नबी की भूल

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(सहवुन नबी से अनुप्रेषित)

नबी की भूल (अरीबःسهو النبي (ص)) जीवन के दैनिक मामलों में पैग़म्बर (स) की ग़लतियों और भूलने की संभावना से संबंधित है। अधिकांश शिया विद्वान पैगंबर (स) से किसी ग़लती का होना संभव नहीं मानते; लेकिन शेख़ सदूक़ और उनके गुरु इब्न वलीद जैसे कुछ पैग़म्बर (स) की अचूकता (इस्मत) में विश्वास करते हैं; हालांकि वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि पैग़म्बर पापो और पैगबंरी के कर्तव्यों के प्रति मासूम हैं, लेकिन उनका मानना है कि पैग़म्बर (स) से अपने जीवन के अन्य मामलों में ग़लतियां या भूल होने की संभावना है।

अपनी बात को साबित करने के लिए नबी की भूल के समर्थकों ने रिवायतो का हवाला दिया है कि पैग़म्बर (स) से नमाज़ मे ग़लती हुई है; परन्तु नबी की भूल के विरोधी भूल को नबूवत के अनुकूल नहीं मानते और कहते हैं कि ये रिवायत मान्य नहीं हैं।

परिभाषा

नबी की भूल धार्मिक और सामान्य मामलों के पालन में पैग़म्बर (स) की ग़लती और त्रुटि है।[१] नबी की भूल के मुद्दे में, सवाल यह है कि शरिया नियमों का पालन करने या सामान्य जीवन के मामले में क्या पैगंबरों के लिए गलतियाँ करना या भूल जाना संभव है। उदाहरण के लिए, वे नमाज़ में कुछ भूल जाएं या गलती से किसी ऐसे व्यक्ति को सौ दीनार लौटा दें जिससे उन्होंने एक हज़ार दीनार उधार लिए थे।[२]

नबी की भूल एक धार्मिक (कलामी) मुद्दा है[३] और इसके बारे में धर्मशास्त्रियों के बीच विस्तृत चर्चा हुई है।[४] नबी की भूल की चर्चा धर्मशास्त्रीय पुस्तकों में की गई है[५] पैगंबरों की अचूकता और न्यायशास्त्र की पुस्तकों में चर्चा की गई है[६] नमाज़ मे नबी की भूल की चर्चा होती है।

विभिन्न दृष्टिकोण

शिया इमामीया विद्वानों के बीच नबी की भूल की संभावना के बारे में दो राय हैं। उनमें से अधिकांश का मानना है कि पैग़म्बर से गलती होना असंभव है[७], लेकिन कुछ का मानना है कि शरिया नियमों के कार्यान्वयन में पैगंबर गलती या भूल कर सकते हैं।[८]

समर्थक

इब्न वलीद क़ुमी, शेख़ सदूक़, सय्यद मुर्तज़ा,[९] मजमा अल-बयान के लेखक फ़ज़्ल बिन हसन तबरेसी,[१०] और मुहम्मद तकी शुश्त्री,[११] नबी की भूल के समर्थक हैं।[१२] शेख सदूक़ ने अपनी पुस्तक मन ला-यहजुर अल-फकीह में सहव अल-नबी के दृष्टिकोण का बचाव किया है और इसके विरोधियों को ग़ुलात और अहले तफ़वीज माना है। उनके अनुसार पैग़म्बर (स) धर्म के प्रचार के मामले में अचूक हैं, लेकिन नमाज जैसे अन्य मामलों में वे आम लोगों की तरह हैं और ग़लती कर सकते हैं;[१३] लेकिन शेख सदूक़ पैगंबर (स) से भूल को दूसरे मनुष्यो की तरह नही मानते बल्कि पैगंबर (स) से गलती का होना ईश्वर की ओर से मानते है ताकि नबूवत रबूबियत के साथ भ्रमित न हो।[१४]

इसी किताब मे सदूक़ एक किताब लिखने का वादा करते है जिसमें वह पैग़म्बर की ग़लती को साबित करेंगे है और इसे अस्वीकार करने वालों के विचारों को खारिज करेंगे।[१५] आप अपने शिक्षक इब्न वलीद से उद्धृत करते है कि ग़ुलुव का पहला वर्ग नबी की भूल को नकारना है।[१६]

समर्थकों के तर्क

जो लोग कहते हैं कि पैग़म्बर (स) से गलती हो सकती है, उन्होंने कुरआन और हदीसों का हवाला दिया है। फ़ज़्ल बिन हसन तबरेसी ने सूर ए अनाम की आयत न 68 पर अपनी तफसीर में कहा: शियो के अनुसार, पैगंबर और इमाम ईश्वर की ओर से जो कुछ भी कहते हैं उसे भूलते नहीं हैं और गलतियाँ नहीं करते हैं, लेकिन अन्य मामलों मे गलतियाँ करने की संभावना हैं। हालाकि यह मुद्दा इस हद तक है कि यह (ग़लती करना) उनके मानसिक विकार का कारण नहीं बनता है।[१७]

वह कहते हैं: जैसे हम स्वीकार करते हैं कि पैग़म्बर और इमाम सो सकते हैं या बेहोश हो सकते हैं, हमें यह भी मानना चाहिए कि उनके लिए ग़लतियाँ करना और भूल जाना संभव है; क्योंकि नींद और बेहोशी भूल के समान है।[१८]

शेख़ सदूक़ ने उन रिवायतो का भी हवाला दिया है जिनमें नमाज़ में पैगंबर (स) की गलती का उल्लेख किया गया है।[१९] इन रिवायतो का उल्लेख सुन्नी और शिया कथा स्रोतों में किया गया है।[२०] जाफर सुब्हानी अधिकतम बारह कथन जानते हैं।[२१] उनमें से एक हदीस है जिसे कुलैनी ने काफ़ी में इमाम सादिक (अ) से वर्णन किया है। इस हदीस के अनुसार, पैगंबर (स) ने ज़ोहर की नमाज़ की दूसरी रकअत में गलती से सलाम पढ़ा, और फिर जब मुसलमानों ने उन्हें याद दिलाया, तो उन्होंने अपनी नमाज़ पूरी की और दो सज्दा सहव किए।[२२]

विरोधी

शेख़ मुफ़ीद द्वारा लिखित किताब रेसालतुन फ़ी अदमे सहव अल नबी

जाफ़र सुब्हानी के अनुसार, अधिकांश शिया विद्वान नबी की भूल को स्वीकार नहीं करते हैं।[२३] उन्होंने नबी की भूल को खारिज करने में शेख मुफ़ीद, अल्लामा हिल्ली, मुह़क़्क़िक़ हिल्ली और शहीद अव्वल जैसे शिया विद्वानों के बयानों को उद्धृत किया है।[२४] और कहते हैं कि नबी की भूल का सिद्धांत शिया धर्म में स्वीकृत दृष्टिकोण नहीं है।[२५] वरिष्ठ शिया मुफस्सिर अल्लामा तबातबाई भी पैगंबर (स) की भूल को नबी की इस्मत के साथ असंगत मानते हैं।[२६]

नबी की भूल के विरोधियों ने विभिन्न विषयो जैसे न्यायशास्त्र मे भूल के विषय के अंतर्गत नमाज़ में और कलाम से संबंधित पैगबरो की अचूकता की चर्चा सहित नबी की भूल के पक्ष में लोगों के विचारों को चुनौती दी है। उन्होंने इस क्षेत्र में स्वतंत्र लेख लिखे हैं। उनमें से, "रेसालतुन फ़ी अदमे सहव अल नबी (स)" नामक एक पुस्तक है जिसका श्रेय शेख मुफ़ीद और सय्यद मुर्तज़ा दोनों को दिया जाता है; लेकिन बिहार उल-अनवार में अल्लामा मजलिसी ने इसका श्रेय शेख मुफ़ीद को देना अधिक उचित समझा है।[२७] इसके अलावा, "अल-तनबीह बिल मालूम मिन अल बुरहान अन तंज़ीह अल मासूम मिन अल सहवे वल निसयान" नामक पुस्तक जिसमें हुर्रे आमोली ने इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की है।[२८]

विरोधियों के तर्क

शेख़ मुफ़ीद के अनुसार, नबी की भूल में बयान की गई रिवायात ख़बर वाहिद हैं और इसलिए यह संदिग्ध हैं। परिणामस्वरूप, इनकी कोई शरई वैधता नहीं है।[२९] इसी प्रकार यह तर्क कि इस प्रकार की रिवायतो के पाठ एक दूसरे से अत्यधिक अलग है इसलिए इनकी वैधता पर भी आपत्ति जताई है।[३०]

अल्लामा हिल्ली ने कश्फ अल-मुराद में लिखा: यदि पैगंबर से गलती संभव है, तो यह नबूवत तक फैलने की संभावना रखती है।[३१] उन्होने अपनी फ़िक़्ही किताब, मुनतहा अल मतलब फ़ी तहक़ीक़ अल मज़हब जिसे उन्होंने तर्कपूर्ण न्यायशास्त्र (फ़िक्ह इस्तिदलाली) और तुलनात्मक न्यायशास्त्र (फ़िक़्ह मक़ारन) के रूप में लिखा, उन्होंने बौद्धिक रूप से नबी से भूल होना इसलिए असंभव है क्योकि वो नबी की भूल वाली रिवायतो को अमान्य (बातिल) मानते है।[३२] शहीद अव्वल ने भी इसी तर्क के साथ अपनी किताब ज़िकरा मे नबी की भूल वाली रिवायतो की आलोचना की है।[३३]

अल्लामा तबातबाई किताब अल मीज़ान मे पैगंबरो मे अचूकता की सच्चाई को एक प्रकार का ज्ञान और बुद्धि मानते है जो आम लोगों द्वारा समझा नहीं जा सकता है और यह अन्य विज्ञानों से अलग है, और यह पैगंबरो में किसी भी प्रकार की पूर्ण प्रतिरक्षा का कारण बनता है।[३४]

मोनोग्राफ़ी

नबी की भूल से संबंधित कुछ पुस्तकें निम्नलिखित हैं:

मुहम्मद बाक़िर मजलिसी ने भी बिहार उल अनवार मे पैग़म्बरे इस्लाम (स) के इतिहास का सोलहवां भाग सहव अल नबी को समर्पित किया है।[३६]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 291-292
  2. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 292
  3. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 292
  4. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 292
  5. देखेः सुबानी, अल इलाहीयात, 1412 हिजरी, पेज 191 सय्यद मुर्तज़ा, तनज़ीह अल अंबीया, 1380 शम्सी, पेज 34-41 सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 291
  6. देखेः अल्लामा हिल्ली, मुंतहा अल मतलब, 1412 हिजरी, भाग 7, पेज 78 शहीद अव्वल, ज़िकरा, 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 10
  7. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 302
  8. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 302
  9. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 305
  10. तबरेसी, मजमा अल बयान, 1372 शम्सी, भाग 4, पेज 490
  11. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 306
  12. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 302
  13. शेख सदूक़, मन ला यहज़ेरो अल फ़कीह, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 359
  14. शेख सदूक़, मन ला यहज़ेरो अल फ़कीह, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 360
  15. शेख सदूक़, मन ला यहज़ेरो अल फ़कीह, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 360
  16. शेख सदूक़, मन ला यहज़ेरो अल फ़कीह, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 360
  17. तबरेसी, मजमा अल बयान, 1372 शम्सी, भाग 4, पेज 490
  18. तबरेसी, मजमा अल बयान, 1372 शम्सी, भाग 4, पेज 490
  19. शेख सदूक़, मन ला यहज़ेरो अल फ़कीह, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 360
  20. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 304-305
  21. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 305
  22. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 3, पेज 355
  23. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 302
  24. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 304
  25. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 303
  26. तबातबाई, अल मीज़ान, भाग 14, पेज 297
  27. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 17, पेज 122
  28. इब्राहीमी राद, तहलील व बर रसी रिवायात सहव अल नबी (स), पेज 57
  29. शेख मुफ़ीद, अदम सहव अल नबी, पेज 21
  30. शेख मुफ़ीद, अदम सहव अल नबी, पेज 22
  31. अल्लामा हिल्ली, कश्फ अल मुराद, 1417 हिजरी, पेज 472
  32. अल्लामा हिल्ली, मुनतहा अल मतलब, 1412 हिजरी, भाग 7, पेज 78
  33. शहीद अव्वल, ज़िकरा, 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 10
  34. तबातबाई, अल मीज़ान, भाग 5, पेज 80
  35. सुब्हानी, इस्मत अल अंबीया, 1420 हिजरी, पेज 306
  36. देखेः मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 17, पेज 1-97-129


स्रोत

  • इब्राहीमी राद, मुहम्मद, तहलील व बर रसी रिवायात सहव अल नबी (स), उलूम हदीस, क्रमांक 52, 1388 शम्सी
  • सुब्हानी, जाफ़र, अल इलाहीयात, अला हुदा अल किताब वल सुन्नत वल अक़्ल, तदवीन हसन मुहम्मद मक्की आमोली, क़ुम, अल मरकज़ अल आलमीया लिल देरासात अल इस्लामीया, चौथा संस्करण, 1413 हिजरी
  • सुब्हानी, जाफर, इस्मत अल अंबीया फ़ी अल क़ुरआन अल करीम, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम सादिक़, दूसरा संस्करण 1420 हिजरी
  • सय्यद मुर्तज़ा, तंज़ीह अल अंबीया वल आइम्मा, शोधः फारस हसून करीम, क़ुम, बूस्तान किताब, 1422 हिजरी
  • शहीद अव्वल, मुहम्मद बिन आमोली मक्की, ज़िकरा अल शिया फ़ी अहकाम अल शरीया, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अ), पहाल संस्करण, 1419 हिजरी
  • शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, मन ला यहज़ेरो अल फ़क़ीह, क़ुम, दफ्तर इंतेशारात इस्लामी, दूसरा संस्करण, 1413 हिजरी
  • शेख मुफ़ीद, मुहम्मद, अदम सहव अल नबी, क़ुम, नाशिर अल मोतमिर अल आलमी लिश शेख अल मुफ़ीद, पहला संस्करण, 1413 हिजरी
  • अल्लामा हिल्ली, हसन बिन युसुफ़, कश्फ अल मुराद फ़ी शरह तजरीद अल ऐतेक़ाद, क़ुम, मोअस्सेसा इंतेशारात इस्लामी, सातवां संस्करण, 1417 हिजरी
  • अल्लामा हिल्ली, हसन बिन युसुफ़, मुनता अल मतलब फ़ी तहक़ीक़ अल मजहब, मशहद, मजमा अल बुहूस अल इस्लामीया, पहला संस्करण 1412 हिजरी
  • तबरेसी, फ़ज़्ल बिन हसन, मजमा अल बयान फ़ी तफ़सीर अल क़ुरआन, तेहरान, नासिर ख़ुसरु, 1372 शम्सी
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल काफ़ी, शोधः अली अकबर गफ़्फ़ारी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, चौथा संस्करण, 1407 हिजरी
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार उल अनवार अल जामेअ लेदुरर अखबार अल आइम्मा अल अत्हार, बैरुत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, दूसरा संस्करण, 1403 हिजरी