नहज अल बलाग़ा

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(नहज उल बलाग़ा से अनुप्रेषित)
नहज अल बलाग़ा
लेखकइमाम अली (अ)
सुधारकई लोगों ने इसमे सुधार किया है
प्रयाससय्यद रज़ी
लिखित तिथि400 हिजरी
विषयइमाम अली (अ.स.) के कथनों और पत्रों का चयन
शैलीहदीस
भाषाअरबी
सेट1 भाग


नहज-उल-बलाग़ा, (फ़ारसी: نهج البلاغه) एक किताब है जिसमें सय्यद रज़ी द्वारा इमाम अली (अ) के कई उपदेश, पत्र और छोटे वाक्य एकत्रित किए गए हैं। नहज अल-बलाग़ा को इस्लामी संस्कृति का विश्वकोश और इस्लाम और धार्मिक मूल्यों को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक माना जाता है। नहज अल-बलाग़ा में उच्च वाक्पटुता और फ़साहत व बलाग़त पाई जाती है और यही इस पुस्तक के आकर्षण और स्थायित्व का कारण माना जाता है।

नहज अल-बलाग़ा की सामग्री की व्यापकता और विविधता इसकी विशेषताओं में से एक है। नहज अल-बलाग़ा की सामग्री को तरतीब के साथ इन तीन खंडों में व्यवस्थित किया गया है: उपदेश, पत्र और छोटे कथन। उपदेशों और छोटे वाक्यों में, धर्मशास्त्र, नैतिक मुद्दे, दुनिया का ज्ञान, दुनिया का निर्माण, मानव स्वभाव, राष्ट्र और गुणी और दमनकारी सरकारें जैसे विभिन्न विषयों को व्यक्त किया जाता है, और पत्रों में, शासन के मुद्दों और अधिकारियों द्वारा लोगों के साथ कैसे बातचीत की जानी चाहिये, इस पर ज्यादातर चर्चा की गई है।

नहज अल-बलाग़ा का फ़ारसी, अंग्रेजी, फ्रेंच, हिंदी, इतालवी, तुर्की इस्ताबुली और उर्दू सहित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है। नहज अल-बलाग़ा पर बहुत सी टिप्पणियाँ लिखी गई हैं, जिनमें इब्न अबी अल-हदीद द्वारा नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी और इब्ने मीसम बहरानी द्वारा नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, सबसे महत्वपूर्ण अरबी टिप्पणियों में से एक और नासिर मकारिम शिराज़ी द्वारा लिखित पयामे इमाम अमीर अल-मोमिनीन (अ.स.), इस पर लिखी गई फ़ारसी शरह हैं। इसके अलावा, कुछ शोधकर्ताओं ने इमाम अली (अ.स.) की अन्य बातों को अन्य पुस्तकों से इकट्ठा करने की कोशिश की है जो नहज अल-बलाग़ा में शामिल नहीं हैं और उन्हें मुस्तदरक शीर्षक के तहत प्रकाशित किया है; इन प्रयासों में, मोहम्मद बाक़िर महमूदी द्वारा लिखित किताब नहज अल-सआदा फ़ी मुस्तदरक नहज अल-बलाग़ा का उल्लेख किया जा सकता है।

नहज अल-बलाग़ा उन किताबों में से एक है जिसकी सैकड़ों पांडुलिपियाँ मुद्रण उद्योग से पहले लिखी गई थीं। उनमें से सबसे पुरानी पांडुलिपि वर्ष 469 हिजरी की है, जो आयतुल्लाह मरअशी नजफी की लाइब्रेरी में रखी गई है। मुद्रण उद्योग के बाद, नहज अल-बलाग़ा को विभिन्न विवरणों और अनुवादों के साथ ईरान, मिस्र, लेबनान, सीरिया और क़तर में सैकड़ों बार मुद्रित किया जा चुका है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान की स्थापना के साथ, मीडिया और संस्कृति की मदद से, नहज अल-बलाग़ा सार्वजनिक संस्कृति में दिखाई देने लगी। नहज अल-बलाग़ा पर केंद्रित संकायों (कालेजो) और संस्थानों का गठन किया गया और नहज अल-बलाग़ा पर विशेष अनुसंधान और रिसर्च को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नहज अल-बलाग़ा फाउंडेशन (बुनियादे नहजुल बलाग़ा) की स्थापना की गई। इसके अलावा, नहज अल-बलाग़ा के विशेष सॉफ्टवेयर अलवी इनसाइक्लोपीडिया और कॉम्प्रिहेंसिव नहज अल-बलाग़ा इनसाइक्लोपीडिया शीर्षक के तहत तैयार किए गए हैं।

नहज अल-बलाग़ा को संकलित करने में सय्यद रज़ी के स्रोतों में सुन्नियों की विभिन्न पुस्तकें शामिल थीं, जैसे जाहिज़ द्वारा लिखित किताब अल-बयान व अल-तबयीन, सईद बिन यहया उमवी द्वारा लिखित किताब अल-मगाज़ी, वाक़ेदी द्वारा लिखित किताब अल-जमल और तारिख़ अल-तबरी। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, सय्यद रज़ी की सुन्नी स्रोतों पर निर्भरता और नहज अल-बलाग़ा में इमाम अली के शब्दों के साक्ष्य (सनद) का उल्लेख नहीं करने के कारण इस पुस्तक को समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इस कारण से, कई शोधकर्ताओं ने नहज अल-बलाग़ा के सही को साबित करने के लिए प्राचीन स्रोतों से इस पुस्तक के कथनों को दस्तावेजों और नहज अल-बलाग़ा के दस्तावेजों के रूप में एकत्रित किया है।

कुछ सुन्नियों ने इस काम के संकलनकर्ता के बारे में और इमाम अली (अ.स.) को इसके वर्णन का श्रेय देने की प्रामाणिकता के बारे में भी संदेह व्यक्त किया है। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, इस कार्य के संकलनकर्ता के बारे में संदेह मूल पुस्तक का संदर्भ न देने की ओर इशारा करता है, क्योंकि इसके संकलनकर्ता सैयद रज़ी का नाम पुस्तक के पाठ में कई बार उल्लेखित है। जैसा कि सुन्नी विद्वानों में से एक इब्न अबी अल-हदीद ने नहज अल-बलाग़ा की सामग्री का श्रेय इमाम अली (अ.स.) को देने में संदेह को पाखंड और अंधा पूर्वाग्रह बताया है।

नहज अल-बलाग़ा का महत्व

بئس الزاد إلی المعاد العدوان علی العباد (बेसा अल-ज़ाद इला अल-मआद अल उदवान अला अल-इबाद) 
(अनुवाद: उस दुनिया के लिए सबसे बुरा बोझ बंदों पर अत्याचार करना है।) (नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संशोधित, 1414 हिजरी, हिकमत 221, पृष्ठ 507।)

नहज अल-बलाग़ा एक किताब है जिसमें इमाम अली (अ.स.) के ख़िलाफत के दौरान कई उपदेश, पत्र और छोटे वाक्य शामिल हैं।[१] इसे इस्लामी संस्कृति का विश्वकोश, और क़ुरआन और हदीसों के बाद, यह इस्लाम और धार्मिक मूल्यों को समझने का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।[२] इसके अलावा, क़ुरआन के बाद, नहज अल-बलाग़ा को शियों के लिए याद रखने (हिफ़्ज़ करने) योग्य सबसे महत्वपूर्ण किताबों में से एक के रूप में पेश किया गया है।[३] नहज अल-बलाग़ा की ग्रंथ सूची में, रेज़ा उस्तादी ने नहज अल-बलाग़ा के बारे में पुस्तकों के 370 शीर्षकों के नाम दिए हैं जो 1359 शम्सी तक लिखे गए थे।[४]

सय्यद मोहसिन अमीन ने अपनी पुस्तक "आयान अल-शिया" में नहज अल-बलाग़ा को अरबों और इस्लाम के सबसे महान सम्मानों में से एक के रूप में पेश किया है।[५] रिपोर्टों के अनुसार, क़ुरआन के बाद, नहज अल-बलाग़ा के बारे में इस्लामी संस्कृति में सबसे अधिक पांडुलिपियां, स्पष्टीकरण और व्याख्याएं लिखी गई हैं और क़ुरआन के बाद बहुत से फ़ारसी और अरबी साहित्यिक ग्रंथ, नहज अल-बलाग़ा से प्रभावित हैं।[६] इसके अलावा, मुस्तदरक अल-वसायल पुस्तक में मुहद्दिस नूरी के अनुसार, बहुत से पुराने विद्वान जो अपने छात्रों को नहज अल-बलाग़ा को नक़्ल करने की अनुमति देना चाहते थे, उन्होंने नहज अल-बलाग़ा को "अख़-उल-क़ुरआन" (क़ुरआन का भाई) के रूप में परितिच किया है।[७]

संकलनकर्ता

मुख्य लेख: सय्यद रज़ी

सय्यद रज़ी (359.406 हिजरी) ने 400 हिजरी में नहज अल-बलाग़ा का संग्रह किया है।[८] सय्यद रज़ी अबी तालिब के परिवार से हैं[९] और शिया न्यायविदों, धर्मशास्त्रियों, टिप्पणीकारों और लेखकों में से एक हैं।[१०]

नामकरण

सय्यद रज़ी ने नहज अल-बलाग़ा को संकलित करने के लिए अपने सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य को इमाम अली (अ) के वाक्पटु और फ़सीह व बलीग़ शब्दों को इकट्ठा करने के अपने दोस्तों के अनुरोध की प्रतिक्रिया माना है।[११] नहज अल-बलाग़ा में, उन्होंने इमाम अली (अ.स.) के शब्दों और पत्रों का केवल एक हिस्सा एकत्रित किया है, जिसमें उच्च स्तर की वाक्पटुता और फ़साहत व बलाग़त है।[१२] इस कारण से, उन्होंने इस कार्य को नहज अल-बलाग़ा (जिसका अर्थ है "बलाग़त का स्पष्ट तरीक़ा और रास्ता") का नाम दिया है।[१३] जो सुन्नी विद्वानों में से एक, मुहम्मद अब्दोह के अनुसार, इस पुस्तक के लिए सबसे अच्छा वर्णन है।[१४]

साहित्यिक मूल्य

नहज अल-बलाग़ा की वाक्पटुता और फ़साहत को इस पुस्तक के आकर्षण और स्थायित्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक माना जाता है।[१५] नहज अल-बलाग़ा के शब्दों को रचनाकार (ईश्वर) के शब्दों से नीचे और निर्मित (बंदों) के शब्दों के ऊपर रखा गया है।[१६] नहज अल-बलाग़ा के महत्व और साहित्यिक मूल्य और बलाग़त के संबंध में अरबी भाषा के विचारकों के कई शब्द उद्धृत किए गए हैं,[१७] जिनमें शामिल कुछ यह हैं:

  • 7वीं शताब्दी में सुन्नी विद्वान और नहज अल-बलागा के टिप्पणीकार इब्न अबी अल-हदीद, नहज अल-बलाग़ा की एक पंक्ति को इब्न नबातह (चौथी शताब्दी हिजरी के एक प्रसिद्ध वक्ता) के शब्दों की 1000 पंक्तियों से बेहतर मानते हैं।[१८]
  • ईसाई लेखक जॉर्ज जुर्दाक़ का मानना ​​है कि नहज अल-बलाग़ा क़ुरआन के बाद बलाग़त के उच्चतम स्तर पर है।[१९]
  • लेबनानी लेखक और कवि शेख़ नासीफ़ इलियाज़जी ने अरबी भाषा की वाक्पटुता में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए क़ुरआन और नहज अल-बलाग़ा को याद करने का आदेश दिया है।[२०]
  • अरबी भाषा के विद्वानों में से एक मोहियुद्दीन अब्दुल हमीद ने नहज अल-बलाग़ा को अरबी भाषा की वाक्पटुता और फ़साहत के स्रोत के रूप में पेश किया है, उनका मानना ​​है कि नहज अल-बलाग़ा के शब्द ईश्वर और उसके दूत के शब्दों के बाद सबसे शानदार शब्द हैं।[२१]

नहज अल-बलाग़ा के कुछ टिप्पणीकारों ने इमाम अली (अ.स.) को दृष्टांत (तमसीलात) (उपन्यास लेखन के समान एक तकनीक) बनाने की कला का प्रवर्तक माना है, जिसमें कथाकार एक कहानी बनाकर एक शैक्षिक या आलोचनात्मक लक्ष्य का पीछा करता है।[२२] उनके अनुसार, इमाम (अ.स.) ने नहज अल-बलाग़ा के छोटे वाक्य की सख्या 289 में इस तकनीक का इस्तेमाल किया है; जैसे कि इमाम (अ.स.) अपने धार्मिक भाई के लिए विशेष गुण गिनाते हैं, जबकि उस व्यक्ति का कोई बाहरी अस्तित्व नहीं है, और इमाम ने नेक लोगों के परिचय में एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए एक काल्पनिक चरित्र बनाया है।[२३]

गैर-मुसलमानों के लिए नहज अल-बलाग़ा का आकर्षण

अपनी वाक्पटुता और बलाग़ के कारण, नहज अल-बलाग़ा न केवल शियों के लिए, बल्कि ग़ैर-शियों और ग़ैर-मुसलमानों के लिए भी आकर्षक है।[२४] जैसा कि ईसाई लेखक जॉर्ज समआन जुरदाक़ ने नहज अल-बलाग़ा के साहित्य और उसके छोटे कथनों की समीक्षा में रवायेअ नहज अल-बलाग़ा नामक पुस्तक लिखी है।[२५] इसके अलावा, कुछ ग़ैर-मुस्लिम इसे पढ़कर मुस्लिम बन गए हैं;[२६] जैसे कि अमेरिकी दार्शनिक मुहम्मद लागेनहौसेन नहज अल बलाग़ा को पढ़कर मुस्लिम और शिया बन गए।[२७]

नहज अल-बलाग़ा की सामग्री

मुहम्मद अब्दोह सुन्नी विद्वानों में से एक हैं:
इस पुस्तक में व्यक्ति कभी स्वयं को अर्थों के ऊँचे क्षितिजों तथा सुन्दरतम एवं सर्वोत्तम वाक्यांशों में देखता है तो कभी युद्ध के मैदान में; जैसा कि कभी-कभी इसके शब्दों में एक चमकदार बुद्धि दिखाई देती है, जो मनुष्य को अंधेरे से मलकूत की ओर ले जाती है और पवित्र दुनिया (आलमे क़ुद्स) में स्थापित करने की कोशिश करती है, और कभी-कभी मनुष्य खुद को उन प्रबंधकों के बीच देखता है जिन्हें अली (अ) ने राजनीति के मामलों और मार्गदर्शन के रास्तों की ओर निर्देशित और उनका मार्गदर्शन करते हैं। (अब्दोह, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, अल-इस्तिक़ामा प्रेस, पृष्ठ 10।)

मरजए तक़लीद और नहज अल-बलाग़ा की शरह करने वालो में से एक, नासिर मकारिम शिराज़ी ने नहज अल-बलाग़ा की सामग्री की व्यापकता और विविधता को इसकी असाधारण विशेषताओं में से एक माना है; एक ऐसी सामग्री जिसमें विभिन्न विषयों पर मधुर, गणनात्मक और सटीक भाषण होते हैं, और कभी-कभी विरोधाभासी भी होते हैं।[२८] इब्न अबी अल-हदीद के अनुसार, नहज अल-बलाग़ा में इमाम अली (अ.स.) कभी-कभी बस्ताम बिन क़ैस और उतैबह बिन हारिस (दो प्रसिद्ध अरब नायक) जैसे प्रसिद्ध योद्धाओं की तरह बात करते हैं। और कभी कभी ईसा बिन मरियम (अ) और योहन्ना जैसे भिक्षुओं और तपस्वियों की तरह से उपदेश देते हैं।[२९]

मिस्र के लेखकों में से एक, अब्बास महमूद अक्क़ाद ने नहज अल-बलाग़ा को एकेश्वरवाद और दिव्य ज्ञान की आयतों के स्रोत के रूप में पेश किया।[३०] कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, नहज अल-बलाग़ा का अध्ययन पाठक को इमाम अली (अ) के ईश्वर, मनुष्य और दुनिया, उत्पत्ति और पुनरुत्थान के बारे में एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान और उनसे परिचय देता है।[३१] इस पुस्तक में, एक आदर्श मानव चरित्र के लिए आवश्यक नैतिक गुण बताए गए हैं।[३२] पैग़म्बरों के मिशन, इमामत, सरकार और नेतृत्व, व्यक्ति और समाज के अधिकारों, प्रकृति की सुंदरता का वर्णन, पाखंडियों और अविश्वासियों (काफ़िरों) की भावना के साथ-साथ इस्लाम के शुरुआती दिनों की कुछ घटनाओं के बारे में चर्चा और नाकेसीन, मारेक़ीन और क़ासेतीन का परिचय इस पुस्तक की अन्य सामग्री हैं।[३३] शिया मराजेए तक़लीद में से एक, अब्दुल्लाह जवादी आमोली के अनुसार, सय्यद रज़ी ने नहज अल-बलाग़ा की सामग्री को बुद्धिमानी से चुना, ताकि न केवल शिया-सुन्नी मतभेद उजागर न हो सकें, बल्कि इस चीज़ की ज़मीन तैयार हो सकी कि सुन्नियों द्वारा इस पर सबसे मज़बूत व्याख्याएँ लिखी गई।[३४]

नहज अल-बलाग़ा की सामग्री को क्रम में तीन भागों में व्यवस्थित किया गया है: उपदेश, पत्र और छोटे वाक्य:

उपदेश

नहज अल-बलाग़ा पर इब्न अबी अल-हदीद की टिप्पणी की पांडुलिपि की छवि, जो मलिक संग्रहालय, तेहरान में रखी गई है [30]

[३५]

नहज अल-बलाग़ा का पहला भाग इमाम अली के उपदेशों का चयन है और इसमें 241 उपदेश हैं।[३६] नहज अल-बलाग़ा के टिप्पणीकारों में से एक, सय्यद जाफ़र शहिदी ने इस खंड को इस्लामी संस्कृति का विश्वकोश माना है और यह ईश्वर का ज्ञान, दुनिया का ज्ञान, दुनिया का निर्माण, मानव स्वभाव, धर्मी और दुष्ट राष्ट्र और सरकारें जैसे विषयों पर आधारित है।[३७] उनके अनुसार, इमाम (अ.स.) का मुख्य लक्ष्य प्राकृतिक मामलों या दार्शनिक या ऐतिहासिक बिंदुओं के उल्लेख के ज़रिया, महत्वपूर्ण इस्लामी मुद्दों और ईश्वर के ज्ञान को समझाना है।[३८] सैयद रज़ी ने सभी उपदेशों में से केवल चार उपदेशों को नाम दिया है: ख़ुतबा शिक़शेक़िया (नंबर 3), ख़ुतबा ग़र्रा (नंबर 83), ख़ुतबा अश्बाह (नंबर 91) और ख़ुतबा क़ासेआ (नंबर 192)।[३९]

यह भी देखें: नहज अल-बलाग़ा के उपदेशों की सूची

शिक़शेक़िया उपदेश

मुख्य लेख: ख़ुतबा शेक़शेक़िया

وَ إِنَّمَا يَنْبَغِي لِأَهْلِ الْعِصْمَةِ وَ الْمَصْنُوعِ إِلَيْهِمْ فِي السَّلَامَةِ أَنْ يَرْحَمُوا أَهْلَ الذُّنُوبِ وَ الْمَعْصِيَةِ وَ يَكُونَ الشُّكْرُ هُوَ الْغَالِبَ عَلَيْهِمْ وَ الْحَاجِزَ لَهُمْ عَنْهُم
(अनुवाद: और यह अचूक लोगों और पाप न करने वाले लोगों के लिए उचित है कि वे पाप करने वालों और नाफ़रमानी करने वालों पर दया करें और इस नेमत पर ईश्वर के आभारी रहें इतना कि यह आभार उन्हें व्यस्त रखे, और उन्हें लोगों के दोषों के बारे में बात न करने दे।) (नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संपादित, 1414 हिजरी, उपदेश 140, पृष्ठ 197।)

शिक़शेक़िया उपदेश नहज अल-बलाग़ा के विवादास्पद उपदेशों में से एक है, जिसे कुछ शिया मुतवातिर मानते हैं।[४०] इस उपदेश में, इमाम (अ.स.) ने इमामत से संबंधित मुद्दों को बताया है, और अपने से पहले ख़लीफाओं के प्रदर्शन की आलोचना की है और उनकी ख़िलाफ़त के सिद्धांत को ग़लत माना है।[४१] साथ ही, इस उपदेश में इमाम के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा करने वाली लोगों की भीड़ की कहानी और उनके द्वारा सरकार को स्वीकार करने का कारण बताया गया है।[४२]

ग़र्रा उपदेश

मुख्य लेख: ख़ुतबा ग़र्रा
इमाम अली (अ):
وَ لَا تُخَاطِرْ بِشَيْ‏ءٍ رَجَاءَ أَكْثَرَ مِنْهُ‏ 
(अनुवाद: जब तक आपका समय शांत है, तब तक आराम करो और अधिक की आशा में जोखिम स्वीकार न करो।) (नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संशोधित, 1414 हिजरी, पत्र 31, पृष्ठ 403।)

ग़र्रा उपदेश, ईश्वर की स्तुति और पैग़म्बर मुहम्मद (स) के नबी होने की गवाही देने के साथ शुरू होता है, और इमाम अली (अ) ईश्वरीय धर्मपरायणता का पालन करने का आदेश देने के साथ, ईश्वर के आशीर्वाद, दुनिया के परीक्षण होने, पुनरुत्थान और मृत्यु की याद दिलाते हुए जारी रखते हैं।[४३] सय्यद रज़ी के अनुसार, इस उपदेश की वाक्पटुता ऐसी थी कि लोग इसे सुनकर कांपने लगे और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे।[४४] इस उपदेश को साहित्यिक सरणियों, जैसे कि वाक्य, रूपक और व्यंग्य की उपस्थिति के कारण "ग़र्रा" नाम दिया गया है।[४५]

ख़ुतबा मुत्तक़ीन

मुख्य लेख: ख़ुतबा मुत्तक़ीन

मुत्तक़ीन उपदेश नहज अल-बलाग़ा के रहस्यमय (इरफ़ानी) और शैक्षिक उपदेशों में से एक है।[४६] इमाम अली (अ.स.) ने यह उपदेश धर्मपरायणता (मुत्तक़ीन, तक़वा) का वर्णन करने के लिये हम्माम नामक अपने एक धर्मनिष्ठ साथी के अनुरोध पर दिया था। इसमें मुत्तक़ीन का वर्णन किया गया है।[४७] इस उपदेश में, इमाम अली (अ.स.) ने पवित्र लोगों के लिए लगभग सौ विशेषताओं को सूचीबद्ध किया है।[४८] इस उपदेश को सुनने के बाद हम्माम बेहोश हो गए और उनकी मृत्यु हो गई।[४९]

पत्र

नहज अल-बलाग़ा के इस भाग में 79 भाग हैं, जिसमें 63 पत्र, 12 वसीयतें, आदेश और परिपत्र, दो फ़रमान, एक प्रार्थना और एक अनुबंध शामिल हैं।[५०] नहज अल-बलाग़ा के पत्रों के अनुभाग में, जिनके श्रोता आम तौर पर सरकारी अधिकारी, सैन्य कमांडर और कर अधिकारी थे, अधिकतर शासन के मुद्दों और अधिकारियों के लोगों के साथ बातचीत और सुलूक, इस पर चर्चा की गई है।[५१] कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, ये पत्र इमाम अली (अ) के राजनीतिक जीवन के पहलुओं को स्पष्ट करते हैं।[५२] सय्यद जाफ़र शहिदी के अनुसार, हालांकि ये पत्र शासकों और सरकारी अधिकारियों को लिखे गए थे। लेकिन उनका लहजा आदेशात्मक नहीं है और मानो एक दयालु और हमदर्दी करने वाले पिता ने अपने बच्चों को एक पत्र लिखा हो।[५३]

इमाम हसन (अ.स.) को पत्र, मिस्र के गवर्नर पद के लिए मालिक अश्तर को पत्र और उस्मान बिन हनीफ़ को पत्र नहज अल-बलाग़ा के सबसे प्रसिद्ध पत्रों में से हैं।

यह भी देखें: नहज अल-बलाग़ा के पत्रों की सूची

कलेमाते क़ेसार

इमाम अली (अ):
إِذَا أَرْذَلَ اللَّهُ عَبْداً حَظَرَ عَلَيْهِ الْعِلْم‏‏ 
(अनुवाद: जब भी ईश्वर किसी बंदे का तिरस्कार करता है, तो वह उसे ज्ञान (सीखने) से दूर कर देता है।) (नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संपादित, 1414 हिजरी, हिकमत 288, पृष्ठ 526।)

नहज अल-बलाग़ा का तीसरा भाग छोटे वाक्य हैं और इन छोटे वाक्यों की संख्या 480 है।[५४] इस खंड में, इमाम अली (अ.स.) के चुनिंदा बुद्धिमान शब्दों, सलाह और उनसे किये गये सवालों के जवाब और छोटे भाषणों का उल्लेख किया गया हैं।[५५] सय्यद रज़ी छोटे वाक्यों के बीच में नहज अल-बलाग़ा ने "फ़स्ल फ़ी ग़रायेबे कलामिहि" (यानी, इमाम के अद्भुत शब्दों के बारे में एक अध्याय) नामक एक अध्याय का उल्लेख किया है, उनका मानना ​​है कि इसे समझना कठिन है और इसकी व्याख्या की आवश्यकता है।[५६] इस अध्याय में 9 हदीसें हैं, जिनमें से पहली इमाम ज़माना (अ) के उद्भव (ज़हूर) के बारे में है।[५७]

यह भी देखें: नहज अल-बलाग़ा की छोटे वाक्यों की सूची

नहज अल-बलाग़ा के स्रोत

इमाम अली के कथनों को एकत्रित करने में सय्यद रज़ी द्वारा उल्लिखित कुछ स्रोत यह हैं: जाहिज़ द्वारा लिखित किताब अल-बयान व अल-तबईन, मुबर्रद द्वारा लिखित किताब अल-मुक़तज़ब, सईद बिन यह्या उमवी द्वारा लिखित किताब अल-मगाज़ी, वाक़ेदी द्वारा लिखित किताब अल-जमल, अबी जाफ़र एस्काफ़ी द्वारा लिखित किताब अल मक़ामात और तारिख़ इब्न जरीर अल-तबरी।[५८] कुछ शोधों में, नहज अल-बलाग़ा में उल्लिखित स्रोतों की संख्या सत्रह तक बयान की गई है।[५९] कुछ शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि हज़रत अली (अ) के शब्दों को इकट्ठा करने के लिए सय्यद रज़ी के शोध स्रोत बहुत समृद्ध और व्यापक थे; क्योंकि उन्होंने इस पुस्तक को इकट्ठा करने के लिए बग़दाद के दो बड़े पुस्तकालयों (अपने भाई सैयद मुर्तेज़ा की 80,000-खंड किताबों की लाइब्रेरी और आले-बुयेह के मंत्रियों में से एक, अबू नस्र शापुर के 10,000-खंड किताबों की "बैत अल-हिकमा लाइब्रेरी") का उपयोग किया था।[६०]

कुछ विद्वानों ने, नहज अल-बलाग़ा के बारे में सय्यद रज़ी ने जो किया है, उसकी प्रशंसा करते हुए, इस पुस्तक की आलोचना भी की है।[६१] मोहम्मद तक़ी शुश्त्री का "किताब बहज अल-सबाग़ह फ़ी शरह-ए-नहज-अल-बलाग़ा" में मानना है कि चूंकि सैय्यद रज़ी ने इमाम अली (अ.स.) से संबंध दी गई हर फ़सीह बात को इकट्ठा करने की कोशिश की थी और इस उद्देश्य के लिए उन्होंने केवल अहले सुन्नत की किताबों का हवाला दिया था।। जिससे निम्नलिखित समस्याएँ पैदा हो गई हैं:

  • इमाम अली की तरफ़ कुछ बातों की निस्बत देना जो उनके दुश्मनों द्वारा गढ़ी गई थीं;
  • कुछ वाक्यों को इस तरह से काट देना कि कुछ मामलों में इमाम के वास्तविक अर्थ में ख़लल पैदा हो गया है;
  • कुछ शब्दों का श्रेय इमाम अली (अ.स.) को दिया गया, जिन्हें शिया हदीसों में ग़लत माना गया हैं;
  • अन्य इमामों के कुछ कथनों का श्रेय इमाम अली (अ.स.) को देना;
  • सपने में इमाम से सुने गए कुछ शब्दों का वर्णन;
  • इमाम अली (अ.स.) के भाषण से संबंधित घटनाओं का ग़लत वर्णन।[६२]

उपदेश, पत्र और छोटे वाक्यो के दस्तावेज़

मोहम्मद बाक़िर महमूदी द्वारा लिखित किताब "नहज अल-सआदा फ़ी मुस्तदरक नहज अल-बलाग़ा", जिसमें नहज अल-बलाग़ा के उपदेश, पत्र और छोटे वाक्य एकत्रित किये गये हैं।

नहज अल-बलाग़ा में इमाम अली के शब्दों के दस्तावेज़ का उल्लेख न करना नहज अल-बलाग़ा की चुनौतियों में से एक है; इसलिए, कुछ लोगों ने इस पुस्तक की हदीसों को मुरसल माना है और उनका मानना ​​है कि इन कथनों को न्यायशास्त्रीय चर्चाओं में उद्धृत नहीं किया जा सकता है।[६३] दस्तावेज़ों का उल्लेख न करने के सय्यद रज़ी के तरीक़े को सही ठहराते हुए कहा गया है कि इमाम की इन बातों के स्रोत सैय्यद रज़ी के समय में प्रसिद्ध थे और इसी कारण से उन्होंने अपने स्रोतों का उल्लेख करना ज़रूरी नहीं समझा। इस तथ्य के अलावा कि उनका इरादा न्यायशास्त्र या इतिहास के विषय पर एक हदीस पुस्तक लिखने का नहीं था, जिसके लिए किसी दस्तावेज़ के उद्धरण की आवश्यकता होती है, बल्कि वह इमाम अली (अ.स.) की सबसे खूबसूरत बातें एकत्रित करना चाहते थे। ताकि वह उसके ज़रिये से वक्ताओं को बयान करने के लिये फ़साहत व बलाग़त की शैली सिखाना चाहते थे, और इसके लिये हदीसों के दस्तावेज़ के ज़िक्र करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।[६४] हालाँकि, हज़रत अली (अ.स.) को नहज अल-बलाग़ा का श्रेय देने की सत्यता को साबित करने के लिए, कई शोधकर्ताओं ने इस पुस्तक में आख्यानों और कथनों के दस्तावेज़ नहज अल-बलाग़ा के दस्तावेज़ों और सबूतों के रूप में प्राचीन स्रोतों से एकत्रित किए गए हैं।[६५] इन कार्यों में से निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है:

  • मोहम्मद बाक़िर महमूदी द्वारा लिखित किताब "नहज अल-सआदा फ़ी मुस्तदरक नहज-अल-बलाग़ा"।[६६]
  • हादी काशिफ़ अल-ग़ेता द्वारा लिखित किताब "मदारिको नहज अल-बलाग़ा व दफ़उश शुबहाते अन्हु"।[६७]
  • सय्यद हेबतुद्दीन शहरिस्तानी द्वारा लिखित किताब "मसादिरो नहज अल-बलाग़ा फ़ी मदारिके नहज अल-बलाग़ा";[६८] [नोट 1|[६९]]
  • अब्दुल्लाह नेअमा द्वारा लिखित किताब "मसादिरो नहज अल-बलाग़ा";[७०]
  • मोहम्मद दश्ती द्वारा लिखित किताब "असनाद व मदारिके नहज अल-बलाग़ा"[७१] और "रोवात व मुहद्देसीने नहज अल-बलाग़ा";[७२]
  • रेज़ा उस्तादी द्वारा किताब "बहसी कूताब पिरामूने मदारिके नहज अल-बालाग़ा";[७३]
  • सय्यद अब्दुल ज़हरा अल-हुसैनी अल-ख़तीब द्वारा लिखित किताब "मसादिरो नहज अल-बलाग़ा व असनिदोहु"।[७४]

अनुवाद

नहज अल-बलाग़ा का फ़ारसी अनुवाद सय्यद जाफ़र शाहिदी द्वारा

नहज अल-बलाग़ा का फ़ारसी, अंग्रेजी, फ्रेंच, हिंदी, इतालवी, तुर्की इंसताबुली, उर्दू, मलय, अल्बानियाई, बोस्नियाई, गुजराती, असीरियन, अर्मेनियाई, स्वाहिली, हौसा, जापानी, चीनी, रूसी, स्पेनिश सहित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है।[७५] नहज अल-बलाग़ा के अनुवादों की संख्या 100 से अधिक है,[७६] जिनमें से हम फ़ारसी में लगभग 40 अनुवाद,[७७] अंग्रेजी में लगभग 10 अनुवाद और उर्दू में 13 अनुवाद का उल्लेख कर सकते हैं।[७८]

शिया मराजेए तक़लीद में से एक आयतुल्लाह जाफ़र सुबहानी के अनुसार, फ़ारसी भाषा में प्रकाशित कई अनुवाद, क्योंकि उन्होंने अरबी भाषा की शब्दावली, साहित्य और नियमों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया, सही और स्वीकार्य अनुवाद नहीं हैं और और उन्हें नहज अल-बलाग़ा के पाठ से अनुवादक की एकमात्र व्याख्या माना जा सकता है। उनका मानना ​​है कि मुल्ला सालेह क़ज़विनी का अनुवाद, जो पुरानी फ़ारसी में लिखा गया था, और सय्यद जाफ़र शहिदी का अनुवाद, इस किताब के सबसे विश्वसनीय और वाक्पटु अनुवादों में से हैं।[७९] नहज अल-बलाग़ा के अन्य फ़ारसी अनुवादों में से, हम सय्यद अली नक़ी फ़ैज़ुल इस्लाम,[८०] अब्दुल मोहम्मद आयती,[८१] मोहम्मद तक़ी जाफ़री,[८२] मोहम्मद दश्ती,[८३] मोहम्मद मेहदी फ़ूलादवंद[८४] और हुसैन अंसारियान[८५] जैसे अनुवादकों के कार्यों का उल्लेख कर सकते हैं। और अंग्रेजी अनुवादों में, हम ताहिरा सफ़्फ़ारज़ादे के अनुवाद का उल्लेख कर सकते हैं।[८६]

कविताओं द्वारा अनुवाद

विभिन्न कवियों ने नहज अल-बलाग़ा का विभिन्न भाषाओं में कविता के रूप में अनुवाद किया है।[८७] इन कवियों में मुहम्मद अली अंसारी क़ोमी, मेहदी शफ़ीई और नासिर बारिकानी ने फ़ारसी में, हाफ़िज़ मीर मोहम्मद हसन अली ख़ान हैदरी ने सिंधी में और हसन मुल्लाई अलमदारी तुर्की में अनुवाद किया है।[८८] बंबई, भारत के कुछ लेखकों ने नहज अल-बलाग़ा का हिंदी कविता में अनुवाद किया है।[८९]

यह भी देखें: नहज अल-बलाग़ा के अनुवादों की सूची

विवरण

नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी इसकी रचना के कुछ वर्षों बाद शुरू से शुरु हो गई और अब जारी है।[९०] कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, क़ुरआन के बाद इस्लाम के इतिहास में, लगभग कोई अन्य पुस्तक नहीं है जिस पर नहज अल बलाग़ा जितनी अधिक टिप्पणियाँ और शरहें लिखी गई हैं।[९१] नहज अल-बलाग़ा पर लिखी गई बड़ी संख्या में टिप्पणियों के कारण उन सभी की सटीक गिनती करना मुश्किल हो गया है; इसलिए, इस उद्देश्य के लिए विभिन्न लेख और ग्रंथ लिखे गए हैं।[९२] नहज अल-बलाग़ा के कुछ विवरण इस प्रकार हैं:

  • अरबी विवरण
  1. शरहो नहज अल-बलाग़ा, एक मोतज़ेली कवि और लेखक इब्न अबी अल-हदीद द्वारा लिखी गई है।[९३] कुछ लोगों का मानना ​​है कि इब्न अबी अल-हदीद की टिप्पणी ने नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणियों के लेखन में एक मौलिक परिवर्तन किया।[९४]
  2. शरहो नहज अल बलाग़ा, इब्ने मीसम बहरानी द्वारा लिखित (मृत्यु: 679 या 699 हिजरी);[९५]
  3. मिनहाज अल-बरा'आ फ़ी शरह नहज अल-बलाग़ा, हबीबुल्लाह ख़ूई द्वारा लिखित (मृत्यु: 1324 हिजरी);[९६]
  4. मिन्हाज अल-बरा'आ फ़ी शरह नहज अल-बलाग़ा, कुतुब रावंदी द्वारा (मृत्यु: 573 हिजरी);[९७]
  5. हदायक़ अल-हक़ायक़ फ़ी शरह नहज अल-बलाग़ा, कुतुब अल-दीन किदरी द्वारा लिखित, 576 हिजरी में लिखी गई।[९८]
  • फ़ारसी वर्णन
  1. तर्जुमा व तफ़सीरे नहज अल-बलाग़ा, मोहम्मद तक़ी जाफ़री द्वारा लिखित।[९९]
  2. तर्जुमा व शरहे नहज अल-बलाग़ा, सय्यद अली नक़ी फैज़ुल इस्लाम द्वारा लिखित;[१००]
  3. शरहे नहज अल-बलाग़ा, मिर्ज़ा मोहम्मद बाक़िर नवाब लाहिजी द्वारा लिखित;[१०१]
  4. पयामे इमाम अमीर अल-मोमिनीन (अ), नासिर मकारिम शिराज़ी द्वारा लिखित।[१०२]

मुसतदरक

बहुत से विद्वानों ने इमाम अली (अ.स.) के अन्य कथनों को अन्य पुस्तकों से इकट्ठा करने की कोशिश की है जो नहज अल-बलाग़ा में शामिल नहीं हैं और उन्हें मुस्तदरक के शीर्षक के तहत प्रकाशित किया है;[१०३] जैसा कि सय्यद रज़ी ने भी नहज अल-बलाग़ा के कुछ पृष्ठ ख़ाली छोड़े थे ताकि अगर भविष्य में उन्हे नहज अल-बलाग़ा में जोड़ने के लिए इमाम अली (अ.स.) के नए शब्द मिलें तो वह उन्हे इनमे जोड़ सकें।[१०४] इनमें से कुछ मुस्तदरक यह हैं:

  • "अल-तज़ईल अला नहज अल-बलाग़ा" पांचवीं शताब्दी हिजरी [105] में अब्दुल्लाह बिन इस्माइल हलबी द्वारा लिखित;[१०५]
  • "मुलहक़ो नहज-अल-बलाग़ा" अहमद बिन यहया बिन नाक़ह द्वारा लिखित, 729 चंद्र वर्ष में लिखा गया;[१०६]
  • "मुस्तदरक नहज-अल-बलाग़ा" हादी काशिफ़ अल-ग़ेता (मृत्यु: 1361 हिजरी) द्वारा लिखित जो 1354 हिजरी में प्रकाशित हुआ था।[१०७]
  • "तमामो नहज-अल-बलाग़़ा" सय्यद सादिक़ मूसवी द्वारा लिखित[१०८]
  • "नहज अल-सआदा फ़ी मुस्तदरक नहज अल बलाग़ा" मोहम्मद बाक़िर महमूदी द्वारा लिखित।[१०९]

ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद नहज अल-बलाग़ा पर ध्यान

नहज अल-बलाग़ा के एक हज़ार वर्ष पूरे होने पर हज़ारा डाक टिकट का अनावरण 25 मेहर 1360 शम्सी को ईरान में किया गया था। इस डाक टिकट में नहज अल-बलाग़ा में हज़रत अली के पत्र का एक हिस्सा लिखा हुआ है।[११०]

मीडिया और संस्कृति की मदद से, नहज अल-बलाग़ा इस्लामी गणतंत्र ईरान की अवधि के दौरान सार्वजनिक संस्कृति में दिखाई देने लगी।[१११] इस तरह से कि नहज अल-बलाग़ा उन पुस्तकों में से एक हो गई जो क़ुरआन के साथ-साथ बहुत से ईरानी मुसलमानों के घरों में मौजूद हैं।[११२] मुर्तज़ा मोतह्हरी के अनुसार, उनके युग में, नहज अल-बलाग़ा की शिक्षाओं पर अधिक ध्यान दिया गया था, जबकि पिछली शताब्दियों में नहज अल-बलाग़ा इस्लामी और शिया संस्कृति में अजनबी की तरह से थी। और यहाँ तक कि इस पुस्तक को मदरसा के छात्रों के बीच में भी उचित स्थान नहीं मिला था।[११३]

ईरान में इस्लामिक गणराज्य की सरकार की स्थापना के साथ, नहज अल-बलाग़ा के संबंध में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। नहज अल-बलाग़ा पर केंद्रित संस्थानों और केंद्रों का गठन किया गया। मानविकी के कुछ क्षेत्रों में, शिक्षण के लिए नहज अल-बलाग़ा नामक एक पाठ्यक्रम जोड़ा गया, और नहज अल-बलाग़ा कॉलेज और नहज अल-बलाग़ा अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई।[११४] इसके अलावा, ईरान के कुछ कॉलेजों में, मास्टर और डॉक्टरेट स्तर पर नहज अल-बलाग़ा का विशेष पाठ्यक्रम शुरू किया गया।[११५]

नहज अल-बलाग़ा पर ध्यान केंद्रित करने वाले दो वैज्ञानिक शोध प्रकाशन फ़ारसी भाषा में "नहज अल-बलाग़ा रिसर्च" (पिजोहिश हाय नहज अल बलाग़ा)[११६] और "नहज अल-बलाग़ा रिसर्च जर्नल" (पिजोहिश नामा नहजुल बलाग़ा)[११७] शीर्षक से प्रकाशित हो रहे हैं। इसके अलावा, नहज अल-बलाग़ा के बारे में बहुत से लेख लिखे गए हैं और नहज अल-बलाग़ा पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई शोध प्रबंध (थीसेस) लिखे गए हैं।[११८] मदरसों (हौज़ा इल्मिया) में, वैज्ञानिक हस्तियाँ नहज अल-बलाग़ा पढ़ाती रही हैं।[११९] हुसैन अली मुंतज़ेरी के अनुसार, नहज अल-बलाग़ा को मदरसा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए और हौज़ा इल्मिया के बुजुर्गों को इसे पढ़ाना और बढ़ावा देना चाहिए।[१२०]

सॉफ्टवेयर

  1. अलवी इनसाइक्लोपीडिया या मंहज अल-नूर: इस सॉफ्टवेयर में, 280 से अधिक खंडों के साथ 110 पुस्तक शीर्षक के साथ मौजूद हैं। साथ ही इस सॉफ्टवेयर में फारसी और अरबी भाषाओं में 163 खंडों में 33 टिप्पणियाँ और शरहें रखी गई हैं। फ़ारसी, अंग्रेजी और फ्रेंच में 26 अनुवाद इस सॉफ्टवेयर की अन्य विशेषताएं हैं। यह सॉफ्टवेयर नूर इस्लामिक साइंसेज कंप्यूटर रिसर्च सेंटर द्वारा तैयार किया गया है।[१२१]
  2. नहज अल-बलाग़ा का व्यापक विश्वकोश, इस सॉफ़्टवेयर में दुनिया की छह भाषाओं में दर्जनों विवरण और अनुवाद हैं। वृक्ष संरचना के रूप में हजारों विविध विषयों तक पहुंच और नहज अल-बलाग़ा के स्रोतों को प्रदर्शित करने की क्षमता इस सॉफ्टवेयर की अन्य विशेषताएं हैं। यह सॉफ़्टवेयर इस्फ़हान सेमिनरी के कंप्यूटर रिसर्च सेंटर द्वारा तैयार किया गया है।[१२२]

नहज बलाग़ा फाउंडेशन

मुख्य लेख: नहज अल-बलाग़ा फाउंडेशन

नहज अल-बलाग़ा फाउंडेशन की स्थापना 1353 शम्सी में नहज अल-बलाग़ा पर विशेष अनुसंधान और उसको बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।[१२३] और नहज अल-बलाग़ा के लिए एक विशेष पुस्तकालय की स्थापना, नहज अल-बलाग़ा पांडुलिपियों के डिजिटल संस्करण एकत्रित करना, नहजुल-बलाग़ा के बारे में कई वैज्ञानिक सम्मेलन आयोजित करना और नहजुल-बलाग़ा पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संकलित करना, इस संस्थान की गतिविधियों में से हैं।[१२४]

नहज अल-बलाग़ा की सामग्री का श्रेय इमाम अली को देने में संदेह

544 हिजरी में लिखे गए नहज अल-बलाग़ा के पुराने संस्करण की एक छवि।

कुछ सुन्नियों ने नहज अल-बलाग़ा किताब के बारे में दो संदेह उठाए हैं: 1. यह स्पष्ट नहीं है कि इस पुस्तक को सय्यद रज़ी ने संकलित किया है, या उनके भाई सय्यद मुर्तज़ा ने; 2. ऐसी संभावना है कि ये शब्द इमाम अली (अ.स.) के नहीं हैं और सय्यद मुर्तज़ा या सय्यद रज़ी ने इन्हें गढ़ा है।[१२५] नौवीं शताब्दी में सुन्नी विद्वानों में से एक इब्न हजर असक़लानी ने नहज अल-बलाग़ा को सय्यद मुर्तज़ा का लेखन माना है, और उनका मानना ​​है कि इस पुस्तक के शब्दों की इमाम अली (अ.स.) की ओर झूठी निस्बत दी गई है।[१२६]

दूसरी ओर, शिया विद्वानों और कई सुन्नी विद्वानों का मानना ​​है कि नहज अल-बलाग़ा के संकलनकर्ता सय्यद रज़ी हैं और उन्होंने इस पुस्तक को इमाम अली (अ.स.) के शब्दों से संकलित किया है।[१२७] कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, इस कार्य के संग्राहक पर संदेह इंगित करता है कि उसने मूल पुस्तक का संदर्भ नहीं दिया है; क्योंकि इस काम के लेखक, कई मामलों में जहां वह इमाम अली के कठिन शब्दों को समझाते हैं, तो "क़ाला अल-रज़ी:..." (सैय्यद रज़ी कहते हैं:...) अभिव्यक्ति का उपयोग करते हैं, जिससे पता चलता है कि यह काम सैय्यद रज़ी द्वारा संकलित किया गया है।[१२८] शोधकर्ताओं के अनुसार, इस पुस्तक को उद्धृत करने के लिए विद्वानों द्वारा दी गई अनुमति (इजाज़ा) का जो सिलसिला उल्लेख किया है वह सैय्यद रज़ी तक मुतवातिर है, और इससे पुस्तक के लेखक के बारे में सारे संदेह दूर हो जाता है।[१२९] रेजाल शास्त्र के माहिर और सय्यद रज़ी के समकालीनों में से एक, नज्जाशी ने भी इस पुस्तक का श्रेय सय्यद रज़ी को दिया।[१३०]

सुन्नी विद्वानों में से एक, इब्न अबी अल-हदीद ने नहज अल-बलाग़ा की सामग्री का श्रेय इमाम अली (अ.स.) को देने में संदेह करने को कट्टरता और अंधा पूर्वाग्रह माना है।[१३१] इब्न अबी अल-हदीद द्वारा इस दावे के बारे दिया गया तर्क यह है कि एक ओर तो, नहज अल-बलाग़ा का एक हिस्सा निश्चित रूप से इमाम अली (अ.स.) के शब्दों में से है, क्योंकि इसका सही होना बार-बार उद्धरणों (मुतवातिर) से सिद्ध हो चुका है; और दूसरी ओर, और दूसरी ओर, प्रत्येक ज़ौक़े सलीम रखने वाला नहज अल-बलाग़ा की एकरूपता के बारे में बता सकता है।[१३२] इब्न तैमिया के छात्र सलाह अल-दीन सफ़दी ने जो उल्लेख किया है, उसके अनुसार, इब्न तैमिया नहज अल-बलाग़ा को इमाम अली (अ.स.) के शब्द मानते थे।[१३३] 12वीं सदी में शिया मराजेए तक़लीद में से एक, अल्लामा बहरूल उलूम ने भी इस किताब के जाली होने की संभावना को सबसे बड़े इल्ज़ामों में से एक माना है।[१३४]

सय्यद रज़ी से पहले इमाम अली के शब्दों का एकत्रित होना

सय्यद हेबातुद्दीन शहरिस्तानी, नहज अल-बलाग़ा के जाली होने को ख़ारिज करते हुए मानते हैं कि सय्यद रज़ी पहले व्यक्ति नहीं हैं जिन्होंने इमाम अली (अ.स.) के उपदेश और कथनों को एकत्रित किया है, बल्कि उनसे पहले कई लोगों ने इमाम के उपदेशों और बातों को याद किया है।[१३५] तीसरी चंद्र शताब्दी के इतिहासकार याक़ूबी ने अपनी पुस्तक में अली (अ.स.) के लगभग चार सौ बाक़ी बचे हुए उपदेशों का उल्लेख किया है,[१३६] मुरूज अल ज़हब के लेखक मसऊदी के अनुसार, लोगों ने 480 से अधिक इमाम के उपदेशों को याद किया हुआ था।[१३७] इब्न शोअबा हर्रानी, ​​तोहफ़ अल-उक़ूल किताब के लेखक का मानना ​​है कि अगर केवल एकेश्वरवाद पर इमाम अली (अ.स.) के उपदेश एकत्रित किए जाएं, तो इसकी मात्रा तोहफ़ अल-उक़ूल किताब के समान होगी।[१३८]

कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, इमाम अली (अ) के उपदेशों को किताब की शक्ल में लिखने वाले पहले व्यक्ति ज़ैद इब्न वहब थे, जो इमाम अली (अ) के साथियों में से एक थे, जिन्होंने "किताब अल ख़ोतब" लिखी थी और उनकी यह पुस्तक पांचवीं शताब्दी तब तक अस्तित्व में थी।[१३९] मसअदा बिन सदक़ा द्वारा लिखित किताब "ख़ोतबे अमीरुल मोमिनीन", इब्राहिम बिन हकम फज़ारी द्वारा लिखित किताब "ख़ोतबे अली (अ)", अब्दुल अज़ीम हसनी द्वारा लिखित किताब "ख़ोतब अमीरुल मोमिनीन" और "ख़ोतबे अली व कुतुबेहि इला उम्मालेह" "अली बिन मुहम्मद मदायनी द्वारा लिखित किताब, यह सब इमाम अली के उपदेशों के संग्रह की पहली किताबों में से हैं, जो सय्यद रज़ी से पहले लिखी गई थीं।[१४०]

नहज अल-बलाग़ा का लेखन और मुद्रण

बग़दाद में रबीअ अल-अव्वल 693 हिजरी में हुसैन बिन मुहम्मद हसनी शिराज़ी द्वारा लिखित नहज अल-बलाग़ा का एक हस्तलिखित संस्करण जो तेहरान के मलिक संग्रहालय में रखा हुआ है।[१४१]

नहज अल-बलाग़ा उन किताबों में से एक है जिसकी सैकड़ों पांडुलिपियाँ मुद्रण उद्योग से पहले लिखी जा चुकी थीं।[१४२] कुछ रिपोर्टों के अनुसार, केवल ईरान के निजी और सार्वजनिक पुस्तकालयों में, नहज अल-बलाग़ा की 300 हस्तलिखित प्रतियों की पहचान की गई है।[१४३] शिया ग्रंथ सूचीकार और प्रतिलिपिकार सय्यद अब्दुल अज़ीज़ तबातबाई यज़दी ने अपने शोध में नहज अल-बलाग़ा के 160 पुराने संस्करणों (हिजरी की पांचवीं से दसवीं शताब्दी से संबंधित) की विशेषताओं का उल्लेख किया है।[१४४] नहज अल-बलाग़ा की सबसे महत्वपूर्ण पांडुलिपियों में निम्नलिखित हैं:

  • वर्ष 469 हिजरी से संबंधित एक पांडुलिपि, जो हुसैन बिन हसन मोअद्दब द्वारा लिखी गई थी और आयतुल्लाह मरअशी नजफ़ी लाइब्रेरी में रखी हुई है;
  • अदनान इब्न इब्राहिम द्वारा लिखित 485 हिजरी की एक पांडुलिपि, जो इस्फ़हान में सय्यद मोहम्मद अली रौज़ाती की लाइब्रेरी में मौजूद है;
  • फ़ज़्लुल्लाह बिन ताहिर हुसैनी द्वारा लिखित 494 हिजरी तारीख़ की एक पांडुलिपि, जिसकी एक फ़ोटो कॉपी 1402 हिजरी में तेहरान की ग्रैंड मस्जिद की लाइब्रेरी द्वारा प्रकाशित की गई थी;
  • 5वीं शताब्दी ईस्वी से संबंधित कई पांडुलिपियां, जो हुसैन अली महफूज लाइब्रेरी, सय्यद हेबातुद्दीन शहरिस्तानी लाइब्रेरी, तेहरान में सेपह सालार उच्च शिक्षा लाइब्रेरी और क़ुम में मरकज़े एहयाए मीरासे इस्लामी में रखी हुई हैं।[१४५]

प्रकाशन

सैरी दर नहज अल-बलाग़ा फ़ारसी किताब, मुर्तज़ा मोतह्हरी द्वारा लिखित।

नहज अल-बलाग़ा को विभिन्न विवरणों और अनुवादों के साथ के साथ ईरान, मिस्र, लेबनान, सीरिया और क़तर में सैकड़ों बार मुद्रित किया गया है।[१४६] कुछ शोधों में, नहज अल-बलाग़ा का सबसे पुराना छपा हुआ संस्करण वर्ष 1247 हिजरी के लिए परिचित किया गया है, जो तबरेज़ में प्रकाशित हुआ था।[१४७] नहज अल-बलाग़ा के सबसे महत्वपूर्ण प्रकाशनों में निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है:

  • मिस्र संस्करण 1317 हिजरी में दो खंडों में मोहम्मद हसन नायल अल-मोर्सफ़ी के शोध और हाशिया के साथ;
  • बेरूत संस्करण 1302 हिजरी में मोहम्मद अब्दोह के विवरण के साथ;
  • बेरूत संस्करण 1387 हिजरी में सुबही सालेह द्वारा सुधार के साथ;
  • तेहरान संस्करण 1405 हिजरी में सय्यद अली नक़ी फैज़ुल इस्लाम द्वारा संशोधन और अनुवाद के साथ;
  • तेहरान संस्करण 1413 हिजरी में नहज अल-बलाग़ा फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित, अज़ीज़ुल्लाह अतारदी द्वारा संशोधन के साथ।[१४८]

मोनोग्राफ़

नहज अल-बलाग़ा के विषय पर विभिन्न पुस्तकें लिखी गई हैं, जिनमें निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है:

  • "सैरी दर नहज अल-बलाग़ा"; यह पुस्तक लेखों के संग्रह का एक पुनर्लिखित पाठ है जिसे मुर्तज़ा मोतह्हरी ने 1351 शम्सी और 1352 शम्सी में दर्सहाई अज़ इस्लाम पत्रिका में प्रकाशित किया था।[१४९] धर्मशास्त्र और अलौकिक, ध्यान और पूजा, सरकार और न्याय, अहल-बैत और ख़िलाफ़त, और दुनिया और दुनिया परस्ती इस किताब के अनुभागों के शीर्षकों में से एक है।[१५०] इस पुस्तक का अरबी और अंग्रेजी सहित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है।[१५१]
  • "शेनाख़्ते विजिगिहाय नहज अल-बलाग़ा"; इस पुस्तक में नहज अल-बालाग़ा की ओर लौटने की आवश्यकता, नहज अल-बलाग़ा की व्यापकता, नहज अल-बलागा के दस्तावेजों और सनदों का मूल्य, नहज अल-बलाग़ा के सही होने और उसकी प्रामाणिकता के कारण और जैसे विषयों और इसके आकर्षणों पर चर्चा की गई है।[१५२] यह पुस्तक मोहम्मद दश्ती द्वारा लिखी गई है और अमीरुल मोमिनीन (अ) सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रकाशित की गई है।[१५३]
  • "अमीर अल-मोमिनीन और नहज अल-बलाग़ा"; इस पुस्तक में इमाम अली (अ.स.) के चरित्र, सय्यद रज़ी के चरित्र और नहज अल-बलाग़ा के उपदेशों का परिचय दिया गया है और इस पुस्तक के बारे में कुछ संदेहों का उत्तर दिया गया है। साथ ही, इस पुस्तक में, नहज अल-बलाग़ा के टिप्पणीकारों और अनुवादकों की एक सूची प्रदान की गई है।[१५४] यह पुस्तक नहज अल-बलाग़ा फाउंडेशन के सहयोग से और अज़ीज़ुल्लाह अत्तारदी के प्रयासों से लिखी गई है और 1379 शम्सी में प्रकाशित हुई है।[१५५]
  • "काविशी दर नहज अल-बलाग़ा"; यह नहज अल-बलाग़ा के बारे में विभिन्न लेखकों (जैसे मोहम्मद तक़ी जाफ़री, हसन हसनज़ादे आमोली, अब्दुल्लाह जवादी आमोली और अबुल क़ासिम ख़ज़ अली) के लेखों का एक संग्रह है, जिसे नहज अल-बलाग़ा फाउंडेशन द्वारा तीन खंडों में प्रकाशित किया गया है।[१५६] सैय्यद जलील मुर्तज़वी द्वारा इसी नाम से लिखी गई एक अन्य पुस्तक इस्लामी सरकार की विशेषताओं पर केंद्रित होकर 224 पृष्ठों में प्रकाशित हुई है।[१५७]
  • "आमोज़िशे नहज अल-बलाग़ा"; यह पुस्तक सय्यद मोहम्मद महदी जाफ़री द्वारा लिखी गई है और 1380 शम्सी में ईरान के संस्कृति और इस्लामी मार्गदर्शन मंत्रालय द्वारा प्रकाशित की गई है।[१५८]

फ़ुटनोट

  1. मुस्तफ़वी, "नहज अल-बलाग़ा का परिचय", पृष्ठ 23।
  2. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 11।
  3. मुस्तफ़वी, नहज अल-बलाग़ा और क़ुरआन के बीच संबंध, 2006, पृष्ठ 32।
  4. उस्तादी, नहज अल-बलाग़ा की ग्रंथ सूची, 1359, पूरी किताब।
  5. अमीन, आयान अल-शिया, 1406 हिजरी, खंड 9, पृष्ठ 218।
  6. रफीई, "नहज अल-बलाग़ा की अलवी मौलिकता", पृष्ठ 131।
  7. मुहद्दिस नूरी, मुस्तदरक अल-वसायल (मुस्तदरक अल-वसायल का अंत), 1408 एएच, खंड 21, पृष्ठ 204।
  8. तेहरानी, ​​अल-ज़रिया, 1408 एएच, खंड 24, पृष्ठ 413।
  9. जाफ़री, सैय्यद रज़ी, 1375, पृ.22
  10. अमीन, आयान अल-शिया, 1406 एएच, खंड 9, पृष्ठ 218।
  11. सैय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संशोधित, 1414 एएच, परिचय, पृष्ठ 34।
  12. सैय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संपादित, 1414 एएच, परिचय, पृष्ठ 35।
  13. सैय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संपादित, 1414 एएच, परिचय, पृष्ठ 36।
  14. अब्द, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, अल-इस्तिक़ामा प्रेस, पृष्ठ 10।
  15. हाफ़िज़ियन बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 32।
  16. इब्न अबी अल-हदीद, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, खंड 1, पृष्ठ 24।
  17. देखें: अल-हुसैनी अल-ख़तीब, नहज अल-बलाग़ा और असनिदोह, 1409 एएच, खंड 1, पृष्ठ 105-119।
  18. इब्न अबी अल-हदीद, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, खंड 7, पृष्ठ 214।
  19. जुरदाक़, इमाम अली (अ.स.), सौत अल अदालत अल इंसानिया, 2010, पृष्ठ 282।
  20. अल-हुसैनी अल-ख़तीब, नहज अल-बलाग़ा और असनिदोह, 1409 एएच, खंड 1, पीपी 108-109।
  21. मुहिद्दीन, "परिचय", मोहम्मद अब्दो द्वारा लिखित नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी की पुस्तक में, खंड 1, पृष्ठ बी।
  22. हाशेमी ख़ूई, मिन्हाज अल-बराआ', 1400 एएच, खंड 21, पृष्ठ 379।
  23. इब्न अबी अल-हदीद, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, खंड 19, पृष्ठ 184; हाशेमी ख़ूई, मिन्हाज अल-बराआ', 1400 एएच, खंड 21, पृष्ठ 379; मकारेम शिराज़ी, इमाम अमीरुल मोमिनीन (अ) का संदेश, 1375, खंड 14, पृष्ठ 395।
  24. देखें: जुरदाक़, इमाम अली (अ.स.), सौत अल अदालत अल इंसानिया, 2010, पृष्ठ 282; अहल अल-बैत रिसर्च एंड पब्लिशिंग इंस्टीट्यूट की वेबसाइट पर "ईसाई लेखक एंटोनी बर्रा के दृष्टिकोण से नहज अल-बलाग़ा"।
  25. जुरदाक़, रवायेअ नहज अल-बलाग़ा, 1417 एएच, पुस्तक आईडी पृष्ठ।
  26. उदाहरण के लिए, देखें: हौज़ा समाचार एजेंसी में "नहज अल-बलाग़ा के आशीर्वाद से एक अमेरिकी के मुस्लिम बनने की कहानी"; इंटरनेशनल फाउंडेशन ऑफ इस्तिबसार की वेबसाइट पर "एक युवा यूरोपीय के पढ़ने योग्य बयान जो शिया बन गए"; साहिब न्यूज़ में "नहज अल-बलाग़ा के साथ 80 भारतीयों का इस्लाम में रूपांतरण"; ISNA समाचार एजेंसी में, "मेरे माता-पिता नहज अल-बलाग़ा के माध्यम से मुसलमान बन गए"; अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन समाचार एजेंसी के अनुसार, "नहज अल-बलाग़ा की पारलौकिक शिक्षाओं से परिचित होना कोसोवो के एक युवक के लिए शिया धर्म में परिवर्तित होने का आधार था"।
  27. देखें: अपरात वेबसाइट पर "नहज अल-बलाग़ा का अध्ययन करके प्रोफेसर लेगनहाउज़ेन का इस्लाम में रूपांतरण"; यूट्यूब साइट पर "प्रोफेसर मुहम्मद लागेनहाउज़ेन मुस्लिम और शिया कैसे बने?"
  28. मकारेम शिराज़ी, पयामे इमाम अमीरुल मोमिनीन (अ), 1375, खंड 1, पृष्ठ 39।
  29. इब्न अबी अल-हदीद, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, खंड 11, पृष्ठ 153
  30. अक्क़ाद, इमाम अली की प्रतिभा, 1431 एएच, पृष्ठ 127।
  31. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पी 44।
  32. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 45।
  33. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 44।
  34. जवादी आमेली, "सूरह जुमा की तफ़सीर, सत्र 10"।
  35. "नहज अल-बलाग़ा पर इब्न अबी अल-हदीद की टिप्पणी से बंदी", मालेक राष्ट्रीय पुस्तकालय और संग्रहालय वेबसाइट।
  36. देखें: नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संपादित, 1414 एएच, पृष्ठ 39-39।
  37. शहिदी, "परिचय", नहज अल-बलाग़ा में, 1378, पृ. या, दाल
  38. शहिदी, "परिचय", नहज अल-बलाग़ा में, 1378, पृ. या, दाल
  39. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 19।
  40. इब्न मैसम बहरानी, ​​नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, खंड 1, पृष्ठ 251।
  41. देखें: नहज अल-बलाग़ा, सहीह सुबही सालेह, 1414 एएच, ख़ुतबा 3, पृ. 48-49।
  42. देखें: नहज अल-बलाग़ा, सहीह सुबही सालेह, 1414 एएच, उपदेश 3, पृ. 49-50।
  43. नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संपादित, 1414 एएच, धर्मोपदेश 83, पृ. 107-114।
  44. नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संशोधित, 1414 एएच, उपदेश 83, पृष्ठ 114 के तहत।
  45. हाशेमी ख़ूई, मिन्हाज अल-बराआ' फ़ी शरह नहज अल-बलाग़ा, 1400 एएच, खंड 6, पृष्ठ 70।
  46. होशियार, और जलील तजलिल, "बर्रसी ततबीक़ी सीमाए इंसाने कामिल दर ख़ुतबा मुत्ताक़ीन नहज अल-बलाग़ा वा आसारे अजीजुद्दीन नस्फी ", पृष्ठ 20।
  47. नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संपादित, 1414 एएच, उपदेश 193, पृष्ठ 303।
  48. मुतहहरी, शहीद मुतहहरी के कार्यों का संग्रह, 1372, खंड 16, पृ. 360
  49. नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संपादित, 1414 एएच, उपदेश 193, पृष्ठ 306।
  50. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 19।
  51. शहिदी, "परिचय", नहज अल-बलाग़ा में, 1378, पृ. या
  52. बहिश्ती, और पयामे सदरिया, "नहज अल-बलाग़ा के पत्रों में राजनीतिक नैतिकता", पृष्ठ 12।
  53. शहिदी, "परिचय", नहज अल-बलाग़ा में, 1378, पृ. या
  54. देखें: नहज अल-बलाग़ा, सहीह सुबही सालेह, 1414 एएच, पीपी. 559-469।
  55. सैय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा, सुबही सालेह द्वारा संपादित, 1414 एएच, पृष्ठ 469।
  56. देखें: नहज अल-बलाग़ा, सहीह सुबही सालेह, 1414 एएच, पृष्ठ 515।
  57. देखें: नहज अल-बलाग़ा, सहीह सुबही सालेह, 1414 एएच, पीपी. 517-520।
  58. इब्राहीम, "परिचय", नहज अल-बलाग़ा के विवरण में, इब्न अबी अल-हदीद द्वारा लिखित, 1404 एएच, खंड 1, पृष्ठ 7।
  59. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पीपी. 24-25।
  60. मुस्तफ़वी, "नहज अल-बलाग़ा का परिचय", पीपी. 35-36।
  61. शुशतरी, बहज अल-सब्बाग़ा फ़ी शरह नहज अल-बलाग़ा, 1376, खंड 1, पृष्ठ 20।
  62. शुशतरी, बहज अल-सब्बाग़ा फ़ी शरह नहज अल-बलाग़ा, 1376, खंड 1, पृष्ठ 20-22।
  63. मेहरेज़ी, हदीस और नहज अल-बलाग़ा ग्रंथों को जानना, 1377, 159।
  64. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 22।
  65. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 25।
  66. महमूदी, नहज अल-सआदा, 1418 हिजरी, पूरी किताब।
  67. काशिफ़ अल-ग़ेता, मुस्तदरक नहज अल-बलाग़ा, अल-अंदलुस स्कूल, नहज अल-बलाग़ा के दस्तावेजों का अनुभाग और इसके बारे में संदेह दूर करना, पीपी 269-193।
  68. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 26
  69. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 26।
  70. नामेह, नहज अल-बलाग़ा के स्रोत, 1392 एएच, पूरी किताब।
  71. दश्ती, नहज अल-बलाग़ा के दस्तावेज़ और दस्तावेज़, 1378, पूरी किताब।
  72. दश्ती, नहज अल-बलाग़ा के कथन और मुहद्देसीन, 1378, पूरी किताब
  73. उस्तादी, नहज अल-बलाग़ा, 1396 एएच, पूरी किताब के दस्तावेजों के बारे में एक संक्षिप्त चर्चा।
  74. अल-हुसैनी अल-ख़तीब, नहज अल-बलाग़ा और असनिदोह, 1409 एएच, पूरी किताब।
  75. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पी. 77.
  76. देखें: हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 78।
  77. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पी. 77.
  78. "आयतुल्लाह जाफ़र सुबहानी के साथ बातचीत में नहज अल-बलाग़ा पर एक अंश", पृष्ठ 45।
  79. फैज़ुल इस्लाम, नहज अल-बलाग़ा का अनुवाद और विवरण, 1379 शम्सी, जन्म प्रमाण पत्र पृष्ठ।
  80. सय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा, अब्दुल मोहम्मद आयती द्वारा अनुवादित, 1378 शम्सी, जन्म प्रमाण पत्र पृष्ठ।
  81. सय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा, मोहम्मद तक़ी जाफ़री द्वारा अनुवादित, 1380 शम्सी, जन्म प्रमाण पत्र पृष्ठ।
  82. सय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा, मोहम्मद दश्ती द्वारा अनुवादित, 1379 शम्सी, जन्म प्रमाण पत्र पृष्ठ।
  83. सय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा, मोहम्मद मेहदी फ़ूलादवंद द्वारा अनुवादित, 1380 शम्सी, जन्म प्रमाण पत्र पृष्ठ।
  84. सय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा, हुसैन अंसारियान द्वारा अनुवादित, 2008, जन्म प्रमाण पत्र पृष्ठ।
  85. हौज़ा सूचना आधार में, "सफ़्फ़ारज़ादे ने नहज अल-बलाग़ा का तीन भाषाओं में अनुवाद किया"।
  86. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पी. 78.
  87. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पीपी. 78-79।
  88. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पी. 78.
  89. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 73।
  90. बुरुजेर्दी, और अली सदराई ख़ूई, "नहज अल-बलाग़ा का विवरण", पृष्ठ 119।
  91. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 73।
  92. इब्न अबी अल-हदीद, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, पूरी किताब।
  93. बुरुजेर्दी, और अली सदराई ख़ूई, "नहज अल-बलाग़ा का विवरण", पृष्ठ 124।
  94. इब्न मैसम बहरानी, ​​नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, पूरी किताब।
  95. हाशेमी ख़ूई, मिन्हाज अल-बराआ फ़ि शरह नहज अल-बलाग़ा, 1400 एएच, पूरी किताब।
  96. कुतुब रावंदी, मिन्हाज अल-बरा'आ फ़ी शरह नहज अल-बलाग़ा, 1406 एएच, पूरी किताब।
  97. कुतुब अल-दीन किदारी, हदायक़ अल-हक़ायक़ फ़ी शरह नहज अल-बलाग़ा, 1416 एएच, पूरी किताब।
  98. जाफ़री, नहज अल-बलाग़ा का अनुवाद और व्याख्या, 1376, पूरी किताब।
  99. फैज़ुल इस्लाम, नहज अल-बलाग़ा का अनुवाद और विवरण, 1379, पूरी किताब।
  100. नवाब लाहिजी, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1379, पूरी किताब।
  101. मकारेम शिराज़ी, इमाम अमीरुल मोमिनीन (अ) का संदेश, 1375, पूरी किताब।
  102. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 28।
  103. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 28।
  104. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 28।
  105. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 28।
  106. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 28।
  107. काशिफ़ अल-ग़ेता, मुस्तदरक नहज अल-बलाग़ा, अल-अंदलुस स्कूल, पीपी. 192-16।
  108. मूसवी, नहज अल-बलाग़ा, 1426 हिजरी, पूरी किताब।
  109. महमूदी, नहज अल-सआदा, 1418 हिजरी, पूरी किताब।
  110. ईरान के टिकट, 1387, पृ.19
  111. दीन परवर, "नहज अल-बलाग़ा, मंशूरे जावेदान", पृष्ठ 61।
  112. "नहज अल-बलाग़ा फ़ारसी दर बूतए नक़्द", पृष्ठ 98।
  113. मोतह्हरी, शहीद मोतह्हरी के कार्यों का संग्रह, 1372, खंड 16, पृष्ठ 347-351।
  114. दीन परवर, "नहज अल-बलाग़ा, मंशूरे जावेदान", पीपी. 61-62।
  115. ईरान में नहजुल-बलाग़ा अध्ययन के वैज्ञानिक संघ की वेबसाइट पर, "देश में नहज अल-बलाग़ा विज्ञान और शिक्षा प्रमाणपत्र की समीक्षा"।
  116. त्रैमासिक वेबसाइट देखें: www.nahjmagz.ir
  117. देखें: नहज अल-बलाग़ा शोध पत्र साइट।
  118. दीन परवर, "नहज अल-बलाग़ा, मंशूरे जावेदान", पृष्ठ 62।
  119. देखें: मोतह्हरी, अदल इलाही, 1376, पृ. 212 मुंतज़ेरी, दर्स हाई अज़ नहज अल-बलाग़ा, 2003, खंड 1, पृष्ठ 63।
  120. मुंतज़ेरी, दर्स हाई अज़ नहज अल-बलाग़ा, 2003, खंड 1, पृष्ठ 63।
  121. "मंहज अल-नूर (अलावी इनसाइक्लोपीडिया)", पी. 164.
  122. सज्जादी, "इस्फ़हान सेमिनरी की सीडी नहज अल-बलाग़ा का परिचय", पीपी. 226-227।
  123. ज़मानी, "वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संस्थानों से परिचित, नहज अल-बलाग़ा फाउंडेशन", पी 34।
  124. रबीई, "नहज अल-बलाग़ा फाउंडेशन", पृष्ठ 439।
  125. इब्न ख़लकान, वफ़यात अल-आयान, 1900, खंड 3, पृष्ठ 313; याफ़ेई, मरअतुल-जेनान, 1417 एएच, खंड 3, पृष्ठ 43।
  126. इब्न हजर असक्लानी, लेसान अल-मिज़ान, 1390 एएच, खंड 223।
  127. देखें: देवानी, "सय्यद रज़ी, नहज अल-बलाग़ा के लेखक", पीपी. 117-125।
  128. अत्तारदी, "परिचय", नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी पुस्तक में, 1375, पृष्ठ 14।
  129. शहरिस्तानी, मा होवा नहज अल-बलाग़ा, 1961, पृ. 13
  130. नज्जाशी, रेजाल अल-नज्जाशी, 1365, पृष्ठ 398।
  131. इब्न अबी अल-हदीद, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, खंड 10, पृष्ठ 127।
  132. इब्न अबी अल-हदीद, नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, 1404 एएच, खंड 10, पृष्ठ 128।
  133. सफ़ादी, अल-वाफ़ी बिल वफायात, 1420 एएच, खंड 2, पृष्ठ 277।
  134. बह्र अल-उलूम, अल-फवायद अल-रेजालिया, 1363, पृष्ठ 118।
  135. शहरिस्तानी, मा होवा नहज अल-बलाग़ा, 1961, पृ.21
  136. याकूबी, मशाकिल अल-नास लेज़मानेहिम, 1980, पृ.15
  137. मसऊदी, मुरुज अल-ज़हब, 1409 एएच, खंड 2, पृष्ठ 419।
  138. हर्रानी, ​​तोहफ़ अल-उक़ूल, 1404 एएच, पृष्ठ 61।
  139. मुस्तफ़वी, "नहज अल-बलाग़ा का परिचय", पृष्ठ 33।
  140. मुस्तफ़वी, "नहज अल-बलाग़ा का परिचय", पीपी. 33-35.
  141. "नहज अल-बलाग़ा इलख़ानान", मलिक राष्ट्रीय पुस्तकालय और संग्रहालय
  142. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 83।
  143. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 83।
  144. देखें: तबातबाई, "आठवीं शताब्दी के अंत में भी नहज अल-बलाग़ा की बाक़ी पांडुलिपियाँ", पूरा लेख; ताबतबाई, "मा तबकी मिन पांडुलिपियाँ नहज अल-बलाग़ा", संपूर्ण लेख; तबातबाई, "फ़ि रेहाब नहज अल-बलाग़ा", संपूर्ण लेख।
  145. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पीपी. 84-85।
  146. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 80।
  147. देखें: तबातबेई, "फ़ि रेहाब नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 24।
  148. हाफ़िज़ियान बाबुली, "नहज अल-बलाग़ा", पृष्ठ 80।
  149. मुतह्हरी, सैरी दर नहज अल-बलाग़ा, 1379, पृ. 17-18।
  150. मुतह्हरी, सैरी दर नहज अल-बलाग़ा, 1379, पुस्तक सूची।
  151. देखें: मोतह्हरी, फ़ी रेहाब नहज अल-बलाग़ा, अल-दार अल-इस्लामिया द्वारा अनुवादित, 1413 एएच, पुस्तक पहचान; मोतह्हरी, नहज अल-बलाग़ा की झलक, सैय्यद अली क़ुली क़राई द्वारा अनुवादित, 1392, पुस्तक आईडी।
  152. दश्ती, नहज अल-बलाग़ा की पहचान और विशेषताएं, 1392, पुस्तक सूची।
  153. दश्ती, नहज अल-बलाग़ा की पहचान और विशेषताएं, 1392, पुस्तक सूची।
  154. अतारदी, अमीर अल-मोमिनीन (अ.स.) और नहज अल-बलाग़ा, 1379, पुस्तक सूची।
  155. अतारदी, अमीर अल-मोमिनीन (अ.स.) और नहज अल-बलाग़ा, 1379, पुस्तक सूची।
  156. लेखकों का एक समूह, नहज अल-बलाग़ा की खोज, 1401, पुस्तक पहचान।
  157. मुर्तज़वी, नहज अल-बलाग़ा की खोज, 1400, पुस्तक पहचान।
  158. जाफ़री, टीचिंग नहज अल-बलाग़ा, 1380, पुस्तक आईडी।

नोट 1

  • यह पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई है।

स्रोत

  • अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन समाचार एजेंसी में, "नहज अल-बलाग़ा की पारलौकिक शिक्षाओं से परिचित होना कोसोवो के एक युवक के शिया धर्म में रूपांतरण का आधार था", प्रविष्टि की तारीख: 5 अगस्त, 1392, देखने की तारीख़: 25 अगस्त, 1403 शम्सी।
  • इब्न अबी अल-हदीद, अब्द अल-हामिद बिन हेबतुल्लाह, इब्न अबी अल-हदीद द्वारा नहज अल-बलाग़ा पर टिप्पणी, क़ुम, आयतुल्लाह मरअशी नजफ़ी पब्लिक लाइब्रेरी, 1404 हिजरी।
  • इब्न हजर असक्लानी, अहमद बिन अली, लेसान अल-मिज़ान, बेरूत, अल-आलमी फाउंडेशन फॉर पब्लिकेशन्स, 1390 एएच।
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  • समय की घटनाओं के बारे में हमारे प्रामाणिक ज्ञान में याफ़ेई, अब्दुल्लाह बिन असअद, मरातुलल-जेनान व इबरतुल यक़ज़ान फ़ी मारेफ़ते मा मोतबर मिन हवादिस अल ज़मान, बेरूत, दार अल-किताब अल-अमलिया, 1417 एएच।
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