21 रमज़ान

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(इमाम अली (अ) की शहादत से अनुप्रेषित)
5. शाबान 6. रमज़ान 7. शव्वाल
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हिजरी कालक्रम

21 रमज़ान पारंपरिक हिजरी चंद्र कैलेंडर में वर्ष का 257वाँ दिन है। इस दिन की सबसे महत्वपूर्ण घटना अमीर अल मोमिनीन इमाम अली बिन अबी तालिब (अ) की शहादत है।



इस दिन के लिए रमज़ान के सभी दिनों के साझा आमाल के अलावा कुछ विशेष दुआएँ और आमाल भी बयान हुए है:

रमज़ान के इक्कीसवें दिन के विशेष आमाल और दुआ
इक्कीसवीं रात
  • दुआ का पढ़ना

يَا مُولِجَ اللَّيْلِ فِي النَّهَارِ وَ مُولِجَ النَّهَارِ فِي اللَّيْلِ وَ مُخْرِجَ الْحَيِّ مِنَ الْمَيِّتِ وَ مُخْرِجَ الْمَيِّتِ مِنَ الْحَيِّ يَا رَازِقَ مَنْ يَشَاءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ يَا اللَّهُ يَا رَحْمَانُ يَا اللَّهُ يَا رَحِيمُ يَا اللَّهُ يَا اللَّهُ يَا اللَّهُ لَكَ الْأَسْمَاءُ الْحُسْنَى وَ الْأَمْثَالُ الْعُلْيَا وَ الْكِبْرِيَاءُ وَ الْآلاءُ أَسْأَلُكَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ وَ أَنْ تَجْعَلَ اسْمِي فِي هَذِهِ اللَّيْلَةِ فِي السُّعَدَاءِ وَ رُوحِي مَعَ الشُّهَدَاءِ وَ إِحْسَانِي فِي عِلِّيِّينَ وَ إِسَاءَتِي مَغْفُورَةً وَ أَنْ تَهَبَ لِي يَقِينا تُبَاشِرُ بِهِ قَلْبِي وَ إِيمَانا يُذْهِبُ الشَّكَّ عَنِّي وَ تُرْضِيَنِي بِمَا قَسَمْتَ لِي وَ آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَ فِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَ قِنَا عَذَابَ النَّارِ الْحَرِيقِ وَ ارْزُقْنِي فِيهَا ذِكْرَكَ وَ شُكْرَكَ وَ الرَّغْبَةَ إِلَيْكَ وَ الْإِنَابَةَ وَ التَّوْفِيقَ لِمَا وَفَّقْتَ لَهُ مُحَمَّدا وَ آلَ مُحَمَّدٍ عَلَيْهِ وَ عَلَيْهِمُ السَّلامُ.

या मूलेजल लैले फ़िन नहारे व मूलेजन नहारे फ़िल लैले व मुख़रेजल हय्ये मिनल मय्यते व मुख़रेजल मय्यते मिनल हय्ये या राज़ेक़ा मय यशाओ बेग़ैरे हिसाब, या अल्लाहो या रहमानो या अल्लाहो या रहीमो या अल्लाह या अल्लाहो या अल्लाहो लकल अस्मा अल हुसना वल अमसाल अल उलया वल किबरीयाओ वल आलाओ अस्अलोका अन तोसल्लेया अला मुहम्मदिव वआले मुहम्मदन वअन तज्अला इस्मी फ़ी हाज़ेहिल लैलते फ़िस सोआदाए व रूही मअश शोहादाए व एहसानी फ़ी इल्लीयीना व इसाअती मग़फ़ूरतन व अन तहाबा ल यक़ीनन तोबाशेरो बेहि क़ल्बी वा ईमानन युज़्हेबुश शक्का अन्नी वा तुरज़ेयनी बेमा क़समता ली व आतेना फ़िद दुनिया हसनतव वफ़िल आख़ेरते हसनतन वक़ेना अज़ाबन नारिल हरीक़े वरज़ुक़्नी फ़ीहा ज़िक्रका व शुकरका वर रग़बता इलैका वल एनाबता वत तौफ़ीक़ा लेमा वफ़्फ़क़ता लहू मुहम्मदन वा आले मुहम्मदिन अलैहे व अलैहेमुस सलामो

अनुवादः हे रात और दिन को लाने वाले, और दिन और रात को लाने वाले, और जीवित को मरे हुओं में से निकालने वाले, और मुर्दों को जीवित में से निकालने वाले, हे जिसे चाहे असीमित जीविका देने वाले, हे परमात्मा, हे दयालु, हे प्रभु, हे प्रभु, हे दयालु। हे परमात्मा, हे परमात्मा, हे परमात्मा, इन बेहतर नामों पर, और सबसे अच्छे और महान उदाहरणों और आशीर्वादों पर, मैं तुझसे मुहम्मद और मुहम्मद के परिवार पर सलवात भेजने के लिए कहता हूं, और इस रात में मेरा नाम प्रतिष्ठित लोगों में और मेरी आत्मा शहीदों में क़रार दे, और मेरे अच्छे कर्मों को स्वर्ग के सर्वोच्च स्थान पर ऱख, और मेरे बुरे कर्मों को क्षमा कर दे, और मुझे विश्वास दे कि मेरा दिल इसके साथ रहे, और मेरे ईमान से दोई को दूर कर दे, और जो कुछ तूने मुझे दिया है, उससे मुझे प्रसन्न कर देगा, और हमें इस संसार और परलोक में शांति प्रदान करेगा। मुझे एक अच्छा इनाम दे, और मुझे जलती हुई आग से बचा, और इस रात मे तेरे ज़िक्र, शुक्र, और तेरी ओर रग़बत तथा तौबा की तौफ़ीक प्रदान कर जिस से तूने मुहम्मद और मुहम्मद के परिवार को सफल बनाया।

नमाज़ आठ रक्अत नमाज़ (दो रक्अती चार नमाज) कोई भी सूरा पढ़े
इक्कीसवें दिन की दुआ

(हे परमात्मा ! मेरे लिए इसमे अपनी इच्छा की ओर मार्गदर्शन करार दे)

(और मुझ पर शैतान के लिए मार्ग ना बना)

(और स्वर्ग को मेरे लिए मक़ाम और मंज़िल करार दे)

(हे मांगने वालो की हाजतो को पूरा करने वाले)

शबे-क़द्र के आमाल
मुश्तरक आमाल
  • ग़ुस्ल
  • दो रक्अत नमाज़, प्रत्येक रक्अत मे सूर ए हम्द के बाद सात बार सूर ए तौहीद पढ़ा जाए और नमाज़ पढ़ने वाला नमाज़ तमाम करने के बाद 70 बार अस्तग़फेरुल्लाहो व अतूबो इलैह कहे।
  • इस रात मे जाग कर इबादत करना
  • सौ रक्अत नमाज़ (हर दो रक्अत एक सलाम के साथ)
  • «اَللهمَّ اِنّی اَمسیتُ لَکَ عَبداً...» अल्लाहुम्मा इन्नी अमसयतो लका अब्दन... दुआ का पढ़ना
  • दुआ ए जोशन कबीर का पढ़ना
  • इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत
  • सर पर क़ुरआन रखना और अल्लाह को चौदह मासूमो की कसम देना
उन्नीसवीं रात
  • اَستَغفِرُاللهَ رَبّی و اَتوبُ اِلیهِ अस्तग़फ़ेरुल्लाहा रब्बी व अतूबो इलैह 100 बार पढ़ना
  • اَلّلهُمَّ العَن قَتَلَةَ اَمیرِالمُؤمِنینَ अल्लाहुम्मा अलअन क़तलता अमीरिल मोमेनीन 100 बार पढ़ना
  • اَللّهُمَّ اْجْعَلْ فیما تَقْضی وَتُقَدِّرُ مِنَ الاَْمْرِ الْمَحْتُومِ… अल्लाहुम्मा इज्अल फ़ीमा तक़ज़ी व तोक़द्देरो मिनल अमरिल महतूमे ... दुआ का पढ़ना
इक्कीसवीं रात
  • रमज़ान के महीने की अंतिम दस दिनो की विशेष दुआओ का पढ़ना
  • یا مُولِجَ اللَّیلِ فِی النَّهارِ... या मूलेजल लैले फ़िन नहार ... दुआ का पढ़ना
तेइस्वीं रात
  • रमज़ान के महीने की अंतिम दस दिनो की विशेष दुआओ का पढ़ना
  • सूर ए अंकबूत, सूर ए रूम और सूर ए दुख़ान का पढ़ना
  • 1000 बार सूर ए क़द्र का पढ़ना
  • जोशन कबीर, मकारिम अल अख़लाक़ और दुआ ए इफ़्तेताह का पढ़ना
  • रात्रि के प्रारम्भिक और अंतिम हिस्से मे ग़ुस्ल करना
  • اَللَّهُمَّ امْدُدْ لِی فِی عُمُرِی وَ أَوْسِعْ لِی فِی رِزْقِی... अल्लाहुम्मा उमदुद ली फ़ी उमरी व औसेअ ली फ़ी रिज़्क़ी ... दुआ का पढ़ना
  • اَللَّهُمَّ اجْعَلْ فِیمَا تَقْضِی وَ فِیمَا تُقَدِّرُ مِنَ الْأَمْرِ الْمَحْتُومِ... अल्लाहुम्मा इज्अल फ़ीमा तक़्ज़ी व फ़ीमा तोक़द्देरो मिनल अमरिल महतूमे ... का पढ़ना
  • یا بَاطِنا فِی ظُهُورِهِ وَ یا ظَاهِرا فِی بُطُونِهِ ... या बातेना फ़ी ज़ोहूरेही वा या ज़ाहेरन फ़ी बोतूनेही ... दुआ का पढ़ना
  • इमाम ज़माना (अ) की सलामती की दुआ का पढ़ना
रमज़ान के अंतिम दस दिनो के आमाल और दुआएँ
हर रात की दुआ
  • इस दुआ का पढ़ना

يأَعُوذُ بِجَلالِ وَجْهِكَ الْكَرِيمِ أَنْ يَنْقَضِيَ عَنِّي شَهْرُ رَمَضَانَ أَوْ يَطْلُعَ الْفَجْرُ مِنْ لَيْلَتِي هَذِهِ وَ لَكَ قِبَلِي ذَنْبٌ أَوْ تَبِعَةٌ تُعَذِّبُنِي عَلَيْهِ.

अऊज़ो बेजलाले वज्हेकल करीमे अन यंक़ज़ेया अन्नी शहरो रमज़ाना औ यतलोअल फ़ज्रो मिन लैलती हाज़ेही वलका क़ेबली ज़मबुन औ तबअतुन तोअज़्ज़ेबोनी अलैह

अनुवादः गुजरे हुए रमज़ान के महीने से, या इस रात की सुबह से जिसमे मुझसे कोई पाप हुआ हो या किसी कार्य का परिणाम हो जिसके लिए तू मुझे दंडित करेंगा, मैं तेरी कृपा की महानता का आश्रय चाहता हूं।

  • इस दुआ का पढ़ना

اللَّهُمَّ إِنَّكَ قُلْتَ فِي كِتَابِكَ الْمُنْزَلِ شَهْرُ رَمَضَانَ الَّذِي أُنْزِلَ فِيهِ الْقُرْءَانُ هُدًى لِلنَّاسِ وَ بَيِّنَاتٍ مِنَ الْهُدَى وَ الْفُرْقَانِ فَعَظَّمْتَ حُرْمَةَ شَهْرِ رَمَضَانَ بِمَا أَنْزَلْتَ فِيهِ مِنَ الْقُرْآنِ وَ خَصَصْتَهُ بِلَيْلَةِ الْقَدْرِ وَ جَعَلْتَهَا خَيْراً مِنْ أَلْفِ شَهْرٍ اللَّهُمَّ وَ هَذِهِ أَيَّامُ شَهْرِ رَمَضَانَ قَدِ انْقَضَتْ وَ لَيَالِيهِ قَدْ تَصَرَّمَتْ وَ قَدْ صِرْتُ يَا إِلَهِي مِنْهُ إِلَى مَا أَنْتَ أَعْلَمُ بِهِ مِنِّي وَ أَحْصَى لِعَدَدِهِ مِنَ الْخَلْقِ أَجْمَعِينَ فَأَسْأَلُكَ بِمَا سَأَلَكَ بِهِ مَلائِكَتُكَ الْمُقَرَّبُونَ وَ أَنْبِيَاؤُكَ الْمُرْسَلُونَ،

अल्लाहुम्मा इन्नका क़ुलता फ़ी किताबेकल मुंज़ले शहरो रमज़ान अल लज़ी उंज़ेला फ़ीहिल क़ुरआनो हुदन लिन्नासे व बय्येनातिन मिनल हुदा वल फ़ुरक़ाने फ़अज़्ज़मता हुर्मता शहरे रमज़ाना बेमा अंज़लता फ़ीहे मिनल क़ुरआने व ख़सस्तहू बेलैलातिल क़द्रे व जअलतहा खैरम मिन अल्फ़े शहर अल्लाहुम्मा वा हाज़ेही अय्यामो शहरे रमज़ाना क़दिन क़ज़त वलयालीहे कद तसर्रमत व वकद सिरतो या इलाही मिन्हो एला मा अंता आलमो बेहि मिन्नी व आहसा लेअददेही मिनल ख़ल्क़े अजमाईना फ़अस्अलोका बेमा सालका बेहि मलाएकतल मक़र्रबूना व अम्बियाओकल मुरसलूना,

अनुवादः हे परमात्मा, तूने अपनी अवतरित पुस्तक में कहा: रमज़ान का महीना, वह महीना जिसमें क़ुरआन को लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए नाजिल किया और इस महीने में क़ुरआन को नाजिल करके मार्गदर्शन और झूठ से सच्चाई को शुद्ध करने के स्पष्ट कारण हैं। तूने इसकी पवित्रता को महान माना, और क़द्र की रात अपने लिए आरक्षित है, वह रात जिसे तूने हज़ार महीनों से बेहतर बनाया है। या अल्लाह, रमज़ान के ये दिन बीत गए, और इसकी रातें खो गईं। मैं इस महीने से ऐसा व्यक्ति बन गया हूं कि तू इसे मुझसे बेहतर जानता हैं, और इसकी संख्या तेरी सभी रचनाओं से अधिक है, इसलिए तेरे निकट फ़रिश्तों और दूतों ने जो कुछ तुझे भेजा है उसके अनुसार मैं तूझ से पूछ रहा हूं,

وَ عِبَادُكَ الصَّالِحُونَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ وَ أَنْ تَفُكَّ رَقَبَتِي مِنَ النَّارِ وَ تُدْخِلَنِي الْجَنَّةَ بِرَحْمَتِكَ وَ أَنْ تَتَفَضَّلَ عَلَيَّ بِعَفْوِكَ وَ كَرَمِكَ وَ تَتَقَبَّلَ تَقَرُّبِي وَ تَسْتَجِيبَ دُعَائِي وَ تَمُنَّ عَلَيَّ [إِلَيَ ] بِالْأَمْنِ يَوْمَ الْخَوْفِ مِنْ كُلِّ هَوْلٍ أَعْدَدْتَهُ لِيَوْمِ الْقِيَامَةِ إِلَهِي وَ أَعُوذُ بِوَجْهِكَ الْكَرِيمِ وَ بِجَلالِكَ الْعَظِيمِ أَنْ يَنْقَضِيَ أَيَّامُ شَهْرِ رَمَضَانَ وَ لَيَالِيهِ وَ لَكَ قِبَلِي تَبِعَةٌ أَوْ ذَنْبٌ تُؤَاخِذُنِي بِهِ أَوْ خَطِيئَةٌ تُرِيدُ أَنْ تَقْتَصَّهَا مِنِّي لَمْ تَغْفِرْهَا لِي سَيِّدِي سَيِّدِي سَيِّدِي أَسْأَلُكَ يَا لا إِلَهَ إِلا أَنْتَ إِذْ لا إِلَهَ إِلا أَنْتَ،

व एबादेकस सालेहूना अन तोसल्लेया अला मुहम्मदिव वआले मुहम्मदिव वा अन तफ़क्का रक़बती मिनन नारे वा तुदख़ेलनिल जन्नता बेरहमतेका वअन तताफ़ज़्ज़ला अलय्या याअफ़ूका व करामेका व तताक़ब्बला तक़र्रोबी व तस्तजीबा दोआई व समनुन अलय्या बिल अम्ने यौमल ख़ौफ़े मिन कुल्ले हौलिन आददतहू लेयौमिल क़यामते इलाही व आऊज़ो बेवज़्हेकल करीमे वबे जलालेकल अज़ीमे अन यंक़ज़ेया अय्यामो शहरे रमज़ाना वलयालीहे वलका क़ेबली तबेअता ओ ज़ंबिन तोआख़िज़नी बेहि औ ख़तीअता तोरीदो अन तकतस्सेहा मिन्नी लम तग़फ़िरहा ली सय्यदी सय्यदी सय्यदी अस्अलोका या ला एलाहा इल्ला अन्ता इज़ ला एलाहा इल्ला अंता

अनुवादः और तेरे योग्य सेवक, कि तू मुहम्मद और मुहम्मद के परिवार पर सलवात भेज, और मेरे अस्तित्व को आग से मुक्त कर, और अपनी दया से मुझे स्वर्ग में प्रवेश करा, और अपनी क्षमा और कृपा से मुझ पर कृपा कर, और मेरे अनुरोध को निकटता के लिए स्वीकार कर, और मेरी दुआए मुझे उत्तर देती हैं, और मुझे आतंक के दिन से बचा, मुझे किसी भी भय से न रोक जो तूने मेरे पुनरुत्थान के लिए तैयार किया है, हे परमात्मा, मैं तेरे उदार स्वभाव और तेरी महान महिमा की शरण लेता हूं और मैं तुमसे उस काम या पाप का नतीजा माँगता हूँ जिसका तू मुझ पर आरोप लगाता है, या कोई गलती जिसका तू मुझसे बदला लेना चाहता है, और तूने उनके लिए मुझे माफ नहीं किया, हे मेरे प्रभु, हे मेरे प्रभु, हे मेरे प्रभु, मैं आपसे पूछता हूं कि कोई एलाह नहीं है, लेकिन तेरे अलावा कोई एलाह नही है।

إِنْ كُنْتَ رَضِيتَ عَنِّي فِي هَذَا الشَّهْرِ فَازْدَدْ عَنِّي رِضًا وَ إِنْ لَمْ تَكُنْ رَضِيتَ عَنِّي فَمِنَ الْآنَ فَارْضَ عَنِّي يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ يَا اللَّهُ يَا أَحَدُ يَا صَمَدُ يَا مَنْ لَمْ يَلِدْ وَ لَمْ يُولَدْ وَ لَمْ يَكُنْ لَهُ كُفُوا أَحَدٌ

इन कुंता रज़ीता अन्नी फ़ी हाज़श शहरे फ़ज़्दद अन्नी रेज़न व इन लम तकुन रज़ीता अन्नी फ़मेनल आना फ़रज़ा अन्नी या अरहमर राहेमीना या अल्लाहो या अहदो या समदो या मन लम यलिद वलम यूलद वलम यकुन लहू कोफ़ोवन अहद

अनुवादः यदि तू इस महीने में मुझसे प्रसन्न हुआ हैं, तो मेरे साथ अपनी प्रसन्नता बढ़ा, और यदि तू मुझसे प्रसन्न नहीं हुआ हैं, तो कृपया अब मुझ से प्रसन्न हों, हे परम दयालु, हे भगवान, हे एक, हे बिनियाज़, हे वह जिसे किसी ने नही जना और नही उसने किसी को जना। और उसके तुल्य कोई न हुआ।

हर नमाज़ के बाद दुआ اللَّهُمَّ أَدِّ عَنَّا حَقَّ مَا مَضَى مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ وَ اغْفِرْ لَنَا تَقْصِيرَنَا فِيهِ وَ تَسَلَّمْهُ مِنَّا مَقْبُولا وَ لا تُؤَاخِذْنَا بِإِسْرَافِنَا عَلَى أَنْفُسِنَا وَ اجْعَلْنَا مِنَ الْمَرْحُومِينَ وَ لا تَجْعَلْنَا مِنَ الْمَحْرُومِينَ.

अल्लाहुम्मा अद्दे अन्नन्न हक़्क़ा मा मज़ेया मिन शहरे रमज़ाना व इग़फ़िर लना तक़सीरना फ़ीहे व तसल्लेमहू मिन्ना मक़बूला वला तोआख़िज़ना बेइसराफ़ेना अला अंफ़ोसेना वजअलना मिनल मरहूमीना वला तजअलना मिन महरूमीना

अनुवादः हे अल्लाह, हमें रमज़ान के महीने से जो कुछ बीत चुका है उसका हक़ दे, और इस महीने में इबादत की कमी को माफ कर दे, और रमज़ान के महीने को हमसे स्वीकार कर, और हम पर अपने खिलाफ अत्यधिक कार्यों का आरोप न लग, और हमे मरहूमीन मे से क़रार दे लेकिन महरूमीन से क़रार न दे।

सय्यद इब्ने ताऊस ने इक़बाल अल आमाल नामक किताब मे इस दिन के लिए और अधिक दुआएं नकल की है।