इब्नुर रज़ा

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(इबनुर रज़ा से अनुप्रेषित)

इब्न अल-रज़ा, (अरबी: ابن الرضا) इमाम अली रज़ा अलैहिस सलाम के वंशजों में बेटों के लिए उपाधि है, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहि सलाम,[१] इमाम अली नक़ी अलैहिस सलाम[२] और इमाम हसन असकरी अलैहिस सलाम हैं।[३] इमाम मुहम्मद तक़ी (अ) के पुत्र मूसा मुबरक़ा भी उन लोगों में से हैं जिन्हें इब्न अल-रज़ा कहा गया है।[४] यह उपाधि को इमामों के सहाबी और अन्य, विशेष रुप से बनी अब्बास प्रयोग करते थे।[५]

इस उपाधि का उपयोग करने के कारण के बारे में, कुछ ने कहा है: बनी अब्बास, इमाम रज़ा (अ) के पुत्रों को इब्नुर रेज़ा यह दिखाने के लिए बुलाया करते थे कि वह लोगों को बता सकें कि इन लोगों का ताल्लुक़ एक ऐसे व्यक्ति से है जिसने ख़लीफ़ा का उत्तराधिकारी बनना स्वीकार किया और जो दुनिया की ओर झुकाव रखता है।[६]

इस उपाधि की प्रसिद्धि का एक अन्य कारण यह भी है कि इमाम रज़ा (अ) की शोहरत विभिन्न धार्मिक समूहों और संप्रदायों के बीच इल्मी मुनाज़रों की वजह से सबब बनीं कि उनकी औलाद को इब्नुर रज़ा कहा जाने लगा।[७]

फ़ुटनोट

  1. मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 ए एच, खंड 2, पृष्ठ 281; तबरसी, आलामुल वरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 101
  2. मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृ.301; सफ़्रफ़ार, बसायर अल-दरजात, 1404 हिजरी, खंड 1, पीपी. 51 और 374
  3. मुफ़ीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 321; क़ुतब रावंदी, अल-ख़रायज वल-जरायेह, 1409 हिजरी, खंड 1, पीपी. 422 और 432
  4. मजलेसी, बिहार अल-अनवर, 1363, खंड 50, फुटनोट पृष्ठ 3
  5. मुफीद, अल-इरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 281; तबरसी, आलामुल वरा, 1417 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 101
  6. आयतुल्ला हुज्जाती, पायगाहे अंदिश ए क़ुम में नक़्ल हुआ।
  7. आयतुल्ला शुबैरी ज़ंजानी, पायगाहे अंदिश ए क़ुम में नक़्ल हुआ।

स्रोत

  • मजलिसी, मोहम्मद बाक़िर, बिहार अल-अनवार, तेहरान, इस्लामिया प्रकाशन, दूसरा संस्करण, 1363।
  • मुफ़ीद, मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन नोअमान, अल-इरशाद फ़ी मारफ़ेते हुज्जुल्ला अली अलल-इबाद, क़ुम, शेख़ मुफ़ीद कांग्रेस, पहला संस्करण, 1413 हिजरी।
  • पायगाहे अंदिश ए क़ुम। कुछ इमाम जो इमाम जावद के वंशज थे, उन्हें इब्न अल-रेज़ा क्यों कहा जाता है?