नमाज़ मे हाथ बांधना

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तकत्तुफ़ (अरबीः التكتف في الصلاة) में हाथ बांध कर इस तरह नमाज़ अदा करना कि दाहिने हाथ की हथेली बाएँ हाथ की पुश्त पर और हाथ नाभि के ऊपर या छाती पर हों।

शिया न्यायविद तकत्तुफ़ को हराम मानते हैं और इस बात पर आस्था रखते हैं कि यह प्रथा नमाज़ को अमान्य (बातिल) कर देती है। वे उन रिवायतो का हवाला देते हैं जो पैग़म्बर (स) को बिना तकत्तुफ़ के नमाज़ अदा करने की रिपोर्ट करती हैं। अहले-बैत (अ) की रिवायतें भी हैं जिनमें तकत्तुफ़ की मनाही की गई है। शिया न्यायविद तक़य्या की शर्तों के तहत तकत्तुफ़ को जायज़ मानते हैं।

अधिकांश सुन्नी विद्वानों के अनुसार तकत्तुफ़ को मुस्तहब मानते है। उनमें से कुछ इसे अनिवार्य (वाजिब) मानते हैं और अन्य इसे मकरूह मानते हैं। नमाज़ में तकत्तुफ़ कैसे किया जाए, हाथ रखने की जगह और तकत्तुफ़ के समय को लेकर सुन्नी न्यायविदों में मतभेद पाया जाता है।

सुन्नी न्यायविदों ने उन रिवायतो का हवाला दिया है जो तकत्तुफ़ के पक्ष में तकत्तुफ़ की अनुमति का संकेत देती हैं। लेकिन शिया इनमें से कुछ रिवायतो की प्रामाणिकता और कुछ की सामग्री को त्रुटिपूर्ण मानते हैं।

तकत्तुफ़ की परिभाषा और महत्व

तक़त्तुफ़ का अर्थ है नमाज़ पढ़ते समय एक हाथ को दूसरे पर छाती या पेट पर रखना।[१] इस क्रिया को तकतीफ़,[२] तकफ़ीर,[३] क़ब्ज़[४] और वज़्अ भी कहा जाता है[५] तकत्तुफ़ के विपरीत इरसाल और इस्दाल या शदल शब्द हैं, जिसका अर्थ हाथों को मुक्त करना (खोलना) है।[६]

तकत्तुफ़ शिया संप्रदाय और अन्य संप्रदायो के बीच विवादास्पद मुद्दों में से एक है।[७] अधिकांश सुन्नी तकत्तुफ़ को नमाज़ के मुस्तहब अनुष्ठानो मे से मानते हैं।[८]

तकत्तुफ़ कैसे करें

सुन्नी न्यायशास्त्री ऐनी के अनुसार दाहिनी हथेली को बायीं कलाई के ऊपर इस प्रकार रखा जाए कि कलाई हथैली के बीच मे आज, तकत्तुफ़ कहलाता है; लेकिन कुछ अन्य सुन्नी विद्वानों ने दाएं हाथ की हथेली को बायीं हाथ के ऊपर या भुजा पर रखने को तकत्तुफ़ कहते है।[९] इसी तरहर कुछ का कहना है कि दाऐं हाथ से बाए हाथ को इस तरह पकड़ ले कि बायं हाथ का अंगूठा और झूठी उंगली दाए हाथ हाथ मे आ जाए।[१०]

तकत्तुफ़ में हाथ कहाँ रखे जाते हैं?

विभिन्न संप्रदायो मे नमाज़ मे हाथ बांधने का स्थान

सुन्नी न्यायविद इस बात पर असहमत हैं कि तकत्तुफ़ में हाथ शरीर पर कहाँ रखे जाने चाहिए। उनमें से कुछ का मानना है कि हाथ रखने का स्थान नाभि के नीचे है[११] और कुछ का मानना है कि छाती के ऊपर या नीचे[१२] हन्फ़ी और हंबली हाथो को नाफि के नीचे और शाफ़ई छाती के नीचे मानते है[१३] वहाबी विद्वान बिनबाज़ का मानना है कि तकत्तुफ़ में हाथों को छाती पर रखना चाहिए।[१४]

कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि पुरुषों को अपने हाथ नाभि के नीचे और महिलाओं को छाती पर रखना चाहिए।[१५]

नमाज़ में तकत्तुफ़ का स्थान

सुन्नी विद्वान ऐनी के अनुसार अबू हनीफ़ा और अबू यूसुफ़ क़याम की स्थिति मे तकत्तुफ़ को सुन्नत मानते हैं, जबकि अन्य क़िराअत करते समय इसे सुन्नत मानते हैं। ऐनी के दृष्टिकोण से, क़याम की स्थिति मे मासूर ज़िक्र (वह जिक़्र जिसका उल्लेख रिवायतो मे हुआ है) करते हुए तकत्तुफ़ मुस्तहब है।[१६] इस आधार पर रुकूअ के बाद, क़ुनूत के दौरान, नमाज़े मय्यत और नमाज़े ईद की तकबीरो के दौरान तकत्तुफ़ मे मतभेद है।[१७]

हनफ़ी और शाफ़ई रुकूअ के बाद तकत्तुफ़ मे छाती पर हाथ रखने को बिदअत मानते हैं। हनबली पंथ के नेता इब्न हनबल ने भी इस संबंध में अलग-अलग राय के साथ उद्धृत किया गया है, जिनमें से एक का मानना है कि हम ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं या नहीं।[१८]

शिया दृष्टिकोण से फ़िक़्ही हुक्म

शिया न्यायविदों के बीच लोकप्रिय राय के अनुसार तकत्तुफ़ हराम है और तकत्तुफ़ नमाज़ को बातिल कर देता है।[१९] सय्यद मुर्तज़ा[२०] और शेख़ तूसी ने इस फैसले पर सर्वसम्मति (इज्माअ) का दावा किया है[२१] कुछ शिया न्यायविदों ने इसे केवल हराम माना है, नमाज़ को बातिल करने वाला नही माना।[२२] मुहम्मद हसन नजफ़ी ने अपनी पुस्तक जवाहिर अल-कलाम में कहा है कि अबुस सल्लाह हल्बी ने तकत्तुफ़ को मकरूह और इस्काफ़ी ने इसे छोड़ना मुस्तहब माना हैं।[२३]

शिया न्यायविदों के इस फैसले की दलील उन हदीसो को जाना हैं जिनमें पैग़म्बर (स) ने बिना तकत्तुफ़ के नमाज़ पढ़ने की ओर संकेत करती है।[२४] उनमें से अबू हामिद साएदी द्वारा सुनाई गई हदीस है जिसमें उन्होंने पैग़म्बर (स) की नमाज़ की व्याख्या की है, लेकिन उन्होंने तकत्तुफ़ की कोई रिपोर्ट पेश नही की।[२५] शिया इमामों की हदीसें भी हैं जिन्होंने नमाज में तकत्तुफ़ और तकफ़ीर को मना किया है।[२६] इमाम अली (अ)[२७] और इमाम बाक़िर (अ) ने कहा है कि तकत्तुफ़ मजूस के रीति-रिवाजों में से है।[२८] साहिब-जवाहिर का मानना है कि यह परंपरा उमर बिन खत्ताब द्वारा और ईरानी बंदियों का अनुसरण करते हुए प्रसार मे आई।[२९]

तक़य्या की दृष्ठि से तकत्तुफ़ का हुक्म

शहीद सानी और शेख मुर्तज़ा अंसारी जैसे शिया न्यायविदों ने तक़य्या की स्थिति में तकत्तुफ़ को जायज़ बल्कि वाजिब माना है।[३०] हालांकि, 15वीं चंद्र शताब्दी के मरज ए तक़लीद आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा कि वर्तमान समय में तकत्तुफ़ तक़य्या के मामलों में से नहीं है और यह केवल आपातकाल (इज़्तेरार) के मामले में ही जायज़ है।[३१]

सुन्नी दृष्टिकोण से फ़िक़्ही हुक्म

सुन्नी विद्वान तकत्तुफ़ को खुज़ूअ, ख़ुशूअ और ताअज़ीम का प्रतीक मानते हैं।[३२] हालांकि, वे इसके फ़िक्ही हुक्म के बारे में असहमत हैं:

  • इस्तेहबाब: सुन्नी न्यायविद ऐनी (762-855 हिजरी) के अनुसार, हनफ़ी, शाफ़ई, इब्न हनबल और सुन्नी विद्वान तकत्तुफ़ को मुस्तहब मानते हैं।[३३]
  • इस्तेहबाब तख़ीरी: औज़ाई (707-774 ई.)[३४] और इब्न अब्दुल बिर्र (368-463 हिजरी) तकत्तुफ़ के इस्तेहबाब तखीरी और इरसाल मानते है।[३५]
  • वुजूब: आल्बानी (1330-1420 ई.) और शौकानी (1173-1250 हिजरी) तकत्तुफ़ के वुजूब होने मे विश्वास करते है।[३६]
  • कराहत: मालेकी संप्रदाय के टीकाकार क़ुर्तुबी के अनुसार, मालिक बिन अनस वाजिब नमाज़ो में तकत्तुफ़ को मकरूह और मुस्तहब्बी नमाज़ो में मुस्तहब मानते है।[३७] ऐसा कहा गया है कि अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर और हसन बसरी की राय भी यही है।[३८]
  • कुछ सुन्नी न्यायविद तकत्तुफ़ को तब विशेष मानते हैं जब नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति लंबे समय तक क़याम करने के कारण थक जाता है।[३९]

सुन्नियों मे तकत्तुफ के दस्तावेज़

अहले-सुन्नत तकत्तुफ़ के हुक्म के लिए जिन रिवायतो का हवाला देते है उनमें से कुछ हदीसे निम्नलिखित हैं:[४०]

  • सहल बिन सअद की हदीस: इस हदीस में बताया गया है कि लोगों को नमाज़ के दौरान अपना दाहिना हाथ अपने बाएं हाथ के अग्रभाग पर रखने का आदेश दिया गया था।[४१]
  • वाब्ल बिन हुज्र की हदीस: वाब्ल ने कहा है कि पैग़म्बर (स) ने तकबीर तुल-अहराम के बाद अपने हाथों को आस्तीन से निकाला और उन्हें अपने कपड़ों के नीचे अपने दाहिने हाथ को अपने बाएं हाथ पर रख लिया।[४२]
  • अब्दुल्लाह बिन मसूद की हदीस: इब्न मसूद ने नमाज़ पढ़ते समय अपना बायां हाथ अपने दाहिने हाथ पर रखा, और पैग़म्बर (स) ने उनके दाहिना हाथ को उनके बाएं हाथ पर रखा।[४३]
  • इब्न अब्बास की हदीस: इब्न अब्बास ने पैगम्बर (स) को उद्धृत करते हुए कहा कि पैगम्बरो ने नमाज़ में अपने दाहिने हाथ को अपने बाएं हाथ के ऊपर रखने का आदेश दिया गया है।[४४]
  • इमाम अली (अ) द्वारा वर्णित हदीस: इस कथन के अनुसार, नमाज़ की सुन्नतो मे से एक नाभि के नीचे हाथो को रखना है।[४५]

शियो की आपत्तिया

शियो का मानना है कि इनमें से कुछ हदीसो की सनद मे खामियाँ हैं; क्योंकि उनके प्रसारण की श्रृंखला में ऐसे कथावाचक हैं जो सुन्नी विद्वानों के दृष्टिकोण से विश्वसनीय नहीं हैं।[४६] कुछ अन्य लोग भी अपनी सामग्री से यह निष्कर्ष नहीं निकालते हैं कि तकत्तुफ़ वाजिब या मुस्तहब है।[४७]

मोनोग्राफ़ी

शंक़ीती की किताब सदलुल यदैन फ़िस सलात और तहतावी की किताब क़ब्ज़ुल यदैन व इरसालहोमा फ़िस सलात

कुछ पुस्तकें जिनमें तकत्तुफ़ के मुद्दे की जांच और आलोचना की गई है, वे इस प्रकार हैं:

  • अल-इरसालो वत तकफ़ीर बैनस सुन्नते वल बिदआ: नजमुद्दीन तबसी की किताब जो सुन्नत और बिदअत के बीच संग्रह का एक हिस्सा है, जिसमें शिया और सुन्नी परस्पर विरोधी मुद्दे हैं, जैसे अस्थायी विवाह (मुत्आ) इत्यादि पर शोध किया किया गया है।[४८] यह संग्रह, एक पुस्तक के रूप में, परस्पर विरोधी मुद्दों में देरासातुन फ़िक़्हीया फ़ी मसाइला खेलाफ़िया के नाम से प्रकाशित किया गया है।[४९]
  • तौज़ीह उल-मक़ाल फ़िज़ जम्मे वल इस्तिदलाल: मुहम्मद याह्या सालिम अज़्ज़ान की रचना है जिसे दार उत-तोरासिल युमना ने सनआ से प्रकाशित किया है।[५०]
  • अल-क़ौलुल फ़स्ल फ़ी ताईदिस सुन्नतिस सद्लः मुहम्मद आबिद की रचना है जो तकत्तुफ़ की जांच और मालिक बिन अनस के अनुसार नमाज़ मे हाथ खोलकर पढ़ने का सिद्ध करने के लिए लिखी गई है।[५१]
  • रेसालतुन मुख़्तसरतिन फ़िस सद्लः अब्दुल हमीद मुबारक आले शेख की रचना है।[५२]
  • रेसालतुन फ़ि हुक्मे सद्लिल यदैन फ़िस सलाते अला मजहबिल इमाम मालिकः मुहम्मद बिन मुहम्मद अल-ग़र्बी मारूफ़ बे शंक़ीती की रचना है जिसे मरकज़े नशर दार उल-फ़ज़ीला ने प्रकाशित किया है।[५३]
  • अल-क़ब्ज़ो फ़िस सलात: यह पुस्तक अहले-बैत की विश्व सभा द्वारा तैयार और प्रकाशित की गई है।[५४]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. नजफ़ी, जवाहिर अल-कलाम, 1362 शम्सी, भाग 11, पेज 15; ज़हीली, अल-फ़िक़्ह अल-इस्लामी व अदिल्लतेही, दार अल-फ़िक्र, भाग 2, पेज 873
  2. इब्न अरबी, अल-फ़ुतूहात अल-मक्किया, दार सादिर, भाग 1, पेज 419
  3. नजफ़ी, जवाहिर अल-कलाम, 1362 शम्सी, भाग 11, पेज 15
  4. तब्सी, दरासाते फ़िक़्हिया फ़ी मसाइल खिलाफ़ीया, 1387 शम्सी, भाग 1, पेज 195
  5. मुग़निया, अल-फ़िक़्ह अलल मज़ाहिब अल-ख़म्सा, 1421 हिजरी, भाग 1, पेज 110
  6. मुबारकपुरी, तोहफ़तुल अहवजी, 1410 हिजरी, भाग 2, पेज 73
  7. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़ी रेहाब अहले अल बैत, 1426 हिजरी, भाग 21, पेज 11
  8. इब्ने जबरीन, शरह उम्दतुल अहकाम, भाग 13, पेज 47
  9. ऐनी, अल-बिनाया शरह अल-हिदाया, 1420 हिजरी, भाग 2, पेज 181
  10. ऐनी, अल-बिनाया शरह अल-हिदाया, 1420 हिजरी, भाग 2, पेज 181
  11. बिन बाज़, मज्मूआ फ़तावा व मक़ालात मुतनव्वेअ, रेआसतुल इदारा अल बुहूस अल इल्मिया वल इफ़्ता बिल ममलेकतिल अरबीयतिस सऊदीया, भाग 29, पेज 240
  12. ऐनी, अल-बिनाया शरह अल-हिदाया, 1420 हिजरी, भाग 2, पेज 181
  13. अल-तय्यार व दिगरान, अल-फ़िक़्ह अल मयस्सर, 1433 हिजरी, भाग 1, पेज 283
  14. बिन बाज़, मज्मूआ फ़तावा व मक़ालात मुतनव्वेअ, रेआसतुल इदारा अल बुहूस अल इल्मिया वल इफ़्ता बिल ममलेकतिल अरबीयतिस सऊदीया, भाग 29, पेज 240
  15. हन्फ़ी राज़ी, तोहफ़तुल मुलूक, 1417 हिजरी, पेज 69
  16. ऐनी, अल-बिनाया शरह अल-हिदाया, 1420 हिजरी, भाग 2, पेज 183
  17. ऐनी, अल-बिनाया शरह अल-हिदाया, 1420 हिजरी, भाग 2, पेज 183
  18. अतया, शरह बुलूग़ अल मराम, भाग 61, पेज 6
  19. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़ी रेहाब अहले अल बैत, 1426 हिजरी, भाग 21, पेज 12
  20. सय्यद मुर्तज़ा, रसाइल अल-शरीफ़ अल-मुर्तज़ा, 1421 हिजरी, भाग 1, पेज 111
  21. शेख तूसी, अल-खिलाफ़, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 322
  22. मुग़निया, अल-फ़िक़्ह अलल मज़ाहिब अल-ख़म्सा, 1421 हिजरी, भाग 1, पेज 111
  23. नजफ़ी, जवाहिर अल-कलाम, 1362 शम्सी, भाग 11, पेज 15
  24. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़ी रेहाब अहले अल बैत, 1426 हिजरी, भाग 21, पेज 22
  25. तिरमिज़ी, अल-जामेअ अल-सहीह, दार अल-हदीस, भाग 2, पेज 84
  26. हुमैरी, क़रीब अल-असनाद, 1413 हिजरी, पेज 208; शेख तूसी, तहज़ीब अल-अहकाम, 1407 हिजरी, भाग 2, पेज 84
  27. शेख सदूक़, अल-ख़िसाल, 1362 शम्सी, भाग 2, पेज 622
  28. हुर्रे आमोली, वसाइल अल-शिया, 1409 हिजरी, भाग 7, पेज 265
  29. नजफ़ी, जवाहिर अल-कलाम, 1362 शम्सी, भाग 11, पेज 19
  30. शहीद सानी, रौज़ उल-जिनान, भाग 2, पेज 423; सब्ज़वारी, मोहज़्ज़ब उल-अहकाम, 1388 शम्सी, भाग 2, पेज 391; शेख अंसारी, रसाइल फ़िक़्हीया, 1414 हिजरी, भाग 1, पेज 96
  31. ख़ामेनई, अजवबतुल इस्तिफ़तेआत, 1388 शम्सी, भाग 1, पेज 160
  32. ऐनी, अल-बिनाया शरह अल-हिदाया, 1420 हिजरी, भाग 2, पेज 183
  33. ऐनी, अल-बिनाया शरह अल-हिदाया, 1420 हिजरी, भाग 2, पेज 180
  34. ऐनी, अल-बिनाया शरह अल-हिदाया, 1420 हिजरी, भाग 2, पेज 180
  35. सरावी, अल-क़ुतूफ़ उल-दानिया, 1997 ई, भाग 2, पेज 37
  36. अवाएशा, अल-मौसूआ अल-फ़िक्हीया अल-मयस्सेरा, 1423 हिजरी, भाग 2, पेज 9; शौकानी, नील उल-औतार, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 217
  37. क़ुरतुबि, बिदायत उल मुतजत्तेहिद व निहायत उल मुक़तसिद, 1425 हिजरी, भाग 1, पेज 146
  38. नूवी, अल-मजमुअ शरह उल मोहज़्ज़ब, दार अल फ़िक्र, भाग 3, पेज 311
  39. ऐनी, अल-बिनाया शरह अल-हिदाया, 1420 हिजरी, भाग 2, पेज 181
  40. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़ी रेहाब अहले अल बैत, 1426 हिजरी, भाग 21, पेज 15
  41. बुख़ारी, सहीह उल-बुखारी, 1311 हिजरी, भाग 1, पेज 148
  42. नेशापुरी, सहीह उल-मुस्लिम, 1374 हिजरी, भाग 1, पेज 301; मुल्ला हरवी, मिरक़ात उल-जिनान फ़ी शरह मिश्कात उल-मसाबीह, 1422 हिजरी, भाग 2, पेज 657
  43. अबू दाऊद, सुनन इब्न दाऊद, सयदा, भाग 1, पेज 200
  44. तबरानी, अल-मोअजम उल-कबीर, क़ाहिरा, भाग 11, पेज 199
  45. दार उल-क़ुत्नी, सुनन अल-दार उल-क़ुत्नी, 1424 हिजरी, भाग 2, पेज 34
  46. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़ी रेहाब अहले अल बैत, 1426 हिजरी, भाग 21, पेज 21
  47. जमई अज़ नवीसंदेगान, फ़ी रेहाब अहले अल बैत, 1426 हिजरी, भाग 21, पेज 16, 19; सुब्हानी, अल-एअतेसाम बिलकिताब वल सुन्ना, 1375 शम्सी, पेज 67
  48. इरसाल उल तकफीर बैन उस सुन्नाते वल बिदआ-नुस्खा मत्नी, किताब खाना दीजिटाल तिबयान
  49. देरासात फ़िक़्हिया फ़ी मसाइल ख़िलाफ़िया, किताब खाना क़ाएमिया
  50. तौज़ीह उल-मक़ाल फ़ी अल-ज़म वल इरसाल, वेबगाह दार उल मकतबिस
  51. अल-क़ौल उल-फ़स्ल फ़ी ताईद सुन्नतिस सदल अला मज़हब मालिक बिन अनस, वेबगाह किताब खाना ऐनुल जामेअ
  52. रिसालतुल मुखतसर फ़ीस सदल, वेबगाह किताब खाना एनुल जामेअ
  53. रसाल फ़ी हुक्म सदल अल यदैन फ़िस सलाते अला मज़हब अल-इमाम मालिक बिश्शनक़ैती, वेबगाह आरशिव इंटरनेट
  54. फ़ी रहाबे अहले अल-बैत अलैहेमुस सलाम-21- अल-क़ब्ज़ फ़िस् सलात उल-तकत्तुफ़, वेबगाह मज्मअ जहानी अहलेबैत

स्रोत

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  • इब्न जबरीन, अब्दुल्लाह बिन अब्दुर रहमान, शरह उमदत उल-अहकाम
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  • शौकानी, मुहम्मद बिन अली, नैल अल-औतार, मिस्र, दार अल हदीस, पहला संस्करण 1413 हिजरी
  • शहीद सानी, ज़ैनुद्दीन बिन अली, रौज़ उल-जिनान फ़ी शरह इरशाद उल-अज़हान, क़ुम, मकतब अल आलाम अल-इस्लामी, पहला संस्करण 1422 हिजरी
  • शेख अंसारी, मुर्तज़ा, रसाइल फ़िक़्हीया, क़ुम, कंगरे जहानी शेख अंसारी, 1414 हिजरी
  • हुर्रे आमोली, मुहम्मद बिन हसन, वसाइल उश-शिया, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत अलैहिस सलाम, पहला संस्करण, 1409 हिजरी
  • शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल-ख़िसाल, शोधः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी, क़ुम, जामेअ मुदर्रेसीन, पहला संस्करण, 1362 शम्सी
  • शेख तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-ख़िलाफ़, क़ुम, मोअस्सेसा अल नशर अल इस्लामी, 1407 हिजरी
  • शेख तूसी, मुहम्मद बिन हसन, तहज़ीब उल-अहकाम, तेहरान, दार अल-कुतुब अल-इस्लामीया, चौथा संस्करण 1407 हिजरी
  • तबरानी, सुलैमान बिन अहमद, अल मोअजम अल-कबीर, क़ाहिरा, मकतब इब्न तैमीया, दूसरा संस्करण
  • तिब्सी, नज्मुद्दीन, देरासात फ़िक़्हीया फ़ी मसाइल खिलाफ़ीया, क़ुम, मोअस्सेसा बूसतान किताब, दूसरा संस्करण 1387 शम्सी
  • तय्यार, अब्दुल्लाह बिन मुहम्मद व दिगरान, अल-फ़िक्ह उल-मयस्सर, रियाज़, मदार अल वतन लिन नशर, दूसरा संस्करण, 1433 हिजरी
  • अतया, इब्न मुहम्मद सालिम, शरह बुलूग उल-मराम
  • अवाशिया, हैसन बुन ऊदा, अल-मौसूआ अल-फ़िक्हीया अल-मयस्सेरा फ़ी फ़िक्हिल किताब वस सुन्नतिल मुताहेरा, दार इब्न हज़्म, बैरूत, पहला संस्करण 1423 हिजरी
  • ऐनी, महमूद बिन अहमद, अल-बिनाया शरह उल-हिदाया, बैरूत, दार अल कुतुब अल इल्मा, पहला संस्करण 1420 हिजरी
  • क़ुरतुबि, मुहम्मद बिन अहमद, बिदायतुल मुजतहिद व निहायातुल मुकतसिद, क़ाहिरा, दार अल हदीस, 1425 हिजरी
  • फ़ी रेहाब अहले अल-बैत अलैहेमुस सलाम-21-अल क़ब्ज़ फ़ीस् सलातिल तकत्तुफ़, वेबगाह मजअ जहानी अहले-बैत, वीजिट की तारीख 3 तीर 1402 शम्सी
  • अल-क़ौल उल-फ़स्ल फ़ी ताईद सुन्नतिल सदल अला मज़हब मालिक बिन अनस, वेबगाह किताबखाना ऐनुल जामेअ, विजिट की तारीख 5 तीर 1402 शम्सी
  • मुबारकपुरी, मुहम्मद बिन अब्दुर रहीम, तोहफ़तुल अहवज़ी, बैरूत, दार उल-कुतुब अल-इल्मिया, पहला संस्करण 1410 हिजरी
  • मुग़निया, मुहम्मद जवाद, अल-फ़िक़्ह अलल मज़ाहिब अल-ख़म्सा, बैरूत, दार अल तय्यार अल-जदीद, 1421 हिजरी
  • नजफ़ी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल-कलाम, बैरूत, दार एहया अल-तुरास अल-अरबी, सातवां संस्करण, 1362 शम्सी
  • नूवी, याह्या बिन शरफ़, अल-मजमुअ शरह उल-मोहज़्ज़ब, बैरूत, दार उल-फ़िक्र
  • नेशापुरी, मुस्लिम, सहीह उल-मुस्लिम, क़ाहिरा, मतबअ ईसा अल-बाबी अल-हल्बी व शरकाह, 1374 हिजरी