इमामे जुमा
इमामे जमाअत के साथ भ्रम ना हो। यह लेख इमामे जुमा के पद से संबंधित है। जुमा के दिन जो नमाज़ अदा की जाती है उससे परिचित होने के लिए नमाज़े जुमा के अध्याय को देखें।
यह लेख एक न्यायशास्त्रीय अवधारणा से संबंधित एक वर्णनात्मक लेख है और धार्मिक आमाल के लिए मानदंड नहीं हो सकता। धार्मिक आमाल के लिए अन्य स्रोतों को देखें। |
कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
फ़ुरू ए दीन |
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इमामे जुमा (अरबी: إمام الجمعة) नमाज़े जुमा के पेश नमाज़ को कहते है। धर्मशास्त्रीयो के फ़तवे के आधार पर अदालत, हलाल ज़ादा होना, ईमान, बालिग़ होना और पुरूष होना नमाज़े जुमा की इमामत की महत्वपूर्ण शर्ते है। इतिहास के अध्ययन से साबित होता है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) और इमाम अली (अ) स्वंय जुमे की नमाज़ पढ़ाया करते थे अन्यथा किसी व्यक्ति को नमाज़े जुमा पढ़ाने के लिए नियुक्त करते थे।
इस्लामी सरकारों मे जुमा की इमामत सरकारी पद होता था। इसलिए शासक स्वयं जुमे की नमाज़ पढ़ाते थे या इमामे जुमा नियुक्त करते थे। उदाहरण स्वरूप उमवी, अब्बासी, उस्मानी और सफ़वी शासन काल में आइम्मा ए जुमा शासकों द्वारा नियुक्त किए जाते थे।
इस्लामी गणतंत्र ईरान में सर्वोच्च नेता द्वारा नियुक्त व्यक्तियो पर आधारित "आइम्मा ए जुमा की नीति परिषद" शहरों की नमाज़े जुमा का प्रबंधन करती है।
नमाज़े जुमा
- मुख्य लेखः नमाज़े जुमा
इमामे जुमा नमाज़े जुमा के पेश नमाज़ को कहते है।[१] नमाज़े जुमा दो रकअत है जोकि जुमे के दिन ज़ोहर की नमाज़ के स्थान पर जमाअत के साथ पढ़ी जाती है। शिया धर्मशास्त्रियो के अनुसार इमाम की उपस्थिति मे या उनकी अनुमति से या उनके उत्तराधिकारी की अनुमति से वाजिब है।[२] इमामे ज़माना (अ) की अनुपस्थिति मे नमाज़े जुमा के वाजिब होने के संबंध मे धर्मशास्त्रियो मे मदभेद पाया जाता है।
इमामते जुमा, सरकारी पद
समकालीन इतिहासकार रसूल जाफ़रयान के अनुसार, जुमे की इमामत हमेशा एक सरकारी पद रहा है।[३] इस्लाम की शुरुआत में, जुमे की नमाज़ पैग़म्बर (स), [४] इमाम अली (अ) की इमामत मे अदा होती थी या उनकी इमामत मे अदा होती थी जो व्यक्ति उनकी ओर से नियुक्त होता था।[५] इसी प्रकार उमावी, अब्बासी और उसमानी शासन में स्वंय ख़लीफ़ा या उनके द्वारा नियुक्त किया गया व्यक्ति नमाज़े जुमा पढ़ाता था। खलीफा, खिलाफ़त के केंद्र मे होने वाले इमामे जुमा को नियुक्त करते थे, जबकि अन्य शहरों के आइम्मा ए जुमा की नियुक्ति शहरो के राज्यपालों और गर्वनरो की जिम्मेदारी थी।[६]
ईरान मे सफ़वी शासन काल (907-1135हि.) मे इमामे जुमा की नियुक्ति बादशाहो के माध्यम से होती थी।[७] इस शासन काल मे, आमतौर पर प्रत्येक शहर के शेख उल इस्लाम ने यह पद संभाला; लेकिन कभी-कभी ऐसा विद्वान जो शेख उल इस्लाम नहीं होता था, जैसे मुल्ला मोहसिन फ़ैज़ काशानी, ने शाह के अनुरोध पर इमामे जुमा का पद संभाला।[८] मोहक़्क़ि ए करकी, शेख़ बहाई, मीर दामाद, मुहम्मद तक़ी मजलिसी, अल्लामा मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर सब्ज़ावारी और लुत्फुल्लाह इस्फ़ाहानी इस शासन काल के इमामे जुमा थे।[९] क़ाजार शासन काल (1210-1344हि.) के दौरान, इमामते जुमा का पद लगभग वंशानुगत अर्थात मौरूसी हो चुका था। इस शासन काल मे तेहरान का ख़ातूनाबादी परिवार और इस्फ़हान मे मजलिसी परिवार इमामते जुमा के पदाभारी हुआ करते थे।[१०]
नियम और शर्ते
इमामे जुमा की शर्ते वहीं है जो इमामे जमाअत की शर्ते हैं।[११] धर्मशास्त्रो मे अक़्ल,[१२] बालिग़,[१३] ईमान,[१४] अदालत[१५] और हलाल ज़ादा होना[१६] इमामे जमाअत की शर्ते है।[१७] पुरूष होना भी इमामे जुमा की एक शर्त है। इसलिए महिलाओ के लिए भी किसी महिला का जुमे की नमाज़ इमामे जुमा होना सही नही है।[१८]
फ़ुक़्हा के फ़तवों के अनुसार, मुस्तहब है कि इमामे जुमा स्पष्ठ और सरल भाषा का उपयोग करे, नमाज़ के समय का ध्यान रखता हो, अपनी बातो पर स्वंय अमल करता हो,[१९] जुमा का ख़ुत्बा देते समय सर पर अम्मामा हो, छड़ी या हथियार लेकर खड़ा हो और उसका चेहरा नमाज़ियो की ओर हो।[२०]
संबंधित लेख
फ़ुटनोट
- ↑ दहख़ुदा, लुग़त नामा, इमामे जमाअत शब्द के अंतर्गत
- ↑ शहीद ए अव्वल की किताब देखे, अल ज़िक्रा अल शिया, 1419 हिजरी, भाग 2, पेज 104; मोहक़्क़िक़े करकी, जामए उल मक़ासिद, 1408 हिजरी, भाग 2, पेज 379; नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 11, पेज 151-193
- ↑ जाफ़रयान, सफ़ाविय दर अरसे दीन फरहंग वा सिसायत, 1379 शम्सी, पेज 255
- ↑ तबरसी, मजमा उल बयान, 1372 शम्सी, भाग 10, पेज 431-432
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 11, पेज 154
- ↑ रहमान ए सताइश, जुम्आ, पेज 702
- ↑ जाफ़रियान, दवाज़दे रिसाले फ़िक़्ही दरबाराए नमाज़े जुमा अज़ रोज़गारे सफ़वी, 1381 शम्सी, पेज 27
- ↑ जाफ़रियान, सफ़ाविय दर अरसे दीन फरहंग वा सिसायत, 1379 शम्सी, पेज 237
- ↑ रहमान ए सताइश, जुम्आ, पेज 702
- ↑ रहमान ए सताइश, जुम्आ, पेज 702
- ↑ इमाम ख़ुमैनी, तहरीर उल वसीला, 1392 शम्सी, भाग 1, पेज 251
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 13, पेज 323
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 13, पेज 325
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 13, पेज 273
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 13, पेज 75
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1362 शम्सी, भाग 13, पेज 324
- ↑ इमाम ख़ुमैनी, तहरीर उल वसीला, 1392 शम्सी, भाग 1, पेज 251
- ↑ इमाम ख़ुमैनी, तहरीर उल वसीला, 1392 शम्सी, भाग 1, पेज 252
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 11, पेज 329
- ↑ इमाम ख़ुमैनी, तहरीर उल वसीला, 1392 शम्सी, भाग 1, पेज 247
स्रोत
- इमाम ख़ुमैनी, सय्यद रूह उल्लाह, इस्तिफ़ताआत, क़ुम, जामेअ मुदर्रेसीन, 1372 शम्सी
- इमाम ख़ुमैनी, सय्यद रूह उल्लाह, तहरीर उल वसीला, तहक़ीक मोअस्सेसा ए तंज़ीम व नश्र ए आसार ए इमाम ख़ुमैनी, तेहरान, मतबआ मोअस्सेसा अल उरूज, 1392 शम्सी/ 1434 हिजरी
- इमाम ख़ुमैनी, सय्यद रूह उल्लाह, सहीफा ए इमाम, तेहरान, मोअस्सेसा ए तंज़ीम व नश्र ए आसार ए इमाम ख़ुमैनी, तेहरान
- शहीदान ए मेहराब चंद नफर हसतंद वा नामेशान चीस्त?, पायगाह इत्तेला रसानी फ़रहंगे इसार ओ शहादत, प्रकाशन 16 अक्टूबर 2016, विज़िट 13 मार्च 2021
- जाफ़रियान, रसूल, दवाज़देह रिसाले फ़िक़्ही दरबाराए नमाज़े जुमा अज़ रोज़गारे सफ़वी, क़ुम, अंसारियान, 1381 शम्सी
- जाफ़रियान, रसूल, सफ़ाविय दर अरसे दीन फरहंग वा सिसायत, क़ुम, पजोहिश कदे हौज़ा वा दानिश्गाह, 1379 शम्सी
- हायरि, अली, रोज़शुमार शम्सी, क़ुम, दफ्तरे अक़्ल, 1386 शम्सी
- चे कसानी बे नियाबत अज़ रहबरि नमाज़े जुमा मी ख़ानंद? खबर ऑनलाइन, प्रकाशन 26 जुलाई 2014, विज़िट 13 मार्च 2021
- दहख़ुदा, अली अकबर, लुग़तनामा, इंतेशारात ए दानिशगाह ए तेहरान, 1377 शम्सी
- रहमान ए सताइश, मुहम्मद काज़िम, जुमा दर दानिश नामा ए जहान इस्लाम, तेहरान, बुनयादे दायरत उल मआरिफ ए इस्लामी, भाग 10, तेहरान, 1385 शम्सी
- शहीद ए अव्वल, मुहम्मद बिन मक्की, अल ज़िक्रा अल शिया फी अहकाम इल शरिया, क़ुम, मोअस्सेसा ए आले अलबैत अलैहेमुस्सलाम, 1419 हिजरी
- शीरख़ानी, अली, जिंदगी वा गुज़ीदा ए अंदीशा ए सियासी ए आयतुल्लाह तालेक़ानी, उलूम ए सियासी, संख्या 25, 1377 शम्सी
- तबरसि, फ़ज़्ल बिन हसन, मजमा उल बयान फी तफसीर अल क़ुरआन, मुकद्दमे मुहम्मद जवाद बलाग़ी, तेहरान, इंतेशारात ए नासिर ख़ुसरो, 1372 शम्सी
- मरासिम ए बुज़ुर्ग दाश्त शहीद ए मेहराब बा हुज़ूर बुलंद पायातरीन मक़ामात ए इराक़, ख़बरगुज़ारी अब्ना, प्रकाशन 9 अप्रैल 2016, विज़िट 6 मार्च 2021
- मुहक़्क़िक़े करकि, अली बिन हुसैन, जामे उल मक़ासिद फ़ी शरह उल क़वाइद, क़ुम, मोअस्सेसा ए आले अलबैत अलैहेमुस्सलाम ले एहया इत तुरास, 1408 हिजरी
- नजफी, मुहम्मद हसन, जवाहिर उल कलाम फ़ी शरह शराय उल इस्लाम, बैरूत, दार ए एहया इत तुरास उल अरबी, 1404 हिजरी