नमाज़ पढ़ने वाले का वस्त्र
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कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
फ़ुरू ए दीन |
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नमाज़ पढ़ने वाले का वस्त्र (अरबी: لباس المصلي) अर्थात वे वस्त्र हैं जो नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति नमाज़ पढ़ने के दौरान पहनता है। न्यायविदों ने नमाज़ पढ़ने वाले व्यक्ति और उसके आवरण की मात्रा के लिए अहकाम और शर्तें बताई हैं। वे इस बात पर सहमत (इजमा) हैं कि महिलाओं के लिए नमाज़ में अपने शरीर के अंगों और बालों को ढंकना अनिवार्य (वाजिब) है, चाहे वहां ग़ैर-महरम हो या नहीं हो, हाथों की कलाई से उंगलियों की नोक तक और चेहरे की गोलाई को छोड़कर। पुरुषों के लिए नमाज़ के दौरान गुप्तांगों को छोड़कर अपने शरीर को ढंकना वाजिब नहीं है।
नमाज़ पढ़ने वाले के वस्त्र के लिए एक और शर्त यह है कि यह पाक होना चाहिए और नजिस नहीं होना चाहिए, मुबाह होना चाहिए और ग़स्बी (हड़पा) नहीं होना चाहिए, और निषिद्ध (हराम) मांस जानवर के हिस्सों और हराम मांस और हलाल मांस जानवरों के शवों से बना नहीं होना चाहिए।
न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार, पुरुषों के लिए सोने से सिला हुआ या सोना की डिज़ाइन वाला वस्त्र साथ-साथ रेशम से बने वस्त्र पहनना हराम है और इस वस्त्र में पढ़ी हुई नमाज़ बातिल है। न्यायविदों ने नमाज़ पढ़ने वाले के वस्त्र से संबंधित मुस्तहब और मकरूह अहकाम का भी उल्लेख किया है।
स्थिति
नमाज़ के दौरान नमाज़ पढ़ने वाला जो वस्त्र पहनता है, उसके अहकाम और शर्तें होनी चाहिए, और न्यायशास्त्रियों ने इसके अहकाम का उल्लेख न्यायशास्त्र के कुछ अध्यायों, जैसे पवित्रता (तहारत) और नमाज़ (सलात) के अध्यायों में किया है।[१] हुर्रे आमोली ने वसाएल अल शिया किताब में "अब्वाब लेबास अल मुसल्ली" (नमाज़ पढ़ने वाले के वस्त्र का अध्याय) नामक एक स्वतंत्र खंड तैयार किया है और विभिन्न हदीसों को इकट्ठा किया है जो 64 अलग-अलग अध्यायों में नमाज़ पढ़ने वाले के वस्त्र के विभिन्न अहकाम के बारे में है।[२]
नमाज़ में आवरण की मात्रा
न्यायविदों के अनुसार नमाज़ में पुरुषों और महिलाओं के लिए (आवरण) पर्दे की मात्रा अलग-अलग होती है:
महिला का आवरण
कुछ न्यायविदों के अनुसार, न्यायविदों के बीच आम सहमति (इजमा) है[३] कि महिलाओं के लिए नमाज़ में, चाहे वहां ग़ैर महरम हो या नहीं हो,[४] चेहरे की गोलाई (जितना वुज़ू में धोते हैं) और हाथ की कलाई से उंगलियों की नोक तक को छोड़कर, अन्य अपने शरीर के अंगों और सिर के बालों को ढकना वाजिब है।[५] हालांकि, शिया न्यायविदों के एक समूह ने नमाज़ में बाल ढकने की बाध्यता (वुजूब) पर संदेह किया है।[६] चौथी शताब्दी हिजरी के न्यायविदों में से एक, इब्ने जुनैद के फ़तवे के अनुसार, महिलाओं के लिए ऐसी जगह पर नंगे सिर नमाज़ पढ़ने में कोई समस्या नहीं है, जहां उन्हें देखने वाला कोई ग़ैर महरम नहीं हो।[७]
कुछ न्यायविदों का मानना है कि चेहरे और हाथों के अलावा, नमाज़ में पैरों (टखनों से नीचे तक) नग्न रहने में कोई समस्या नहीं है।[८] तबातबाई यज़्दी (साहिब उर्वा) ने कहा कि है नमाज़ में नंगे पंजे रहने में कोई समस्या नहीं है।[९]
पुरुष का आवरण
न्यायविदों की आम सहमति (इजमा) के अनुसार,[१०] पुरुषों के लिए नमाज़ के दौरान गुप्तांगों को छोड़कर अपने शरीर को ढंकना वाजिब नहीं है।[११] तबातबाई यज़्दी के अनुसार, नमाज़ में नाभि से घुटनों तक ढंकना एहतेयाते मुस्तहब है।[१२] साहिब जवाहिर के अनुसार, पुरुषों के लिए नग्न होकर नमाज़ पढ़ना, यदि गुप्तांग ढका हुआ है, हालांकि यह जाएज़ है, पर मकरूह है।[१३]
अन्य अहकाम
नमाज़ पढ़ने वाले के वस्त्र के कुछ अन्य अहकाम इस प्रकार हैं:
पाक और पवित्र
शिया न्यायविदों की सर्वसम्मति (इजमा) के अनुसार, नमाज़ पढ़ने वाले व्यक्ति के कपड़े पाक होने चाहिए[१४] और यदि यह नजिस हो तो इसकी नेजासत को दूर करना अनिवार्य (वाजिब) है।[१५] हालांकि, न्यायविदों ने घावों, फोड़े-फुन्सियों और खून बहने वाले घावों के खून से सने कपड़ों को, साथ ही एक दिरहम से कम खून (मासिक धर्म (हैज़), प्रसव (नेफ़ास) और इस्तिहाज़ा (इस्तेहाज़ा) के खून के अलावा) को अलग रखा है।[१६]
उन्होंने यह भी कहा है कि छोटे कपड़े जिनमें नमाज़ पूरी नहीं होती है (अर्थात उनसे गुप्तांगों को ढकना संभव नहीं होता), जैसे मोज़े, टोपी, स्वेटपैंट, दस्ताने..., अगर वे नजिस हों, तो नमाज़ में कोई समस्या नहीं है।[१७] कुछ न्यायविदों के अनुसार, नमाज़ पढ़ने वाले के पास मौजूद छोटी-छोटी चीजें, जैसे अंगूठियां, चाबियां, घड़ियां और सिक्के, अगर वे नजिस हों, तो कोई समस्या नहीं है।[१८]
शिया न्यायविदों के प्रसिद्ध दृष्टिकोण[१९] के अनुसार, एक महिला जो एक बच्चे की शिक्षक है (चाहे वह बच्चे की माँ हो या माँ नहीं हो) और उसके पास केवल एक वस्त्र हो, अगर यह वस्त्र उस बच्चे के मूत्र से नजिस हो गया हो, उसे इस वस्त्र को दिन में केवल एक बार धोना चाहिए। और हर नमाज़ के लिए इसे शुद्ध (पाक) करना आवश्यक नहीं है।[२०]
वस्त्र का मुबाह होना
न्यायशास्त्रियों की सर्वसम्मति (इजमा) के अनुसार नमाज़ पढ़ने वाले का वस्त्र मुबाह होना चाहिए; अर्थात्, उसे हड़पा हुआ नहीं होना चाहिए।[२१] इसलिए, यदि नमाज़ पढ़ने वाला हड़पे हुए वस्त्र के इस्तेमाल की हुरमत का ज्ञान रखता हो, और जानबूझकर उस वस्त्र में नमाज़ पढ़े, तो उसकी नमाज़ बातिल है।[२२] हालांकि, यदि नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति नहीं जानता या भूल जाता है कि उसका वस्त्र हड़पा हुआ है औप वह उस वस्त्र में नमाज़ पढ़ ले, तो उसकी नमाज़ सही है;[२३] लेकिन यदि उसे नमाज़ के बीम में याद आता है कि उसका वस्त्र हड़पा हुआ है और गुप्तांगो को ढककर और हड़पे हुए वस्त्र के अलावा के साथ नमाज़ जारी रखना संभव हो तो उसे तुरंत हड़पा हुआ वस्त्र उतार देना चाहिए और अगर वह केवल एक रकअत नमाज़ समय पर पढ़ सकता है तो उसके लिए ज़रूरी है कि वह हड़पा हुआ वस्त्र उतार दे। हालांकि उसे अपना जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए हड़पे हुए वस्त्र के साथ नमाज़ पढ़ने के लिए मजबूर किया गया हो तो उसकी नमाज़ सही है।[२४] यदि नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति उस पैसे से वस्त्र खरीदता है जिस पर उसने ख़ुम्स या ज़कात नहीं दिया है और उस वस्त्र के साथ नमाज़ पढ़ता है, तो उसकी नमाज़ बातिल है।[२५] एक और फ़तवा यह है कि हालांकि हड़पी अंगूठियां, मोबाइल और बेल्ट जैसी वस्तुओं का इस्तेमाल करना हराम है, नमाज़ के दौरान इन्हें अपने पास रखना नमाज़ को बातिल नहीं करता है।[२६]
वस्त्र की सामग्री
न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार, नमाज़ पढ़ने वाले का वस्त्र हराम मांस जानवर के हिस्सों से नहीं बना होना चाहिए। इसलिए, यदि उसका वस्त्र किसी ऐसे जानवर की खाल, बाल, ऊन आदि से बना हो, जिसका मांस हराम है, या यदि इनमें से कोई भी वस्तु नमाज़ पढ़ते समय उसके पास हो या उसके वस्त्र से जुड़ी हुई हो, तो उसकी नमाज़ बातिल है।[२७] इसके अलावा, उन्होंने कहा है कि अगर वस्त्र पर हराम मांस वाले जानवरों और पक्षियों की लार और मल जैसी चीजें हों, तो उन वस्त्र में पढ़ी गई नमाज़ बातिल है।[२८] इसके अलावा, नमाज़ पढ़ने वाले का वस्त्र हराम मांस और हलाल मांस (हलाल मांस जिसका तज़्किया नहीं किया गया हो) के शवों के हिस्सों से नहीं बना होना चाहिए।[२९]
पुरुष के लिए सोने से सिला हुआ या सोने की डिज़ाइन वाला वस्त्र पहनना हराम है, और जो नमाज़ वह उस वस्त्र के साथ पढ़ता है वह बातिल है।[३०] इसके अलावा, सोने की चेन पहनना, सोने की अंगूठी पहनना और सोने की कलाई घड़ी पहनना भी पुरुषों के लिए हराम है और कुछ न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार, नमाज़ पढ़ते समय इन चीज़ो का इस्तेमाल न करना अनिवार्य (वाजिब) है।[३१]
न्यायविदों के फ़तवे के अनुसार, पुरुष के लिए रेशमी वस्त्र पहनना हराम है और वह इस के वस्त्र साथ जो नमाज़ पढ़ता है वह बातिल है।[३२] रूमाल और मोज़े, टोपी, कपड़ों के अस्तर और इसी तरह की चीजें, यदि रेशम से बनी हों तो कुछ न्यायविदों के अनुसार, नमाज़ को बातिल कर देता है।[३३]
मुस्तहब्बात और मकरूहात
मुस्तहब्बात और मकरूहात न्यायविदों ने मासूम आइम्मा (अ) की हदीसों के आधार पर, नमाज़ पढ़ने वाले के वस्त्र की शर्तों के अलावा, इस संदर्भ में मुस्तहब्बात और मकरूहात का भी उल्लेख किया है:[३४]
मुस्तहब्बात
कुछ चीजें जो नमाज़ पढ़ने वाले के वस्त्र में मुस्तहब मानी गई हैं:
मकरूहात
साहिब उर्वा ने नमाज़ पढ़ने वाले के वस्त्र के मकरूह कार्यों के 33 मामले सूचीबद्ध किए हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- काले कपड़े पहनना;
- गंदे कपड़े पहनना;
- ऐसे कपड़े पहनना जिनमें किसी इंसान या जानवर की छवि हो;
- महिलाओं का नक़ाब पहनना;
- चुस्त कपड़े पहनना;
- केवल एक पतला (हल्का) कपड़ा पहनना;
- प्रसिद्धि के कपड़े पहनना।[३६]
फ़ुटनोट
- ↑ उदाहरण के लिए देखें, बहरानी, हदाएक़ अल नाज़ेरा, 1363 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 290; तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 327।
- ↑ उदाहरण के लिए देखें, हुर्रे आमोली, वसाएल अल शिया, 1416 हिजरी, खंड 4, पृ. 343-465।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, अल मोअतबर, 1407 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 101; हकीम, मुस्तम्सिक अल उर्वा अल-वुस्क़ा, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 250।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 318; मर्शी नजफ़ी, मिन्हाज अल-मोमिनीन, 1406 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 143।
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, अल मोअतबर, 1407 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 101; तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 318; हकीम, मुस्तम्सिक अल उर्वा अल-वुस्क़ा, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 250।
- ↑ उदाहरण के लिए देखें, मोहक़्क़िक़ अर्दाबेली, मजमा अल फ़ाएदा वा अल बुरहान, 1403 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 105 देखें; मूसवी आमोली, मदारिक अल अहकाम, 1429 हिजरी, खंड 3, 189; हकीम, मुस्तम्सिक अल उर्वा अल-वुस्क़ा, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 255।
- ↑ इब्ने जुनैद, फ़तावा इब्ने जुनैद, 1416 हिजरी, पृष्ठ 51।
- ↑ शेख़ तूसी, अल मबसूत, 1387 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 87; मोहक़्क़िक़ हिल्ली, अल मोअतबर, 1407 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 101; शहीद अव्वल, अल अल्फ़िया व अल नफ़लिया, 1408 हिजरी, पृष्ठ 50।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 319।
- ↑ सब्ज़ेवारी, महज़ब अल अहकाम, दार अल तफ़सीर, खंड 5, पृष्ठ 243।
- ↑ नजफ़ी, जवाहरि अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 8, पृष्ठ 175।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 319।
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1362 शम्सी, खंड 8, पृष्ठ 175।
- ↑ सब्ज़ेवारी, महज़ब अल अहकाम, दार अल तफ़सीर, खंड 5, पृष्ठ 262।
- ↑ शहीद सानी, अल रौज़ा अल बहिया, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 289; बहरानी, अल हदायक़ अल नाज़ेरा, 1362 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 290।
- ↑ शहीद सानी, अल रौज़ा अल बहिया, 1410 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 289; तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 210।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 219।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 219; हकीम, मुस्तम्सिक अल उर्वा अल-वुस्क़ा, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 582।
- ↑ बहरानी, हदाएक अल नाज़ेरा, 1363 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 345।
- ↑ बहरानी, हदाएक़ अल नाज़ेरा, 1363 शम्सी, खंड 5, पृष्ठ 345; तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 221।
- ↑ हकीम, मुस्तम्सिक अल उर्वा अल-वुस्क़ा, 1387 हिजरी, खंड 5, पृष्ठ 278।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 328।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 328-329।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 232।
- ↑ खुमैनी, तहरीर अल वसीला, 1434 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 151।
- ↑ "नमाज़ी के कपड़े की शर्तें", जामेअ अल मसाएल साइट, शरिया अहकाम और न्यायशास्त्र के मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने के लिए केंद्र, आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी का कार्यालय।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 337।
- ↑ खुमैनी, तहरीर अल वसीला, 1434 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 151।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 334।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 341; खुमैनी, तहरीर अल वसीला, 1434 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 152।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 341-342।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 343-344; खुमैनी, तहरीर अल-वसीला, 1434 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 153।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 343-344।
- ↑ उदाहरण के लिए देखें, सब्ज़ेवारी, महज़ब अल अहकाम, दार अल-तफ़सीर, खंड 5, पृष्ठ 347।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 361।
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल-उर्वा अल वुस्क़ा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 360।
स्रोत
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- बहरानी, यूसुफ़, हदाएक़ अल नाज़ेरा, क़ुम, मोअस्सास ए अल फ़िक्र अल-इस्लामी, 1363 शम्सी।
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- "नमाज़ी के कपड़े की शर्तें", जामेअ अल मसाल वेबसाइट, शरिया अहकाम और न्यायशास्त्र के मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने के लिए केंद्र, आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी का कार्यालय, देखने की तारीख: 26 मुर्दाद 1402 शम्सी।
- शहीद अव्वल, मुहम्मद बिन मक्की, अल अल्फ़िया व अल नफ़लिया, क़ुम, मकतब अल आलाम अल इस्लामी, 1408 हिजरी।
- शहीद सानी, ज़ैनुद्दीन बिन अली, अल रौज़ा अल बहिया फ़ी शरहे अल लोमअ अल दमिश्क़िया, सय्यद मुहम्मद कलांतर द्वारा शोध और तालीक़, क़ुम, इंतेशाराते दावरी, 1410 हिजरी।
- शेख़ तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल मबसूत फ़ी फ़िक़्ह अल इमामिया, तेहरान, अल मकतब अल मुर्तज़्विया ले एहिया अल आसार अल जाफ़रिया, तीसरा संस्करण, 1387 हिजरी।
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- मोहक़्क़िक़ सब्ज़ेवारी, मुहम्मद बाक़िर, केफ़ाया अल अहकाम, क़ुम, मोअस्सास ए अल नशर अल-इस्लामी, 1381 शम्सी।
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- मर्शी नजफ़ी, सय्यद शहाबुद्दीन, मिन्हाज अल मोमिनीन, क़ुम, मकतब आयतुल्लाह मर्शी नजफ़ी, 1406 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 143।
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