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मौलूदे काबा

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फ़र्चीयान द्वारा मौलूदे काबा का चित्र

मौलूदे काबा (अरबी: وليد الكعبة) इमाम अली (अ) की उपाधियों में से एक है जो काबा के अंदर उनके जन्म को संदर्भित करता है। हज़रत अली अलैहिस सलाम के अलावा किसी को यह फ़ज़ीलत नहीं मिली। अहले सुन्नत के कुछ स्रोतों में, पवित्र पैगंबर (स) के सहाबी हकीम बिन हेज़ाम के बारे में भी उल्लेख किया गया है, कि वह भी काबा के अंदर पैदा हुए थे; लेकिन शिया मुहद्देसीन के अनुसार यह हदीस फर्ज़ी है, जिसे इमाम अली (अ) की खूबियों को खत्म करने या कम करने के लिए गढ़ा गया है।

शियाऔर सुन्नियों के विभिन्न स्रोतों में इस घटना से संबंधित हदीस को मुतवातिर हदीसों में गिना जाता है। हालाँकि, इस घटना के कुछ विवरणों में अंतर है। काबा के अंदर हज़रत अली (अ) के जन्म के बारे में पुस्तकें भी लिखी गई हैं। उन्हीं पुस्तकों में से एक पुस्तक "अली वलीदुल काबा" है जिसके लेख़क मुहम्मद अली उर्दूबादी (1312-1380 हिजरी) हैं इस पुस्तक का अनुवाद फ़ारसी भाषा में किया गया है जिसे "यगाने मौलूदे काबा" के रूप में नामित किया गया है।

विभिन्न स्रोतों में इस घटना का उल्लेख

शियो के पहले इमाम
इमाम अली अलैहिस सलाम
जीवन
मौलूदे काबायौम उद-दारशेबे अबी तालिबलैलातुल मबीतमदीना की ओर प्रवासफ़ातिमा(से) की शादीख़ैबर की विजयमुबाहेलाग़दीर की घटना सक़ीफ़ा बनी साएदाफ़ातिमा (स) की शहादतछह-सदस्यीय परिषदइमाम अली (अ) का शासनकालइमाम अली की शहादतइमाम अली के जीवन की समयरेखा
उपनाम
अमीरुल मोमिनीनवलीयुल्लाहअसदुल्लाहसिद्दीक़ क़सीमुन नार वल जन्नतअबूतालिबयासूब अल दीनहैदरकु़ुर्आन ए नातिक़फ़ारूक़साहेबुल लेवाशाहे मरदानसाक़ी ए कौसरसालेह अल मोमिनीनख़ासिफ़ अल नअल
विरासत
इमाम अली का मुस्हफ़ फ़ातिमा का मुस्हफ़सीरह अलवीनहज अल बलाग़ाइमाम अली (अ) का दीवानजफ़्रदुआ नादे अलीख़ुतबा शेक़शेक़ियाअलिफ़ के बिना ख़ुतबाख़ुतबा बग़ैर नुक़्ते केहरम
फ़ज़ाइल
आय ए विलायतआय ए लैलातुल मबीतआयत ए तब्लीग़आय ए इकमालआय ए सादेक़ीनआय ए ख़ैर अल बरिय्याआय ए इंफ़ाक़आय ए नज्वाआय ए वुद्दमुबाहेला की आयतआय ए ऊलिल अम्रआय ए मवद्दतआय ए अहलो अल ज़िक्रआय ए नस्रआय ए इंज़ारआय ए उख़ूवतआय ए इत्आमआय ए शाहिदसूर ए मायदा की आयत 56सूर ए तौबा की आयत 56आय ए इल्म अल किताबहदीस मदीनतुल इल्महदीसे रायत हदीसे वेसायतहदीस मंज़ेलतहदीसे यौम उद-दारहदीस तैर मशवीहदीसे वेलायतग़दीर का उपदेशला फ़ता इल्ला अलीहदीस शजरासलूनी क़बला अन तफ़क़ेदूनीहदीसे तशबीहहदीस अली मअल हक़अंगूठी का दानबधाई की घटनाबुतों को तोड़ने की घटना
असहाब
अम्मार बिन यासिरमालिके अश्तरसलमान फ़ारसीअबूज़र ग़फ़्फ़ारीमिक़्दाद• अब्दुल्लाह बिन अबी राफ़ेहुज्र बिन अदी


"मौलूदे काबा" से मुराद शियों के पहले इमाम, इमाम अली (अ) हैं, जो काबा के अंदर उनके जन्म को प्रमाणित करता है।[] अल्लामा अमीनी ने सुन्नीयों के 16 स्रोतों और शियों के 50 स्रोतों से नक़्ल किया है कि इमाम अली (अ) काबा के अंदर पैदा हुए थे।[] इसी तरह, उन्होंने दूसरी शताब्दी हिजरी से चौदहवीं शताब्दी हिजरी तक लगभग 41 कवियों का नाम लिया है जिन्होंने अपनी कविताओं में इस घटना का उल्लेख किया है।[] हज़रत वली-ए-असर (अ) शोध संस्थान की वेबसाइट पर 30 सुन्नी विद्वानों के दस्तावेज़ प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें शहाबुद्दीन आलूसी, मसऊदी शाफ़ेई, मुहम्मद बिन इसहाक़ फ़ाकेही, सफ़ूरी शाफ़ेई, मुहम्मद अल-अमीर अल-सन'आनी सलफ़ी आदि शामिल हैं, जिन्होंने हज़रत इमाम अली (अ) के काबा के अंदर जन्म की घटना को रिपोर्ट किया है।[]

शरहे अहक़ाक़ुल हक़ किताब में इस घटना को सुन्नियों के 17 स्रोतों से वर्णित किया गया है।[]

इसी तरह सुन्नियों के विद्वान सिब्ते इब्ने जौज़ी,[] इब्ने सब्बाग़ मालेकी,[] और अली बिन बुरहानुद्दीन हलबी[] ने भी इस घटना की ओर इशारा किया है। अल-मुस्तद्रक अलस सहिहैन[] और किफ़ायतुत तालिब[१०] में इमाम अली (अ) के जन्म से संबंधित हदीस के मुतावातिर होने का दावा किया गया है।

घटना का विवरण

काबा में इमाम अली (अ) के जन्म की घटना को विभिन्न स्रोतों में तीन तरीकों से वर्णित किया गया है:

  • इमाम सज्जाद (अ) से किताब मनाक़िब इब्ने मग़ाज़िली (483 हिजरी में मृत्यु) में वर्णित है कि जब पवित्र पैगंबर (स) ने अबू तालिब को उदास देखा, तो उन्होंने इसका कारण पूछा। अबू तालिब ने कहा कि मेरी पत्नी फ़ातिमा बिन्ते असद को पीड़ा हो रही है। दोनों पति पत्नी पैग़म्बर (स) के साथ काबा आए, अबू तालिब (अ) ने फ़ातिमा बिन्ते असद को काबा के अंदर भेजा। हजरत अली (अ) का जन्म जब काबा के अंदर हो गया, तो पैगंबर (स) ने उन्हें उनके घर पहुँचा दिया।[११]
  • शेख़ सदूक़ ने अपनी हदीसी किताबों, ऐललुश शरायेअ[१२], मआनिउल अख़बार,[१३] अमाली[१४], में और उनके बाद दूसरे मोहद्देसीनों ने, यज़ीद बिन क़अनब से नक़्ल किया गया है कि: फ़ातिमा बिन्ते असद काबा के पास बैठी थीं, और उन्हें प्रसन पीड़ा होने लगी। उन्होंने ईश्वर से प्रसव पीड़ा से मुक्ति की प्रार्थना की। इस बीच काबा की दीवार फट गई और जैसे ही फ़ातिमा बिन्ते असद ने प्रवेश किया, काबा की दीवार फिर से जुड़ गई।मुहद्देसीन यज़ीद बिन क़अनब से नक़्ल करते हैं कि हम ने हर मुमकिन कोशिश की परन्तु काबा का दरवाज़ा नहीं खुला, तो हम समझ गए कि यह घटना ख़ुदा की ओर से हुई है। फ़ातिमा बिन्ते असद चार दिन बाद अपनी गोद में एक नवजात शिशु के साथ काबा से बाहर निकलीं।[१५]
  • तोहफ़तुल-अबरार किताब में हसन बिन अली तबरी (701 हिजरी) के अनुसार, हजरत अली (अ) की माँ फ़ातिमा बिन्ते असद, काबा की परिक्रमा (तवाफ़) कर रहीं थीं, जब उन्हें पीड़ा होने लगी और वापस लौटने की ताकत नहीं थी। जब वह मुड़ी तो काबा का दरवाजा खुला और वह अंदर दाखिल हो गई। उसके बाद, काबा का दरवाज़ा बंद हो गया और काबा के अंदर उनके बच्चे का जन्म हुआ, फ़ातिमा बिन्ते असद तीन दिनों तक काबा के अंदर रहीं।[१६]

बिहारुल अनवार में वर्णित एक रिवायत के अनुसार, फ़ातिमा बिन्ते असद ने हज़रत इमाम अली (अ) के जन्म के समय काबा में प्रवेश करने की घटना का उल्लेख करते हुए, अपने आप को आसिया (फिरौन की पत्नी) और मरियम (हज़रत ईसा की माँ) से श्रेष्ठ साबित किया है।[१७]

हकीम बिन हिज़ाम की घटना

शेख़ मुफ़ीद काबा में इमाम अली (अ) के जन्म को इमाम अली (अ) के ख़ास गुणों में से एक मानते हैं और कहते हैं कि यह गुण पहले किसी को नहीं दिया गया है और भविष्य में भी किसी को नहीं दिया जाएगा।[१८] लेकिन अहले सुन्नत के कुछ स्रोतों में है कि हकीम बिन हेज़ाम [नोट १] पैगंबर (स) के एक सहाबी का जन्म भी काबा के अंदर हुआ था।[२०] हालांकि, कुछ विद्वानों का मानना है कि यह हदीस ज़ुबैर के परिवार द्वारा उसके भांजे के लिए गढ़ी गई है ताकि इमाम अली (अ) के गुणों (फ़ज़ीलतों) को कम किया जा सके। क्योंकि हकीम बिन हेज़ाम बिन ख़ुवैलद बिन असद बिन अब्दुल ऊज़ै और ज़ुबैर का परिवार दोनों ही असद बिन अब्दुल ऊज़ै से संबंधित हैं।[२१]

उपरोक्त हदीस पर आपत्तियां भी उठाई गई हैं, जिनमें से कुछ यह हैं:

  1. इस हदीस की कड़ी (सनद) में मुसअब बिन उस्मान भी हैं, जो अज्ञात वंश (मजहुलुन नसब) के हैं और इल्मे रिजाल की किताबों में कहीं भी उनका ज़िक्र नहीं है।
  2. यह हदीस मुरसल है; क्योंकि मुसअब बिन उस्मान, जो इस हदीस के रावी हैं, इस घटना के कई वर्ष बाद पैदा हुए थे। इसलिए, वह बिना संदर्भ (वास्ते) के इस हदीस को नक़्ल नहीं कर सकते।[२२]

घटना के रहस्यों के बारे में अल्लामा तेहरानी की राय

अल्लामा सय्यद मुहम्मद हुसैन हुसैनी तेहरानी, जो 14वीं शताब्दी हिजरी के एक प्रमुख शिया विद्वान थे, ने कहा है कि हज़रत इमाम अली (अ) के काबा के अंदर जन्म लेने के रहस्यों में से एक यह हो सकता है कि अल्लाह सुब्हानहू ने काबा से कहा: 'ऐ काबा! मैं जल्द ही तुझे इस नवजात शिशु के माध्यम से मूर्तियों, मूर्तिपूजा, नुसूब (पूजा के स्थानों) और अज़लाम (भाग्य निर्धारण के तीरों) की गंदगी से पवित्र और शुद्ध कर दूँगा। एक अन्य गहरा और सूक्ष्म रहस्य यह हो सकता है कि काबा की ओर मुड़ने (क़िबला) का वास्तविक अर्थ उस नूर (प्रकाश) की ओर मुड़ना है जो उसमें पैदा हुआ था। क्योंकि अगर काबा की ओर मुड़ने का मतलब सिर्फ़ इस इमारत और पत्थरों की ओर ध्यान देना होता, तो यह भी एक प्रकार की मूर्तिपूजा होती। न्याय तो यही कहता है कि इंसान का शरीर, जो मिट्टी से बना है, मिट्टी के काबा की ओर मुड़े, और इंसान की रूह, जो एक पवित्र सार है, उस पवित्र नूर (इमाम अली) की ओर मुड़े। हर चीज़ अपने ही जैसी चीज़ से जुड़ती है: नूर नूर से और मिट्टी मिट्टी से।[२३]

मोनोग्राफ़ी

काबा में इमाम अली (अ) के जन्म के बारे में कुछ मुस्तक़िल पुस्तकें भी लिखी गई हैं, उनमें से निम्न लिखित पुस्तकें कुछ यह हैं:

  • मुहम्मद अली उर्दूबादी की पुस्तक "अली वलीदुल काबा": यह पुस्तक नियमित रूप से प्रकाशित हुई है और मौसुअलुत अल्लामतुल उर्दूबादी के नाम से भी। इसका फारसी में अनुवाद "यगाने मौलूदे काबा" के रूप में किया गया है।
  • सैयद मुहम्मद रज़ा हुसैनी जलाली की पुस्तक "वलीदुल काबा": इस पुस्तक में इमाम अली (अ) के जन्म से संबंधित कई लेख़ हैं, जो वर्ष 1383 हिजरी में प्रकाशित हुई।
  • सैयद नबील हसनी की किताब "अल मौलूद फ़ि बैतुल्लाहिल हराम अली बिन अबी तालिब अम हकीम बिन हिज़ाम": लेखक ने इस किताब में यह साबित करने की कोशिश की है कि "मौलूदे काबा" इमाम अली (अ) के ख़ास गुणों में से एक है। जबकि ज़ुबैर बिन बक्र और उनके चाचा मुसअब बिन अब्दुल्ला ने भी इमाम अली (अ) के साथ उनकी दुश्मनी के कारण "हकीम बिन हेज़ाम" के बारे में नक़्ल किया है।[२४]

संबंधित

नोट

  1. हकीम बिन हेज़ाम बिन ख़ुवैलद, उनकी उपाधि अबू ख़ालिद, हज़रत ख़दीजा के भतीजे, ज़ुबैर बिन अल अवाम के चाचा ज़ाद भाई हैं।[१९]

फ़ुटनोट

  1. मसऊदी, मुरुजुज़ ज़हब, 1409 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 349; मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1414 हिजरी, खंड 1, पृ.5।
  2. अमिनी, अल-ग़दीर, 1416 हिजरी, खंड 6, पीपी. 37-43।
  3. अमीनी, अल-ग़दीर, 1416 हिजरी, खंड 6, पीपी. 44-51।
  4. गिरोहे पासुख़ बे शुब्हात, आया बर असासे मनाबेअ शिया व अहले सुन्नत अमीरुल मोमिनान अलैहिस सलाम दर काबा बे दुनिया आमद?, वली-ए-असर (अ) शोध संस्थान की वेबसाइट।
  5. मर्शी नजफ़ी, शरहे अहक़ाकुल हक़, अयातुल्ला मुराशी का मकतब, खंड 7, पेज 486-491
  6. सिब्ते इब्ने जौज़ी, तज़किरतुल ख़्वास, 1401 हिजरी, पृ.200।
  7. इब्ने सब्बाग़, अल-फुसुलल-मोहिम्मा, 1422 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 171
  8. हलबी, अल-सिरत अल-हलबियाह, 1400 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 226।
  9. हाकिम निशापुरी, अल-मुस्तद्रक अलस सहीहैन, 1422 हिजरी., खंड 3, पृ.483।
  10. गंजी शाफ़ेई, किफयतुत तालिब, 1404 हिजरी, पृष्ठ 707
  11. इब्ने मग़ाज़ेली, मनाकिब अल-इमाम अली बिन अबी तालिब, 1424 हिजरी, पीपी. 58-59; इब्ने हातिम शमी, अल-दुरुल नज़ीम, 1420 हिजरी, पृष्ठ 225।
  12. शेख़ सदूक़,ऐललुश शेराआ, 1385 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 135
  13. शेख़ सदूक़, मआनिउल अख़बार, 1403 हिजरी, पृष्ठ 62।
  14. शेख़ सदूक़, अमाली, 1376 शम्सी, पृष्ठ 132।
  15. तबरी, बशारत अल-मुस्तफवी, 1420 हिजरी, भाग 1, पेज 26-27।
  16. तबरी, तुहफ़तुल अबरार, 1376, पीपी। 165-164।
  17. मजलिसी, बिहारुल अनवार, 1403 हिजरी, खंड 35, पृ 9।
  18. मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1414 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 5।
  19. इब्ने अब्दुल बर, अल इस्ताआब फ़ी मारेफ़तिल असहाब, खंड 1, पृष्ठ 362।
  20. क़र्शी असदी, जमहरा नसबे क़ुरैश व अख़बारेहा, 1381 हिजरी, पृष्ठ 353
  21. कुरैशी असदी, जुमहरा नसबे कुरैश व अखबारेहा, 1381 हिजरी, पृष्ठ 353।
  22. शुश्त्री, क़ामूस अल रिजाल, 1410 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 387; मुर्तज़ा अमिली, सहीह मिन सीरतिन नबी, 1426 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 160
  23. हुसैनी तेहरानी, इमाम शनासी, 1425 हिजरी, खंड 1, पृ 117।
  24. हसनी, अल-मौलूद फी बैतिल्लाहिल हराम अली बिन अबी तालिब अम हकीम बिन हेजाम, 1433 हिजरी, पेज 99-104।

स्रोत

  • इब्ने सब्बाग़ मलिकी, अली इब्न मुहम्मद, अल-फुसुल अल-मुहम्म फाई मारिफत अल-इमाम, कुम, दारुल हदीस, 1422 हिजरी।
  • इब्ने मग़ाज़ेली, अली इब्ने मुहम्मद, मनाकिबे इमाम अली इब्न अबी तालिब, बेरूत, दारुल अज़वाह, 1424 हिजरी।
  • अमिनी, अब्द अल-हुसैन, अल-ग़दीर फिल किताब वस सुन्ना वल अदब, क़ुम, मरकज़े अल-ग़दीर , 1416 हिजरी।
  • हाकिम निशापुरी, मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह, अल-मुस्तदरीक अलस -साहीहैन, बेरूत, दार अल-फ़िक्र, 1422 हिजरी।
  • हसनी, सैय्यद नबील, अल-मौलूद फी बैतिल्लाहिल हराम अली बिन अबी तालिब अम हकीम बिन हेज़ाम, कर्बला, अलअतबातिल हुसैनिया अल-मकद्दीसा किसमिस शोऊन अल-फिक्रिया वस सकाफ़िया, 1433 हिजरी 2012 ई.
  • हलबी, अली बिन बुरहानुद्दीन, अल-सीरतुल हलबिया फी सिरतिल अमीनिल मामून, बेैरूत, दारुल मारफत, 1400 ई.
  • सिब्ते बिन जौज़ी, युसुफ बिन फरगली बिन अब्दुल्लाहिल बगदादी, तज़केरतुल ख़्वास, बेैरूत, मोअस्ससा ए अहलेबैत, 1401 हिजरी।
  • शामी, युसूफ इब्ने हातिम, अल-दुर्रुल-नज़ीम फी मनाकिब आइम्मा अल्लाहेमिम, क़ुम, जामिया मुदर्रेसीन, 1420 हिजरी ।
  • शुश्त्री, मुहम्मद तकी, क़मूसुर रिजाल, क़ुम, मोअस्ससा ए नशरे अल-इस्लामी, 1410 हिजरी ।
  • शेख़ मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल-इरशाद फी मारिफते होजजिल्लाह अलल एबाद, क़ुम, मोअस्ससा ए अहललबैत, 1414 हिजरी।
  • तबरी, मुहम्मद बिन अली बिन रुस्तम तबरी, बशारतुल मुर्तज़ा ले शिया तिल मुर्तज़ा , जवाद कय्युमी इस्फ़हानी द्वारा अनुसंधान, मोअस्ससा ए नशरे अल-इस्लामी अल-ताबेअते ले जमाअतिल मुदर्रेसीन, क़ुम, 1420 हिजरी ।
  • तबरी, इमादुद्दीन, हसन बिन अली, तोहफ़तुल अबरार, तेहरान, मिरासे मकतूब, 1376 हिजरी ।
  • कर्शी असदी मक्की, जुबैर बिन बकार, जुमहरा नसबे कुरैश व अख़बारहा, शोध: महमूद मुहम्मद अल शाकिर, मतबअतुल मदनी, 1381 हिजरी ।
  • गंजी अल-शाफेई, मुहम्मद बिन यूसुफ, केफायतुत तालिब फी मनाकिबे अली बिन अबी तालिब, तेहरान, दार अहया तोरास अहलेबैत (अ), 1404 हिजरी।
  • मुर्तज़ा अमिली, सैय्यद जाफ़र, साहिह मिन सीरतिन नबी अल-आज़म (स), क़ुम, दारुल हदीस, 1426 हिजरी।
  • मर्शी नजफ़ी, सैयद शहाबुद्दीन, शरह अहक़ाक अल-हक़, क़ुम, मक़तबे आयतुल्ला मर्शी ।
  • मसूदी, अली बिन हुसैन, मारुजुज़ ज़हब वा मआदेनिल जौहर, असद दागेर, क़ुम, दारुल हिजराह, 1409 हिजरी द्वारा शोध किया गया।