19 रमज़ान पारंपरिक हिजरी चंद्र कैलेंडर में वर्ष का 255वाँ दिन है।
इस दिन के लिए रमज़ान के सभी दिनों के साझा आमाल के अलावा कुछ विशेष दुआएँ और आमाल भी बयान हुए है:
|
रमज़ान के उन्नीसवें दिन के विशेष आमाल और दुआ
|
नमाज़ |
पचास रक्अत नमाज़ जिसकी प्रत्येक रक्अत मे सूर ए हम्द के बाद सूर ए इज़ा ज़ुलज़ेलत
|
उन्नीसवें दिन की दुआ |
“
|
َاَللّهُمَّ وَفِّرْ فِیهِ حَظِّی مِنْ بَرَکاتِهِ
अल्लाहुम्मा वफ़्फ़िर फ़ीहे हज़्ज़ेनी मिन बरकातेहि
|
”
|
(हे परमात्मा! इसमे मेरे लिए इसकी बरकात अधिक कर)
“
|
وَ سَهِّلْ سَبِیلِی إِلَی خَیرَاتِهِ
व सह्हिल सबीली एला ख़ैयरातेही
|
”
|
(और मेरे लिए अच्छे कर्मो के लिए मार्ग सरल कर)
“
|
وَ لاتَحْرِمْنِی قَبُولَ حَسَنَاتِهِ
वला तहरिमनी क़बूला हसनातेही
|
”
|
(उसके अच्छे कर्मो को स्वीकर करने से वंछित न कर)
“
|
یا هَادِیا إِلَی الْحَقِّ الْمُبِینِ
या हादीयन एलल हक़्क़िल मुबीन
|
”
|
(हे सत्य धर्म की ओर मार्गदर्शन करने वाले)
|
|
शबे-क़द्र के आमाल
|
मुश्तरक आमाल |
- ग़ुस्ल
- दो रकअत नमाज़, प्रत्येक रकअत मे सूर ए हम्द के बाद सात बार सूर ए तौहीद पढ़ा जाए और नमाज़ तमाम करने के बाद नमाज़ पढ़ने वाला 70 बार اَسْتَغْفِرُ اللّهَ وَاَتُوبُ اِلَیهِ अस्तग़फ़ेरुल्लाहा व अतूबो इलैह कहे।
- रात भार जागना और इबादत करना
- सौ रक्अत नमाज़ (एक सलाम के साथ दो रकअत)
- اَللهمَّ اِنّی اَمسیتُ لَکَ عَبداً… अल्लाहुम्मा इन्नी अमसयतो लका अब्दन ... दुआ पढ़ना
- दुआ ए जोशन कबीर का पढ़ना
- इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत
- सर पर क़ुरआन रखना और अल्लाह को 14 मासूमो की क़सम देना
|
उन्नीसवीं रात |
- اَستَغفِرُاللهَ رَبّی و اَتوبُ اِلیهِ अस्तग़फ़ेरुल्लाहा रब्बी व अतूबो इलैह 100 बार पढ़ना
- اَلّلهُمَّ العَن قَتَلَةَ اَمیرِالمُؤمِنینَ अल्लाहुम्मा अलअन क़तलता अमीरिल मोमेनीन 100 बार पढ़ना
- اَللّهُمَّ اْجْعَلْ فیما تَقْضی وَتُقَدِّرُ مِنَ الاَْمْرِ الْمَحْتُومِ… अल्लाहुम्मा इज्अल फ़ीमा तक़ज़ी व तोक़द्देरो मिनल अमरिल महतूमे ... दुआ का पढ़ना
|
इक्कीसवीं रात |
- रमज़ान के महीने की अंतिम दस दिनो की विशेष दुआओ का पढ़ना
- یا مُولِجَ اللَّیلِ فِی النَّهارِ... या मूलेजल लैले फ़िन नहार ... दुआ का पढ़ना
|
तेइस्वीं रात |
- रमज़ान के महीने की अंतिम दस दिनो की विशेष दुआओ का पढ़ना
- सूर ए अंकबूत, सूर ए रूम और सूर ए दुख़ान का पढ़ना
- 1000 बार सूर ए क़द्र का पढ़ना
- जोशन कबीर, मकारिम अल अख़लाक और दुआ ए इफ़्तेताह का पढ़ना
- रात्रि के प्रारम्भिक और अंतिम हिस्से मे ग़ुस्ल करना
- اَللَّهُمَّ امْدُدْ لِی فِی عُمُرِی وَ أَوْسِعْ لِی فِی رِزْقِی... अल्लाहुम्मा उमदुद ली फ़ी उमरी व औसेअ ली फ़ी रिज़्क़ी ... दुआ का पढ़ना
- اَللَّهُمَّ اجْعَلْ فِیمَا تَقْضِی وَ فِیمَا تُقَدِّرُ مِنَ الْأَمْرِ الْمَحْتُومِ... अल्लाहुम्मा इज्अल फ़ीमा तक़्ज़ी व फ़ीमा तोक़द्देरो मिनल अमरिल महतूमे ... का पढ़ना
- یا بَاطِنا فِی ظُهُورِهِ وَ یا ظَاهِرا فِی بُطُونِهِ ... या बातेना फ़ी ज़ोहूरेही वा या ज़ाहेरन फ़ी बोतूनेही ... दुआ का पढ़ना
- इमाम ज़माना (अ) की सलामती की दुआ का पढ़ना
|
सय्यद इब्ने ताऊस ने इक़बाल अल आमाल नामक किताब मे इस दिन के लिए और अधिक दुआएं नकल की है।