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अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुत्तलिब

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अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुत्तलिब (फ़ारसी: عبدالله بن عبدالمطلب), पैग़म्बर मुहम्मद (स) के पिता , बनी हाशिम क़बीले के अब्दुल मुत्तलिब और फ़ातिमा बिन्त अम्र अल-मखज़ूमी के बेटे थे। अब्दुल्लाह ने आमेना बिन्त वहब से शादी की और ज़्यादा मशहूर कथन के अनुसार, पैग़म्बर के जन्म से पहले 25 साल की उम्र में मदीना में उनकी वफ़ात हो गई। उनकी क़ब्र मदीना में दार अल-नाबेग़ा में थी, जिसे 1355 शम्सी में तोड़कर पैग़म्बर (स) की मस्जिद में मिला लिया गया।

शिया अब्दुल्लाह और पैग़म्बर के पूर्वजों के एकेश्वरवाद में विश्वास रखते हैं। ऐतिहासिक और हदीस के स्रोतों में, अब्दुल मुत्तलिब की क़सम (नज़्र) और अब्दुल्लाह की बली के बारे में एक घटना बताई गई है, जो हदीस के विशेषज्ञ अली अकबर अल-गफ़्फ़ारी और शिया इतिहासकार अली-दवानी के अनुसार, मनगढ़ंत है और पैग़म्बर मुहम्मद (स) के पूर्वजों के विश्वास के उलट है।

परिचय और स्थान

अब्दुल्लाह, अब्दुल मुत्तलिब के बेटे और पैग़म्बर मुहम्मद (स) के पिता, का संबंध क़ुरैश क़बीले की एक शाखा, बनी हाशिम क़बीले से था।[]

अब्दुल्लाह की माता का नाम फ़ातिमा था, जो मखज़ूम क़बीले के अम्र इब्न आइज़ की बेटी थीं।[] अब्दुल मुत्तलिब और फ़ातिमा बिन्त अम्र की संयुक्त संतानें यह चार बेटे: अब्दुल्लाह, अबू तालिब (इमाम अली (अ) के पिता, ज़ुबैर, और मुक़व्विम (अब्दुल काबा), और पाँच बेटियाँ: उम्म हकीम, उमैमा (उमय्या), अरवा, बर्रा और आतेका थीं।[] हालाँकि कुछ स्रोत अब्दुल्लाह को अब्दुल मुत्तलिब के सबसे छोटे बेटे के रूप में पहचानते हैं,[] अल-सहीह मिन सीरत अल-नबी अल-आज़म पुस्तक के लेखक सय्यद जाफ़र मुर्तज़ा आमेली इस कथन को ग़लत मानते हैं और अब्दुल मुत्तलिब के अन्य दो बेटों अब्बास और हमज़ा को उनसे छोटा मानते हैं।[] वह अब्दुल्लाह को अपनी माँ के सबसे छोटे बेटे के रूप में वर्णित करते है।[]

अब्दुल्लाह ने वहब बिन अब्द मनाफ़ की बेटी आमेना से शादी की।[] कुछ हदीसों के अनुसार, यह विवाह उस दिन हुआ था जिस दिन अब्दुल मुत्तलिब ने अपने एक बच्चे की बली देने की क़सम को पूरा किया था,[] या उसके एक साल बाद हुआ था।[] तारीख़-ए-पैग़म्बर पुस्तक के लेखक मुहम्मद इब्राहिम आयती के अनुसार, अब्दुल्लाह को "अबू कुशम", "अबू मुहम्मद", और "अबू अहमद" उपनाम और "ज़बीह" लक़ब दिया गया था।[१०]

अब्दुल्लाह का ईमान

मुख्य लेख: पैग़म्बर के पूर्वजों का ईमान

सय्यद जाफ़र मुर्तज़ा आमेली, हज़रत आदम से लेकर अब्दुल्लाह तक, पैग़म्बर (स) के पूर्वजों के एकेश्वरवाद को शिया इस्लाम के स्वीकृत मुद्दों में से एक मानते हैं।[११] साथ ही, मिस्र में अल-अज़हर के दार अल-इफ्ता की राय के अनुसार, जिन पुरुषों और महिलाओं की नस्ल और कोख से पैग़म्बर (स) पैदा हुए हैं, उनमें से किसी में भी कुफ़्र, फ़िस्क़ या अज्ञानता (जाहेलियत के दौर) के लक्षण नहीं पाये जाते हैं।[१२] हालांकि, इब्न तैमिया सहित सुन्नी विद्वानों का एक समूह मानता है कि पैग़म्बर (स) के माता-पिता नास्तिक थे और नरक में हैं।[१३]

कुर्बानी की कहानी

अब्दुल मुत्तलिब की नज़्र और अब्दुल्लाह की कुर्बानी की कहानी मुस्लिम इतिहासकारों के बीच एक विवादित विषय है।[१४] पैग़म्बर (स) से वर्णित एक हदीस में, उन्होंने खुद को "दो ज़बीह" (मतलब कुर्बानी) का बेटा कहा है, जिसका मतलब दो कुर्बानियां थीं, जिनमें से एक इस्माईल (अ) की क़ुर्बानी थी और दूसरे अब्दुल्लाह की।[१५] कुछ ऐतिहासिक और हदीस रिपोर्टों में कहा गया है:[१६]

"अब्दुल मुत्तलिब ने मन्नत मानी कि अगर अल्लाह उन्हें दस बेटे दे, तो वह उनमें से एक को अल्लाह की राह में और काबा के पास कुर्बान कर देंगे। जब उनके बेटों की संख्या दस हो गई, तो उन्होंने अपनी मन्नत पूरी करने के लिए लॉटरी (क़ुरआ) निकाली, और लॉटरी अब्दुल्लाह के नाम निकली; लेकिन लोगों ने इस काम का विरोध किया। यह तय हुआ कि अब्दुल्लाह को दस ऊँटों के बराबर बनाया जाए, फिर उनके बीच लॉटरी निकाली जाए, और अगर ऊँटों का नाम आता है, तो अब्दुल्लाह को बचा लिया जाएगा और ऊँटों को क़ुर्बान कर दिया जाएगा, और अगर अब्दुल्लाह का नाम आता है, तो दस और ऊँट उनमें जोड़े जाएंगे, और लॉटरी डाली जाएगी, और ऊँट तब तक जोड़े जाते रहेंगे जब तक ऊँटों के लिए लॉटरी न आ जाए। यह गिनती दस बार जारी रही, यहाँ तक कि आखिर में, जब अब्दुल्लाह और सौ ऊँटों के बीच लॉटरी निकाली गई, तो लॉटरी ऊँटों पर आ गई।"

हदीस के एक शिया विद्वान अली अकबर गफ़्फ़ारी ने इन रिपोर्टों के सबूतों को भरोसे के लायक़ नहीं माना है और उनकी बातों को नामंज़ूर और मुशरेकीन वाली बताई है।[१७] इतिहासकार अली दवानी, अब्दुल मुत्तलिब की अपने एक बच्चे की कुर्बानी देने की क़सम की कहानी को एक मनगढ़ंत कहानी और बनी उमय्या सोच की मनगढ़ंत कहानी मानते हैं।[१८] हालांकि, सय्यद जाफर मुर्तजा आमेली का मानना ​​है कि अब्दुल मुत्तलिब का विश्वास विकसित हुआ और वह धीरे-धीरे एकेश्वरवादी बन गए।[१९]

वफ़ात

ऐतिहासिक कहानियों के अनुसार, अब्दुल्लाह, जो क़ुरैश के कारवां के साथ व्यापार करने सीरिया गए थे, 25 साल की उम्र में वापस आते समय मदीना में उनकी वफ़ात हो गई।[२०] कई ऐतिहासिक किताबों में कहा गया है कि अब्दुल्लाह का स्वर्गवास उनके बेटे मुहम्मद (स) के जन्म से पहले हो गया था,[२१] लेकिन तीसरी सदी हिजरी के इतिहासकार याक़ूबी ने इस दृष्टिकोण को आम सहमति (इजमाअ) के खिलाफ़ माना है और इमाम सादिक़ (अ.स.) की एक हदीस का हवाला देते हुए माना है कि मुहम्मद के जन्म के दो महीने बाद उनकी वफ़ात हो गई।[२२] चौथी सदी हिजरी के हदीस विद्वान शेख़ कुलैनी ने भी यही नज़रिया अपनाया है।[२३]

अब्दुल्लाह की वफ़ात की तारीख़ के बारे में दी गई दूसरी रायों में यह शामिल हैं: पैग़म्बर (स) के जन्म के 28 महीने बाद, उनके जन्म के सात महीने बाद,[२४] उनके जन्म के एक महीने बाद, और उनके जन्म के दूसरे साल।[२५] अब्दुल्लाह से पैग़म्बर (स) को उम्म अयमन नाम की एक दासी, पाँच ऊँट, भेड़ों का एक झुंड, एक पुरानी तलवार और कुछ पैसे विरासत में मिले थे।[२६]

दफ़न स्थान

अब्दुल्लाह को मदीना में दार अल-नाबेग़ा नाम की जगह पर दफ़्न किया गया था।[२७] दसवीं सदी हिजरी में, दार अल-नाबेग़ा की इमारत की मरम्मत की गई, और उनके लिए एक मज़ार बनाया गया।[२८] कई यात्रा लेखन लेखकों ने अब्दुल्लाह की मज़ार पर जाने की बात कही है।[२९]

कहा जाता है कि अब्दुल्लाह की क़ब्र को 1355 हिजरी में वहाबियों ने तोड़ दिया था।[३०] कुछ इतिहासकारों के अनुसार, पैग़म्बर (स) की मस्जिद के पश्चिमी विस्तार में, दार अल नाबेग़ा को पैग़म्बर की मस्जिद के अंदर शामिल कर लिया गया था।[३१] कुछ शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि पैग़म्बर के पिता की क़ब्र को दूसरे स्थान पर ले जाया गया था (पैग़म्बर की मस्जिद के दरवाजा नंबर 5 के प्रवेश द्वार, जिसे "बाब क़ुबा" कहा जाता है[३२] या ओहद के शहीदों की क़ब्रों के पास।[३३] अहमद काशिफ़ अल-ग़ेता ने अब्दुल्लाह की क़ब्र को उन क़ब्रों में सूचीबद्ध किया है जिनकी मदीना में ज़ियारत करना मुसतहब है।[३४]

फ़ुटनोट

  1. इब्न फ़हद, इतहाफ़ अल-वरा, 1983 ई., खंड 1, पेज 6.
  2. इब्न असीर, अल-कामिल, 1385 हिजरी, खंड 2, पेज 33.
  3. याक़ूबी, तारीख़ अल-याक़ूबी, दार सादिर, खंड 2, पेज 11; इब्न ‘अब्द अल-बर्र, अल-इस्तियाब, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 371.
  4. तबरी, तारीख़ अल-उमम वल-मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 2, पेज 239.
  5. आमेली, सहीह मिन सिरत अल-नबी अल-आज़म (स), 1415 हिजरी, भाग 2, पेज 42.
  6. आमेली, सहीह मिन सिरत अल-नबी अल-आज़म (स), 1415 हिजरी, भाग 2, पेज 42.
  7. इब्न हिशाम, सीरत अल-नबविया, दार अल-मारेफा, खंड 1, पेज 156;
  8. इब्न हिशाम, सीरत अल-नबविया, दार अल-मारेफा, खंड 1, पेज 156;
  9. आयती, तारीख़े पयाम्बरे-इस्लाम, 1369 शम्सी, पेज 52.
  10. आयती, तारीख़े पयाम्बरे-इस्लाम, 1369 शम्सी, पेज 51.
  11. आमेली, सहीह मिन सिरत अल-नबी अल-आज़म (स), 1415 हिजरी, भाग 2, पेज 156. 185.
  12. “क्या पैग़म्बर मुहम्मद के माता-पिता स्वर्ग जा रहे हैं?”, दार अल-इफ्ता मिस्र वेबसाइट।
  13. “क्या पैग़म्बर (स) के माता-पिता स्वर्ग में हैं या नरक में?”, इस्लाम वेबसाइट, प्रश्न और उत्तर।
  14. रसूल महल्लाती, दर्सहाइ अज़ तारीख़े तहलीली-ए-इस्लाम, 1371 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 79-91; आमेली, सहीह मिन सिरत अल-नबी अल-आज़म (स), 1415 हिजरी, भाग 2, पृष्ठ 52-53; गफ़्फ़ारी, पावरक़ी किताब मन ला यहज़ोरोहु अल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 89-91।
  15. शेख़ सदूक़, अल-ख़ेसाल, 1362 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 89-91। 1, पेज 56-57.
  16. इब्न हिशाम, सिरत अल-नबविया, दार अल-मारेफ़ा, भाग 1, पेज 153-155; बलाज़री, अंसाब अल-अशराफ़, दार अल-मारेफ़ा, भाग 1, पेज 78-79; शेख़ सदूक़, अल-ख़ेसाल, 1362 शम्सी, भाग 1, पेज 56-57; शेख़ सदूक़, मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह, 1413 हिजरी, भाग 3, पेज 89-91; इब्न शहर-आशोब, मनाकिब आले-अली अबू तालिब (अ.स.), 1379 शम्सी, भाग 1, पेज 20-22.
  17. ग़फ़्फ़ारी, पवारक़ी किताब मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह, 1413 हिजरी, भाग 3, पेज 89-91.
  18. दवानी, तारीख़ इस्लाम अज़ आग़ाज़ ता हिजरत, 1373 शम्सी, पेज 54.
  19. आमेली, सहीह मिन सिरत अल-नबी अल-आज़म (अ.स.), 1415 हिजरी, भाग 2, पेज 52-53.
  20. इब्न साद, अल-तबक़ात अल-कुबरा, 1410 हिजरी, भाग 1, पेज 79; मसऊदी, अल-तनबिय्या वा अल-अशराफ़, दार अल-सावी, पेज 196; इब्न असीर, उसद अल-ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 1409. 20.
  21. ज़हबी, सेयर अल-आलाम अल-नुबला, 1427 हिजरी, भाग 1, पेज 165; इब्न फ़हद, इतिहाफ़ अल-वरा, 1983 ई, भाग 1, पेज 16-17; कुम्मी, कोहल अल-बसर, 1429 हिजरी, पेज 13-14.
  22. याक़ूबी, तारीख़ अल-याक़ूबी, दार अल-सादिर, भाग 2, पेज 10.
  23. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 439.
  24. इब्न असीर, उसद अल-ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 20.
  25. मसऊदी, अल-तनबियह वा अल-अशराफ़, दार अल-सावी, पेज 196.
  26. इब्न असीर, उसद अल-ग़ाबा, 1409 हिजरी, खंड 1, पेज 21.
  27. इब्न शुबा अल-नमिरी, तारीख़ अल-मदीना अल-मुनव्वरा, 1410 हिजरी, भाग 1, पेज 116.
  28. नजमी, “अल्लाह के रसूल (स) के पिता अब्दुल्लाह का दफ़न स्थान”, पेज 109.
  29. हुसाम अल-सल्तनह, सफ़रनामा मक्का, 1374 शम्सी, पेज 148; मरन्दी, “मुफ़रहा अल-अनाम फ़ि तासीसी बैतुल्लाह अल-हराम”, पेज 117; सबरी पाशा, मिरात अल-हरमैन, 1424 हिजरी, भाग 4, पेज 708; जाफ़रियान, आसारे-इस्लामी मक्का वा मदीना, 1380 शम्सी, पेज 370.
  30. क़ायदान, तारीख़ व आसारे-इस्लामी मक्का मुकर्रमा वा मदीना मुनव्वरा, 1386 शम्स, पेज 300.
  31. नजमी, तारीख-हरम अल-आइम्मा अल-बक़ीअ’ वा आसार-उख़रा फ़ि अल-मदीना मुनव्वरा, 1429 हिजरी, पेज 313; क़ायदान, तारीख़ व आसारे इस्लामी मक्का मुकर्रमा व मदीना मुनव्वरा, 1386 शम्सी, पेज 300; जाफ़रियान, आसारे इस्लामी मक्का व मदीना, 1380 शम्सी, पेज 304. 370.
  32. फ़ुरक़ानी, सरज़मीन बादहा व निशानहा, 1379 शम्सी, पेज 40.
  33. मेहदीपुर, अजसादे जावेदान, 1385 शम्सी, पेज 46-47.
  34. काशिफ़ अल-ग़ेता, क़लायद अल-दुरर फ़ी मनासिक मन हज्ज वअतमर, 1367 हिजरी, पेज 114.

स्रोत

  • आयती, मुहम्मद इब्राहिम, तारीख़े पयाम्बरे इस्लाम, तेहरान, तेहरान यूनिवर्सिटी, 1369 शम्सी।
  • इब्न असीर, अली इब्न मुहम्मद, अल-कामिल फी अल तारीख़, बेरूत, दार सादिर, 1385 हिजरी।
  • इब्न असीर, अली इब्न मुहम्मद, उस्दुल ग़ाबा फ़ी मारेफ़त अल-सहाबा, बेरूत, दार अल-फ़िक्र, 1409 हिजरी।
  • इब्न साद, मुहम्मद, अल-तबक़ात अल-कुबरा, बेरूत, दार अल-कुतुब अल-इल्मिया, 1410 हिजरी।
  • इब्न शब्बा-नुमिरी, उमर, तारीख़ अल-मदीना अल-मुनव्वरा, क़ुम, दार अल-फ़िक्र, 1410 हिजरी।
  • इब्न शहर-आशोब, मुहम्मद इब्न अली, मनाक़िब आले-अली अबी तालिब (अ.स.), क़ुम, अल्लामा, 1379 हिजरी।
  • इब्न अब्दुल-बर्र, यूसुफ़ इब्न अब्दुल्लाह, अल-इस्तिआब फ़ि मारिफ़त अल-असहाब, बेरूत, दार अल-जिल, 1412 हिजरी
  • इब्न फ़हद, उमर इब्न मुहम्मद, इतहाफ़ अल-वरा बेअख़बार उम्म अल-क़ुरा, मक्का, उम्म अल-क़ुरा यूनिवर्सिटी, 1983 ई.
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  • बलाज़री, अहमद बिन यह्या, अंसाब अल-अशराफ़, मिस्र, दार अल-मआरिफ़, बी टा.
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  • शेख़ सदूक़, मुहम्मद इब्न अली, मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह, क़ुम, इस्लामिक पब्लिशिंग हाउस, 1413 AH.
  • साबरी पाशा, अय्यूब, मौसूआ मरातुल हरमैन अल-शरीफ़ैन व जज़ीरा अल-अरब, काहिरा, दार अल-आफ़ाक अल-अरबिया, 1424 हिजरी।
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  • आमेली, सय्यद जाफ़र मुर्तज़ा, सहीह मिन सिरत अल-नबी अल-आज़म (स), बेरूत, दार अल-हादी, 1415 हिजरी।
  • गफ़्फ़ारी, अली अकबर, “पावरकी”, शेख़ सदूक़ की लिखी किताब मन ला यहज़ोरोहु अल-फ़कीह में, क़ुम, इस्लामिक पब्लिशिंग हाउस, 1413 हिजरी।
  • फ़ुरक़ानी, मुहम्मद, सरज़मीने यादहा व निशानहा, तेहरान, मशअर, 1379 शम्सी।
  • क़ायदान, अली असग़र, तारीख़ व आसारे इस्लामी मक्का मुुकर्रमा व मदीना मुनव्वरा, तेहरान, मशअर, 1386 शम्सी।
  • कुम्मी, अब्बास, कोहलुल-बसर फ़ी सीरते सय्यद अल-बशर (स), बेरूत, अल-बलाग़ फाउंडेशन, 1429 हिजरी।
  • काशिफ अल-ग़ेता, अहमद, क़लायद अल-दुरर फ़ी मनासिक अल-हज वअतमर, नजफ़, काशिफ अल-ग़ेता फाउंडेशन, 1367 हिजरी।
  • कुलैनी, मुहम्मद इब्न याकूब, अल-काफी, अली अकबर गफ्फ़ारी द्वारा एडिटेड, तेहरान, दार अल-कुतुब अल-इस्लामिया, 1407 हिजरी।
  • मरन्दी, सय्यद इस्माइल, “अल्लाह के पवित्र घर की स्थापना,” मिक़ात अल-हज मैगज़ीन में, नंबर 5, मेहर 1372 शम्सी।।
  • मसऊदी, अली इब्न हुसैन, अल-तनबीह वल-अशराफ़, अब्दुल्लाह इस्माइल अल-सावी द्वारा एडिटेड, काहिरा, दार अल-सावी, बी टा।
  • मेहदीपुर, अली अकबर, अजसादे जावेदान, क़ुम, हाज़िक़ पब्लिशिंग हाउस, 1385 शम्सी।
  • नजमी, मुहम्मद सादिक़, “अल्लाह के रसूल (स) के पिता अब्दुल्लाह के दफ़न की जगह”, मिक़ात हज मैगज़ीन में, इश्यू 22, विंटर 1376 शम्सी।
  • नजमी, मुहम्मद सादिक़, तारीख़े हरमे आइम्मा अल-बक़ीअ व आसार उख़रा फ़ी मदीना अल-मुनव्वरा, क़ुम, इस्लामिक एजुकेशन फ़ाउंडेशन, 1429 हिजरी।
  • याक़ूबी, अहमद बिन इसहाक़, तारीख़े अल-याक़ूबी का इतिहास, बेरूत, दार सादिर, बी टा।
  • “क्या पैग़म्बर मुहम्मद के माता-पिता स्वर्ग जा रहे हैं?”, दार अल-इफ्ता मिस्र वेबसाइट, एंट्री की तारीख: 3 नवंबर, 2013, विज़िट की तारीख: 17 आबान, 1404 शम्सी।
  • “क्या पैग़म्बर (स) के माता-पिता स्वर्ग में हैं या नरक में?”, इस्लाम वेबसाइट, सवाल और जवाब, एंट्री की तारीख: 16 फरवरी, 2004, विज़िट की तारीख: 17 आबान, 1404 शम्सी।