हज़रत अली (अ) की किताब
किताबो अली (फ़ारसी: (ع)کتاب علی) या अल-जामेआ, जोकि पैग़ंबरे इस्लाम (स) द्वारा इमला और इमाम अली (अ) द्वारा लिखी गई हदीस की किताब है। यह पुस्तक इमामत की निशानीयो में से एक है, जो इस बात की ओर इशारा करती है कि इसका मालिक इमाम है। हदीसों के अनुसार, अल-जामे में, सभी शरीयत के अहकाम, यहां तक कि छोटे से छोटा हुक्म भी वर्णित हैं। इस पुस्तक के अन्य विषयों में नैतिकता, विश्वास (अकाइद), नबीयों की कहानियां और बातीनी रिवायते शामिल हैं।
हदीसों में वर्णित है कि इस पुस्तक को अहले-बैत (अ) के अलावा अन्य लोगों द्वारा देखा गया था; जिसमें मुहम्मद बिन मुस्लिम, ज़ोरारा बिन आयन और मंसूर अब्बासी शामिल हैं। मेहदी महरेज़ी ने "किताबो अली" नामक पुस्तक अलजामे के विषय पर लिखी है।
परिचय और महत्व
शिया हदीसों के अनुसार, किताब उल-जामेअ एक ऐसी किताब है जिसे पैगंबर (स) द्वारा इमला और इमाम अली (अ) द्वारा लिखी गई हदीसी किताब है।[१] रिवायतो मे दूसरे शीर्षक जैसे "सहीफ़ा"[२] और "किताबे अली"[३] इस्तेमाल किए गए है कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि वे सभी एक ही किताब से संबंधित हैं ; क्योंकि इन रिवयतो में इन शीर्षकों के लिए समान विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।[४] दूसरी ओर, आग़ा बुज़ुर्ग तेहरानी (1293-1389 हिजरी) का मानना है कि "किताबो अली" अल-जामेआ से अलग है।[५]
अल-जामेआ, इमाम की निशानी
कुछ रिवायतो के अनुसार, अल-जामेअ इमामत की निशानियो मे से एक है, जो इस बात को इंगित करती है कि इसका मालिक इमाम है।[६] आगा बुज़ुर्ग तेहरानी का मानना है कि किताबो अली, इमामत की दूसरी निशानी है जो शिया इमामों के बीच एक हाथ से दूसरे हाथ तक होते हुए आज इमाम महदी (अ) के पास है।[७]
किताब की सामग्री
विभिन्न रिवायतो के अनुसार, किताबे जामेआ मे हलाल और हराम से संबंधित सभी अहकाम, यहां तक कि ख़राश की दीयत जैसे छोटे छोटे मामलो का उल्लेख किया गया है।[८] कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि इस पुस्तक को "अल जामेआ" इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमे सभी अहकाम का वर्णन है।[९] पंद्रहवीं शताब्दी के शिया शोधकर्ता सैय्यद हुसैन मुदर्रेसी तबताबाई ने कई रिवायतो का हवाला देते हुए किताबो अली के मोहतवा (सामग्री) पर निम्नलिखित विषयों को शामिल करने पर विचार किया: फ़ुरूए दीन के अहकाम (नमाज़, हज, जिहाद, निकाह और तलाक, क़ज़ा अर्थात न्याय और गवाही, हुदूद और दियात) अखलाक़, अक़ाइद और फ़ज़ाइल अर्थात गुण, नबीयों की कहानीया और बातेनी रिवायात शामिल है।[१०]
विशेषताएँ
रिवायतो में किताबो अली का आकार सत्तर हाथ लंबा (लगभग 35 मीटर) बताया गया है[११] और इसकी चौड़ाई ऊंट की जांघ जितनी मोटी है,[१२] जो इसकी विशालता और मोटाई को इंगित करती है;[१३] हालांकि, कुछ रिवायतो मे है कि यह पुस्तक छोटी थी और तलवार की म्यान में आ जाती थी।[१४] कुछ शोधकर्ताओं ने कुछ दूसरी रिवायतो का हवाला देते हुए, इस छोटी किताब को पूरी किताब नहीं, बल्कि किताब का एक भाग माना है।[१५] सय्यद मुहम्मद काज़िम तबातबाई (जन्म 1344) का मानना है कि यह छोटी किताब किताबो अली के अलावा दूसरी किताब है।[१६]
रिपोर्टरस
मजीद मारिफ (जन्म 1332) के शोध के अनुसार, चालीस से अधिक लोगों ने अल-जामेअ किताब के वुजूद का वर्णन किया है।[१७] कुछ रिवायतो के अनुसार आइम्मा के कुछ सहाबी मुहम्मद बिन मुस्लिम,[१८] ज़ोरारा बिन आयन,[१९] अबू बसीर मुरादी,[२०] अब्दुल मलिक बिन आयुन[२१] और मुअतब्ब[२२] और कुछ आइम्मा (अ) के दुश्मन जैसे मंसूर अब्बासी ने किताबे जामेआ देखी है।[२३] सय्यद मुहम्मद काज़िम तबातबाई के अनुसार वसाइल उश शिया किताब में किताबो अली से 80 रिवायतो का वर्णन किया गया है।[२४]
सुन्नीयो का दृष्टिकोण
कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, शिया रिपोर्टों के विपरीत जो किताब जफ़्र, जामेआ और उनकी सामग्री के बीच अलगाव किया है, हालांकि सुन्नी शोधकर्ताओ की ओर से प्राप्त रिपोर्टों में ऐसा कोई अलगाव नहीं है। सुन्नी रिपोर्टों के अनुसार जहां इन दोनों पुस्तकों का अलग-अलग उल्लेख किया गया है, दोनों के मत्न को एक ही रूप में प्रस्तुत किया गया है।[२५] 8वीं शताब्दी के हनफ़ी विद्वान सय्यद मीर शरीफ़ जुरजानी का मानना है कि जामेआ किताब कोडित अक्षरों मे लिखी गई है।[२६] हाजी खलीफा ने जफ्र को कज़ा और जामेआ को क़द्र के इल्म के रूप में पेश किया है।[२७]
मोनोग्राफ़ी
महदी महरेज़ी ने किताबो अली शीर्षक से हज़रत अली (अ) की किताब लिखी है जिसे इंतेशाराते सहीफ़ा ए खिरद ने 220 पेज पर आधारित 1390 शम्सी मे प्रकाशित किया है।[२८]
संबंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ सफ़्फ़ार, बसाए रुत दरजात, 1404 हिजरी, पेज 142-146; कुलैनी, काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 239
- ↑ सफ़्फ़ार, बसाए रुत दरजात, 1404 हिजरी, पेज 153-155
- ↑ अहवाज़ी, अल-ज़ोहोद, 1402 हिजरी, पेज 39; अशअरी, अल-वादिर, 1408 हिजरी, पेज 79; बरक़ी, महासिन, 1371 हिजरी, भाग 1, पेज 107 व 273
- ↑ बहार दोस्त, जफ़्र वा जामेआ, पेज 476
- ↑ आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल-जरीआ, 1408 हिजरी, भाग 2, पेज 305-306
- ↑ शेख सुदूक, मआनी उल-अख़बार, 1403 हिजरी, पेज 102-103; शेख सुदूक, मन ला याहज़ेरोहुल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 418-419
- ↑ आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, अल-जरीआ, 1408 हिजरी, भाग 2, पेज 305
- ↑ सफ़्फ़ार, बसाए रुत दरजात, 1404 हिजरी, पेज 142-146; कुलैनी, काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 239
- ↑ बहार दोस्त, जफ़्र वा जामेआ, पेज 477
- ↑ मुदर्रीसी तबातबाई, मीरासे मकतूब शिया, 1386 शम्सी, 32-36
- ↑ कुलैनी, काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 239; शेख सुदूक, मन ला याहज़ेरोहुल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 419
- ↑ शेख़ तूसी, अल-तहज़ीब, 1407 हिजरी, भाग 9, पेज 271
- ↑ बहार दोस्त, जफ़्र वा जामेआ, पेज 477
- ↑ बरक़ी, अल-महासिन, 1371 हिजरी, भाग 1, पेज 17-18; निसाई, अल-सुनन अल-कुबरा, 1421 हिजरी, भाग 8, पेज 56
- ↑ बहार दोस्त, जफ़्र वा जामेआ, पेज 477
- ↑ तबातबाई, तारीखे हदीसे शिया, भाग 1, पेज 65-66
- ↑ मआरिफ़, पुज़ूहिशी दर तारीखे हदीसे शिया, 1374 शम्सी, पेज 43-45
- ↑ शेख तूसी, अल-तहज़ीब, 1407 हिजरी, पेज 271
- ↑ कुलैनी, काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 7, पेज 94
- ↑ सफ़्फ़ार, बसाए रुत दरजात, 1404 हिजरी, पेज 143
- ↑ सफ़्फ़ार, बसाए रुत दरजात, 1404 हिजरी, पेज 153
- ↑ सफ़्फ़ार, बसाए रुत दरजात, 1404 हिजरी, पेज 145
- ↑ अल-जुंदी, अल-इमाम जाफर अल-सादिक़, 1397 शम्सी, पेज 200
- ↑ तबातबाई, तारीखे हदीसे शिया, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 69
- ↑ बहार दोस्त, जफ़्र वा जामेआ, पेज 477
- ↑ जुरजानी, शरहुल मुवाफ़िक़, 1325 हिजरी, भाग 6, पजे 22
- ↑ हाजी खलीफ़ा, कशफ़ुज़ ज़ुनून, 1941 ई, भाग 1, खंड 591
- ↑ महरेजी, किताबो अली, 1390 शम्सी
स्रोत
- अल-जुंदी, अब्दुल हलीम, अल-इमाम जाफ़र अल-सादिक़, क़ाहिरा, अल-मजलिस अल-आला लिल शऊनिल इस्लामीया, 1397 हिजरी
- अशअरी, अहमद बिन मुहम्मद बिन ईसा, अल-नवादिर, क़ुम, मदरसा ए इमाम महदी (अ), 1408 हिजरी
- अहवाज़ी, हुसैन बिन सईद, अल-ज़ोहोद, क़ुम, अलमतबाअतुल इल्मीया, 1371 हिजरी
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- महरेज़ी, महदी, किताबो अली, क़ुम, सहीफ़ा ए खिरद, 1390 शम्सी
- मुदर्रीसी तबातबाई, हुसैन, मीरासे मकतूबे शिया, क़ुम, नश्रे मोअर्रिख, 1386 शम्सी
- शेख तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-तहज़ीब, तेहरान, दार उल कुतुब उल इस्लामीया, 1407 हिजरी
- शेख सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, मआनीउल अखबार, क़ुम, दफ्तरे इंतेशाराते इस्लामी, 1403 हिजरी
- शेख सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, मन ला याहज़ेरोहुल फ़क़ीह, क़ुम, दफ्तरे इंतेशाराते इस्लामी, 1413 हिजरी
- सफ़्फ़ार, मुहम्मद हिन हसन, बसाए रुद दरताज, क़ुम, किताब खाना आयतुल्लाह मरअशी अल-नजफी, 1404 हिजरी
- हाजी खलीफ़ा, मुस्तफ़ा बिन अब्दुल्लाह, कश्फुज़ ज़ुनून अन असीमीइल कुतुब वल फ़ुनून, बगदाद, मकतबतुल मुसन्ना, 1941 ई