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प्रारूप:इत्र लगाना

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इत्र लगाना या इत्र का प्रयोग करना, पैग़म्बरों की सुन्नत और मुस्तहब्बात ए मोअक्कद में से एक माना जाता है, और कुछ खास मौकों पर, जैसे नमाज़ के समय, मस्जिद में दाखिल होते समय, शुक्रवार को, और ईद उल फित्र और ईद उल अज़हा पर इस पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है।

न्यायविदों के फ़तवों के अनुसार, औरत के लिए अपने पति के सामने इत्र लगाना मुस्तहब है; लेकिन, किसी गैर महरम आदमी के सामने और इद्दत वफ़ात मे इत्र लगाना हराम है। साथ ही, एहराम की हालत में इत्र लगाना मना है, और जानबूझकर अंजाम देने की स्थिति मे कफ़्फ़ारा है।

हदीसों के आधार पर, उपहार मे इत्र देना और इसे खरीदने के लिए पैसे खर्च करना मुस्तहब है, और इसका इस्तेमाल करते समय सलवात पढ़ने की सिफारिश की गई है। इबादत करते समय इत्र लगाने से उसका सवाब बढ़ जाता है।

महत्व और स्थान

इत्र लगाना मुस्तहब्बात, पैग़म्बरों के आचार-व्यवहार और उनकी सुन्नत में से माना गया है।[] इत्र किसी भी उस सुगंधित पदार्थ को कहते हैं जिसका इस्तेमाल छिड़कने, रगड़ने, अगरबत्ती जलाने के रूप में किया जाता है।[]

इत्र पर पैसा खर्च करना मुस्तहब माना जाता है[] और वर्णित है कि पैग़म्बर सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम भोजन की तुलना में इत्र पर अधिक खर्च करते थे।[]

इत्र लगाना स्वच्छता और सौंदर्य का एक उदाहरण है[] और रिवायतों में इसकी सिफारिश की गई है।[]

आदाब और मुस्तहब्बात

रिवायतों के अनुसार, इत्र का उपयोग करने के लिए कुछ शिष्टाचार हैं;[] मूंछो पर इत्र लगाना[] और इसका उपयोग करते समय सलवात भेजना[]

यह भी कहा जाता है कि इबादत के दौरान इत्र का उपयोग करने से उसका सवाब बढ़ जाता है।[१०] इमाम सादिक अलैहिस्सलाम से वर्णित है कि इत्र लगाए व्यक्ति की नमाज़ बिना इत्र के सत्तर नमाज़ो से श्रेष्ठ है।[११]

कुछ मान्यताओं के बावजूद यह लोकप्रिय रूप से कहा जाता है कि उपहार के रूप में इत्र देना स्वीकार्य नहीं है।[१२] पैग़म्बर सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम ने इसे सबसे अच्छा उपहार माना[१३] और इसे अस्वीकार करना मकरूह माना जाता है।[१४] यह भी वर्णित है कि मासूमीन अलैहेमुस्सलाम ने इत्र के उपहार को अस्वीकार नहीं किया।[१५]

इसके प्रकारों में इत्र के उपयोग के मुस्तहब्बात में कोई अंतर नहीं है।[१६] हालांकि, मुश्क[१७] अम्बर[१८] गुलाब[१९] और ग़ालिया (कस्तूरी, अम्बर, ऊद और तेल से बना एक इत्र)[२०] के उपयोग को मासूमीन अलैहेमुस्सलाम द्वारा वर्णित किया गया है। इमाम सादिक अलैहिस्सलाम ने मुश्क, अम्बर, केसर और ऊद को इत्र माना[२१] और अगरबत्ती जलाने की भी सिफारिश की गई है।[२२]

इत्र लगाने के लिए सुझाए गए मौके

इत्र लगाना मुस्तहब है,[२३] लेकिन यह दिन की शुरुआत में,[२४] नमाज़ के दौरान, दुआ से पहले,[२५] वुज़ू के बाद,[२६] मस्जिद में दाखिल होने,[२७] ईद उल फ़ित्र, ईद उल अज़हा[२८] और शुक्रवार को ज़्यादा मुस्तहब माना जाता है।[२९] कुछ रिवायतों में कहा गया है कि इन मौकों पर इत्र लगाने का ज़्यादा सवाब बयान किया गया है।[३०]

इत्र लगाने से संबंधित फ़िक्ही अहकाम

महिलाओ का इत्र लगाना

महिला का अपने पति के सामने इत्र लगाना मुस्तहब मोअक्कद माना जाता है[३१] और यह मर्द का अपनी पत्नी पर हक़ और शादी के शिष्टाचार में से एक है।[३२] हालांकि, औरत का गैर महरम मर्द के सामने इत्र लगाना हराम माना गया है।[३३] एक रिवायत के अनुसार जो औरत पति के अलावा किसी और के लिए इत्र लगाकर घर से निकले, वापस आने तक शापित रहती है।[३४] कुछ फ़क़ीह, एक रिवायत का हवाला देते हुए,[३५] मानते हैं कि इस काम के बाद गुस्ल करना मुस्तहब है;[३६] हालांकि, मोहक़्क़िक़ बहरानी मानते हैं कि गुस्ल का मतलब शरई ग़ुस्ल करना नही बल्कि शरीर से खुशबू को धोना है।[३७]

औरत के लिए इद्दत वफ़ात के दौरान इत्र लगाना हराम है।[३८]

रोज़ेदार का इत्र लगाना

रोज़े दार का इत्र लगाना मुस्तहब है;[३९] हालांकि, रोज़े के दौरान खुशबूदार फूलों, खासकर डैफ़ोडिल और मुश्क इत्र को सूंघना मकरूह माना जाता है।[४०] गले तक पहुंचने वाली तेज़ खुशबू को सूंघने से बचने की भी सलाह दी जाती है।[४१]

एहराम की हालत मे इत्र लगाना

मोहरिम के लिए इत्र लगाना, एहराम की मनाही चीज़ों में से है।[४२] और इसमें खुशबूदार चीज़ें (खुशबूदार पौधे और खाने की चीज़ें) सूंघना, लगाना और खाना गुनाह माना जाता है।[४३] इसका जानबूझकर इस्तेमाल करने पर भेड़ कफ़्फ़ारा रखता है।[४४]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. काशिफ़ अल ग़ेता, कश्फ़ुल ग़ेता, 1422 हिजरी, भाग 2, पेज 420-421।
  2. लुग़तनामा दहख़ुदा, इत्र शब्द के अंतर्गत।
  3. सब्ज़वारी, मोहज़्ज़ब अल अहकाम, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 486।
  4. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 6, पेज 512; बहरानी, अल हदाइक अल नाज़ेरा, 1405 हिजरी, भाग 5, पेज 577।
  5. हुसैनी शिराज़ी, अल फ़िक़्ह, अल नेजाफ़ा, पेज 93।
  6. हुर्रे आमोली, वसाइल उश शिया, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 141-144।
  7. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 6, पेज 510; हुर्रे आमोली, वसाइल उश शिया, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 141-156।
  8. बहरानी, अल हदाइक अल नाज़ेरा, 1405 हिजरी, भाग 5, पेज 576।
  9. मजलिसी, बिहार उल अनवार, 1403 हिजरी, भाग 76, पेज 144।
  10. इश्तेहारदी, मदारिक अल उरवा, 1417 हिजरी, भाग 14, पेज 109।
  11. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 6, पेज 511।
  12. चरा इत्र दूरी मी आवरद ? / पुश्ते पर्दा कादू दादन इत्र व जुदाई चीस्त ? जवान पत्रकार क्लब।
  13. हर्रानी, तोहफ़ उल उक़ूल, 1404 हिजरी, पेज 60।
  14. काशिफ़ अल ग़ेता, कश्फ़ुल ग़ेता, 1422 हिजरी, भाग 2, पेज 421।
  15. काशिफ़ अल ग़ेता, कश्फ़ुल ग़ेता, 1422 हिजरी, भाग 2, पेज 421; हुर्रे आमोली, वसाइल उश शिया, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 147।
  16. सब्ज़वारी, मोहज़्ज़ब अल अहकाम, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 486
  17. हुर्रे आमोली, हिदायदुल अमा, 1412 हिजरी, भाग 1, पेज 63।
  18. तबरेसी, मकारिम उल अख़लाक़, मोअस्सेसा आलमी, भाग 1, पेज 33-34।
  19. तबरेसी, मकारिम उल अख़लाक़, मोअस्सेसा आलमी, भाग 1, पेज 42-43।
  20. हुर्रे आमोली, वसाइल उश शिया, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 146 और 151।
  21. हुर्रे आमोली, वसाइल उश शिया, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 152।
  22. हुर्रे आमोली, वसाइल उश शिया, 1409 हिजरी, भाग 2, पेज 155-156।
  23. काशिफ़ अल ग़ेता, कश्फ़ उल ग़ेता, 1422 हिजरी, भाग 2, पेज 420।
  24. सब्ज़वारी, मोहज़्ज़ब अल अहकाम, 1413 हिजरी, भाग 4, पेज 485।
  25. शेख बहाई, मिफ़्ताह उल फ़लाह, दार उल अज़्वा, पेज 302।
  26. काशिफ़ अल ग़ेता, कश्फ़ उल ग़ेता, 1422 हिजरी, भाग 2, पेज 421।
  27. यज़्दी, अल उलवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी), 1419 हिजरी, भाग 2, पेज 408।
  28. हिल्ली, अल जामेअ लिश शराइत, 1405 हिजरी, पेज 107।
  29. अल्लामा हिल्ली, निहायातुल अहकाम, 1419 हिजरी, भाग 2, पेज 49।
  30. तबरेसी, मकारिम उल अख़लाक़, मोअस्सेसा आलमी, भाग 1, पेज 41-43।
  31. बहरानी, हदाइक अल नाज़ेरा, 1405 हिजरी, भाग 33, पेज 121।
  32. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 31, पेज 147।
  33. मकारिम शिराज़ी, अहकाम अल नेसा, 1436 हिजरी, पेज 250।
  34. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 5, पेज 518।
  35. कुलैनी, अल काफ़ी, 1407 हिजरी, भाग 5, पेज 507।
  36. यज़्दी, अल उलवा अल वुस्क़ा (अल मोहश्शी), 1419 हिजरी, भाग 2, पेज 158; फ़ाज़िल लंकरानी, जामेअ अल मसाइल फ़ारसी, अमीर कलम, भाग 2, पेज 104; मकारिम शिराज़ी, अहकाम अल नेसा, 1426 हिजरी, पेज 81।
  37. बहरानी, हदाइक अल नाज़ेरा, 1405 हिजरी, भाग 4, पेज 237।
  38. मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए अल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 3, पेज 27; सिस्तानी, अल मसाइल अल मुंतख़ेबा, 1422 हिजरी, पेज 42; पुरसिश व पासुख (तलाक़ व इद्दा) सुप्रीम लीडर के ऑफिस की जानकारी वेबसाइट।
  39. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, 1404 हिजरी, भाग 16, पेज 321
  40. इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला, दार अल इल्म, भाग 1, पेज 288।
  41. गुलपाएगानी, हिदायतुल ऐबाद, 1413 हिजरी, भाग 1, पेज 263; बहजत, वसीला अल निजात, 1423 हिजरी, पेज 309।
  42. तूसी, अल ख़िलाफ़, 1407 हिजरी, भाग 2, पेज 302
  43. अल्लामा हिल्ली, तज़केरातुल फ़ुक़्हा, 1414 हिजरी, भाग 7, पेज 303।
  44. तूसी, अल मबसूत, 1387 हिजरी, भाग 1, पेज 351; शहीद अव्वल, अल दुरूस अल शरिया, 1417 हिजरी, भाग 1, पेज 375।

स्रोत

  • * पुरसिश व पासुख (तलाक व इद्दा), सुप्रीम लीडर के ऑफिस की जानकारी वेबसाइट, वीजिट की तारीख 18 ख़ुरदाद 1404 शम्सी।
  • चरा इत्र दूरी मी आवरद ?/ पुश्त पर्दा कादू दादन इत्र व जुदाई चीस्त? जवान पत्रकार क्लब, प्रविष्ट की तारीख 22 मुरदाद 1397 शम्सी, वीज़िट की तारीख 12 ख़ुरदाद 1404 शमसी।
  • अल्लामा हिल्ली, हसन बिन यूसुफ़, तज़केरातुल फ़ुक़्हा, क़ुम, मोअस्सेसा आले अलबैत (अ), 1414 हिजरी।
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  • इमाम ख़ुमैनी, सय्यद रुहुल्लाह, तहरीर अल वसीला, दार अल इल्म, क़ुम, ईरान, अप्रकाशित तारीख़।
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  • शहीद अव्वल, मुहम्मद बिन मक्की, अल दुरूस अल शरिया फ़ी अल फ़िक़्ह अल इमामिया, क़ुम, मोअस्सेसा नशर इस्लामी, 1417 हिजरी।
  • शेख बहाई, मुहम्मद बिन हुसैन, मिफ़्ताहुल फ़लाह फी अमल अल यौम वल लैला, बैरुत, दार उल अज़वा, अप्रकाशित तारीख़।
  • शेख सदूक़, मुहम्मद बिन बाबवैय, अल खिसाल, क़ुम, दफ़तर इंतेशारात इस्लामी वा बस्ता बे जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, 1362 शम्सी।
  • सब्ज़वारी, सय्यद अब्दुल आला, मोहज्जब अल अहकाम फ़ी बयान अल हलाल वल हराम, क़ुम, मोअस्सेसा अल मनार, 1413 हिजरी।
  • सिस्तानी, सय्यद अली, अल मसाइल अल मुंतख़ेबा, क़ुम, दफ़्तर आयतुल्लाह सिस्सतानी, 1422 हिजरी।
  • हर्रानी, इब्ने शयबा, तोहफ़ उल उक़ूल अन आले अल रसूल, क़ुम, दफतर इंतेशारात इस्लामी वा बस्ता बे जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, 1404 हिजरी।
  • हिल्ली, यह्या बिन सईद, अल जामेअ लिश शराए, संशोधनः जाफ़र सुबहानी तबरेजी, क़ुम, मोअस्सेसा सय्यद अल शोहदा अल आलमिया, 1405 हिजरी।
  • हुर्रे आमोली, मुहम्मद बिन हसन, वसाइल उश शिया, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल बैत (अ), 1409 हिजरी।
  • हुर्रे आमोली, मुहम्मद बिन हसन, हिदाया अल उम्मा इला अहकाम अल आइम्मा, मशहद, मजमअ अल बोहूस अल इस्लामिया, 1412 हिजरी।
  • हुसैनी शिराज़ी, सय्यद मुहम्मद, अल फ़िक़ह, अल निज़ाफ़ा, फ़िक्ह अहलेबैत सॉफ्टवेयर 2।

इश्तेहारदी, अली पनाह, मदारिक अल उरवा, तेहारन, दार अल उस्वा, 1417 हिजरी।