तलबिया
यह लेख एक न्यायशास्त्रीय अवधारणा से संबंधित एक वर्णनात्मक लेख है और धार्मिक आमाल के लिए मानदंड नहीं हो सकता। धार्मिक आमाल के लिए अन्य स्रोतों को देखें। |
कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
फ़ुरू ए दीन |
---|
तलबिया (अरबीः التَّلبِيَة) हज और उमरा के एहराम के वाजिबात मे से है, जिसे विशेष वाक्यांशों, जैसे "लब्बैक", के माध्यम से कहा जाता है। तलबिया का सबसे आम उल्लेख वाक्य "لَبَّیكَ الّلهُمَّ لَبَّیكَ، لَبَّیكَ لا شَریكَ لَكَ لَبَّیكَ، إنَّ الْحَمدَ وَالنِّعمَةَ لَكَ وَالْمُلكَ، لا شَریكَ لَكَ لَبَّیكَ लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक, इन्नल हम्दा वन्नेअमता लका वलमुल्क, ला शरीका लका लब्बैका" जिसे सही अरबी उच्चारण के साथ एहराम की नीयत करते समय कहा जाता है। इसके बाद, हज या उमरा करने वाले को एहराम के मोहर्रेमात से बचना होता है।
हज में "लब्बैक" का अर्थ है, "ईश्वर के बुलावे का सकारात्मक उत्तर और उसके साथ अपनी बंधन को फिर से संकल्पित करना।" मीक़ात से मक्का तक के मार्ग के कुछ हिस्से तलबिया का उच्चारण करना मुस्तहब माना जाता है। यह तलबिया, जिसे पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने मुसलमानों को सिखाया था, अल्लाह की स्तुति और प्रशंसा है। वह इस वाक्य को हज के विभिन्न अवसरों पर बार-बार उच्चारित करते थे। इस संदर्भ में, तलबिया का उच्चारण विशेष रूप से रात के अंत में और नमाज़ के बाद करना भी मुस्तहब माना जाता है।
इस्लाम आने से पहले, अरब के विभिन्न क़बीलों के पास अपनी-अपनी विशेष तलबिया हुआ करता था, और कुरैश क़बीला का तलबिया विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
तलबिया का अर्थ और स्थान
तलबिया न्यायशास्त्र मे, हज और उमरा के दौरान विशेष वाक्य अर्थात लब्बैक कहना तलबिया कहलात है[१] "तलबिया" का अर्थ है, किसी स्थान पर ठहरना, रुकना, उत्तर देना, सकारात्मक रूप से उत्तर देना या "लब्बैक" कहना।[२]
ऐतिहासिक और हदीसी स्रोतों के अनुसार, फ़रिश्तों ने सबसे पहले अल्लाह के लिए "लब्बैक" कहा था।[३] विभिन्न धार्मिक स्रोतों में यह उल्लेख मिलता है कि आदम (अ), इब्राहीम (अ), नूह (अ), हूद (अ), सालेह (अ), मूसा (अ), ईसा (अ), युनुस (अ) और बनी इस्राईल के दूसरे नबीयो द्वारा भी "लब्बैक" कहने का उल्लेख है।[४]
पैग़म्बर इस्लाम (स) के आगमन से पहले, अरब के विभिन्न क़बीलों के पास अपना-अपना विशेष तलबिया हुआ करता था।[५] उदाहरण स्वरूप, क़ुरैश का तलबिया इस प्रकार था: "لَبَّیكَ الّلهُمَّ لَبَّیكَ، لَبَّیكَ لا شَریكَ لَكَ اِلّا شَریکْ هُوَ لَكَ تَملِكُهُ وَما مَلَكَ लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैक लाशरीका लका इल्ला शरीक होवा तमलेकोहू वमा मलका", और उनका प्रत्येक प्रसिद्ध मूर्ती के लिए भी विशेष तलबिया था।[६]
इस्लामी तलबिया
इस्लाम के पैग़म्बर (स) ने मुसलमानों को जो तलबिया सिखाया वह इस प्रकार था: "لَبَّیكَ الّلهُمَّ لَبَّیكَ، لَبَّیكَ لا شَریكَ لَكَ لَبَّیكَ، إنَّ الْحَمدَ وَالنِّعمَةَ لَكَ وَالْمُلكَ، لا شَریكَ لَكَ لَبَّیكَ लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक, इन्नल हम्दा वन्नेअमता लका वलमुल्क, ला शरीका लका लब्बैक "; हे परमेश्वर, मैं तेरी ओर फिरा हूं, और मैं तेरे निमंत्रण और पुकार का उत्तर देता हूं; जवाब देने के बाद जवाब देना, तेरा कोई साथी या सहायक नहीं है, सारी प्रशंसा तेरे लिए है, विश्व का राजा तू ही है। तेरा कोई साथी नहीं है, मैं तेरा निमंत्रण स्वीकार करता हूं"।[७]
हदीसों के अनुसार, इस्लाम के पैग़म्बर (स) "لَبَّیكَ ذَا المَعارِجِ لَبَّیكَ लब्बैक ज़ल मआरेजे लब्बैका" वाक्यांश को अधिक दोहराते थे,[८] और परिसर की सवारी करने के बाद, जब ऊंचाई से चढ़ते थे, ढलान से नीचे जाते थे, और रात के अंतिम हिस्से मे, और हर नमाज़ के बाद तलबिया कहते थे।[९] इसके अलावा, मक्का में (8वीं ज़िलहिज्जा) के दिन सूर्यास्त के समय, उन्होंने मुसलमानों को तल्बियाह कहने का आदेश दिया और फिर वह तलबिया कहने वाले अपने साथियों के साथ मीना की ओर चले गए।[१०]
तलबिया की बुद्धिमत्ता
कुछ हदीसों में तलबिया की बुद्धिमत्ता का वर्णन इस प्रकार हैं: ईश्वर की पुकार का उत्तर देना,[११] पैग़म्बर इब्राहीम (अ) की पुकार का उत्तर देना, जिन्होंने ईश्वर के आदेश से लोगों को हज के लिए बुलाया,[१२] तलबिया के साथ पापों को क्षमा करना,[१३] ईश्वर के लिए बोलने और उसकी आज्ञा मानने का निर्णय लेना, और हर प्रकार के पाप से बचना।[१४]
फ़िक्ही हुक्म; इहराम के सही होने की शर्त
शिया न्यायशास्त्र के अनुसार, हज और उमरा ए तमत्तोअ, हज इफ़राद और उमरा ए मुफ़रेदा मे एक बार तलबिया की आवश्यकता होती है, और तलबिया के बिना एहराम सही नहीं है; हालाँकि, हज क़ेरान में, हाजी तलबिया कह सकता है या वह इश्आर या तक़लीद (क़ुरबानी को चिह्नित करना) चुन सकता है। मीक़ात में तलबिया कहने के बाद व्यक्ति मोहर्म हो जाता है और उसे एहराम के मोहर्रेमात (जो चीज़े एहराम पहनने वाले पर हराम है उन) से बचना चाहिए।[१५]
प्रसिद्ध शिया न्यायविद तलबिया को हज और उमरा के अरकान नहीं मानते हैं।[१६] बाद के शिया न्यायविदों का मानना है कि यदि कोई मोहरिम नियत के बाद तलबिया कहना भूल जाए और मीक़ात से निकल जाए, तो उसे मीक़ात वापस पलटकर उसकी भरपाई करे अर्थात तलबिया कहे।[१७] यदि लौटना संभव न हो तो जितना संभव हो उतना लौटना चाहिए।[१८] यदि यह भी संभव न हो तो उसी स्थान पर तलबिया कहे।[१९] कुछ लोगो ने अज्ञानता के रूप में उन्होंने भूलने की बीमारी को जोड़ दिया है और उनकी राय है कि यदि उमरा तमत्तोअ के दौरान हाजी के लिए मीक़ात या "अदना-अल-हल" में लौटना संभव नहीं है, तो उसका उमरा बातिल है और ऐसे हाजी पर हज इफ़राद वाजिब हो जाता है।[२०]
सही अरबी मे तलबिया
तलबिया सही अरबी भाषा में उच्चारण किया जाना चाहिए।[२१] एहराम पहनने वाले की सही अरबी में उच्चारण करने में असमर्थता के मामले में, कई राय व्यक्त की गई हैं: नायब बनाने के वुजूब,[२२] तलबिया का अनुवाद करने का वुजूद[२३] किसी भी संभव तरीके से तलबिया शब्द का उच्चारण करना,[२४] वाक्यांश का यथासंभव उच्चारण करना और उसका अनुवाद तथा तलबिया के लिए एक नायब बनाना।[२५] कुछ लोग यह भी मानते हैं कि एहराम पहनने वाले की किसी भी तरह से तल्बिया का उच्चारण करने में असमर्थता, उसे उस वर्ष मनासिक अदा करने से छूट मिल जाएगी और अगले वर्ष के लिए उसे अरबी का सही उच्चारण सीखना होगा।[२६]
तलबिया के शब्द
प्रसिद्ध् शिया न्यायविदों के फ़तवे में तलबिया को इस प्रकार कहा जाना चाहिए: "لَبَّیكَ الّلهُمَّ لَبَّیكَ، لَبَّیكَ لا شَریكَ لَكَ لَبَّیک लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैक ला शरीका लका लब्बैक।"[२७] अधिकांश बाद वाले न्यायविदो[२८] के अनुसार "لَبَّیكَ الّلهُمَّ لَبَّیكَ، إنَّ الحَمدَ وَالنِّعمَةَ لَكَ وَالمُلكَ، لا شَریكَ لَكَ لَبَّیكَ लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, इन्नल हम्दा वन्नेअमता लका वलमुल्का, ला शरीका लका लब्बैक" को आवश्यक मानते हैं।[२९] कुछ न्यायविदो ने तलबिया के शब्दो को इस प्रकार भी व्यक्त किया हैं; "لَبَّیكَ الّلهُمَّ لَبَّیكَ، لَبَّیكَ لا شَریكَ لَكَ لَبَّیكَ، إنَّ الحَمدَ وَالنِّعمَهَ لَكَ وَالمُلكَ، لا شَریكَ لَكَ लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक, लब्बैक ला शरीका लका लब्बैक, इन्नल हम्दा वन्नेअमता वल मुल्का, ला शरीका लका।"[३०]
तलबिया दोहराना के मुस्तहब जगह
शिया न्यायविदों ने एहराम पहनने के लिए तलबिया दोहराने को मुस्तहब माना है, खासकर कुछ मामलों में; उनमें से: रात का अंतिम समय या दिन की शुरुआत, भोर के समय, किसी पहाड़ी या घाटी से चढ़ते या उतरते समय, वाजिब या मुस्तहब नमाज़ अदा करने के बाद, और अपने हमसफ़र को देखने के समय।[३१] और शिया तथा हंबली न्यायविदो ने तलबिया को एहराम के कुछ मोहर्रेमात को अंजाम देने के बाद (शीशा देखना) मुस्तहब जाना है।[३२]
फ़ुटनोट
- ↑ इब्ने इद्रीस, मुस्ततरेफ़ात अल सराइर, 1411 हिजरी, पेज 590; अल मुक़द्देसी, अल उद्दा, 1426 हिजरी, भाग 1, पेज 161
- ↑ खलील इब्न अहमद, अल ऐन, 1409 हिजरी, लब्बै शब्द के अंतर्गत, भाग 8, पेज 341; इब्न फ़ारस, मोअजम मक़ाईस अल लुग़ा, 1409 हिजरी, लब शब्द के अंतर्गत, भाग 5, पेज 199; जोहरी, अल सेहाह, 1407 हिजरी, लब्बैय शब्द के अंतर्गत, भाग 6, पेज 24
- ↑ अल अरज़की, अखबार मक्का, 1415 हिजरी, भाग 1, पेज 39; बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 56, पेज 198; शौकानी, फ़त्हुल क़दीर, दार अल मारफ़ा, भाग 1, पेज 64
- ↑ शहाता व मकातिल बिन सुलैमान, तफ़सीर मक़ातिल, 1423 हिजरी, भाग 3, पेज 125; हुर्रे आमोली, वसाइल अल शिया, 1412 हिजरी, भाग 11, पेज 236; कुलैनी, अल काफ़ी, 1375 शम्सी, भाग 4, पेज 206-207; शेख सदूक़, एलल अल शराए, 1385 हिजरी, भाग 2, पेज 419; तबरी, जामेअ अल बयान, 1412 हिजरी, भाग 17, पेज 189-190; इब्न कसीर, तफ़सीर अल कुरआन अल अज़ीम, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 240; मुत्तक़ी हिंदी, कन्जुल उम्माल, 1413 हिजरी, भाग 12, पेज 229; कुलैनी, अल काफ़ी, 1375 शम्सी, भाग 4, पेज 213; हल्बी, अल सीरत अल हल्बीया, 1400 हिजरी, भाग 2, पेज 433
- ↑ इब्न हबीब, अल महबर, बैरूत, पेज 311; हल्बी, अल सीरत अल हल्बीया, 1400 हिजरी, भाग 3, पेज 232; कुलैनी, अल काफ़ी, 1375 शम्सी, भाग 4, पेज 542; शहाता व मक़ातिल बिन सुलैमान, तफ़सीर मक़ातिल, 1423 हिजरी, भाग 3, पेज 124-125; तबरी, जामेअ अल बयान, 1412 हिजरी, भाग 9, पेज 310
- ↑ इब्न हबीब, अल महबर, बैरूत, पेज 311-315
- ↑ शेख़ सदूक़, मन ला याहज़ुर अल फ़क़ीह, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 326-327; वसाइल अल शिया, 1412 हिजरी, भाग 12, पेज 379; कुलैनी, अल काफ़ी, 1375 शम्सी, भाग 4, पेज 250 और 335
- ↑ कुलैनी, अल काफ़ी, 1375 शम्सी, भाग 4, पेज 250; शेख़ सदूक़, मन ला याहज़ुर अल फ़क़ीह, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 325
- ↑ कुलैनी, अल काफ़ी, 1375 शम्सी, भाग 4, पेज 250; शेख़ सदूक़, मन ला याहज़ुर अल फ़क़ीह, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 325
- ↑ कुलैनी, अल काफ़ी, 1375 शम्सी, भाग 4, पेज 250; शेख तूसी, तहज़ीब अल अहकाम, 1364 शम्सी, भाग 5, पेज 92
- ↑ शेख सदूक़, ऐलल अल शराए, 1385 हिजरी, भाग 2, पेज 416; शेख़ सदूक़, मन ला याहज़ुर अल फ़क़ीह, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 196
- ↑ हुमैरी, क़ुरब अल असनाद, 1413 हिजरी, पेज 239; शेख सदूक़, ऐलल अल शराए, 1385 हिजरी, भाग 2, पेज 416
- ↑ शेख़ सदूक़, मन ला याहज़ुर अल फ़क़ीह, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 222; शेख तूसी, तहज़ीब अल अहकाम, 1364 शम्सी, भाग 5, पेज 313; मुत्तक़ी हिंदी, कन्जुल उम्माल, 1413 हिजरी, भाग 5, पेज 32
- ↑ मोहद्दिस नूरी, मुस्तदरक अल वसाइल, 1408 हिजरी, भाग 10, पेज 167
- ↑ अल्लामा हिल्ली, तज़केरातुल फ़ुक़्हा, 1414 हिजरी, भाग 7, पेज 248; यज्दी, अल उरवातुल वुस्क़ा, 1420 हिजरी, भाग 4, पेज 666; ख़ूई, मोअतमद अल उरवा, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 528
- ↑ शहीद सानी, मसालिक अल अफहाम, 1416 हिजरी, भाग 2, पेज 226; फ़ाज़िल हिंदी, कश्फ़ अल लेसाम, 1416 हिजरी, भाग 5, पेज 20; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1981 ईस्वी, भाग 18, पेज 3-4
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1420 हिजरी, भाग 4, पेज 668; हकीम, मुस्तमसिक अल उरवा, 1384 हिजरी, भाग 11, पेज 407; ख़ूई, मोअतमद अल उरवा, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 539-540
- ↑ जैनुद्दीन, कलमातुत तक़वा, 1413 हिजरी, भाग 3, पेज 288; गुलपाएगानी, मनासिक अल हज, 1413 हिजरी, पेज 80
- ↑ यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1420 हिजरी, भाग 4, पेज 668
- ↑ फ़ाज़िल लंकरानी, मनासिक अल हज, 1423 हिजरी, पेज 128
- ↑ ख़ूई, मोअतमद अल उरवा, 1404 हिजरी, भाग 4, पेज 523
- ↑ इब्न सईद हिल्ली, अल जामेअ लिश शराए, 1405 हिजरी, पेज 180
- ↑ मूसवी आमोली, मदारिक अल अहकाम, 1410 हिजरी, भाग 7, पेज 266
- ↑ हकीम, मुसतमसिक अल उरवा, 1384 हिजरी, भाग 11, पेज 392; ख़ूई, मोअतमद अल उरवा, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 525-526
- ↑ फ़ाज़िल हिंदी, कश्फ़ अल लेसाम, 1416 हिजरी, भाग 5, पेज 270; नराक़ी, मुस्तनद अल शिया, 1415 हिजरी, भाग 11, पेज 315
- ↑ ख़ूई, मोअतमद अल उरवा, 1404 हिजरी, भाग 2, पेज 525-526
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, अल मुख्तसर अल नाफ़ेअ, 1410 हिजरी, पेज 82; नराक़ी, मुसतनद अल शिया, 1415 हिजरी, भाग 11, पेज 312; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1981 ई, भाग 18, पेज 228
- ↑ मूसवी अल आमोली, मदारिक अल अहकाम, 1410 हिजरी, भाग 7, पेज 268
- ↑ सय्यद मुर्तज़ा, रसाइल अल शरीफ़ अल मुर्तज़ा, 1405 हिजरी, भाग 3, पेज 67; शेख तूसी, अल मबसूत फ़ी फ़िक़्ह अल इमामीया, 1387 हिजरी, भाग 1, पेज 316
- ↑ शेख सदूक़, अल मुक़्नेआ, 1415 हिजरी, पेज 220; शेख सदूक़, अल हिदाया, 1418 हिजरी, पेज 220; यज़्दी, अल उरवा अल वुस्क़ा, 1420 हिजरी, भाग 4, पेज 663
- ↑ अल्लामा हिल्ली, तज़केरतुल फ़ुक़्हा, 1414 हिजरी, भाग 7, पेज 253; मोहक़्क़िक़ अरदबेली, मजमा अल फ़ाएदा, 1416 हिजरी, भाग 6, पेज 235; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1981 ई, भाग 18, पेज 273
- ↑ इब्न कुद्दामा, अल शरह अल कबीर, बैरुत, भाग 3, पेज 260; फ़ाज़िल लंकरानी, मनासिक अल हज, 1423 हिजरी, पेज 86; ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला, 1390 हिजरी, भाग 1, पेज 422
स्रोत
- इब्न इद्रीस हिल्ली, मुहम्मद बिन मंसूर, मुसततरेफ़ात अल सराइर, क़ुम, अल नशर अल इस्लामी, 1411 हिजरी
- इब्ने हबीब, मुहम्मद, अल मोहब्बर, बे कोशिश ईलज़ह लीखतन शतीतर, बैरुत, दार अल आफ़ाक़ अल जदीदा
- इब्न सईद हिल्ली, याह्या, अल जामेअ लिश शराए, ज़ेरे नज़र शेख जाफ़र सुबहानी, क़ुम, मोअस्सेसा सय्यद अल शोहदा, 1404 हिजरी
- इब्न फ़ारस, अहमद, मोअजम मक़ाईस अल लुगा, शोधः अब्दुस सलाम मुहम्मद हारून, क़ुम, मकतब अल आलाम अल इस्लामी, 1409 हिजरी
- इब्ने क़ुद्दामा, अब्दुर रहमान बिन मुहम्मद, अल शरह अल कबीर, बैरुत, दार अल कुतुब अल इल्मीया
- इब्ने कसीर, इस्माईल बिन उमर, तफ़सीर अल क़ुरआन अल अज़ीम, बे कोशिश मरअशली, बैरुत, दार अल मारफ़ा, 1409 हिजरी
- अल अजरक़ी, मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह, अखबार मक्का, बे कोशिश रुशदी अल सालेह, मक्का, मकतब अल सक़ाफ़ा, 1415 हिजरी
- अल मुकद्देसी, अब्दुर रहमान बिन इब्राहीम, अल उद्दतो शरह अल उमदा, संशोधन व तालीक़ सलाह बिन मुहम्मद बिन उवैज़ा, क़ुम, दार अल कुतुब अल इल्मीया, 1426 हिजरी
- जोहरी, इस्माईल बिन हम्माद, अल सेहाह, शोधः अहमद अब्दुल ग़फ़ूर अल अत्तार, बैरूत, दार अल इल्म लिलमलाईन, 1407 हिजरी
- हुर्रे आमोली, मुहम्मद बिन हसन, वसाइल अल शिया, क़ुम, आले अल बैत, 1412 हिजरी
- हकीम, सय्यद मोहसिन, मुसतमसिक अल उरवा अल वुस्क़ा, क़ुम, दार एहया अल तुरास अल अरबी, 1384 हिजरी
- हल्बी, अली बिन बुरहान, अल सीरत अल हल्बीया, बैरुत, दार अल मारफ़ा, 1400 हिजरी
- ख़लील बिन अहमद फ़राहीदी, अल ऐन, शोधः महदी अल मख़ज़ूमी व इब्राहीम अल सामराई, क़ुम, दार अल हिजरा, 1409 हिजरी
- ख़ुमैनी, सय्यद रुहुल्लाह, तहरीर अल वसीला, नजफ़, दार अल कुतुब अल इल्मीया, 1390 हिजरी
- ख़ूई, सय्यद अबुल क़ासिम, मोअतमद अल उरवा अल वुस्क़ा, किताब अल हजः महाज़ेरात अबुल क़ासिम अल मूसवी अल ख़ूई, तक़रीर रज़ा ख़लख़ाली, क़ुम, मदरसा दार अल इल्म, 1404 हिजरी
- ज़ैनुद्दीन, मुहम्मद अमीन, कलमतुल तक़वा, फ़तावी, क़ुम, मेहेर, 1413 हिजरी
- सय्यद मुर्तज़ा, अली बिन हुसैन, रसाइल अल शरीफ़ अल मुर्तज़ा, मुकद्दमा सय्यद अहमद हुसैनी व जमआवरी सय्यद महदी रजाई, क़ुम, दार अल क़ुरआन अल करीम, 1405 हिजरी
- सहाता, अब्दुल्लाह महमूद, व मक़ातिल बिन सुलैमान, तफ़सीर मक़ातिल बिन सुलैमान, बैरुत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, 1423 हिजरी
- शौकानी, मुहम्मद बिन अली, फ़त्ह अल क़दीर, बैरुत, दार अल मारफ़ा
- शहीद सानी, ज़ैनुद्दीन बिन अली, मसालिक अल इफ़हाम एला तंक़ीह शराए अल इस्लाम, क़ुम, मआरिफ़ इस्लामी, 1416 हिजरी
- शेख सदूक़, महुम्मद बिन अली, अल मुक़्नेआ, क़ुम, मोअस्सेसा अल इमाम अल हादी (अ), 1415 हिजरी
- शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, अल हिदाया, क़ुम, मोअस्सेसा अल इमाम अल हादी (अ), 1418 हिजरी
- शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, एलल अल शराए, बे कोशिश बहर अल उलूम, नजफ़, अल मकतब अल हैदरीया, 1385 हिजरी
- शेख़ सदूक़, मुहम्मद बिन अली, मन ला याह़जुर अल फ़क़ीह, संशोधन व मुकद्दमा अली अकबर ग़फ़्फ़ारी, क़ुम, मंशूरात जमाअत अल मुदर्रेसीन, 1404 हिजरी
- शेख तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल मबसूत फ़ी फ़िक़्ह अल इमामीया, संशोधन व तालीक़ सय्यद मुहम्मद तक़ी कशफ़ी, तेहरान, अल मकतब अल मुर्तजवी, 1387 हिजरी
- शेख तूसी, मुहम्मद बिन हसन, तहज़ीब अल अहकाम, संशोधन व तालीका सय्यद हसन मूसवी खिरसान व मुहम्मद आख़ूंदी, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1365 शम्सी
- तबरी, मुहम्मद बिन जुरैर, जामेअ अल बयान फ़ी तफसीर अल क़ुरआन, बैरुत, दार अल मारफ़ा, 1412 हिजरी
- अल्लाम हिल्ली, हसन बिन यूसुफ़, तज़केरातुल फ़ुक़्हा, क़ुम, आले अलबैत, 1414 हिजरी
- फ़ाज़िल लंकरानी, मुहम्मद, मनासिक हज, क़ुम, अमीर कबी, 1423 हिजरी
- फ़ाज़िल हिंदी, मुहम्मद बिन हसन, कश्फ़ अल लेसाम, क़ुम, नशर इस्लामी, 1416 हिजरी
- कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अलकाफी, संशोधन व तालीक़ा अली अकबर ग़फ़्फ़ारी, तेहारन, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1375 शम्सी
- गुलपाएगानी, सय्यद मुहम्मद रज़ा, मनासिक अल हज, क़ुम, दार अल कुरा, 1413 हिजरी
- मुत्तक़ी हिंदी, अली बिन हेसामुद्दीन, कुंजुल उम्माल, ब कोशिश अल सक़ा, बैरुत, अल रेसाला, 1413 हिजरी
- मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बिहार उल अनवार, बैरुत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, 1403 हिजरी
- मुहद्दिस नूरी, मीर्ज़ा हुसैन, मुसतदरक अल वसाइल व मुसतंबित अल मसाइल, शोधः मोअस्सेसा आले अलबैत, बैरुत, मोअस्सेसा आले अलबैत ले एहया अल तुरास, 1408 हिजरी
- मुहक़्क़िक़ अरदबेली, अहमद बिन मुहम्मद, मजमा अल फ़ाएदा व अल बुरहान फ़ी शरह इरशाद अल अज़हान, संशोधन व तालीक़ा मुज्तबा इराकी व शेख अली पनाह इश्तेहारदी व हुसैन यज़्दी, क़ुम, इंतेशारात इस्लामी, 1416 हिजरी
- मोहक़्क़िक़ हिल्ली, जाफ़र बिनहसन, अल मुखतसर अल नाफ़ेअ, तेहरान, किस्म अल देरासात अल इस्लामीया फ़ी मोअस्सेसतिल बेअसत, 1410 हिजरी
- मूसवी आमूली, सय्यद मुहम्मद बिन अली, मदारिक अल अहकाम, क़ुम, आले अलबैत, 1410 हिजरी
- नजफ़ी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल कलाम, संशोधन व तालीक़ा क़ूचानी, बैरुत, दार एहया अल तुरास अल अरबी, 1981 ईस्वी
- नराक़ी, अहमद बिन मुहम्मद महदी, मुसतनद अल शिया, क़ुम, आले अलबैत, 1415 हिजरी
- यज़्दी, सय्यद मुहम्मद काज़िम, अल उरवातुल वुस्क़ा, क़ुम, अल नशर अल इस्लामी, 1420 हिजरी