27 रमज़ान

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हिजरी कालक्रम

27 रमज़ान पारंपरिक हिजरी चंद्र कैलेंडर में वर्ष का 263वाँ दिन है।


अल्लामा तबातबाई के अनुसार, सुन्नियों के बीच यह सर्वविदित है कि शबे-क़द्र रमज़ान की 27वीं रात है।[१]


इस दिन के लिए रमज़ान के सभी दिनों के साझा आमाल के अलावा कुछ विशेष दुआएँ और आमाल भी बयान हुए है:

रमज़ान के सत्ताइस्वें दिन के विशेष आमाल और दुआ
सत्ताइस्वीं रात
  • ग़ुस्ल
  • बार बार इस दुआ का पढ़नाः

اللَّهُمَّ ارْزُقْنِي التَّجَافِيَ عَنْ دَارِ الْغُرُورِ وَ الْإِنَابَةَ إِلَى دَارِ الْخُلُودِ وَ الاسْتِعْدَادَ لِلْمَوْتِ قَبْلَ حُلُولِ الْفَوْتِ. अल्लाहुम्मर ज़ुक़्नित तजाफ़ेया अन दारिल ग़ोरूरे वल इनाबता इला दारिल ख़ोलूदे वल इस्तेअदाद लिलमौते क़ब्ला होलूलिल फ़ौते

अनुवादः ऐ अल्लाह, मुझे धोखे के घर (संसार) से दूर कर दे और उसमें आसक्त न हो, और शाश्वत घर में लौट आऊं और मौत आने से पहले उसके लिए तैयारी कर लूं।

  • दुआ का पढ़ना

يَا مَادَّ الظِّلِّ وَ لَوْ شِئْتَ لَجَعَلْتَهُ سَاكِنا وَ جَعَلْتَ الشَّمْسَ عَلَيْهِ دَلِيلا ثُمَّ قَبَضْتَهُ [إِلَيْكَ ] قَبْضا يَسِيراً يَا ذَا الْجُودِ وَ الطَّوْلِ وَ الْكِبْرِيَاءِ وَ الْآلاءِ لا إِلَهَ إِلا أَنْتَ عَالِمُ الْغَيْبِ وَ الشَّهَادَةِ الرَّحْمَنُ الرَّحِيمُ لا إِلَهَ إِلا أَنْتَ يَا قُدُّوسُ يَا سَلامُ يَا مُؤْمِنُ يَا مُهَيْمِنُ يَا عَزِيزُ يَا جَبَّارُ يَا مُتَكَبِّرُ يَا اللَّهُ يَا خَالِقُ يَا بَارِئُ يَا مُصَوِّرُ يَا اللَّهُ يَا اللَّهُ يَا اللَّهُ لَكَ الْأَسْمَاءُ الْحُسْنَى وَ الْأَمْثَالُ الْعُلْيَا وَ الْكِبْرِيَاءُ وَ الْآلاءُ أَسْأَلُكَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ، وَ أَنْ تَجْعَلَ اسْمِي فِي هَذِهِ اللَّيْلَةِ فِي السُّعَدَاءِ وَ رُوحِي مَعَ الشُّهَدَاءِ وَ إِحْسَانِي فِي عِلِّيِّينَ وَ إِسَاءَتِي مَغْفُورَةً وَ أَنْ تَهَبَ لِي يَقِينا تُبَاشِرُ بِهِ قَلْبِي وَ إِيمَانا يُذْهِبُ الشَّكَّ عَنِّي وَ تُرْضِيَنِي بِمَا قَسَمْتَ لِي وَ آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَ فِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَ قِنَا عَذَابَ النَّارِ الْحَرِيقِ وَ ارْزُقْنِي فِيهَا ذِكْرَكَ وَ شُكْرَكَ وَ الرَّغْبَةَ إِلَيْكَ وَ الْإِنَابَةَ وَ التَّوْبَةَ وَ التَّوْفِيقَ لِمَا وَفَّقْتَ لَهُ مُحَمَّدا وَ آلَ مُحَمَّدٍ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَ عَلَيْهِمْ.

या माद्दज़्ज़िल्ले वलौ शेता लाजअलतहू साकेनन व जअलतश्शम्सा अलैहे दलीला सुम्मा क़बज़्तहू (इलैका) क़ब्ज़ा यसीरा या ज़ल जूदे वततौले वल किब्रियाए वल आलाए ला इलाहा इल्ला अन्ता आलेमुल ग़ैयबे वश शहादतिर रहमानुर रहीमो ला इलाहा इल्ला अन्ता या क़ुद्दूसो या सलामो या मोमेनो या मुहैयमेनो या अज़ीज़ो या जब्बारो या मुताकब्बेरो या अल्लाहो या ख़ालेक़ो या बारेओ या मुसव्वेरो या अल्लाहो या अल्लाहो या अल्लाहो लकल अस्मा अल हुसना वल अमसाल अल उलया वल किबरीयाओ वल आलाओ अस्अलोका अन तोसल्लेया अला मुहम्मदिव वआले मुहम्मदन वअन तज्अला इस्मी फ़ी हाज़ेहिल लैलते फ़िस सोआदाए व रूही मअश शोहादाए व एहसानी फ़ी इल्लीयीना व इसाअती मग़फ़ूरतन व अन तहाबा ल यक़ीनन तोबाशेरो बेहि क़ल्बी वा ईमानन युज़्हेबुश शक्का अन्नी वा तुरज़ेयनी बेमा क़समता ली व आतेना फ़िद दुनिया हसनतव वफ़िल आख़ेरते हसनतन वक़ेना अज़ाबन नारिल हरीक़े वरज़ुक़्नी फ़ीहा ज़िक्रका व शुकरका वर रग़बता इलैका वल एनाबता वत तौफ़ीक़ा लेमा वफ़्फ़क़ता लहू मुहम्मदन वा आले मुहम्मदिन अलैहे व अलैहेमुस सलामो

अनुवादः हे छाया के विस्तारक, और यदि तू चाहे, तो तू इसे गतिहीन बना दे, और तूने मार्गदर्शक के रूप में उस पर सूर्य को रखा, फिर तूने इसे इकट्ठा किया, इकट्ठा करना आसान है, हे धन और उपहार, महानता और आशीर्वाद के स्वामी, तेरे अलावा कोई भगवान नही है, हे अदृश्य और प्रकट के ज्ञाता। दयालु, कृपालु, तेरे अलावा कोई भगवान नहीं है, हे पवित्र, हे शांतिदूत, हे सुरक्षा के दाता, हे शक्तिमान, हे गौरवशाली, हे शानदार, हे भगवान, हे निर्माता, हे उत्पत्तिकर्ता, हे बनाने वाले, हे ईश्वर, हे प्रभु, हे परमात्मा, सर्वोत्तम नाम, और सर्वोत्तम उदाहरण, महानता और आशीर्वाद तेरे हैं। मैं तुझसे मुहम्मद और मुहम्मद के परिवार पर सलवात भेजने का आग्रह करता हूं। और इस रात में मेरा नाम प्रतिष्ठित लोगों में और मेरी आत्मा शहीदों में क़रार दे, और मेरे अच्छे कर्मों को स्वर्ग के सर्वोच्च स्थान पर ऱख, और मेरे बुरे कर्मों को क्षमा कर दे, और मुझे विश्वास दे कि मेरा दिल इसके साथ रहे, और मेरे ईमान से दोई को दूर कर दे, और जो कुछ तूने मुझे दिया है, उससे मुझे प्रसन्न कर देगा, और हमें इस संसार और परलोक में शांति प्रदान करेगा। मुझे एक अच्छा इनाम दे, और मुझे जलती हुई आग से बचा, और इस रात मे तेरे ज़िक्र, शुक्र, और तेरी ओर रग़बत तथा तौबा की तौफ़ीक प्रदान कर जिस से तूने मुहम्मद और मुहम्मद के परिवार को सफल बनाया।

नमाज़ चार रक्अत नमाज़ (दो रक्अती दो नमाज) प्रत्येक रक्अत मे सूर ए हम्द एक बार और सूर ए मुल्क और अगर नही पढ़ सकते तो 25 बार सूर ए तौहीद
सत्ताइस्वें दिन की दुआ

(हे परमात्मा ! मुझे इस महीने मे शबे-क़द्र का पुण्य प्रदान कर)

(और मेरे काम को कठिन से आसान बन दे)

(और मेरी क्षमायाचना स्वीकर कर और मुझ पर से भारी बोझ हटा दे)

(हे धर्मी सेवको पर दया करने वाले)


सय्यद इब्ने ताऊस ने इक़बाल अल आमाल नामक किताब मे इस दिन के लिए और अधिक दुआएं नकल की है।[२]

फ़ुटनोट

  1. तबातबाई, तफ़सीर अल मीज़ान, 1390 शम्सी, भाग 20, पेज 334
  2. सय्यद इब्ने ताऊस, इक़बाल अल आमाल, भाग 1, पेज 400