ज़विल-क़ुर्बा
ज़विल-क़ुर्बा (अरबी: ذوي القربى) पवित्र पैग़म्बर (स) के क़रीबी रिश्तेदारो को कहा जाता हैं, जिनकी मुहब्बत को क़ुरआन में पवित्र पैगंबर (स) की रिसालत के सिले के रूप में वर्णित किया गया है। शिया और सुन्नी हदीसों के अनुसार, हज़रत अली (अ), हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (अ) इमाम हसन मुज्तबा (अ) और इमाम हुसैन (अ) ज़विल-क़ुर्बा के उदाहरणों में से हैं।
परिभाषा
ज़विल-क़ुर्बा करीबी रिश्तेदारो को कहा जाता है। क़ुरआन में अल-क़ुर्बा शब्द का उल्लेख ज़ी,[१] ज़ू,[२] उली[३] और आय ए قُلْ لا أَسْئَلُکمْ عَلَیہِ أَجْراً إِلاَّ الْمَوَدَّۃَ فِی الْقُرْبی क़ुल्ला अस्अलो कुम अलैहे अजरन इललल मद्दता फ़िल क़ुर्बा"[४] बिना परिवर्धन (तरकीब) के आया है। सुन्नी टीकाकार और कोशकार ज़मख़्शरी ने इस आयत में क़ुर्बा को अहले-क़ुर्बा माना है।[५]
अल-क़ुर्बा अधिकांश रूप से क़ुरआन मे मुसलमानों के निकटीय संबंधीयो के लिए आया है।[६] अरबी शब्दकोष मे क़ुर्ब हस्बो नस्ब तथा समय और स्थान[७] के संदर्भ में "अपेक्षाकृत निकट" के अर्थ मे आता है। हदीसो मे आय ए मवद्दत, आय ए ख़ुम्स[८] और आय ए फ़य[९] मे अल-क़ुर्बा आइम्मा ए मासूमीन को माना गया है।
ज़विल-क़ुर्बा की पहचान
मुख्य लेख: मवद्दत की आयत
शिया दृष्टिकोण से आय ए قُلْ لا أَسْئَلُکمْ عَلَیہِ أَجْراً إِلاَّ الْمَوَدَّۃَ فِی الْقُرْبی "क़ुल्ला अस्अलो कुम अलैहे अजरन इललल मद्दता फ़िल क़ुर्बा"[१०] के अल-क़ुर्बा मे आइम्मा ए मासूमीन[११] के साथ हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (अ) भी सम्मिलित है।[१२] इसी प्रकार अहले सुन्नत की तफ़सीरी और हदीसी स्रोतो मे आने वाली हदीसो के अनुसार हज़रत अली (अ), हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स), इमाम हसन मुज्तबा (अ) और इमाम हुसैन (अ) ज़ुल-क़ुर्ब के मिसदाको में शुमार किए गए हैं।[१३]
कुछ अहले सुन्नत के टीकाकारो (मुफ़स्सिरो) के अनुसार उपरोक्त आयत मे मुख़ातब क़ुरैश है। अल्लाह अपने नबी को आदेश देता है कि क़ुरैश से कहे कि यदि आप पर ईमान नही लाते तो रिश्तेदारी के नाते आपसे शत्रुता छोड़ दे।[१४] इसी प्रकार एक दूसरे कथन के अनुसार इस आयत मे मुख़ातब अंसार है चूकि अब्दुल मुत्तलिब (अ) की माता सलमा बिन ज़ैद नज्जार और हज़रत आमेना के मामा की ओर से पैगम्बरे अकरम (स) को कुछ माल लाए गए थे जिसे पैगंबर ने वापस भेज दिया था।[१५]
फ़िक़्ही अहकाम
ज़विल-क़ुर्बा से संबंधित कुछ फ़िक़्ही अहकाम निम्न लिखित हैः
- ख़ुम्स मे ज़विल-क़ुर्बा का हिस्साः शिया फ़ुक़्हा ख़ुम्स वाली आयत मे ख़ुम्स के 6 मसरफ़ मे से ज़विल-क़ुर्बा के हिस्से को मासूम इमाम का हक़ समझते हुए[१६] उसे अल्लाह और पैगंबर (स) के हिस्से के साथ मिलाकर उसे सहम ए इमाम का नाम देते है। इसी प्रकार कभी कभी सहम ए इमाम को सहम ए ज़विल-क़ुर्बा का नाम भी दिया जाता है।[१७]
- फ़य मे ज़विल-क़ुर्बा का हिस्साः फ़य (अर्थात युद्ध के बिना मुसलमानो के हाथ मे आने वाला ग़नीमत) के मसरफ़ मे भी ज़ुल-कुर्बा का हिस्सा है।[१८]
संबंधित पेज
फ़ुटनोट
- ↑ सूरा ए बक़रा, आयत 83
- ↑ सूरा ए बक़रा, आयत 177
- ↑ सूरा ए तौबा, आयत 113
- ↑ सूरा ए शूरा, आयत 23
- ↑ ज़मख़्शरि, अल-कश्शाफ़, भाग 4, पेज 419
- ↑ देखे, राग़िब, अल-मुफ़रेदात फ़ी ग़रीबिल क़ुरआन, पेज 663-664
- ↑ राग़िब, अल-मुफ़रेदात फ़ी ग़रीबिल क़ुरआन, पेज 663-664; इब्ने फ़ारस, मक़ाईसुल लुग़त, भाग 5, पेज 80
- ↑ हुर्रे आमुली, वसाएल उश-शिया, भाग 9, पेज 509-520
- ↑ देखे मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर ए नमूना, भाग 23, पेज 504-505
- ↑ सूरा ए शूरा, आयत 23
- ↑ क़ुम्मी, जामे उल-ख़िलाफ़ वल वेफ़ाक़, पेज 234; नजफ़ी, जवाहिर उल-कलाम, भाग 16, पेज 86-87
- ↑ खुई, मुस्तनादुल उर्वा, भाग 3, पेज 307-308
- ↑ इब्ने हंबल, फ़ज़ाएल उस-सहाबा, भाग 2, पेज 833; बुख़ारी, सही उल-बुख़ारी, भाग 6, पेज 129; ज़मख़्शरि, अल-कश्शाफ़, भाग 3, पेज 402; सुयूती, अल-दुर्र उल-मंसूर, भाग 6, पेज 7; क़ुर्तुबी, अल-जामे उल-अहकाम उल-क़ुरआन, भाग 16, पेज 22
- ↑ इब्ने कसीर, तफ़सीर ए इब्ने कसीर, भाग 4, पेज 121; आलूसी, रूह उल-मआनी, भाग 13, पेज 30-31
- ↑ आलूसी, रूह उल-मआनी, भाग 13, पेज 31
- ↑ सय्यद मुर्तुज़ा, रसाइल ए शरीफ़ ए मुर्तुज़ा, भाग 1, पेज 226
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल-कलाम, भाग 16, पेज 84; इब्ने बुर्राज, अल-मोहज़्ज़ब, भाग 1, पेज 180
- ↑ मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर ए नमूना, भाग 23, पेज 502
स्रोत
- आलूसी, सय्यद महमूद, रूह उल-मआनी फ़ी तफ़सीर अल-क़ुरआन अल-अज़ीम, तहक़ीक़ः अली अब्दुलालह अतीया, बैरूत, दार उल-कुतुब उल-इल्मिया, 1415 हिजरी
- इब्ने बुर्राज तराबलिसी, अब्दुल अज़ीज़, अल-मोहज़्ज़ब, क़ुम, दफ़्तरे इंतेशारात ए इस्लामी वा बस्ते जामे उल-मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, 1406 हिजरी
- इब्ने हंबल, अहमद, फ़ज़ाएल उस-सहाबा, क़ाहिरा, दार ए इब्ने जोज़ी, 1430 हिजरी
- इब्ने फ़ारस, मक़ाईस उल-लुग़त, क़ुम, मकतबल आलाम उल-इस्लामिया, 1404 हिजरी
- इब्ने कसीर, इस्माईल इब्ने उमर, तफ़सीर ए इब्ने कसीर, तहक़ीक़ः युसुफ़ अब्दुर्रहमान मरअशी, बैरूत, दार उल-मारफ़ा लित तबाअते वन नश्र वत तौज़ीअ, 1412 हिजरी 1992 ई
- बुख़ारी, मुहम्मद बिन इस्माईल, सही उल-बुख़ारी, तहक़ीक़ः मुहम्मद ज़हीर बिन नासिर अल-नासिर, बैरूत, दार ए तरीक़ुन निजात, 1422 हिजरी
- हाकिम नेशापुरी, मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह, अल-मुस्तदरफ अला सहीहैन, क़ाहिरा, दार उल-हरमैन लिन नश्रे वत तबाआ, 1417 हिजरी
- हुर्रे आमुली, मुहम्मद बिन हसन, वसाएल उश-शिया, क़ुम, मोअस्सेसते आले अल-बैत (अ.), 1409 हिजरी
- ख़ुई, सय्यद अबुल क़ासिम, मुस्तनद उल-उर्वा, क़ुम, लुत्फ़ी, 1364 शम्सी
- राग़िब, इस्फ़हानी, हुसैन बिन मुहम्मद, अल-मुफ़रेदात फ़ी ग़रीब इल-क़ुरआन, बैरूत, दार उश शामीयते, 1412 हिजरी
- ज़मख़्शरि, महमूद, अल-कश्शाफ़ अन हक़ाइक़ ए ग़वामेज़ित तनज़ील, बैरूत, दार उल-किताब उल-अरबी, 1407 हिजरी
- सय्यद मुर्तुज़ा, अली बिन हुसैन, रसाइल उश-शरीफ़ अल-मुर्तुज़ा, तसहीहः सय्यद महदी रजाई, क़ुम, दार उल-क़ुरआन उल-करीम, 1405 हिजरी
- सीवती, मुहम्मद बिन अहमद, अल-दुर उल-मंसूर फ़ीत तफ़सीर ए बिल मासूर, क़ुम, किताब ख़ाना ए आयतुल्लाहिल उज़्मा मरअशी नजफ़ी, 1404 हिजरी
- क़ुर्तुबी, मुहम्मद बिन अहमद, अल-जामे उल-अहकाम अल-क़ुरआन, तेहरान, नासिर ख़ुस्रो, 1364 शम्सी
- क़ुमी, अली बिन मुहम्मद, जामे उल-ख़िलाफ़ वल वेफ़ाक़, क़ुम, ज़मीने साज़ान ए ज़हूर ए इमाम ज़मान, 1379 शम्सी
- नजफ़ी, मुहम्मद हसन, जवाहिर उल-कलाम, बैरूत, दार ए एहयाइत तुरास अल-अरबी, 1362 हिजरी