मक़ामे महमूद

wikishia से
(मक़ाम ए महमूद से अनुप्रेषित)
मक़ामे महमूद का सुलेख

मक़ामें महमूद, (अरबी: مقام محمود) मक़ामे महमूद का अर्थ है एक उच्च और प्रशंसित पद, जो ईश्वर ने पैग़ंबरे इस्लाम (स) को नमाज़े शब और रात में जाग कर इबादत के कारण दिया था। सूरह इसरा की आयत 79 के तहत मुफ़स्सेरीन ने इस मक़ाम की व्याख्या पैगंबर (स) के शिफ़ाअत के मक़ाम के रूप में की है।

कुछ व्याख्या करने वालों ने मक़ामे महमूद को सभी प्राणियों से पैगंबर (स) के श्रेष्ठ होने और भगवान के साथ उनकी अंतिम स्तर पर निकटता का अर्थ माना है। बेशक, इन दोनो अर्थों में मक़ामे शिफ़ाअत शामिल है। ज़ियारते आशूरा के वाक्य के अनुसार, इमाम हुसैन (अ) को भी मक़ामे महमूद प्राप्त है।

सूरए इसरा की 79 वी आयत

पैगंबर (स) के लिए एक प्रशंसनीय मक़ाम

मुस्लिम विद्वानों और मुफ़स्सेरीन ने मक़ामे महमूद को एक उच्च और प्रशंसनीय मक़ाम के रूप में माना है जो कि तहज्जुद (इबादते के लिये रात में जागने और नमाज़े शब[१] पढ़ने) के कारण भगवान ने पैगंबर (स) को दिया है।[२] मक़ामे महमूद के अर्थ के बारे में विद्वानों के जो कथन पाये जाते है उन सब में मक़ामे शिफ़ाअत समान है:

  • मक़ामे शिफ़ाअत: बहुत से शिया[३] और सुन्नी[४] मुफ़स्सेरीन, हदीसों का उपयोग करते हुए, मक़ामें महमूद को वही मक़ामे शिफ़ाअत मानते हैं।[५] उनमें से एक हदीस के आधार पर, पैगंबर (स) ने सूरह इसरा के 79 वी आयत में मक़ामें महमूद को उसी मक़ाम के रूप में माना है जिसमें वह अपनी उम्मत (क़ौम) के लिए शिफ़ाअत करेगें। या उस हदीस के अनुसार जो इमाम बाक़िर (अ) या इमाम सादिक़ (अ) से इस आयत की व्याख्या के बारे में ज़िक्र हुई है, उसमें मक़ामें महमूद को मक़ामें शिफ़ाअत से परिभाषित किया गया है।[६] मुफ़स्सेरीन के एक समूह ने इस मक़ाम को शिफ़ाअत की उच्च श्रेणी से उल्लेख किया है।[७] सैय्यद मुहम्मद हुसैन तेहरानी (1345-1416 हिजरी) के अनुसार, मक़ामे शिफ़ाअत जो ईश्वर ने पैगंबर (स) को अता किया था, वह मक़ामे महमूद के कारणवश है।[८] उनके दृष्टिकोण से, मक़ामे महमूद में सभी सुंदरता (जमाल) और पूर्णता (कमाल) मौजूद हैं और यह पद पैगंबर (स) को पूर्ण रूप से और बिना किसी क़ैद और शर्त दिया गया था। इस मायने में कि हर प्रशंसा करने वाले की प्रशंसा चाहे वह किसी भी प्रशंसा होने वाले के लिये हो, उसी से संबंधित है।[९]
  • प्राणियों में श्रेष्ठ: मुफ़स्सेरीन का एक समूह मक़ामे महमूद को एक ऐसे मक़ाम के रूप में मानता है जहां पैगंबर (स) का सभी प्राणियों पर अधिकार है और वह जो कुछ भी चाहता है, जिसमें मक़ामे शिफ़ाअत भी शामिल है, उसे भगवान द्वारा दिया जाता है।[१०]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. तबरसी, मजमा अल-बयान, 1372, खंड 6, पृ.670; तबरसी, तफ़सीर जवामे उल जामेअ, तेहरान, 1377, खंड 2, पृष्ठ 341।
  2. तूसी, अल-तिबयान, दार इहया अल-तुरास अल-अरबी, खंड 6, पेज 510-511; तबरसी, मजमा अल-बयान, 1372, खंड 6, पृ.671; फैज़ काशानी, तफ़सीर अल-साफ़ी, 1415 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 210; बहरानी, ​​अल-बुरहान, 1416 हिजरी, खंड 3, पृ.569; अयाशी, किताब अल-तफ़सीर, 1380, खंड 2, पृष्ठ 314; तबातबाई, तफ़सीर अल-मिज़ान, 1377, खंड 1, पृष्ठ 178; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1370, खंड 12, पृष्ठ 232; जवादी आमोली, तफ़सीर तसनीम, 1378, खंड 4, पृ.285; शाबर, तफ़सीर अल-कुरआन अल-करीम, 1412 हिजरी, पृष्ठ 286; फख़्रे राज़ी, मफ़ातिहुल-ग़ैब, 1420 हिजरी, खंड 21, पेज 386-387; कुर्तुबी, योम अल-फ़ज़ अल-अकबर, मकतबा अल-कुरआन, पृष्ठ 155।
  3. तूसी, अल-तिबयान, दार इहया अल-तुरास अल-अरबी, खंड 6, पृष्ठ 512; तबरसी, मजमा अल-बयान, 1372, खंड 6, पृ.671; फैज़ काशानी, तफ़सीर अल-साफ़ी, 1415 हिजरी, खंड 3, पीपी 211-212; बहरानी, ​​अल-बुरहान, 1416 हिजरी, खंड.3, पीपी.570-574; अयाशी, किताब अल-तफ़सीर, 1380, खंड 2, पृष्ठ 314; तबातबाई, तफ़सीर अल-मिज़ान, 1377, खंड 1, पृष्ठ 178; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1370, खंड 12, पृष्ठ 232; जवादी आमोली, तफ़सीर तसनीम, 1378, खंड 4, पृ.285; शब्बर, तफ़सीर अल-कुरआन अल-करीम, 1412 हिजरी, पृष्ठ 286।
  4. फख्रे राज़ी, मफ़ातिहुल-ग़ैब, 1420 हिजरी, खंड 21, पृ.387; कुर्तुबी, यौम अल-फ़ज़ अल-अकबर, मकतबा अल-कुरआन, पृष्ठ 155।
  5. इब्ने हनबल, मुसनद, दार सादिर, खंड 2, पृष्ठ 441।
  6. अयाशी, किताब अल-तफ़सीर, 1380, खंड 2, पृष्ठ 314।
  7. तबातबाई, तफ़सीर अल-मिज़ान, 1377, खंड 1, पृष्ठ 178; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1370, खंड 12, पृष्ठ 232; जवादी आमोली, तफ़सीर तसनीम, 1378, खंड 4, पृ.285।
  8. हुसैनी तेहरानी, ​​इमाम शेनासी, vol.9, p.164।
  9. हुसैनी तेहरानी, ​​इमाम शेनासी, खंड 9, पृष्ठ 162।
  10. तबरसी, मजमा अल-बायन, 1372, खंड 6, पृ.671; इब्न अरबी, फुतुहातुल मक्किया, मोअस्सेसा आलुल-बैत ले एहयाइत तुरास, वॉल्यूम 4, पृष्ठ 57; अरूसी हुवैज़ी, तफ़सीर नूर अल-सक्लैन, 1415 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 206।
  11. मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1370, खंड 12, पीपी 231-232।

स्रोत

  • इब्ने हंबल, अहमद, मुसनद, बेरूत, दार सादिर, [बी ता]।
  • इब्ने अरबी, मोहियुद्दीन, फुतुहाते मक्किया, क़ुम, आलुल-बैत (ए एस) फाउंडेशन, [बीटा]।
  • बहरानी, ​​सैय्यद हाशिम, अल-बुरहान फ़ी तफ़सीर अल-कुरान, तेहरान, बाथ फाउंडेशन, 1416 हिजरी।
  • जवादी आमोली, अब्दुल्ला, तफ़सीरे तसनीम, क़ुम, एसरा पब्लिशिंग सेंटर, 1378।
  • शब्बर, सैय्यद अब्दुल्ला, तफ़सीर अल-कुरआन अल-करीम, बेरूत, दार अल-बालाग़ा मुद्रण और प्रकाशन के लिए, 1412 हिजरी।
  • सदूक़, मुहम्मद बिन अली बिन बाबवैह, मन ला यहज़ोहुल-फ़कीह, अली अकबर गफ़्फ़ारी द्वारा शोध, क़ुम, इस्लामिक प्रकाशन कार्यालय, दूसरा संस्करण, 1413 हिजरी।
  • तबताबाई, सैय्यद मुहम्मद हुसैन, तफ़सीर अल-मिज़ान, क़ुम, इस्लामिक प्रकाशन कार्यालय, 1377।
  • तबरसी, फ़ज़ल बिन हसन, तफ़सीर अल-जवामेउल जामेअ, तेहरान, तेहरान विश्वविद्यालय प्रकाशन और मुदीरियते हौज़ ए इल्मिया क़ुम प्रशासन, 1377।
  • तबरसी, फ़ज़ल बिन हसन, मज़्मा अल-बयान फ़ी तफ़सीर अल-कुरआन, तेहरान, नासिर ख़ोसरो प्रकाशन, 1372।
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-तिबयान फ़ी तफ़सीर अल-कुरआन, बेरूत, दार इह्या अल-तुरास अल-अरबी, [बी टा]।
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, तहज़ीब अल-अहकाम, हसन मूसवी ख़ुरसान, तेहरान, दारुल किताब अल-इस्लामिया द्वारा शोधित, चौथा संस्करण, 1407 हिजरी।
  • अरूसी होवैज़ी, अब्द अली बिन जुमा, तफ़सीर नूर अल-सक़लेैन, क़ुम, इस्माइलियन प्रकाशन, 1415 हिजरी।
  • अयाशी, मुहम्मद बिन मसूद, किताब अल-तफ़सीर, तेहरान, इल्मिया प्रिंटिंग हाउस, 1380 हिजरी।
  • फखरे राज़ी, मुहम्मद बिन उमर, मफ़ातिहुल-ग़ैब, बेरूत, दार इह्या अल-तुरास अल-अरबी, 1420 हिजरी।
  • फैज़ काशानी, मुल्ला मोहसिन, तफ़सीर अल-साफ़ी, तेहरान, सदर प्रकाशन, 1415 हिजरी।
  • कुर्तुबी, मुहम्मद बिन अहमद अल-अंसारी, यौम अल-फ़ज़ह अल-अकबर, शोधकर्ता: मुहम्मद इब्राहिम सलीम, मिस्र, अल-तब्ब और अल-नशर मकतबा अल-कुरआन, [बी ता]।
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार अल-अनवार, बेरूत, दार इह्या अल-तुरास अल-अरबी, 1403 हिजरी।
  • मकारिम शिराज़ी, नासिर, और अन्य, तफ़सीर अल-नमूना, क़ुम, दार अल-किताब अल-इस्लामिया, 1370।