मफ़ातिहुल जिनान

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(मफ़ातिहुल-जेनान से अनुप्रेषित)
मफ़ातिहुल जिनान
लेखकशेख़ अब्बास कुम्मी
विषयदुआ और ज़ियारत
शैलीआख्यान
भाषाअरबी और फ़ारसी
पृष्ठ1 भाग
प्रकाशन का स्थानमशहद
प्रकाशन तिथिवर्ष 1344 हिजरी


मफ़ातिहुल जिनान (अरबीः مفاتیح الجنان), जिसका अर्थ है स्वर्ग की कुंजी, शेख़ अब्बास कुम्मी द्वारा संकलित शियों के बीच प्रार्थना (दुआ) की सबसे प्रसिद्ध पुस्तक है। यह पुस्तक पैगंबर (स), आइम्मा ए मासूमीन (अ) और कुछ जलील उल-क़द्र शिया विद्वानो से वर्णित विभिन्न प्रार्थनाओं, मुनाजातो, तीर्थयात्राओं (ज़ियारतो), वर्ष के विभिन्न महीनों और दिनों के विशेष कार्यो (मख़सूस आमाल) और इबादात पर आधारित होने के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक रीति-रिवाजों और रिवायतो का संग्रह है। लेखक ने इस पुस्तक के अधिकांश लेखों को पिछली पुस्तकों जैसे इक़्बाल उल-आमाल, ज़ाद उल-मआद और मिस्बाहे कफ़्अमी से लिया है।

मफ़ातिहुल जिनान पहली बार वर्ष 1344 हिजरी में मशहद में प्रकाशित होकर थोड़े समय में लोकप्रिय हो गई। यह क़ुरआन के साथ दुनिया भर में अहले-बैत (अ) के चाहने वाले शियों के घरों, मस्जिदों और पवित्र स्थानों में पाई जाती है और विशेष धार्मिक और धार्मिक अवसरों पर मुसतहब आमाल के लिए इसका उपयोग किया जाता है। फ़ारसी भाषा में मफ़ातिहुल जिनान का सबसे प्रसिद्ध अनुवाद महदी इलाही क़ुमशैई का अनुवाद है, जबकि उर्दू सहित दुनिया की लगभग सभी जीवित भाषाओं में इस पुस्तक का अनुवाद मौजूद हैं। मुहद्दिसे कुम्मी ने मफ़ातिह की शैली में अपनी पुस्तक बाक़ीयात उस-सालेहात भी लिखी और इसके साथ संलग्न किया, जिसे विभिन्न प्रकाशनों में मफ़ातिह के मार्जिन (हाशिये) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

दो किताब मफ़ातिह नवीन और मिन्हाज उल-हयात मफ़ातिहुल जिनान के लेखों के दस्तावेजीकरण (मुस्तनद साज़ी) और मफ़ातिह उल-हयात, मफ़ातिहुल जिनान के पूरक के उद्देश्य से लिखी गई हैं। इस पुस्तक के अलग-अलग सारांश अलग-अलग नामों से सामने आ चुके हैं।

लेखक

मुख़्य लेख: शेख़ अब्बास क़ुम्मी
मफ़ातिहुल जिनान के लेखन के 100वें वर्ष का स्मारक टिकट

शेख अब्बास क़ुम्मी का पूरा नाम अब्बास बिन मुहम्मद रज़ा क़ुम्मी (1294-1359 हिजरी) था। वह अपने समय के एक मुहद्दिस, इतिहासकार होने के साथ-साथ वक्ता (ख़तीब) भी थे। उन्होंने विभिन्न विषयों पर पुस्तकों का संकलन किया। मफ़ातिहुल जिनान, सफीना तुल-बिहार और मुन्तहल आमाल उनके सबसे प्रसिद्ध संकलन हैं। मुहद्दिसे कुम्मी ने 1359 हिजरी में अपने जीवन की अंतिम सांस नजफ़ में ली जिसके पश्चात उन्हे अमीरुल मोमिनीन (अ) के हरम (रौज़े) में दफ़नाया गया।[१] उनके बेटे के अनुसार, शेख़ अब्बास क़ुम्मी ने मफ़ातिहुल जिनान का पूरा संकलन वुज़ू और तहारत के साथ अंजाम दिया।[२]

संकलन का कारण

शेख़ अब्बास क़ुम्मी खुद इस संबंध में कहते हैं कि मैंने यह किताब मिफ़्ताह उल-जिनान को सुधारने के उद्देश्य से लिखी थी, जो उस समय की प्रार्थनाओं की सबसे लोकप्रिय किताब थी, लेकिन इसमें साक्ष्यो (सनद) के बिना दुआओ का उल्लेख किया गया था। कुछ विश्वासियों ने मुझसे मिफ्ताह उल-जिनान के साक्ष्य वाले दुआओं को अलग करने और उन्हें अन्य प्रामाणिक (मोतबर) दुआओं के साथ लिखने का अनुरोध किया।[३]

लेकिन इसके बावजूद शेख़ अब्बास क़ुम्मी ने मफ़ातिह मे भी दुआओ को उनके साक्ष्यो के साथ उल्लेख नही किया है बल्कि अपने स्रोतों का उल्लेख करने को पर्याप्त समझा है।[४] और मफ़ातिहुल जिनान में भी उन्होंने कुछ ऐसी दुआओं का उल्लेख किया है जो आइम्म ए मासूमीन (अ) से नही आई है बल्कि कुछ विद्वानों ने बयान किया है, जैसे कि दुआ ए अदीला[५]

संरचना और सूची

मफ़ातिहुल जिनान के आरम्भ मे क़ुरआन के कुछ सूरह सूचीबद्ध है, जिसके बाद पुस्तक विभिन्न भागो पर आधारित हैः

पहला भाग: दुआएँ

यह भाग नमाज़ के पश्चात पढ़ी जाने वाली दुआओ (ताक़ीबात) और सप्ताह के दिन और रात के आमाल पर आधारित है। इस भाग में मौजूद प्रसिद्ध नमाज़ो में जैसेः पैगंबर (स) की नमाज़, अमीरुल मोमिनीन (अ) की नमाज़, हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) और जाफ़रे तय्यार की नमाज़ उल्लेखनीय है। इसके अलावा, इस खंड में, सप्ताह के अलग-अलग दिन और रात की ज़ियारते, कुछ दुआएँ और मुनाजाते जैसे: इमामेे सज्जाद (अ) से वर्णित मुनाजाते ख़म्सता अशर, मस्जिदे कूफ़ा में अली (अ) की मुनाजात, दुआ ए सेमात, दुआ ए कुमैल, दुआ ए जोशने सग़ीर, दुआ ए जोशने कबीर और दुआ ए मकारिम उल-अख़लाक़ इत्यादि का उल्लेख हुआ है।

दूसरा भागः साल के आमाल

इस खंड में हिजरी वर्ष के विभिन्न अवसरों के मुस्तहब आमाल का वर्णन किया गया है। इस खंड मे रजब के महीने से लेकर जमादी उस-सानी तक के आमाल का विस्तार से वर्णन किया गया है और इस खंड की समाप्ति नौरौज़ और रोमन महीनों के आमाल के विवरण के साथ हुई है।

शाबान के महीने के आमाल में मुनाजाते शाबानीया, रमज़ान के महीने के आमाल मे दुआ ए अबू हमज़ा सुमाली, दुआ ए इफ़्तेताह, प्रसिद्ध दुआ ए सहर और लैलातुल क़द्र और ज़िलहिज्जा के आमाल के अंतर्गत इमाम हुसैन की दुआ ए अरफ़ा इस भाग के सूचीबद्ध सर्वप्रसिद्ध आमाल और दुआएँ हैं जिन्हें मफ़ातिह की सबसे प्रसिद्ध प्रार्थनाओं में गिना जाता है।

तीसरा भागः ज़ियारात

इस भाग के आरम्भ मे यात्रा और ज़ियारत के आदाब, पवित्र मज़ारो दरगाहो मे प्रवेश करने के लिए अनुमति का उल्लेख किया गया है।

इस भाग की पहली ज़ियारत पवित्र पैंगबर (स) की ज़ियारत है जिसके बाद हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) की ज़ियारत और उसके बाद सऊदी अरब के प्रसिद्ध क़ब्रिस्तान मे दफ़न आइम्मा (अ) की ज़ियारत उल्लेखित है।

आइम्मा ए मासूमीन (अ) की ज़ियारत के अलावा इस भाग इमाम ज़ादो और कुछ वरिष्ठ विद्वान और शिया विद्वानो के ज़ियारत नामे मे सम्मिलित है।

हज़रत हम्ज़ा, मुस्लिम बिन अक़ील, फातिमा बिन्ते असद, ओहोद की लड़ाई के शहीद, सलमाने फ़ारसी इत्यादि के ज़ियारत नामे, मस्जिदे कूफ़ा, मस्जिदे साअसाअ सहित कुछ प्रसिद्ध मस्जिदो के आमाल भी इस भाग मे शामिल है।

इस भाग का सबसे बड़ा भाग इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत से विशिष्ट किया गया है। इमाम हुसैन (अ) के सर्वप्रसिद्ध ज़ियारत नामे इसी भाग मे उल्लेखित है जैसेः ज़ियारते आशूरा, ज़ियारते अरबाईन और ज़ियारते वारेसा

शेख़ अब्बास क़ुम्मी ने दुआ ए नुदबा, दुआ ए अहद और ज़ियारते जामेआ ए कबीरा को इमामे ज़माना (अ.त.) की ज़ियारत वाला भाग मे बयान किया है। इमाम ज़माना (अ) की विभिन्न ज़ियारतो के बाद अम्बिया (अ) की ज़ियारत, हज़रत फ़ातेमा मासूमा (अ) की ज़ियारत और अब्दुल अज़ीम हसनी की ज़ियारत को लाया गया है। मफ़ातिह के इस भाग का अंतिम विषय जो मफ़ातिह के प्रारम्भिक संस्करण के अनुसार मफ़ातिह के अंतिम विषय मे शुमार होते है मोमेनीन की कब्रो की ज़ियारत और उससे संबंधित दुआओ से संबंध रखती है।

मफ़ातिहुल जिनान के अटैचमेंट

दूसरे प्रकाशन में लेखक ने मफ़ातिहुल जिनान के मुलहेक़ात नामक एक और अध्याय जोड़ा है, जिसमें लेखक ने आठ मतलब और जोड़े है, जिनका विवरण इस प्रकार है:

  1. पवित्र रमज़ान के महीने की दुआ और विदा
  2. ईद उल-फित्र के ख़ुत्बे
  3. ज़ियारते जामे आइम्मा ए मासूमीन (अ)
  4. ज़ियारत के पश्चात पढ़ी जाने वाली दुआ
  5. ज़ियारते विदा ए आइम्मा
  6. रुक्आ ए हाजत
  7. इमामे ज़माना (अ.त.) की ग़ैबत की दुआ
  8. नियाबती ज़ियारत (किसी दूसरे की ओर से की जाने वाली ज़ियारत) के आदाब

लेखक ने इस पुस्तक में और कुछ जोड़ने के डर से ऐसा करने वालों को अल्लाह, रसूल और आइम्मा के श्राप के योग्य बताया है।[६] लेकिन उनके ना चाहते हुए और उनकी बिना अनुमति के मफ़ातिह के प्रकाशको ने इस पुस्तक में दूसरा परिशिष्ट के शीर्षक में कुछ अन्य चीजो को बढ़ाया हैं। इन प्रकाशको ने अपने इस काम का कारण बताते हुए कहते हैं क्योकि लेखक ने मफ़ातिहुल जिनान में कुछ दुआएं के बड़े होने के कारण केवल उनके नाम या दुआ का कुछ हिस्से का उल्लेख किया है। हमने इन प्रार्थनाओं के शेष भागों को भी प्रकाशित किया हैं ताकि लोगों को इस पुस्तक को पढ़ते समय किसी अन्य पुस्तक की आवश्यकता न पड़े। इस संबंध में मफ़ातिह में इमामज़ादों के लिए कोई ज़ियारत नामा नहीं था, हमने उनके लिए यहां एक ज़ियारत नामा का भी उल्लेख किया है। इन्हीं परिशिष्टों में इमाम हुसैन (अ) की नमाज़ और इमाम मुहम्मद तक़ी (अ) की नमाज़ के बाद की दुआ और हदीसे किसी भी शामिल हैं।[७]

किताबे बाक़ीयातुस सालेहात

ताहिर अफ़शारी की लिखावट में मफ़ातिह में दुआ ए कुमैल

यह लेखक की एक अलग किताब है जिसे उन्होने मफ़ातिह के हाशिये मे प्रकाशित किया है। स्वंय लेखक के कथनानुसार मफ़ातिह के इस भाग का लेखन शुक्रवार को 19 मोहर्रम 1345 हिजरी को समाप्त हुआ। यह किताब मफ़ातिह के हाशिय के शीर्षक के नाम से 6 अध्याय और 1 परिशिष्ट पर आधारित है।

इस खंड की सामग्रीः

  • पहला अध्याय: दैनिक आमाल का सारांश, जिसमें दिन और रात के अलग-अलग समय के आमाल और दुआए के साथ-साथ नमाज़े शब के आदाब और तरीके शामिल हैं।
  • दूसरा अध्याय: इस अध्याय में नमाज़े हदिया ए मासूमीन (अ), नमाज़े लैलातुल-दफ़न (दफ़्न की पहली रात की नमाज़), हाजतो की नमाज़े, इस्तेग़ासा की नमाज़े, सप्ताह के दिनो की नमाजे, और कुछ अन्य मुस्तहब नमाज़ शामिल हैं। इसी अध्याय में लेखक ने इस्तिखारा के प्रकारों का भी वर्णन किया है।
  • तीसरा अध्याय: यह अध्याय विभिन्न रोगों, कठिनाइयों और समस्याओं से राहत के लिए विशिष्ट दुआएं और तावीज़ पर आधारित हैं।
  • चौथा अध्याय: यह अध्याय किताब अल-काफी की चुनी हुई दुआओ पर आधारित हैं और इस अध्याय की अधिकांश दुआएं विभिन्न समस्याओं और कठिनाइयों को दूर करने और सांसारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रभावी हैं।
  • पाँचवाँ अध्याय: इस अध्याय में कुछ छोटे अहराज़ और दुआ हैं जिका च्यान महजुद्दावात और मुजतानी से किया गया है। इस अध्याय में विपत्तियों से दूर रहने की दुआओ (अहराज़) के साथ-साथ कुछ मुनाजात और जीविका की प्रचुरता के लिए दुआएं शामिल हैं।
  • छठा अध्याय: कुछ सूरो और आयत के ख़ुसूसीयात, कुछ दुआओ और विविध विषय पर शामिल हैं। इस अध्याय में कुरान के कुछ सूरह और आयतों के गुणों का वर्णन किया गया है, जो दैनिक समस्याओं को हल करने और जरूरतों को पूरा करने में प्रभावी हैं। इस अध्याय में वांछित व्यक्तियों को सपने में देखने की प्रक्रिया, अध्ययन के तरीके, अक़ीक़े की दुआ और पवित्र कुरान से विभिन्न प्रकार के इस्तिखारा का वर्णन किया गया है।
  • निष्कर्ष: इस अध्याय में मय्यत के अहकाम को संक्षेप में समझाया गया है।

मफ़ातिहुल जिनान के स्रोत

कुछ स्रोत जो शेख अब्बास क़ुमी ने मफ़ातिहुल जिनान के संकलन में इस्तेमाल किए और इस किताब मे उनका उल्लेख किया है वह निम्मलिखित हैं:

  • इसबातुल होदात शेख हुर्रे आमोली द्वारा लिखित
  • अल-इहतेजाज अहमद बिन अली तबरसी द्वारा लिखित
  • अल-इख़्तियार इब्न बाक़ी द्वारा लिखित
  • अरबअतो अय्याम मीर दामाद द्वारा लिखित
  • अल-अज़्रिया, जिसे हायेह के नाम से जाना जाता है, शेख़ काज़िम अज़्रि द्वारा लिखित
  • आलाम उल-वरा शेख तबरसी द्वारा लिखित
  • अल-इक़बाल सैय्यद इब्न ताऊस द्वारा लिखित
  • आमाली शेख़ तूसी द्वारा लिखित
  • अल-अमान सय्यद बिन ताऊस द्वारा लिखित
  • बिहार उल-अनवार अल्लामा मजलिसी द्वारा संकलित
  • बलद उल-अमीन कफ़्अमी द्वारा संकलित

जिन अन्य स्रोतों का उल्लेख शेख अब्बास क़ुमी ने किताबे मफ़ातिह में किया है उनमे: तारीखे आलाम अराइ अब्बासी मिर्जा इस्कंदर बेग मुनशी द्वारा संकलित; तोहफ़ा तुज-ज़ायर अल्लामा मजलिसी द्वारा लिखित, तहज़ीब उल-अहकाम शेख तूसी; जामे उल-अख़बार (अज्ञात लेखक); जमाल उल-उस्बूअ सैय्यद इब्ने ताऊस द्वारा लिखित उल्लेखनीय है।[८]

प्रकाशन और प्रिंटिंग

शेख अब्बास कुमी ने वर्ष 1344 हिजरी में मफ़ातिहुल जिनान को संकलित करके इसे पहली बार मशहद में प्रकाशित किया।[९]

यह पुस्तक वर्तमान में विभिन्न प्रकाशकों द्वारा विभिन्न स्वरूपों, आकारों और मोटाई में प्रकाशित होती है। मफ़ातिहुल जिनान के मोटी और भारी होने के कारण इसे इधर-उधर ले जाना और यात्रा करना कठिन है, इसलिए विभिन्न प्रकाशक इसमें से आमाल और दुआओ का च्यन करके मुंतखब मफ़ातिहुल जिनान के नाम से प्रकाशित करते है।[१०]

यह पुस्तक विभिन्न अरब देशों में भी प्रकाशित होती है और ईरान में इसके प्रकाशन और प्रिंटिंग का काम जारी है।

अनुवाद

फ़ारसी भाषा मे मफ़ातिह का सबसे आम और प्रसिद्ध अनुवाद महदी इलाही क़ुम्शई का है। इसके अलावा सैयद हाशिम रसूली महल्लाती और हुसैन उस्ताद वली के अनुवाद भी प्रकाशित हुए हैं।

मफ़ातिह का अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया है और अंग्रेजी भाषा मे इस पुस्तक के कम से कम चार अनुवाद है।[११] फ्रेंच, तुर्की और स्पेनिश भाषाओ में भी अनुवाद उपलब्ध हैं।[१२]

उर्दू में मफ़ातिह के कई अनुवाद हैं, जिनमें से तीन ई-पुस्तकों के रूप में उपलब्ध हैं जिन्हें आसानी से वर्ड प्रारूप में इंटरनेट से डाउनलोड किया जा सकता है: • अनुवादः हाफ़िज सय्यद रियाज़ हुसैन नजफ़ी वर्ड फ़ाइल • अनुवादः नाज़िम अली खैराबादी • अनुवादः हैयते इल्मी मोअस्सेसा इमाम अल-मुंतज़र • मुहम्मद हुसैन नजफ़ी ने भी अक़्द उल-जुमआन के नाम से मफ़ातिहुल जिनान का उर्दू भाषा मे अनुवाद किया है।[१३]

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मफ़ातिहुल नवीन (मफ़ातिह जदीद) वास्तव मे मफ़ातिहुल जिनान का संशोधित संस्करण है जिसके लेखक मरजा ए तक़लीद आयतुल्लाह नासिर मकारिम शिराज़ी है और उन्होने ही इसे प्रकाशित किया है। इस पुस्तक के लेखक के अनुसार इस पुस्तक का असली उद्देश्य वर्तमान समय की मांगो को ध्यान मे रखना और कुछ आपत्तिजनक चीजो को हटाना है।[१४]

इस पुस्तक की भूमिका मे इसकी कुछ निम्मलिखित विशेषताओ का उल्लेख किया गया हैः

1- दुआ का महत्व और उसके स्वीकार एंवम अस्वीकार होने के कारण 2- दुआओ और ज़ियारतो के प्रत्येक खंड के आरम्भ मे एक भूमिका 3- दुआ और ज़ियारतो की सनदो को हाशिय मे वर्णित करना 4- कुछ समान आमाल को हटाना और बेहतरीन आमाल का च्यन करना 5- मतालिब को पुनः परिभाषित करना 6- कुछ कमजोर मतालिब को हटाना 7- दुआओ और ज़ियारतो के च्यन मे केवल उनकी संचरण (सनद) पर ध्यान आकर्षित करने के बजाए उनके विषयो पर ध्यान केंद्रति करना।[१५]

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यह पुस्तक मुहम्मद हादी युसूफी ग़रवी द्वारा लिखी गई है, जिसे अहले-बैत (अ) वर्ल्ड असेंबली द्वारा प्रकाशित किया गया है। यह पुस्तक मफ़ातिहुल जिनान में निहित दुआओ और ज़ियारतो के संचरण की पूरी श्रृंखला की जांच करती है।[१६]

इस पुस्तक की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:

1- मफ़ातिहुल जिनान की दुआओ और ज़ियारतो का प्रामाणिकता की छान-बीन और कुछ दुआओ और ज़ियारतो को हटाना या उनका प्रतिस्थापन। 2- दुआओ और ज़ियारतो के सटीक स्रोतों का उल्लेख 3- कुछ मामलों में ऐतिहासिक स्रोतों का हवाला देना।[१७]

मफ़ातिहुल हयात

विस्तृत लेखः मफ़ातिहुल हयात (किताब) मफ़ातिहुल हयात किताब आयतुल्लाह अब्दुल्लाह जवादी आमोली के संरक्षण में शोधकर्ताओं के एक समूह द्वारा संकलित है। आयतुल्लाह जावदी आमोली इस पुस्तक के संकलन के कारणों के बारे में कहते हैं: हमें दुआओं की यह किताब (मफ़ातिहुल जिनान) जोकि प्रत्येक के घर मे है, के साथ-साथ एक और किताब की भी आवश्यकता है जो लोगो को जीवन के शिष्टाचार और रीति-रिवाजो से अवगत करे। आप मफ़ातिहुल हयात को मफ़ातिहुल जिनान का दूसार खंड कहते हैं।[१८]

फ़ुटनोट

  1. तालेई, साल शुमारे हयात वा आसारे मुहद्दिसे क़ुमी, 1389 शम्सी, पेज 13-48
  2. क़ुमी, मफ़ातिहुल जिनान, 1388 शम्सी, पेज 28
  3. क़ुम्मी, मफ़ातिहुल जिनान, 1388 शम्सी, पेज 12
  4. क़ुम्मी, मफ़ातिहुल जिनान, 1388 शम्सी, पेज 12
  5. सुलतानी, इशारे बे पारेई अज़ मनाबे मफ़ातिहुल जिनान, 1389 शम्सी, पेज 481
  6. क़ुम्मी, मफ़ातिहुल जिनान, 1388 शम्सी, इब्तेदाए मुलहेक़ाते अव्वल, पेज 869
  7. क़ुम्मी, मफ़ातिहुल जिनान, 1376 शम्सी, पेज 985
  8. सुलतानी, इशारे बे पारेई अज़ मनाबे मफ़ातिहुल जिनान, 1389 शम्सी, पेज 459-472
  9. तालेई, साल शुमारे हयात वा आसारे मुहद्दिसे क़ुमी, 1389 शम्सी, पेज 31
  10. अज़ जुमले क़ुमी, मुनतखब मफ़ातिहुल जिनान, 1385 शम्सी, जिसमे कुरआनी सूरो के अलावा दैनिक ज़रूरत को ध्यान मे रखते हुए लगभग 40 दुआओ और ज़ियारतो का च्यन करके प्रकाशित किया है।
  11. किताब माहे दीन, क्रमांक 155
  12. किताब माहे दीन, क्रमांक 155
  13. फ़हरिस्ते आसारे मुहम्मद हुसैन नजफी, विकी शिया उर्दू
  14. मकारिम शिराज़ी, मफ़ातिह नवीन, 1390 शम्सी, पेज 16
  15. मकारिम शिराज़ी, मफ़ातिह नवीन, 1390 शम्सी, पेज 2
  16. मुसाहेबे बा आयतुल्लाह युसूफ़ी ग़रवी दरबारा ए किताबे मिन्हाजुल हयात
  17. मुसाहेबे बा आयतुल्लाह युसूफ़ी ग़रवी दरबारा ए किताबे मिन्हाजुल हयात
  18. किताबे मफ़ातिहुल हयात को मफ़ातिहुल जिनान का दूसरा खंड मानना चाहिए

स्रोत

  • सुलतानी, मुहम्मद अली, इशारे बे पारेई अज़ मनाबे मफ़ातिहुल जिनान, दर मक़ालाते कुंगरे बुजुर्ग दाश्त मुहद्दिसे क़ुमी, क़ुम, नश्रे नूरे मुताफ़, पहला प्रकाशन, 1389 शम्सी
  • तालेई, अब्दुल हुसैन, साल शुमारे हयात वा आसारे मुहद्दिसे क़ुमी, दर मक़ालाते कुंगरे बुजुर्ग दाश्त मुहद्दिसे क़ुमी, क़ुम, नश्रे नूरे मुताफ़, पहला प्रकाशन, 1389 शम्सी
  • क़ुमी, अब्बास, मफ़ातिहुल जिनान, अनुवाद हुसैन अंसारीयान, क़ुम, दार उल इरफ़ान, 1388 शम्सी
  • क़ुमी, अब्बास, मफ़ातिहुल जिनान, अनुवाद मूसवी दामग़ानी, क़ुम, नश्रे सिद्दीका, पहला प्रकाशन, 1376 शम्सी
  • क़ुमी, अब्बास, मुनतखब मफ़ातिहुल जिनान, तेहरान, नश्रे मुबल्लेग़ान, 1385 शम्सी
  • मकारिम शिराज़ी, नासिर, मफ़ातिह नवीन, इंतेशाराते इमाम अली इब्ने अबी तालिब (अ), पहला प्रकाशन, 1390 शम्सी
  • पायगाह इत्तेला रसानी आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी, मोअर्रफ़ी किताबे मफ़ातिह नवीन, विजिट 19 बहमन 1395 शम्सी
  • मुसाहेबा बा आयतुल्लाह युसूफ़ ग़रवी दरबारा ए किताब मिनहाजुल हयात फिल अदया वल ज़ियारात, पाएगाहे मकतबे मुफ़ीद, तारीखे बार गुजारी, 25 ख़ुरदाद 1395 शम्सी, विजिट 19 बहमन 1395 शम्सी
  • मुसाहेबा बा आयतुल्लाह उस्तादी दरबारा ए मफ़ातिहुल हयात, किताबे मफ़ातिहुल हयात रा बायद जिल्दे दोव्वुम मफ़ातिहुल जिनान बेदानीम, पाएगाहे इंटरनेटी इस्रा, तारीखे इंतेशार 24 उर्दीबहिश्त 1391 शम्सी, विटिज 25 बहमन 1395 शम्सी