जाफ़रे कज़्ज़ाब

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यह लेख जाफ़र बिन अली के बारे में है जोकि जाफ़रे कज़्ज़ाब के नाम से प्रसिद्ध है। अन्य कामो के लिए, जाफ़र बिन अली वाला लेख देखें।

जाफ़रे कज़्ज़ाब
इमाम नक़ी (अ) के पुत्र, इमामत के दावेदार
पूरा नामजाफ़र बिन अली
उपनामअबू अब्दुल्लाह
प्रसिद्ध रिश्तेदारइमाम हसन अस्करी (अ) (भाई)
जन्म तिथिवर्ष 232 हिजरी के बाद
मृत्यु तिथिवर्ष 271 हिजरी, सामर्रा
समाधिइमामैन अस्करीऐन (अ) के हरम में
गतिविधियांइमाम ज़माना के जन्म से इंकार, इमाम अस्करी (अ) की शहादत के बाद इमामत का दावा


जाफ़र बिन अली (अरबी: جعفر بن‌ علي‌ الهادي) (मृत्यु 271 हिजरी) इमाम अली नक़ी अलैहिस सलाम के बेटे, जिन्हे जाफ़र ए कज़्ज़ाब के नाम से जाना जाता है। इन्होने अपने भाई इमाम हसन अस्करी (अ) की शहादत के बाद इमामत का दावा किया। इस लिए बारह इमामो को मानने वाले शियों ने इन्हें कज़्ज़ाब (झूठा) का उपनाम दिया।

जाफ़र ने अपनी इमामत को साबित करने के लिए इमामे ज़माना (अ) के जन्म से इन्कार करते हुए इमाम अस्करी (अ) की विरासत का दावा किया। वह 11वें इमाम (इमाम हसन अस्करी) के पार्थिव शरीर पर नमाज़े जनाज़ा पढ़ना चाहता थे; लेकिन इमामे ज़माना ने उन्हे रोका।

जाफ़र के अनुयायियों को जाफ़रिया भी कहा जाता है। वे इस बात से असहमत थे कि उन तक इमामत किस इमाम से पहुंची। कोई उन्हें इमाम अली नक़ी (अ) का उत्तराधिकारी मानता था, कोई उन्हें सय्यद मुहम्मद का उत्तराधिकारी मानता था, तो कोई उन्हें इमाम अस्करी (अ) का उत्तराधिकारी मानता था।

पूर्वज और उपनाम

जाफ़र दसवें इमाम, इमाम अली नक़ी (अ) के पुत्र और ग्यारहवे इमाम, इमाम हसन अस्करी (अ) के भाई हैं।[१] स्रोतों मे जाफ़र की जन्मतिथि का कोई उल्लेख नहीं है; लेकिन कुछ लोगों ने तर्क दिया कि इमाम हसन अस्करी (अ) उनसे उम्र में बड़े थे इसलिए जाफ़र का जन्म 232 हिजरी के बाद हुआ।[२] 271 हिजरी में सामरा में मृत्यु हुई और उन्हे अपने पिता के घर में दफ़नाया गया।[३] इनकी कब्र असकरीयैन के हरम मे स्थित है।[४]

इमामत का दावा करने के कारण शियों ने उन्हे कज़्ज़ाब (बहुत झूठा) का उपनाम दिया है।[५] एक रिवायत के अनुसार, पैगंबर (स) ने उसे इमामत का झूठा दावा करने के कारण कज़्ज़ाब का उपनाम दिया और उसके जन्म और उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के बारे में सूचित किया। और छटे इमाम को सादिक़ उपनाम दिया ताकि कज़्ज़ाब से अलग हो जाए।[६]

यह भी कहा गया है कि 11वें इमाम का उत्तराधिकारी होने का दावा करने और उनके इकलौते बच्चे के अस्तित्व को नकारने के कारण कज़्जाब उपनाम दिया गया है।[७] हालांकि इन सबके बावजूद उनके अनुयायी उन्हें ज़का (पाक और पाकीज़ा अर्थात शुद्ध एंवम पवित्र) कहते है।[८]

जाफ़र की उपाधी अबू अब्दुल्लाह थी;[९] लेकिन क्योंकि उनकी नस्ल से 120 बच्चे पैदा हुए थे, इसलिए उन्हें अबू कर्रेन[१०] भी उपनाम दिया गया था।

जाफ़र को ज़ुक़्क़ुअल-क़मर (पात्र और शराब की मश्क) उपनाम दिया गया है; क्योंकि उन पर शराब पीने का आरोप लगाया गया था।[११] कुछ लोगो का कहना है कि यह आरोप बारह इमामों के मानने वाले शियों और जाफ़र के अनुयायियों के बीच की दुश्मनी से उत्पन्न हुआ है[१२] क्योंकि जाफ़र के अनुयायी भी इमाम अस्करी (अ) और उनके सहाबीयो को बुरा भला कहते थे।[१३]

इमामत का दावा

इमाम हसन अस्करी (अ) की शहादत के बाद, जाफ़र ने इमामत का दावा किया।[१४] उनके अनुयायियों के बीच इस बात पर मतभेद पाया जाता था कि वो किस इमाम के उत्तराधिकारी है।[१५] कुछ लोग जाफ़र को इमाम हादी (अ) का और कुछ लोग उनके भाई सय्यद मुहम्मद -जिनकी मृत्यु उनके पिता के जीवन काल ही मे हो गई थी- का उत्तराधिकारी जानते थे। उनका मानना था कि इमाम हादी (अ) के बाद सय्यद मुहम्मद इमाम थे।[१६] एक अन्य समूह भी उन्हें इमाम अस्करी (अ) का उत्तराधिकारी मानता था।[१७]

जाफ़र ने अपने इमामत के दावे को साबित करने के लिए कदम उठाए; लेकिन शेख़ मुफ़ीद के अनुसार, उनके किसी भी प्रयास का परिणाम नहीं निकला।[१८] उनके द्वारा उठाए गए कुछ कदम निम्मलिखित है:

  1. इमाम हसन अस्करी (अ) के पार्थिव शरीर पर नमाज़े जनाज़ा पढ़ने चाहते थे, लेकिन इमाम ज़माना (अ) जोकि उस समय बच्चे थे, ने उन्हे एक तरफ़ करके अपने पिता के पार्थिव शरीर पर नमाज़े जनाज़ा अदा की।[१९] कुछ लेखकों ने जाफ़र के इस कृत्य को उनके इमामत के दावे की पुष्टि के लिए उठाया गया कदम माना है।[२०]
  2. मोअतसिम अब्बासी को इमाम असकरी के बेटे को खोजने के लिए उनके घर की तलाशी लेने के लिए उकसाया, और उसके सहयोग से इमाम अस्करी की एक नौकरानी को कैद कर लिया गया।[२१] जाफ़र की यह कार्रवाई तब हुई जब क़ुम से एक डेलीकेशन इमाम हसन अस्करी (अ) से मुलाक़ात करने सामर्रा गया था लेकिन इमाम अस्करी (अ) की शहादत की ख़बर से सूचित हुआ।[२२] उनको इमाम अस्करी के बाद जाफ़र को इमाम के रूप मे परिचित कराया गया। शेख़ सदूक़ के अनुसार, उन्होंने जाफ़र से सवालात किए जिनका वो उत्तर देने मे असमर्थ रहे इसीलिए उन्होने जाफ़र को इमामत के योग्य नहीं माना और अपने सवालो के उत्तर इमाम महदी से प्राप्त किए।[२३]
  3. इमाम हसन अस्करी (अ) को दफ़नाने के बाद इमाम की माँ के जीवित होने के बावजूद जाफ़र ने 11वें इमाम की विरासत का दावा किया;[२४] जबकि शिया न्यायशास्त्र के अनुसार, वारिसो की प्रथम श्रेणी (माता-पिता) में से कोई एक जीवित हो तो मीरास वारिसो की दूसरी श्रेणी (भाई) तक नही पहुचंती।[२५]
  4. वो हुकूमत को वार्षिक राशि देने के लिए तैयार हो गए ताकि हुकूमत उनकी इमामत की[२६]

शियो का दृष्टिकोण

शेख़ सदूक़ के अनुसार, शियाओं ने विभिन्न तरीकों से जाफ़र की परीक्षा ली।[२७] उन्होंने जाफ़र के इमामत के दावे को खारिज कर दिया और उन्हें इस पद के योग्य नहीं देखा।[२८] उन्होंने फ़तहिया को खारिज करने वाली हदीसों के आधार पर जाफ़र के दावे को भी खारिज कर दिया।[२९] इन रिवायतो के अनुसार, हसनैन (इमाम हसन और इमाम हुसैन) को छोड़कर दो भाइयों में इमामत जायज़ नहीं है।[३०]

विशेषताएँ

सूत्रों में जाफ़र को एक पथभ्रष्ट और अनैतिक व्यक्ति के रूप में पेश किया गया है।[३१] किताब अल-ग़ैबा में शेख़ तूसी के अनुसार, इमाम अली नक़ी (अ) ने जाफ़र के जन्म के समय उनके माध्यम से लोगों के भटकने की सूचना दी थी।[३२]

इमाम ज़माना (अ) की एक रिवायत मे एक शिया के पत्र के जवाब मे जाफ़र को दीनी अहकाम से बेखबर और एक ऐसी व्यक्ति के रूप मे परिचित कराया गया है जो हलाल और हराम मे अंतर करने मे सक्षम नही था। इस रिवायत के अनुसार जाफ़र ने जादू टोना सीखने के लिए निरंतर 40 दिनो तक अपनी नमाज़े कज़ा की।[३३]

बयान किया गया है कि जाफ़र ने फ़ारिस बिन हातिम (भ्रष्ट और ग़ुलू करने वाला) का पक्ष लिया; जबकि इमाम हादी (अ) ने फ़ारिस पर लानत की और उसे मारने का आदेश दिया था।[३४]

पश्चाताप

कहा गया है कि जाफ़र ने अपनी मृत्यु से पहले पश्चाताप कर ली थी।[३५] इस संदर्भ में इमामे ज़माना (अ) से नक़्ल एक तौक़ीअ मे जाफ़र के काम को हज़रत यूसुफ़ (अ) के भाईयो के काम से तुलना[३६] का हवाला दिया गया है।[३७] हालांकि कुछ लोगो ने जाफ़र के इमामत के दावे के बारे में शेख़ मुफ़ीद के शब्दों का जिक्र करते हुए[३८] कहा है कि इमामे ज़माना (अ) की तौक़ीअ का मतलब नबियों के बच्चों के बीच केवल भटकने का इतिहास पाया जाता है।[३९]

जाफ़रिया संप्रदाय

जाफ़र के अनुयायियों को इतिहास में जाफ़रिया संप्रदाय के रूप में जाना जाता है।[४०] बेशक, इससे पहले, जाफ़रया शीर्षक का इस्तेमाल ज्यादातर इमाम जाफ़र सादिक़ के अनुयायियों को संदर्भित करने के लिए किया जाता था।[४१] जाफ़रे तय्यार की संतान और जाफ़र बिन हर्ब हमदानी (मोअतज़ेला के प्रमुख मृत्यु236 हिजरी), और जाफ़र बिन मुबश्शिरे सक़ाफ़ी (बगदाद के मोअतजेला नेता मृत्यु 234 हिजरी) के अनुयायियो को भी कहा जाता है।[४२]

फ़तहिया जोकि दो भाइयों की इमामत को स्वीकार करते है, जाफ़र की ओर रूख किया।[४३] इस कारण शेख़ सदूक़ ने जाफ़र को फ़तहिया का दूसरा इमाम नामित किया।[४४]

जाफ़र की मृत्यु के बाद उनके कुछ अनुयायियों ने उनके बेटे, अबुल हसन अली जो बग़दाद में सआदत[४५] के वरिष्ठ कमांडर थे की ओर रुख किया।[४६] अन्य लोगों का मानना था कि इमामत को अबुल हसन और उनकी बहन फातिमा के बीच विभाजित हो गई है और इन दोनो के बाद यह जाफ़र की दूसरी संतानो की ओर मुड़ गई है।[४७] साद बिन अब्दुल्लाह अश्अरी ने जाफ़रया संप्रदाय की राय का खंडन करते हुए "किताबुज़ ज़ियाए फ़िर रद्दे अलल मुहम्मदियते वल जाफ़रयते" नामक पुस्तक लिखी।[४८] अली अल-ताहिन को जाफ़रया संप्रदाय का नेता माना जाता है।[४९]

जाफ़र की संतान को इमाम अली रज़ा (अ) से संबंधित होने के कारण इब्नुर रज़ा[५०] या रज़वीयून[५१] कहा जाता था। शेख़ मुफ़ीद के अनुसार अपने रचनाओ को लिखते समय, उन्हें जाफ़र की संतान में से कोई भी ऐसा नहीं मिला, जो बारह इमाम को मानने वाले शिया धर्म का पालन नहीं करते थे।[५२] बुरयहे, मुहम्मद बिन मूसा मुबरक़ा की पत्नी, जिनकी कब्र इमामज़ादे चहल अख्तरान में स्थित है। उनकी (जाफ़र की) बेटी है।[५३]

मोनोग्राफ़ी

"तोहोर मुताहर" किताब जाफ़र के शुद्धिकरण और उनके विचलन की अस्वीकृति में लिखी गई थी। किताब के लेखक जाफ़र की निंदा करने वाले कई रिवायतो को फ़र्जी मानते हैं। इस पुस्तक में, जाफ़र के कुछ दावों को तक़य्या के अध्याय और इमामे ज़माना (अ) के जीवन को संरक्षित करने के संदर्भ में किया गया है।[५४]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. उमारी, अल-मजदी, 1409 हिजरी, पेज 134-135
  2. हूशंगी, जाफ़र बिन अली, पेज 169
  3. उमारी, अल-मजदी, 1409 हिजरी, पेज 134-135
  4. क़ाएदान, अत्बाते आलीयाते इराक़, 1387 शम्सी, पेज 206
  5. इब्ने अंबा, उमदातुत तालिब, 1417 हिजरी, पेज 180; नौबख्ती, फिराकुश शिया, 1404 हिजरी, पेज 95, फुटनोट 1
  6. सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 1, पेज 319-320
  7. बहरानी, हिलयातुल अबरार, 1411 हिजरी, भाग 6, पेज 90, फुटनोट 3
  8. देखेः अर्शी, बुलूग उल मराम, 1939 ई, पेज 51
  9. नौबख्ती, फिराकुश शिया, 1404 हिजरी, पेज 95, फुटनोट 1
  10. इब्ने अंबा, उमदातुत तालिब, 1417 हिजरी, पेज 180; नौबख्ती, फिराकुश शिया, 1404 हिजरी, पेज 95, फुटनोट 1
  11. उमारी, अल-मजदी, 1409 हिजरी, पेज 131
  12. सईदी, जाफ़र बिन अली, भाग 1, पेज 470
  13. अश्अरी, अल-मक़ालात वल फ़िरक़, 1360 शम्सी, पेज 113; शहरिस्तानी, अल-मिमल वन नहल, 1364 शम्सी, भाग 1, पेज 199-200
  14. सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 1, पेज 319
  15. अश्अरी, अल-मक़ालात वल फ़िरक़, 1360 शम्सी, पेज 101
  16. अश्अरी, अल-मक़ालात वल फ़िरक़, 1360 शम्सी, पेज 112
  17. अश्अरी, अल-मक़ालात वल फ़िरक़, 1360 शम्सी, पेज 101
  18. देखेः मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, भाग 2, पेज 337
  19. शेख सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 475
  20. अबुल हुसैनी, महदी अज़ निगाहे अहले सुन्नत, पेज 84
  21. शेख सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 475
  22. शेख सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 475
  23. शेख सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 475
  24. शेख सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 1, पेज 43
  25. नसीरुद्दीन तूसी, जवाहेरुल फ़राइज़, 1426 हिजरी, भाग 1, पेज 19
  26. शेख सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 1, पेज 43-44
  27. शेख सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 476
  28. देखेः तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 84-85
  29. देखेः तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 84
  30. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 1, पेज 285-286; शेख सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 414-417
  31. उमरी, अल-मजीदी, 1409 हिजरी, पेज 131-136
  32. तूसी, अल-ग़ैय्बा, 1411 हिजरी, पेज 226-227
  33. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 50, पेज 228-231
  34. इब्ने क़ीह राज़ी, अल-नक़्ज़, 1375 शम्सी, पेज 200; बेनकल अज़ सईदी, जाफ़र बिन अली, भाग 1, पेज 4700
  35. देखेः उमरी, अल-मजीदी, 1409 हिजरी, पेज 130
  36. सुदूक़, कमालुद्दीन, 1395 हिजरी, भाग 2, पेज 484 (अम्मा सबील अम्मी जाफ़र फसबील इखवते युसूफ)
  37. इब्ने अम्बे, उम्दातुत तालिब, 1417 हिजरी, पेज 180 फुटनोट; बहरानी हिल्यातुल अबरार, 1411 हिजरी, भाग 6, पेज 90; फ़ुटनोट 3; नौबख़्ती, फिरक़ुश शिया, 1404 हिजरी, पेज 95, फ़ुटनोट 1
  38. शेख मुफ़ीद, अल-फ़ुसूल उल अश्रा, 1413 हिजरी, पेज 61-62
  39. सईदी, जाफ़र बिन अली, भाग 1, पेज 4700
  40. अश्अरी, अल-मक़ालात वल फ़िरक़, 1360 शम्सी, पेज 101; फ़ख्रे राज़ी, ऐतेक़ादात फिरकुल मुस्लेमीन वल मुश्रेकीन, 1413 हिजरी, पेज 43
  41. मुदर्रेसी तबातबाई, मकतब दर फ़रआयंदे तकामुल, 1375 शम्सी, पेज 115 बे नक़्ल अज़ सईदी, जाफ़र बिन अली, भाग 1, पेज 4700
  42. समआनी, अल-अंसाब, 1382 शम्सी, भाग 3, पेज 290
  43. अश्अरी, अल-मक़ालात वल फ़िरक़, 1360 शम्सी, पेज 110
  44. शेख सुदूक़, मआनी उल अख़्बार, 1403 हिजरी, पेज 65
  45. फ़ख़्रे राज़ी, अल-शज्रातुल मुबारका, 1419 हिजरी, पेज 93
  46. शहरिस्तानी, अल-मिलल वन नहल, 1364 शम्सी, भाग 1, पेज 200
  47. शहरिस्तानी, अल-मिलल वन नहल, 1364 शम्सी, भाग 1, पेज 200
  48. नज्जाशी, रिजाले नज्जाशी, 1365 हिजरी, पेज 177
  49. शहरिस्तानी, अल-मिलल वन नहल, 1364 शम्सी, भाग 1, पेज 199-200
  50. अमरी, अल-मजदी, 1409 हिजरी, पेज 180
  51. इब्ने अंबे, उम्दातुत तालिब, 1417 हिजरी, पेज 180
  52. शेख मुफ़ीद, अल-फ़ुसूल उल अश्रा, 1413 हिजरी, पेज 65
  53. फक़ीह जलाली बहरुल उलूम गिलानी, मुहम्मद महदी, अनवारे पराकंदे दर जिक्रे अहवाले इमाम जादेगान वा बुकाए मुताबर्रेका ईरान, भाग 1, पेज 437
  54. तोहोर मुताहर दर दिफाए अज अम्मू इमामे ज़मान (अ), खबरगुज़ारी इकना

स्रोत

  • इब्ने अंबा हुसैनी, उम्दातुत तालिब फ़ी अंसाबे आले अबी तालिब, क़ुम, अंसारियान. 1417 हिजरी
  • इब्ने कुब्बा राज़ी, अल-नक़्जो अला अबिल हसन अली बिन अहमद बिन बिशार फ़िल गैय्बा, दर हुसैन मुदर्रिसी तबातबाई, मकतब दर फ़रायंद तकामुलः नज़्री बर ततव्वुर मबानी फिक्री तशय्यो दर सह क़रन नुखुस्तीन, अनुवादः हाशिम ईज़्दपनाह, न्यूजर्सी, 1375 शम्सी
  • अबुल हसनी, रहीम, महदी (अ) अज़ निगाहे अहले सुन्नत, रवाक़े अंदेशे, क्रमांक 18, खुरदाद 1382 शम्सी
  • अश्अरी, साद बिन अब्दुल्लाह, अलमकालात वल फिरक, मरकज़े इंतेशाराते इल्मी वा फ़रहंगी, 1360 शम्सी
  • बहरानी, सय्यद हाशिम बिन सुलैमान, हिलयातुल अबरार फ़ी अहवाले मुहम्मद वा आलेहिल अत्हार अलैहेमुस सलाम, क़ुम, मोअस्सेसा ए अलमआरिफ अल-इस्लामीया, 1411 हिजरी
  • सईदा, फरीदी, जाफ़र बिन अली, दर दानिश नामा ए जहाने इस्लाम, भाग 1
  • समआनी, अब्दुल करीम बिन मुहम्मद, शोधः अब्दुर रहमान बिन याह्या अल मोअल्लमी अल-यमानी, हैदराबाद, मजलिसे दाएरतुल मआरिफ अल-उस्मानीया, 1382 हिजरी
  • शहरिस्तानी, मुहम्मद बिन अबदुल करीम, अल-मिलल वन निहल, शोधः मुहम्मद बदरान, क़ुम, अल-शरीफ़ अल-रज़ी, 1346 शम्सी
  • शेख सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, मआनी उल अखबार, संशोधनः अली अकबर गफ़्फ़ारी, क़ुम, दफ्तरे इंतेशाराते इस्लामी वा बस्ता बे जामे उल मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, 1403 हिजरी
  • शेख सुदूक़, मुहम्मद बिन अली, कमालुद्दीन वा इतमामे नेमत, संशोदनः अली अकबर गफ़्फ़ारी, तेहरान, इस्लामीया, 1395 हिजरी
  • शेख मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहममद, अल-इरशाद फ़ी मारफ़ते होजाजिल्लाहे अलल इबाद, शोधः मोअस्सेसा ए आले अलबैत, क़ुम, कुंगरा ए शेख मुफ़ीद, 1413 हिजरी
  • शेख मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अलफुसूल अल-अशरा फ़िल ग़ैय्बा, क़ुम, कुंगरा ए शेख मुफ़ीद, 1413 हिजरी
  • तूसी, मुहम्मद बिन हसन, अल-ग़ैय्बा, संशोधनः एबादिल्लाह तेहरानी वा अली अहमद नासेह, क़ुम, दार उल मआरिफ अल-इस्लामीया, 1411 हिजरी
  • तूसी, नसीरुद्दीन मुहम्मद बिन मुहम्मद, जवाहेर उल फ़राइज़, मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ फ़िक्ह इस्लामी बर मज़हबे अहले-बैत अलैहेमुस सलाम, क़ुम 1426 हिजरी
  • अर्शी, हुसैन बिन अहमद, बुलूग अल-मराम फ़ी शरह मस्कुल खिताम फी मन तवल्ला मुल्कुल यमन मिन मिल्क व इमाम, इंसतास छाप मारी करमली, काहिरा, 1939 ई
  • उमरी, अली बिन मुहम्मद, अल-मजदी फी अंसाबुत तालेबीन, चाप अहमद महदवी दामग़ानी, क़ुम, 1409 हिजरी
  • फ़ख्रे राज़ी, मुहम्मद बिन उमर, अल-शजरातुल मुबारका फी अंसाबित तालिबया, क़ुम, मकतब आयतुल्लाह अल-मरअशी अल-नजफ़ी, 1419 हिजरी
  • क़ाएदान, असगर, अतबाते आलियाते इराक, तेहरान, मशअर, 1387 शम्सी
  • कुलैनी, मुहम्मद बिन याक़ूब, अल-काफ़ी, संशोधनः अली अकबर ग़फ़्फ़ारी वा मुहम्मद आखूंदी, तेहरान, दार उल कुतुब उल इस्लामीया, 1407 हिजरी
  • मजलिसी, मुहम्मद बाकिर, बिहार उल अनवार, बैरूत, दार ए एहयाइत तुरास अल-अरबी, 1403 हिजरी
  • मुदर्रिसी तबातबाई, हुसैन, मकतब दर फ़रआयंदे तकामुल, नजरी बर ततव्वुर मबानी फिक्री तशय्यो दर सह क़रन नुखुस्तीन, अनुवादः हाशिम इजदपनाह, न्यूजर्सी, 1375 शम्सी
  • नज्जाशी, अहमद बिन अली, रिजाल अल-नज्जाशी, क़ुम, मोअस्सेसा अल-नश्र अल-इस्लामी अल-ताबे लेजमाअत अल-मुदर्रेसीन बेक़ुम अल-मुशरफ, 1365 शम्सी
  • नौ बख्ती, हसन बिन मूसा, फिरक अल-शिया, बैरूत, दार उल अज़्वा, बैरूत, 1404 हिजरी
  • तोहोर मुताहर दर दिफा अज़ अमूई इमाम ज़मान (अ), खबर गुजारी इकना, तारीखे प्रकाशन 22 खुरदाद 1396 शम्सी, तारीखे वीटीज 14 आजर, 1397 शम्सी
  • फ़क़ीह मुहम्मदी जलाली बहरुल उलूम गिलानी, मुहम्मद महदी, अनवारे पराकंदे दर जिक्रे अहवाले इमामजादगान वा बुकाअ मुताबरेरेका ईरान, कुम, इंतेशाराते मस्जिदे मुकद्दस जमकरान, पहला प्रकाशन, 1376 शम्सी