सादिक़ (उपनाम)

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(सादिक़ से अनुप्रेषित)

यह लेख इमाम सादिक़ अलैहिस सलाम के उपनाम के बारे में है। इमाम (अ) के व्यक्तित्व के बारे में जानने के लिए इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस सलाम देखें।


सादिक़, (अरबी: الصادق) इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस सलाम की सबसे प्रसिद्ध उपाधि है।[१] यह उपाधि शियों के छठे इमाम को उनके शब्दों और कर्मों में सच्चाई के कारण दी गई है।[२] यह भी कहा जाता है कि उनके जीवन में कोई ग़लती देखने में न आने के कारण उनका उपनाम सादिक़ पड़ा।[३]

इमाम सज्जाद अलैहिस सलाम के एक कथन के अनुसार, छठे इमाम को जाफ़रे कज़्ज़ाब से अलग करने के लिए उन्हे सादिक़ कहा जाता था।[४] उसी हदीस के अनुसार, शियों के चौथे इमाम अली बिन हुसैन से पूछा गया कि स्वर्ग के लोग छठे इमाम को सादिक़ क्यों कहते हैं, जबकि आप सभी (इमाम) सादिक़ और सच्चे हैं? उन्होने उत्तर दिया: मेरे पिता को उनके दादा, पैग़बरे अकरम सल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम ने सूचित किया कि जब मेरा बेटा "जाफ़र बिन मुहम्मद बिन अली इब्न हुसैन" पैदा हो, तो उसे सादिक़ बुलाओ; क्योंकि उसके पांचवें वंश में एक बच्चा होगा जो जाफ़र कहलाएंगा और वह इमामत का झूठा दावा करेगा, वह भगवान की दृष्टि में जाफ़र झूठा और भगवान पर झूठ बांधने वाला होगा।[५]

कुछ ने कहा है कि इमाम सादिक़ (अ) को अपने समय के विद्रोह में भाग लेने से बचने की वजह से सादिक़ कहा जाता था; क्योंकि उस समय जो कोई भी अपने आसपास लोगों को इकट्ठा करता था और सरकार के खिलाफ़ विद्रोह करता था, उसे झूठा कहा जाता था।[६]

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फ़ुटनोट

  1. मजलिसी, जिला अल-उयून, 2002, पृष्ठ 869।
  2. मुज़फ्फर, अल-इमाम अल-सादिक़, 1421 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 190।
  3. मजलिसी, बेहार अल-अनवार, 1363, खंड 47, पृ.33।
  4. क़ुम्मी, मुनतहल-आमाल, 1379, खंड 2, पृष्ठ 1336।
  5. क़ुम्मी, मुनतहल-आमाल, 1379, खंड 2, पृष्ठ 1336।
  6. पाकेटची, "जाफ़र सादिक़ (अ), इमाम", पी. 181।

स्रोत

  1. पाकेतची, अहमद, "जाफ़र सादिक़ (अ), इमाम", तेहरान, द ग्रेट इस्लामिक इनसाइक्लोपीडिया, खंड 18, द ग्रेट इस्लामिक इनसाइक्लोपीडिया सेंटर, 2010।
  2. क़ुम्मी, शेख़ अब्बास, मुनतहल आमाल, क़ुम, दलिल मा प्रकाशन , 2000।
  3. मजलिसी, मोहम्मद बाक़िर, बिहारुल अनवार, तेहरान, इस्लामीया प्रकाशन, 1984।
  4. मजलिसी, मोहम्मद बाक़िर, जला अल-ओयुन, क़ुम, सरवर, प्रकाशन, 2003।
  5. मुज़फ्फ़र, मोहम्मद हुसैन, इमाम अल-सादिक (अ), क़ुम, जामे मुदर्सीन, 1421 हिजरी।