आय ए इंफ़ाक़
आय ए इंफ़ाक़ | |
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आयत का नाम | आय ए इंफ़ाक़ |
सूरह में उपस्थित | सूर ए बक़रा |
आयत की संख़्या | 274 |
पारा | 3 |
शाने नुज़ूल | इमाम अली (अ) का दान |
नुज़ूल का स्थान | मदीना |
विषय | अख़्लाक़ |
आय ए इंफ़ाक़ (अरबी: آية الإنفاق) (बक़रा: 274) इंफ़ाक़ के बारे में और विभिन्न स्थितियों में इसका अभ्यास करने के तरीक़े के बारे में बताया गया था। टीकाकारों ने इमाम अली (अ) के दान (इंफ़ाक़) को आयत के नाज़िल होने का कारण माना है, जिन्होंने खुले और गुप्त रूप से चार दिरहम दिन और रात में दान दिए। कुछ का मानना है कि इस आयत में वे सभी लोग शामिल हैं जो इसी अनुसार कार्य करते हैं।
इस आयत में पापों की क्षमा, दंड से बचाव, अंतःकरण (विजदान) की शांति और शोक निवारण का परिचय दिया गया है।
आयत के शब्द और अनुवाद
सूर ए बक़रा की दो सौ चौहत्तरवीं आयत को आय ए इंफ़ाक़ कहा जाता है।[१] कुछ लोगों ने इस आयत को दान के बारे में पिछले चौदह आयतों का सारांश माना है।[२] इस आयत में, वह दान (इंफ़ाक़) करने के तरीक़े, इनाम[३] और लोगों की शांति पर इसके प्रभाव के बारे में बात की गई है[४] और अलग-अलग परिस्थितियों में और हर समय इसके गुणों की ओर इशारा करती है।[५]
“ | ” | |
— क़ुर्आन: सूर ए बक़रा आयत 274 |
आय ए इंफ़ाक़ उन लोगों का उल्लेख करती है जो हमेशा किसी भी स्थिति में अपनी संपत्ति का दान करते हैं[६] और यह उन लोगों के परिश्रम की ओर इशारा करती है जो विभिन्न परिस्थितियों में दान करते हैं[७] और यह उनकी ओर से सांसारिक और परलोक में परोपकार के कार्यों की ओर इशारा करती है।[८]
नाज़िल होने का कारण
हदीसों का हवाला देते हुए, शिया टीकाकारों का मानना है कि इस आयत के नाज़िल होने का कारण इमाम अली (अ) का दान है जिन्होंने चार दिरहम को, एक रात में, एक दिन में, एक को खुले तौर पर और दूसरे को गुप्त रूप से दान किया।[९]
अहले सुन्नत टिप्पणीकारों ने आय ए इंफ़ाक़ के नाज़िल होने के कारण के बारे में दो मत प्रस्तुत किए हैं; उनमें से कुछ ने केवल इमाम अली (अ) के दान को इस आयत के नाज़िल होने का कारण माना है।[१०] दूसरी श्रेणी, इमाम अली (अ) के बारे में आयत के नुज़ूल के अलावा, अन्य संभावनाओं से जैसे कि अब्दुर्रहमान बिन औफ़[११] और अबू बकर[१२] के दान की बात की है; जैसा कि उन्होंने अब्दुर्रहमान बिन औफ़ को अमीरल मोमिनीन (अ) के साथ, एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उल्लेख किया है जो दिन में दान करता था, और अली (अ) रात में दान करते थे।[१३] या जो कोई भी भगवान के मार्ग [१४] में बिना फ़िज़ूलख़र्ची के दान करता है[१५] और यहां तक कि जो भगवान के मार्ग में जिहादी घोड़ों को खिलाते (चराते) हैं।[१६]
विभिन्न संभावनाओं का उल्लेख करने के बाद, कुछ नाज़िल होने के कारण के बारे में रुक गए हैं और इसके नाज़िल होने के विशिष्ट कारण को नहीं जानने की बात कही है।[१७] कुछ टीकाकारों का मानना है, हालाँकि यह आयत किसी विशिष्ट व्यक्ति के बारे में नाज़िल हुई है; लेकिन इसका हुक्म किसी विशिष्ट मामले के लिए विशिष्ट नहीं है और इसमें वे सभी शामिल हैं जो दान में इस तरह से कार्य करते हैं;[१८] हालांकि, इमाम अली (अ) का दान इस मामले में उनकी श्रेष्ठता के कारण अधिक पुण्य है।[१९]
व्याख्या
आय ए इंफ़ाक़ में दान (इंफ़ाक़) के विभिन्न तरीकों का उल्लेख किया गया है; इस प्रकार से कि यदि घोषित (इज़हार) करने की आवश्यकता न हो तो गुप्त रूप से दान किया जाए।[२०] जिससे दान प्राप्त करने वाले की मर्यादा को हानि न पहुँचे[२१] और यदि दूसरों को इस कार्य (दान) के प्रति प्रेम और शआएर की ताज़ीम दिलाना हो ताकि वह भी इस कार्य को करें तो दान को घोषित (इज़हार) करके करे; हालांकि दिन की अपेक्षा रात को तरजीह देना बेहतर है और खुले दान की तुलना में गुप्त दान बेहतर है।[२२] दान का अर्थ धन देना है[२३] और अर्थिक कमी को दूर करना है।[२४]
इस आयत में दान के प्रतिफल का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें पापों की क्षमा और दंड से बचना भी शामिल है। कुछ टीकाकारों का मानना है कि ऐसा करने से ईश्वर अंतरात्मा की शांति और दुःख से राहत का आधार प्रदान करता है।[२५] क्योंकि कुछ भविष्य के डर से और या धन के समाप्त होने के डर से, दान करने से बचें; इसीलिए दानी उसे कहते हैं जो भविष्य से न डरे और अपने कुछ धन के समाप्त हो जाने से दुखी नहीं होता है।[२६] हालांकि मजमा उल बयान[२७] में तबरसी ने और अन्य टीकाकारों[२८] ने आयत का अर्थ क़यामत के दिन भय और डर न होना माना है।
दुःख से बचना,[२९] परोपकार, शांति और सुरक्षा की भावना रखना इस आयत के संदेश माने गए हैं।[३०]
सम्बंधित
फ़ुटनोट
- ↑ शोधकर्ताओं का एक समूह, फ़रहंगनामे उलूमे क़ुरआनी, 1394 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 337।
- ↑ मुग़्निया, अल-तफ़सीर अल-काशिफ़, 1424 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 428।
- ↑ तबरसी, मजमा उल बयान, 1372 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 667।
- ↑ रेज़ाई इस्फ़हानी, तफ़सीर क़ुरान मेहर, 1387 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 323।
- ↑ आलोसी, रूह उल मानी, 1415 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 46।
- ↑ इब्ने कसीर, तफ़सीर अल-कुरान अल-अज़ीम, 1419 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 545, जाफ़री, तफ़सीरे कौसर, 1376 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 34।
- ↑ तबातबाई, अल-मीज़ान, 1390 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 400।
- ↑ क़राअती, तफ़सीरे नूर, 1388 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 434।
- ↑ उदाहरण के लिए देखें; इब्ने सुलेमान, तफ़सीर मक़ातिल इब्ने सुलेमान, 1423 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 225; तूसी, अल-तिबयान, बैरूत, खंड 2, पृष्ठ 357; शहाते, तफ़सीर अल-कुरआन अल-करीम, 1421 हिजरी, पृष्ठ 119; अय्याशी, तफ़सीर अल-अय्याशी, 1380 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 151; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1371 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 360।
- ↑ शैबानी, नहज उल बयान, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 352; सनआनी, तफ़सीर अब्दुर्रज़्ज़ाक़, 1411 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 118; दीनवरी, अल-वाज़ेह, 1424 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 92; वाहेदी, अल-वजीज़, 1415 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 191; जुर्जानी, दर्ज अल-दुर्र, 1430 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 365; हस्कानी, शवाहिद अल-तंजील, 1411 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 140।
- ↑ मातरिदी, ताविलात अहले सुन्ना, 1426 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 268; अबूहय्यान, अल-बहर अल-मुहीत, 1420 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 701।
- ↑ ज़मख़्शरी, अल-कश्शाफ़, 1407 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 319; बैज़ावी, अनवार अल-तंजील, 1416 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 161; अबू हय्यान, अल-बहर अल-मुहीत, 1420 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 701।
- ↑ तबरानी, अल-तफ़सीर अल-कबीर, 1008 ई., खंड 1, पृष्ठ 492-493; इब्ने जौज़ी, ज़ाद अल-मसीर, 1422 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 246; बग़वी, तफ़सीर अल-बग़वी, 1420 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 380।
- ↑ मावर्दी, अल-नुक्त व अल-उयून, बैरूत, खंड 1, पृष्ठ 347।
- ↑ क़ुरतुबी, अल-जामेअ ले अहकाम अल-क़ुरान, 1364 शम्सी, खंड 3, 347; अबू हय्यान, अल-बहर उल-मुहीत, 1420 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 701।
- ↑ उदाहरण के लिए, देखें: ज़मख़्शरी, अल-कश्शाफ़, 1407 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 319; फ़ख़्रे राज़ी, अल-तफ़सीर अल-कबीर, 1420 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 71; स्यूती, अल दुर्र अल-मंसूर, 1404 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 363।
- ↑ मातरिदी, तावीलात अहल अल सुन्ना, 1426 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 268।
- ↑ तफ़सीरे नमूना, 1371 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 360; अबू हय्यान, अल-बहरुल मुहीत, 1420 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 701; समरकंदी, बहरुल-उलूम, 1416 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 182।
- ↑ तबरसी, मजमा उल बयान, 1372 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 667।
- ↑ मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1371 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 360।
- ↑ मुग्निया, अल-तफ़सीर अल-काशिफ़, 1424 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 430।
- ↑ फ़ख़्रे राज़ी, अल-तफ़सीर अल-कबीर, 1420 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 71; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1371 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 361; जाफ़री, तफ़सीरे कौसर, 1376 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 35।
- ↑ अमीद, फ़रहंगे फ़ारसी अमीद, 1360 शम्सी, इंफ़ाक़ शब्द के अंतर्गत।
- ↑ क़राअती, तफ़सीरे नूर, 1388 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 434।
- ↑ रेज़ाई इस्फ़ाहानी, तफ़सीरे क़ुरान मेहर, 1387 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 325।
- ↑ मकारिम शिराज़ी, तफ़सीरे नमूना, 1371 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 361।
- ↑ तबरसी, मजमा उल बयान, 1372 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 667।
- ↑ मातरीदी, तावीलात अहले सुन्ना, 1426 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 268, इब्ने कसीर, तफ़सीरे अल-कुरान अल-अज़ीम, 1419 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 545।
- ↑ रेज़ाई इस्फ़ाहानी, तफ़सीरे क़ुरान मेहर, 1387 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 325।
- ↑ क़रआती, तफ़सीरे नूर, 1388 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 435।
स्रोत
- आलूसी, सय्यद महमूद, रूह अल-मानी फ़ी तफ़सीर अल-कुरान अल-अज़ीम, अली अब्दुलबारी अत्तिया, बैरूत, दार अल-किताब अल-आलमिया, 1415 हिजरी।
- इब्ने सुलेमान, मक़ातिल, तफ़सीरे मक़ातिल इब्ने सुलेमान, बैरूत, दारुल एहया अल-तोरास अल-अरबी, 1423 हिजरी।
- इब्ने जौज़ी, अब्दुर्रहमान बिन अली, ज़ाद अल-मसीर फ़ी इल्म अल-तफ़सीर, बैरूत, दार अल-किताब अल-अरबी, 1422 हिजरी।
- इब्ने कसीर, इस्माइल इब्ने उमर, तफ़सीर अल-कुरान अल-अज़ीम, बैरूत, दार अल-किताब अल-आलमिया, 1419 हिजरी।
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- बैज़ावी, अब्दुल्ला बिन उमर, अनावर अल-तंजील व असरार अल-तावील, बैरूत, दारुल एहया अल-तोरास अल-अरबी, 1418 हिजरी।
- जुर्जानी, अब्दुल क़ाहिर बिन अब्दुर्रहमान, दर्ज अल-दुर्र फ़ी तफ़सीर अल-कुरान अल-अज़ीम, उम्मान, दार अल-फ़िक्र, 1430 हिजरी।
- जाफ़री, याकूब, तफ़सीरे कौसर, क़ुम, हिजरत प्रकाशन संस्थान, 1376 शम्सी।
- शोधकर्ताओं का एक समूह, फ़रहंगनामे उलूमे क़ुरआन, क़ुम, इस्लामी विज्ञान और संस्कृति अनुसंधान संस्थान, 1394 हिजरी।
- हस्कानी, उबैदुल्लाह बिन अब्दुल्लाह, शवाहिद अल तंज़ील ले क़वाएद अल तफ़ज़ील, मुहम्मद बाक़िर महमूदी द्वारा अनुसंधान, तेहरान, संस्कृति और इस्लामी मार्गदर्शन मंत्रालय, 1411 हिजरी।
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- रेज़ाई इस्फ़ाहानी, मोहम्मद अली, तफ़सीरे क़ुरान, मेहर, क़ुम, तफ़सीर और कुरान के विज्ञान पर शोध, 1387 शम्सी।
- ज़मख़्शरी, महमूद बिन उमर, अल-कश्शाफ़ अन हक़ाएक़ ग़वामिज़ अल तंज़ील व उयून अल अक़ावील फ़ी वुजूह अल तावील, बेरूत, दारुल किताब अल-अरबी, तीसरा संस्करण, 1407 हिजरी।
- सरकंदी, नस्र बिन मुहम्मद, तफ़सीर अल-स्मरकंदी अल-मुसम्मा बहर उल-उलूम, बैरूत, दार अल-फ़िक्र, 1416 हिजरी।
- स्यूति, अब्दुर्रहमान बिन अबी बक्र, अल-दुर अल-मंसूर फ़ी अल-तफ़सीर अल-मासूर, क़ुम, अयातुल्लाहिल उज़मा मर्शी नजफ़ी (र ह), 1404 हिजरी।
- शहाते, अब्दुल्ला महमूद, तफ़सीर अल-कुरान अल-करीम, क़ाहिरा, दार ग़रीब, 1421 हिजरी।
- शैबानी, मोहम्मद बिन हसन, नहज अल-बयान अन कशफ़े मआनी अल क़ुरआन, हुसैन दरगाही द्वारा शोध किया गया, क़ुम, अल-हादी प्रकाशन, 1413 हिजरी।
- सनआनी, अब्दुर्रज़्ज़ाक़ बिन हम्माम, तफ़सीर अल-क़ुरान अल-अज़ीज़ अल-मुसम्मा, तफ़सीरे अब्दुर्रज़्ज़ाक़, बैरूत, दारुल अल-मारेफ़ा, 1411 हिजरी।
- तबातबाई, मोहम्मद हुसैन, अल-मीज़ान फ़ी तफ़सीर अल-कुरान, बैरूत, प्रकाशन के लिए अल-अलामी फाउंडेशन, दूसरा संस्करण, 1390 हिजरी।
- तबरानी, सुलेमान बिन अहमद, अल-तफ़सीर अल-कबीर: तफ़सीर अल-क़ुरान अल-अज़ीम, इरबिद, जॉर्डन, दार अल-किताब अल-सक़ाफ़ा, 2008 ईस्वी।
- तबरसी, फ़ज़ल बिन हसन, मजमा उल-बयान फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरान, तेहरान, नासिर खुस्रो, तीसरा संस्करण, 1372 शम्सी।
- तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-तिबयान फ़ी तफ़सीर अल-कुरान, बैरूत, दारुल एहिया अल-तोरास अल-अरबी, बी ता।
- अमीदी, हसन, फरहंग फारसी अमीदी, तेहरान, अमीर कबीर, 1360 शम्सी।
- अय्यशी, मुहम्मद बिन मसऊद, किताब अल-तफ़सीर, हाशिम रसूली द्वारा शोध किया गया, तेहरान, इल्मिया अल-इस्लामिया का स्कूल, 1380 शम्सी।
- फ़ख़्रे राज़ी, मुहम्मद बिन उमर, अल-तफ़सीर अल-कबीर (मुफ़ातीह अल-ग़ैबा), बैरूत, दार एहया अल-तोरास अल-अरबी, तीसरा संस्करण, 1420 हिजरी।
- क़राअती, मोहसिन, तफ़सीर नूर, तेहरान, मरकज़े फ़रहंगी दर्सहाई अज़ क़ुरआन, 1388 शम्सी।
- क़ुरतुबी, मुहम्मद बिन अहमद, अल जामेअ ले अहकाम अल-क़ुरान, तेहरान, नासिर खुस्रो, 1364 शम्सी।
- मातरिदी, मोहम्मद बिन मोहम्मद, ताविलात अहले सुन्ना, दार अल-किताब अल-इलमिया, बैरूत, मुहम्मद अली बिज़ून के पर्चे, 1426 हिजरी।
- मावर्दी, अली बिन मुहम्मद, अल-नुक्त व अल-उयून तफ़सीर अल-मावर्दी, बैरूत, दार अल-किताब अल-आलमिया, बी ता।
- मुग़्निया, मोहम्मद जवाद, अल-तफ़सीर अल-काशिफ़, क़ुम, दार अल-कुतुब अल-इस्लामी, 1424 हिजरी।
- मकारिम शिराज़ी, नासिर, तफ़सीरे नमूना, तेहरान, दारुल-कुतुब अल-इस्लामिया, 10वां संस्करण, 1371 शम्सी।
- वहीदी, अली बिन अहमद, अल-वजीज़ फ़ी तफ़सीर अल-किताब अल-अज़ीज़, बैरूत, दार अल-क़लम, 1415 हिजरी।