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नवजात शिशु को घुट्टी देना

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नवजात शिशु को घुट्टी देना (फ़ारसी: کام‌ برداشتن نوزاد) या बच्चे का तालू उठाना एक इस्लामी अनुष्ठान है जो जन्म के समय बच्चे के मुंह की तालु पर थोड़ा सा पानी और भोजन (खाने का चीज़) रगड़कर किया जाता है। शिया न्यायशास्त्रियों के अनुसार, नवजात शिशु को फ़ोरात का पानी और इमाम हुसैन (अ) की तुर्बत से घुट्टी देना मुस्तहब है। कुछ हदीसों के अनुसार जिस नवजात शिशु को फ़ोरात के पानी से घुट्टी दी जाए, वह शिशु बड़ा होकर शिया और अहले बैत (अ) का मोहिब (दोस्त) बन जाएगा।

परिभाषा

घुट्टी देने का अर्थ है कि उंगली की नोक को थोड़ी मात्रा में हल्के भोजन के साथ मिलाना और बच्चे के मुंह के अन्दर तालू तक ले जाना।[] यह काम दाई या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है।[] सामान्य संस्कृति में इस परंपरा को घुट्टी देना[] या बच्चे का तालू उठाना कहा जाता है।[]

आम धारणा में, बच्चे को घुट्टी देने का उद्देश्य स्वास्थ्य सुनिश्चित करना, माँ का दूध चूसना आसान बनाना, हकलाना रोकना और वयस्कता में धार्मिक शिक्षा के लिए आधार तैयार करना है।[] न्यायशास्त्र के क्षेत्र में शिया न्यायविद, बच्चे के तालु को खोलने को "तहनीक" कहते हैं।[]

महत्त्व

हदीसी किताब वसाएल अल शिया में, एक खंड शिशुओं के घुट्टी देने या तालू को उठाने के मुस्तहब होने और उनके कुछ नियमों (अहकाम) के लिए समर्पित है।[] कुछ हदीसों के अनुसार, जिस नवजात शिशु को फ़ोरात के पानी से घुट्टी दी जाती है, वह बड़ा होकर शिया और अहले बैत (अ) का मोहिब (दोस्त) बन जाएगा।[]

बच्चे को घुट्टी देने की प्रथा इस्लाम से पहले भी विभिन्न जातीय समूहों में प्रचलित रही है।[] सूर ए मरियम की आयत 25 की व्याख्या में कुछ सुन्नी टिप्पणीकार कहते हैं कि नवजात शिशु को खजूर के साथ घुट्टी देने के कथन को हज़रत ईसा (अ) के जन्म के दौरान हज़रत मरियम के खजूर खाने की घटना से जोड़ते हैं।[१०] इस्लाम की शुरुआत में, सहाबा का यह रिवाज था कि जब कोई बच्चा पैदा होता था, तो वे उसे पैग़म्बर (स) के पास ले जाते थे। वह बच्चे को खजूर की घुट्टी देते थे और उसके लिए प्रार्थना करते थे।[११] शिया इमामों के युग में, नवजात शिशुओं को फ़ोरात के पानी से घुट्टी देने को महत्व दिया गया, और इमाम हुसैन (अ) की शहादत के बाद इमाम हुसैन (अ) की तुर्बत से घुट्टी देने की सिफ़ारिश की जाने लगी।[१२]

घुट्टी देने की परंपरा और ईरानी लोगों द्वारा इसके कार्यान्वयन का पालन साहित्य और सार्वजनिक मान्यताओं में प्रभावी रहा है।[१३] ईरानी लोगों का मानना है नवजात शिशु को किसी नेक, दीनदार और सामाजिक रूप से सम्मानित व्यक्ति द्वारा घुट्टी दिया जाना चाहिए।[१४]

न्यायशास्त्रीय आदाब

हदीसों में पैग़म्बर (स) और इमाम (अ) की जीवनी में घुट्टी देने के तरीक़ों का उल्लेख किया गया है; उदाहरण के लिए, इमाम अली (अ) से रिवायत है कि पैग़म्बर (स) ने इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) को खजूर से घुट्टी दी और तालू उठाया।[१५] एक हदीस में यह भी वर्णित हुआ है कि इमाम काज़िम (अ) ने अपने पुत्र इमाम रज़ा (अ) को फ़ोरात के पानी से घुट्टी दी।[१६]

शिया न्यायविदों के अनुसार, बच्चे के जन्म के दौरान और उसके नामकरण करने से पहले बच्चे को घुट्टी देने मुस्तहब है;[१७] इसी तरह यह भी मुस्तहब है कि इस काम को फ़ोरात के पानी और इमाम हुसैन (अ) की तुर्बत से किया जाए।[१८] फ़ोरात का पानी न होने की हालत में, ताज़े और शुद्ध पानी का उपयोग करना बेहतर है, और यदि केवल खारा पानी उपलब्ध हो, तो थोड़ा खजूर या शहद मिला कर घुट्टी देना चाहिए।[१९]

सुन्नी न्यायशास्त्रियों में से एक, इब्ने क़य्यिम जुज़िया ने भी घुट्टी देने को नवजात शिशु के जन्म के दौरान के मुस्तहब आदाब (रीति-रिवाजों) में से एक माना है।[२०]

फ़ुटनोट

  1. करीमी, "सक़ बर्दाश्तन", सेंटर फॉर द ग्रेट इस्लामिक इनसाइक्लोपीडिया की वेबसाइट।
  2. करीमी, "सक़ बर्दाश्तन", सेंटर फॉर द ग्रेट इस्लामिक इनसाइक्लोपीडिया की वेबसाइट।
  3. देहखोदा, लोग़तनामे देहखोदा, शब्द "काम बर्दाश्तन" के अंतर्गत।
  4. वाहेदी, "काम बर्दारी नौज़ाद", मिज़ान न्यूज़ एजेंसी की वेबसाइट।
  5. करीमी, "सक़ बर्दाश्तन", सेंटर फॉर द ग्रेट इस्लामिक इनसाइक्लोपीडिया की वेबसाइट; वाहेदी, "काम बर्दारी नौज़ाद", मिज़ान न्यूज़ एजेंसी की वेबसाइट।
  6. देखें: मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 287, बहरानी, अल हदाइक़ अल नाज़ेरा, 1405 हिजरी, खंड 37।
  7. हुर्रे आमेली, वसाएल अल शिया, 1409 हिजरी, खंड 21, पृष्ठ 407।
  8. इब्ने क़ूलवैह, कामिल अल ज़ियारत, 1356 शम्सी, पृष्ठ मजलिसी, रौज़ अल मुत्तक़ीन, 1406 हिजरी, खंड 622।
  9. वाहेदी, "काम बर्दारी नौज़ाद", मिज़ान न्यूज़ एजेंसी की वेबसाइट।
  10. ज़मख्शरी, कश्शाफ़, 1407 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 13; हक्क़ी ब्रोसोवी, रूह अल बयान, दार अल फ़िक्र, खंड 5, पृष्ठ 327।
  11. सुब्हानी, वहाबियत, 1388 शम्सी, खंड 1, पृष्ठ 337।
  12. वाहेदी, "काम बर्दारी नौज़ाद", मिज़ान न्यूज़ एजेंसी की वेबसाइट।
  13. देखें: करीमी, "सक़ बर्दाश्तन", सेंटर फॉर द ग्रेट इस्लामिक इनसाइक्लोपीडिया की वेबसाइट।
  14. देखें: करीमी, "सक़ बर्दाश्तन", सेंटर फॉर द ग्रेट इस्लामिक इनसाइक्लोपीडिया की वेबसाइट।
  15. हुर्रे आमेली, वसाएल अल शिया, 1409 हिजरी, खंड 21, पृष्ठ 407।
  16. हुर्रे आमेली, वसाएल अल शिया, 1409 हिजरी, खंड 21, पृष्ठ 408।
  17. उदाहरण के लिए, देखें: मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 287; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, खंड 31, पृष्ठ 252।
  18. मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 287; फ़ख़्र उल मोहक्क़ेक़ीन, ईज़ाह अल फ़वाएद, 1387 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 258; अल्लामा हिल्ली, क़वाएद अल अहकाम, 1413 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 97।
  19. मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल इस्लाम, 1408 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 287; अल्लामा हिल्ली, अल क़वाएद अल अहकाम, 1413 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 97; फ़ख़्र अल मोहक्क़ेक़ीन, ईज़ाह अल फ़वाएद, 1387 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 258।
  20. इब्ने क़य्यिम जुज़िया, तोहफ़ा अल मौदूद बे अहकाम अल मौलूद, मकतबा अल कुरआन, पृष्ठ 30।

स्रोत

  • इब्ने क़ूलवैह, जाफ़र बिन मुहम्मद, कामिल अल ज़ियारत, नजफ़, दार अल मुर्तज़ाविया, पहला संस्करण, 1356 शम्सी।
  • इब्ने क़य्यिम जुज़िया, मुहम्मद इब्ने अबी बक्र, तोहफ़ा अल मौदूद बे अहकाम अल मौलूद, मिस्र, मकतबा अल कुरआन, बिना तारीख़।
  • बहरानी, यूसुफ, अल हदीएक़ अल नाज़ेरा फ़ी अहकाम अल इतरा अल ताहिरा, क़ुम, दफ़्तरे इंतेशाराते इस्लामी, 1405 हिजरी।
  • हुर्रे आमेली, मुहम्मद बिन हसन, वसाएल अल शिया, क़ुम, मोअस्सास ए आले अल बैत (अ), पहला संस्करण, 1409 हिजरी।
  • हक़्क़ी ब्रोसावी, इस्माइल बिन मुस्तफ़ा, तफ़सीर रूह अल बयान, बेरूत, दार अल फ़िक्र, बिना तारीख़।
  • देहखोदा, अली अकबर, लोग़नामे देहखोदा, मुहम्मद मोइन और सय्यद जाफ़र शहीदी की देखरेख में, तेहरान, तेहरान विश्वविद्यालय प्रकाशन और मुद्रण संस्थान, 1377 शम्सी।
  • ज़मख़्शरी, महमूद, अल कश्शाफ़ अन हक़ाएक़ ग़्वामिज़ अल तंज़ील, बेरूत, दार अल किताब अल अरबी, तीसरा संस्करण, 1407 हिजरी।
  • अल्लामा हिल्ली, हसन बिन यूसुफ, क़वाएद अल अहकाम फ़ी मारेफ़त अल हलाल वा अल हराम, क़ुम, दफ़्तरे इंतेशाराते इस्लामी, 1413 हिजरी।
  • फ़ख़्र उल मोहक़्क़ेक़ीन, मुहम्मद बिन हसन, ईज़ाह अल फ़वाएद फ़ी शरहे मुश्किलात अल क़वाएद, क़ुम, मोअस्सास ए इस्माइलियान, प्रथम संस्करण, 1387 हिजरी।
  • करीमी, असगर, "सक़ बर्दाश्तन", सेंटर फॉर द ग्रेट इस्लामिक इनसाइक्लोपीडिया की वेबसाइट, अंतिम अपडेट: 1 आज़र, 1400 शम्सी, देखे जाने की तारीख़: 20 आज़र, 1403 शम्सी।
  • मजलिसी, मुहम्मद तक़ी, रौज़ा अल मुत्तक़ीन फ़ी शरहे मन ला यहज़रोहुल फ़क़ीह, क़ुम, मोअस्सास ए फ़र्हंगी इस्लामी कूशानबूर, दूसरा संस्करण, 1406 हिजरी।
  • मोहक़्क़िक़ हिल्ली, जाफ़र बिन हसन, शराए अल इस्लाम फ़ी मसाएल अल हलाल व अल हराम, क़ुम, मोअस्सास ए इस्माइलियान, दूसरा संस्करण, 1408 हिजरी।
  • नजफ़ी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल कलाम फ़ी शरहे शराए अल इस्लाम, बेरूत, दार इह्या अल तोरास अल अरबी, 7वां संस्करण, 1404 हिजरी।
  • वाहेदी, सय्यद मुहम्मद रज़ा, "काम बर्दारी ए नौज़ाद", मीज़ान न्यूज़ एजेंसी की वेबसाइट, प्रवेश की तिथि: 24 फ़रवरदीन, 1398 शम्सी, देखे जाने की तारीख़: 24 आज़र, 1403 शम्सी।