रूह अल-क़ुदुस

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रूह अल-क़ुदुस (अरबीः روح القدس) जिसका अर्थ पवित्र आत्मा है, दोषों और अपूर्णताओं के बिना एक सुंदर प्राणी है। जिब्राईल जैसे प्राणियों, आलम ए मुजर्रद से प्राणी, अदृश्य शक्ति, सक्रिय बुद्धि, रुह अल अरवाह और महान स्वर्गदूतों को रुह अल-क़ुदुस के उदाहरण के रूप में पेश किया गया है। इस्लामी स्रोतों में, पैग़म्बरों तक वही लाने, विश्वासियों (मोमिनो) की मदद करने, पैग़म्बरों के ज्ञान का स्रोत, अहले-बैत (अ) को निर्णय और ज्ञान प्रदान करने का स्रोत और न्याय के दिन शफ़ाअत जैसे कर्तव्यो का रुह अल-क़ुदुस को जिम्मेदार ठहराया गया है।

ईसाई साहित्य में रुह अल-क़ुदुस तीन उक़नूम (पिता, पुत्र और रुह अल-क़ुदुस) में से तीसरा उक़नूम है; निस्संदेह, कुछ ईसाई धर्मशास्त्रियों ने उसकी दिव्यता (उलूहियत) को स्वीकार नहीं किया है। रुह अल-क़ुदुस शब्द का प्रयोग क़ुरआन, पवित्र पुस्तकों और फ़ारसी और अरबी साहित्य में किया जाता है। फ़ातिमा अलीपुर की पुस्तक "तहलील फ़लसफ़ी व इरफ़ानी रुह अल-क़ुदुस दर मुतूने दीनी" पारसी, यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म में रूह अल-क़ुदुस के स्थान की व्याख्या करती है।

परिभाषा और स्थान

रूह अल-क़ुदुस, जिसका अर्थ पवित्र आत्मा है, यह ऐसा प्राणी है जो दोषों और अपूर्णताओं से मुक्त।[१] किताब मुक़द्दस (बाइबिल) के शब्दकोष (क़ामूस) में कहा गया है, रुह अल-क़ुदुस को पवित्र (मुकद्द) इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका एक कार्य विश्वासियों के दिलों को पवित्र करना है और ईश्वर और ईसा मसीह में इसकी रुचि के कारण इसे रुह अल्लाह और रुह मसीह भी कहा जाता है।[२]

इस शब्द का प्रयोग कुरआन और बाइबिल में किया गया है; कुरआन ने रुह अल-क़ुदुस द्वारा क़ुरआन के अवतरण[३] और उसके द्वारा यीशु (हज़रत ईसा) की पुष्टि[४] के बारे में बात की है। इस शब्द का प्रयोग फ़ारसी साहित्य में भी किया जाता है।

रुह अल-क़ुदुस कौन है?

रुह अल-क़ुदुस की हक़ीक़त के बारे में विभिन्न संभावनाओं का उल्लेख किया गया है:

  • जिब्रईल: कई टिप्पणीकारों ने रुह अल-क़ुदुस को जिब्रईल माना है।[५] जिब्रईल को रुह अल-क़ुदुस कहना उनकी आध्यात्मिकता और पवित्रता के साथ-साथ धर्म को जीवित रखने में उनकी भूमिका को दर्शाता है।[६]
  • आलमे मुजर्रेदात से एक प्राणी: अल्लामा तबातबाई रुह अल-क़ुदुस को स्वर्गदूतों के अलावा आलमे मुजर्रेदात से एक प्राणी मानते हैं, जो पैगंबरों को रहस्योद्घाटन (वही) पहुंचाने में उनके साथ होते थे।[७]
  • वरिष्ठ स्वर्गदूत: इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत में, रुह अल-क़ुदुस को जिब्रईल और मीकाईल से भी महान एक स्वर्गदूत के रूप में पेश किया गया है, जो पैगंबर (स) के साथ था और पैग़मबर (स) के बाद वह शियो के इमामो के साथ है।[८] कुछ रिवायतो में रुह अल-क़ुदुस को वही रुह माना जाता है जिसका उल्लेख शबे-क़द्र में स्वर्गदूतों के साथ उसके अवतरण के बारे में क़ुरआन[९] में किया गया है।[१०]
  • अदृश्य शक्ति: रूह अल-क़ुदुस, महान नाम (इस्मे आज़म)[११] या अदृश्य शक्ति[१२] जिसके साथ ईसा मसीह मृतकों को पुनर्जीवित करते थे। यह शक्ति सभी विश्वासियों में कमज़ोर रूप में मौजूद है जो उनकी मदद करती है और उन्हें पाप करने से रोकती है।[१३]
  • पहला निर्गम: सय्यद हैदर आमोली के अनुसार, होकमा इस बात से सहमत हैं कि पहला निर्गम बुद्धि है; निःसंदेह, इसे रुह अल-क़ुदुस और सक्रिय बुद्धि सहित विभिन्न नामों से पुकारा गया है।[१४]
  • रूह अल-अरवाह: रहस्यवादियों के कुछ कार्यों में, रुह अल-क़ुदुस को रूह अल-अरवाह कहा जाता है, जो ईश्वर की रचना नहीं है; बल्कि यह ईश्वर के चेहरों में से एक है जिस पर प्राणियों की आत्माएँ आधारित हैं।[१५]

कर्तव्य

पवित्र क़ुरआन और हदीसों में कर्तव्यों का श्रेय रुह अल-क़ुदुस को दिया गया है।

  • पैग़म्बरों को रहस्योद्घाटन संप्रेषित करना: चूंकि रुह अल-क़ुदुस जिब्रईल है, इसलिए पैगंबरो तक ईश्वर के संदेश को पहुंचाना और संप्रेषित करना उसके कर्तव्यों में से एक है।
  • पैग़म्बरों और औलिया ए इलाही के समर्थक और सहायक: कुरआन की आयतों में जहां रुह अल-क़ुदुस द्वारा ईसा मसीह की पुष्टि का उल्लेख किया गया है, टिप्पणीकारों के अनुसार, पुष्टि का अर्थ है मजबूती और मदद है।[१६] कुछ लोग बाइबिल को रुह अल-क़ुदुस के रुप मे धर्मग्रंथ मानते हैं।[१७]
  • पैग़म्बरों के ज्ञान की उत्पत्ति: कुछ रिवायतो में, पैग़म्बरों और दूतों के अस्तित्व में पांच आत्माओं की उपस्थिति का उल्लेख किया गया है, और रुह अल-क़ुदुस उनमें से एक है जिसके माध्यम से पैगंबर चीजों को जानते हैं।[१८]
  • अहले-बैत (अ) के लिए ईश्वरीय आदेश का पहुंचाना: रिवायतो के आधार पर, अहले-बैत परमेश्वर के आदेश, पैग़म्बर दाऊद के फैसले और रुह अल-क़ुदुस के माध्यम से उनके दिलों पर उतरने वाली चीजो के माध्यम से फैसले करते थे।[१९]
  • क़यामत के दिन शफ़ाअत: पैग़म्बर (स) की एक हदीस के आधार पर न्याय के दिन सर्वप्रथम शफ़ाअत करने वाला रुह अल-क़ुदुस है।[२०]
  • विश्वासियों की मदद करना: रूह अल-क़ुदुस की रिवायतो के अनुसार, वह विश्वासियों की तब तक मदद करेगा जब तक वे पैग़म्बर (स) और अहले-बैत (अ) का समर्थन करते हैं।[२१] इस्लामी इतिहासकार इब्ने असीर की रिपोर्ट के अनुसार, जाहिली काल के दौरान अरब कवि हस्सान बिन साबित जिन्होंने पैग़म्बर (स) के बचाव में और इस्लाम के दुश्मनों पर व्यंग्य कविता कही थी रुह अल-क़ुदुस द्वारा अनुमोदित किया जा सकता है जब तक वह पैग़म्बर (स) का समर्थन करता है।[२२]

दिव्यता

ईसाई साहित्य में, रुह अल-क़ुदुस तीन उकनूम (पिता, पुत्र और रुह अल-क़ुदुस) के बीच तीसरा उक़नूम है।[२३] बाइबिल में जीवन का श्रेय उसे दिया जाता है।[२४] बाइबिल के अनुसार, विश्वासी पश्चाताप के दौरान रुह अल-क़ुदुस को उपस्थित पाते है और वह उन्हें पाप से शुद्ध करता है;[२५] हालांकि, ईसाई धर्मशास्त्री रूह अल-क़ुदुस दिव्यता के बारे में असहमत हैं। उनमें से कुछ रुह अल-क़ुदुस के दिव्य चरित्र को नकारते हैं और उसे एक देवदूत मानते हैं।[२६] दूसरों का मानना है कि रुह अल-क़ुदुस एक स्वतंत्र प्राणी नहीं है; बल्कि, यह ईश्वर की अभिव्यक्ति है और वे उसकी दिव्यता में विश्वास करते हैं।[२७]

मोनोग्राफ़ी

फ़ातिमा अली पुर की पुस्तक "तहलील फ़लसफ़ी व इरफ़ानी रूह अल-क़ुदुस दर मुतूने दीनी" पारसी, यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म में रुह अल-क़ुदुस के स्थान की व्याख्या करती है। साथ ही इस पुस्तक में मुस्लिम विचारकों के दार्शनिक और रहस्यमय विचारों का विश्लेषण और मूल्यांकन किया गया है।[२८]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. ज़मख़्शरी, अल कश्शाफ़, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 162
  2. हाकस, क़ामूस किताब मुक़द्दस, 1394 शम्सी, पेज 424
  3. सूर ए नहल, आयत न 102
  4. सूर ए बकरा, आयात 87, 253 सूर ए माएदा, आयत न 110
  5. देखेः तूसी, अल तिबयान, बैरूत, भाग 1, पेज 340; मकारिम शिराज़ी, तफसीर नमूना, 1374 शम्सी, भाग 1, पेज 339
  6. देखेः अबू हय्यान अंदलूसी, अल बहर अल मोहीत, 1420 हिजरी, भाग 1, पेज 481; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1374 शम्सी, भाग 1, पेज 339
  7. तबातबाई, अल मीज़ान, भाग 13, पेज 196-198
  8. क़ुमी, तफसीर अल कुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 279
  9. सूर ए क़द्र, आयत न 4
  10. मजलिसी, बिहार अल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 94, पेज 14
  11. अबू हय्यान अंदलूसी, अल बहर अल मोहीत, 1420 हिजरी, भाग 1, पेज 481
  12. देखेः मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1374 शम्सी, भाग 1, पेज 339
  13. देखेः मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1374 शम्सी, भाग 1, पेज 339
  14. आमोली, जामेअ अल असरार, 1347 शम्सी, भाग 1, पेज 488
  15. जैली, अल इंसान अल कामिल फ़ी मारफ़ा अल अवाख़िर वल अवाइल, 1418 हिजरी, पेज 150
  16. फ़ख्री राज़ी, मफ़ातीह अल ग़ैब, 1420 हिजरी, भाग 3, पेज 596; तबरसी, मजमा अल बयान, 1372 हिजरी, भाग 1, पेज 207
  17. देखेः मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1374 शम्सी, भाग 1, पेज 339; तूसी, अल तिबयान, बैरुत, भाग 1, पेज 340
  18. कुलैनी, अल काफी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 272
  19. कुलैनी, अल काफी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 398
  20. हाकिम नेशाबूरी, अल मुस्तदरक अला अल सहीहैन, बैरुत, भाग 4, पेज 496-498
  21. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 8, पेज 102
  22. इब्ने असीर, असद अल ग़ाबा, 1409 हिजरी, भाग 1, पेज 482
  23. हाकस, क़ामूस किताब मुकद्दस, 1394 शम्सी, पेज 424
  24. हाकस, क़ामूस किताब मुकद्दस, 1394 शम्सी, पेज 424
  25. हाकस, क़ामूस किताब मुकद्दस, 1394 शम्सी, पेज 424
  26. मक गरास, दर आमदी बर इलाहीयात मसीही, 1385 शम्सी, पेज 309-310
  27. सुलैमानी, अरदिस्तानी, दर आमदी बर इलाहीयात तत्बीक़ी इस्लाम व मसीहीयत, 1382 शम्सी, पेज 126-127
  28. तहलील फ़लसफ़ी व इरफ़ानी रूह अल-क़ुदुस दर मुतूने दीनी, मंतशिर शुद, पाएगाह इत्तेला रसानी हौज़ा


स्रोत

  • क़ुरआन
  • आमोली, सय्यद हैदर बिन अली, जामे अल असरार व मनबा अल नूर, शोधः हानरी कूरबिन व उसमान इमाईल याह्या, तेहरान, 1347 शम्सी
  • इब्ने असीर, अली बिन मुहम्मद, असद अल गाबा फ़ी मारफ़त अल सहाबा, बैरूत, दार अल फिक्र, 1989 ईस्वी
  • अबू हय्यान अंदलूसी, महुम्मद बिन यूसुफ़, अल बहर अल मोहीत फ़ी अल तफसीर, शोधः सदक़ी मुहम्मद जमील, बैरूत, दार अल फ़िक्र, 1420 हिजरी
  • जैली, अब्दुल करीम बिन इब्राहीम, अल इंसान अल कामिल फ़ी मारफ़ितल अवाख़िर वल अवाइल, शोधः सलाह मुहम्मद अवीज़ेह, बैरूत, दार अल कुतुब अल इल्मीया / मंशूरात मुहम्मद अली बैयज़ून, 1418 हिजरी
  • हाकिम नेशाबूरी, मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह, अल मुस्तदरक अला अल सहीहैन, बैरूत, दार अल मारफ़ा
  • ज़मखशरी, महमूद, अल कश्शाफ़ अन हक़ाइक गवामिज़ अल तंज़ील, बैरूत, दार अल किताब अल अरबी, 1407 हिजरी
  • सुलैमानी उरदिस्तानी, अब्दुर रहीम, दर आमदी बर इलाहीयात तत्बीकी इसलाम व मसीहीयत, क़ुम, किताब ताहा, 1382 शम्सी
  • शेख तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल तिबयान फ़ी तफसीर अल कुरआन, दार एहया अल तुरास अल अरबी
  • तबरसी, फ़ज़्ल बिन हसन, मजमा अल बयान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, तेहरान, नासिर खुसरो, 1372 शम्सी
  • अल्लामा तबातबाई, सय्यद मुहम्मद हुसैन, अल मीज़ान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी लिल मतबूआत, 1390 हिजरी
  • अल्लामा मजलिसी, मुहम्मद बाकिर, बिहार उल अनवार, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, 1403 हिजरी
  • फ़ख्रे राज़ी, मुहम्मद बिन उमर, मफ़ातीह अल ग़ैब, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, 1420 हिजरी
  • क़ुमी, अली बिन इब्राहीम, तफसीर अल कुमी, संशोधनः तय्यब मूसवी जज़ाएरी, क़ुम, दार अल किताब, 1404 हिजरी
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल काफी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1407 हिजरी
  • मकारिम शिराज़ी, नासिर, तफसीर नमूना, तेहारन, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1374 शम्सी
  • मेग गरास, अल यस्तर, दर आमदी बर इलाहीयात मसीही, अनुवाद ईसा दीबाज, तेहरान, किताब रौशन, 1385 हिजरी
  • हाकस, जेम्ज़, क़ामूस किताब मुक़द्दस, तेहरान, इंतेशारात असातीर, 1394 शम्सी
  • तहलील फ़लसफ़ी व इरफ़ानी रुह अल-क़ुदुस दर मुतूने दीनी, मुंतशिर शुद, पाएगाह इत्तेला रसानी हौजा