अंगूठी पहनना
- यह लेख अंगूठी पहनने की सुन्नत और उसके नियमों के बारे में है। अंगूठी के बारे में अधिक जानकारी के लिए, "अंगूठी" नामक प्रविष्टि देखें।
यह लेख एक न्यायशास्त्रीय अवधारणा से संबंधित एक वर्णनात्मक लेख है और धार्मिक आमाल के लिए मानदंड नहीं हो सकता। धार्मिक आमाल के लिए अन्य स्रोतों को देखें। |
| कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
| ● बुलूग़ ● न्यायशास्त्र ● शरई अहकाम ● तौज़ीहुल मसायल ● वाजिब ● हराम ● मुस्तहब ● मुबाह ● मकरूह ● नीयत ● क़स्दे क़ुरबत ● नए मसायल |
अंगूठी पहनना, पैग़म्बर (स) की सुन्नत, और मोमिन की निशानियों में से एक माना जाता है, जिस पर विभिन्न हदीसों में ज़ोर दिया गया है।
न्यायशास्त्र के दृष्टिकोण से, इस सुन्नत के कुछ नियम हैं। उदाहरण के लिए, विशेष रूप से नमाज़ के दौरान, अक़ीकट (सुलेमानी पत्थर) की अंगूठी पहनना मुस्तहब है। हालाँकि, पुरुषों के लिए सोने की अंगूठी पहनना हराम है और यह नमाज़ को बातिल कर देता है। इसके अलावा, इस्तिंजा और संभोग के दौरान अल्लाह के नाम या क़ुरआन की आयतों वाली अंगूठी पहनना मकरूह है। श्रृंगार के उद्देश्य से मोहरिम व्यक्ति के लिए अंगूठी पहनना भी हराम है।
स्थान और महत्व
अंगूठी पहनना पैग़म्बर (स) की सुन्नतो में से एक है और रिवायतों के अनुसार इसे एक मोमिन[१] और एक शिया[२] होने की निशानी माना जाता है। वसाइल अल शिया (किताब) में इस परंपरा के महत्व और शिष्टाचार के बारे में 80 से ज़्यादा रिवायतें संकलित हैं।[३]
हिल्यातुल मुत्तक़ीन जैसे नैतिक स्रोतों में भी इस मुद्दे पर ज़ोर दिया गया है, और इससे संबंधित नियमों का उल्लेख फ़िक़्ही किताबों में किया गया है।[४]
फ़िक़्ही अहकाम
तहारत: ऐसी अंगूठी पहनना जिस पर अल्लाह का नाम, क़ुरआन की आयतें[५] या चौदह मासूमीन (अ)[६] के नाम लिखे हों, इस्तिंजा के दौरान मकरूह है। अगर इससे ये नाम नजिस हो जाते हैं, तो यह हराम है।[७] इसके अलावा वुज़ू के दौरान, इसके नीचे पानी पुहचाने के लिए अंगूठी को हिलाना मुस्तहब है, और यदि पानी उस तक नहीं पहुंचता है, तो इसे उतार देना चाहिए।[८]

नमाज़: नमाज़ के दौरान अक़ीक़ (सुलेमानी पत्थर) की अंगूठी पहनना मुस्तहब है,[९] लेकिन पुरुषों के लिए सोने की अंगूठी पहनना - नमाज़ के दौरान या उसके अलावा - हराम है[१०] और नमाज़ को बातिल कर देता है।[११] लोहे,[१२] पीतल या स्टील की अंगूठी पहनना भी मकरूह है।[१३] कुछ न्यायविदों के अनुसार, ग़सबी अंगूठी पहनकर नमाज़ पढ़ना भी बातिल है।[१४]
हज: पीले अक़ीक़ (सुलेमानी पत्थर) की अंगूठी पहनना हज यात्रा के मुस्तहब अनुष्ठानों में से एक माना जाता है।[१५] आयतुल्लाह ख़ूई के फ़तवे के अनुसार, मोहरिम व्यक्ति के लिए श्रृंगार के उद्देश्य से अंगूठी पहनना हराम है।[१६] इसके अलावा, इमाम ख़ुमैनी के अनुसार, एहतियात वाजिब यह है कि नजिस अंगूठी के साथ हज बातिल है।[१७]
विवाह: मुहद्दिस बहरानी के अनुसार, ऐसी अंगूठी पहनकर संभोग करना मकरूह है जिस पर अल्लाह का नाम या क़ुरआन की आयतें लिखी हों।[१८]
फ़ुटनोट
- ↑ कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 6, पेज 468
- ↑ हुर्रे आमली, हिदाया अल उम्मा, 1412 हिजरी, भाग 2, पेज 137; मजलिसी, हिलयातुल मुत्तक़ीन, 1388 शम्सी, पेज 38
- ↑ हुर्रे आमली, वसाइल अल शा, 1409 हिजरी, भाग 5, पेज 76-97
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (मोहश्शी), 1419 हिजरी, भाग 2, पेज 361; बहरानी, अल हदाइक अल नाज़ेरा, 1405 हिजरी, भाग 2, पेज 76; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 8, पेज 264
- ↑ बहरानी, अल हदाइक अल नाज़ेरा, 1405 हिजरी, भाग 2, पेज 76
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 72
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 72
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 287
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (मोहश्शी), 1419 हिजरी, भाग 2, पेज 361
- ↑ देखेः नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 41, पेज 54
- ↑ आमली, मिफ़्ताह अल करामा, 1419 हिजरी, भाग 5, पेज 444
- ↑ नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 8, पेज 264
- ↑ मजलिसी, हिलयातुल मुत्तक़ीन, 1388 शम्सी, पेज 38
- ↑ अल्लामा हिल्ली, तहरीर अल कलाम, 1420 हिजरी, भाग 1, पेज 196
- ↑ तबातबाई यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा (मोहश्शी), 1419 हिजरी, भाग 4, पेज 331
- ↑ ख़ूई, मौसूआ अल इमाम ख़ूई, 1418 हिजरी, भाग 28, पेज 452
- ↑ ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला, नशर दार अल इल्म, भाग 1, पेज 429-430
- ↑ बहरानी, अल हदाइक़ अल नाज़ेरा, 1405 हिजरी, भाग 23, पेज 138
स्रोत
- बहरानी, युसूफ़ बिन अहमद, अल हदाइक़ अल नाज़ेरा फ़ी अहकाम अल इत्रत अल ताहेरा, क़ुम, दफ़्तर इंतेशारात इस्लामी वाबस्ते बे जामेआ मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, 1405 हिजरी।
- हुर्रे आमली, मुहम्मद बिन हसन, वसाइल अल शिया, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल बैत (अ) 1409 हिजरी।
- हुर्रे आमली, मुहम्मद बिन हसन, हिदाया अल उम्मा एला अहकाम अल आइम्मा, मुंतखब अल मसाइल, मशहद, मुज्तमे अल बोहूस अल इस्लामिया, 1412 हिजरी।
- ख़ुमैनी, सय्यद रुहुल्लाह, तहरीर अल वसीला, क़ुम, मोअस्सेसा मतबूआत दार अल इल्म, पहला संस्करण, बिना तारीख़।
- ख़ूई, सय्यद अबुल क़ासिम, मौसूआ अल इमाम ख़ूई, क़ुम, मोअस्सेसा एहया आसार अल इमाम अल ख़ूई, 1418 हिजरी।
- शहीद अव्वल, मुहम्मद बिन मक्की, जिक्र अल शिया फ़ी अहकाम अल शरिया, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल बैत (अ), 1419 हिजरी।
- तबातबाई यज़्दी, सय्यद मुहम्मद काज़िम, अल उरवा अल वुस्क़ा फ़ी मा तअम्मुम बेहि अल बलवा (मोहश्शी), क़ुम, दफ़्तर इंतेशारात इस्लामी वाबस्ते बे जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, 1419 हिजरी।
- आमली, सय्यद जवाद बिन मुहम्मद, मिफ़्ताह अल करामा फ़ी शरह क़वाइद अल अल्लामा, क़ुम, दफ्तर इंतेशारात इस्लामी वा बस्ते बे जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, 1419 हिजरी।
- अल्लामा हिल्ली, हसन बिन युसूफ़, तहरीर अल कलाम अल शरिया अला मज़हब अल इमामिया, क़ुम, मोअस्सेसा इमाम सादिक (अ), 1420 हिजरी।
- कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल काफी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामिया, 1407 हिजरी।
- मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, हिलयातुल मुत्तक़ीन, क़ुम, इंतेशारात मस्जिद मुकद्दस जमकरान, 1388 शम्सी।
- नजफ़ी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल कलाम, फ़ी शरह शराए अल इस्लाम, संशोधनः अब्बास क़ूचानी और अली आख़ूंदी, बैरूत, दारो एहया अल तुरास अल अरबी, सांतवा संस्करण 1404 हिजरी।
