जफ़्र

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जफ़्र (अरबीः الجفر) एक हदीस की किताब का शीर्षक है जो बकरी की खाल पर पैग़म्बर (स) की वर्तनी और हज़रत अली (अ) के लेखन मे लिखी गई है। जफ़्र नामक किताब इमामत की निशानी और इमाम के ज्ञान के स्रोतों में से एक है, कुछ रिवायतो के अनुसार केवल पैगंबर (स) और उनके उत्तराधिकारी ही इसे देख सकते हैं।

कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि जफ़्र शीर्षक नामक पुस्तक कोड भाषा में लिखी गई है और उसमें घटनाओ और आपदाओं का ज्ञान दर्ज है। बकरी की खाल का खराब ना होना तथा इसकी स्याही का ख़त्म ना होना हदीसो मे वर्णित विशेषताओ मे से है। कुछ शोधकर्ता हदीसों का हवाला देते हुए मानते हैं कि यह किताब अब इमाम ज़माना (अ) के पास है।

कुछ हदीसों के अनुसार, इमामों (अ) के जफ़्र के अलावा भी दूसरी कुछ ज़फ़्र हैं जोकि किताबे नही है और केवल अन्य आध्यात्मिक वस्तुओं, जैसे तौरैत, बाइबिल (इंजील) और मुस्हफ़ ए फातिमा को रखने के लिए भंडारगृह हैं। जफ़्र के विषय पर किताबें लिखी गई हैं, जिनमे 1968 मे जन्मे अकरम बरकात आमोली द्वारा लिखित "हक़ीक़तुल जफ़्र इन्दश शिया" है।

परिचय और स्थान

शिया हदीसों के अनुसार, जफ़्र पैग़म्बर (स) की वर्तनी और इमाम अली (अ) के लेखन में लिखी गई एक किताब है।[१] शब्दकोष मे जफ़्र मेमने और बकरी के बच्चे को कहा जाता है।[२] इस लिए हदीसी शब्दों मे जफ़्र उस विशेष किताब को कहा जाता हो जोकि पैगंबर (स) की वर्तनी और इमाम अली (अ) के लेखन में लिखी गई एक किताब है।[३]

इमाम काज़िम (अ) की एक हदीस के अनुसार पैग़म्बर (स) के जीवन के अंतिम दिनों में भगवान ने उन्हें अली बिन अबी तालिब (अ) के साथ ओहोद पर्वत पर जाने और वहां मिली एक बकरी को काटने का आदेश दिया। इस आदेश को पूरा करने के लिए उन्हे जानवर की तैयार खाल मिली। जिब्राईल स्वर्गदूतों (फ़रिश्तों) के एक समूह के साथ कलम और हरे रंग की स्याही लेकर नाज़िल हुए, और अली (अ) ने उस कलम और स्याही से उस तैय्यार खाल पर किताब लिखी।[४]

कुछ रिवायतो के अनुसार, जफ़्र इमामत की वह निशानी है जो मालिक के इमाम होने पर दलालत करती है।[५] अल ज़रीया नामक किताब के लेखक आगा बुज़ुर्ग तेहरानी के अनुसार, जफ़्र किताब, इमामत की अन्य निशानीयो की भांती शियो के इमामों के हाथो द्वारा अब यह इमाम महदी (अ) के पास है।[६] कुछ लेखकों ने जफ़्र के ज्ञान का इमाम अली (अ) को जिम्मेदार ठहराया है।[७] दूसरे कुछ शोधकर्ताओं ने इस दावे को बिना दलील के माना है।[८]

अन्य जफ़्र

कुछ रिवायतो मे दूसरे जफ़्र जैसे जफ़्रे अब्यज़ (श्वेत) और जफ़्रे अहमर (लाल) का उल्लेख किया गया है।[९] 1968 मे जन्मे अकरम बरकात लेबनानी लेखक का मानना है कि दूसरे जफ़्र, जफ़्र नामक किताब से हट कर है। जोकि आध्यात्मिक चीजो कि देखभाल के लिए बनाए गए भंडारगृह है।[१०] कुछ रिवायतो के आधार पर सोहफ़ ए इब्राहिम,[११] तौरैत, इंजील, ज़बूर और मुस्हफ़ ए फ़ातिमा जैसी किताबे जफ़्र अब्यज़[१२] मे और पैगंबर (स) की तलवार जफ़्र अहमर मे संग्रहित है।[१३]

कंटेंट और विशेषताएँ

इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत के आधार पर खतरों और आपदाओं का ज्ञान और क़यामत के दिन की शुरुआत से लेकर क़यामत के समय तक की सभी घटनाओं की खबर जफ़्र किताब में दर्ज है।[१४] इमाम सादिक़ (अ) की रिवायत के अनुसार ज़हूर की निशानीयां और क़यामत तक पैदा होने वाले अली (अ) के दोस्त और दुश्मन, तथा उनका ज्ञान केवल भगवान और उनको है जो रासेखून फ़िल इल्म है, इसकी व्याख्या जफ़्र में उल्लिखित कुछ छोटे छोटे मुद्दे हैं।[१५]

कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, जफ़्र कोड भाषा में लिखी गई किताब है।[१६] जफ़्र संक्षिप्त श्ब्दो मे बकरी की खाल पर व्यापक अर्थ के साथ बकरी की खाल पर दुनिया की सभी घटनाओ को रिकॉर्ड करना शोधकर्ता विंसगति को हल करने की कोशिश बताते है।[१७] इन समस्याओं को हल करने के लिए आठवी शताब्दी के हनफ़ी विद्वान सैय्यद मीर शरीफ़ जुर्जानी (740-816 हिजरी) का मानना है कि जफ़्र किताब को अक्षरों के विज्ञान की पद्धति का उपयोग करके लिखा गया था।[१८] लेकिन अकरम बरकात ने इस पुस्तक की गुप्त प्रकृति को स्वीकार करते हुए, जुर्जानी के कथन को बिना दलील के एक दावा बताते हुए कहा कि हदीसों में इसके बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं है।[१९]

बकरी की खाल का खराब ना होना और इसकी स्याही का ख़त्म ना होना हदीसो मे वर्णित जफ़्र की विशेषताओ मे से है।[२०] इमाम काज़िम (अ) की हदीस मे आया है कि ज़फ़्र को देखना पैग़म्बर (स) और उनके उत्तारधीकारीयो की विशेषता है और केवल पैग़मबर और उनके उत्तराधीकारी ही इसको देख सकते है।[२१]

जफ़्र किताब मे इमामों के उद्धरणों के प्रमाण

कुछ हदीसों में उल्लेख किया गया है कि आइम्मा (अ) ने जफ़्र की किताब का हवाला दिया और उन्हें अनदेखी मामलों की जानकारी दी; इन रिवायतो में इमाम ज़माना (अ) के जन्म के समय, उनके लंबे जीवन और ग़ैबत की घटना[२२] और इमाम रज़ा (अ) का उनका क्राउन प्रिंस के पद पर ना पहुचने की ख़बर देना इत्यादि।[२३]

सुन्नीयो का दृष्टिकोण

अधिकांश सुन्नियों ने जफ़्र किताब का श्रेय इमाम सादिक़ (अ) को दिया है।[२४] 8वीं शताब्दी के ज़ैदीया संप्रदाय से संबंध रखने वाले इतिहासकार इब्ने खल्दून के अनुसार किताब जफ़्र हारून बिन सईद अजली द्वारा लिखी गई है, जिसमे इमाम सादिक़ (अ) से भविष्य की घटनाओं के बारे में चर्चा की गई है।[२५]

सलफियों के नेता इब्ने तैमीया ने भविष्य की ख़बरों के विषय पर जफ़्र नामक किताब और इमामों की किसी भी किताब के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया है।[२६] कुछ सुन्नी लेखकों के अनुसार, इसका श्रेय इब्ने तैमियाह द्वारा जफ़्र के इनकार का कारण ईश्वर और कुछ नबियों के लिए अनदेखी का ज्ञान है।[२७]

मोनोग्राफी

जफ़्र के विषय पर लिखी गई कुछ पुस्तकें इस प्रकार हैं:

  • अकरम बरकात आमोली द्वारा लिखित " हक़ीक़त अल-जफ़्र इन्दश शिया"; यह पुस्तक को पहली बार 1416 हिजरी में 285 पृष्ठों में लेबनान के दार अस सफ़्वा पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित किया गया था।[२८]
  • सैय्यद हुसैन मूसवी ज़ंजानी द्वारा लिखित "निगाही नौ बे जफ़्रे अली (अ)"; सलसबील पब्लिशिंग हाउस के प्रयासों से 2004 मे 64 पृष्ठो पर आधारित पहली बार प्रकाशित हुई।[२९]

सैय्यद अम्मार सदरुद्दीन मूसवी आमोली द्वारा लिखित "बहस हौलल जफ़्र वा इल्म अल-मासूम (अ) मिन खेलाल अल आसार" इस पुस्तक का पहला संस्करण 1419 हिजरी में और दूसरा संस्करण 1429 हिजरी में अल-महज्जा अल-बैयजा बेरुत के प्रयास से प्रकाशित हुआ था।[३०]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. सफ़्फ़ार, बसाइर अल-दरजात, 1404 हिजरी, पेज 159, 506-507; अय्याशी, तफसीर अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 2, पेज 28
  2. इब्ने मंज़ूर, लेसान अल अरब, जफ़्र शब्द के अंतर्गत, फ़्यूमी, अलमिस्बाह अल मुनीर, जफ़्र शब्द के अंतर्गत
  3. बरकात, हक़ीक़त अल जफ़्र इन्दश शिया, 1430 हिजरी, पेज 28-30
  4. सफ़्फ़ार, बसाइर अल-दरजात, 1404 हिजरी, पेज 506-507
  5. सफ़्फ़ार, बसाइर अल-दरजात, 1404 हिजरी, पेज 158; शेख सदूक़, मआनी अल अखबार, 1403 हिजरी, पेज 102-103; शेख सदूक़, मन ला याहजेरोह अल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 418-419
  6. आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल जरीआ, 1403 हिजरी, भाग 5, पेज 119
  7. काशेफ़ी, हिर्ज़ अल इमाम, चाप संगी, पेज 8
  8. बहार दोस्त, जफ़्र वा जामे, पेज 478
  9. सफ़्फ़ार, बसाइर अल-दरजात, 1404 हिजरी, पेज 153; कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 240
  10. बरकात, हक़ीक़त अल जफ़्र इन्दश शिया, 1430 हिजरी, पेज 43
  11. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 240
  12. शेख मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 186
  13. शेख मुफ़ीद, अल इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 186; फ़िताल नेशापुरी, रौज़ा अल वाएज़ीन, 1375 शम्सी, भाग 1, पेज 211
  14. शेख़ सदूक़, कमालुद्दीनन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 353
  15. सफ़्फ़ार, बसाइर अल-दरजात, 1404 हिजरी, पेज 507
  16. बरकात, हक़ीक़त अल जफ़्र इन्दश शिया, 1430 हिजरी, पेज 69
  17. बरकात, हक़ीक़त अल जफ़्र इन्दश शिया, 1430 हिजरी, पेज 69
  18. जुरजानी, शरह अल मुवाफ़िक, 1325 हिजरी, भाग 6, पेज 22
  19. बरकात, हक़ीक़त अल जफ़्र इन्दश शिया, 1430 हिजरी, पेज 70
  20. सफ़्फ़ार, बसाइर अल-दरजात, 1404 हिजरी, पेज 506-507
  21. सफ़्फ़ार, बसाइर अल-दरजात, 1404 हिजरी, पेज 158-159; कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 312
  22. शेख़ सदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 353
  23. इब्ने शहर आशोब, मनाक़िब आले अबि तालिब, 1379 हिजरी, भाग 4, पेज 365
  24. बहार दोस्त, जफ़्र वा जामे, पेज 477
  25. इब्ने ख़लदून, तारीख इब्ने ख़लदुन, 1408 हिजरी, भाग 1, पेज 415-416
  26. इब्ने तैमीया, मिनहाज अल सुन्ना अल नबावीया, 1406 हिजरी, भाग 8, पेज 136
  27. अबुल अज़ाइम, अल जफ़्र, 1432 हिजरी, पेज 18
  28. बरकात, हक़ीक़त अल जफ़्र इन्दश शिया, 1430 हिजरी, पेज 70
  29. मूसवी जंजानी, निगाही नो बे जफ़्र अली, 1384 शम्सी
  30. मूसवी आमोली, बहस हौला अल जफ़्र व इल्म अल मासूमीन, 1429 हिजरी

स्रोत

  • आक़ा बुर्ज़ुग तेहरानी, मुहम्मद मोहसिन, अल ज़रीया इला तसानीफ़ अल शरीया, बैरूत, दार अल अज़्वा, 1403 हिजरी
  • अबू अल अज़ाइम, मुहम्मद माज़ी, अल जफ़्र, क़ाहेरा, दार अल कुतुब अल सूफ़ी, 1432 हिजरी
  • इब्ने तैमीया, अहमद बिन अब्दुल हलीम, मिन्हाज अल सुन्ना अल नबावीया फ़ी नकज़ कलाम अल शिया वल क़दारीया, रियाज़, जामेअतुल इमाम मुहम्मद बिन सऊद अल इस्लामीया, 1406 हिजरी
  • इब्न ख़लदून, अब्दुर रहमान बिन मुहम्मद, तारीख इब्ने खलदून, बैरूत, दार अल फ़िक्र, 1408 हिजरी
  • इब्ने शहर आशोब, मुहम्मद बिन अली, मनाक़िब आले अबि तालिब (अ), क़ुम, अल्लामा, 1379 हिजरी
  • इब्ने मंज़ूर, मुहम्मद बिन मुकर्रम, लेसान अल अरब, बैरूत, दार अल सादिर, 1414 हिजरी
  • बरकात, अकरम, हक़ीक़तुल जफ़्र इन्दश शिया, बैरुत, दार अल सफ़वा, 1430 हिजरॉ
  • बहार दोस्त, अली रज़ा, जफ़्र वा जामे, दर दानिश नामे जहान इस्लाम, तेहरान, बुनयाद दाएरतुल मआरिफ़ इस्लामी, 1393 शम्सी
  • जुरजानी, अली बिन मुहम्मद, शरह अल मुवाफ़िक़, क़ुम, अल शरीफ़ अल रज़ी, 1325 हिजरी
  • शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, कमालुद्दीन वा इतमाम अल नेअमा, तेहरान, इस्लामी., 1395 हिजरी
  • शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, मन ला याहज़ेरोह अल फ़क़ीह, क़ुम, दफ्तर इंतेशारात इस्लामी, 1413 हिजरी
  • शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, मआनी अल अखबार, क़ुम, दफ़तरे इंतेशारात इस्लामी, 1403 हिजरी
  • शेख मुफ़ीद, मुहम्मद बिन नौमान, अल इरशाद फ़ी मारफ़ते हुजज अल्लाह अलल एबाद, क़ुम, कुंगरा ए शेख मुफ़ीद, 1413 हिजरी
  • सफ्फार, मुहम्मद बिन हसन, बसाइर अल दरजात फ़ी फ़ज़ाइल मुहम्मद, क़ुम, किताब खाना ल आयतुल्लाह मरअशी, 1404 हिजरी
  • अय्याशी, मुहम्मद बिन मसऊद, तफसीर अल अय्याशी, तेहरान, अल मतबआ अल इल्मीया, 1380 हिजरी
  • फ़िताल नेशाबूरी, मुहम्मद बिन अहमद, रौज़ातुल वाएज़ीन, व बसीरतुल मुताअज़्ज़ीन, क़ुम, इंतेशारात रज़ी, 1375 शम्सी
  • फयूमी, अहमद बिन मुहम्मद, अल मिस्बाह अल मुनीर, बैरूत, अल मकतबा अल असरीया, 1428 हिजरी
  • काशेफ़ी, अली बिन हुसैन, हिरज अल अमान, मिन फ़ितन अल जमान, चाप संगी
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल काफ़ी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1407 हिजरी
  • मूसवी ज़िनजानी, सय्यद हुसैन, निगाही नो बे जफ्र अली, कुम, सलसबील, 1384 शम्सी
  • मूसवी आमोली, सय्यद अम्मार सद्रूद्दीन, बहस हौला अल जफ़्र व इल्म अल मासूमीन (अ) मिन ख़ेलाल अल आसार, बैरूत, दार अल मोहज्जतुल बैयज़ा, 1429 हिजरी