इस्माईल बिन इमाम सादिक़ (अ)

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इस्माईल बिन इमाम जाफ़र सादिक़ (अ)
भूमिकाइस्माईलियों के सातवें इमाम
मृत्युवर्ष 143 या 145 हिजरी
दफ़्न स्थानमदीना, बक़ीअ क़ब्रिस्तान
निवास स्थानमदीना
पिताइमाम जाफ़र सादिक़ (अ)
माताफ़ातिमा, हुसैन बिन अली (अ) बिन हुसैन (अ) की बेटी
बच्चेमुहम्मद, अली

इस्माईल बिन जाफ़र (अरबी: إسماعيل بن جعفر الصادق) (मृत्यु: 143 या 145 हिजरी) इमाम सादिक़ (अ) के सबसे बड़े बेटे हैं और इस्माईलिया, उन्हें या उनके बेटे मुहम्मद को इमाम सादिक़ (अ) के बाद इमाम मानते हैं। लेकिन इमामिया और पैग़म्बर (स) की हदीसों के अनुसार, मूसा बिन जाफ़र (अ) इमाम सादिक़ (अ) के बाद इमाम हैं। इस्माईल की इमामत का विश्वास इमामिया से इस्माईलियों के अलग होने और इस्माईली संप्रदाय के गठन की शुरुआत थी।

इस्माईल के चरित्र के बारे में मतभेद है, उनमें से कुछ का हदीसों को दलील और हवाला बनाते हुए यह मानना है कि उनका ग़ालियों के साथ सम्बंध था। लेकिन आयतुल्लाह ख़ूई ने इन रिवायत की औचित्य करते हुए और अन्य रिवायतों को दलील और हवाला बनाते हुए उन्हें एक महान व्यक्ति माना है और यह भी माना है कि उनके पिता उनसे स्नेह करते थे।

इस्माईल की मृत्यु इमाम सादिक़ (अ) के जीवनकाल में हुई थी और उन्हें बक़ीअ में दफ़्नाया गया था। इमाम सादिक़ (अ) ने उनके जनाज़े और दफ़्न को खुले तौर पर आयोजित किया और लोगों को उनकी मौत का गवाह बनाया ताकि उनकी इमामत और मौऊद होने का संदेह दूर हो जाए। इसके अलावा, रिवायत के अनुसार, इस्माईल की मृत्यु के समय के बारे में बदा (ईश्वर की ओर से किसी चीज़ का प्रकटीकरण, सेवकों की अपेक्षा के विपरीत) था, क्योंकि कुछ शियों ने उन्हें इमाम माना था, और उनकी मृत्यु के साथ यह स्पष्ट हो गया कि वह इमाम नहीं थे।

जीवन और परिवार

इस्माईल इमाम सादिक़ (अ) और फ़ातिमा के बेटे और इमाम सज्जाद (अ) के नवासे है।[१] ऐतिहासिक स्रोतों में उनकी जन्म तिथि का उल्लेख नहीं है। हालांकि, 127 हिजरी[२] या 128 हिजरी[३] में इमाम काज़िम (अ) का जन्म हुआ और इमाम काज़िम (अ) मे और इस्माईल[४] में 25 वर्ष का फ़ासला था। यह अनुमान लगाया गया है कि उनका जन्म दूसरी शताब्दी के आरम्भ में हुआ होगा।[५]

अली बिन मुहम्मद अलवी उमरी ने इस्माईल की मृत्यु का वर्ष 138 हिजरी बताया है।[६] जबकि तबरी, तारीख़े तबरी के लेखक का मानना है कि इस्माईल वर्ष 140 हिजरी में जीवित थे।[७] 143[८] और 145 हिजरी[९] में इस्माईल की मृत्यु का उल्लेख किया गया है।

इस्माईल की पीढ़ी उनके बच्चों मुहम्मद और अली के माध्यम से जारी रही।[१०] मुहम्मद के दो बच्चे थे जिनका नाम इस्माईल सानी और जाफ़रे अकबर था।[११] और अली बिन इस्माईल की पीढ़ी भी मुहम्मद नाम के एक बच्चे से बाक़ी है।[१२]

ख़ोरासान, नैशापूर, सामर्रा,[१३] दमिश्क़,[१४] मिस्र,[१५] अहवाज़, कूफ़ा, बग़दाद,[१६] यमन,[१७] सौर,[१८] हल्ब[१९] और क़ुम जैसे स्थान पर इस्माईल के वंशज[२०] रहते हैं।

विश्वसनीयता और चरित्र

शिया रेजाल शास्त्र के विशेषज्ञ आयतुल्लाह ख़ूई (1271-1278) के अनुसार, इस्माईल के चरित्र की वैधता के बारे में दो प्रकार की रवायात हैं। कुछ रिवायतों से उनकी प्रशंसा की जाती है और कुछ से उनकी निंदा की जाती है।[२१] इस्माईल की जिन रिवायतों के माध्यम से निंदा की जाती है, उसमें इस्माईल के मुफ़ज़्ज़ल बिन उमर और बस्साम सैरफी जैसे ग़ालियों के साथ संबंध का उल्लेख किया गया है, और इमाम सादिक़ (अ) इन संबंधों से नाखुश थे।[२२] इसके अलावा, वह कुछ सभाओं में जाते थे जिस के कारण उनके नैतिक योग्यता पर संदेह होता था।[२३] आयतुल्लाह ख़ूई ने, जिन रवायतों में निंदा की गई है उसके दस्तावेज़ों को कमज़ोर माना है और जिन रवायतों में प्रशंसा की गई है उसे प्राथमिकता दी है, इसलिए आयतुल्लाह ख़ूई के अनुसार इस्माईल एक महान व्यक्ति थे और उनके पिता उनसे स्नेह करते थे।[२४]

कुछ ने इस्माईल के ख़ेताबिया के साथ संबंध और इस्माईली संप्रदाय के गठन में उनकी भूमिका का उल्लेख किया है। उनके अनुसार, अबुल खत्ताब और इस्माईल ने इमाम सादिक़ (अ) के जीवनकाल में, एक दूसरे के सहयोग से, विश्वासों की स्थापना की जो इस्माईलिया का आधार बन गया[२५] ऐसा कहा जाता है कि इस दावे का कोई सबूत नहीं है।[२६] फ्रांस के इस्लामिक विद्वान मैसिग्नन भी अबू अल-खत्ताब को इस्माईल का आध्यात्मिक पिता मानते हैं।[२७] अलबत्ता, इस्माईलिया न्यायविद क़ाज़ी नोमान (283-363 हिजरी) का मानना है कि इस्लाईमिया संप्रदाय के गठन में अबुल ख़त्ताब की भूमिका नहीं है और उन्हें एक विधर्मी मानते हैं और इमाम सादिक (अ) द्वारा शापित मानते हैं।[२८]

मंसूर अब्बासी के साथ संचार

मुहम्मद बिन जरीर तबरी, तीसरी चंद्र शताब्दी के एक इतिहासकार ने उल्लेख है कि 140 हिजरी में, मंसूर अब्बासी हज के लिए मक्का गया था, मुहम्मद नफ़्से ज़किया और इब्राहिम, अब्दुल्लाह के पुत्र, और ख़ोरासानी समर्थको का एक समूह, जैसे कई अलवी, मक्का में एकजुट हुए। उनमें से कुछ ने मंसूर की हत्या करने का फैसला किया, लेकिन मुहम्मद ने विरोध किया। इस्माईल ने मंसूर को इस के बारे में सूचित किया और मंसूर ने अब्दुल्लाह को गिरफ़्तार कर लिया और उससे अपने बच्चों की पेशी का आदेश दिया, लेकिन अब्दुल्ला ने इन्कार कर दिया तो उन्हें क़ैद कर लिया गया और उनकी संपत्ति बेच दी गई।[२९]

इस्माईल के इमामत का दावा

इमामिया का दृष्टिकोण

इमामिया विद्वानों ने इस्माईल की इमामत से सम्बंधित रवायत के अस्तित्व से इनकार किया है और रवायतों का उल्लेक किया है जो इस्माईल की इमामत को अस्वीकार करती हैं।[३०] उन रवायतों में, हदीसे लौह[३१] और हदीसे जाबिर[३२] हैं। जिनके अनुसार पैग़म्बर (स) ने बारह इमामों के नाम का उल्लेख किया है और उनमें, जाफ़र बिन मुहम्मद के बाद इमाम, उनके बेटे मूसा को माना गया है, इस्माईल को नहीं। इसके अलावा, इमाम सादिक़ (अ) ने कई मौकों पर अपने करीबी साथियों को मूसा बिन जाफ़र की इमामत की घोषणा की थी। अल-काफ़ी,[३३] इरशाद,[३४] आलामुल वरा[३५] और बिहारूल अनवार,[३६] प्रत्येक किताब में मूसा बिन जाफ़र के इमामत के बारे में अध्याय का वर्णन किया है और इस सम्बंध में अल काफ़ी ने 16, इरशाद ने 46, आलामुल वरा ने 12 और बिहारुल अनवार ने 14 रवायतों का उल्लेख किया है।[३७]

मृत्यु को ज़ाहिर करना

ज़ोरारा बिन आयन की एक रिवायत के आधार पर, इस्माईल की मृत्यु के बाद और उनको दफ़्नाने से पहले, इमाम सादिक़ (अ) ने अपने करीबी तीस साथियों को अपने बेटे की मौत का गवाह बनाया।[३८] और इसी तरह ग़ुस्ल, कफ़न और तशीअ जनाज़ा और दफ़्न को खुले तौर पर आयोजित किया।[३९] और उनकी (इस्माईल) की ओर से हज करने का आदेश दिया।[४०] इस कार्य से इमाम का उद्देश्य लोगों का इस्माईल के प्रति इमाम होने के विश्वास को हटाना था क्योंकि कुछ लोगों का मानना थी कि वह इमाम सादिक़ (अ) के बाद इमाम थे।[४१] अब, कुछ इस्माईलियों के विश्वास के अनुसार, इस्माईल मरे नहीं हैं और अपनी मौत का नाटक करके लोगों को धोखा दिया है और इस धोखे का उद्देश्य अपनी और अपने आसपास के लोगों की जान बचाना था।[४२]

इस्माईलियों का दृष्टिकोण

मुख्य लेख: इस्माईलिया

इस्माईलिया उन संप्रदायों का नाम है जो इमाम सादिक़ (अ) के बाद उनके बेटे इस्माईल या उनके पोते मुहम्मद बिन इस्माईल इमाम को मानते हैं।[४३] इस्माईलिया संप्रदायों में से मुबारकिया और क़रामते का विश्वास यह है कि जाफ़र बिन मुहम्मद के बाद, मुहम्मद बिन इस्माईल हैं क्योंकि इस्माईल इमाम सादिक़ (अ) के उत्ताधिकारी थे लेकिन पिता के जीवन में ही उनकी मृत्यु हो जाने के कारण इमाम सादिक़ (अ) ने उनके बेटे के हवाले इमामत कर दी थी। उनके विश्वास के अनुसार इमाम हसन (अ) और इमाम हुसैन (अ) के बाद जाएज़ नहीं है कि इमामत का पद भाई के बाद भाई को मिले।[४४] साद बिन अब्दुल्लाह अशअरी का मानना है कि यही विश्वास इस्माईलिया संप्रदाय के ख़ालेसा या ख़ेताबिया गुट का भी है।[४५] अन्य इस्माईलिया का मानना है कि इस्माईल बिन जाफ़र की मृत्यु नहीं हुई बल्कि वही महदी मौऊद हैं।[४६]

बक़ीअ क़ब्रिस्तान में, इस्माईल बिन इमाम सादिक़ (अ) के क़ब्र का नक़्शा

हालांकि, इस्माईली स्रोतों और काज़ी नोमान के रचनाओं में, इस्माईल की इमामत के बारे में कोई निश्चित रवायत नहीं है।[४७] हालांकि जाफ़र बिन मंसूर अल यमन दाई इस्माईली ने, तीसरी शताब्दी के अंत और चौथी शताब्दी की शुरुआत, उन्होंने कथावाचकों की श्रृंखला का उल्लेख किए बिना, इस्माईल की इमामत के बारे में हदीसों को एकत्र किया।[४८] कुछ स्रोतों में यह भी कहा गया है कि फ़ातमिया ख़ोलफ़ा ने सबसे पहले इस्माईल के बजाय उनके भाई अब्दुल्लाह अफ़तह को इमाम के रूप में पेश किया। फिर उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया और इस्माईल की इमामत का प्रस्ताव रखा।[४९]

इस्माईल के बारे में बदा

कुछ रवायतों के अनुसार इस्माईल की मृत्यु के समय के बारे में बदा (ईश्वर की ओर से किसी चीज़ का प्रकटीकरण, सेवकों की अपेक्षा के विपरीत) हुआ है, जिससे लोगों को पता चले कि वह अपने पिता के बाद इमाम नहीं थे।[५०] क्योंकि शियों के एक समूह का मानना था कि इस्माईल इमाम सादिक़ (अ) के बाद इमाम हैं अपने पिता के जीवनकाल के दौरान उनकी मृत्यु से यह स्पष्ट हो गया कि वह इमाम नहीं थे और अगले इमाम मूसा बिन जाफ़र (अ) हैं।[५१] हाँलाकि इस्माईली स्रोतों ने बदा की रवायतों को इस्माईल की इमामत से जोड़ा है।[५२]

समाधि

इस्माईल की मृत्यु मदीना के पास उरैज़ नामक क्षेत्र में हुई थी और उन्हें बक़ीअ में दफ़्नाया गया था।[५३] फ़ातमिया खिलाफ़त काल (297-567 हिजरी) के दौरान, उसकी क़ब्र के ऊपर एक मकबरा बनाया गया था।[५४] उनका मक़बरा बक़ीअ क़ब्रिस्तान के बाहर बक़ीअ की दीवार से 15 मीटर की दूरी पर, बक़ीअ में दफ़्न इमामों की क़ब्र के सामने पश्चिम दिशा में स्थित थी।[५५] इस्माईल की क़ब्र पर शिया और विशेष रूप से इस्माईलिया ज़ियारत के लिए जाते थे।[५६] मदीना की अपनी यात्रा पर ईरानी हाजी, बक़ीअ की यात्रा के दौरान अक्सर इस इमामज़ादेह की ज़ियारत करते थे, और उनके बारगाह का विवरण उनके यात्रा वृत्तांतों में दर्ज किया गया था।[५७]

मुहम्मद सादिक़ नजमी (1315-1390 शम्सी) के अनुसार, 1394 हिजरी में, बक़ीअ की पश्चिमी सड़क के निर्माण के दौरान, इस्माईल की क़ब्र के आसपास के क्षेत्र को नष्ट कर दिया गया था, और यह अफ़वाह थी कि सदियों के बाद उनका शरीर सही पाया गया था, इस्माईल का शरीर बक़ीअ में ही स्थानांतरित कर दिया गया था। वह स्थान हर्रा के शहीदों के पूर्वी हिस्से में है और हलीमा सादिया की क़ब्र से 10 मीटर की दूरी पर है।[५८]

फ़ुटनोट

  1. शेख़ मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 209।
  2. तबरी, दलाईल इमामा, 1403 हिजरी, पृष्ठ 303।
  3. तबरसी, आलामुल वरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 6।
  4. अबू हताम राज़ी, अल-ज़ीना, पृष्ठ 288, हबीबी मज़ाहेरी द्वारा उद्धृत, "इस्माईल इब्ने जाफ़र", पृष्ठ 648।
  5. हबीबी मज़ाहेरी, दाएरतुल मआरिफ़ बुज़ुर्ग इस्लामी, खंड 8, पृष्ठ 648।
  6. उमरी, अल-मजदी, 1409 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 100।
  7. तबरी, तारीख़ अल-उम्म व अल-मुलूक, 1387 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 524।
  8. ज़रकली, अल-आलाम, 1980, खंड 1, पृष्ठ 311।
  9. सुब्हानी, फ़र्हंगे अक़ाएद व मज़ाहिबे इस्लामी, खंड 7, पृष्ठ 296।
  10. फख़रे राज़ी, अल-शजरातुल अल-मुबारका, 1409 हिजरी, पृष्ठ 101।
  11. फख़रे राज़ी, अल-शजरातुल अल-मुबारका, पृष्ठ 101।
  12. फख़रे राज़ी, अल-शजरातुल अल-मुबारका, 1409 हिजरी, पृष्ठ 103।
  13. बुखारी, सिर अल-सिलसिला अल-अलविया, 1413 हिजरी, पृष्ठ 36।
  14. हम्वी, मोजम अल-बुल्दान, 1995, खंड 2, पृष्ठ 469।
  15. हम्वी, मोजम अल-बुल्दान, 1995, खंड 5, पृष्ठ 142।
  16. अलवी, अल-मजदी, 1409 हिजरी, पृष्ठ 103।
  17. ज़हबी, तारीख अल-इस्लाम, 1410 हिजरी, खंड 20, पृष्ठ 37।
  18. ज़हबी, तारीख अल-इस्लाम, 1410 हिजरी, खंड 30, पृष्ठ 309।
  19. ज़हबी, तारीख अल-इस्लाम, 1410 हिजरी, खंड 12, पृष्ठ 40।
  20. नूरी, खातम अल-मुस्तद्रक, 1415 हिजरी, खंड 4, पृष्ठ 485 देखें।
  21. ख़ूई, मोजम रिजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 3, पीपी. 124-127 को देखें।
  22. कश्शी, रिज़ल अल-कश्शी, 1409 हिजरी, पृष्ठ 245; ख़ूई, मोजम रिजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 125।
  23. उदाहरण के लिए, सदूक़, कमलुद्दीन, 1395 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 70 देखें।
  24. ख़ूई, मोजम रिजाल अल-हदीस, 1410 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 127।
  25. लुईस, द ओरिजिन ऑफ इस्माईलिज्म, पी. 42, हबीबी मजाहेरी द्वारा उद्धृत, "इस्माईल बिन जाफ़र", खंड 9, पी. 650।
  26. हबीबी मजाहेरी, दाएरतुल मआरिफ़ बुज़ुर्ग इस्लामी, खंड 9, 650।
  27. देखें बदवी, शख़्सियात क़लक़ा, पृष्ठ 19, हबीबी मजाहेरी द्वारा उद्धृत, दाएरतुल मआरिफ़ बुज़ुर्ग इस्लामी, पृष्ठ 649।
  28. क़ाज़ी नोमान, दायिम अल-इस्लाम, 1385 हिजरी, खंड 1, पीपी। 49-50।
  29. तबरी, तारिख अल-उम्म और अल-मुलुक, 1387 हिजरी, खंड 7, पृष्ठ 524।
  30. उदाहरण के लिए, सदूक़, कमलुद्दीन, 1395 हिजरी, खंड 1, पीपी.70-71 देखें।
  31. उदाहरण के लिए, कुलैनी, अल-काफी, 1407 हिजरी, पीपी 527-528 देखें।
  32. तबरसी, आलामुल वरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 182।
  33. कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 1, पीपी 311-307।
  34. मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पीपी। 216-222।
  35. तबरसी, आलामुल वरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पीपी. 16-7.
  36. मजलिसी, बिहार अल-अनवर, 1403 हिजरी, खंड 48, पीपी 12-29।
  37. लेखकों का एक समूह, इमाम काज़ेम के जीवन और समय पर लेखों का संग्रह, 1392, खंड 2, पीपी 79, 81।
  38. नोमानी, अल-ग़ैबा, 1397 हिजरी, पृष्ठ 328।
  39. नोमानी, अल-ग़ैबा, 1397 हिजरी, पृष्ठ 328।
  40. इब्ने शहर आशोब, अल-मनकीब, 1379 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 266।
  41. देखें तबरसी, आलामुल वरा, 1417 हिजरी, खंड 1, पेज 546; इब्ने शहर आशोब, अल-मनकीब, 1379 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 266।
  42. देखें शाहरिस्तानी, अल-मेलल व अल-नेहल, 1364, खंड 1, पृष्ठ 226; जोवैनी, तारिख जहानगुशाई, 2005, खंड 3, पृष्ठ 146।
  43. मुफ़ीद, अल-फुसूल अल-मुख्तारा, 1413 हिजरी, पृष्ठ 306 देखें।
  44. मुफ़ीद, अल-फुसूल अल-मुख्तारा, 1413 हिजरी, पृष्ठ 306 देखें।
  45. अशअरी, अल-मक़ालात अल-फ़ेरक़, 1360, पृष्ठ 81।
  46. अशअरी, अल-मक़ालात अल-फ़ेरक़, 1998, पृष्ठ 79 को देखें।
  47. हबीबी मजाहेरी,दाएरतुल मआरिफ़ बुज़ुर्ग इस्लामी, खंड 9, 650।
  48. जाफ़र बिन मंसूर अल यमन, सरायर वा असरार अल-नोत्का, 1404 हिजरी, पृष्ठ 256।
  49. इब्ने हज़्म, जुमहरा अंसाब अल-अरब, 1403 हिजरी, पृष्ठ 59।
  50. सदूक़, किताब अल-तौहीद, अल-नशर अल-इस्लामी, पृष्ठ 336।
  51. सुब्हानी, अल-बदा अला ज़ौ अल किताब व अल सुन्नत, 1392, पृष्ठ 131।
  52. जाफ़र बिन मंसूर अल यमन, सरायर वा असरार अल-नोत्का, 1404 हिजरी, पीपी। 246-247।
  53. अलवी, अल-मजदी, 1409 हिजरी, पेज 100-99।
  54. मुतरी, अल-तारीफ़ बेमा आन्सतो अल-हिजरा, 1426 हिजरी, पृष्ठ 121।
  55. नजमी, तारीख़े हरम आइम्मा ए बक़ीअ, 1380, पीपी। 289-290।
  56. अय्याशी, अल-मदीना अल-मुनवरा फ़ी रेहला अल अय्याशी, 1406 हिजरी, पृष्ठ 175।
  57. उदाहरण के लिए, फ़रहाद मिर्ज़ा मोतमद अल-दौलाह के हज यात्रा वृतांत, पृष्ठ 158 को देखें।
  58. नजमी, तारीख़े हरम आइम्मा ए बक़ीअ, 1380, पीपी। 300-302।

स्रोत

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