुरआन, दार अल मारफ़ा, बैरूत, 1408 हिजरी
  • तबरी, मुहम्मद बिन जुरैर, जामेअ अल बयान फ़ी तावील अल क़ुरआन, मोअस्सेसा अल रेसालत, 1420 हिजरी
  • अल्लामा तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, अल मीज़ान फ़ी तफसीर अल कुरआन, मोअस्सेसा आलमी बैरूत, 1394 हिजरी
  • फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद, तफसीर अल साफ़ी, तेहरान, मकतबा सद्र, 1373 शम्सी
  • क़रशी बनाई, अली अकबर, क़ामूस क़ुरआन, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1412 हिजरी
  • क़ुमी, अली बिन इब्राहीम, तफसीर अल क़ुमी, क़ुम, दार अल किताब, 1404 हिजरी
  • मकारिम शिराज़ी, नासिर, तफसीर नमूना, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1373 शम्सी
  • नहज अल बलाग़ा, शोधः सुब्ही सालेह, बैरूत, दार अल किताब अल बनाई