मेहमान नवाज़ी
आतिथ्य सत्कार (अरबीः الضيافة) मुसलमानों मे प्रचलित इस्लामी रीति-रिवाजों मे से एक है। मुसलमान विभिन्न अवसरो जैसे ईदे ग़दीर, ईद उल फ़ितर, शादी, बच्चे के जन्म पर और घर की ख़रीदारी पर मेहमान नवाज़ी का आयोजन करते हैं। पैग़म्बर (स) मेहमान को ईश्वर का दिया हुआ उपहार मानते है, जो आने पर अपनी जीविका साथ लाता है और जाने पर पापो की क्षमा का कारण होता है।
अतिथि का स्वागत करना, अतिथि के साथ विनम्र एवं अच्छा व्यवहार करना तथा पार्टी में महरम एवं ग़ैर महरम के मिश्रण से बचना आतिथ्य सत्कार के शिष्टाचार मे से हैं। अतिथि को मेजबान के निमंत्रण को स्वीकार करने और किसी ऐसे व्यक्ति को अपने साथ नहीं लाने का भी अधिकार है जिसे पार्टी में आमंत्रित नहीं किया गया है या मेजबान के घर में तीन दिनों से अधिक समय तक नहीं रहना चाहिए।
शिया न्यायविद जो मेहमान (अतिथि) मेज़बान के घर ईद उल फ़ितर की रात मे सूर्यास्त से पहले चला जाए और उसके यहा भोजन करने वाला शुमार होता हो तो उसका फ़ितरा देना वाजिब मानते हैं। अतिथि से संबंधित एक और हुक्म यह है कि जिस दस्तरख़्वान पर शराब और बीयर से अतिथि का सम्मान किया जाए उस दस्तरख्वान पर बैठना हराम है।
महत्व, गुण और स्थान
मुस्लिम विद्वान आतिथ्य सत्कार को पैग़म्बर (स) की सुन्नत का पालन करना मानते हैं[१] और रिवायतो का हवाला देते हुए इसे छोड़ना मकरूह मानते हैं[२] पैग़म्बर (स) अतिथि को परमात्मा का उपहार मानते हैं, जो अपने साथ अपनी रोज़ी और जीविका लेकर आता है और जब वह चला जाता है, तो वह पापो की क्षमा का कारण बनता है।[३] अल्लामा मजलिसी ने आतिथ्य सत्कार मे हजरत अली बिन अबी तालिब (अ) की अतिरुचि को व्यक्त करते हुए एक रिवायत बयान करते हुए लिखा है कि इमाम अली (अ) ने एक सप्ताह तक अपने घर मेहमान ना आने पर दुख व्यक्त किया।[४]
जिस किसी व्यक्ति ने एक अतिथि का सत्कार किया, उसने निश्चित रूप से सत्तर पैगंबरों का सम्मान किया है, और जो कोई अतिथि पर एक दिरहम खर्च करता है, वह ऐसा है जैसे उसने अल्लाह के रास्ते मे एक हजार दीनार खर्च किए।[५]
मुसलमान विभिन्न अवसरों जैसे कि ईदे ग़दीर,[६] ईद उल फ़ितर,[७] विवाह समारोह, बच्चे का जन्म, घर की खरीदारी पर मेहमान नवाज़ी का आयोजन करते है।[८] ईरानी लोग ईदे नौरोज़[९] और अरबईन पद यात्रा मे इराक़ी लोग आतिथ्य सत्कार की परंपरा को महत्व देते हैं।[१०]
शिष्टाचार
इस्लामी रिवायतो, नैतिक पुस्तकों और कुछ व्याख्यात्मक पुस्तकों में, ईश्वर के करीब जाने के इरादे के अलावा[११] और पाखंड और दिखावा से सावधान रहना[१२], आतिथ्य सत्कार आयोजित करने के शिष्टाचार बताए गए हैं, जिनमें से कुछ मेज़बान और कुछ अतिथि से संबंधित है:
जो कोई किसी आस्तिक को पेटभर भोजन कराए उसके परलोकिक प्रतिफल की मिक़दार के बारे मे परमात्मा के अलावा कोई नही जानता, न तो परमात्मा का कोई करीबी स्वर्गदूत और ना ही कोई संदेशवाहक दूत (नबी ए मुरसल)।[१३]
मेज़बानी के शिष्टाचार
- दुष्टों की अपेक्षा धर्मात्माओं को बुलाना उत्तम है;[१४]
- पारिवारिक रिश्तों और सिले रहम को मजबूत करने मे मदद के लिए रिश्तेदारों और दोस्तों को आमंत्रित करे[१५]
- मुसीबत और तकल्लुफ़ मे डालने से परहेज़ किया जाए;[१६]
- मेहमानों के साथ अच्छे व्यवहार और शिष्टाचार के साथ पेश आना;[१७]
- मेहमानी मे ना महरमो की उपस्थिति की स्थिति मे महरम और ग़ैर महरम का ख़याल रखा जाए;[१८]
- मेहमान से यह नहीं पूछना चाहिए कि उसने भोजन किया या नहीं;[१९]
- पर्याप्त मात्रा मे भोजन का प्रबंध किया जाए (ताकि भोजन कम पड़ने की स्थिति मे शर्मिंदगी का कारण ना बने);[२०]
- मेज़बान को चाहिए कि सर्वप्रथम भोजन करना शुरू करे और सबसे आखिर मे भोजन से हाथ उठाए;[२१]
- किसी अतिथि से कोई काम नहीं करवाए;[२२]
- नमाज़ के समय नमाज़ की याद दिलाए;[२३] किबला की दिशा और वुज़ू खाना को निर्दिष्ट करे;[२४]
- अतिथि के घर से जाते समय दरवाजे तक पहुंचाया जाएं।[२५]
मेहमानी पर जाने के शिष्टाचार
- मेज़बान के निमंत्रण को स्वीकार किया जाए;[२६]
- केवल खाने और अपना पेट भरने के इरादे से मेज़बान का निमंत्रण स्वीकार नहीं करना चाहिए[२७]
- अतिथि को मेज़बान की अनुमति से उसके घर मे प्रवेश करना चाहिए;[२८] और उसको सलाम करना चाहिए;[२९]
- मेज़बान द्वारा निर्दिष्ट स्थान पर बैठना चाहिए;[३०]
- महिलाओ के आमने सामने नही बैठना चाहिए;[३१]
- जो पार्टी पाप से जुड़ी हुई है हमे उन पार्टीयो मे भाग नही लेना चाहिए;[३२]
- मेहमानी के समय को कम करना चाहिए और मेज़बान के घर में तीन दिन से अधिक न रुकें;[३३]
- तैयार भोजन स्वीकार करके उसी को खाएं;[३४]
- मेज़बान की सहमति के बिना मुस्तहब रोज़ा ना रखा जाए और अगर मेज़बान रोज़ा रखने से मना कर रहा है तो मेहमान को चाहिए कि मुस्तहब रोज़ा रखने से परहेज़ करे।[३५]
- भोजन के हलाल होने के बारे में पूछने से बचना चाहिए;[३६]
- मेज़बान की सहमति के बिना, अपने साथ अतिरिक्त भोजन न लें;[३७]
- दावत पर जाने से पहले शर्त रखें कि मेज़बान खुद को परेशान नही करेगा और तकल्लुफ़ात (अनुष्ठान) से दूर रहेगा;[३८]
- हमें किसी ऐसे व्यक्ति को अपने साथ नहीं ले जाना चाहिए जो पार्टी में आमंत्रित नहीं है;[३९]
- मेज़बान की अनुमति से मेहमान को उठना चाहिए;[४०]
- अच्छे शिष्टाचार के साथ मेज़बान का घर छेड़े, भले ही आतित्थ सत्कार मे कमी हुई हो।[४१]
शरई अहकाम
शिया न्यायविदों ने मेहमान नवाज़ी के संबंध मे शरई अहकाम का उल्लेख किया है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- मराजेअ तकलीद के फतवे के अनुसार, यदि अतिथि को पता चल जाए कि मेज़बान ने उसके लिए जो कुछ तैयार किया है वह उस पैसे से है जिस पर ख़ुम्स नहीं दिया गया है, तो उसका उपयोग करने से परहेज़ किया जाए।[४२]
- जो मेहमान ईद उल फ़ितर की संध्या पूर्व अर्थात सूर्यास्त से पहले मेज़बान के घर आए और उसे मेज़बान का रोटी खाने वाला माना जाए तो ऐसी स्थिति मे मेज़बान पर मेहमान का ज़कात फ़ितरा वाजिब होगा।[४३]
- कुछ शिया न्यायविदों के फतवे के अनुसार, यदि मेज़बान के घर का कोई हिस्सा या उसका कालीन नजिस हो जाता है और मेहमान के शरीर या कपड़ों पर फैल जाता है, तो मेज़बान के लिए अतिथि को सूचित करना अनिवार्य (वाजिब) है।[४४]
- सय्यद काज़िम यज़्दी के फ़त्वे के अनुसार, यदि मेज़बान द्वारा अतिथि के लिए बनाया गया भोजन नजिस हो जाता है, तो उसे अतिथि को सूचित करना चाहिए।[४५]
- ऐसी डाइनिंग टेबल (दस्तरख्वान) पर बैठना हराम है जिस पर शराब या बीयर रखी हो।[४६]
मोनोग्राफ़ी
आतिथ्य सत्कार और संबंधित शिष्टाचार के क्षेत्र मे विभिन्न किताबें लिखी गई हैं, उनमें मुहम्मद मुहम्मदी रैयशहरी द्वारा लिखित फ़रहंग नामा मेहमानी है, जिसे मोअस्सेसा इल्मी फ़रहंगी दार अल-हदीस ने प्रकाशित किया है।[४७]
फ़ुटनोट
- ↑ नराक़ी, मेअराज अल सआदा, 1386 शम्सी, पेज 345
- ↑ हुर्रे आमोली, वसाइल अल शिया, 1409 हिजरी, भाग 24, पेज 316
- ↑ मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 72, पेज 461
- ↑ मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 41, पेज 28
- ↑ दैयलमी, इरशाद अल क़ुलूब, 1371 शम्सी, भाग 1, पेज 138
- ↑ बाक़ी जादा, बुज़ुर्गदाश्त ईदे ग़दीर दर परतौ आदाब आन, पेज 35
- ↑ हाशमी, मरवरी बर आदाब ईदे फ़ित्र दर मियान मुसलमानान, पेज 137
- ↑ मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ अल फ़िक्ह अल इस्लामी, अल मोअजम अल फ़िक़्ही लेकुतुब अल शेख अल तूसी, 1424 हिजरी, भाग 6, पेज 559
- ↑ पाकनिया तबरेज़ी, निगाही नौ बे जाएगाह ईदे नौरोज़, पेज 13
- ↑ शराही, वाकावी इदराक ज़ाएरान अज़ रफ़तार ख़ादेमान दर अरबईन, पेज 115
- ↑ नराक़ी, मेअराज अल सआदा, 1386 शम्सी, पेज 345
- ↑ नराक़ी, मेअराज अल सआदा, 1386 शम्सी, पेज 345
- ↑ दैयलमी, इरशाद अल क़ुलूब, 1371 शम्सी, भाग 1, पेज 147
- ↑ फ़ैज़ काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 33
- ↑ फ़ैज़ काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 33-34
- ↑ हमीरी, क़ुर्ब अल इस्नाद, 1413 हिजरी, पेज 75
- ↑ क़ुमी, सफ़ीनतुल बिहार, 1414 हिजरी, भाग 5, पेज 270
- ↑ सय्यद मुर्तज़ा, अमाली अल मुर्तज़ा, 1998 ई, भाग 1, पेज 208
- ↑ क़राती, तफसीर नूर, 1388 शम्सी, भाग 9, पेज 253
- ↑ फ़ैज़ काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 42
- ↑ कुलैनी, अल काफ़ी, 1363 शम्सी, भाग 6, पेज 285
- ↑ कुलैनी, अल काफ़ी, 1363 शम्सी, भाग 6, पेज 283
- ↑ वर्राम, मज्मूआ वर्राम, 1410 हिजरी, भाग 1, पेज 48
- ↑ फ़ैज़ काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 38
- ↑ मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 72, पेज 451
- ↑ फ़ैज़ काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 34
- ↑ फ़ैज़ काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 37
- ↑ मुहम्मदी रैयशहरी, फ़रहंग नामा मेहमानी, 1390 शम्सी, पेज 113
- ↑ क़राती, तफ़सीर नूर, 1388 शम्सी, भाग 9, पेज 253
- ↑ मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 72, पेज 451
- ↑ फ़ैज़ काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 38
- ↑ फ़ैज़ काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 36
- ↑ कुलैनी, अल काफ़ी, 1363 शम्सी, भाग 6, पेज 283
- ↑ क़राती, तफ़सीर नूर, 1388 शम्सी, भाग 9, पेज 253
- ↑ मुहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 1, पेज 189 ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला, नाशिरः मोअस्सेसा तंज़ीम व नशर आसार इमाम ख़ुमैनी (र), भाग 1, पेज 286
- ↑ मुहम्मदी रैयशहरी, फ़रहंग नामा मेहमानी, 1390 शम्सी, पेज 153
- ↑ फ़ैज काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 44
- ↑ मुहम्मदी रैयशहरी, फ़रहंग नामा मेहमानी, 1390 शम्सी, पेज 111
- ↑ मुहम्मदी रैयशहरी, फ़रहंग नामा मेहमानी, 1390 शम्सी, पेज 147
- ↑ फ़ैज काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 45
- ↑ फ़ैज काशानी, मोहज्जत अल बैयज़ा, 1417 हिजरी, भाग 3, पेज 44
- ↑ पुरताल इमाम ख़ुमैनी
- ↑ तबातबाई यज़्दी, उरवा अल वुस्क़ा, 1423 हिजरी, भाग 4, पेज 207-208
- ↑ तबातबाई यज़्दी, उरवा अल वुस्क़ा, 1423 हिजरी, भाग 1, पेज 194
- ↑ तबातबाई यज़्दी, उरवा अल वुस्क़ा, 1423 हिजरी, भाग 1, पेज 194-195
- ↑ मुहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 3, पेज 183; वेबगाह पासुखगोई बे सवालात दीनी हदाना
- ↑ मुहम्मदी रैयशहरी, फ़रहंग नामा मेहमानी, 1390 शम्सी, पेज 7
स्रोत
- परताल इमाम ख़ुमैनी, विज़िट की तारीख 10 दय, 1402 शम्सी
- वेबगाह पासुखगोई बे सवालात दीनी हदाना, विज़िट की तारीख 12 दय 1402 शम्सी
- बाक़ी जादा, रज़ा, बुजुर्गदाश्त ईदे ग़दीर दर परतौ आदाब आन, मुंदरिज दर मजल्ले पासदार इस्लाम, क्रमांक 255, 1382 शम्सी
- पाकनिया तबरेज़ी, अब्दुल करीम, निगाही नौ बे जाएगाह ईदे नौरोज़, मुंदरिज दर मजल्ले मुबल्लेग़ान, क्रमांक 138, 1389 शम्सी
- हुर्रे आमोली, मुहम्मद बिन हसन, तफसील वसाइल अल शिया एला तहसील मसाइल अल शरिया, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अ), पहला संस्करण 1409 हिजरी
- हमीरी, अब्दुल्लाह बिन जाफ़र, क़ुर्ब अल इस्नाद, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अ), पहला संस्करम 1413 हिजरी
- दैयलमी, हसन बिन मुहम्मद, इरशाद अल क़ुलूब, क़ुम, अल शरीफ़ अल रज़ी, 1371 शम्सी
- शराही, इस्माइल, वाकावी इदराक ज़ाएरान अज़ रफ़्तार ख़ादेमान दर अरबईन, मुंदरिज दर मजल्ले दीन व इरतेबातात, क्रमांक 55, 1398 शम्सी
- सय्यद मुर्तज़ा, अली बिन हुसैन, अमाली अल मुर्तज़ा, क़ाहिरा, दार अल फ़िक्र अल अरबी, पहला संस्करण, 1998 ई
- फ़ैज़ काशानी, मुहम्मद बिन शाह मुर्तज़ा, अल मोहज्जत अल बैयज़ा, क़ुम, दफ्तर नश्र इस्लामी (जामेअ मुदर्रेसीन), 1417 हिजरी
- क़राती, मोहसिन, तफसीर नूर, तेहरान, मरकज़ फ़रहंगी दरस हाए अज़ क़ुरआन, पहला संस्करण, 1388 शम्सी
- क़ुमी, अब्बास, सफ़ीना अल बिहार व मदीना अल हुक्म व अल आसार, क़ुम, उस्वा, पहला संस्करण 1414 हिजरी
- कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल काफ़ी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1363 शम्सी
- मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ अल फ़िक़्ह अल इस्लामी, अल मोअजम अल फ़िक़्ही लेकुतुब अल शेख़ अल तूसी, क़ुम, मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ अल फ़िक्ह अल इस्लामी, 1424 हिजरी
- मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर बिन मुहम्मद तक़ी, बिहार उल अनवार अल जामेअ लेदुरर अखबार अल आइम्मा अल अत्हार (अ), बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, दूसरा संस्करण, 1403 हिजरी
- मुहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम फ़ी मसाइल अल हलाल वल हराम, क़ुम, इस्माईलीयान, 1408 हिजरी
- मुहम्मदी रैयशहरी, फ़रहंग नामा मेहमानी, क़ुम, मोअस्सेसा इल्मी फ़रहंगी दार अल हदीस, 1390 शम्सी
- नराक़ी, मुल्ला अहमद, मेअराज अल सआदा, क़ुम, इंतेशारात क़ायम आले मुहम्मद, पांचवा संस्करण, 1386 शम्सी
- वर्राम बिन अबि फरास, मसऊद बिन ईसा, मजमूआ वर्राम, क़ुम, मकतब फ़क़ीह, पहला संस्करण, 1410 हिजरी
- हाशमी, सय्यद अली रज़ा, मरवरी बर आदाब ईदे फ़ित्र दरमियान मुस्लमानान, मुंदरिज दर मजल्ले फ़रहंग मरदुम ईरान, क्रमांक 53 और 54, 1397 शम्सी