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ओहोद के शहीदों का मक़बरा

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ओहोद के शहीदों का मक़बरा
विनाश से पहले ओहोद के शहीदों का मक़बरा
विनाश से पहले ओहोद के शहीदों का मक़बरा
स्थापनादूसरी चंद्र शताब्दी
उपयोगकर्ताज़ियारतगाह
स्थानमदीना के उत्तर में ओहोद क्षेत्र में
अन्य नामओहोद के शहीदों का क़ब्रिस्तान
संबंधित घटनाएँमक़बरे का विनाश
स्थितिनष्ट हो गए


ओहोद के शहीदों का मक़बरा, एक क़ब्रिस्तान है जहाँ पैग़म्बर (स) के चाचा हज़रत हमज़ा और ओहोद की लड़ाई के कुछ अन्य शहीदों की क़ब्रें स्थित हैं। यह क़ब्रिस्तान मदीना के उत्तर में ओहोद क्षेत्र में स्थित है। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, पैग़म्बर (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम) और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (अ) ओहोद के शहीदों की क़ब्रों पर ज़ियारत के लिये जाया करते थे, और मुसलमान भी हमेशा ऐसा किया करते थे।

इन क़ब्रों पर बनी पहली इमारत दूसरी शताब्दी हिजरी की है; हालाँकि, सऊदी अरब में सऊद घराने के उदय के साथ, वहाबियों ने विधर्म के विरुद्ध लड़ने के उद्देश्य से 1344 हिजरी में इस इमारत को नष्ट कर दिया।

स्थान और अवस्थिति

ओहोद के शहीदों का मक़बरा, पैग़म्बर (स) के चाचा हज़रत हमज़ा और ओहोद के अन्य शहीदों का दफ़न स्थल है। यह मक़बरा मदीना के उत्तर में,[] ओहोद और रुमात पर्वत के बीच स्थित है और पैग़म्बर (स) की मस्जिद से लगभग पाँच किलोमीटर दूर है।[]

ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, पैग़म्बर (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम) हर साल ओहोद के शहीदों की क़ब्रों की ज़ियारत के लिए जाया करते थे[] और उनकी ज़ियारत करने की सिफ़ारिश भी किया करते थे।[] पैग़म्बर (स) की वफ़ात के बाद, तीनों ख़लीफ़ा भी इस परंपरा का पालन किया करते थे।[]

शिया इमाम भी ओहोद के शहीदों की क़ब्रों पर जाने की सिफ़ारिश किया करते थे।[] हज़रत फ़ातेमा (अ) हज़रत हमज़ा की क़ब्र पर जाया करती थीं[] और शेख़ मुफ़ीद के अनुसार, उन्होंने उनकी क़ब्र की मिट्टी से तसबीह भी बनाईं थी।[] इसी तरह से हिजाज़ के लोगों में रजब की 12वीं रात को हमज़ा की क़ब्र पर जाना भी आम बात थी।[] सुन्नियों ने ओहोद के शहीदों की क़ब्रों पर जाने के लिए गुरुवार को अनुशंसित (मुसतहब) माना है।[१०]

यह स्थान हमेशा से मुसलमानों, विशेषकर शियों के लिए तीर्थस्थल रहा है।[११]

इमारत का इतिहास

2015 में पुनर्निर्माण के दौरान ओहद क्षेत्र का हवाई दृश्य।

इतिहासकार इब्न शब्बा (मृत्यु 262 हिजरी) के अनुसार, हज़रत फ़ातेमा (अ) ने सबसे पहले हज़रत हमज़ा के मक़बरे की मरम्मत करवाई थी।[१२] ऐतिहासिक रिपोर्टों के अनुसार, हज़रत हमज़ा के मक़बरे पर दूसरी शताब्दी हिजरी से एक मस्जिद मौजूद थी।[१३] 590 हिजरी में, अब्बासी ख़लीफ़ा अल-नासिर लेदीनिल्लाह की माँ के आदेश पर इस मक़बरे के ऊपर एक गुंबददार इमारत का निर्माण किया गया था।[१४] इस इमारत का विस्तार 893 हिजरी में किया गया था।[१५] कुछ स्रोतों में, इस इमारत को ओहोद के शहीदों की मस्जिद भी कहा गया है।[१६]

मक़बरे का विनाश

ओहोद के शहीदों के मक़बरे को 1220 हिजरी में आले-सऊद ने नष्ट कर दिया था, 1222 हिजरी में इब्राहिम पाशा ने इसका पुनर्निर्माण किया और 1344 हिजरी में इसे फिर से पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया।[१७] वहाबियों ने ऐसा नवप्रवर्तन और बहुदेववाद का मुकाबला करने के उद्देश्य से किया।[१८] उनके विचार में, क़ब्रों पर निर्माण[१९] और क़ब्रों की ज़ियारत पर जाने के लिए यात्रा करना[२०] बिदअत है।

ओहद पर्वत के बगल में ओहद के शहीदों की क़ब्रें

सुन्नी इतिहासकार इब्न कसीर (मृत्यु 774 हिजरी) के अनुसार, मुआविया बिन अबी सुफ़ियान ने 49 हिजरी में एक नहर खोदने का आदेश दिया था, जो ओहोद के शहीदों की क़ब्रों के पास या ऊपर से गुज़रती। जब शहीदों के रिश्तेदारों ने शवों को ले जाने के लिए क़ब्रें खोदीं, तो उन्होंने शवों को सही-सलामत पाया। इस घटना ने उन्हें विनाश जारी रखने से रोक दिया।[२१] मुहम्मद सादिक़ नज्मी के नज़रिये के अनुसार, मुआविया ने यह कार्रवाई जानबूझकर की थी और इसका उद्देश्य ओहोद की लड़ाई में कुरैश के अपराधों के निशान मिटाना था।[२२] अन्य रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि ओहोद के शहीदों की क़ब्रें बाढ़ से नष्ट हो गई थीं और शहीदों के शरीर 49 हिजरी में सही सलामत[२३] और उनके दफ़न होने के 1400 साल बाद तक बरक़रार थे।[२४]

दफ़्न होने वाले

मुख्य लेख: ओहोद के शहीद
ओहद के शहीदों की क़ब्रें और हमज़ा मस्जिद का चित्र

ओहोद के युद्ध में लगभग 70 मुसलमान शहीद हुए थे,[२५] जिनमें से चार मुहाजेरीन और बाकी अंसार थे।[२६] ज़्यादातर शहीदों को ओहोद में दफ़्न किया गया, सिवाय कुछ के जिन्हें मदीना स्थानांतरित कर दिया गया था। हमज़ा बिन अब्द अल-मुत्तलिब, अब्दुल्लाह बिन जहश, शम्मास बिन उस्मान क़ुरशी, मुसअब बिन उमैर, हंज़ला ग़सील अल-मलाइका, साद बिन रबी, मालिक इब्न सेनान और सहल बिन क़ैस, उन शहीदों में शामिल थे जिन्हें इस क्षेत्र में दफ़्न किया गया था।[२७]

शहीदों की बड़ी संख्या और बचे हुए लोगों की थकावट के कारण, पैग़म्बर (स) ने आदेश दिया कि शहीदों को सामूहिक रूप से एक ही क़ब्र में दफ़न कर दिया जाए।[२८] एक ही क़ब्र में दफ़्न किये गए शहीदों में, जिसने क़ुरआन को सबसे अधिक याद किया था उसे पहले स्थान पर रखा गया था।[२९] इसी तरह से, अम्र इब्न जुमूह और अब्दुल्लाह बिन अम्र को उनकी दोस्ती के कारण एक ही क़ब्र में दफ़्न किया गया था।[३०] शहीदों में से, केवल हज़रत हमज़ा की क़ब्र का सही स्थान ज्ञात है।[३१]

आस-पास की इमारतें

रिपोर्टों के अनुसार, ओहोद के शहीदों के मक़बरे के आसपास कई मस्जिदें थीं:

हमज़ा मस्जिद मक़बरे के पूर्व में स्थित है।[३२] ऐसा कहा गया है कि सनाया मस्जिद भी ओहोद के शहीदों के मक़बरे से 500 मीटर उत्तर में स्थित थी।[३३] इसके अलावा, कुछ हदीसों के अनुसार, हज़रत हमज़ा के मक़बरे के सामने अमीर अल-मोमिनीन नामक एक मस्जिद थी,[३४] जिसका अब कोई निशान नहीं बचा है।[३५]

रुमात पर्वत के पास दो मस्जिदें भी मौजूद होने की सूचना है: पर्वत के पूर्व में रुक्न अल-जबल मस्जिद, जहाँ हज़रत हमज़ा घायल हुए थे, और पर्वत के उत्तर में अल-वादी मस्जिद, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह हज़रत हमज़ा की शहादत का स्थल था।[३६]

संबंधित लेख

फ़ुटनोट

  1. इब्न ज़िया, तारीख़ मक्का अल मुशर्रफ़ा वल मस्जिदिल हराम व मदीना अलशरीफ़ वल क़ब्र अलशरीफ़, 1424 हिजरी, पृष्ठ 252।
  2. जाफ़रियान, आसारे इस्लामी मक्का व मदीना, 1379 शम्सी, पृष्ठ 415-418।
  3. इब्न शबह, तारीख़ अल मदीना अल मुनव्वरा, 1399 हिजरी, खंड 1, पृष्ठ 132।
  4. शेख़ मुफ़ीद, अल-फ़ुसुल अल-मुख्तारा, 1413, पृष्ठ 131; मुहद्दिस नूरी, मुस्तद्रक अल-वसाइल, 1408 हिजरी, खंड 10, पृष्ठ 198; अल-अलवी अल-अक़ीक़ी, मरवीयात किताब अख़बार अल मदीना, 1440 हिजरी, पृष्ठ 291; अबू तैयब फ़ासी, शिफ़ा अल-ग़राम बेअख़बार बलदिल हराम, 1421 एएच, खंड। 2, पृ. 412.
  5. इब्न शबह, तारीख़ अल मदीना अल मुनव्वरा, 1399 एएच, खंड। 1, पृ. 132.
  6. कुलैनी, अल-काफी, 1407 एएच, खंड 4, पृ. 560.
  7. सम्हूदी, वफ़ा अल-वफ़ा बेअख़बार दार अल-मुस्तफ़ा, 1419 एएच, खंड। 3, पृ. 111; कुलैनी, अल-काफ़ी, 1407 एएच, खंड 4, पृ. 561.
  8. शेख़ मुफ़ीद, किताब अल-मज़ार, 1413 एएच, पृ. 150.
  9. रिफ़अत पाशा, मौसूआ अल-हरमैन अल-शरीफ़ैन व जज़ीरा अल-अरब, खंड 3, पृष्ठ 60।
  10. इब्न असाकिर, इतहाफ़ अल-ज़ायर वा अतराफ़ अल-मुकीम, दार अरक़म बिन अबी अल-अरक़म, पी। 92.
  11. बग़दादी, https://www.taghribnews.com/ar/article/77430 "सुन्नी और शियों के बीच कब्रों की ज़ियारत", तक़रीब न्यूज़ वेबसाइट।
  12. इब्न शबह, तारिख़ अल-मदीना अल-मुनव्वरा, 1399 एएच, खंड। 1, पृ. 132.
  13. सम्हूदी, वफ़ा अल-वफ़ा बेअख़बार दार अल-मुस्तफ़ा, 1419 एएच, खंड 3, पृष्ठ 104।
  14. अल-मुतरी, अल-तफ़रीफ बेमा अनस्त अल-हिजरा मिन मआलिम दार अल-हिजरा, 1426 एएच, पी। 126.
  15. जाफ़रियन, इस्लामिक वर्क्स ऑफ़ मक्का एंड मदीना, 1379, पृ. 441.
  16. देखें नजफ़ी, मदीना शेनासी, 1386 शम्सी, खंड 2, पृ. 269.
  17. "अहल अल-बैत (अ) की कब्रों को ध्वस्त करने में वहाबीवाद का इतिहास," और दार अल-विलायह।
  18. पूर अमीनी, बक़ीअ अल-ग़रक़द, 1428 एएच, पृ. 50.
  19. इब्न तैमिया, इक़्तेज़ा अल-सीरात अल-मुस्तक़ीम, मुख़ालेफ़त असहाब अल-जहीम, 1407 एएच, भाग 2, पृ. 108.
  20. उदाहरण के लिए, इब्न तैमिया, मिन्हाज अल-सुन्नह, 1406 एएच, खंड देखें। 2, पृ. 440; इब्न बाज़, फ़तवा नूर अल-दर्ब, मोअस्ससा अल-शेख इब्न बाज़ अल-खैरिया, पी। 243.
  21. इब्न कसीर, अल-बिदाया वल-निहाया, 1408 एएच, खंड। 4, पृ. 49.
  22. नजमी, "हरमे हज़रत हमज़ा (अ) दर बिस्तरे तारीख़," पीपी. 64-65।
  23. इब्न साद, अल-तबक़ात अल-कुबरा, 1968 ई, खंड। 3, पृ. 563.
  24. आमेरी, मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम फ़िल कुतब अल मुक़द्दसा, 1426 एएच, पृष्ठ। 266.
  25. मक़दीसी, अल-बद वल-तारीख़, 1899-1919 एएच, भाग 4, पृ. 205; इब्न खल्दून, तारिख़, 1401 एएच, खंड। 2, पृ. 437.
  26. इब्न कुतैबह, अल-म'आरिफ़, 1992 ई., भाग 1, पृ. 160.
  27. इब्न ज़िया, तारिख़ मक्का अल-मुशर्रफ़ा वल-मस्जिद अल-हराम वल-मदीना अल-शरीफ़ा वल-क़ब्र अल-शरीफ़, 1424 एएच, पीपी. 252-255; साबरी पाशा, मौसूआ मिरात अल-हरमैन अल-शरीफ़ैन वा जज़ीरा अल-अरब, 1424 एएच, भाग 4, पृ. 749-750.
  28. इब्न कसीर, अल-बिदाया वल-निहाया, 1408 एएच, खंड 4, पृ. 48.
  29. इब्न कसीर, अल-बिदाया वल-निहाया, 1408 एएच, खंड 4, पृ. 48.
  30. इब्न हिशाम, अल-सीरत अल-नबविया, द्वारा उद्धृत: सुबहानी, फ़रोग़े अब्दियत, खंड। 1, पृ. 566.
  31. समहूदी, वफ़ा' अल-वफ़ा' बेअख़बार दार अल-मुस्तफ़ा, 1419 एएच, खंड। 3, पृ. 117.
  32. जाफ़रियान, आसारे इस्लामी मक्का वा मदीना, 1379 शम्सी, पृष्ठ। 439.
  33. जाफ़रियन, आसारे इस्लामी मक्का वा मदीना, 1379 शम्सी, पृष्ठ। 415.
  34. मजलिसी, बेहार अल-अनवार, 1403 एएच, भाग 97, पृ. 225.
  35. जाफ़रियान, आसारे-इस्लामी मक्का वा मदीना, 1379 एएच, पृष्ठ। 444.
  36. इब्न ज़िया, तारीख़ मक्का अल-मुशरिफ़ा वल-मस्जिद अल-हराम, वल-मदीना अल-शरीफा वल-क़ब्र अल-शरीफ़, 1424 एएच, पी। 257; साबरी पाशा, मौसूआ मरात अल-हरमैन अल-शरीफ़ैन व जज़ीरा अल-अरब, 1424 एएच, भाग 4, पृ. 700.

स्रोत

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  • समहूदी, अली इब्न अब्दुल्लाह, वफ़ा अल-वफ़ा बेअख़बर दार अल-मुस्तफ़ा, बेरूत, दार अल-कुतुब अल-इल्मिया, प्रथम संस्करण, 1419 हिजरी।
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  • शेख़ मुफ़ीद, मुहम्मद इब्न मुहम्मद, किताब अल-मज़ार, मुहम्मद बाक़िर अबतही द्वारा शोध, क़ुम, शेख़ मुफ़ीद कांग्रेस, पहला संस्करण, 1413 एएच।
  • साबरी पाशा, अय्यूब, मौसूआ मरातुल हरमैन अलशरीफ़ैन व जज़ीरा अलअरब , माजिदा मख्लूफ़ और अन्य द्वारा अनुवादित, क़ाहिरा, दार अल-आफाक़ अल-अरबिया, पहला संस्करण, 1424 एएच।
  • आमेरी, सामी, मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलिहि व सल्लम व फ़िल कुतुब अल मुक़द्दसा, क़ाहिरा, मरकज़ अल-तनवीर अल इस्लामी लिल ख़दमात अल मारेफ़िया, पहला संस्करण, 1426 एएच।
  • कुलैनी, मुहम्मद इब्न याक़ूब, अल-काफ़ी, तेहरान, दार अल-कुतुब अल इस्लामिया, चौथा संस्करण, 1407 एएच।
  • मजलिसी, मुहम्मद बाक़िर, बेहार अल-अनवार, बेरूत, दार इह्या अल-तुरास अल-अरबिया, दूसरा संस्करण, 1403 एएच।
  • मुहद्दिसी, हुसैन इब्न मुहम्मद तक़ी, मुस्तद्रक अल-वसायल, क़ुम, आल अल-बेत फाउंडेशन, पहला संस्करण, 1408 एएच।
  • मक़दिसी, मुतहहर इब्न ताहिर, अल-बदा वल-तारीख़, पेरिस, अर्नेस्ट लेरौ अल-सहाफ़, 1899 से 1919 ई. तक।
  • नजफ़ी, मोहम्मद बाक़िर, मदीना शेनासी, तेहरान, मशअर, 1386 शम्सी।
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