मेराज अल सआदा (किताब)
लेखक | मुल्ला अहमद नराक़ी |
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विषय | नीति |
भाषा | फ़ारसी |
पृष्ठ | 979 |
प्रकाशक | मोअस्सेसा इनतेशाराते हुजरात |
सेट | 1 भाग |
मेराज अल-सआदा (अरबीःمعراج السعادة) इस्लामिक नैतिकता (अख़लाक़े इस्लामी) के बारे में मुल्ला अहमद नराक़ी (मृत्यु 1245 हिजरी) द्वारा फारसी भाषा में लिखी गई एक किताब है। ऐसा कहा गया है कि यह पुस्तक मुल्ला महदी नराक़ी द्वारा लिखित जामे अल-सआदात का फ़ारसी सारांश है; हालाँकि लिखने की विधि में अंतर हैं।
मेराज अल-सआदा में नैतिक दोषों के उपचार के लिए एक सामान्य नियम प्रदान किया गया है: प्रत्येक दोष के विपरीत करने से वह दोष ठीक हो जाता है। इस पुस्तक के अनुसार प्रत्येक गुण (हर फ़ज़ीलत) की एक निश्चित सीमा होती है, जिसे एतेदाल कहते हैं और इसकी कमी या ज़्यादती दोष है।
मेराज अल-सआदा के विभिन्न संस्करण हैं; उनमे हिजरत पब्लिशिंग हाउस क़ुम का प्रकाशन भी शामिल है, जो 797 पृष्ठों में प्रकाशित हुआ है। शेख़ अब्बास क़ुमी ने इस पुस्तक का सारांश अल-मक़ामात अल-उलया फ़ी मूजीबात अल सआदत अल अबदीया शीर्षक से किया है।
महत्व एवं स्थान
शेख अब्बास कुमी मेराज अल-सआदा को फ़ारसी भाषा में सर्वश्रेष्ठ नैतिक पुस्तक और इसे हर किसी के पास रखना आवश्यक मानते हैं।[१] इसके अलावा नराक़ीयो का नैतिक स्कूल, जिसका कुछ लेखक उल्लेख करते हैं, मेराज अल-सआदा मे लिखे गए मुल्ला अहमद नराक़ी और जामे अल सआदात मे लिखे गए मुल्ला महदी नराक़ी के विचारो से लिया गया है।[२] नराक़ीयो के स्कूल में, प्रत्येक गुण की एक निश्चित सीमा होती है, जिसे एतेदाल कहा जाता है, और उसीक कमी या ज़्यादती एक दोष है।[३]
ऐसा कहा जाता है कि मेराज अल-सआदा ग़ज़ाली की किताब कीमयाई सआदत से प्रभावित है।[४] इसी तरह शेख अब्बास क़ुमी द्वारा लिखित अल मक़ालात अल उलया फ़ी मूजीबात अल सआदत अल अबादीया मेराज अल सआदा का सारांश है।[५]
मेराज अल-सआदा पुस्तक की आलोचना की गई है; जैसे कि रिवायतो के प्रमाण प्रस्तुत नही किए गए है, प्रयोगात्मक साक्ष्यों और नैतिक उदाहरणों को विश्वसनीय स्रोतों में प्रलेखित न करना, साथ ही बड़ों की बातों को नजरअंदाज करना इत्यादि।[६]
लेखक
- मुख्य लेख: 'मुल्ला अहमद नराक़ी'
13वीं चंद्र शताब्दी के शिया विद्वान मुल्ला महदी नराक़ी के पुत्र अहमद बिन मुहम्मद महदी बिन अबिज़र नराक़ी, जिन्हें मुल्ला अहमद नराक़ी और फ़ाज़िल नराक़ी (मृत्यु 1245 हिजरी) के नाम से जाना जाता है।[७] वो सय्यद मुहम्मद महदी बहर अल उलूम, मीर्ज़ा महदी शहरिस्तानी, शेख़ जाफ़र काशिफ़ अल ग़ेता, साहिब रियाज़ ... के छात्र थे[८] अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने गृहनगर में मरजेइयत आम्मा का पद संभाला।[९] मुल्ला अहमद की विभिन्न इस्लामी विज्ञानों में कई संकलन हैं, जिनकी संख्या 35 तक मानी गई है; जिसमें मुस्तनद अल-शिया, अवाइद अल-अय्याम और मेराज अल-सआदा शामिल हैं।[१०]
कंटेंट और संरचना
पुस्तक में पाँच अध्याय हैं, प्रत्येक अध्याय में कई उपाध्याय हैं:
- पहला अध्याय: मुकद्देमात सूदमंद (लाभदायक प्रस्तावनाए)
- दूसरा अध्याय: अख़लाक़ बद वा बयान कुव्वाए नफ़स (बुरा आचरण आत्मा की शक्तियों को व्यक्त करना)
- तीसरा अध्याय: मुहाफ़ेज़त अखलाक़ ख़ूब अज़ इंहेराफ व ... (अच्छे संस्कारों की विचलन से रक्षा और...)
- चौथा अध्याय: फ़ज़ाइल अख़लाक़ी व चेगूनगी कस्ब अखलाक़ खूब (नैतिक गुण और अच्छे संस्कार कैसे प्राप्त करें)
- पांचवा अध्याय: असरार वा आदाब इबादत (उपासना के रहस्य एवं रीति-रिवाज)।[११]
पुस्तक का पहला अध्याय एक उपाध्याय से शुरू होता है जिसका उद्देश्य इस बात को व्यक्त करना है कि आत्म-ज्ञान ईश्वर के ज्ञान की प्रस्तावना है, और सनाई से शेर की एक पक्ति को गवाह के रूप में लाया गया है।[१२] पुस्तक के अंतिम अध्याय मे पैगंबर (स) और अहले बैत (अ) की ज़ियारत का सवाब और फ़ज़ीलत और ज़ियारत के कुछ अनुष्ठानों के बारे में भी एक अध्याय है।[१३]
नैतिक दोषों के निवारण का उपाय
मेराज अल-सआदा में नैतिक दोषों के उपचार के लिए एक सामान्य नियम प्रस्तुत किया गया है: प्रत्येक नैतिक दोष के विपरीत अमल करके उस दोष का इलाज किया जाता है।[१४] हालांकी नाराक़ी ने नैतिक बुराइयों[१५] के निर्माण के कारकों और आधारों को खत्म करने के साथ-साथ उनके सांसारिक और बाद के जीवन के प्रभावों के बारे में जागरूक होने को बुराइयों के उपचार में प्रभावी मानते हैं।[१६] इसलिए प्रत्येक दोष का वर्णन करने के बाद वह कारकों और संदर्भों के साथ-साथ उसके सांसारिक और पारलौकिक प्रभावों से भी निपटते हैं, और फिर उसके उपचार के लिए समाधान देते हैं।[१७]
नैतिक शिक्षा की प्राप्ती के चरणों के संबंध में नराक़ी का मानना है कि एक व्यक्ति को पहले वासना की क्षमता, फिर क्रोध की क्षमता और फिर ज्ञान की क्षमता विकसित करनी चाहिए।[१८] नैतिक गुणों के बारे में उनका यह भी मानना है कि एक व्यक्ति को इतने सारे फ़ज़ाइल का अभ्यास करना चाहिए कि उनमें से प्रत्येक पर उसको मलका (अच्छी पकड़) हासिल हो जाए।[१९]
जामे अल-सआदात के साथ अंतर
अल-ज़रीया में आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी ने मेराज अल-सआदा को मुल्ला मुहम्मद महदी नराक़ी (मृत्यु 1209 हिजरी) द्वारा लिखित पुस्तक जामे अल-सआदात से लिया गया बल्कि इसका फ़ारसी अनुवाद माना है।[२०] हालाँकि, इन दोनों पुस्तकों को प्रस्तुत करने और लिखने के तरीके में अंतर है।[२१] जैसे: दृष्टिकोण: जामे अल-सआदात में बौद्धिक दृष्टिकोण अधिक प्रमुख है। लेकिन मेराज अल-सआदा को नक़ली और खिताबी विषयों पहलुओं में जोड़ा गया है। इसलिए, मेराज अल-सआदा में, सामग्री को कथात्मक साक्ष्य या कथन और तर्क का मिश्रण और अश्आर का उल्लेख प्रस्तुत करके प्रस्तुत किया जाता है।[२२]
अध्याय: इन दोनों पुस्तकों के अध्यायों के क्रम और शीर्षक में अंतर है। उदाहरण के लिए, जामे अल-सआदात के पहले अध्याय में सोलह उपध्याय हैं, लेकिन मेराज अल-सआदा के पहले अध्याय में दस उपध्याय हैं। साथ ही, जामे अल-सआदात के कुछ अध्याय मेराज अल-सआदा में नहीं हैं, और इस पुस्तक के कुछ अध्याय जामे अल-सआदात में नहीं हैं।[२३]
हालाँकि, मेराज अल-सआदा में, कुछ मामलों में जामे अल-सआदात के विषय विस्तृत हैं।[२४]
प्रकाशन और संस्करण
मेराज अल सदाआ पुस्तक के विभिन्न संस्करण है। आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी के अनुसार, इराक में 1238 हिजरी की एक प्रति और ईरान में 1265 हिजरी की एक प्रति इस पुस्तक के सबसे पुराने संस्करणों में से एक थी।[२५] इस पुस्तक के कुछ अन्य संस्करण हैं:
- 299 पृष्ठों में तेहरान इस्लामिया प्रकाशन के वर्ष 1388 हिजरी का लिथोग्राफ
- मुहम्मद अली इल्मी द्वारा वर्ष 1332 शम्सी में ऑफसेट और नस्तालिक लिपि में 549 पृष्ठों पर प्रकाशित किया गया था।
इसके अलावा, रशीदी पब्लिशिंग हाउस ने 1361 में 706 पृष्ठों में, अली अकबर इलामी पब्लिशिंग हाउस ने 1351 शम्सी में 462 पृष्ठों में यह पुस्तक प्रकाशित की थी[२६] और हिजरत पब्लिशिंग हाउस ने 797 पृष्ठों में यह पुस्तक प्रकाशित की थी[२७]
संबंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ क़ुमी, अल मक़ामात अल उलिया, 1389 शम्सी, पेज 25
- ↑ देखेः फ़सीही, अकल गराई दर मनाबे अखलाक़ी मुताअख़्ख़िर शिया, पेज 162
- ↑ अहसानी, बायदहा वा नबायदहाए अख़लाक़ी दर अंदीशे दो फ़ाज़िल नराक़ी, पेज 38-39
- ↑ जलाली, मेराज अल सआदत दर आई तारीख व फ़लसफ़ा तालीम व तरबीयत, पेज 154
- ↑ आक़ा बुजुर्ग तेहरानी, अल ज़रीया, 1408 हिजरी, भाग 22, पेज 13
- ↑ जलाली, मेराज अल सआदत दर आई तारीख व फ़लसफ़ा तालीम व तरबीयत, पेज 152-153
- ↑ आक़ा बुजुर्ग तेहरानी, अल ज़रीया, 1408 हिजरी, भाग 22, पेज 229
- ↑ नराक़ी, मेराज अल सआदत, हिजरत, पेज 21-22
- ↑ नराक़ी, मेराज अल सआदत, हिजरत, पेज 21
- ↑ नराक़ी, मेराज अल सआदत, हिजरत, पेज 22-35
- ↑ नराक़ी, मेराज अल सआदत, हिजरत, मुकदमा मोअल्लिफ, पेज 13
- ↑ नराक़ी, अहमद, मेराज अल सआदत, भाग 1, पेज 17
- ↑ नराक़ी, अहमद, मेराज अल सआदत, भाग 1, पेज 891
- ↑ अहसानी, बायदहा वा नाबायदहाए अख़लाक़ी दर आईना ए दो फ़ाज़िल नराक़ी, पेज 38-39
- ↑ अहसानी, बायदहा वा नाबायदहाए अख़लाक़ी दर आईना ए दो फ़ाज़िल नराक़ी, पेज 38-39
- ↑ देखेः नराक़ी, मेराज अल सआदत, हिजरत, पेज 578
- ↑ देखेः नराक़ी, मेराज अल सआदत, हिजरत, पेज 580-583
- ↑ नराक़ी, मेराज अल सआदत, हिजरत, पेज 64
- ↑ देखेः नराक़ी, मेराज अल सआदत, हिजरत, पेज 580
- ↑ आक़ा बुजुर्ग तेहरानी, अल ज़रीया, 1408 हिजरी, भाग 22, पेज 229
- ↑ हिकमत, जामे अल सआदात, भाग 9, पेज 333
- ↑ हिकमत, जामे अल सआदात, भाग 9, पेज 333
- ↑ हिकमत, जामे अल सआदात, भाग 9, पेज 333
- ↑ हिकमत, जामे अल सआदात, भाग 9, पेज 333
- ↑ आक़ा बुजुर्ग तेहरानी, अल ज़रीया, 1408 हिजरी, भाग 22, पेज 229-230
- ↑ जलाली, मेराज अल सआदत दर आई तारीख व फ़लसफ़ा तालीम व तरबीयत, पेज 147-148
- ↑ किताब मेराज अल सआदत, साइट नूरशाप
स्रोत
- आक़ा बुज़ुर्ग तेहरानी, मुहम्मद मोहसिन, अल ज़रीया एला तसानीफ अल शिया, क़ुम व तेहरान, इस्माईलीयान वा इस्लामीया, 1408 हिजरी
- अहसानी, मुहम्मद, बायदहा वा नाबायदहाए अख़लाक़ी दर आइना दो फ़ाज़िल नराक़ी, मारफ़त, क्रमांक 92, मुरदाद 1384 शम्सी
- जलाली, मुहम्मद रज़ा, मेराज अल सआदत दर आइने तारीख़ वा फ़लसफ़ा तालीम वा तरबीयत, किताब माहे दीन, इस्फंद, 1380 व फ़रवरदीन 1381 शम्सी, क़ुमांक 53 और 54
- हिकमत, नसरुल्लाह, जामे अल सआदात, दानिशनामे जहान इस्लामी, भाग 9, 1393 शम्सी
- फ़सीही, ज़करया, अक़ल गराई दर मनाबे अखलाक़ी मुताअख़्ख़िर शिया, बा महवरीयत मोहज्जातुल बैयज़ा, मेराज अल सआदत वा जामे अल सआदात, परदू खुर्द, क्रमांख 20, पाईज़ वा ज़मिस्तान, 1399 शम्सी
- किताब मेराज अल सआदत, नूरशाप, वीजीट 23 शहरीवर 1400 शम्सी
- नराक़ी, अहमद बिन मुहम्मद महदी, किताब मेराज अल सआदत, मुकद्दमा मुहम्मद नक़दी, क़ुम, मोअस्सेसा इंतेशारात हिजरत