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अनैच्छिक हत्या

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अनैच्छिक हत्या या आकस्मिक हत्या (फ़ारसीः قتل غیرعمد ) अनैच्छिक हत्या या आकस्मिक हत्या उस हत्या को कहते हैं जिसमें हत्यारा न तो हत्या करने का इरादा रखता है और न ही ऐसा कोई कार्य करने का इरादा रखता है जिससे हत्या हो। किसी नाबालिग या दीवाने व्यक्ति द्वारा की गई हत्या भी एक अनैच्छिक हत्या मानी जाती है। अनैच्छिक हत्या का कोई प्रतिशोध (क़िसास) नहीं है; बल्कि, हत्यारे को पीड़ित के परिवार को रक्त-धन (दियत) और कफ़्फारा देना होगा। क़ुरआन में सूर ए नेसा की आयत नम्बर 92 में भी इस विषय का उल्लेख है।

न्यायविदों के अनुसार, अनैच्छिक हत्या के लिए रक्त-धन, जानबूझकर की गई हत्या के लिए रक्त-धन के समान ही होता है, लेकिन इसे तीन वर्षों की अवधि में चुकाया जा सकता है। इसके अलावा, कुछ परिस्थितियों मे अनैच्छिक हत्या के लिए रक्त-धन आक़ेले (हत्यारे के पैतृक रिश्तेदार) की ज़िम्मेदारी होती है। इसके अलावा, जिन मामलों में हत्या हराम महीनों या मक्का मे होती है, वहाँ रक्त-धन बढ़ा दिया जाता है।

परिभाषा

अनैच्छिक हत्या या अनजाने में की गई हत्या, शिया न्यायशास्त्र[] के मुद्दों में से एक है और इसे अनजाने में की गई हत्या कहा जाता है जिसमें हत्यारा न तो किसी दूसरे को मारने का इरादा रखता है और न ही उसे मारने का।[] अनैच्छिक हत्या, दो अन्य प्रकार की हत्याओं, अर्थात् जानबूझकर की गई हत्या (क़त्ले अमद) और लगभग जानबूझकर की गई हत्या (शिब्हे अमद) के विपरीत है: यदि कोई वयस्क किसी को मारने के इरादे से या आमतौर पर घातक तरीके से मारता है, तो यह जानबूझकर की गई हत्या है, और यदि वह किसी को अदब सिखाने या मज़ाक करने के इरादे से मारता है, लेकिन व्यक्ति मर जाता है, तो इसे लगभग जानबूझकर की गई हत्या कहा जाता है।[]

सूर ए नेसा की आयत नम्बर 92 में, अनजाने में की गई हत्या और उसके नियम पर चर्चा की गई है।[] न्यायशास्त्र और कानूनी स्रोतों में, अनजाने में की गई हत्या को "खालिस आकस्मिक हत्या" भी कहा जाता है।[]

अनैच्छिक हत्या के उदाहरण

इमाम सादिक़ (अ) की एक रिवायत में, अनैच्छिक हत्या का एक उदाहरण दिया गया है, जहाँ कोई व्यक्ति शिकार करने के इरादे से तीर चलाता है और किसी अन्य व्यक्ति को लग जाता है, जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है।[] इस प्रकार की हत्या को बिना किसी शक के अनैच्छिक हत्या कहा जाता है।[] किसी नाबालिग या पागल व्यक्ति अथवा किसी बच्चे द्वारा की गई हत्या को भी अनैच्छिक हत्या माना जाता है।[] ईरान में, यातायात दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप होने वाली हत्याओं को अनैच्छिक हत्या के उदाहरण माना जाता है।[]

अनैच्छिक हत्या की सज़ा

न्यायविदों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति गलती से किसी की हत्या कर देता है, तो कोई प्रतिशोध नहीं होता; बल्कि, उसे तीन साल की किस्तो में रक्त-धन का भुगतान करना होता है।[१०] इसके अतिरिक्त, उसे कफ़्फ़ारे के रूप में एक ग़ुलाम को आज़ाद करना होता है, और यदि वह ग़ुलाम को आज़ाद नहीं कर सकता, तो उसे दो महीने तक रोज़ा रखना होता है, और यदि वह ऐसा भी नहीं कर सकता, तो उसे साठ गरीबों को भोजन कराना होता है।[११] शिया न्यायविद हुसैन अली मुंतज़री के अनुसार, सूर ए नेसा की आयत नम्बर 92 और मासूमीन (अ) की कुछ रिवायते संकेत करती हैं कि अनैच्छिक हत्या के लिए रक्त-धन का कोई दंडात्मक पहलू नहीं है; बल्कि, यह केवल नुक़सान की भरपाई और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए लगाया गया था।[१२]

अनैच्छिक हत्या के लिए रक्त-धन अदा करने की विधि

न्यायविदों के अनुसार, यदि अनैच्छिक हत्या हत्यारे के स्वीकारोक्ति या शपथ-पत्र से मुकरने या क़सम के माध्यम से सिद्ध हो जाती है, तो रक्त-धन उसकी ज़िम्मेदारी है;[१३] लेकिन यदि हत्या धार्मिक साक्ष्यों से सिद्ध हो जाती है या हत्यारा नाबालिग या विक्षिप्त व्यक्ति है, तो पीड़ित की रक्त-धन उसके समझदार व्यक्ति (उनके पैतृक रिश्तेदारों) की ज़िम्मेदारी है।[१४]

रक्त-धन मे वृद्धि

मुख्य लेख: रक्त-धन मे वृद्धि

रक्त-धन मे वृद्धि का अर्थ है रक्त-धन में वृद्धि का होना।[१५] न्यायविदों के फ़तवों के अनुसार, यदि हत्या हराम महीनो के दौरान या पवित्र शहर मक्का में की जाती है, तो पीड़ित की रक्त-धन में एक-तिहाई राशि की वृद्धि की जाती है;[१६] शेख़ सदूक़ कहते हैं कि हत्यारे को हराम महीनों में से दो महीने रोज़ा भी रखना चाहिए।[१७] दूसरी ओर, कुछ न्यायविदों, जैसे नासिर मकारिम शिराज़ी, का मानना है कि रक्त धन मे वृद्धि केवल जानबूझकर हत्या से संबंधित है और यह हुक्म अनैच्छिक हत्या और लगभग जानबूझकर की गई हत्या से संबंधित नहीं हैं;[१८]

कत्ले महज़ के मामले में हत्यारे की विरासत

यह भी देखें: विरासत

फ़रहंग फ़िक़्ह पुस्तक के अनुसार, कुछ न्यायविदों का मानना है कि ऐसे मामलों में जहाँ हत्यारा पीड़ित का उत्तराधिकारी होता है, अनैच्छिक हत्या जानबुझ कर की गई हत्या के समान होती है और हत्यारे को पीड़ित से विरासत नहीं मिलती।[१९] दूसरी ओर, साहिब अल-जवाहिर जैसे अन्य लोगों का मानना है कि दु अनैच्छिक हत्या किसी भी तरह से हत्यारे को विरासत पाने से नहीं रोकती।[२०]

फ़ुटनोट

  1. ख़ावरी, वाज़ेह नामा तफ़सीली फ़िक़्ह जज़ा, 1384 शम्सी, पेज 217; नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, बैरूत, भाग 42, पेज 18; ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला (प्रकाशन कदीम) 1379 शम्सी, पेज 937
  2. नजफ़ी, जवाहिर अल कलाम, बैरूत, भाग 42, पेज 18; ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला (प्रकाशन कदीम) 1379 शम्सी, पेज 937
  3. मिशकीनी, नविशतारहाए फ़िक़्ही, 1392 शम्सी, पेज 243
  4. रज़ाई इस्फ़हानी, तफ़सीर क़ुरआन मेहेर, 1387 शम्सी, भाग 4, पेज 244; मकारिम शिराज़ी, तफ़सीर नमूना, 1374 शम्सी, भाग 4, पेज 64
  5. क़ुत्बुद्दीन रावंदी, फ़िक़्ह अल क़ुरआन, 1405 हिजरी, भाग 2, पेज 414 (अनुच्छेद 289 क़ानून मजाज़ात इस्लामी) मरकज़ पुजूहिशहाए मजलिस शूरा इस्लामी; अहमदी नेज़ाद (बेजे क़त्ल अमद दर हूक़ूक ईरान व फ़िक़्ह इमामिया) पेज 101-102
  6. शेख सदूक, मन ला याहज़ुर अल फ़क़ीह, 1363 शम्सी, भाग 4, पेज 105
  7. ख़ावरी, वाज़ेह नामा तफ़सीली फ़िक़्ह जज़ा, 1384 शम्सी, पेज 217
  8. ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला (चाप कदीम), 1379 शम्सी, पेज 937
  9. क़ानून बीमा इजबारी खसारत वारिद शुदे बे शख्स सालिस दर असर हवादिस नाशी अज़ वसाइल नक़लीया, अनुच्छेद 15, साइट मरकज़ पुज़ूहिशहाए मजलिस
  10. ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला (चाप कदीम), 1379 शम्सी, पेज 939
  11. फ़ाज़िल लंकरानी, जामेअ अल मसाइल, 1425 हिजरी, पेज 499; रेसाला तौज़ीह अल मसाइल आयतुल्लाह बुरूजर्दी, बख्श अहकाम दियत, मस्अला 2810 रिसाला तौज़ीह अल मासइल आयतुल्लाह बहजत, बख्श अहकाम दियत, मस्आला 2272; रेसाला तौज़ीह अल मसाइल आयतुल्लाह तबरेज़ी, बख्श अहकाम दियत, मस्अला 2809
  12. मुंतज़री, पासुख बे पुरसिशहाए पैरामून मजाज़ातहाए इस्लामी..., 1387 शम्सी, पेज 36-38
  13. ख़ावरी, वाज़ेह नामा तफ़सीली फ़िक़्ह जज़ा, 1384 शम्सी, पेज 217
  14. मिशकीनी, नविशतारहाए फ़िक़्ही, 1392 शम्सी, पेज 256; ख़ुमैनी, तहरीर अल वसीला (चाप कदीम), 1379 शम्सी, पेज 972
  15. शाबानी, अमद ग़लीज़ दिया क़त्ले ख़ताई दर माह हाए हराम, पेज 147
  16. फ़क़ीही, मारफ़त अबवाब अल फ़िक़्ह, 1383 शम्सी, पेज 244; शहीद सानी, मसालिक अल इफ़हाम, 1413 हिजरी, भाग 15, पेज 320
  17. शेख सदूक़, अल मुक़्नेआ, 1415 हिजरी, पेज 515
  18. मकारिम शिराज़ी, हुक्म ग़लीज़ शुदन दिया दर क़त्ल, साइट दफ्तर आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी
  19. नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, बैरूत, भाग 39, पेज 37
  20. नजफ़ी, जवाहिर उल कलाम, बैरूत, भाग 39, पेज 36

स्रोत

  • खावरी, याक़ूब, वाजेहनामा तफसीली फ़िक्ह जज़ा, मशहद, दानिशगाह उलूम इस्लामी रज़वी, 1384 शम्सी
  • खुमैनी, सय्यद रूहुल्लाह, तहरीर अल वसीला (चाप कदीम), तेहरान, मोअस्सेसा तंज़ीम न नश्र आसार इमाम ख़ुमैनी, 1379 शम्सी
  • रेसाला तौज़ीह अल मसाइल, आयतुल्लाह बुरुजर्दी, तेहरान, मोअस्सेसा तंज़ीम व नश्र आसार इमाम खुमैनी, 1392 शम्सी
  • रेसाला तौज़ीह अल मसाइल, आयतुल्लाह बहजत, 1386 शम्सी
  • रेसाला तौज़ाह अल मसाइल, आयतुल्लाह तबरेज़ी, क़ुम, नशर सरवर
  • रेज़ाई इस्फ़हानी, मुहम्मद अली, तफसीर क़ुरआन मेहेर, पुजूहिशहाए तफ़सीर व उलूम व क़ुरआन, 1387 शम्सी
  • शाबानी, मुहम्मद हुसैन, अदम ग़लीज़ दिय क़त्ल खताई दर माहाए हारम, फ़िक़्ह व मबानी हुक़ूक इस्लामी, दौरा पंजा व सोव्वुम, क्रमांक 1, बहार व ताबिस्तान 1399 शम्सी
  • शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, अलमुक़्नेआ, क़ुम, पयाम इमाम हादी (अ), 1415 हिजरी
  • शेख सदूक़, मुहम्मद बिन अली, मन ला याहज़ेरहुल फ़क़ीह, क़ुम, जमाअतुल मुदर्रेसीन फ़ि हौज़ा ए अल इल्मिया, 1363 शम्सी
  • फ़ाज़िल लंकरानी, मुहम्मद, जामेअ अल मसाइल, क़ुम, अमीर कल़लम, 1425 हिजरी
  • क़ानून बीमा इजबारी खसारात वारिद शुदे बे सख्स सालिस दर असर हवादिस नाशी अज़ वसाइल नक़लीया, साइट मरकज पुजूहिशहाए मजलिस, वीजिट की तारीख 24 आज़र 1403 शम्सी
  • क़ानून मजाज़ात इस्लामी, मरकज़ पुजूहिशहाए मजलिस शूरा ए इस्लामी, साइट मरक़ पुजूहिशहाए मजलिस शूरा ए इस्लामी, वीजिट की तारीख 21 आज़र 1403 शम्सी
  • मिश्कीनी अर्दबेली, अली, नविश्तारहाए फ़िक़्ही, क़ुम, मोअस्सेसा इल्मी फ़रहंगी दार अल हदीस, 1392 शम्सी
  • मकारिम शिराज़ी, नासिर, तफसीर अल नमूना, तेहरान, दार अल कुतुब अल इस्लामीया, 1374 शम्सी
  • मुंतज़री, हुसैन अली, पासुख बे पुरसिशहाए दीनी, क़ुम, दफ़तर आयतुल्लाहिल उज़्मा मुतंज़री, 1389 शम्सी
  • नजफ़ी, साहिब जवाहिर, मुहम्मद हसन बिन बाक़िर, जवाहिर अल कलाम फ़ी शरह शरा ए अल इस्लाम, बैरूत, दार एहया अल तुरास अल अरबी
  • हाशमी शाहरूदी, महमूद, फ़रहंग फ़िक्ह मुताबिक मजहब अहले-बैत (अ), कुम, मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ फ़िक़्ह इस्लामी बर मज़हब अहले-बैत (अ)1382 शम्सी