बीमार की अयादत
बीमार की अयादत (अरबी: عيادة المريض) अर्थात बीमार से मिलना, इस्लामिक रीति-रिवाजों में से एक है जिसे हदीसों में सबसे अच्छे कामों में से एक माना गया है। शिया हदीसों स्रोतों में इसके बारे में अनेक हदीसों का वर्णन किया गया है। बीमार की अयादत पैग़म्बर (स) और इमामों (अ) की प्रथा (सीरत) थी और शिया हदीसों में, बीमार की अयादत को उन अधिकारों (हुक़ूक़) में से एक के रूप में वर्णित किया गया है जिनका अन्य मुसलमानों द्वारा अनुपालन करना अनिवार्य है। दुआ का स्वीकार (क़ुबूल) होना, ईश्वर की दया और फ़रिश्तों द्वारा इस्तिग़फ़ार से लाभ उठाना, बीमार की अयादत के लिए उल्लिखित धार्मिक पुरस्कारों में से हैं।
हदीसों के अनुसार, बीमार की अयादत की कुछ रस्में (आदाब) इस प्रकार हैं: बीमार को सांत्वना (तसल्ली) देना, मरीज़ को उपहार देना, बीमार से मिलने का समय कम करना और बीमार की ज़रूरतों को पूरा करना। बीमार की अयादत के विषय पर कई रचनाएं लिखी गई हैं उनमें मुहम्मद बाक़िर ताअती द्वारा लिखित आदाबे अयादत और मुहम्मद जवाद नूरी और अन्य द्वारा लिखित आदाबे अयादत अज़ मरीज़, शामिल हैं।
इस्लामी संस्कृति में बीमार की अयादत की स्थिति
बीमार की अयादत या बीमार से मिलने जाना[१] इस्लामी रीति-रिवाजों (आदाब) में से एक है[२] और इसे सबसे अच्छे धार्मिक कार्यों में से एक माना गया है।[३] शिया हदीसी स्रोतों में, इस बारे में काफ़ी हदीसों का उल्लेख किया गया है[४] और बीमार की अयादत करने वाले के लिए सांसारिक (दुनियवी)[५] और पारलौकिक (उख़रवी)[६] पुरस्कारों का उल्लेख किया गया है।
बीमार की अयादत पैग़म्बर (स)[७] और इमामों (अ)[८] की प्रथा (सीरत) थी। और पैग़म्बर (स)[९] और अहले बैत (अ)[१०] द्वारा हदीसों में वर्णित हुआ है कि बीमार की अयादत उन अधिकारों (हुक़ूक़) में से एक है जिसका मुसलमानों को एक दूसरे के लिए अनुपालन करना अनिवार्य है।
इसके अलावा, हदीसों में उस व्यक्ति की भी अयादत का आदेश दिया गया है जो उसकी बीमारी के दौरान अयादत के लिए नहीं आया था[११] और बीमार व्यक्ति की बीमारी के बारे में दूसरों को बताने की भी सिफ़ारिश की गई है ताकि दूसरे भी उसकी अयादत द्वारा सवाब प्राप्त कर सकें।[१२]
अयादत के लिए धार्मिक इनाम
पैग़म्बर (स) और इमामों (अ) की हदीसों में, बीमार की अयादत के लिए सांसारिक (दुनियवी) और पारलौकिक (उख़रवी) पुरस्कारों (सवाब) का उल्लेख किया गया है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं: दुआ का स्वीकार (क़ुबूल) होना, ईश्वर की दया, स्वर्ग और फ़रिश्तों द्वारा इस्तिग़फ़ार से लाभ उठाना।
तबरसी द्वारा लिखित पुस्तक मकारिम अल अख़्लाक़ में, इस्लाम के पैग़म्बर (स) की एक हदीस है कि इसके अनुसार, जो कोई भी मोमिन बन्दे की अयादत के लिए जाता है, तो वह इस मोमिन के पास ईश्वर की उपस्थिति को प्राप्त करेगा और यदि वह ईश्वर से किसी चीज़ की कामना करता है तो वह कामना पूरी होगी।[१३] इसी तरह इमाम रज़ा (अ) से वर्णित हुआ है कि यदि कोई मोमिन किसी अन्य मोमिन की अयादत के लिए जाता है, तो सत्तर हज़ार फ़रिश्ते उसके साथ होगें और ईश्वर की दया (रहमत) उसे ढँक लेगी और फ़रिश्ते, रात तक उसके लिए इस्तिग़फ़ार करते रहेंगे और अगर मोमिन रात में किसी मोमिन की अयादत के लिए जाता है तो यही सवाब उसे सुबह तक दिया जाएगा।[१४]
शेख़ सदूक़ (मृत्यु 381 हिजरी) द्वारा इमाम अली (अ) से वर्णित एक हदीस के अनुसार, यदि कोई किसी बीमार व्यक्ति की अयादत के इरादे से घर से निकलता है और रास्ते में उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके लिए स्वर्ग अनिवार्य (वाजिब) हो जाता है।[१५]
अयादत के आदाब
अहले बैत (अ) की हदीसों में अयादत के कुछ आदाब का उल्लेख हुआ है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- बीमार को सांत्वना (तसल्ली) देना;[१६]
- बीमार को उपहार देना;[१७]
- बीमार को उसकी पसंद की चीज़ खिलाना;[१८]
- मुलाक़ात के समय को कम करना,[१९] मगर यह कि स्वयं बीमार मुलाक़ात के समय को ज़्यादा करने का अनुरोध करे;[२०]
- बीमार के लिए प्रेमपूर्वक (मुहब्बत के साथ) दुआ करना;[२१]
- बीमार की आवश्यकता (ज़रुरतों) का समाधान करना;[२२]
- बीमार के प्रति प्रेम दिखाना।[२३]
मोनोग्राफ़ी
बीमार की अयादत के विषय पर प्रकाशित कुछ पुस्तकें इस प्रकार हैं:
- आदाबे अयादत, मुहम्मद बाक़िर ताअती द्वारा लिखित: इस पुस्तक बीमार की अयादत के संबंध में पैग़म्बर (स) और इमामों (अ) की हदीसों को एकत्र किया गया है।[२४] यह पुस्तक 2007 में बरकत कौसर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई थी।[२५]
- आदाबे अयादत अज़ मरीज़, मुहम्मद जवाद नूरी और अन्य द्वारा लिखित: इस पुस्तक में, बीमार की अयादत के संबंध में पैग़म्बर (स) और इमामों (अ) की हदीसों के अलावा, बीमार की अयादत के मुद्दे के संबंध में ईरान की स्थिति और बीमार लोगों के प्रति समाज और सामान्य संस्कृति की भूमिका की भी समीक्षा की गई है।[२६] यह पुस्तक 2016 में अबिद अंदेश पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित की गई थी।[२७]
फ़ुटनोट
- ↑ इब्ने मंज़ूर, लेसान अल अरब, 1414 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 319।
- ↑ महदवी कनी, अख़्लाक़े अमली, 1385 शम्सी, पृष्ठ 199।
- ↑ नूरी, मुस्तद्रक अल वसाएल, 1408 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 77।
- ↑ फ़क़ीह इमानी, "अयादते बीमार", पृष्ठ 57।
- ↑ तबरसी, मकारिम अल अख़्लाक़, 1370 शम्सी, पृष्ठ 361-361।
- ↑ क़ुमी, अख़्लाक़ व आदाब, 1389 शम्सी, पृष्ठ 376।
- ↑ तबरसी, मकारिम अल अख़्लाक़, 1370 शम्सी, पृष्ठ 19 और 361; इब्ने अश्अस, अल-जाफ़रयात (अल-अशअसियात), बी ता, पृष्ठ 159; इब्ने असाकर, तारीख़े मदीना दमिश्क, 1415 हिजरी, खंड 39, पृष्ठ 114।
- ↑ नूरी, मुस्तद्रक अल वसाएल, 1408 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 80; मजलिसी, जला अल उयून, बी ता, खंड 2, पृष्ठ 460; मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 44, पृष्ठ 189।
- ↑ मजलिसी, बिहार अल अनवार, 1403 हिजरी, खंड 74, पृष्ठ 236; क़शिरी निशापुरी, सहीह मुस्लिम, बी ता, खंड 4, पृष्ठ 1704।
- ↑ कुलैनी, अल-काफ़ी, 1392 शम्सी, खंड 2, पृष्ठ 169।
- ↑ रय शहरी, मिज़ान अल-हिकमा, खंड 10, पृष्ठ 500।
- ↑ मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 78, पृष्ठ 218।
- ↑ तबरसी, मकारिम अल-अख़्लाक़, 1370 शम्सी, पृष्ठ 361-361।
- ↑ तबरसी, मकारिम अल-अख़्लाक़, 1370 शम्सी, पृष्ठ 361।
- ↑ शेख़ सदूक़, मन ला यहज़रोहुल फ़क़ीह, 1413 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 140।
- ↑ मजलिसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 81, पृष्ठ 224।
- ↑ कुलैनी, अल-काफ़ी, 1392 शम्सी, खंड 3, पृष्ठ 118।
- ↑ मुत्तक़ी हिंदी, कन्ज़ अल उम्माल, 1401 हिजरी, खंड 9, पृष्ठ 97।
- ↑ हुर्रे आमोली, वसाएल अल-शिया, 1403 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 642।
- ↑ कुलैनी, काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 118।
- ↑ कुलैनी, काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 118।
- ↑ शेख़ सदूक़, अल अमाली, 1376 शम्सी, पृष्ठ 432-431।
- ↑ फ़ैज़ काशानी, अल-वाफ़ी, 1406 हिजरी, खंड 24, पृष्ठ 221; ज़हबी, मिज़ान अल-एतेदाल, 1382 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 7।
- ↑ ताअती, आदाबे अयादत, 1386 शम्सी, पुस्तक सूची देखें।
- ↑ ताअती, आदाबे अयादत, 1386 शम्सी, पुस्तक की सूची देखें।
- ↑ नूरी, मुहम्मद जवाद और अन्य, आदाबे अयादत अज़ मरीज़, 1395 शम्सी, पुस्तक की सूची देखें।
- ↑ नूरी, मुहम्मद जवाद और अन्य, आदाबे अयादत अज़ मरीज़, 1395 शम्सी, पुस्तक की सूची देखें।
स्रोत
- इब्ने अश्अस, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल-जाफ़रयात (अल-अशअसियात), तेहरान, नैनवा न्यू लाइब्रेरी, बी ता।
- इब्ने असाकर, अली इब्ने हसन, तारीख़े मदीना दमिश्क़, बेरूत, दार अल फ़िक्र, 1415 हिजरी।
- इब्ने मंज़ूर, मुहम्मद इब्ने मुकर्रम, लेसान अरब, बेरूत, दार अल-फ़िक्र - दार सादिर, 1414 हिजरी।
- हुर्रे आमोली, मुहम्मद बिन हसन, वसाएल अल शिया, तेहरान, इस्लामिया, 1403 हिजरी।
- ज़हबी, शम्सुद्दीन, मिज़ान अल-एतेदाल, बेरूत, दार अल-मारेफ़ा, 1382 हिजरी।
- शेख़ सदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल-अमाली, तेहरान, किताबची, 1376 शम्सी।
- शेख़ सदूक़, मुहम्मद बिन अली, मन ला यहज़रोहुल फ़क़ीह, क़ुम, इस्लामिक प्रकाशन, 1413 हिजरी।
- ताअती, मुहम्मद बाक़िर, आदाबे अयादत, हमदान, बरकत कौसर, 1386 शम्सी।
- तबरसी, फ़ज़ल बिन हसन, मकारिम अल अख़्लाक़, क़ुम, अल-शरीफ़ अल-रज़ी, 1370 शम्सी।
- फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद मोहसिन, अल-वाफ़ी, इस्फ़हान, इमाम अमीरुल मोमिनीन अली (अ) लाइब्रेरी, 1406 हिजरी।
- कशिरी निशापुरी, मुस्लिम बिन हज्जाज, सहीह मुस्लिम, बेरूत, दार एह्या अल तोरास अल अरबी, बी ता।
- क़ुमी, शेख अब्बास, अख़्लाक़ व आदाब, क़ुम, नूर मताफ़, 1389 शम्सी।
- कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, तेहरान, इस्लामिया, 1392 शम्सी।
- मुत्तक़ी हिंदी, अली बिन होसामुद्दीन, कन्ज़ अल उम्माल, बेरुत, रेसाला, 1401 हिजरी।
- मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार अल अनवार, बेरूत, अल-वफ़ा, 1403 हिजरी।
- मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, जला अल उयून, तेहरान, इस्लामिया, बी ता।
- महदवी कनी, मुहम्मद रज़ा, अख़्लाक़े अमली, जमकरान मस्जिद, क़ुम, 1385 शम्सी।
- नूरी, हुसैन बिन मुहम्मद तक़ी, मुस्तद्रक अल वसाएल, क़ुम, आले अल बैत, 1408 हिजरी।
- नूरी, मुहम्मद जवाद और अन्य, आदाबे अयादत अज़ मरीज़, क़ुम, अबिद अंदेश, 1395 शम्सी।