इमाम अली अलैहिस सलाम के फ़ज़ाइल

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(इमाम अली (अ) की फ़ज़ीलत से अनुप्रेषित)
इमाम अली अ का हरम (नजफ़) इराक़

इमाम अली अलैहिस सलाम के फ़ज़ाइल (अरबीः فضایل امام علی علیه السلام) उन आयात, हदीस, विशेषताओं और ऐतिहासिक घटनाओ को कहा जाता हैं जिनमें शियों के पहले इमाम हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल का वर्णन होता है। पवित्र पैगंबर (स) ने इस बात का वर्णन किया है कि इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइल अगण्नीय है। पैगंबरे अकरम (स) की एक हदीस के अनुसार, हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइलो को पढ़ना, लिखना, देखना और सुनना पापों की क्षमा का कारण है।

इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइल दो श्रेणियों में विभाजित हैं: एक श्रेणी उन फ़ज़ाइल की हैं जो केवल इमाम अली (अ) से मख़सूस हैं, जबकि दूसरी श्रेणी उन फ़ज़ाइल की हैं जिनमें दूसरे इमाम और अहले-बैत (अ) सम्मिलित हैं: आय ए विलायत, आय ए शिरा आय ए इन्फ़ाक़, हदीसे ग़दीर, हदीसे तैर, हदीसे मंज़िलत, मौलूदे काबा और ख़ातम बख़्शी (अंगूठी देना) आपके विशेष फ़ज़ाइलो में से हैं। जबकि आयत ए ततहीर, आय ए अहले-ज़िक्र, आय ए मवद्दत और हदीसे सक़लैन आदि में अहले-बैत (अ) के अन्य सदस्य भी आपके साथ शामिल हैं।

बनी उमय्या के काल में आपके गुणों (फ़ज़ाइल) के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस अवधि के दौरान आपके गुणों का अनुकरण करने वालों को या तो मार दिया गया या जेल में डाल दिया गया। इसी तरह, मुआविया के आदेश ने इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइल के मुक़ाबले में तीन ख़लीफाओं के लिए फ़ज़ीलत घड़ने वालों को प्रोत्साहित किया जाता था। कुछ इतिहासकारों का मत है कि यही कारण है कि अहले-सुन्नत स्रोतों में इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइल का बहुत कम वर्णन हुआ है।

इन सब बातों के बावजूद हदीस के शिया और सुन्नी हदीसी ग्रंथो में हज़रत अली (अ) के कई फ़ज़ीलत वर्णित हुई हैं। इसी तरह दोनों संप्रदाय के विद्वानों ने इस संबंध में पुस्तकें भी लिखी हैं। फ़जाइले अमीरुल मोमिनीन इब्ने हंबल, ख़साइसे अमीरुल मोमिनीन निसाई और उम्दतो ओयूने सेहाहिल अख़्बार फ़ी मनाकिबे इमामिल अबरार इब्ने बतरीक़ उन पुस्तको मे से है।


महत्व और प्रकार

इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइल उन आयात, हदीस, विशेषताओं और ऐतिहासिक घटनाओ का कहा जाता हैं जिनमें शियों के पहले इमाम हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल का वर्णन होता है। फ़ज़ाइल उन गुण और विशेषताओ को कहा जाता है जिनके द्वारा एक व्यक्ति या समूह दूसरों से अलग होता है।[१] शिया धर्मशास्त्रो (कलामी पुस्तको), इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइल से आपकी इमामत और खिलाफ़त के लिए दूसरों पर आपकी श्रेष्ठता को साबित करते हैं।[२] पैग़म्बरे अकरम (स) से वर्णित है कि हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल बहुतायत के कारण अगण्नीय है[३] इसी तरह हंबली संप्रदाय के संस्थापक अहमद इब्ने हंबल का कहना हैं कि जितने फ़ज़ाइल अली इब्ने अबी तालिब (अ) के लिए वर्णित है उतनी अधिक संख्या मे किसी भी सहाबी के फ़ज़ाइल नही है।[४]

इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइल दो प्रकार के हैः

  1. विशिष्ठ फ़ज़ाइलः अर्थात वह फ़ज़ाइल जो केवल आप से विशिष्ठ है उदाहरण स्वरूप लैलातुल मबीत को पैगंबर (स) के बिस्तर पर सोना जो आय ए शिरा के आने का कारण बना।
  2. मुश्तरक (साझा) फ़ज़ाइलः अर्थात वह फ़ज़ाइल जिनमे आपके अलावा पंजेतन और अन्य मासूमीन (अ) भी सम्मिलित है जैसे हदीसे सक़लैन जो आपके अलावा अहले-बैत (अ) के दूसरे लोगो को भी शामिल करती है इसी तरह हदीसे किसा जिसमे आपके अलावा पंजेतन के दूसरे लोग भी सम्मिलित है।

इब्ने शाज़ान क़ुम्मी ने पवित्र पैगंबर से एक हदीस का हवाला दिया है, जिसके अनुसार कोई व्यक्ति इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइलो में से किसी एक का वर्णन करता है और उस पर विश्वास भी करता है, तो खुदा उसके अतीत और भविष्य के पापों को माफ़ कर देगा, और अगर कोई व्यक्ति आपके फ़ज़ाइल मे से कोई एक फ़ज़ीलत लिखता है तो जब तक वह लेखन बाकी रहता है तब तक स्वर्गदूत उस व्यक्ति के लिए इस्तिग़फ़ार करते हैं। इसी तरह, अगर कोई व्यक्ति आपकी कोई फ़ज़ीलत सुने तो उसके कानों से किए गए पाप क्षमा कर दिए जाएंगे, और यदि कोई व्यक्ति आपकी किसी फ़ज़ीलत की ओर देखे तो उसकी आँखों से किए गए पाप माफ कर दिए जाएंगे।[५]

कुरआन में वर्णित फ़ज़ाइल

कुर्आन में वर्णित फ़ज़ाइल से मुराद कुरान की वो आयते है जो इमाम अली (अ) की शान मे नाज़िल हुई है या आपको उनका मिस्दाक़ करार दिया जाता है। इब्ने अब्बास से वर्णित है कि कुरआन की आयतें जितनी हज़रत अली (अ) के संबंध मे नाज़िल हुई है किसी दूसरे व्यक्ति के संबंध मे नाज़िल नही हुई।[६] इसी प्रकार इब्ने अब्बास ने रसूले ख़ुदा (स) की हदीस का वर्णन किया है कि अल्लाह ने किसी आयत को नही उतारा जो "یا أیها الذین آمنوا" से आरम्भ होती है, मगर यह कि हज़रत अली उनमे मोमिनीन के अमीर की हैसीयत से उनमे सरे फहरिस्त है।[७] इब्ने अब्बास 300 से अधिक आयतो के हज़रत अली (अ) की शान मे नाज़िल होने को स्वीकार करते है।[८]

कुरआन में वर्णित हजरत अली के कुछ फ़ज़ाइल निम्मलिखित हैं:

  • आय ए शिरा: सूरा ए बक़रा की आयत 207 मे उन लोगों की प्रशंसा की गई है जो ईश्वर की खातिर अपने जीवन का बलिदान करते हैं।[११] इब्ने अबिल हदीद के अनुसार, सभी टीकाकार इस बात से सहमत हैं कि यह आयत हज़रत अली (अ) की फ़ज़ीलत मे नाज़िल हुई है।[१२] अल्लामा तबताबाई लिखते हैं: हदीसों के अनुसार, यह आयत लैलातुल मबीत की घटना के बारे में नाज़िल हुई है।[१३] इस घटना मे मक्का के मुशरेकीन ने रात मे पैगंबर अकरम (स) के घर पर हमला करके आपकी हत्या करने का फैसला किया था। उस रात इमाम अली (अ) ने पैगंबर (स) के बिस्तर पर सो कर आपके प्राण बचाए।[१४]
  • आयत ए तब्लीग़: सूर ए मायदा की आयत 67 में खुदा ने पैगंबर (स) को यह संदेश देने के लिए नियुक्त किया था कि जो संदेश खुदा ने आप तक पहुंचा है उसे लोगों तक पहुंचाया जाए, और यदि आप इस संदेश को लोगों तक पहुंचाने की उपेक्षा करते हैं, तो यह ऐसा होगा जैसे आपने रिसालत का कोई कार्य किया ही नही।[१५] शिया और सुन्नी टीकाकारो के अनुसार आयत ए तब्लीग़ अंतिम हज से वापसी पर ग़दीरे ख़ुम नामक स्थान में पैगंबर (स) पर नाज़िल हुई।[१६] हदीसो मे इस आयत की शाने नजूल को वाक़ेया ए ग़दीर में हज़रत अली के उत्तराधिकार की घोषणा की गई है।[१७]
  • आय ए इकमाल: सूर ए मायदा की आयत 3 मे इस्लाम धर्म के पूरा होने की घोषणा की गई है।[१८] शिया टीकाकार आयतुल्लाह मकारिम के अनुसार, शिया व्याख्याओं में इस्लाम धर्म का पूरा होना इमाम अली (अ) की खिलाफ़त और इमामत की घोषणा को दर्शाता है। और हदीसे भी इसकी पुष्टि करती हैं।[१९] शिया विद्वान इस बात पर सहमत हैं कि आय ए इकमाल वाक़ेया ए ग़दीर के बारे में नाज़िल हुई है।[२०]
  • आय ए सादेक़ीन: सूर ए तौबा की आयत 119 में विश्वासियों (मोमिनीन) को सादेक़ीन के साथ रहने और उनका पालन करने का आदेश दिया जा रहा है।[२१] शिया हदीसों में सादेक़ीन अहले-बैत (अ) को कहा जाता है।[२२] मोहक़्क़िक़े तूसी इस आयत को हज़रत अली (अ) की इमामत की दलीलो में से एक दलील बताते है।[२३]
  • आय ए खैर उल-बरिया: सूर ए बय्यना की आयत 7 में ईमान लाने और अच्छे कर्म करने वालो को अच्छे लोगो के रूप मे वर्णित किया गया है[२४] शिया और अहले-सुन्नत हदीसों के अनुसार, यह समूह इमाम अली (अ) और आपके शिया है।[२५]
  • आय ए इंफ़ाक़: सूर ए बक़रा की आयत 274 में दिन-रात गुप्त और खुले तौर पर इंफ़ाक़ करने वालो का सवाब अपने पालन-हार के यहां सुरक्षित बताते है।[२८] टीकाकारो के अनुसार यह आयत हज़रत अली (अ) की शान मे नाज़िल हुई क्योकि आपके पास 4 दिरहम थे जिसमे से आपने एक दिरहम रात के समय दूसरा दिन के समय, तीसरा गुप्त और चौथा दिरहम खुले तौर पर अल्लाह के मार्ग मे खर्च कर डाला।[२९]
  • आय ए नजवा: सूर ए मुजादेला की आयत 12 में अमीर मुसलमानों को यह आदेश दिया गया है कि जबभी पैगंबर के साथ नजवा (गुप्त बातचीत) करना चाहे तो उससे पहले दान किया करे।[३०] प्रसिद्ध टीकाकार अल्लामा तबरसी के अनुसार, अधिकांश शिया और सुन्नी टीकाकार इमाम अली (अ) को एकमात्र व्यक्ति बताते हैं जिन्होंने इस आयत पर अमल किया।[३१]
  • आय ए वुद्द: सूर ए मरियम की आयत 96 में, ईश्वर ने मोमीनीन की मुहब्बत को दूसरों के दिलों में क़रार दिया है।[३२] हदीस के अनुसार पैंगबर (स) ने हज़रत अली (अ) से फ़रमायाः हे अली यह दुआ मांगो की तुम्हारी मुहब्बत मोमेनीन के दिलो मे क़रार दे। इस संबंध में यह आयत नाज़िल हुई।[३३]
  • आय ए मुबाहेला: सूर ए आले इमरान की आयत 61 में मुबाहेला की घटना से संबंधित चर्चा हुई है, जिसमें पवित्र पैगंबर (स) ने धर्म की सच्चाई पर नज़रान के ईसाइयों के साथ मुबाहेला किया। तफ़ासीर मे आया है कि इस आयत में इमाम अली (अ) को नफ़्से पैगंबर (स) के रूप मे पहचनवाया गया।[३४]
  • आय ए तत्हीर: सूर ए अहज़ाब की आयत 33 के एक भाग में, ईश्वर ने अहले-बैत (अ) को सभी प्रकार की अशुद्धता और अपवित्रता से दूर और मुक्त रखने का इरादा किया। शिया और सुन्नी मुफ़स्सेरीन का मानना है कि यह आयत अहले किसा के बारे में नाजिल हुई।[३५]
  • आय ए इतआम: सूर ए इंसान की आयत 8 में धर्मी वे हैं जो खुद मोहताज होते हुए गरीबों, अनाथों और बंदियों की मदद करते हैं।[४१] हदीसों के अनुसार यह आयत हज़रत अली (अ), हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) की बख़्शिश (दान) के संबंध मे नाज़िल हुई है।[४२] हदीस के अनुसार हज़रत अली (अ), हज़रत फ़ातिमा जहरा (स) और आप लोगो की दासी फ़िज़्जा ने हसनैन (अ) के चंगे होने के लिए तीन दिन रोज़ा रखा, और तीनो दिन इफ़्तार के समय खुद भूखे होने के बावजूद अपना भोजन गरीबों, अनाथों और बंदियों को दान कर दिया।[४३]
  • आय ए अहलुल-ज़िक्र: सूर ए नहल की आयत 43 और सूर ए अम्बिया की आयत न 7 मे अह लुल-ज़िक्र से सवाल करने पर जोर दिया गया है।[४४] कुछ हदीसों के अनुसार, अहलुल-ज़िक्र पैगंबर (स) के परिवार मे निर्भर हैं।[४५]
  • आय ए नस्र: सूर ए अनफाल की आयत 62 को आय ए नस्र कहा जाता है। आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी के अनुसार, पैगंबर (स) की मदद करने वाले प्रत्येक विश्वासी को इस आयत में शामिल किया गया है, लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं है कि इस आयत में विश्वासियों का आदर्श उदाहरण हज़रत अली (अस) हैं।[४६] उन्होने अपनी किताब आयाते विलायत दर कुरान में निर्दिष्ट किया है कि आय ए नस्र अमीरुल मोमिनीन (अ) के फ़ज़ीलतो मे से एक है।[४७]
  • सिराते मुस्तक़ीम: सिराते मुस्तक़ीम का अर्थ है सीधा रास्ता, कुछ रिवायतो में, अली और विलायते अली (अ) को कुरआन में सिराते मुस्तक़ीम के रूप मे पेश किया गया है।[४८]

हदीसों में वर्णित फ़ज़ाइल

इमाम अली (अ) की प्रशंसा में पवित्र पैगंबर (स) से कई हदीसों का वर्णन किया गया है। उनमें से कुछ निम्मलिखित हैं:

सुलेखक रज़ा बद्रुस समा द्वारा हदीस (ज़िक्रो अलीइन इबादा)
  • हदीसे ग़दीर: पैगंबर अकरम (स) का ग़दीरे ख़ुम के स्थान पर हज़रत अली (अ) के उत्तराधिकार की घोषणा करने वाले उपदेश को हदीसे ग़दीर के नाम से प्रसिद्ध है। इस हदीस को शिया और सुन्नी दोनो समुदायो ने अपने स्रोतों में बयान किया है।[४९] और हजरत अली की इमामत और खिलाफत को साबित करने में शिया के सबसे महत्वपूर्ण तर्कों में से एक माना जाता है।[५०]
  • हदीसे मदीना तुल-इल्म: पैगंबर (स) ने एक हदीस मे खुद को ज्ञान के शहर और हज़रत अली को ज्ञान के द्वार के रूप में वर्णित किया है।[५२] अल-ग़दीर किताब मे ऐसे 21 सुन्नी मोहद्देसीन हैं जिन्होंने इस हदीस को हसन या सही घोषित किया है।[५३]
  • हदीसे यौम उद-दार: पैगंबर (स) से सुनाई गई एक हदीस है जिसमें उन्होंने अपने रिश्तेदारों को आतिथ्य के लिए आमंत्रित किया, जिसके अंतर्गत आप ने हज़रत अली (अ) को अपना वसी और उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा की।[५४] शिया इस हदीस से हजरत अली की इमामत और खिलाफ़त को साबित करते है।[५५]
  • हदीसे विसायत: इस हदीस में पैगंबर अकरम (स) ने इमाम अली (अ) को अपना वसी और उत्तराधिकारी नियुक्त किया है।[५६] शिया इमाम अली (अ) की इमामत और ख़िलाफ़त को साबित करने के लिए इस हदीस से सहायता लेते हैं।[५७]
  • हदीसे विलायत: इस हदीस में पैगंबरे इस्लाम (स) ने हज़रत अली (अ) को अपने बाद मोमिनीन के वली के रूप में परिचित कराया। यह हदीस शिया और सुन्नी स्रोतों में अलग-अलग वाक्यांशों के साथ आई है।[५८] शिया "वली" शब्द को «عَلِیٌّ وَلِیُّ کُلِّ مُؤْمِنٍ مِنْ بَعْدِی‏» "अलीयुन वलीयुन कुल्ले मोमेनिम मिम बादी"[५९] मे आया हैं को इमाम और अभिभावक के अर्थ मे लेते है इस प्रकार शिया हज़रत अली (अ) की इमामत और ख़िलाफ़त को साबिक करने हेतु इस हदीस से भी सहारा लेते है।"[६०]
  • हदीसे तैर: हज़रत अली के फ़जाइल में वर्णित इस हदीस के अनुसार, पैगंबर (स) ने एक बार एक पक्षी का मांस खाने की इच्छा की और भगवान से इसे सबसे अच्छे लोगों के साथ खाने के लिए इच्छा जाहिर की। इस अवसर पर हज़रत अली (अ) पधारे और आपके साथ इस पक्षी का मांस खाया।[६१] यह हदीस शिया और सुन्नी दोनो संप्रदायो के स्रोतो मे आई है।[६२]
  • हदीसे रायत: यह एक प्रसिद्ध हदीस है जिसे पैगंबर मुहम्मद (स) ने खै़बर की लड़ाई के दौरान कहा था: "कल मै अलम एक ऐसे व्यक्ति को दूंगा जो खैबर के द्वार पर विजय प्राप्त करेगा, वो खुदा और रसूल को दोस्त रखेगा और खुदा एंवम उसका रसूल भी उसे दोस्त रखेंगे।[६३]
  • हदीसे सक़लैन: क़ुरआन और अहले-बैत के संबंध मे आने वाली पैंगबर (स) की हदीसो मे इस प्रसिद्ध हदीस मे आया है, "मैं तुम्हारे बीच दो कीमती चीजे छोड़ कर जा रहा हूं, यदि तुम इन दोनो से मुतामस्सिक रहोगे, तो कभी भी गुमराह (पद-भ्रष्ट) नहीं होंगे और ये दोनो अल्लाह की किताब और मेरी इतरत है।"[६४] इस हदीस को शिया और सुन्नी स्रोतों में बयान किया गया है।[६५]
  • हदीसे किसा: हदीसे किसा पंजेतन पाक की फ़ज़ीलत मे बयान होने वाली हदीस जो शिया[६६] और सुन्नी[६७] ने बयान की है। इस्लाम के पैगंबर ने अपने परिवार को एक ऊनी चादर (किसा) के नीचे इकट्ठा किया और दुआ की: हे भगवान, यह मेरे अहले-बैत (अ) है गंदगी और अशुद्धता को उनसे दूर रख।"[६८]
  • हदीसे सफ़ीना: पैगंबर (स) ने अपनी इस प्रसिद्ध हदीस मे आपने अपने अहले-बैत (अ) को हज़रत नूह (अ) की कश्ति से तुलना करते हुए फ़रमाया, "जो कोई इसमें सवार होगा वह बच जाएगा, और जो कोई इसका विरोध करेगा वह डूब जाएगा।"[६९] यह हदीस भी शिया और सुन्नी स्रोतों में है।[७०]
  • हदीसे शजरा: पैगंबर (स) ने कहा: मैं और अली एक पेड़ से पैदा हुए है, जबकि बाकी लोगों को अलग-अलग पेड़ों से पैदा किया गया है[७१] कुछ टीकाकार पैंगबर (स) और हज़रत अली (अ) को एक पेड़ से पैदा होने को अनुसरण करने मे आप दोनो के बराबर होने पर दलील देते है।[७२]
  • हदीसे लौह: यह हदीस पैगंबर (स) ने बारह इमामो की इमामत को साबित करने वाली हदीसो मे से है जिसमे आपने अपने 12 उत्तराधिकारीयो के नाम इमाम अली (अ) से लेकर इमाम महदी (अ.त.) तक का उल्लेख किया है।[७३]
  • हदीसे हक़: यह हदीस पैगंबर की प्रसिद्ध हदीसों में से है, जिसमें उन्होंने हज़रत अली को सच्चाई के मानक के रूप में वर्णित किया है। इस हदीस की एक व्याख्या इस प्रकार है: "अली हक़ के साथ है और हक़ अली के साथ है और ये दोनों कभी भी एक दूसरे से तब तक अलग नहीं होंगे जब तक कि यह कौसर के जलाशय (अर्थात हौज़े कौसर) पर मेरे पास न पहुंच जाए"।[७४]
  • हदीसे तशबीह: इस हदीस में पवित्र पैगंबर (स) ने हज़रत अली (स) की तुलना खुद और अन्य नबियों से की। इस हदीस को शिया[७५] और सुन्नी[७६] स्रोतों में उद्धृत किया गया है।
  • ला फ़ता इल्ला अली: इस हदीस का मतलब यह है कि मर्दानगी में अली इब्न अबी तालिब जैसा कोई नहीं है। हदीसी और ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, इस हदीस को जिब्राईल ने ओहोद की लड़ाई में हज़रत अली की वफादारी के संबंध में बयान किया है।[७७] यह हदीस शिया और सुन्नी स्रोतों में भी मौजूद है।[७८]

इनके अलावा भी हज़रत अली (अ) की फ़ज़ीलत में पवित्र पैगंबर से कई हदीसें नक़्ल की गई हैं; उनमे से जैसे: "ضربة علی فی یوم الخندق افضل من عبادة الثقلین ज़रबतो अलीयिन फ़ी यौमल खंदक़े अफ़ज़्लो मिन इबादतिस सक़लैन (अनुवादः ख़नदक़ के दिन की अली की ज़रबत (वार) सक़लैन की इबादत से अफ़जल है।"[८२] "जो कोई अली के सम्मान का अपमान करे और अपशब्द कहे उसने अर्थात मुज पैगंबर को शाप दिया";[८३] "जो कोई अली को पीड़ा पहुंचाए अर्थात उसने मुझे पीड़ा पहुचाई";[८४] "अली की दोस्ती आस्तिक को पाखंडी से अलग करती है";[८५] "अली मुझ से है और मैं अली से हूं";[८६] "अली का ज़िक्र इबादत है";[८७] " अली को देखना इबादत है”;[८८] हदीसे खासेफिन नाल[८९] और हदीसे मुआखात शामिल हैं।[९०]

इसी तरह, हदीसों में वर्णित हज़रत अली (अ) की फ़ज़ीलतो में सिद्दीक़े अकबर[९१] और फ़ारूक़े आज़म[९२] जैसे खिताब भी माने जाते हैं।

हज़रत अली की विशेषताएं और आपसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएं

हज़रत अली से संबंधित कुछ विशेषताएं और आपसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएं निम्मलिखित हैं:

  • हज़रत फ़ातिमा (स) से विवाह: हज़रत अली के विशेष फ़ज़ाइल में से एक पैगंबर अकरम (स) की इकलौती बेटी हज़रत ज़हरा (स) के साथ आपका विवाह है। जो ईश्वर के आदेश से किया गया।[९३] कहा जाता है कि अगर हज़रत अली (अ) नही होते, तो हज़रत फ़ातिमा (स) का कोई वर नहीं होता।[९४]
  • मौलूदे काबा: मौलूदे काबा अर्थात हज़रत का काबे के अंदर जन्म लेने की ओर संकेत है। इसकी गणना भी हज़रत अली (अ) के विशेष फ़जाइल मे होती है।[९५]
  • अमीरुल मोमिनीन उपनाम: शियों के अनुसार, यह उपनाम केवल हज़रत अली (अ) से विशिष्ठ है। शियों के अनुसार, इस उपनाम का उपयोग पहली बार पैगंबर (स) के समय में हजरत अली (अ) के लिए किया गया।[९६] शिया मोहद्दिस सय्यद इब्ने ताऊस ने अपनी किताब अल-यक़ीन बे इख़्तेसासे मौलाना बेइमरतिल मोमिनीन मे सुन्नी स्रोतो से 220 हदीसो से इस्तिदलाल करते हुए सिद्ध किया है कि अमीरुल मोमिनीन उपनाम केवल हज़रत अली (अ) से मख़्सूस है।[९७]
  • सद्दल अब्वाब: यह घटना पैगंबर (स) के समय मे हुई, जिसमें पैगंबर (स) ने अल्लाह के आदेश से हज़रत अली (अ) के दरवाजे को छोड़कर मस्जिद अल-नबी में खुलने वाले सभी दरवाजों को बंद करवा दिया।[९८]
  • पैगंबर (स) के साथ भाईचारा: पैगंबर (स) ने मदीना प्रवास से पहले असहाब (साथियों) के बीच और प्रवास के बाद मुहाजिरीन और अंसार के बीच अक़्दे अख़ूवत (भाईचारे का अनुबंध) जारी किया और दोनो बार हज़रत अली को अपना भाई बनाया।[९९]
  • पहला मुसलमान: शिया और कुछ सुन्नी विद्वानों के अनुसार, हजरत अली (अ) पैगंबर (स.अ.व.) में विश्वास करने वाले पुरुषों में पहले व्यक्ति हैं।[१००]
  • इब्लाग़े आयात बराअत: तफ़सीरे नमूना के अनुसार लगभग सभी टीकाकार (मुफस्सेरीन) और इतिहासकार (मोअर्रेख़ीन) इस बात से सहमत हैं कि जब सूरा ए तौबा (या इसकी शुरुआती आयात) नाज़िल हुई और मुशरेकीन (बहुदेववादियों) के साथ किए गए अह्दो पैमान को समाप्त कर दिया, तो पैगंबर (स) ने इस आदेश को पहुंचाने की ज़िम्मेदारी पहले अबू बक्र को सौंपी ताकि वह हज के अवसर पर मक्का मे लोगो के सामने इसकी घोषणा की जा सके; लेकिन बाद में इस ज़िम्मेदारी को अबू बक्र से वापस ले ली गई और हज़रत अली (अ) को जिम्मेदारी सौंपी दी गई और हज़रत अली (अ) ने हज के अवसर पर लोगों तक आदेश पहुंचा दिया।[१०१] अहले सुन्नत के स्रोतो मे भी इस घटना का उल्लेख है।[१०२]
  • ख़ातम बख़्शी (अंगूठी का दान मे देना): ख़ातम बख्शी उस घटना को संदर्भित करता है जिसमें इमाम अली (अ) ने नमाज़ मे रुकूअ की हालत मे एक गरीब व्यक्ति को अपनी अंगूठी दान की थी। इस घटना को शिया और सुन्नी हदीस की किताबों में वर्णित किया गया है।[१०३]
  • रद्द उश-शम्स: इस घटना में पैगंबर (स) की दुआ से सूर्यास्त के बाद सूरज वापस आया ताकि हज़रत अली (अ) अस्र की नमाज़ अदा कर सकें।[१०४] इसी प्रकार शेख़ मुफ़ीद के अनुसार हज़रत अली (अ) के शासन काल मे एक युद्ध के बीच अस्र की नमाज़ क़ज़ा हो गई जिस पर हज़रत अली (अ) की दुआ से सूरज वापस पलट आया।[१०५]

हज़रत अली के फ़ज़ाइल के प्रकाशन पर प्रतिबंध

ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार बनी उमय्या के शासन काल मे मुआविया ने हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया: तीसरी शताब्दी हिजरी के इतिहासकार अली बिन मुहम्मद मदाएनी के अनुसार, मुआविया ने अपने कार्यकर्ताओं को आदेश दिया कि जो कोई भी अली और उनके वंशजों के फ़ज़ाइल बयान करे उसके जीवन और संपत्ति की कोई परवाह नही की जाएगी।[१०६] कहा जाता है कि अली (अ) और उनके वंशजो को अच्छाई के साथ याद करना और उनके नाम पर अपने बच्चो के नाम रखना भी प्रतिबंधित था।[१०७] मुआविया इमाम अली का अपमान करता था और कहता था: मैं इस काम को तब तक नहीं छोड़ूंगा जब तक कि उन्हें अच्छे कर्मों के साथ कोई याद करने वाला न हो।[१०८] मुआविया के आदेश से मिम्बरो से इमाम अली को अपशब्द कहना आरम्भ हुआ।[१०९] तो लगभग 60 वर्षो तक अर्थात उमर इब्ने अब्दुल अज़ीज़ के शासन काल तक चला।[११०]

मुहम्मद जवाद मुग़न्निया के अनुसार बनी उमय्या वाले प्रत्येक उस व्यक्ति को प्रताड़ित करते थे जो इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइल या कोई हदीस बयान करता था। उन्होंने इमाम अली (अ) के शिष्यों और विशेष अनुयायियों जैसे मीसमे तम्मार, अम्र बिन हुमुक़ ख़ोज़ाई, रशीदे हुज्री, हुज्र बिन अदी और कुमैल बिन ज़ियाद को मार डाला, ताकि लोग इनके माध्यम से हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल तक न पहुंच सके।[१११] सुन्नी विद्वान शेख मुहम्मद अबू ज़हरा के अनुसार, उमय्या शासन ने हज़रत अली (अ) के फ़ज़ाइल को छिपाने में एक प्रमुख भूमिका है इसी कारण वंश आपकी फ़ज़ीलत के अध्याय मे सुन्नी संप्रदाय के स्रोतों में बहुत कम हदीसे आई है।[११२]

सय्यद अली शहरिस्तानी अपनी किताब "मनओ तदवीनिल हदीस" में लिखते है: अधिकांश शिया लेखकों का मानना है कि हदीसों को लिखने और संरक्षित करने के निषेध के कारणों में से एक इमाम अली (अ) के फ़जाइलो को प्रसारित होने से रोकना था;[११३] क्योंकि पैगंबर की हदीसों में अहले-बैत की फ़ज़ीलत और खिलाफत के लिए दूसरों की तुलना मे अहले-बैत (अ) की फ़ज़ीलत के बारे में पर्याप्त साक्ष बयान हुए थे और यह चीज़ बनी उम्य्या के शासन के हित में नहीं थी।[११४]

हज़रत अली के फ़ज़ाइल को दूसरों से मंसूब करना

जिस प्रकार इब्ने अबिल हदीद ने तीसरी शताब्दी हिजरी के मोताज़ली मुताकल्लिम (न्यायशास्त्रि) अबू जाफ़र इस्काफ़ी से उद्धृत किया कि मुआविया ने सहाबा और ताबेईन के एक समूह को इस बात पर नियुक्त किया था कि वो इमाम अली (अ) की निंदा में हदीसे गढ़े।[११५] उसने अपने गुर्गो को आदेश दिया था कि उस्मान बिन अफ्फान के चाहने वालों को पहचाने और उन्हें अपने करीब लाने की कोशिश करें तथा ये लोग उस्मान की प्रशंसा में जो कुछ भी कहें उसे लिखित रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए।[११६] मदाएनी के अनुसार जनता धन की लालसा मे उस्मान की प्रशंसा में हदीसों को गढ़ने लगी, इस प्रकार उस्मान के फ़ज़ाइल बड़ी संख्या में नक़्ल होने लगे;[११७] इसी प्रकार मुआविया ने अपने गुर्गो को एक दूसरे पत्र मे लिखा कि जनता को सहाबा और तीनो ख़लीफ़ाओ की प्रशंसा मे हदीस बयान करने के लिए आमंत्रित करे और अली इब्ने अबि तालिब (अ) की फ़ज़ीलत मे कोई हदीस न बचे, यहा तक कि अली इब्ने अबि तालिब के फ़जाइलो में वर्णित सभी हदीसे या तीनो ख़लीफाओं के पक्ष में बयान करे अथवा उनके फ़ज़ाइल के खिलाफ़ अली इब्न अबी तालिब के विरोध मे बयान करें।[११८]

हज़रत अली के फ़ज़ाइल से इनकार

इब्ने तैमिया (661-728 हिजरी) ने अहले-बैत की प्रशंसा में सुनाई गई हदीसों को नकली माना है।[११९] इसी प्रकार उसके शिष्य इब्ने कसीर दमिश्की के नाम से प्रसिध्द इस्माईल बिन अम्र (701-774 हिजरी) का कहना है कि अलि इब्ने अबि तालिब के लिए विशेष रूप से कोई आयत नहीं आई और जिन आयतो का उल्लेख किया गया है वे वास्तव में अली इब्ने अबि तालिब और अन्य ख़लीफाओं के सम्मान में आई है।[१२०] उनकी राय में, इस संबंध में इब्ने अब्बास और अन्य सहाबा से उद्धृत हदीसें सही नही है।[१२१] इसी तरह, वे इमाम अली (अ) के सम्मान में अधिकांश उद्धृत हदीसों के प्रसारण की श्रृंखला को ज़ईफ़ (कमजोर) मानते है।[१२२]

किताबो का परिचय

इमाम अली (अ) के गुणो का उल्लेख अहले-सुन्नत की प्रसिद्ध पुस्तकों जैसे सहीह सित्ता में मनाकिब और फ़ज़ाइल ए अली बिन अबी तालिब के शीर्षक से किया गया है।[१२३] इसी प्रकार फ़ज़ाइले अहले-बैत मे लिखी गई किताबो मे एक भाग इमाम अली (अ) के फ़ज़ाइल और मनाक़िब से विशिष्ठ है। शिया और सुन्नी विद्वानों ने इमाम अली (अ) के गुणों पर स्थायी पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमें से कुछ निम्लिखित हैं:

अहले-सुन्नत की किताबे

  • फ़ज़ाइले अमीरुल मोमिनीन अहमद बिन हंबल शैबानी (मृत्यु 241 हिजरी) द्वारा लिखित। इस किताब में हज़रत अली के मनाक़िब और फ़ज़ाइल के बारे में 369 हदीसों का वर्णन किया गया है।[१२४] इब्ने हंबल ने इस पुस्तक में ग़दीर के दिन दूसरे ख़लीफ़ा द्वारा हज़रत अली (अ) को बधाई देने की घटना का भी वर्णन किया है।[१२५]
  • ख़साइस ए अमीरुल मोमिनीन (किताब), अहमद बिन शुएब निसाई (मृत्यु 303 हिजरी) द्वारा लिखित। जो मोहद्दिस और सहाए सित्ता अहले-सुन्नत मे से अल-सुनन के लेखक भी हैं। यह किताब अरबी भाषा में लिखी गई है, जिसमें हज़रत अली के इस्लाम लाने की घटना, पैग़म्बर (स) की नज़र में आपका स्थान, रसूले खुदा के साथ आपके संबंध और आपकी पत्नी और बच्चों के मक़ाम और स्थिति पर चर्चा की गई है।
  • मनाक़िब उल-इमाम अली बिन अबी तालिबः इब्ने मग़ाज़ेली (मृत्यु 483 हिजरी) द्वारा लिखित। यह किताब अरबी भाषा में लिखी गई है, जिसमें हज़रत के कुछ गुण, जैसे काबा में जन्म लेना, इस्लाम लाने में उनकी उत्कृष्टता, पैगंबर (स) के कंधो पर सवार होना और आपके सम्मान में नाज़िल होने वाली आयात और हदीसो का उल्लेख किया गया हैं।

उनके अलावा मनाक़िबे अलि इब्ने अबी तालिब, अहमद बिन मूसा बिन मर्दावय (मृत्यु 410 हिजरी) द्वारा लिखित, अल-मेयार वल मुआज़ेना फ़ी फ़ज़ाइले लिल इमाम अमीरुल मोमिनीन अली बिन अबी तालिब (अ) मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह इस्काफ़ी (मृत्यु 240 हिजरी) द्वारा लिखित, अल-जोहरतो फ़ी नस्बिल इमाम अली वा आलेही, मुहम्मद बिन अबी बक्र तिलिस्मानी (सांतवी शताब्दी हिजरी) द्वारा लिखित, जवाहिर उल-मतालिब फ़ी मनाक़ेबिल इमाम अली बिन अबी तालिब, शम्सुद्दीन बाऊनी (मृत्यु 871 हिजरी) द्वारा संकलित, किफ़ाया तुत-तालिब फ़ी मनाक़िबे अली इब्ने अबी तालिब, मुहम्मद बिन युसूफ़ गंजी (मृत्यु 658 हिजरी) द्वारा संकलित, मनाक़िबुल इमाम अमीरुल मोमिनीन, मुवफ़्फ़क़ बिन अहमद ख़ुवारिज़्मी (मृत्यु 568 हिजरी) द्वारा लिखित और मनाक़िबे मुर्तज़वी, मीर मुहम्मद सालेह तिर्मिज़ी (मृत्यु 1060 हिजरी) द्वारा अहले-सुन्नत की दूसरी किताबे है जो इमाम अली (अ) के गुणो के अध्याय मे लिखी गई है।

शियों की किताबे

  • अल-मरातिब फ़ी फ़ज़ाइले अमीरिल मोमिनीन: यह किताब चौथी शताब्दी हिजरी अबुल क़ासिम बुस्ती का लेख है। इस किताब मे हज़रत अली (अ) की श्रेष्ठता मे 450 हदीसो का उल्लेख है।
  • तफ़ज़ीले अमीरूल मोमिनीन: शेख़ मुफ़ीद (मृत्यु 413 हिजरी) द्वारा संकलित, शेख मुफ़ीद ने इस किताब मे शिया और सुन्नी दोनो संप्रदायो की हदीसो से लाभ उठाते हुए इस्लाम के पैंगबर (स) के अलावा सभी नबीयों पर हज़रत अली (अ) की फ़ज़ीलत को सिद्ध किया है। इस किताब का फ़ारसी भाषा मे अनुवाद मौजूद है।
  • अल-रिसालतुल अलावियते फ़ी फ़ज़्ले अमीरिल मोमिनीना अला साएरिल बरीयते सिवा सय्यदना रसूलुल्लाहः अबुल फ़त्ह कराजकी (मृत्यु 449 हिजरी) ने अरबी भाषा मे संकलित किया है। इस किताब मे कुरआन की आयातो के अनुसार हज़रत अली (अ) के अफ़ज़ल होने और आपकी विशेषताओ और उनसे संबंधित आशंकाओ का जवाब भी दिया है।
  • अल-यक़ीन फ़ी इख़्तेसासे मौलाना अली अलैहिस सलाम बेइमरतिल मोमिनीनः सय्यद इब्ने ताऊस (मृत्यु 464 हिजरी) का संकलन है। उन्होने इस किताब मे अहले-सुन्नत स्रोतो से 220 से लाभ उठाते हुए अमीरुल मोमिनीन उपनाम को हज़रत अली के साथ विशिष्ठ किया है जिसे पैग़म्बरे अकरम (स) ने आपको दिया था।

इसके अलावा उम्दतो ओयूने सेहा इल अख़बार फ़ी मनाक़िबे इमामिल अबरार, इब्ने बितरीक (मृत्यु 600 हिजरी) द्वारा संकलित, मेअतो मनक़बते मिन मनाक़िबे अमीरिल मोमिनीन वल आइम्मते मिन वुलदते मिन तरीक़िल आम्मते, इब्ने शाज़ान द्वारा लिखित, तरफ मिनल अम्बाए वल मनाक़िब, सय्यद इब्ने ताऊस द्वारा लिखित, अल-रौज़तो फ़ी फ़ज़ाइले अमीरिल मोमिनीन, शाज़ान बिन जिब्राईल क़ुमी द्वारा लिखित, कश्फ़ उल-यक़ीन फ़ी फ़ज़ाइले अमीरिल मोमिनीन, अल्लामा हिल्ली द्वारा लिखित और क़जाए अमीरुल मोमिनीन, मुहम्मद तक़ी शूस्तरि की रचना इत्यादि दूसरी किताबे है जिन्हे शिया विद्वानो हज़रत अली (अ) की फ़ज़ीलत के अध्याय मे संकलित किया है।

फ़ुटनोट

  1. असग़र पूर, दर आमदी बर मनाक़िब निगारी अहले-बैत, पेज 267
  2. देखेः बियाज़ी, अस-सिरात उल-मुस्तक़ीम, 1384 हिजरी, भाग 1, पेज 151-298
  3. इब्ने शाज़ान, मैया मनकबत, 1407 हिजरी, पेज 177
  4. हाकिम नेशापूरी, अल-मुस्तदरक अलस-सहीहैन, 1411 हिजरी, भाग 3, पेज 116
  5. इब्ने शाज़ान, मैया मनकबत, 1407 हिजरी, पेज 177
  6. इब्ने मंज़ूर, मुख़्तसर तारीखे दमिश्क़, 1402 हिजरी, भाग 18, पेज 11
  7. हस्कानी, शवाहिद अल-तंज़ील, 1411 हिजरी, भाग 11, पेज 63-71; शब्लंजी, नूर उल-अब्सार, अल-शरीफ़ अल-रज़ी, भाग 1, पेज 159
  8. गंजी शाफ़ेई, किफ़ाया अल-तालिब, 1404 हिजरी, पेज 231; क़ंदूज़ी, यनाबी उल-मवद्दत, 1422 हिजरी, भाग 1, पेज 337
  9. सूरा ए मायदा, आयत न. 55
  10. तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 6, पेज 25; सीवती, अल-दुर्र उल-मंसूर, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 293; हस्कानी, शवाहिद अल-तंज़ील, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 209-239
  11. सूरा ए बक़रा, आयत न 207
  12. इब्ने अबिल हदीद, शरहो नहज उल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, भाग 13, पेज 262
  13. तबातबाई, अल-मीज़ान, 1390 हिजरी, भाग 2, पेज 100
  14. तूसी, अल-अमाली, 1414 हिजरी, पेज 466-467
  15. सूरा ए मायदा, आयत न 67
  16. देखेः अय्याशी, तफ़सीर उल-अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 1, पेज 332; सीवती, अल-दुर्र उल-मंसूर, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 298; आलूसी, रूहुल मआनी, 1405 हिजरी, भाग 6, पेज 194
  17. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 290; तबरसी, अल-एहतेजाज, 1401 हिजरी, भाग 1, पेज 57
  18. सूरा ए मायदा, आयत न 3
  19. मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूमा, 1374 शम्सी, भाग 4, पेज 264-265
  20. अमीनी, अल-ग़दीर, 1368 शम्सी, भाग 2, पेज 115
  21. सूरा ए तौबा, आयत न 119
  22. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1401 हिजरी, भाग 1, पेज 208; आ-मदी, ग़ायतुल मराम, 1391 हिजरी, भाग 3, पेज 52
  23. हिल्ली, कश्फ़ उल-मुराद, 1413 हिजरी, पेज 371
  24. सूरा ए बय्येना, आयन न 7
  25. हस्कानी, शवाहिद अल-तंज़ील, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 459; सीवती, अल-दुर्र उल-मंसूर, 1404 हिजरी, भाग 6, पेज 369
  26. देखेः हस्कानी, शवाहिद अल-तंज़ील, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 341-352; सीवती, अल-दुर्र उल-मंसूर, 1404 हिजरी, भाग 6, पेज 244; सुदूक़, अल-अमाली, 1376 शम्सी, पेज 31; हुवैज़ी, तफ़सीर उस-सक़लैन, 1415 हिजरी, भाग 5, पेज 370
  27. तबातबाई, अल-मीज़ान, 1390 हिजरी, भाग 19, पेज 332
  28. सूरा ए बक़रा, आयत न 274
  29. इब्ने असाकिर, तारीखे मदीना ए दमिश्क़, भाग 38, पेज 206
  30. सूरा ए मुजादेला, आयत न 12
  31. तबरसी, मजमा उल-बयान, 1372 शम्सी, भाग 9, पेज 380
  32. सूरा ए मरयम, आयत न 96
  33. क़ुमी, तफ़सीर उल-क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 56
  34. देखेः सुयूती, अल-दुर्र उल-मंसूर, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 39; तबरसी, मजमा उल-बयान, 1372 शम्सी, भाग 2, पेज 764; तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 30
  35. इब्ने हक्म, तफ़सीर अल-हिबरी, 1408 हिजरी, पेज 297-311; तबरसी, मजमा उल-बयान, 1372 शम्सी, भाग 8, पेज 560; तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 16, पेज 311
  36. सूरा ए निसा, आयत न 59
  37. देखेः तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 4, पेज 389; फ़ख़्रे राज़ी, मफ़ातीह उल-ग़ैब, 1420 हिजरी, भाग 10, पेज 113
  38. क़ंदूज़ी, यनाबी उल-मवद्दत, 1422 हिजरी, भाग 1, पेज 341; अय्याशी, तफ़सीर उल-अय्याशी, 1380 हिजरी, भाग 1, पेज 251-252
  39. सूरा ए शूरा, आयत न 23
  40. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, 1403 हिजरी, भाग 23, पेज 232
  41. सूरा ए इंसान, आयत न 8-9
  42. तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 20, पेज 132
  43. कूफ़ी, तफ़सीरे फुरात अल-कूफी, 1410 हिजरी, पेज 527-529; ज़मख़शरि, अल-कश्शाफ़, 1407 हिजरी, भाग 4, पेज 670
  44. सूरा ए नहल, आयत न 43 सूरा ए अम्बिया, आयत न 7
  45. देखेः हस्कानी, शवाहिद अल-तंज़ील, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 432
  46. मकारिम शिराज़ी, आयात ए विलायत दर क़ुरान, 1386 शम्सी, पजे 312
  47. मकारिम शिराज़ी, आयात ए विलायत दर क़ुरान, 1386 शम्सी, पजे 307
  48. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 416-417 और 433; क़ुमी, तफ़सीर उल-क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 92, 279-280 और 286; कूफ़ी, तफ़सीरे फुरात अल-कूफी, 1410 हिजरी, पेज 177-178, 400, 417 और 433
  49. इब्ने हंबल, फ़ज़ाइले अमीरुल मोमिनीन (अ), 1433 हिजरी, पेज 197 अमीनी, अल-ग़दीर, भाग 1, पेज 14-15
  50. देखेः कश्फ़ उल-मुराद, 1413 हिजरी, पेज 369
  51. बुख़ारी, सहीह उल-बुख़ारी, 1422 हिजरी, भाग 5, पेज 19 बाबे मनाक़िबे जाफ़र बिन अबि तालिब, हदीस 3706; मुस्लिम, सहीह मुस्लिम, दारे एहयाइत तुरास अल-अरबी, भाग 4, पेज 1870-1871, हदीस 80; इब्ने हंबल, फ़ज़ाइले अमीरुल मोमिनीन (अ), 1433 हिजरी, पेज 156
  52. क़ुमी, तफ़सीर उल-क़ुमी, 1404 हिजरी, भाग 1, पेज 68; हाकिम नेशापूरी, अल-मुस्तदरक अलस सहीहैन, 1411 हिजरी, भाग 3, पेज 137, हदीस 4637
  53. अमीनी, अल-ग़दीर, 1370 हिजरी, भाग 6, पेज 78-79
  54. हस्कानी, शवाहिद अल-तंज़ील, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 543; बहरानी, अल-बुरहान, 1416 हिजरी, भाग 4, पेज 186-189; सीवती, अल-दुर्र उल-मंसूर, 1404 हिजरी, भाग 5, पेज 97
  55. देखेः शेख़ मुफ़ीद, अल-फ़ुसूल उल-मुख़्तारोह, 1413 हिजरी, पेज 96
  56. देखेः इब्ने असाकिर, तारीखे मदीना दमिश्क़, 1415 हिजरी, भाग 42, पेज 392; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, 1403 हिजरी, भाग 38, पेज 154-339
  57. देखेः उस्तराबादी, अल-बराहीन उल-क़ातेआ, 1382 शम्सी, भाग 3, पेज 244
  58. हाकिम नेशापूरी, अल-मुस्तदरक अलस सहीहैन, 1411 हिजरी, भाग 3, पेज 143; इब्ने हंबल, मुसनद अल-इमाम अहमद, 1421 हिजरी, भाग 5, पेज 180; सुदूक़, अल-अमाली, 1376 शम्सी, पेज 2
  59. सुदूक़, अल-अमाली, 1376 शम्सी, पेज 2
  60. रहीमी इस्फ़हानी, विलायत वा रहबरी, 1374 शम्सी, भाग 3, पेज 119-121
  61. निसाई, ख़साइ ए अमीरुल मोमिनीन, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 29, हदीस 10
  62. देखेः निसाई, ख़साइस ए अमीरुल मोमिनीन, 1406 हिजरी, भाग 1, पेज 29, हदीस 10; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, 1403 हिजरी, भाग 38, पेज 355
  63. देखेः बुख़ारी, सहीह उल-बुख़ारी, 1422 हिजरी, भाग 5, पेज 18, हदीस 3701-3702; मस्लिम, सहीह मस्लिम, दार ए एहयाइत तुरास अल-अरबी, भाग 4, पेज 1872, हदीस 2406
  64. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 294
  65. देखेः निसाई, अल-सुनन अल-कुबरा, 1421 हिजरी, भाग 7, पेज 310, हदीस 8092; कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 294; मुस्लिम, सहीह मुस्लिम, दार ए एहयाइत तुरास अल-अरबी, भाग 4, पेज 1873, हदीस 2408; इब्ने हंबल, फ़जाइले अमीरुल मोमेनीन अली इब्ने अबि तालिब (अ), 1433 हिजरी, पेज 180
  66. तूसी, अल-अमाली, 1414 हिजरी, पेज 368; कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 287
  67. इब्ने हंबल, फ़जाइले अमीरुल मोमिनीन अली इब्ने अबि तालिब, 1433 हिजरी, पेज 184; मुस्लिम, सहीह मुस्लिम, दार ए एहयाइत तुरास अल-अरबी, भाग 4, पेज 1883, हदीस 2424; तिबरी, अल-मुसतरशिद, 1415 हिजरी, पेज 598
  68. इब्ने हंबल, फ़जाइले अमीरुल मोमिनीन अली इब्ने अबि तालिब, 1433 हिजरी, पेज 184; मुस्लिम, सहीह मुस्लिम, दार ए एहयाइत तुरास अल-अरबी, भाग 4, पेज 1883, हदीस 2424; तिबरी, अल-मुसतरशिद, 1415 हिजरी, पेज 598
  69. हाकिम, नैशापूरी, अल-मुस्तदरक उस-सहीहैन, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 373, हदीस 3312
  70. देखेः हाकिम, नैशापूरी, अल-मुस्तदरक अलस-सहीहैन, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 373, हदीस 3312; नौमानी, अल-ग़ैबा, 1397 हिजरी, पेज 44
  71. देखेः हाकिम, नेशापूरी, अल-मुस्तदरक अलस-सहीहैन, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 263, हदीस 2949; हस्कानी, शवाहिद अल-तंज़ील, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 376-377
  72. इब्ने बतरीक़, ख़साएसुल वही इल-मुबीन फ़ी मनाक़िबे अमीरिल मोमीनीन, 1417 हिजरी, पेज 264
  73. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 527
  74. ख़तीबे बग़दादी, तारीखे बग़दाद, 1422 हिजरी, भाग 16, पेज 470; सुदूक़, अल-अमाली, 1376 शम्सी, पेज 89
  75. देखेः हसन बिन अली, अल-तफ़सीर अल-मंसूब इला अल-इमाम अल-अस्करी, 1409 हिजरी, पेज 497-498; सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 1, पेज 25; तिबरी, आमोली कबीर, अल-मुसतरशिद फ़िल इमामा, 1415 हिजरी, पेज 287; मुफ़ीद, अल-अमाली, 1413 हिजरी, पेज 14; तूसी, अल-अमाली, 1414 हिजरी, पेज 417; तिबरी, आमोली, बशारत उल-मुस्तफ़ा, 1383 हिजरी, पेज 83 (इस स्रोत की इबारत समान नही है)
  76. आसमी, अल-असलुल मुसफ़्फ़ा, 1418 हिजरी, भाग 1, पेज 124-126; इब्ने असाकिर, अनुवादः अल-इमाम अली इब्ने अबि तालिब, 1400 हिजरी, भाग 2, पेज 280; इब्ने मग़ाज़्ली, मनाक़िबे अमीरूल मोमेनीन अली इब्ने अबि तालिब, 1424 हिजरी, पेज 281; ख़्वारिज़्मी, अलमनाक़िब, 1411 हिजरी, पेज 84 और 312; हस्कानी, शवाहिद अल-तंज़ील, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 103; तिबरी, ज़ख़ाएरूल अकबी, 1354 हिजरी, पेज 93-94; हमूई जुवैनी, फ़राएद उस-सिमतैन, 1398 हिजरी, भाग 1, पेज 170
  77. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 8, पेज 110
  78. तिबरी, तारीख इल-उमम वल मुलूक, 1387 हिजरी, भाग 2, पेज 514
  79. शेख़ सुदूक़, ओयून अख़्बार अल-रज़ा, 1378 हिजरी, भाग 2, पेज 27 और 86; सफ़्फ़ार, बसाएर उद-दरताज, 1404 हिजरी, पेज 414-418
  80. शेख़ सुदूक़, ओयून अख़्बार अल-रज़ा, 1378 हिजरी, भाग 2, पेज 27 और 86; सफ़्फ़ार, बसाएर उद-दरताज, 1404 हिजरी, पेज 414-418; मजलिसी, बिहार उल-अनवार, 1403 हिजरी, भाग 39, पेज 193-211
  81. देखेः इब्ने मग़ाज़िली, मनाक़िब उल-इमाम अली इब्ने अबि तालिब, 1424 हिजरी, पेज 107; ख़्वारिज़्मी, मनाक़िब, 1411 हिजरी, पेज 295; हम्मूई जुवैनी, फ़राएद उस-सिमतैन, मोअस्सेसा महमूदी, भाग 1, पेज 326-327
  82. हस्कानी, शवाहिद अल-तंज़ील, 1411 हिजरी, भाग 2, पेज 14
  83. इब्ने हंबल, फ़ज़ाइले अमीरुल मोमिनीन अली इब्ने अबि तालिब, 1433 हिजरी, पेज 194
  84. इब्ने हंबल, फ़ज़ाइले अमीरुल मोमिनीन अली इब्ने अबि तालिब, 1433 हिजरी, पेज 174
  85. इब्ने हंबल, फ़ज़ाइले अमीरुल मोमिनीन अली इब्ने अबि तालिब, 1433 हिजरी, पेज 172
  86. अहमद हंबल, मुसनद अल-इमाम अहमद, 1421 हिजरी, भाग 5, पेज 79
  87. इब्ने असाकिर, तारीखे मदीना ए दमिश्क़, 1415 हिजरी, भाग 42, पेज 356
  88. हाकिम, नेशापूरी, अल-मुस्तदरक अलस सहीहैन, 1411 हिजरी, भाग 3, पेज 152, हदीस 4881
  89. इब्ने मरदूया, मनाक़िब अली इब्ने अबि तालिब, 1424 हिजरी, पेज 162
  90. अहमद हंबल, मुसनद अल-इमाम अहमद, 1421 हिजरी, भाग 3, पेज 480
  91. इब्ने हंबल, फ़ज़ाइले अमीरुल मोमिनीन अली इब्ने अबि तालिब, 1433 हिजरी, पेज 183
  92. तूसी, अल-अमाली, 1414 हिजरी, पेज 552
  93. फ़त्ताल, नेशापूरी, रौज़ा तुल-वाएज़ीन, 1375 शम्सी, पेज 147
  94. फ़त्ताल, नेशापूरी, रौज़ा तुल-वाएज़ीन, 1375 शम्सी, पेज 146
  95. अमीनी, अल-ग़दीर, 1397 हिजरी, भाग 6, पेज 21-23
  96. शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 48
  97. तक़द्दुमी मासूमी, नूर उल-अमीर फ़ी तस्बीते ख़ुत्बतिल ग़दीर, 1379 शम्सी, पेज 97
  98. मजलिसी, बिहार उल-अनवार, 1403 हिजरी, भाग 39, पेज 35; इब्ने हंबल, फ़ज़ाइले अमीरूल मोमिनीन, 1433 हिजरी, भाग 177
  99. इब्ने अब्दुल बिर, अल-इस्तीआब, 1401 हिजरी, भाग 3, पेज 1097-1098
  100. अल-निसाई, अल-सुनन उल-कुबरा, भाग 5, पेज 107; इब्ने हंबल, फ़ज़ाइले अमीरुल मोमिनीन, 1433 हिजरी, पेज 186-187
  101. मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1371 शम्सी, भाग 7, पेज 275
  102. इब्ने हंबल, मुसनद अल-इमाम अहमद, 1421 हिजरी, भाग 5, पेज 179; निसाई, ख़साइस, 1406 हिजरी, पेज 93
  103. तबातबाई, अल-मीज़ान, 1417 हिजरी, भाग 6, पेज 25; सीवती, अल-दुर्र उल-मंसूर, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 293; हस्कानी, शवाहिद अल-तंज़ील, 1411 हिजरी, भाग 1, पेज 209-239
  104. शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 346
  105. मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 347
  106. इब्ने अबिल हदीद, शरह नहज उल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, भाग 11, पेज 44
  107. देखेः मुहम्मदी रय शहरी, दानिश नामा अमीरुल मोमिनीन, 1428 हिजरी, पेज 475-483
  108. इब्ने अबिल हदीद, शरह नहज उल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, भाग 4, पेज 57
  109. इब्ने अबिल हदीद, शरह नहज उल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, भाग 11, पेज 44
  110. इब्ने ख़लदून, तारीख़े इब्ने ख़लदून, 1408 हिजरी, भाग 3, पेज 94
  111. मुग़न्निया, अल-हुसैन वा बत्लते करबला, 1426 हिजरी, पेज 187
  112. अबु ज़हरा, अल-इमाम अल-सादिक़, मतबआ मुहम्मद अली मुख़य्यम, पेज 162
  113. शहरिस्तानी, मनओ तदवीनिल हदीस, 1418 हिजरी, पेज 57
  114. असग़र पूर, दरआमदी बर मनाक़िब निगारी ए अहले-बैत, पेज 270
  115. इब्ने अबिल हदीद, शरह नहज उल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, भाग 4, पेज 63
  116. इब्ने अबिल हदीद, शरह नहज उल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, भाग 11, पेज 44
  117. इब्ने अबिल हदीद, शरह नहज उल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, भाग 11, पेज 44
  118. इब्ने अबिल हदीद, शरह नहज उल-बलाग़ा, 1404 हिजरी, भाग 11, पेज 45
  119. देखेः इब्ने तैमिया, मिन्हाज उस-सुन्नत उन-नबावीया, 1406 हिजरी, भाग 8, पेज 50-86 और 122-126 तथा 164-168
  120. इब्ने कसीर, अल-बिदाया वन-निहाया, 1407 हिजरी, भाग 7, पेज 357
  121. इब्ने कसीर, अल-बिदाया वन-निहाया, 1407 हिजरी, भाग 7, पेज 357-358
  122. देखेः इब्ने कसीर, अल-बिदाया वन-निहाया, 1407 हिजरी, भाग 7, पेज 357 और 358
  123. देखेः सहीह बुख़ारी, 1422 हिजरी, भाग 5, पेज 18; मुस्लिम, सहीह सुस्लिम, दार ए एहयाइत तुरास अल-अरबी, भाग 4, पेज 1870-1871, हदीस 2404
  124. मर्दी, यादी अज़ मोहक़्क़िक़ तबातबाई बे बहाना ए चापे फ़ज़ाइले अमीरुल मोमिनीन (अ)
  125. इब्ने हंबल, फ़ज़ाइले अमीरुल मोमिनीन (अ), 1433 हिजरी, पेज 197

स्रोत

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  • तबरी, आमोली, एमादुद्दीन मुहम्मद बिन अबिल क़ासिम, बशारत उल-मुस्तफ़ा लेशिया तिल मुर्तुज़ा, नजफ, अल-मकतबातुल हैदारिया, दूसरा प्रकाशन, 1383 हिजरी
  • तबरी, मोहिब्बुद्दीन, ज़ख़ाइर उल-अक़्बी फ़ी मनाक़िबे ज़विल क़ुर्बा, क़ाहिरा, मकतबा तुल क़ुद्सी, 1354 हिजरी
  • तबरी, आमोली, मुहम्मद बिन जुरैर, अल-मुस्तरशिद फ़ी इमामते अली इब्ने अबी तालिब, संशोधन अहमद महमूदी, क़ुम, कोशानपूर, 1415 ई
  • तबरी, मुहम्मद बिन जुरैर, तारीख उल-उमम वल मुलूक, शोधः मुहम्मद अबुल फ़ज़्ल इब्राहीम, बैरूत, दार उल-तुरास, 1387 हिजरी / 1967 ई
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-अमाली, संशोधन मोअस्सेसा तुल-बेअसत, क़ुम, दार उस-सक़ाफ़ा, 1414 हिजरी
  • आसेमी, अहमद बिन मुहम्मद, अल-असलुल मुसफ़्फ़ा मिन तहज़ीबे जैनुल फ़ता फ़ी शरह सूरत इल हल-अता, शोधः मुहम्मद बाक़िर महमूदी, क़ुम, मजमा एहया इस-सक़ाफ़ा अल-इस्लामीया, 1418 हिजरी
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  • फ़ख़्रे राज़ी, मुहम्मद बिन उमर, अल-तफ़सीर उल-कबीर (मफ़ातीह उल-ग़ैब), बैरूत, दार ए एहयाइत तुरास अल-अरबी, 1420 हिजरी
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  • मकारिम शिराज़ी, नासिर, तफ़सीरे नमूना, तेहारन, दार उल-कुतुब उल-इस्लामीया 1374 शम्सी
  • निसाई, अहमद बिन शुऐब, अल-सुनन उल-कुबरा, शोधः हसन बिन अब्दुल मुनइम अली ख़ुरासानी, बैरूत, मोअस्सेसा तुर-रिसालत, 1421 हिजरी / 2001ई.
  • निसाई, अहमद बिन शुऐब, ख़साइस अमीरुल मोमिनीन अली इब्ने अबी तालिब, शोधः अहमद मीरीन ब्लूची, कुवैत, मकतबातुल मोअल्ला, 1406 हिजरी
  • नोमानी, मुहम्मद बिन इब्राहीम, अल-ग़ैबातो लिन्नोमानी, संशोधन अली अकबर गफ़्फ़ारी, तेहारन, नश्रे सुदूक़, 1397 हिजरी
  • नेशापूरी, मुस्लिम बिन हुज्जाज, सहीह मुस्लिम, शोधः मुहम्मद फोआद अब्दुल बाक़ी, बैरूत, दार ए एहयाइत तुरास अल-अरबी