महरम
यह लेख महरम के बारे में है। निषिद्ध (हराम) विवाहों के बारे में जानने के लिए, शाश्वत वर्जित (हरामे अबदी) प्रविष्टि देखें।
यह लेख एक न्यायशास्त्रीय अवधारणा से संबंधित एक वर्णनात्मक लेख है और धार्मिक आमाल के लिए मानदंड नहीं हो सकता। धार्मिक आमाल के लिए अन्य स्रोतों को देखें। |
कुछ अमली व फ़िक़ही अहकाम |
फ़ुरू ए दीन |
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महरम, (अरबी:المحرمية) जिनके साथ रिश्तेदारी के कारण विवाह हराम है, और फ़ुक़्हा के अनुसार हिजाब के अहकाम उन पर लागू नहीं होते हैं। महरमो और उनके अहकाम का क़ुरआन में उल्लेख है। वंश, विवाह और रिज़ाअत (दूध पीना) महरम होने के कारण हैं, वंश, विवाह और रिज़ाअत के आधार पर रिश्तेदारी विभाजित होती है।
माँ, दादी, बहन, बेटी, पोती, भांजी, भतीजी, बुआ, मौसी (ख़ाला) पुरूष के वंशी रिश्तेदार हैं और पिता, दादा, बेटा, भाई, भांजा, भतीजा, चाचा और मामा महिला के वंशी रिश्तेदार हैं। इसी प्रकार पत्नि, सास और पत्नि की दादी (ददिया सास), साथ मे आई पत्नी की बेटी (सौतेली बेटी), सौतेली माँ (सौतेली सास) और बहू पुरूष के विवाहिक महरम है, पति, ससुर, पति का दादा, सौतेला बेटा, सौतेली माँ और दामाद महिला के विवाहिक महरम है।
फ़ुक़्हा के फतवों के अनुसार, जिन महिलाओं के साथ वंशी रिशतेदारी की वजह से शादी करना हराम है, उनके साथ रज़ाअत (दूध पीने) की वजह से शादी करना भी हराम है। रज़ाई माँ (वह महिला जो किसी दूसरे बच्चे को स्तनपान कराती है) और उसकी माँ, दादी, बहन, बेटी, पोती, बुआ और मौसी पुरूष के रज़ाई महरम हैं। इसी प्रकार रज़ाई पिता और उसके पिता, भाई, चाचा, मामा, बेटे और उसके पोते , भाई, बच्चे, पोते, पिता और दादा, चाचा और मामा रज़ाई मां रज़ाई महिला के महरम हैं।
परिभाषा
महरम उन लोगों को कहा जाता है जो रिश्तेदारी के कारण एक दूसरे के साथ शादी नहीं कर सकते।[१] महरम और उनके अहकाम का क़ुरआन की दो आयतों में उल्लेख किया गया है; सूर ए निसा महरम और उनसे शादी करने के हराम होने बारे में है।[२] सूर ए नूर में कुछ महरम औरतों का ज़िक्र है।[३] कुच शिया रिवाई ग्रंथो जैसे वसाएल उश शिया और मुस्तदरकुल वसाइल का एक खंड मे "अबवाब अल-निकाह अल-महरम" संकलित किया गया हैं और मासूमीन (अ) की कुछ रिवायतो मे जिनमे विवाह के अहकाम, महरम की ओर देखना बयान किया गया है उन रिवायतो को एकत्रित किया है।[४] महरम और उनसे संबंधित अहकाम की फ़िक्ह मे निकाह, तलाक़, मृतको के अहकाम के अध्याय मे चर्चा की गई है।[५]
महरम होना साबित होते ही, महरम को देखना और महरम के लिए श्रृंगार करना जायज़ है और एक दूसरे के साथ विवाह करना हराम हो जाता है।[६] फ़ुक़्हा के दृष्टिकोण के अनुसार पति और पत्नि के अलावा बाकी दूसरे महरमो का गुप्तअंग का देखना जायज़ नही है, गुप्तअंगो के अलावा दूसरे अंगो का देखना बिना कामुकता और लज़्ज़त के इरादे से हो जायज़ है,[७] इसी प्रकार महिलाओ का अपने शरीर को महरमो से विशेष अंगो के अलावा छुपाना अनिवार्य नहीं है।[८]
महरम होने के कारण
महरम होने के कारण, वो चीज़े है जो दो लोगों को एक दूसरे के प्रति महरम बना देती हैं और उन पर महरम के अहकाम लागू होते हैं।[९] फ़िक़्ही किताबों में 11 चीज़ो का उल्लेख हुआ है जिन्हे महरम होने और एक दूसरे के साथ विवाह हराम होने का कारण बताया गया है।[१०] कुछ लोगो ने इन कारणो को तीन श्रेणियों[११] मे वर्गीकृत किया है जो निम्मलिखित हैं:
- वंश (नसब) सही निकाह या संदिग्ध शारीरिक संबंध बनाना [नोट १] से किसी एक या कई लोगो के जन्म से ईजाद होने वाली रिश्तेदारी को वंशी रिश्तेदारी कहते है। वंशी रिश्तेदार उन्हें कहा जाता है जिनके साथ जन्म से वंशी रिश्ता स्थापित हो गया है।[१२]
- रिज़ाअ (दूध पिलाना) रज़ाई महरम एक प्रकार की रिश्तेदारी है जो एक बच्चे द्वारा अपनी मां के अलावा किसी अन्य महिला का दूध पिलाने से जन्म लेती है।[१३] हालांकि रज़ाई महरम बनने मे कुछ शर्तो का उल्लेख हुआ है जैसे दूध पिलाने वाली महिला शरई तरीके से गर्भवती हुई हो, दूध पिलानी वाली महिला से दूध पीने वाले बच्चे ने कई बार और लगातार दूध पिया हो और इस अवधि मे बच्चे ने किसी दूसरी महिला से दूध ना पिया हो और किसी प्रकार का भोजन न खाया हो और दूध पीने वाले बच्चे की आयु इस्लामी कैलेंडर से 2 वर्ष से कम होनी चाहिए।[१४]
- सबब, विवाह अनुबंध को पढ़कर, पति और पत्नी के अलावा एक दूसरे के प्रति, कुछ पुरुष और महिला रिश्तेदार एक दूसरे के लिए महरम बन जाते हैं, जिन्हें सबबी महरम कहा जाता है।[१५]
महरम के प्रकार
महरम को तीन वर्गो मे विभाजित किया गया हैः
- वंशी महरम (नसबी महरम)
फ़ुक्हा के अनुसार सूर ए निसा [१६] का हवाला देते हुए महिलाओ की सात श्रेणियो को पुरूषो की सात श्रेणियो को वंश पर अर्जित किया गया है।[१७]
- दादा, दादी, नाना, नानी[१८]
- बेटी, नाती और उनके बच्चे[१९]
- बहन[२०]
- भतीजी, उनके बच्चे इसी प्रकार उनके बच्चो के बच्चो ...[२१]
- भांजी, उनके बच्चे इसी प्रकार उनके बच्चो के बच्चो ...[२२]
- बुआ (फूफी) इस वर्ग मे मा और पिता दोनो की ओर से फ़ूफ़ी शामिल है।[२३]
- मौसी (ख़ाला) इस वर्ग मे मा और पिता दोनो की ओर से ख़ाला शामिल है।[२४]
इसके अलावा, बाप, दादा, बेटा,पोता, भाई, भांजा, भतीजा, चाचा, मा-बाप का चाचा, मामा और मां-बाप का मामा महिला के महरम हैं।[२५]
- रिज़ाई महरम
मुख्य लेख: रिज़ाई महरम
फ़ुक़्हा ने पैगंबर (स) की एक हदीस का जिक्र करते हुए कहा, "जो कुछ भी वंश (नसब) के कारण हराम है, वह रेज़ाअत (दूध पीने) के कारण से भी हराम है",[२६] सभी महिलाएं जिनके साथ विवाह नसब (वंश) के कारण हराम है, उनसे शादी करना रिज़ाअत के कारण भी हराम है।[२७] अगर रिज़ाई महरमयत मे दूध पीने वाला बच्चा लड़का है तो जिस महिला ने इस लड़के को दूध पिलाया (रिज़ाई मां), और उसकी मां, दादी, बहन, बेटी, पोती, फूफी, और ख़ालाएं इस लड़के के महरम होगी।[२८] अगर दूध पीने वाली लड़की हो तो जिस महिला ने उसको दूध पिलाया है उसका पति (रिज़ाई बाप), उसका बाब, भाई, चाचा, मामा, बेटा और पोते उस लड़की के महरम बन जाते है। इसी प्रकार दूध पिलाने वाली महिला के भाई, बेटे, पोते, बाप, दाद, चाचा, मामा भी उसके महरम हो जाते है।[२९]
- सबबी महरम
शादी के माध्यम से पुरुषों के लिए महरम बनने वाली महिलाए निम्नलिखित हैं: पत्नी, सास, ददिया सास, सौतेली सास, बेटे की पत्नी (दुल्हन/बहू)।[३०] इसके अलावा, शादी के माध्यम से महिला के लिए पति, ससुर, ददिया ससुर, सौतेला बेटा, सौतेला ससुर और दामाद महरम हो जाते हैं।[३१] इसी प्रकार (जबतक पत्नि पति के अक़्द मे है या जीवित हो) पति का अपनी साली से शादी करना जायज़ नहीं है।[३२] हालांकि, उसकी बहन के पति (जीजा-बहनोई) के संबंध में हिजाब के अहकाम उस पर लागू होते हैं।[३३]
मोनोग्राफ़ी
चार रिसाले (रिसाला ए इरस, गुनाहाने कबीरा, महरम वा नामहरम वा अहकुल ग़ैय्बा) अहमद मुज़्तहेदी तेहरानी द्वारा लिखित है जिसे मोअस्सेसा दर राहे हक़ ने 1385 शम्सी मे प्रकाशित किया।
संबंधित लेख
नोट
- ↑ विदेशी महिला के साथ संदिग्ध शारिरीक संबंध बनाना इस धारणा के तहत है कि वह महिला हलाल है: एक पुरुष एक विदेशी महिला के साथ यह सोचकर कि वह उसकी पत्नि है शारिरीक संबंध बनाता है, या एक पुरुष ऐसी महिला के साथ जिसके साथ विवाह करना हराम है और विवाह को सही समझते हुए शारीरिक संबंध बनाता है। प्रसिद्ध फ़ुक़्हा ने इस शारिरीक संबंध के प्रभावों को वैध विवाह (सही अक्द) के समान माना है।(फ़रहंगे फ़िक़्हे फ़ारसी, मोअस्सेसा ए दाएरातुल मआरिफ़ अल-फ़िक़्ह अल-इस्लामी, भाग 1, पेज 162) http://lib.eshia.ir/23017/1/162/%DA%AF%D9%85%D8%A7%D9%86
फ़ुटनोट
- ↑ फ़राहीदी, अलऐन, ज़ेले वाज़े (हरम)
- ↑ सूर ए निसा, आयत न 23
- ↑ सूर ए नूर, आयत न 21
- ↑ हुर्रे आमोली, वसाएलुश शिया, 1416 हिजरी, भाग 20, पेज 307; नूरी, मुस्तदरक अल-वसाइल, 1408 हिजरी, भाग 14, पेज 327
- ↑ नजफी, जवाहिर अल-कलाम, 1362 शम्सी, भाग 29, पेज 237
- ↑ मिश्कीनी, मुस्तलेहात अल-फ़िक़्ह, 1381 शम्सी, पेज 479
- ↑ रिसाला ए तौज़ीहुल मसाइल मराजेअ, बख्शे निकाह, मस्अला न 2437
- ↑ मिश्कीनी, मुस्तलेहात अल-फ़िक़्ह, 1381 शम्सी, पेज 479
- ↑ मोअस्सेसा ए दाए रातुल मआरिफ अल-फ़िक़्ह अल-इस्लामी, फ़रहंगे फ़िक़्हे फ़ारसी, 1387 शम्सी, भाग 1, पेज 391
- ↑ देखेः मुहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 2, पेज 224; नजफी, जवाहिर अल-कलाम, 1362 शम्सी, भाग 29, पेज 237
- ↑ मुज्तहेदी तेहरानी, सह रिसाले, गुनाहाने कबीरा, महरम वा ना महरम, अहकाम अल-ग़ीबा, 1381 शम्सी, पेज 10
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 2, पेज 225
- ↑ नजफी, जवाहिर अल-कलाम, 1362 शम्सी, भाग 29, पेज 264
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 2, पेज 228; नजफी, जवाहिर अल-कलाम, 1362 शम्सी, भाग 29, पेज 264
- ↑ शहीद सानी, मसालेकुल अफहाम, 1413 हिजरी, भाग 7, पेज 281
- ↑ शहीद सानी, मसालेकुल अफहाम, 1413 हिजरी, भाग 7, पेज 198
- ↑ नजफी, जवाहिर अल-कलाम, 1362 शम्सी, भाग 29, पेज 238
- ↑ नजफी, जवाहिर अल-कलाम, 1362 शम्सी, भाग 29, पेज 238
- ↑ इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, 1434 हिजरी, भाग 2, पेज 282
- ↑ इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, 1434 हिजरी, भाग 2, पेज 283
- ↑ इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, 1434 हिजरी, भाग 2, पेज 283
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- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 2, पेज 224
- ↑ मगरबी, दआएम अल-इस्लाम, 1385 हिजरी, भाग 2, पेज 240
- ↑ फ़ाज़िल मिक़्दाद, कंज़ुल इरफ़ान, मंशूरात अल-मकतबा, भाग 2, पेज 182; मुक़द्दस अरदबेली, ज़ुब्दातुल बयान, अल-मकतबातुल मुर्तज़वीया, पेज 524
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 2, पेज 229; इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, 1434 हिजरी, भाग 2, पेज 288
- ↑ मोहक़्क़िक़ हिल्ली, शराए उल इस्लाम, 1408 हिजरी, भाग 2, पेज 228-229; इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, 1434 हिजरी, भाग 2, पेज 288
- ↑ इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, 1434 हिजरी, भाग 2, पेज 288-289
- ↑ इमाम ख़ुमैनी, तहरीर अल-वसीला, 1434 हिजरी, भाग 2, पेज 288-289
- ↑ शहीद अव्वल, अल-लुम्अतुत दमिश्क़ीया, 1410 हिजरी, पेज 164
- ↑ आया ख़ाहरे ज़न महरम अस्त? वा आया राही बराए महरमयत वा ऊ वुजूद दारद? इस्लाम कुईज़
स्रोत
- आया ख़ाहरे ज़न महरम अस्त? वा आया राही बराए महरमयत वा ऊ वुजूद दारद? इस्लाम कुईज़, दर्ज़े मतलब 13 फ़रवरदीन 1394 शम्सी, वीजीट 29 फ़रवरदीन 1399 शम्सी
- इमाम ख़ुमैनी, सय्यद रूहुल्लाह, तहरीर अल-वसीला, क़ुम, मोअस्सेसा ए तंज़ीम वा नश्र आसारे इमाम ख़ुमैनी, पहला संस्करण, 1434 हिजरी
- बनी हाशिम ख़ुमैनी, सय्यद मुहम्मद हसन, रिसाला ए तौज़ीहुल मसाइल मराजेअ मुताबिक बा फ़तावा ए सीज़दह नफ़र अज़ मराजा ए मोअज़्जमे तक़लीद, क़ुम, दफ्तरे इंतेशाराते इस्लाममी जामे मुदर्रेसीन हौज़ा ए इल्मीया क़ुम, 1385 शम्सी
- हुर्रे आमोली, मुहम्मद बिन हसन, वसाइल अल-शिया, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अ) लेएहयाइत तुरास, 1416 हिजरी
- शहीद अव्वल, मुहम्मद बिन मक्की, अल-लुम्अतुत दमिश्क़ीया, बैरूत, दार अल-तुरास, 1410 हिजरी
- शहीद सानी, ज़ैनुद्दीन बिन अली, मसालेकुल अफ़हाम, क़ुम, मोअस्सेसा अल-मआरिफ अल-इस्लामीया, 1413 हिजरी
- फ़ाज़िल मिक्दाद, अब्दुल्लाह, कंज़ुल इरफ़ान फ़ी फ़िक़्ह अल-क़ुरआन, क़ुम, मंशूरात अल-मकतबा अल-मुर्तज़वीया लेएहयाइल आसार अल-जाफ़रीया
- फ़राहीदी, ख़लील बिन अहमद, अल-ऐन, क़ुम, नश्रे हिजरत, संशोधन महदी मख़ज़ूमी वा इब्राहीम सामराई, 1410 हिजरी
- मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ अल-फ़िक़्ह अल-इस्लामी, फ़रहंगे फ़िक़्ह फ़ारसी, क़ुम, मोअस्सेसा दाएरातुल मआरिफ़ अल-फ़िक़्ह अल-इस्लामी, 1387 शम्सी
- मुज्तहेदी तेहरानी, अहमद, सह रिसालेः गुनाहाने कबीरा, महरम वा ना महरम, अहकम अल-ग़ीबा, क़ुम, मोअस्सेसा दर राहे हक़, 1381 शम्सी
- मोहक़्क़िक हिल्ली, जाफ़र बिन हसन, शराए उल इस्लाम, क़ुम, मोअस्सेसा इस्माईलीयान, दूसरा संस्करण, 1408 हिजरी
- मिश्कीनी, अली अकबर, मुस्तलेहात अल-फ़िक़्ह, क़ुम, नश्रे अल-हादी, तीसरा संस्करण, 1381 शम्सी
- मगरबी, क़ाज़ी नौमान, दआएम अल-इस्लाम, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत (अ), दूसरा संस्करण, 1385 शम्सी
- मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद, अल-मुक़नेआ, क़ुम, कुंगराए जहानी हजारा शेख मुफ़ीद, 1413 हिजरी
- मुक़द्दस अरदबेली, अहमद बिन मुहम्मद, ज़ुबदातुल बयान फ़ी आयात अल-अहकाम, तेहरान, अल-मकतबा अल-मुर्तज़वीया ले एहया अल-आसारे अल-जाफ़रीया, पहला संस्करण
- नजफ़ी, मुहम्मद हसन, जवाहिर अल-कलाम फ़ी शरह शराए अल-इस्लाम, बैरूत, दारे एहयाइत तुरास अल-अरबी, 1404 हिजरी
- नूरी, हुसैन, मुस्तदरक अल-वसाइल, क़ुम, मोअस्सेसा आले अल-बैत(अ) ले एहयाइत तुरास, 1408 हिजरी