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मक़्तल

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चित्र:مقتل 2.jpg
मक़्तल

मक़्तल या मृत्युलेख (अरबीःالمقتل أو كتابة المقتل) लेखन एक प्रकार का इतिहासलेखन है जो महत्वपूर्ण हस्तियों की हत्या या शहादत से संबंधित है। शियो के बीच मृत्युलेखों का उपयोग ज्यादातर मासूम इमामों (अ) और प्रमुख शिया हस्तियों की शहादत का वर्णन करने के लिए किया जाता है; हालाँकि, कर्बला की घटना के बारे में श्रद्धांजलियों की व्यापकता के कारण, इस शब्द का उपयोग इमाम हुसैन (अ) और उनके साथियों की शहादत से संबंधित घटनाओं का वर्णन करने के लिए आरक्षित कर दिया गया है।

इमाम हुसैन (अ) के मृत्युलेखों में आम तौर पर आशूरा की घटना की भविष्यवाणी के बारे में पैगंबर (स) और इमाम अली (अ) के कथन, इमाम हुसैन (अ) के पत्र और शब्द, इमाम के साथियों की सामग्री जो इमाम हुसैन (अ) के साथ कर्बला की घटना में शहीद नहीं हुए थे। आशूरा के बाद इमाम सज्जाद (अ) और हज़रत ज़ैनब (स) के उपदेश, इमाम हुसैन (अ) की शहादत के बारे में शिया इमामों के कथन और कुछ बिंदु इमाम हुसैन (अ) के दुश्मन के बारे मे आशूरा की घटना मे है ।

अस्बग़ बिन नुबाता मुजाशेई को आशूरा घटना का पहला लेखक माना गया है। अबी मखनफ़ द्वारा लिखित मक़्तल अल-हुसैन (अ) इस क्षेत्र में पुराने मृत्युलेखो में से एक है।

मृत्यु लेखन का चरम तीसरी और चौथी चंद्र शताब्दी में है, लेकिन उसके बाद, जब तक सफ़वीद वंश सत्ता में नहीं आया, तब तक मृत्यु लेखन गिरावट में थी, और इस अवधि के कार्यों में अविश्वसनीय और अप्रलेखित रिपोर्टों का मिश्रण था, जिसने आशूरा की घटना को विकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जैसे मुल्ला हुसैन काशेफ़ी द्वारा लिखित पुस्तक "रौज़ा अल-शोहदा"।

सफ़वी सरकार के साथ ही आशूरा समारोह की औपचारिकता के कारण नए मक़्तलों का संकलन हुआ, जिनके सटीक स्रोत नहीं थे, और आशूरा की घटना को ज्यादातर मजलिसो और शोक सभाओं और अज़ादारी में उपयोग करने और रोने के लिए आधार प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया था। इब्तेला ए औलीया, अकसीर अल ऐबादा फ़ी असरार अल शहादा और मोहरिक़ अल क़ुलूब जैसे कार्य इसी श्रेणी के हैं।

नफ़स अल-महमूम और मक़तल जामेअ सय्यद अल-शोहदा महत्वपूर्ण समकालीन मक़तल हैं।

परिभाषा

लिखित रिपोर्ट जिनमें इतिहास की प्रमुख हस्तियों की हत्या या शहादत के बारे में जानकारी होती है, उन्हें "मक़तल" कहा जाता है।[] घटनाओं का मोनोग्राफ एक प्रकार का ऐतिहासिक लेखन है जिसका उपयोग महत्वपूर्ण घटनाओं को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। ऐसी रचनाएँ प्राय: घटनापूर्ण और दुर्भाग्यशाली घटनाओं के सन्दर्भ में रची जाती हैं और उनका पूरा विवरण प्रस्तुत करती हैं।[]

शब्दकोष मे मक़तल शब्द का अर्थ हत्या का स्थान या वधशाला है।[]

मृत्युलेख की पृष्ठभूमि

चित्र:کتاب مقتل امام علی (ع).png
इब्ने अबी दुनिया द्वारा लिखित इमाम अली (अ) का मक़तल

शियो द्वारा लिखा गया पहला मक़तल मुख्य रूप से इमाम अली (अ) की शहादत के बारे में हैं।[] कुछ स्रोतों ने अबी अल-हसन बकरी, जाबिर जोफ़ी, यहया बहरानी यज़्दी और इब्न अबी दुनिया जैसे विद्वानों से "मकतल अमीर अल-मोमिनीन" (अ) के सामान्य शीर्षक के तहत चौदह मकतलो का उल्लेख किया है।[]

इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) की शहादत के बाद, शियो के बीच मृत्युलेखन पनपा। हालांकि, आज "मक़तल अल-हुसैन" शीर्षक के साथ पहले के कार्यों में से, या तो कैटलॉग में केवल एक नाम ही बचा है, या उनमें से कुछ को बाद के ग्रंथों में छिटपुट रूप से बयान किया गया है।[]

ऐसे मक़तल भी लिखे गए हैं जिनमे अहले-बैत (अ) के अलावा अन्य व्यक्तित्वों की मृत्यु का वर्णन किया गया हैं। मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन मेहरान से मक़्तल उमर बिन खत्ताब,[] अबी मिख़नफ़ (मृत्यु 157 हिजरी) से मक़्तल अब्दुल्लाह बिन जुबैर और मक़्तल हुज्र बिन अदी, नस्र बिन मुज़ाहिम कूफ़ी (मृत्यु 212 हिजरी) से इसी शीर्षक के साथ दो हालिया मक़्तल और हेशाम कलबी (मृत्यु 204 या 209 हिजरी), हेशाम कल्बी से मक़तल रशीद व मीसम व जुवैरीया इब्ने मसाहर, और अब्दुल अज़ीज जलूदी (मृत्यु 330 या 332 हिजरी) से मक़्तल मुहम्मद बिन अबी बक्र है।[]

इमाम हुसैन (अ) के मृत्युलेख

प्रसिद्ध राय के अनुसार, अस्बग़ बिन नुबाता मुजाशेई द्वारा इमाम हुसैन (अ) की शहादत की घटनाओ से संबंधित सबसे पुराना मृत्युलेख है।[] शेख सदूक़ द्वारा लिखित पुस्तक सवाब अल-आमाल में एक वर्णन के आधार पर, अस्बग़ बिन नुबाता ने इमाम हुसैन (अ) की शहादत को समझा,[१०] लेकिन आशूरा की घटना के बारे में कोई विवरण उनसे नहीं सुनाया गया है। हालाँकि, कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि उनके बेटे कासिम ने आशूरा की घटना के बारे में एक मकतल लिखा है।[११]

मृत्युलेख लेखन का चरम तीसरी और चौथी चंद्र शताब्दी में बताया गया है और ऐसा कहा जाता है कि चौथी शताब्दी के बाद इसमें गिरावट आई।[१२] इनमें से कुछ मक़तल मुद्रित किए गए हैं, कुछ दुनिया भर के कई पुस्तकालयों में उपलब्ध हैं, और कुछ लुप्त हो गए हैं।[१३] कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि मृत्युलेखो की एक बड़ी संख्या थी जो समय के साथ लुप्त हो गए और उन्होंने 14 मकतल के नामों का भी उल्लेख किया है।[१४]

चंद्र कैलेंडर की 8वीं, 9वीं और 10वीं शताब्दी को मृत्युलेखन के पतन का काल माना जाता है।[१५] इस अवधि में लिखे गए कार्य कर्बला की घटना की शुरुआती रिपोर्टों से लिए गए थे या अविश्वसनीय और अप्रलेखित रिपोर्टों के साथ मिश्रित है।[१६] इनमें से कुछ कार्यों ने आशूरा की घटनाओं को विकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है;[१७] 10वीं शताब्दी की शुरुआत मे मुल्ला हुसैन काशेफ़ी (820-910 हिजरी) द्वारा लिखित रौज़ा अल शोहदा पुस्तक उल्लेखनीय है।[१८]

सफ़वी सरकार की स्थापना के साथ, आशूरा समारोह को और अधिक आधिकारिक दर्जा प्राप्त हुआ, और नए मकतल लिखे गए जिनके पास सटीक स्रोत नहीं थे और उन्होंने आशूरा की घटना को दुःख, विपत्ति और आपदा के कोण से बयान किया है। इनमें से अधिकांश रचनाएँ मजलिसो और शोक सभाओं और अज़ादारी मे उपयोग करने और रोने के लिए आधार प्रदान करने के उद्देश्य से लिखी गई थीं। इब्तेला ए औलीया, इज़ालतुल औहाम फ़िल बुका, अकसीर अल इबादा फ़ी असरार अल शहादा और मोहरिक़ अल क़ुलूब जैसे कार्य इस श्रेणी से हैं।[१९]

फ़रहाद मिर्जा मोअतमिद अल-दौला (1233-1305 हिजरी) द्वारा लिखी गई किताब क़मक़ामे ज़ख़्ख़ार वा समसामे बत्तार, जिसका अर्थ है उमड़ता हुआ समुद्र और काटने वाली तलवार, को पिछली कुछ शताब्दियों में लिखे गए सबसे प्रसिद्ध मक़तल में से एक माना जाता है।[२०] मुल्ला मुहम्मद हुसैन इब्ने अली यज़्दी हायरी द्वारा लिखित मोहय्यज़ अल अहज़ान व मुवक़्क़द अल नीरान फ़ी क़ुलूबे अहले अल-ईमान भी 13वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध और विश्वसनीय मकतल हैं।[२१]

इमाम हुसैन (अ) के मृत्युलेखो की प्रामाणिकता

रसूल जाफ़रयान के अनुसार, दूसरी से चौथी चंद्र शताब्दी में लिखे गए मकतलों में से केवल पाँच रचनाएँ प्रामाणिक हैं:[२२]

  • अबी मिखनफ लूत बिन याह्या अज़दी (मृत्यु 157 हिजरी) से मकतल अल हुसैन (अ),
  • इब्ने साद (168-230 हिजरी) द्वारा अल तबक़ात अल-कुबरा किताब से तरजुमा अल हुसैन (अ) व मक़तलेही,
  • अहमद बिन याह्या बलाज़ुरी (दूसरी और तीसरी चंद्र शताब्दी) द्वारा लिखित अंसाब अल अशराफ़ से तरजुमा वा मक़तल इमाम हुसैन (अ),
  • दैनूरी (222-282 हिजरी) द्वारा अल-अख़बार अल-तौवल में गुजारिश क़याम कर्बला,
  • इब्ने आसम (मृत्युः 320 हिजरी के बाद) से फ़ुतूह[२३]

उन्होंने लिखा कि जो मक़तल चंद्र कैलेंडर की पांचवीं शताब्दी के बाद से लिखे गए है, वे सभी या तो बहुत मान्य नहीं हैं या उनमें वही सामग्री शामिल है जो पांच उल्लिखित स्रोतों में उल्लिखित है।" उदाहरण के लिए, तारीख अल-उमम अल-मुलूक में तबरी, इरशाद में शेख मुफीद और मकातिल अल-तालेबीन में अबुल फ़रज इसफहानी द्वारा दी गई जानकारी कमोबेश मक़्तल अबी मिखनफ से ली गई है, और ख्वारज़मी ने मक़्तल अल-हुसैन (अ) में मुख्य रूप से इब्ने आसम द्वारा लिखी गई किताब फ़ुतूह से लिया है।[२४] इसके अलावा, सय्यद इब्ने ताऊस ने लोहूफ़ में अधिकांश मक़तले ख्वारज़मी से वर्णित किया है।[२५]

इमाम हुसैन के मृत्युलेखो का कंटेंट

इमाम हुसैन (अ) के मृत्युलेखो के कुछ कंटेंट इस प्रकार है:

महत्वपूर्ण समकालीन मृत्युलेख

चित्र:مقتل جامع سیدالشهدا ج2.jpeg
मक़्तल जामेअ सय्यद अल शोहदा

फ़ुटनोट

  1. साहेबी, मक़तल व मक़तल निगारान, 1373 शम्सी, पेज 31
  2. यावरी, मक़तल निगारी शिअयान, पेज 10
  3. मोईन, फ़रहंग फ़ारसी
  4. यावरी, मक़तल निगारी शिअयान, पेज 11
  5. आक़ा बुज़ुर्ग तहरानी, अल ज़रीया, दार अल अज़्वा, भाग 22, पेज 29-31
  6. यावरी, मक़तल निगारी शिअयान, पेज 11
  7. आक़ा बुज़ुर्ग तहरानी, अल ज़रीया, दार अल अज़्वा, भाग 22, पेज 22
  8. आक़ा बुज़ुर्ग तहरानी, अल ज़रीया, दार अल अज़्वा, भाग 22, पेज 31-35
  9. आक़ा बुज़ुर्ग तहरानी, अल ज़रीया, दार अल अज़्वा, भाग 22, पेज 23 और 24
  10. शेख सदूक़, सवाब अल आमाल, 1403 हिजरी, पेज 260
  11. गुरोही अज़ तारीख़ पुजूहान, मक़तल जामेअ सय्यद अल शोहदा (अ), 1389 शम्सी, भाग 1, पेज 46
  12. गुरोही अज़ तारीख़ पुजूहान, मक़तल जामेअ सय्यद अल शोहदा (अ), 1389 शम्सी, भाग 1, पेज 44-45
  13. गुरोही अज़ तारीख़ पुजूहान, मक़तल जामेअ सय्यद अल शोहदा (अ), 1389 शम्सी, भाग 1, पेज 44-45
  14. अंदलीब हमदानी, तार अल्लाह, 1389 शम्सी, पेज 141
  15. रंजबर, सैरी दर मक़तल नवीसी, पेज 84
  16. रंजबर, सैरी दर मक़तल नवीसी, पेज 84 गुरोही अज़ तारीख पुजूहान, मक़तल जामेअ सय्यद अल शोहदा (अ), 1389 शम्सी, भाग 1, पेज 105-112
  17. पुजूहान, मक़तल जामेअ सय्यद अल शोहदा (अ), 1389 शम्सी, भाग 1, पेज 105-112
  18. नूरी, लूलू व मरजान, 1388 शम्सी, पेज 252 और 220
  19. जाफ़रयान, दरबारे मनाबे तारीख आशूरा, 1380 शम्सी, पेज 51-52
  20. रहीमी, क़मक़ाम ज़ख़ार दर तारीख वाक़ेआ कर्बला, पेज 25
  21. https://www.ibna.ir/fa/report/309384/
  22. जाफ़रयान, दरबारे मनाबे तारीख आशूरा, पेज 42
  23. जाफ़रयान, दरबारे मनाबे तारीख आशूरा, पेज 42
  24. जाफ़रयान, दरबारे मनाबे तारीख आशूरा, पेज 42
  25. गुरोही अज़ तारीख़ पुजूहान, मक़तल जामेअ सय्यद अल शोहदा (अ), 1389 शम्सी, भाग 1, पेज 102
  26. जम्ई अज़ नवीसंदेगान, पुज़ूहिशी दर मक़तल हाए फ़ारसी, 1386 शम्सी, पेज 21-27
  27. जम्ई अज़ नवीसंदेगान, पुज़ूहिशी दर मक़तल हाए फ़ारसी, 1386 शम्सी, पेज 21-27
  28. गुरोही अज़ तारीख़ पुजूहान, मक़तल जामेअ सय्यद अल शोहदा (अ), 1389 शम्सी, भाग 1, पेज 139-149

स्रोत

  • तेहरानी, आक़ाबुजर्ग, अल ज़रीया एला तसानीफ़ अल शिया, बैरूत, दार अल अज़्वा
  • जाफ़रयान, रसूल, दरबार ए मनाबे तारीख आशूरा, दर मजल्ले आईना पुज़ूहिश, क्रमांक 71-72, 1380 शम्सी
  • जम्ई अज़ नवीसंदेगान, पुज़ूहिशी दर मकतलहाए फ़ारसी, क़ुम, ज़मज़म हिदायत, 1386 शम्सी
  • रहीमी, अब्दुल रफ़ीअ, क़मक़ामे ज़ख़्ख़ार दर तारीख वाकेआ कर्बला, दर मजल्ले किताब माहे तारीख व जुग़राफ़ीया, क्रमांक 79, उर्दीबहिश्त 1383 शम्सी
  • रंजबर, मोहसिन, सैरी दर मक़तल नवीसी व तारीख निगारी आशूरा अज़ आगाज ता अस्रे हाज़िर (3), दर मजल्ले तारीख इस्लाम दर आईना पुज़ूहिश, क्रमांक 16, जमिस्तान 1376 शम्सी
  • साहेबी, मुहम्मद जवाद, मकतल व मकतल निगारान, दर मजल्ले कैहान फ़रहंगी, क्रमांक 111, तीर 1373 शम्सी
  • सदूक़, मुहम्मद बिन अली, सवाब अल आमाल व एक़ाब अल आमाल, बैरूत, मोअस्सेसा अल आलमी लिल मतबूआत, 1403 हिजरी
  • गुरूही अज़ तारीख पुजूहान, मकतल जामेअ सय्यद अल शोहदा (अ), जेर नजर महदी पीशवाई, क़ुम, इंतेशारात मोअस्सेसा इमाम ख़ुमैनी, 1389 शम्सी
  • महमूदी रय शहरी, मुहम्मद, दानिशनामा इमाम हुसैन (अ), क़ुम, साज़मान चाप व नशर दार अल हसीर, 1388 शम्सी
  • मोईन, मुहम्मद, फ़रहंग फारसी
  • नूरी, मिर्ज़ा हुसैन, लूलू वा मरजान, तेहरान, नशर आफ़ाक़, 1388 शम्सी
  • यावरी, मुहम्मद जवाद, मकतल निगारी शियान अज़ आग़ाज़ ता पायान क़र्ने पंजुम हिजरी, दर मजल्ले तारीख इस्लाम, क्रमांक 32, 1386 शम्सी