20 रमज़ान
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हिजरी कालक्रम |
20 रमज़ान पारंपरिक हिजरी चंद्र कैलेंडर में वर्ष का 256वाँ दिन है।
- 1 बेअसत, संभावना के आधार पर शबे-क़द्र और क़ुरआन के अवतरण की रात
- 8 हिजरी, कुरैश द्वारा हुदैबीया संधि के उल्लंघन के जवाब में पैगंबर (स) के आदेश के तहत मुसलमानों द्वारा मक्का पर विजय
- 542 हिजरी, शिया विद्वान इब्ने शजरी बगदादी का निधन
- 626 हिजरी, मोजम अल बुलदान पुस्तक के लेखक याक़ूत हमवी का निधन
- 1412 हिजरी, शिया न्यायविद अली असग़र अहमदी शाहरूदी का निधन (24 मार्च, 1992 ईस्वी)
इस दिन के लिए रमज़ान के सभी दिनों के साझा आमाल के अलावा कुछ विशेष दुआएँ और आमाल भी बयान हुए है:
रमज़ान के बीसवें दिन के विशेष आमाल और दुआ | |||||||||||||
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बीसवीं रात | • इस ज़िक्र की तकरार
َا مُلَيِّنَ الْحَدِيدِ لِدَاوُدَ عَلَيْهِ السَّلامُ يَا كَاشِفَ الضُّرِّ وَ الْكُرَبِ الْعِظَامِ عَنْ أَيُّوبَ عَلَيْهِ السَّلامُ أَيْ مُفَرِّجَ هَمِّ يَعْقُوبَ عَلَيْهِ السَّلامُ أَيْ مُنَفِّسَ غَمِّ يُوسُفَ عَلَيْهِ السَّلامُ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ كَمَا أَنْتَ أَهْلُهُ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَيْهِمْ أَجْمَعِينَ وَ افْعَلْ بِي مَا أَنْتَ أَهْلُهُ وَ لا تَفْعَلْ بِي مَا أَنَا أَهْلُهُ या मुलय्येनल हदीदे लेदाऊदे अलैहिस सलामो या काशेफ़ज़्ज़ुर्रे वल कोरबिल अज़ीमे अन अय्यूबा अलैहिस सलामो अय मुफ़र्रेजा हम्मिन याक़ूबा अलैहिस सलामो अय मुनफ़्फ़ेसा ग़म्मिन यूसुफ़ा अलैहिस सलामो सल्ले अला मुहम्मदिव वा आले मुहम्मद कमा अंता अहलोहू अन तोसल्लेया अलैहिम अजमाईना वफ़अल बी मा अंता अहलोहू वला तफअल बी मा अना अहलोहू अनुवादः हे दाऊद अलैहिस सलाम के लिए लोहे को नरम करने वाले, हे अय्यूब अलैहिस सलाम के दुख और बड़ी विपत्तियों को दूर करने वाले, हे याकूब अलैहिस सलाम के गंभीर दुःख को दूर करने वाला, हे यूसुफ अलैहिस सलाम के दुःख को दूर करने वाले, मुहम्मद और मुहम्मद के परिवार पर सलवात भेज, जैसा कि तू उन्हें सलवात भेजने के योग्य हैं, और मेरे साथ वैसा व्यवहार कर जैसा तू योग्य हैं, न कि उस तरह जिसका मैं योग्य हूँ। | ||||||||||||
नमाज़ | आठ रक्अत नमाज़ (दो रक्अती चार नमाज) कोई भी सूरा पढ़े | ||||||||||||
बीसवें दिन की दुआ |
(हे परमात्मा! इस दिन मेरे लिए स्वर्ग के द्वारो को खोल दे)
(और मेरे ऊपर नर्क के द्वारो को बंद कर दे)
(और मुझ को इसमे क़ुरआन की तिलावत की तौफ़ीक प्रदान कर)
(मोमिनो के हृदयो मे सकून नाज़िल करने वाले) |
रमज़ान के अंतिम दस दिनो के आमाल और दुआएँ | |
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हर रात की दुआ |
يأَعُوذُ بِجَلالِ وَجْهِكَ الْكَرِيمِ أَنْ يَنْقَضِيَ عَنِّي شَهْرُ رَمَضَانَ أَوْ يَطْلُعَ الْفَجْرُ مِنْ لَيْلَتِي هَذِهِ وَ لَكَ قِبَلِي ذَنْبٌ أَوْ تَبِعَةٌ تُعَذِّبُنِي عَلَيْهِ. अऊज़ो बेजलाले वज्हेकल करीमे अन यंक़ज़ेया अन्नी शहरो रमज़ाना औ यतलोअल फ़ज्रो मिन लैलती हाज़ेही वलका क़ेबली ज़मबुन औ तबअतुन तोअज़्ज़ेबोनी अलैह अनुवादः गुजरे हुए रमज़ान के महीने से, या इस रात की सुबह से जिसमे मुझसे कोई पाप हुआ हो या किसी कार्य का परिणाम हो जिसके लिए तू मुझे दंडित करेंगा, मैं तेरी कृपा की महानता का आश्रय चाहता हूं।
اللَّهُمَّ إِنَّكَ قُلْتَ فِي كِتَابِكَ الْمُنْزَلِ شَهْرُ رَمَضَانَ الَّذِي أُنْزِلَ فِيهِ الْقُرْءَانُ هُدًى لِلنَّاسِ وَ بَيِّنَاتٍ مِنَ الْهُدَى وَ الْفُرْقَانِ فَعَظَّمْتَ حُرْمَةَ شَهْرِ رَمَضَانَ بِمَا أَنْزَلْتَ فِيهِ مِنَ الْقُرْآنِ وَ خَصَصْتَهُ بِلَيْلَةِ الْقَدْرِ وَ جَعَلْتَهَا خَيْراً مِنْ أَلْفِ شَهْرٍ اللَّهُمَّ وَ هَذِهِ أَيَّامُ شَهْرِ رَمَضَانَ قَدِ انْقَضَتْ وَ لَيَالِيهِ قَدْ تَصَرَّمَتْ وَ قَدْ صِرْتُ يَا إِلَهِي مِنْهُ إِلَى مَا أَنْتَ أَعْلَمُ بِهِ مِنِّي وَ أَحْصَى لِعَدَدِهِ مِنَ الْخَلْقِ أَجْمَعِينَ فَأَسْأَلُكَ بِمَا سَأَلَكَ بِهِ مَلائِكَتُكَ الْمُقَرَّبُونَ وَ أَنْبِيَاؤُكَ الْمُرْسَلُونَ، अल्लाहुम्मा इन्नका क़ुलता फ़ी किताबेकल मुंज़ले शहरो रमज़ान अल लज़ी उंज़ेला फ़ीहिल क़ुरआनो हुदन लिन्नासे व बय्येनातिन मिनल हुदा वल फ़ुरक़ाने फ़अज़्ज़मता हुर्मता शहरे रमज़ाना बेमा अंज़लता फ़ीहे मिनल क़ुरआने व ख़सस्तहू बेलैलातिल क़द्रे व जअलतहा खैरम मिन अल्फ़े शहर अल्लाहुम्मा वा हाज़ेही अय्यामो शहरे रमज़ाना क़दिन क़ज़त वलयालीहे कद तसर्रमत व वकद सिरतो या इलाही मिन्हो एला मा अंता आलमो बेहि मिन्नी व आहसा लेअददेही मिनल ख़ल्क़े अजमाईना फ़अस्अलोका बेमा सालका बेहि मलाएकतल मक़र्रबूना व अम्बियाओकल मुरसलूना, अनुवादः हे परमात्मा, तूने अपनी अवतरित पुस्तक में कहा: रमज़ान का महीना, वह महीना जिसमें क़ुरआन को लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए नाजिल किया और इस महीने में क़ुरआन को नाजिल करके मार्गदर्शन और झूठ से सच्चाई को शुद्ध करने के स्पष्ट कारण हैं। तूने इसकी पवित्रता को महान माना, और क़द्र की रात अपने लिए आरक्षित है, वह रात जिसे तूने हज़ार महीनों से बेहतर बनाया है। या अल्लाह, रमज़ान के ये दिन बीत गए, और इसकी रातें खो गईं। मैं इस महीने से ऐसा व्यक्ति बन गया हूं कि तू इसे मुझसे बेहतर जानता हैं, और इसकी संख्या तेरी सभी रचनाओं से अधिक है, इसलिए तेरे निकट फ़रिश्तों और दूतों ने जो कुछ तुझे भेजा है उसके अनुसार मैं तूझ से पूछ रहा हूं, وَ عِبَادُكَ الصَّالِحُونَ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَ آلِ مُحَمَّدٍ وَ أَنْ تَفُكَّ رَقَبَتِي مِنَ النَّارِ وَ تُدْخِلَنِي الْجَنَّةَ بِرَحْمَتِكَ وَ أَنْ تَتَفَضَّلَ عَلَيَّ بِعَفْوِكَ وَ كَرَمِكَ وَ تَتَقَبَّلَ تَقَرُّبِي وَ تَسْتَجِيبَ دُعَائِي وَ تَمُنَّ عَلَيَّ [إِلَيَ ] بِالْأَمْنِ يَوْمَ الْخَوْفِ مِنْ كُلِّ هَوْلٍ أَعْدَدْتَهُ لِيَوْمِ الْقِيَامَةِ إِلَهِي وَ أَعُوذُ بِوَجْهِكَ الْكَرِيمِ وَ بِجَلالِكَ الْعَظِيمِ أَنْ يَنْقَضِيَ أَيَّامُ شَهْرِ رَمَضَانَ وَ لَيَالِيهِ وَ لَكَ قِبَلِي تَبِعَةٌ أَوْ ذَنْبٌ تُؤَاخِذُنِي بِهِ أَوْ خَطِيئَةٌ تُرِيدُ أَنْ تَقْتَصَّهَا مِنِّي لَمْ تَغْفِرْهَا لِي سَيِّدِي سَيِّدِي سَيِّدِي أَسْأَلُكَ يَا لا إِلَهَ إِلا أَنْتَ إِذْ لا إِلَهَ إِلا أَنْتَ، व एबादेकस सालेहूना अन तोसल्लेया अला मुहम्मदिव वआले मुहम्मदिव वा अन तफ़क्का रक़बती मिनन नारे वा तुदख़ेलनिल जन्नता बेरहमतेका वअन तताफ़ज़्ज़ला अलय्या याअफ़ूका व करामेका व तताक़ब्बला तक़र्रोबी व तस्तजीबा दोआई व समनुन अलय्या बिल अम्ने यौमल ख़ौफ़े मिन कुल्ले हौलिन आददतहू लेयौमिल क़यामते इलाही व आऊज़ो बेवज़्हेकल करीमे वबे जलालेकल अज़ीमे अन यंक़ज़ेया अय्यामो शहरे रमज़ाना वलयालीहे वलका क़ेबली तबेअता ओ ज़ंबिन तोआख़िज़नी बेहि औ ख़तीअता तोरीदो अन तकतस्सेहा मिन्नी लम तग़फ़िरहा ली सय्यदी सय्यदी सय्यदी अस्अलोका या ला एलाहा इल्ला अन्ता इज़ ला एलाहा इल्ला अंता अनुवादः और तेरे योग्य सेवक, कि तू मुहम्मद और मुहम्मद के परिवार पर सलवात भेज, और मेरे अस्तित्व को आग से मुक्त कर, और अपनी दया से मुझे स्वर्ग में प्रवेश करा, और अपनी क्षमा और कृपा से मुझ पर कृपा कर, और मेरे अनुरोध को निकटता के लिए स्वीकार कर, और मेरी दुआए मुझे उत्तर देती हैं, और मुझे आतंक के दिन से बचा, मुझे किसी भी भय से न रोक जो तूने मेरे पुनरुत्थान के लिए तैयार किया है, हे परमात्मा, मैं तेरे उदार स्वभाव और तेरी महान महिमा की शरण लेता हूं और मैं तुमसे उस काम या पाप का नतीजा माँगता हूँ जिसका तू मुझ पर आरोप लगाता है, या कोई गलती जिसका तू मुझसे बदला लेना चाहता है, और तूने उनके लिए मुझे माफ नहीं किया, हे मेरे प्रभु, हे मेरे प्रभु, हे मेरे प्रभु, मैं आपसे पूछता हूं कि कोई एलाह नहीं है, लेकिन तेरे अलावा कोई एलाह नही है। إِنْ كُنْتَ رَضِيتَ عَنِّي فِي هَذَا الشَّهْرِ فَازْدَدْ عَنِّي رِضًا وَ إِنْ لَمْ تَكُنْ رَضِيتَ عَنِّي فَمِنَ الْآنَ فَارْضَ عَنِّي يَا أَرْحَمَ الرَّاحِمِينَ يَا اللَّهُ يَا أَحَدُ يَا صَمَدُ يَا مَنْ لَمْ يَلِدْ وَ لَمْ يُولَدْ وَ لَمْ يَكُنْ لَهُ كُفُوا أَحَدٌ इन कुंता रज़ीता अन्नी फ़ी हाज़श शहरे फ़ज़्दद अन्नी रेज़न व इन लम तकुन रज़ीता अन्नी फ़मेनल आना फ़रज़ा अन्नी या अरहमर राहेमीना या अल्लाहो या अहदो या समदो या मन लम यलिद वलम यूलद वलम यकुन लहू कोफ़ोवन अहद अनुवादः यदि तू इस महीने में मुझसे प्रसन्न हुआ हैं, तो मेरे साथ अपनी प्रसन्नता बढ़ा, और यदि तू मुझसे प्रसन्न नहीं हुआ हैं, तो कृपया अब मुझ से प्रसन्न हों, हे परम दयालु, हे भगवान, हे एक, हे बिनियाज़, हे वह जिसे किसी ने नही जना और नही उसने किसी को जना। और उसके तुल्य कोई न हुआ। |
हर नमाज़ के बाद दुआ | اللَّهُمَّ أَدِّ عَنَّا حَقَّ مَا مَضَى مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ وَ اغْفِرْ لَنَا تَقْصِيرَنَا فِيهِ وَ تَسَلَّمْهُ مِنَّا مَقْبُولا وَ لا تُؤَاخِذْنَا بِإِسْرَافِنَا عَلَى أَنْفُسِنَا وَ اجْعَلْنَا مِنَ الْمَرْحُومِينَ وَ لا تَجْعَلْنَا مِنَ الْمَحْرُومِينَ.
अल्लाहुम्मा अद्दे अन्नन्न हक़्क़ा मा मज़ेया मिन शहरे रमज़ाना व इग़फ़िर लना तक़सीरना फ़ीहे व तसल्लेमहू मिन्ना मक़बूला वला तोआख़िज़ना बेइसराफ़ेना अला अंफ़ोसेना वजअलना मिनल मरहूमीना वला तजअलना मिन महरूमीना अनुवादः हे अल्लाह, हमें रमज़ान के महीने से जो कुछ बीत चुका है उसका हक़ दे, और इस महीने में इबादत की कमी को माफ कर दे, और रमज़ान के महीने को हमसे स्वीकार कर, और हम पर अपने खिलाफ अत्यधिक कार्यों का आरोप न लग, और हमे मरहूमीन मे से क़रार दे लेकिन महरूमीन से क़रार न दे। |
सय्यद इब्ने ताऊस ने इक़बाल अल आमाल नामक किताब मे इस दिन के लिए और अधिक दुआएं नकल की है।