ज़ियारत अल शोहदा
- ज़ियारत नाहिया मुक़द्देसा या ज़ियारत रजबिया इमाम हुसैन (अ) के साथ भ्रमित न हो।
अन्य नाम | ज़ियारत ए नाहिया ग़ैर मारूफ़ |
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विषय | कर्बला के शहीदों की ज़ियारत |
किस से नक़्ल हुई | नाहिया मुक़द्देसा से नक़्ल हुई |
शिया स्रोत | अल-मज़ार अल-कबीर और अल-इक़बाल बिल आमाल अल-हसना |
विशेष समय | आशूरा के दिन |
जगह | कर्बला |
ज़ियारत अल-शोहदा (अरबी: زيارة الشهداء) या ज़ियारत ए नाहिया ग़ैर मारूफ़, कर्बला के शहीदों के लिए विशेष एक ज़ियारत नामा है, जिसे आशूरा के दिन के कार्यों के एक हिस्से के रूप में अनुशंसित किया गया है। इस तीर्थ पत्र का वर्णन किताब अल-मज़ार अल-कबीर में मुहम्मद बिन जाफ़र मशहदी (मृत्यु: 610 हिजरी) और किताब अल-इक़बाल में सय्यद इब्न तावुस (मृत्यु: 664 हिजरी) द्वारा किया गया है।
इसमें कर्बला के हर शहीद का नाम लेकर उन्हें सलाम किया गया है और उनके क़ातिलों का नाम लेकर उन पर लानत की गई है. ज़ियारत अल-शोहदा के दस्तावेज़ (सनद) में, यह निर्दिष्ट नहीं है कि किस इमाम ने इसका उल्लेख किया है और केवल यह कहा गया है कि यह नाहिया मुक़द्देसा की ओर से बयान की गई है। "नाहिया मुक़द्देसा" एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल शियों द्वारा इमाम अली नक़ी (अ.स.), इमाम हसन अस्करी (अ.स.) और इमाम महदी (अ.स.) को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
कुछ शिया विद्वानों, जैसे आयतुल्लाह ख़ूई और मोहम्मद महदी शम्सुद्दीन ने इस तीर्थ पत्र के साक्ष्य (सनद) को कमज़ोर माना और इमाम मासूम (अ.स.) से इसके संबंध को स्वीकार नहीं किया है। दूसरी ओर, नजमुद्दीन तबसी जैसे लोग इसे प्रामाणिक मानते हैं।
ज़ियारत अल शोहादा, कर्बला के शहीदों के लिए एक तीर्थपत्र
ज़ियारत अल-शोहदा कर्बला के शहीदों के लिए एक तीर्थ पत्र है, जिसका उल्लेख आशूरा के दिन के आमाल में किया गया है।[१] इस तीर्थ पत्र में इमाम हुसैन (अ) को सलाम करने के बाद, कर्बला के प्रत्येक शहीद पर उनके नाम के उल्लेख के साथ सलाम किया गया है। और इसी तरह से कर्बला के शहीदों के हत्यारों का नाम लेकर उन्हें श्राप भी दिया है। (उन पर लानत की गई है)[२]
अल-शोहदा तीर्थ पत्र को "ज़ियारत नाहिया ग़ैर मशहूर" भी कहा गया है[३] उसके मुक़ाबले में ज़ियारत नाहिया मुक़द्देसा को, ज़ियारत नाहिया मशहूर,[४] ज़ियारत नाहिया मारूफ़[५] भी कहा जाता है।
ज़ियारत ए शोहदा का श्रेय नाहिया मुक़द्देसा को देना
ज़ियारत अल शोहदा के हदीस के स्रोतों में, यह निर्दिष्ट नहीं है कि किस इमाम ने इसका उल्लेख किया है और केवल यह बयान हुआ है कि वर्ष 252 हिजरी में नाहिया मुक़द्देसा की ओर से इसे जारी किया गया है।[६] "नाहिया मुक़द्देसा" एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग शिया इमाम अली नक़ी (अ.स.) के समय से लेकर ग़ैबत ए सुग़रा के अंत तक इमाम मासूम (अ.स.) को संदर्भित करने के लिए करते थे।[७] शिया रेजाल शास्त्र के विद्वान अब्दुल्लाह मामक़ानी (मृत्यु: 1351 हिजरी) ने इस तीर्थ पत्र का श्रेय इमाम महदी (अ.स.) को दिया है।[८]
बेशक, इमाम महदी (अ) का जन्म इस तारीख़ के कुछ साल बाद (255 हिजरी [९] या 256 हिजरी [१०] में) हुआ था। इसलिए, कुछ लोग मानते हैं कि इस तीर्थ पत्र के दस्तावेज़ (सनद) में "नाहिया" का संबध इमाम हादी (अ.स.)[११] से है और कुछ लोग इसे इमाम अस्करी (अ.स.) के बारे में मानते हैं।[१२]
अल्लामा मजलिसी ने दो संभावनाएं व्यक्त की हैं: एक यह है कि हदीस की तारीख का उल्लेख करने में ग़लती हुई थी और यह मूल रूप से 262 हिजरी थी, जिसे ग़लती से 252 हिजरी के रूप में दर्ज कर दिया गया था। दूसरा, "नाहिया" का अर्थ इमाम हसन असकरी (अ) हैं।[१३]
तीर्थ पत्र की वैधता
शहीदों के तीर्थ पत्र का वर्णन अल-मज़ार अल-कबीर[१४] में मुहम्मद बिन जाफ़र मशहदी (मृत्यु: 610 हिजरी) और अल-इक़बाल[१५] में सय्यद बिन तावूस (मृत्यु: 664 हिजरी) द्वारा किया गया है। अंसार अल-हुसैन पुस्तक में मोहम्मद मेहदी शम्सुद्दीन (मृत्यु: 1379 शम्सी) के अनुसार, इस तीर्थ पत्र की सनद की श्रृंखला में कुछ कथावाचक (रावी) अज्ञात (मजहूल) हैं, और रेजाल की पुस्तकों में क़ामूस अल-रेजाल (लेखन: 1360 हिजरी) के अलावा उनके इतिहास (जीवनी) का कोई वर्णन नहीं है। उनमें से कुछ रावी कमज़ोर (ज़ईफ़) भी हैं।[१६]
आयतुल्लाह ख़ूई (मृत्यु: 1413 हिजरी) ने मोअजम रिजाल-ए हदीस पुस्तक में कहा है कि यह निश्चिंत तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि यह नाहिया मुक़द्देसा की ओर से जारी किया गया है।[१७] मोहम्मद महदी शम्सुद्दीन इस तीर्थ पत्र का श्रेय इमाम महदी को देने को कमज़ोर मानते हैं; हालाँकि, उनका मानना है कि इस पर एक ऐतिहासिक पाठ के रूप में भरोसा किया जा सकता है।[१८]
दूसरी ओर, हदीस शोधकर्ता नजमुद्दीन तबसी ने इस तीर्थ पत्र की दस्तावेज़ी (सनद) समस्याओं को स्वीकार नहीं किया है।[१९] वह इस तीर्थ पत्र की सामग्री और प्रार्थनाओं और अन्य तीर्थ पुस्तकों के साथ इसके सामंजस्य और ऐतिहासिक रिपोर्टों के साथ इसकी सामग्री के मिलान का हवाला देकर इसे प्रामाणिक मानते हैं।[२०]
तीर्थ पत्र में शहीदों की संख्या
मोहम्मद मेहदी शम्सुद्दीन के अनुसार, सैय्यद इब्न तावूस द्वारा लिखित किताब अल-इक़बाल में ज़ियारत अल-शोहदा में 63 शहीदों के नाम का उल्लेख है;[२१] लेकिन मोहम्मद इब्राहिम आयती ने कहा है कि इसमें कर्बला के शहीदों के नाम से 72 शहीदों को सलाम किया गया है, जिनमें से 17 शहीद बनी हाशिम से हैं और 55 अन्य क़बीलों से संबंध रखते थे।[२२] हालांकि, अल-मज़ार के कुछ संस्करणों में, 74 लोगों को[२३] और अल इक़बाल के कुछ संस्करणों में, 81 लोगों पर शहीदों के रूप में सलाम किया गया है।[२४]
सामग्री दोष
लेख "दो ज़ियारत, ज़ियारत नाहिया और ज़ियारत रजबिया पर शोध" में मोहसिन रंजबार के अनुसार, इस ज़ियारत नामा में कुछ ऐसी सामग्रियां हैं जिसके कारण इसके मासूम (अ) से जारी होने के प्रति इसके गुण पर सवाल उठते हैं:
- कर्बला के शहीदों में बुरैर बिन ख़ुजैर के नाम का ज़िक्र न करना;
- आशूरा के दिन के शहीदों में क़ैस बिन मुसह्हर का परिचय, जबकि ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, वह आशूरा की घटना से पहले शहीद हुए थे;
- कर्बला के पहले शहीद के रूप में मुस्लिम बिन औसजा का परिचय, जबकि ऐतिहासिक स्रोत बुरैर बिन ख़ुजैर को कर्बला का पहला शहीद मानते हैं।[२५]
पाठ और अनुवाद
السَّلَامُ عَلَیک یا أَوَّلَ قَتِیلٍ مِنْ نَسْلِ خَیرِ سَلِیلٍ، مِنْ سُلَالَهِ إِبْرَاهِیمَ الْخَلِیلِ، صَلَّی اللهُ عَلَیک وَ عَلَی أَبِیک، إِذْ قَالَ فِیک: قَتَلَ اللهُ قَوْماً قَتَلُوک، یا بُنَی مَا أَجْرَأَهُمْ عَلَی الرَّحْمَنِ وَ عَلَی انْتِهَاک حُرْمَهِ الرَّسُولِ، عَلَی الدُّنْیا بَعْدَک الْعَفَا، کأَنِّی بِک بَینَ یدَیهِ مَاثِلًا، وَ لِلْکافِرِینَ قَائِلًا:
أَنَا عَلِی بْنُ الْحُسَینِ بْنِ عَلِی * * * * نَحْنُ وَ بَیتِ اللهِ أَوْلَی بِالنَّبِی
أَطْعَنُکمْ بِالرُّمْحِ حَتَّی ینْثَنِی * * * * أَضْرِبُکمْ بِالسَّیفِ أَحْمِی عَنْ أَبِی
ضَرْبَ غُلَامٍ هَاشِمِی عَرَبِی * * * * وَ اللهِ لایحْکمُ فِینَا ابْنُ الدَّعِی
حَتَّی قَضَیتَ نَحْبَک وَ لَقِیتَ رَبَّک، أَشْهَدُ أَنَّک أَوْلَی بِاللهِ وَ بِرَسُولِهِ، وَ أَنَّک ابْنُ رَسُولِهِ وَ ابْنُ حُجَّتِهِ وَ أَمِینِهِ، حَکمَ اللهُ لَک عَلَی قَاتِلِک مُرَّهَ بْنِ مُنْقِذِ بْنِ النُّعْمَانِ الْعَبْدِی، (لَعَنَهُ اللهُ) وَ أَخْزَاهُ، وَ مَنْ شَرِکهُ فِی قَتْلِک، وَ کانُوا عَلَیک ظَهِیراً، أَصْلَاهُمُ اللهُ جَهَنَّمَ وَ ساءَتْ مَصِیراً، وَ جَعَلَنَا اللهُ مِنْ مُلَاقِیک وَ مُرَافِقِیک، وَ مُرَافِقِی جَدِّک وَ أَبِیک، وَ عَمِّک وَ أَخِیک، وَ أُمِّک الْمَظْلُومَهِ، وَ أَبْرَأُ إِلَی اللهِ مِنْ قَاتِلِیک، وَ أَسْأَلُ اللهَ مُرَافَقَتَک فِیدار الْخُلُودِ، وَ أَبْرَأُ إِلَی اللهِ مِنْ أَعْدَائِک أُولِی الْجُحُودِ، وَ السَّلَامُ عَلَیک وَ رَحْمَهُ اللهِ وَ بَرَکاتُهُ.
السَّلَامُ عَلَی عَبْدِ اللهِ بْنِ الْحُسَینِ، الطِّفْلِ الرَّضِیعِ وَ الْمَرْمِی الصَّرِیعِ، الْمُتَشَحِّطِ دَماً، الْمُصَعَّدِ دَمُهُ فِی السَّمَاءِ، الْمَذْبُوحِ بِالسَّهْمِ فِی حَجْرِ أَبِیهِ، لَعَنَ اللهُ رَامِیهُ حَرْمَلَهَ بْنَ کاهِلٍ الْأَسَدِی وَ ذَوِیهِ.
السَّلَامُ عَلَی عَبْدِ اللهِ بْنِ أَمِیرِ الْمُؤْمِنِینَ، مُبْلَی الْبَلَاءِ وَ الْمُنَادِی بِالْوَلَاءِ فِی عَرْصَهِ کرْبَلَاءَ، الْمَضْرُوبِ مُقْبِلًا وَ مُدْبِراً، وَ لَعَنَ اللهُ قَاتِلَه هَانِی بْنَ ثُبَیتٍ الْحَضْرَمِی.
السَّلَامُ عَلَی الْعَبَّاسِ بْنِ أَمِیرِ الْمُؤْمِنِینَ، الْمِوَاسِی أَخَاهُ بِنَفْسِهِ، الْآخِذِ لِغَدِهِ مِنْ أَمْسِهِ، الْفَادِی لَهُ الْوَاقِی، السَّاعِی إِلَیهِ بِمَائِهِ الْمَقْطُوعَهِ یدَاهُ، لَعَنَ اللهُ قَاتِلِیهِ یزِیدَ بْنَ وَقَّادٍ وَ حَکیمَ بْنَ الطُّفَیلِ الطَّائِی.
السَّلَامُ عَلَی جَعْفَرِ بْنِ أَمِیرِ الْمُؤْمِنِینَ الصَّابِرِ بِنَفْسِهِ مُحْتَسِباً، وَ النَّائِی عَنِ الْأَوْطَانِ مُغْتَرِباً، الْمُسْتَسْلِمِ لِلْقِتَال، الْمُسْتَقْدِمِ لِلنِّزَالِ، الْمَکثُورِ بِالرِّجَالِ، لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ هَانِی بْنَ ثُبَیتٍ الْحَضْرَمِی.
السَّلَامُ عَلَی عُثْمَانَ بْنِ أَمِیرِ الْمُؤْمِنِینَ سَمِی عُثْمَانَ بْنِ مَظْعُونٍ لَعَنَ اللهُ رَامِیهُ بِالسَّهْمِ خَوْلِی بْنَ یزِیدَ الْأَصْبَحِی الْأَیادِی الْأَبَانِی الدَّارِمِی.
السَّلَامُ عَلَی مُحَمَّدِ بْنِ أَمِیرِ الْمُؤْمِنِینَ قَتِیلِ الْأَبَانِیالدَّارِمِی (لَعَنَهُ اللهُ) وَ ضَاعَفَ عَلَیهِ الْعَذَابَ الْأَلِیمَ وَ صَلَّی اللهُ عَلَیک یا مُحَمَّدُ وَ عَلَی أَهْلِ بَیتِک الصَّابِرِینَ.
السَّلَامُ عَلَی أَبِی بَکرِ بْنِ الْحَسَنِ الزَّکی الْوَلِی، الْمَرْمِی بِالسَّهْمِ الرَّدِی، لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ عَبْدَ اللهِ بْنَ عُقْبَهَ الْغَنَوِی.
السَّلَامُ عَلَی عَبْدِ اللهِ بْنِ الْحَسَنِ بْنِ عَلِی الزَّکی لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ وَ رَامِیهُ حَرْمَلَهَ بْنَ کاهِلٍ الْأَسَدِی.
السَّلَامُ عَلَی الْقَاسِمِ بْنِ الْحَسَنِ بْنِ عَلِی الْمَضْرُوبِ عَلَی هَامَتِهِ، الْمَسْلُوبِ لَامَتُهُ حِینَ نَادَی الْحُسَینَ عَمَّهُ، فَجَلَّی عَلَیهِ عَمُّهُ کالصَّقْرِ وَ هُوَ یفْحَصُ بِرِجْلِهِ التُّرَابَ وَ الْحُسَینُ یقُولُ: بُعْداً لِقَوْمٍ قَتَلُوک وَ مَنْ خَصْمُهُمْ یوْمَ الْقِیامَهِ جَدُّک وَ أَبُوک ثُمَّ قَالَ: عَزَّ وَ اللهِ عَلَی عَمِّک أَنْ تَدْعُوَهُ فَلَا یجِیبَک أَوْ یجِیبَک وَ أَنْتَ قَتِیلٌ جَدِیلٌ فَلَا ینْفَعَک هَذَا وَ اللهِ یوْمٌ کثُرَ وَاتِرُهُ وَ قَلَّ نَاصِرُهُ جَعَلَنِی اللهُ مَعَکمَا یوْمَ جَمَعَکمَا وَ بَوَّأَنِی مُبَوَّأَکمَا وَ لَعَنَ اللهُ قَاتِلَک عَمْرَو بْنَ سَعْدِ بْنِ نُفَیلٍ الْأَزْدِی وَ أَصْلَاهُ جَحِیماً وَ أَعَدَّ لَهُ عَذَاباً أَلِیماً.
اَلسَّلَامُ عَلَی عَوْنِ بْنِ عَبْدِ اللهِ بْنِ جَعْفَرٍ الطَّیارِ فِی الْجِنَانِ، حَلِیفِ الْإِیمَانِ، وَ مُنَازِلِ الْأَقْرَآنِ، النَّاصِحِ لِلرَّحْمَنِ، التَّالِی لِلْمَثَانِی وَ الْقُرْآنِ، لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ عَبْدَ اللهِ بْنَ قُطْبَهَ النَّبْهَانِی.
اَلسَّلَامُ عَلَی مُحَمَّدِ بْنِ عَبْدِ اللهِ بْنِ جَعْفَرٍ الشَّاهِدِ مَکانَ أَبِیهِ وَ التَّالِی لِأَخِیهِ وَ وَاقِیهِ بِبَدَنِهِ لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ عَامِرَ بْنَ نَهْشَلٍ التَّمِیمِی.
اَلسَّلَامُ عَلَی جَعْفَرِ بْنِ عَقِیلٍ، لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ وَ رَامِیهُ بِشْرَ بْنَ حَوْطٍ الْهَمْدَانِی.
اَلسَّلَامُ عَلَی عَبْدِ الرَّحْمَنِ بْنِ عَقِیلٍ لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ وَ رَامِیهُ عُثْمَانَ بْنَ خَالِدِ بْنِ أسد أَشْیمَ الْجُهَنِی.
اَلسَّلَامُ عَلَی الْقَتِیلِ ابْنِ الْقَتِیلِ، عَبْدِ اللهِ بْنِ مُسْلِمِ بْنِ عَقِیلٍ، وَ لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ عَامِرَ بْنَ صَعْصَعَه َوَ قِیلَ: أَسَدَ بْنَ مَالِک.
اَلسَّلَامُ عَلَی أَبِی عبدالله عُبَیدِ اللهِ بْنِ مُسْلِمِ بْنِ عَقِیلٍ وَ لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ وَ رَامِیهُ عَمْرَو بْنَ صَبِیحٍ الصَّیدَاوِی.
اَلسَّلَامُ عَلَی مُحَمَّدِ بْنِ أَبِی سَعِیدِ بْنِ عَقِیلٍ وَ لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ لَقِیطَ بْنَ نَاشِرٍ الْجُهَنِی.
اَلسَّلَامُ عَلَی سُلَیمَانَ مَوْلَی الْحُسَینِ بْنِ أَمِیرِ الْمُؤْمِنِینَ وَ لَعَنَ اللهُ قَاتِلَهُ سُلَیمَانَ بْنَ عَوْفٍ الْحَضْرَمِی،
اَلسَّلَامُ عَلَی قَارِبٍ مَوْلَی الْحُسَینِ بْنِ عَلِی.
اَلسَّلَامُ عَلَی مُنْجِحٍ مَوْلَی الْحُسَینِ بْنِ عَلِی(ع)
اَلسَّلَامُ عَلَی مُسْلِمِ بْنِ عَوْسَجَةَ الْأَسَدِی الْقَائِلِ لِلْحُسَینِ وَ قَدْ أَذِنَ لَهُ فِی الِانْصِرَافِ أَ نَحْنُ نُخَلِّی عَنْک وَ بِمَ نَعْتَذِرُ إِلَی اللهِ مِنْ أَدَاءِ حَقِّک وَ لاوَ اللهِ حَتَّی أَکسِرَ فِی صُدُورِهِمْ رُمْحِی وَ أَضْرِبَهُمْ بِسَیفِی مَا ثَبَتَ قَائِمُهُ فِی یدِی وَ لاأُفَارِقُک وَ لَوْ لَمْ یکنْ مَعِی سِلَاحٌ أُقَاتِلُهُمْ بِهِ لَقَذَفْتُهُمْ بِالْحِجَارَةِ ثُمَّ لَمْ أُفَارِقْک حَتَّی أَمُوتَ مَعَک وَ کنْتَ أَوَّلَ مَنْ شَرَی نَفْسَهُ وَ أَوَّلَ شَهِیدٍ مِنْ شُهَدَاءِ اللهِ قَضَی نَحْبَهُ فَفُزْتَ وَ رَبِّ الْکعْبَةِ شَکرَ اللهُ لَک اسْتِقْدَامَک وَ مُوَاسَاتَک إِمَامَک إِذْ مَشَی إِلَیک وَ أَنْتَ صَرِیعٌ فَقَالَ یرْحَمُک اللهُ یا مُسْلِمَ بْنَ عَوْسَجَةَ وَ قَرَأَ فَمِنْهُمْ مَنْ قَضی نَحْبَهُ وَ مِنْهُمْ مَنْ ینْتَظِرُ وَ ما بَدَّلُوا تَبْدِیلًا لَعَنَ اللهُ الْمُشْتَرِکینَ فِی قَتْلِک عَبْدَ اللهِ الضَّبَابِی وَ عَبْدَ اللهِ بْنَ خَشْکارَةَ الْبَجَلِی
اَلسَّلَامُ عَلَی سَعْدِ بْنِ عَبْدِ اللهِ الْحَنَفِی الْقَائِلِ لِلْحُسَینِ وَ قَدْ أَذِنَ لَهُ فِی الِانْصِرَافِ لانُخَلِّیک حَتَّی یعْلَمَ اللهُ أَنَّا قَدْ حَفِظْنَا غَیبَةَ رَسُولِ اللهِ(ص) فِیک وَ اللهِ لَوْ أَعْلَمُ أَنِّی أُقْتَلُ ثُمَّ أُحْیا ثُمَّ أُحْرَقُ ثُمَّ أُذْرَی وَ یفْعَلُ ذَلِک بیسَبْعِینَ مَرَّةً مَا فَارَقْتُک حَتَّی أَلْقَی حِمَامِی دُونَک وَ کیفَ لاأَفْعَلُ ذَلِک وَ إِنَّمَا هِی مَوْتَةٌ أَوْ قَتْلَةٌ وَاحِدَةٌ ثُمَّ هِی الْکرَامَةُ الَّتِی لاانْقِضَاءَ لَهَا أَبَداً فَقَدْ لَقِیتَ حِمَامَک وَ وَاسَیتَ إِمَامَک وَ لَقِیتَ مِنَ اللهِ الْکرَامَةَ فِیدار الْمُقَامَةِ حَشَرَنَا اللهُ مَعَکمْ فِی الْمُسْتَشْهَدِینَ وَ رَزَقَنَا مُرَافَقَتَکمْ فِی أَعْلَی عِلِّیینَ
اَلسَّلَامُ عَلَی بِشْرِ بْنِ عُمَرَ الْحَضْرَمِی شَکرَ اللهُ لَک قَوْلَک لِلْحُسَینِ وَ قَدْ أَذِنَ لَک فِی الِانْصِرَافِ أَکلَتْنِی إِذَنِ السِّبَاعُ حَیاً إِذَا فَارَقْتُک وَ أَسْأَلُ عَنْک الرُّکبَانَ وَ أَخْذُلُک مَعَ قِلَّةِ الْأَعْوَانِ لایکونُ هَذَا أَبَداً
اَلسَّلَامُ عَلَی یزِیدَ بْنِ حُصَینٍ الْهَمْدَانِی الْمَشْرِقِی الْقَارِی الْمُجَدَّلِ
اَلسَّلَامُ عَلَی عِمْرَانَ بْنِ کعْبٍ الْأَنْصَارِی اَلسَّلَامُ عَلَی نَعِیمِ بْنِ عَجْلَانَ الْأَنْصَارِی
اَلسَّلَامُ عَلَی زُهَیرِ بْنِ الْقَینِ الْبَجَلِی الْقَائِلِ لِلْحُسَینِ(ع) وَ قَدْ أَذِنَ لَهُ فِی الِانْصِرَافِ لاوَ اللهِ لایکونُ ذَلِک أَبَداً أَ أَتْرُک ابْنَ رَسُولِ اللهِ(ص) أَسِیراً فِی یدِ الْأَعْدَاءِ وَ أَنْجُو أَنَا لاأَرَانِی اللهُ ذَلِک الْیوْمَ
اَلسَّلَامُ عَلَی عَمْرِو بْنِ قَرَظَةَ الْأَنْصَارِی اَلسَّلَامُ عَلَی حَبِیبِ بْنِ مُظَاهِرٍ الْأَسَدِی
اَلسَّلَامُ عَلَی الْحُرِّ بْنِ یزِیدَ الرِّیاحِی اَلسَّلَامُ عَلَی عَبْدِ اللهِ بْنِ عُمَیرٍ الْکلْبِی
اَلسَّلَامُ عَلَی نَافِعِ بْنِ هِلَالٍ الْبَجَلِی الْمُرَادِی اَلسَّلَامُ عَلَی أَنَسِ بْنِ کاهِلٍ الْأَسَدِی
اَلسَّلَامُ عَلَی قَیسِ بْنِ مُسْهِرٍ الصَّیدَاوِی اَلسَّلَامُ عَلَی عَبْدِ اللهِ وَ عَبْدِ الرَّحْمَنِ ابْنَی عُرْوَةَ بْنِ حَرَّاقٍ الْغِفَارِیینِ
اَلسَّلَامُ عَلَی جَوْنٍ مَوْلَی أَبِی ذَرٍّ الْغِفَارِی اَلسَّلَامُ عَلَی شَبِیبِ بْنِ عَبْدِ اللهِ النَّهْشَلِی
اَلسَّلَامُ عَلَی الْحَجَّاجِ بْنِ یزِیدَ السَّعْدِی اَلسَّلَامُ عَلَی قَاسِطٍ وَ کرِشٍ ابْنَی زُهَیرٍ التَّغْلَبِیینِ
اَلسَّلَامُ عَلَی کنَانَةَ بْنِ عَتِیقٍ اَلسَّلَامُ عَلَی ضِرْغَامَةَ بْنِ مَالِک اَلسَّلَامُ عَلَی جُوَینِ بْنِ مَالِک الضُّبَعِی
اَلسَّلَامُ عَلَی عَمْرِو بْنِ ضُبَیعَةَ الضُّبَعِی اَلسَّلَامُ عَلَی زَیدِ بْنِ ثُبَیتٍ الْقَیسِی
اَلسَّلَامُ عَلَی عَبْدِ اللهِ وَ عُبَیدِ اللهِ ابْنَی یزِیدَ بْنِ ثُبَیتٍ الْقَیسِی اَلسَّلَامُ عَلَی عَامِرِ بْنِ مُسْلِمٍ
اَلسَّلَامُ عَلَی قَعْنَبِ بْنِ عَمْرٍو النَّمِری اَلسَّلَامُ عَلَی سَالِمٍ مَوْلَی عَامِرِ بْنِ مُسْلِمٍ
اَلسَّلَامُ عَلَی سَیفِ بْنِ مَالِک اَلسَّلَامُ عَلَی زُهَیرِ بْنِ بِشْرٍ الْخَثْعَمِی
اَلسَّلَامُ عَلَی بَدْرِ بْنِ مَعْقِلٍ الْجُعْفِی اَلسَّلَامُ عَلَی الْحَجَّاجِ بْنِ مَسْرُوقٍ الْجُعْفِی
اَلسَّلَامُ عَلَی مَسْعُودِ بْنِ الْحَجَّاجِ وَ ابْنِهِ اَلسَّلَامُ عَلَی مُجَمِّعِ بْنِ عَبْدِ اللهِ الْعَائِدِی
اَلسَّلَامُ عَلَی عَمَّارِ بْنِ حَسَّانَ بْنِ شُرَیحٍ الطَّائِی اَلسَّلَامُ عَلَی حَیانَ بْنِ الْحَارِثِ السَّلْمَانِی الْأَزْدِی
اَلسَّلَامُ عَلَی جُنْدَبِ بْنِ حُجْرٍ الْخَوْلَانِی اَلسَّلَامُ عَلَی عُمَرَ بْنِ خَالِدٍ الصَّیدَاوِی اَلسَّلَامُ عَلَی سَعِیدٍ مَوْلَاهُ
اَلسَّلَامُ عَلَی یزِیدَ بْنِ زِیادِ بْنِ الْمُظَاهِرِ الْکنْدِی اَلسَّلَامُ عَلَی زَاهِرٍ مَوْلَی عَمْرِو بْنِ الْحَمِقِ الْخُزَاعِی
اَلسَّلَامُ عَلَی جَبَلَةَ بْنِ عَلِی الشَّیبَانِی اَلسَّلَامُ عَلَی سَالِمٍ مَوْلَی بَنِی الْمَدِینَةِ الْکلْبِی
اَلسَّلَامُ عَلَی أَسْلَمَ بْنِ کثِیرٍ الْأَزْدِی اَلسَّلَامُ عَلَی قَاسِمِ بْنِ حَبِیبٍ الْأَزْدِی
اَلسَّلَامُ عَلَی عُمَرَ بْنِ الْأُحْدُوثِ الْحَضْرَمِی اَلسَّلَامُ عَلَی أَبِی ثُمَامَةَ عُمَرَ بْنِ عَبْدِ اللهِ الصَّائِدِی
اَلسَّلَامُ عَلَی حَنْظَلَةَ بْنِ أَسْعَدَ الشِّبَامِی اَلسَّلَامُ عَلَی عَبْدِ الرَّحْمَنِ بْنِ عَبْدِ اللهِ بْنِ الْکدِنِ الْأَرْحَبِی
اَلسَّلَامُ عَلَی عَمَّارِ بْنِ أَبِی سَلَامَةَ الْهَمْدَانِی
اَلسَّلَامُ عَلَی عَابِسِ بْنِ شَبِیبٍ الشَّاکرِی اَلسَّلَامُ عَلَی شَوْذَبٍ مَوْلَی شَاکرٍ
اَلسَّلَامُ عَلَی شَبِیبِ بْنِ الْحَارِثِ بْنِ سَرِیعٍ اَلسَّلَامُ عَلَی مَالِک بْنِ عَبْدِ اللهِ بْنِ سَرِیعٍ
اَلسَّلَامُ عَلَی الْجَرِیحِ الْمَأْسُورِ سَوَّارِ بْنِ أَبِی حِمْیرٍ الْفَهْمِی الْهَمْدَانِی اَلسَّلَامُ عَلَی الْمُرْتَثِّ مَعَهُ عَمْرِو بْنِ عَبْدِ اللهِ الْجُنْدُعِی
اَلسَّلَامُ عَلَیکمْ یا خَیرَ أَنْصَارٍ، اَلسَّلَامُ عَلَیکمْ بِمَا صَبَرْتُمْ فَنِعْمَ عُقْبَی الدَّارِ بَوَّأَکمُ اللهُ مُبَوَّأَ الْأَبْرَارِ أَشْهَدُ لَقَدْ کشَفَ اللهُ لَکمُ الْغِطَاءَ وَ مَهَّدَ لَکمُ الْوِطَاءَ وَ أَجْزَلَ لَکمُ الْعَطَاءَ وَ کنْتُمْ عَنِ الْحَقِّ غَیرَ بَطَّاءٍ وَ أَنْتُمْ لَنَا فَرَطٌ وَ نَحْنُ لَکمْ خُلَطَاءُ فِیدار الْبَقَاءِ وَ اَلسَّلَامُ عَلَیکمْ وَ رَحْمَةُ اللهِ وَ بَرَکاتُه.
फ़ुटनोट
- ↑ इब्न मशहदी, अल-मज़ार अल-कबीर, 1419 हिजरी, पृष्ठ 485; सैय्यद बिन तावुस, अल-इक़बाल, 1416 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 73।
- ↑ देखें इब्न मशहदी, अल-मज़ार अल-कबीर, 1419 हिजरी, पृ. 485-496; सैय्यद इब्न तावुस, अल-इक़बाल, 1416 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 73-80।
- ↑ "ज़ियारत नाहिया मुक़द्देसा", अल-कौसर वेबसाइट देखें।
- ↑ "ज़ियारत नाहिया मुक़द्देसा", अल-कौसर वेबसाइट देखें।
- ↑ तबसी, "ज़ियारत नाहिया मुक़द्देसा", पृष्ठ 194 देखें।
- ↑ इब्न मशहदी, अल-मज़ार अल-कबीर, 1419 हिजरी, पृष्ठ 485; सैय्यद बिन तावुस, अल-इक़बाल, 1416 हिजरी, खंड 3, पृष्ठ 73।
- ↑ मोहम्मदी रय शहरी, इमाम हुसैन (अ) का ज्ञान, खंड 12, पृष्ठ 271, फ़ुटनोट 1।
- ↑ ममक़ानी, तंक़ीह अल-मक़ाल, बी टा, खंड 1, पृष्ठ 453 देखें।
- ↑ मुफ़ीद, अल-अरशाद, 1413 हिजरी, खंड 2, पृष्ठ 339।
- ↑ कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 514।
- ↑ महदीपुर, नब्रास अल-ज़ायर फ़ि ज़ियारत अल-हायर, 1419 हिजरी, पृष्ठ 134।
- ↑ तूसतरी, क़ामूस अल-रेजाल, खंड 9, पृष्ठ 504; आयती, बर्रसी ए तारीख़े आशूरा, 1383, पृष्ठ 141।
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- ↑ इब्न मशहदी, अल-मज़ार अल-कबीर, 1419 हिजरी, पेज 485-496।
- ↑ सैय्यद बिन तावुस, अल-इक़बाल, 1416 हिजरी, खंड 3, पृ. 73-80।
- ↑ शम्स अल-दीन, अंसार अल-हुसैन, 1429 हिजरी, पेज 207-209।
- ↑ ख़ूई, मोजम अल रेजाल अल-हदीस, 1413 हिजरी, खंड 18, पृष्ठ 220।
- ↑ शम्स अल-दीन, अंसार अल-हुसैन, 1429 हिजरी, पृष्ठ 215।
- ↑ तबसी देखें, "ज़ियारत नाहिया मुक़द्देसा", पृष्ठ 195-197।
- ↑ तबसी देखें, "ज़ियारत नाहिया मुक़द्देसा", पृष्ठ 196-197।
- ↑ शम्स अल-दीन, अंसार अल-हुसैन, 1429 हिजरी, पृष्ठ 216।
- ↑ आयती, बरर्सी ए तारीख़े आशूरा, 1383, पृष्ठ 141।
- ↑ इब्न मशहदी, अल-मज़ार अल-कबीर, 1419 हिजरी, पृष्ठ 485-496 देखें।
- ↑ देखें सैय्यद इब्न तावुस, अल-इक़बाल, 1416 हिजरी, खंड 3, पृ. 73-80।
- ↑ रंजबर, "पिजोहिशी दर बार ए दो ज़ियारत, ज़ियारत ए नाहिया व ज़ियारत ए रजबिया", पृष्ठ 61।
- ↑ मजलेसी, बिहार अल-अनवार, 1403 हिजरी, खंड 101, पृ.274-269।
स्रोत
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